साथियों,
देश की सà¤à¥€ नदियों की अपेकà¥à¤·à¤¾ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ विपरित दिशा में बहती है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ à¤à¤• पहाड़ी नदी होने के कारण कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर इसकी धारा बहà¥à¤¤ ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से गिरती है. अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर यह पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ और बड़ी-बड़ी चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच से सिंहनाद करती हà¥à¤ˆ गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ हैं.
à¤à¤¾à¤°à¤¤ की नदियों में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का अपना महतà¥à¤µ है. न जाने कितनी à¤à¥‚मि को इसने हरा-à¤à¤°à¤¾ बनाया है, कितने ही तीरà¥à¤¥ आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास के गवाह है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के जल का राजा है मगरमचà¥à¤› जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर उसका असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ 25 करोड़ साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ मगरमचà¥à¤› पर सवार होकर ही यातà¥à¤°à¤¾ करती हैं, तो आओ चलते हैं हम à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ पर.
धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ:
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾, समूचे विशà¥à¤µ मे दिवà¥à¤¯ व रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ नदी है, इसकी महिमा का वरà¥à¤£à¤¨ चारों वेदों की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ में शà¥à¤°à¥€Â विषà¥à¤£à¥Â के अवतार वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने सà¥à¤•नà¥à¤¦Â पà¥à¤°à¤¾à¤£Â के रेवाखंड़ में किया है. इस नदी का पà¥à¤°à¤¾à¤•टà¥à¤¯ ही, विषà¥à¤£à¥ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अवतारों में किठराकà¥à¤·à¤¸-वध के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ के लिठही पà¥à¤°à¤à¥ शिव दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अमरकणà¥à¤Ÿà¤•  के मैकल परà¥à¤µà¤¤ पर कृपा सागर à¤à¤—वान शंकर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ १२ वरà¥à¤· की दिवà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में किया गया. महारूपवती होने के कारण विषà¥à¤£à¥ आदि देवताओं ने इस कनà¥à¤¯à¤¾ का नामकरण नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ किया. इस दिवà¥à¤¯ कनà¥à¤¯à¤¾ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ ने उतà¥à¤¤à¤° वाहिनी गंगा के तट पर काशी के पंचकà¥à¤°à¥‹à¤¶à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में १०,००० दिवà¥à¤¯ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक तपसà¥à¤¯à¤¾ करके पà¥à¤°à¤à¥ शिव से निमà¥à¤¨ à¤à¤¸à¥‡ वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये जो कि अनà¥à¤¯ किसी नदी और तीरà¥à¤¥ के पास नहीं है –
पà¥à¤°à¤²à¤¯ में à¤à¥€ मेरा नाश न हो. मैं विशà¥à¤µ में à¤à¤•मातà¥à¤° पाप-नाशिनी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होऊं. मेरा हर पाषाण (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) शिवलिंग के रूप में बिना पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा के पूजित हो. विशà¥à¤µ में हर शिव-मंदिर में इसी दिवà¥à¤¯ नदी के नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग विराजमान है. कई लोग जो इस रहसà¥à¤¯ को नहीं जानते वे दूसरे पाषाण से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ शिवलिंग सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं à¤à¤¸à¥‡ शिवलिंग à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किये जा सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा अनिवारà¥à¤¯ है. जबकि शà¥à¤°à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग बिना पà¥à¤°à¤¾à¤£ के पूजित है.
अकाल पड़ने पर ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तपसà¥à¤¯à¤¾ की. उनकी तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर दिवà¥à¤¯ नदी नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ १२ वरà¥à¤· की कनà¥à¤¯à¤¾ के रूप में पà¥à¤°à¤•ट हो गई तब ऋषियों ने नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ की. तब नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ ऋषियों से बोली कि मेरे (नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के) तट पर देहधारी सदà¥à¤—à¥à¤°à¥‚ से दीकà¥à¤·à¤¾ लेकर तपसà¥à¤¯à¤¾ करने पर ही पà¥à¤°à¤à¥ शिव की पूरà¥à¤£ कृपा पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है.
गà¥à¤°à¤‚थों में उलà¥à¤²à¥‡à¤–:
रामायण तथा महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ और परवरà¥à¤¤à¥€ गà¥à¤°à¤‚थों में इस नदी के विषय में अनेक उलà¥à¤²à¥‡à¤– हैं. पौराणिक अनà¥à¤¶à¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की à¤à¤• नहर किसी सोमवंशी राजा ने निकाली थी जिससे उसका नाम सोमोदà¥à¤à¤µà¤¾ à¤à¥€ पड़ गया था. गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•ालीन अमरकोश में à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ को ‘सोमोदà¥à¤à¤µà¤¾’ कहा है. कालिदास ने à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ को सोमपà¥à¤°à¤à¤µà¤¾ कहा है. रघà¥à¤µà¤‚श में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– है. मेघदूत में रेवा या नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वरà¥à¤£à¤¨ है.
गंगा हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तथा सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अतà¥à¤¯à¤‚त पà¥à¤£à¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ कही गई है, किनà¥à¤¤à¥ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ चाहे गाà¤à¤µ के बगल से बह रही हो या जंगल के बीच से, वे सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° पà¥à¤£à¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ हैं.
सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का जल तीन दिनों में, यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ का à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में तथा गंगाजी का जल सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ करते ही पवितà¥à¤° कर देता है, किनà¥à¤¤à¥ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का जल केवल दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° से पावन कर देता है.
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ से जनà¥à¤®-जनà¥à¤®à¤¾à¤‚तर के पाप नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं और अशà¥à¤µà¤®à¥‡à¤§ यजà¥à¤ž का फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है. पà¥à¤°à¤¾à¤¤:काल उठकर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का कीरà¥à¤¤à¤¨ करता है, उसका सात जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का किया हà¥à¤† पाप उसी कà¥à¤·à¤£ नषà¥à¤Ÿ हो जाता है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के जल से तरà¥à¤ªà¤£ करने पर पितरोंको तृपà¥à¤¤à¤¿ और सदà¥à¤—ति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने, गोता लगाने, उसका जल पीने तथा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का सà¥à¤®à¤°à¤£ à¤à¤µà¤‚ कीरà¥à¤¤à¤¨ करने से अनेक जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के घोर पाप ततà¥à¤•ाल नषà¥à¤Ÿ हो जाते हैं. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ समसà¥à¤¤ सरिताओं में शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है. वे समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जगतॠको तारने के लिये ही धरा पर अवतीरà¥à¤£ हà¥à¤ˆ हैं. इनकी कृपा से à¤à¥‹à¤— और मोकà¥à¤·, दोनो सà¥à¤²à¤ हो जाते हैं.
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°)का महतà¥à¤¤à¥à¤µÂ :
धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) की बडी महिमा बतायी गई है. नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°(लिंग) को सà¥à¤µà¤¯à¤‚सिदà¥à¤§ शिवलिंग माना गया है. इनकी पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा नहीं होती. आवाहन किठबिना इनका पूजन सीधे किया जा सकता है. कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के शिवपà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤‚क में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°-लिंग को नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° लिङà¥à¤— बताया गया है. मेरà¥à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤•े चतà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶ पटल में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लिखा है कि नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤•े ऊपर चढे हà¥à¤ सामान को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया जा सकता है. शिव-निरà¥à¤®à¤¾à¤²à¥à¤¯ के रूप उसका परितà¥à¤¯à¤¾à¤— नहीं किया जाता. बाणलिङà¥à¤—(नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°) के ऊपर निवेदित नैवेदà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की तरह खाया जा सकता है. इस पà¥à¤°à¤•ार नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गृहसà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के लिठसरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ शिवलिंग है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का लिङà¥à¤— à¤à¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ और मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿, दोनों देता है. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤…पने विशिषà¥à¤Ÿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण शिव-à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के परम आराधà¥à¤¯ हैं. à¤à¤—वती नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की उपासना यà¥à¤—ों से होती आ रही हैं.

नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° शिवलिंग (नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ शिवलिंग)
ये तो था à¤à¤• परिचय माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ से और आइये अब पà¥à¤¨à¤ƒ रà¥à¤– करते हैं हमारे यातà¥à¤°à¤¾Â वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ की ओर –
चूà¤à¤•ि नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पानी बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ था और बड़ी बड़ी लहरें चल रही थी, हमारी बोट बड़े जोर जोर से लहरों के साथ हिचकोले खा रही थी. हमें डर à¤à¥€ लग रहा था की कहीं कोई अनहोनी न हो जाà¤, अà¤à¥€ इसी वरà¥à¤· अपà¥à¤°à¥‡à¤² में महेशà¥à¤µà¤° में इसी जगह à¤à¤• नौका पलट गई थी और उस हादसे में कà¥à¤› लोगों की जान चली गई थी अतः हमारा मन à¤à¤¨à¥à¤œà¥‰à¤¯ करने में नहीं लग रहा था और हम दोनों सहमे हà¥à¤ थे, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को कोई डर नहीं था वे दोनों तो फà¥à¤² मसà¥à¤¤à¥€ कर रहे थे. नाव सीधी बिलकà¥à¤² à¤à¥€ नहीं चल रही थी और लगातार दोनों तरफ à¤à¥à¤•ती जा रही थी कà¤à¥€ दायें तो कà¤à¥€ बाà¤à¤‚, हमारी तो जान सà¥à¤– रही थी. नाव वाले ने हमारी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ समठली थी और अब वह हमें आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कर रहा था की आप लोग किसी तरह का टेंशन मत लीजिये आपलोगों को सही सलामत किनारे तक पहà¥à¤‚चाने की मेरी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है. उसके इस आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ से हमारी जान में जान आई और अब हम à¤à¥€ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ माठकी लहरों के साथ आनंद उठा तरहे थे.

नाव (मोटर बोट) की सवारी का आनंद उठाते बचà¥à¤šà¥‡
यहाठसबसे अचà¥à¤›à¥€ बात यह थी की नाव से यानी नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी के बीचोबीच से अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ महेशà¥à¤µà¤° फोरà¥à¤Ÿ (किला) के फोटो बड़े ही अचà¥à¤›à¥‡ आ रहे थे अतः हमने जी à¤à¤° के नाव से ही किले के बहà¥à¤¤ सारे फोटो खींचे. अब हम उस शिव मंदिर के करीब पहà¥à¤à¤š गठथे जो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है.
यह मंदिर पहले à¤à¤• खà¤à¤¡à¤¹à¤° के रूप में था लेकिन सन 2006 में होलकर सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर के पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर की बेटी राजकà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ सबरीना के विवाह के उपलकà¥à¤· में सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª इस मंदिर का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया.
वैसे यह मंदिर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जी में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है लेकिन थोड़े किनारे पर जहाठआम तौर पर उथला पानी होता है, और à¤à¤•à¥à¤¤ जन सीढियों से चढ़ कर मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं, लेकिन आज नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का जलसà¥à¤¤à¤° बहà¥à¤¤ अधिक होने के कारण यह मंदिर आधा जल में डूब गया था. जब हमारी नाव उस मंदिर के करीब पहà¥à¤‚ची तो हमने नाविक से निवेदन किया की थोड़ी देर के लिठमंदिर के पास नाव रोकना हमें दरà¥à¤¶à¤¨ करने हैं लेकिन नाविक ने बताया की मंदिर की सीढियां पूरी तरह से जलमगà¥à¤¨ हैं आपलोग मंदिर में जाओगे कैसे, और फिर कà¥à¤› ही देर में हमारी नाव मंदिर के à¤à¤•दम सामने थी और अब हमने अपनी आà¤à¤–ों से देख लिया की मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने संà¤à¤µ नहीं है और हमने नाव में से ही à¤à¤—वानॠके हाथ जोड़ लिठऔर हमारी नाव वापस अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट की और चल पड़ी.

नाव से दिखाई देता नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के बिच टापू पर बना शिव मंदिर
कà¥à¤› ही देर में हम लोग वापस अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर आ गà¤. सà¤à¥€ के चेहरों पर अपार पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ दिखाई दे रही थी, और थकान का कोई नामोनिशान नहीं था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम थके ही नहीं थे, बड़े ही आराम का सफ़र था यह. महेशà¥à¤µà¤° का यह घाट इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है की बस घंटों निहारते रहने का मन करता है. चारों और शिव जी के छोटे और बड़े मंदिर, हर जगह शिवलिंग ही शिवलिंग दिखाई देते हैं. सामने देखो तो मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ अपने पà¥à¤°à¥‡ वेग से पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होती दिखाई देती है, आस पास देखो तो शिव मंदिर दिखाई देते हैं और पीछे की और देखो तो महेशà¥à¤µà¤° का à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथा ख़ूबसूरत किला होलकर राजवंश तथा रानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के शासनकाल की गौरवगाथा का बखान करता पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है.
यह घाट पूरी तरह से शिवमय दिखाई देता है. पà¥à¤°à¥‡ घाट पर पाषाण के अनगिनत शिवलिंग निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं. यह बताने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं है की महेशà¥à¤µà¤° की महारानी देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई से बढ़कर शिवà¤à¤•à¥à¤¤ आधà¥à¤¨à¤¿à¤•काल में कोई नहीं हà¥à¤† है और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में शिव मंदिरों का तथा घाटों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तथा पà¥à¤¨à¤°à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° करवाया है, जिनमें पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं वाराणसी का काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर, à¤à¤²à¥‹à¤°à¤¾ का घà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°Â जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग, सोमनाथ का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° का वैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग मंदिर आदि. अब आप सोच सकते हैं अपनी राजधानी से इतनी दूर दूर तक उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मंदिरों तथा घाटों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया तो उनके अपने शहर, अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के घाट को जहाठवे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के किनारे पर शिव अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करती थीं उसे कैसा बनवाया होगा? सोचा जा सकता है, वैसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सोचने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं है, यहाठआइये और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ देखिये…. हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ का दिल (MP) आपको बà¥à¤²à¤¾ रहा है.
लमà¥à¤¬à¤¾ चौड़ा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तट à¤à¤µà¤‚ उस पर बने अनेको सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाट à¤à¤µà¤‚ पाषाण कला का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° चितà¥à¤° दिखने वाला किला इस शहर का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ आकरà¥à¤·à¤£ है. समय समय पर इस शहर की गोद में मनाये जाने वाले तीज तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°, उतà¥à¤¸à¤µ परà¥à¤µ इस शहर की रंगत में चार चाà¤à¤¦ लगा देते हैं जिनमें शिवरातà¥à¤°à¤¿ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨, निमाड़ उतà¥à¤¸à¤µ, लोकपरà¥à¤µ गणगौर, नवरातà¥à¤°à¥€, गंगादाषà¥à¤®à¥€, नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ जयंती, अहिलà¥à¤¯à¤¾ जयंती à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£Â माह के अंतिम सोमवार को à¤à¤—वानॠकाशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की शाही सवारी पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं. यहाठके पेशवा घाट, फणसे घाट, और अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हैं जहाठतीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ शांति से बैठकर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में डूब सकते हैं. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के बालà¥à¤ˆ किनारे पर बैठकर आप यहाठके ठेठगà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£Â जीवन के दरà¥à¤¶à¤¨ कर सकते हैं. पीतल के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ में पानी ले जाती महिलायें, à¤à¤• किनारे से दà¥à¤¸à¤°à¥‡ किनारे सामान ले जाते पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ किलà¥à¤²à¥‹à¤² करता बचपन……….

पवितà¥à¤° नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ घाट पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥
इंदौर के बाद देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई ने महेशà¥à¤µà¤° को ही अपनी सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ राजधानी बना लिया था तथा बाकी का जीवन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठमहेशà¥à¤µà¤° में ही बिताया (अपनी मृतà¥à¤¯à¥ तक). मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का किनारा, किनारे पर सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाट, घाट पर कई सारे शिवालय, घाट पर बने अनगिनत शिवलिंग, घाट से ही लगा उनका सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° किला, किले के अनà¥à¤¦à¤° उनका निजी निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ यही सब देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ को सà¥à¤•ून देता था और उनका मन यहीं रमता था और शायद इसी लिठइंदौर छोड़ कर वे हमेशा की लिठयहीं महेशà¥à¤µà¤° में आकर रहने लगी à¤à¤µà¤‚ महेशà¥à¤µà¤° को ही अपनी आधिकारिक राजधानी बना लिया. यहाठके लोग आज à¤à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई को “मां साहेब” कह कर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते हैं. महेशà¥à¤µà¤° के घाटों में, बाजारों में, मंदिरों में, गलियों में, यहाठकी वादियों में यहाठकी फिजाओं में सब दूर, हर तरफ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की बयारें चलती हैं. आज à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° की वादियों में देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई अमर है और अमर रहेंगी.
मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ सदियों से à¤à¤• मूकदरà¥à¤¶à¤• की तरह अपने इसी घाट से देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, उनकी शकà¥à¤¤à¤¿, उनका गौरव, उनका वैà¤à¤µ, उनका सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯, उनका नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ अपलक देखती आई हैं और आज à¤à¥€ मां रेवा का पवितà¥à¤° जल देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का साकà¥à¤·à¥€ है और मां रेवा की लहरें जैसे देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ का गौरव गान करती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती है. नमामि देवी नरà¥à¤®à¤¦à¥‡…..नमामि देवी नरà¥à¤®à¥‡à¤¦à¥‡…….नमामि देवी नरà¥à¤®à¤¦à¥‡.
à¤à¤—वानॠशिव, देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई और मां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ लिखते लिखते मेरी आà¤à¤–ें à¤à¤° आई हैं अतः माहौल को थोडा हलà¥à¤•ा करने के लिठलौटती हूठअपने यातà¥à¤°à¤¾ विवरण की ओर.
तो हमने अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर लगी à¤à¤• दूकान से कà¥à¤› à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ ख़रीदे और चल पड़े ऊपर किले की ओर. घाट पर ही सीढियों के पास à¤à¤• घोड़े वाला बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को घोड़े की सवारी करवा रहा था, जिसे देखकर शिवमॠघोड़े पर घà¥à¤®à¤¨à¥‡ की जिद करने लगा, हमने à¤à¥€ बिना किसी ना नà¥à¤•à¥à¤° के उसकी बात मानने में ही à¤à¤²à¤¾à¤ˆ समà¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगर वो किसी चीज की जिद पकड़ लेता है तो फिर पà¥à¤°à¥‡ समय तंग करता है और सफ़र का मज़ा किरकिरा हो जाता है. घोड़े वाले ने शिवमॠको घाट के à¤à¤• दो चकà¥à¤•र लगवाठऔर अब हम बिना देर किये किले में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो गà¤.
यह किला आज à¤à¥€ पूरी तरह से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है तथा बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° तरीके से बनाया गया है और बड़ी मजबूती के साथ माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के किनारे पर सदियों से डटा हà¥à¤† है. किले के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही कà¥à¤› क़दमों की दà¥à¤°à¥€ तय करने के बाद दिखाई देता है पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ राज राजेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर. यह à¤à¤• विशाल शिव मंदिर मंदिर है जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किले के अनà¥à¤¦à¤° ही देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ ने करवाया था. यह मंदिर à¤à¥€ किले की ही तरह पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है à¤à¤µà¤‚ कहीं से à¤à¥€ खंडित नहीं हà¥à¤† है. आज à¤à¥€ यहाठदोनों समय साफ़ सफाई पूजा पाठतथा जल अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• वगैरह अनवरत जारी है. देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई इसी मंदिर में रोजाना सà¥à¤¬à¤¹ शाम पूजा पाठकरती थी. मंदिर के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ था अतः हमने बाहर से ही दरà¥à¤¶à¤¨ किये तथा बाहर से ही जितने संà¤à¤µ हो सके फोटो खींचे. अब हमें थोड़ी थकान सी होने लगी थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि काफी देर से पैदल ही घूम रहे थे.
अब मैं अपनी लेखनी को यहीं विराम देती हूà¤, फिर मिलेंगे इस शà¥à¤°à¤‚खला के तीसरे à¤à¤µà¤‚ अंतिम à¤à¤¾à¤— में 19 सितमà¥à¤¬à¤° शाम छः बजे महेशà¥à¤µà¤° के किले, महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ी, महेशà¥à¤µà¤° राजवाड़ा, महेशà¥à¤µà¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ सिनेमा से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ जैसे कई अनछà¥à¤ पहलà¥à¤“ं की जानकारी के साथ…….तब तक के लिठहैपà¥à¤ªà¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी.
(नोट- कà¥à¤› चितà¥à¤° तथा जानकारी गूगल से साà¤à¤¾à¤°)
kavitaji adbhut adbhut adbhut itna adbhut sundar kila(aapka lekh bhi) dekh kar hairan rah gaya.ghat se lagi hui ye kila oh kamal hai,aaj ke architect to college me 5 saal padhai kar degree lete hai tab jakar engineer kehlate hain,us samay wo log koun si padhai kie honge jo itna adbhut kila bana kar humlogo ko virasat me de dia. aaj bhi aan baan shan se data hua,garv se sina tane.beech nadi me mandir ye kaise kalakar rahe honge jo itni sundar kala ka parichay beech nadi me mandir bana kar diye hain.agar photo aapke mukeshji ne kheenche hain to bas itna hi keh sakta hun ki wo professional photographer hain kya?
राजेश प्रिया जी,
आप किला देखकर हैरान रह गए और मैं आपकी इतनी सुन्दर कमेन्ट पढ़कर हैरान रह गई. आपने बिलकुल सही कहा भारत की पुरातन स्थापत्य तथा वास्तु कला का तो कोई जवाब ही नहीं है. नर्मदा के बीचोबीच टापू पर बनाये गए इस मंदिर की बाणेश्वर महादेव मंदिर कहा जाता है, सचमुच यह मंदिर बहुत सुन्दर है.
जी हाँ फोटो तो मुकेश जी ने ही क्लिक किये हैं और वे प्रोफेशनल फोटोग्राफर नहीं हैं, प्रशंसा के लिए मुकेश जी की ओर से आप को बहुत बहुत शुक्रिया. और इस प्यारी सी कमेन्ट के लिए मेरी ओर से आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
Aapne bahut accha likha…Padh ke accha laga. Man kar raha hai ki ab humne humara next trip Maheshwar ke liye banana chahiye…
Keep writing…
अभीरूचि,
इस प्यारी सी कमेन्ट के लिए आपको बड़ा सा थैंक्स. हाँ आप उज्जैन (महाकालेश्वर), ओंकारेश्वर, महेश्वर और मांडू के लिए एक तीन चार दिन की ट्रिप बना सकते हैं. आपका स्वागत है.
kavita ji bahut sunder lekh aur varnan kiya aapne Maheshwar ka…. barso se saadh thee Omkareshwar , Maheshwar aur Mandu jaane ki par ho nahi paa raha he……..bulawa nahi aaya mahadev ka……..par aapki post ke photo dekh kar man ho raha he turnt vahan pahuch jayu…….. itni achi jankari hetu dhanyawad………
दीपिका जी,
इतने सुन्दर शब्दों में की गई कमेन्ट के लिए आपको ढेर सारा धन्यवाद. मैं भोले बाबा से प्रार्थना करती हूँ की वे जल्द से जल्द आपको अपने दर्शनों के लिए बुलावा भेजें और आपके मन की साध पूरी हो.
बहुत ही सुन्दर और विहंगम दृश्य व लेखन, जय माँ नर्मदा. इस ककड़ी को हमारे यंहा खीरा बोलते हैं. इस को खाने के साथ सलाद में प्रयुक्त किया जाता हैं. धन्यवाद, वन्देमातरम….
प्रवीण जी,
प्रशंसायुक्त इस प्रतिक्रिया के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
वन्देमातरम….
शिवम् घोड़े पर बहुत अच्छा लग रहा है. इतनी सुंदर यात्रा वर्णन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
शुक्रिया सुरिंदर जी.
आप लगातार अपनी कमेंट्स के जरिये घुमक्कड़ पर लेखकों का उत्साहवर्धन करने का जो नेक काम कर रहे हैं उसके लिए मेरी ओर से आपको एक स्पेशल थैंक्स.
कविताजी ,
माँ नर्मदा के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी देने के लिए बहत बहुत धन्यवाद. देवी नर्मदा मैया का फोटो बहुत सुन्दर है कौनसे मंदिर का है ?
नाव से फोटो बहुत अच्छे आये है. सुन्दर घाट है. पानी में वह मंदिर जाना चाहिए था. लेकिन अगली बार सही.
इस जगह एक बार तो आना है , अब देखते है कब बुलाती है मैया.
विशाल जी,
कमेन्ट के लिए धन्यवाद. आपको जानकारी पसंद आई समझो मेरा ध्येय पूर्ण हुआ. नर्मदा माता का यह चित्र अमरकंटक के नर्मदा मंदिर का है. पानी के अन्दर उस मंदिर (बाणेश्वर महादेव) में हम पहले एक बार जा चुके हैं. आपकी महाकाल की भी दुसरे राउंड की ट्रिप अभी बाकी है तो बस आ जाइए, आपके साथ हम भी एक बार और महेश्वर घूम लेंगे.
कविता इस लेख व पहले वाले लेख में सबसे बढिया फ़ोटो शिवम के आये इस लेख में घोडे पर घुडसवारी करते हुए तथा पहले लेख में सीढियों पर बैठा नाराज शिवम बहुत प्यारा लग रहा था।
अब बात करते है दोनों लेख की,
आपके हिन्दी लेखन के प्रेम की कोई बराबरी नहीं कर सकता है, क्योंकि आप बेहद ही संतुलित व गलतियाँ विहिन लेख लेकर आती है। अरे हाँ यह मत समझना कि मैं बढाई कर रहा हूँ यदि आप गलतियाँ करेंगी तो उसे भी बताऊँगा, फ़िर चाहे आप बुरा मान लेना। मैंने दोनों लेख कल ही पढ लिये थे। लेकिन लगता है कि कल कमेन्ट ना करके सही किया, क्योंकि सुबह-सुबह के पढे गये पहले तीनों लेख पर सब कुछ गडबड था। अत: तीनों लेख पर मैंने कमेन्ट भी गडबड वाले दिये थे। फ़िर जब आपका लेख देखा तो मन प्रसन्न हुआ, कि चलो कोई तो है जो हिन्दी का झन्डा बुलन्द किये हुए है।
ताजी मसालेदार ककडी? हमारे यहाँ तो इसे खीरा कहते है। ककडी इससे पतली व लम्बी होती है।
चलिये देखते है हमारा यहाँ का कार्यक्रम कब बनता है? तब तक राम-राम। (अगले लेख तक)
जयपुर से मालेगाँव की यात्राओं के दौरान उज्जैन में महाकालेश्वर के दर्शन फिर अगली यात्रा में औंकारेश्वर-दर्शन के पश्चात महेश्वर व माण्डू के लिये जानकारी एकत्रित कर कई बार प्रोग्राम बनाया परंतु नजदीक से गुजरते हुये भी जाना नही हो पाया, यह बिल्कुल सही है कि ‘बाबा’ बुलाते हैं तभी जाना हो पाता है।
लेख में इतनी विस्तृत जानकारी कोई भक्त ही दे सकता है और शिव भक्ति के प्रति आप दोनों की आस्था का आपके अनेक यात्रा-वृतांतों में मन को अभिभूत करने वाला परिचय मिला है।
आपका लेख पढकर महेश्वर में घाट पर 2-3 दिन बिताने की ईच्छा और बलवती हो गई है।
शर्मा साहब,
आपकी टिप्पणी पढ़कर मन प्रसन्न हो गया. इस बात में कोई शक नहीं की भगवान के बारे में विस्तृत जानकारी एक भक्त ही दे सकता है लेकिन यह भी सच है की भक्ति की खुले दिल से प्रशंसा भी एक भक्त ही कर सकता है. अगर आपकी इच्छा बलवती है तो भगवान आपको जरुर एवं जल्द ही बुलाएँगे. कमेन्ट के लिए हार्दिक धन्यवाद.
क्षमा करना कविता जी, भगवान आपको दर्शन हेतू जरूर एवं जल्द ही बुलाएगे.
जी त्रिदेव जी, दर्शनों के ही लिए ही बुलायेंगे (आशय स्पष्ट है) क्योंकि शर्मा जी की इच्छा दर्शनों के लिए ही बलवती है.
awsum experience shared here..
thanks..
i always wanted to see the origin place of mother Narmada.. and u brought it..
nice description..
Abhishek ji,
Thanks for your lovely comment.
बहुत बढ़िया विवरण कविता जी… मेरे लिये तो आपके बताए सारे स्थान नये है.. क्योकि मै तो केवल हिमालय मे पाया जाने वाला जन्तु हूं.. धन्यवाद
साइलेंट जी,
इस सुन्दर सी कमेन्ट के लिए आपको शुक्रिया. आप हिमालय में पाए जाने वाले जंतु हैं और हम वो जंतु हैं जिनके कदम अब तक हिमालय पर पड़े ही नहीं है.
कविता जी, मैं तो आपके पिछले लेख से ही माता अहिल्या का परम् भक्त बन चुका हूँ, आज कुछ और जानकारी मिल गयी, शत् शत् नमन है ऐसी देवी को, ऐसी देवी को मैं कोटि कोटि दंडवत कर्ता हूँ. माँ नर्मदा के दर्शन कराकर आपने पूर्ण घुमक्कड़ परिवार को निर्मल बना दिया तथा पाप मुक्त कर दिया. एक साथ इतने सुंदर और मनमोहक शिवलिंग के दर्शन ! बहुत ही सुंदर जानकारी तथा अति सुंदर चित्र. धन्यवाद.
त्रिदेव जी,
यह मेरे लिए किसी गोल्ड मेडल से कम नहीं है की आप मेरे इस छोटे से प्रयास से देवी अहिल्या के भक्त बन गए हैं. सचमुच वे एक महान महिला तथा शिवभक्त थीं. आपकी इस कमेन्ट का एक एक शब्द मेरे लिए बहुमूल्य है. आपके लिए ये लिंक्स लगा रही हूँ जिससे आपको देवी अहिल्या बाई के बारे में और जानकारी प्राप्त हो सके.
http://ahilyabaiholkar.wordpress.com/
http://en.wikipedia.org/wiki/Ahilyabai_Holkar
kvita ji maheshwer bhag 2 aapke sunder lekh aur photo dekhkr lagtahai 2010 main ki gai yatra adhuri thi ydi ho saketo bhag 3 main devi ahilya ke jnm aur jivan pr likhna. dhanyvad.
होलकर जी,
बड़ी ख़ुशी की बात है की होलकर राज परिवार तथा देवी अहिल्या बाई होलकर से सम्बंधित पोस्ट पर किसी होलकर की ओर से कमेन्ट आई है. आपकी इस सुन्दर कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. देवी अहिल्या बाई तथा उनके जीवन से सम्बंधित जानकारी मैंने अपनी इंदौर (राजवाड़ा) की पोस्ट में लिखी है, आप उस पोस्ट को पढने के लिए लॉग ऑन कीजिये –
https://www.ghumakkar.com/author/kavitabhalse/
धन्यवाद.
कविताजी,
नर्मदाजी और महेश्वर के ऊपर इस सुन्दर लेख के लिए बधाईया.
अमरकंटक (जिसके बारे में आपने यहाँ उल्लेख किया) के साथ भी हमारी काफी यादें जुड़ी हुई है. उन दिनों अमरकंटक, अनुपपुर – दोनों ही शहडोल जिला के अंतर्गत होते थे.
महेश्वर का नाम तो काफी सुना हुआ था पर उसके बारे में इतनी विस्तृत जानकारी आपके आलेख को पढ़कर ही मिली. नर्मदा जी के बारे में भी जानकारी बड़ी रोचक थी. महेश्वर किला की तस्वीर बढ़िया है.
धन्यवाद्,
Auro.
ओरोजित जी,
सबसे पहले तो आपको जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनायें. आपको लेख पसंद आया इसके लिए धन्यवाद. मध्यप्रदेश में महेश्वर का नाम काशी की तरह लिया जाता है और बॉलीवुड की भी कई फिल्मों एवं सीरियल्स की शूटिंग यहाँ पर हो चुकी है.
थैंक्स.
Kavitajee,
A very nice post and supported by excellent photographs.
I have never been in MP, except passing through different stations mostly at night.
‘ll definitely visit this place and your post will be of great help.
My apology for not replying in Hindi.
Regards,
अमिताव जी,
पोस्ट पढने, पसंद करने तथा कमेन्ट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद. मध्य प्रदेश में महेश्वर एवं और भी बहुत अच्छे पर्यटन स्थल हैं घुमक्कड़ी के लिए जैसे उज्जैन, ओंकारेश्वर, मांडू, साँची, खजुराहो, पचमढ़ी, मैहर आदि.
कविता जी…..
जय भोले की….जय माँ नर्मदे !
नर्मदा नदी की महिमा और देवी अहिल्या बाई होल्कर जी की शिव भक्ति और समर्पण से परिपूर्ण लेख को आपके सुन्दर लेखनी में पढ़कर धन्य हुआ….| इससे पहले नर्मदा और देवी अहिल्या बाई होल्कर के बारे में मुझे इतना ज्ञान नही था…जानकारी देने के लिए धन्यवाद | सचमुच हिंदुस्तान के दिल में बसे महेश्वर के बारे बहुत कुछ जाना …..नर्मदा के किनारे के घाट , मंदिर, किला सचमुच बड़े सुन्दर लगे….पानी के बीच बने मंदिर बहुत अच्छा लगा….कुल मिलाकर आपकी यात्रा के सभी फोटो और लेख बहुत पसंद आया….| वैसे नर्मदा नदी की शांत और रौद्र रूप जबलपुर में देखने को मिलता हैं |…..सचमुच महान नदी हैं……|
धन्यवाद !
रितेश जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपकी कमेन्ट का हमें हमेशा इंतज़ार रहता है…………..इसी तरह हौसला अफजाई करते रहिये.
कविता जी , माँ नर्मदा के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए साधुवाद | एक गीत है माँ नर्मदा के ऊपर , एक बैंड के द्वारा, (Indian Ocean) , बोल हैं , “माँ रेवा तेरा पानी निर्मल झरझर बहतो जाए रेवा ….”, आपको पसंद आयगा |
महेश्वर के बारे मिने और जानने की उत्सुकता में | जय हिंद |
नंदन जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपने जो गीत बताया उसे यु ट्यूब पर ढूंढ़ कर सुनने की कोशिश करुँगी.
कविता जी
बहुत ही सुन्दर आपने नर्मदा जी की महिमा का वर्णन किया और दर्शन करवाये. एक बात जानना चाहता हूँ यह शिवलिंग तराशे हुए है. या प्राक्रतिक
रस्तोगी जी,
सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. ये शिवलिंग प्राकृतिक तौर पर इतने चिकने तथा इतने सुन्दर आकार के नहीं होते हैं बल्कि नर्मदा नदी से प्राप्त पत्थर जो पहले से ही कुछ हद तक इसी तरह का शेप लिए हुए होते हैं उन्हें अच्छी तरह से तराश कर पॉलिश किया जाता है तथा विक्रय के लिए तैयार किया जाता है. लेकिन हाँ कुछ छोटे आकार के (डेढ़ से दो इंच) प्राकृतिक तौर पर इतने ही सुन्दर तथा चिकने शिवलिंग नर्मदा नदी में आसानी से मिल जाते हैं जिन्हें शालिग्राम पत्थर भी कहा जाता है.
शालिग्राम भगवान विष्णु के प्रतिक माना जाता है! जैसे भगवान शिव को शिवलिङ्ग के रुप मे पुजन किया जाता है ओहिसे हि भगवान सालिग्राम को भगवान विष्णु के रुप मे पुजा किया जाता है !शालिग्राम जी नेपाल के मुक्तिनाथ ,काली गण्डकी नदी के तट पर पाया जाता है ! खासकर शालिग्राम काले रंग के पत्थर मूर्ति के रुप मे हि मिल जाता है लेकिन सफेद,निले और ज्योति वाला शालिग्राम भी मिल जाता है और वो काले कि तर कुछ दुर्लभ भी होता है ! सम्पूर्ण शालिग्राम मे मनोरम भगवान विष्णु के चक्र भी होती है और एदी चक्र पुरे गोल हुवा ओर पुरा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से मिला हो तो उसे सुदर्शन चक्र के संज्ञा भी दिया जाता है ! किसी भी चक्र एदी पुरा और थोडा शालिग्राम मे हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है !
शालिग्राम खासकर सम्पूर्ण हिन्दु वैष्णव भक्तो के घर मे और विष्णु भगवान,कृष्ण भगवान के मन्दिर मे प्राण प्रतिष्ठा सहित दैनिक पुजा किया जाता है !शालिग्राम पुजा के समय येदि किसिने भगवान शालिग्रमा शिला(मूर्ति) को तुलसी के पत्ते चढाय तो भगवान नारायण(बिष्णु) शीघ्र हि ख़ुश होते है
शालिग्राम भगवान विष्णु के प्रतिक माना जाता है! जैसे भगवान शिव को शिवलिङ्ग के रुप मे पुजन किया जाता है ओहिसे हि भगवान सालिग्राम को भगवान विष्णु के रुप मे पुजा किया जाता है !शालिग्राम जी नेपाल के मुक्तिनाथ ,काली गण्डकी नदी के तट पर पाया जाता है ! खासकर शालिग्राम काले रंग के पत्थर मूर्ति के रुप मे हि मिल जाता है लेकिन सफेद,निले और ज्योति वाला शालिग्राम भी मिल जाता है और वो काले कि तर कुछ दुर्लभ भी होता है ! सम्पूर्ण शालिग्राम मे मनोरम भगवान विष्णु के चक्र भी होती है और एदी चक्र पुरे गोल हुवा ओर पुरा भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से मिला हो तो उसे सुदर्शन चक्र के संज्ञा भी दिया जाता है ! किसी भी चक्र एदी पुरा और थोडा शालिग्राम मे हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है !
शालिग्राम खासकर सम्पूर्ण हिन्दु वैष्णव भक्तो के घर मे और विष्णु भगवान,कृष्ण भगवान के मन्दिर मे प्राण प्रतिष्ठा सहित दैनिक पुजा किया जाता है !शालिग्राम पुजा के समय येदि किसिने भगवान शालिग्रमा शिला(मूर्ति) को तुलसी के पत्ते चढाय तो भगवान नारायण(बिष्णु) शीघ्र हि ख़ुश होते है kya aap galat nahin hain
नर्मदेश्वर: शिव की साधना में नर्मदेश्वर शिवलिंग का विशेष महत्व है। नर्मदेश्वर शिवलिंग नर्मदा नदी से प्राप्त होता है। यह भगवान शिव का प्रतीक है। इस शिवलिंग की पूजा उपासना करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं तथा शिव की कृपा से ज्ञान की वृद्धि होती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को नित्य बेलपत्र अर्पित करने से लक्ष्मी, काला तिल अर्पित करने से शनि ग्रह की कृपा, उसका पंचामृत स्नान कराने से भाग्यशाली पुत्र की प्राप्ति और सरसों का तेल अर्पित करने से शत्रु का नाश होता है। om mamo shivay
Dear kavita jee,
I have no words to comment , so beautifully presented ,all compliments to you. Basically As shiv bhakt, I have Namardeshwar Ling in my pooja room , you have so beautifully written about the Namardeshwar and Narmda that every body must want to visit that place,
Waiting for next post,
Baldev swami
बलदेव जी,
पोस्ट पढने, पसंद करने तथा प्रतिक्रिया भेजने के लिए हार्दिक आभार. मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी हुई की मेरा लेख एव तस्वीरें किसी शिव भक्त को पसंद आईं तथा उसके काम आई. हौसला बढाने तथा उत्साहवर्धन के लिए एक बार फिर धन्यवाद.
ॐ नमः शिवाय……………..
कविताजी,
मां नर्मदे का इतना सुन्दर एवम विस्तृत वर्णन देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. नर्मदा नदी के दुसरे तट पर खरगोन जिले का एक अन्य नगर कसरावद बसा है. १९९२ में मुझे कसरावद में दो महीने रहने का मौका मिला तब महेश्वर देखने का अवसर प्राप्त हुआ. नदी के उस तट से नौकाएं आती हैं. हम अपनी बाइक को नौका में रखकर महेश्वर तट पर आये थे. महेश्वर के फोटो देखकर यादें पुन जीवित हो गयी. दूसरी बार इंदौर में रहने के दौरान परिवार के साथ भी २००१ में जाने का अवसर प्राप्त हुआ. बहुत ही शांत एक रमणीक स्थल है. पोस्ट में उच्च दर्जे की हिंदी का प्रयोग करने के लिए भी आपको धन्यवाद. देवनागरी लिपि का प्रचलन काफी कम हो गया है. अब लोग हिंदी भी अंग्रेजी वर्णमाला में लिखने लगे है. इससे देवनागरी लिपि को खतरा हो गया है कि कहीं आने वाले पचास या सौ वर्षों में लिपि अपना अस्तित्व न खो दे. हम सभी का यह कर्त्तव्य है कि हम इसे जिन्दा रखें. इतनी सुन्दर पोस्ट के पुन बधाई.
श्रीराम………………
नर्मदे हर. बहुत बाडिया लिखा ही. मां नर्मदा कि बस से परिक्रमा २०१२ में पुरी हुई
उसमे महेश्वर मेरे लिये बहुत मनभावन स्थान रहा हैं.
बहुत अच्छा ब्लॉग है मेने इसे अपने बुकमार्क में ले लिया है धन्यवाद
कृपया और भी जानकारी अपलोड करे…
Namsty mam apka mail address nhi hai apse bina poochy apke is sunder vernan ko fb per हमारी माँ नर्मदा nam k page bana kr share kiya hy ..
Maa narmda ki kripa ap per sada bni rahy
didi narmadswar shiv lengh kes ghat par melta hai bataya