राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ (à¤à¤¾à¤— -१)
पिछले साल सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, दिसंबर के तीसरे हफà¥à¤¤à¥‡, में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, मेरा गृहराजà¥à¤¯ जहां मैं रहा बहà¥à¤¤ ही कम था, की यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बना था और हमारा रूट था:
कानपà¥à¤° –> जयपà¥à¤° –> पà¥à¤·à¥à¤•र –> बीकानेर –> जयपà¥à¤° –> कानपà¥à¤°
ठीक इस समय राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की सीमा पर गà¥à¤°à¥à¤œà¤° आंदोलन शà¥à¤°à¥‚ हो गया जिससे हमको थोड़ा सा डर था लेकिन जब ओखली में सर डाला तो मूसल से कà¥à¤¯à¤¾ डरने वाला जजà¥à¤¬à¤¾ लेकर निकल पड़े|
यातà¥à¤°à¤¾ कानपà¥à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से शà¥à¤°à¥‚ की और पहले सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जयपà¥à¤° पहà¥à¤‚चे जहां हमको हमारे साथी गाड़ी के साथ मिलने वाले थे |
गांधीनगर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨, जयपà¥à¤°
फिर जयपà¥à¤° में दोसà¥à¤¤ के घर तैयार होकर और खाना जीमकर हम पà¥à¤·à¥à¤•र की तरफ रवाना हà¥à¤ जिसका रासà¥à¤¤à¤¾ अजमेर होकर है. जब तक हम चार लें वाले हाइवे पर रहे तब तक तो रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही बढ़िया था लेकिन जैसे ही पà¥à¤·à¥à¤•र के लिठअजमेर के थोड़ा पहले दाहिने मà¥à¤¡à¤¼à¥‡ (पशà¥à¤šà¤¿à¤® की तरफ), सड़क à¤à¤• लाइन में बदल गयी और फिर जैसा कि हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में होता है, “जिसकी लाठी उसकी à¤à¥ˆà¤‚स” कहावत का पालन करते करते चलते चले गठऔर शाम तक पà¥à¤·à¥à¤•र पहà¥à¤à¤š गà¤|
जयपà¥à¤° से पà¥à¤·à¥à¤•र का रासà¥à¤¤à¤¾
पà¥à¤·à¥à¤•र
पà¥à¤·à¥à¤•र à¤à¤• छोटा सा कसà¥à¤¬à¤¾ है जहां राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में होने की वजह से धूल ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है, हरियाली न के बराबर है और आबादी à¤à¥€ ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं है| जगह के बारे में किवदंती है कि बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ने राधा कृषà¥à¤£ की à¤à¤²à¤• पाने के लियी साठहजार साल लंबी तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी और ये जगह अपनी à¤à¥€à¤² या तालाब के लिठजानी जाती है| यहाठदेखने के लिठकई सारे मंदिर à¤à¥€ हैं जिनमें कि मेरी कà¥à¤› खास दिलचसà¥à¤ªà¥€ नहीं थी| पà¥à¤·à¥à¤•र पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के बाद होटल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में थोड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हà¥à¤¯à¥€, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पहले हमको किसी ने उलटा रासà¥à¤¤à¤¾ बता दिया और हम पà¥à¤·à¥à¤•र के बाहर ही चले गठलेकिन फिर किसी à¤à¥€ तरह से पूछपाछ के होटल तक पहà¥à¤‚चे| होटल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ में शाम हो गयी थी और अंधेरा लगà¤à¤— होने लगा था| होटल अचà¥à¤›à¤¾ था, पीछे à¤à¤• पहाड़ी थी जिसको देखते ही मà¥à¤à¥‡ तो तà¥à¤°à¤‚त ही इस पर चढ़ने की तमनà¥à¤¨à¤¾ हो गयी |
कमरे काटेजनà¥à¤®à¤¾ थे और साथ में बाथरूम à¤à¥€ था, वो à¤à¥€ गरम पानी के साथ जो कि सरà¥à¤¦à¥€ में अचà¥à¤›à¤¾ था| पà¥à¤·à¥à¤•र जाते ही पहले हमने होटल में रात के अलाव का पता किया, जिसका जà¥à¤—ाड़ हो गया लेकिन चूंकि पà¥à¤·à¥à¤•र धारà¥à¤®à¤¿à¤• जगह है, इसलिठयहाठपीने और मांस खाने पर सखà¥à¤¤ मनाही थी इसलिठपीने का इंतज़ाम हमको छà¥à¤ª कर करना पड़ा, सà¥à¤Ÿà¥€à¤² के गिलासों में|
शाम को हम कà¥à¤› लोग पà¥à¤·à¥à¤•र की गलियों में घूमने निकले| मज़े की बात ये थी कि वहाठइज़रायली लोगों की तादाद काफी थी, और तो और कई जगह दà¥à¤•ानों पर हिबà¥à¤°à¥‚ में लिखा हà¥à¤† था| इसके अलावा कई छोटे मोटे रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट थे जहां शà¥à¤¦à¥à¤§ इटालियन पासà¥à¤¤à¤¾ सरà¥à¤µ किये जाने का दावा किया जा रहा था| हमको कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों ने बताया à¤à¥€ कि यहाठपर इटालियन खाना बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ मिलता है, वजह कि कà¥à¤› लोगों ने लोकल औरतों से शादी करके वहीं होटल खोल लिठऔर कà¥à¤› ने लोकल रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट वालों को बनाना सिखा दिया| खैर हमने इसको चखने की कोशिश नहीं की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रात काफी हो गयी थी| हम ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं घूमे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• तो रात हो गयी थी और दूसरे à¤à¥‚ख à¤à¥€ लग रही थी और होटल में खाना तैयार था |
पà¥à¤·à¥à¤•र का à¤à¤• मंदिर
रात को होटल पहà¥à¤‚च कर पहले तो सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« को पटा कर सà¥à¤Ÿà¥€à¤² के गिलासों का इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤® किया गया जिसमें सरà¥à¤¦à¥€ के मौसम में वà¥à¤¹à¤¿à¤¸à¥à¤•ी पी गयी जो कि बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ à¤à¥€ लग रही थी| साथ में अलाव मौसम का मज़ा और à¤à¥€ दà¥à¤—à¥à¤¨à¤¾ कर रहा था, लेकिन बहरहाल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर पहाड़ी पर चढ़ने जाना था, इसलिठजलà¥à¤¦à¥€ सो गà¤|
सà¥à¤¬à¤¹ करीब पांच बजे उठकर फटाफट तैयार होकर हम पहाड़ी की तरफ चले, पहाड़ी के नीचे à¤à¤• मंदिर था जहां कई सारे लंगूर थे| लंगूर हम लोगों को à¤à¤¸à¥‡ देख रहे थे कि जैसे हम कोई अजूबे हों, जो कि शायद सही à¤à¥€ है|
होटल से पहाड़ी का रासà¥à¤¤à¤¾
पहाड़ी (पीछे की तरफ)
और फिर पथरीली पहाड़ी की चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚| चढ़ाई थोड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल सी थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कई सारे कंटीले à¤à¤¾à¤¡à¤¼ à¤à¥€ थे जिनको पार करना थोड़ी मशकà¥à¤•त का काम था लेकिन, फिर à¤à¥€ à¤à¤• बचà¥à¤šà¥€ और सारे बड़े सब बिना किसी मà¥à¤¶à¥à¤•िल के चढ़ गà¤| इस पहाड़ी पर पूरा चढ़ना हो सकता था लेकिन समय की कमी की वजह से हम आधा ही चढ़े, उसके आगे रासà¥à¤¤à¤¾ इतना आसान à¤à¥€ नहीं था और सब लोग चढ़ à¤à¥€ नहीं पाते| इसलिठहम वहीं रà¥à¤•े और वहां से पà¥à¤·à¥à¤•र का नजार काफी खूबसूरत था| कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ खींची गयीं और फिर नीचे उतरने का का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® शà¥à¤°à¥‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि फिर हमको पà¥à¤·à¥à¤•र का तालाब देख कर बीकानेर की तरफ जाना था|
à¤à¤• छोटा मंदिर, पहाड़ी के नीचे
मंदिर का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾
पहाड़ी से पà¥à¤·à¥à¤•र का नज़ारा
पहाड़ी à¤à¤¾à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और हमारे मितà¥à¤°
पà¥à¤·à¥à¤•र का à¤à¤• और दृशà¥à¤¯
पहाड़ी से दिखता पà¥à¤·à¥à¤•र का महल
उतरते उतरते लगà¤à¤— नौ बज गया और फिर होटल वापस आकर बढ़िया आलू के पराठों के साथ नाशà¥à¤¤à¤¾ किया गया और फिर फटाफट तैयार होकर निकल पड़े à¤à¥€à¤²Â की तरफ| à¤à¥€à¤² का रासà¥à¤¤à¤¾ तंग गलियों से होकर था जिसमें गाड़ी चलाने में काफी मà¥à¤¶à¥à¤•िल थी लेकिन बचते बचाते तालाब तक पहà¥à¤à¤š ही गà¤| à¤à¥€à¤² का रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¤• गली से जिसमें कि कई सारे खाने पीने के ठिकाने हैं और सबमें ताजा खाना बन रहा होता है| à¤à¥€à¤² का खà¥à¤¦ का नज़ारा काफी ख़ूबसूरत है| à¤à¤• तरफ इसके महल है जो कि काफी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है| हम यहाठकà¥à¤› घंटे रà¥à¤•े और बाहर निकलकर बढ़िया बाजरे की रोटी, चूरमा, उडद की डाल और मिरà¥à¤š से à¤à¤°à¤ªà¥‚र कोई सबà¥à¤œà¥€ खाई जिसको खाकर नाजा गया लेकिन कान à¤à¥€ गरम हो गà¤| पà¥à¤·à¥à¤•र के बाज़ार à¤à¥€ काफी रंगबिरंगे हैं, जिसमें गहरे लाल की बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ है, गलियों में तरह के कपड़े और आà¤à¥‚षण मिल रहे थे जिनमें कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ कला का काफी पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ दिखाई दे रहा था|
पà¥à¤·à¥à¤•र की गलियाà¤
खाने की दà¥à¤•ान
हालांकि दिसंबर का महीना था लेकिन दिन फिर à¤à¥€ ठीक ठाक गरà¥à¤® था| फिर करीब १-२ बजे के करीब हम बीकानेर की तरफ रवाना हà¥à¤|
पà¥à¤·à¥à¤•र-बीकानेर
बीकानेर का रासà¥à¤¤à¤¾ नागौर होकर है जो कि अजमेर के उतà¥à¤¤à¤°-पशà¥à¤šà¤¿à¤® में है| रासà¥à¤¤à¥‡ में गाड़ी चलाने में à¤à¥€ मसà¥à¤¤ मज़ा आ रहा था, टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• कà¥à¤› खास नहीं था और मौसम लाजबाब, और कà¥à¤¯à¤¾ चाहिठà¤à¤¸à¥‡ में| रासà¥à¤¤à¥‡ में जमीन बदल रही थी, हम रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ इलाके में घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ जा रहे थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बालू बढती जा रही थी, और बीकानेर के कà¥à¤› पचास à¤à¤• किमी पहले तो रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सा शà¥à¤°à¥‚ हो ही जाता है|
रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• सजा हà¥à¤† ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾
रासà¥à¤¤à¥‡ में मिले कà¥à¤› अजीबोगरीब पेड़
आगे की यातà¥à¤°à¤¾ दूसरे à¤à¤¾à¤— में जो कि बीकानेर और उसके आस पास की जगहों की है और उसके बाद जयपà¥à¤° और वहाठसे लौटते हà¥à¤ हम कैसे फंसे गà¥à¤°à¥à¤œà¤° आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के बीच में और हमको कौन सा रासà¥à¤¤à¤¾ अखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° करना पड़ा|
तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ देखने के लिठयहाठकà¥à¤²à¤¿à¤• करें
आगे का वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚त दूसरे à¤à¤¾à¤— में
होटल
लंगूर
à¤à¤• दà¥à¤•ान
à¤à¤• और पेड़
बीकानेर के थोड़ा पहले रेगिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ और सूरज के डूबने का समय
बढिया लगा आज की यात्रा का विवरण, पेड के फ़ोटो भी अच्छे लगे, सबसे ज्यादा अच्छा फ़ोटो कैक्टस वाला लगा, अब आगे का इन्तजार है। गुर्जर आंदोलन के कारण जो पापड आपने बेले होंगे उसकी उत्सुकता है।
आप की पुष्कर यात्रा का लेख बहुत पसंद आया| ऐसे सूखे पेड़ मैने जर्मनी में देखे थे|
आपकी अगले लेख का इंतजार रहेगा|
आशीष जी,
पुष्कर में इस्राइली लोग और इतालियन खाना ? ‘अनेकताओ’ की व्याखान शायद हम अभी भी पूरी तरह से समझ नहीं पाए है.
धार्मिक स्थानों पर खाने व पीने के मामले में ऐसे धर्मसंकट स्वाभाविक है.
पुष्कर से बीकानेर का रास्ता, क्या यह जोधपुर होकर गया? रास्ते की अवस्था कैसी है कार के लिए ?
धन्यवाद्,
Auro.
दोस्तों, शुक्रिया आपकी टिप्पड़ियों के लिए|
Aurojit (ऑरजीत): रास्ता ठीक है, एक लेन का है लेकिन सड़क अच्छी है, पर हिन्दुस्तान में सड़क की हालत भी मौसम और सरकार के साथ बदलती रहती है :)