पहाड़ों की चढ़ाई में जो कठिनाई और थकान होती है वो कà¥à¤› समय तक ही याद रहती है. परंतॠउसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ पहाड़ी सà¥à¤¥à¤² पर पà¥à¤°à¤•ृति की गोद में विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने पर जो सà¥à¤– और आनंद मिलता है उसकी छाप जीवन परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ मन और मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• पर रहती है. टेंट से बने हॉल (कैफ़े) में रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ आज सामानà¥à¤¯ दिनों से पहले ही नींद खà¥à¤² गयी. शांत सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ वातावरण में कहीं दूर पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कलरव को à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤¨à¤¾ जा सकता था. इतने सà¥à¤°à¥€à¤²à¥‡ “अलारà¥à¤®” को सà¥à¤¨à¤•र नींद से जागने के बाद शरीर में कहीं à¤à¥€ नींद का कोई अंश शेष नहीं था. सब कà¥à¤› तरो-ताज़ा.
जहाठशहरी वातावरण में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ देर से उठने के बाद à¤à¥€ नींद के कीटाणॠशरीर में रह ही जाते है और बिसà¥à¤¤à¤° अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करता है. वहीठइस पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक वातावरण में बिसà¥à¤¤à¤° के अतिरिकà¥à¤¤ सब कà¥à¤› अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर रहा था और बिसà¥à¤¤à¤° को छोड़कर पà¥à¤°à¤•ृति का आनंद लेने को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर रहा था.

खीर गंगा पर सà¥à¤¬à¤¹ का आगमन
बिसà¥à¤¤à¤° से उठने के बाद जलà¥à¤¦à¥€ से शौच आदि से निपटने के बाद नहाने-धोने की आवशà¥à¤¯à¤• सामगà¥à¤°à¥€ लेकर पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड के गरà¥à¤® पानी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठनिकल पड़ा. पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड के धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ और कà¥à¤‚ड की पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ बनाये रखने के लिठकà¥à¤‚ड में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के समय साबà¥à¤¨ और शैमà¥à¤ªà¥‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है. कà¥à¤‚ड के बाहर गिरते जल में साबà¥à¤¨ या शैमà¥à¤ªà¥‚ से नहा सकते हैं.
पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद शिव मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ और पूजा की.

पà¥à¤°à¤•ृति के आà¤à¤šà¤² में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड और शिव मंदिर

शिव मंदिर और पारà¥à¤µà¤¤à¥€ कà¥à¤‚ड थोड़ा समीप से
कैफ़े में आकर वापसी के लिठसामान इकठà¥à¤ ा किया और कैफ़े के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में सà¥à¤¬à¤¹ का चाय नाशà¥à¤¤à¤¾ किया. इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अधिकतर कैफ़े, टेंट, कैंप आदि खाने पीने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ आस पास के गांव के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की जाती है. सरà¥à¤¦à¥€, बारिश और हिमपात जैसी विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में ये लोग अपने कठिन परिशà¥à¤°à¤® से इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को आगंतà¥à¤•ों की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° तैयार करते है. इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अतिथि सतà¥à¤•ार की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और कठिन परिशà¥à¤°à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की जितनी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की जाये कम है. चाय नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद वापिस नीचे जाने से पहले कà¥à¤› देर आराम करने के बाद आस-पास के पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का आनंद लिया और धीरे-धीरे पग बढ़ाते हà¥à¤ खीर गंगा से वापिसी का आरमà¥à¤ किया.

कैफ़े के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में सà¥à¤¬à¤¹ की चाय के बाद कà¥à¤› आराम

खीर गंगा से वापिस जाने वाला रासà¥à¤¤à¤¾
परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग के बाद वापिस जाने का निरà¥à¤£à¤¯ बहà¥à¤¤ कषà¥à¤Ÿà¤•ारक होता है. पà¥à¤°à¤•ृति के इन दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और वातावरण को छोड़कर जाने का मन ही नहीं होता. पहाड़ों पर चढ़ाई के समय सारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अपने गंतवà¥à¤¯ पर जलà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤‚चने की ओर होता है और इस कारण रासà¥à¤¤à¥‡ में आने वाले कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का आनंद पूरी तरह नहीं ले पाते. पहाड़ों से वापिस उतरते समय नीचे उतरने की इतनी जलà¥à¤¦à¥€ नहीं होती और न ही अधिक शà¥à¤°à¤® ही करना पड़ता इसलिठआकरà¥à¤·à¤• सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर कà¥à¤› देर आराम से रà¥à¤•कर इनके सौंदरà¥à¤¯ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र आनंद लिया जा सकता है. और फोटो लेने के लिठà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय रहता है.

खीर गंगा से वापिसी में पà¥à¤°à¤•ृति के कà¥à¤› मनोहारी दृशà¥à¤¯
पà¥à¤°à¤•ृति का आनंद लेते हà¥à¤ वापिसी में कब रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤— à¤à¤°à¤¨à¥‡ के समीप पहà¥à¤à¤š गया इसका आà¤à¤¾à¤¸ ही नहीं रहा.

खीर गंगा से वापिसी कà¥à¤› दूर से दिखाई देता रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤—
रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤— के पà¥à¤°à¤•ृति से परिपूरà¥à¤£ दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को निहारने के लिठयहाठकà¥à¤› देर रà¥à¤•ने पर विवश होना पड़ता है. इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रà¥à¤•कर पà¥à¤°à¤•ृति को कितना à¤à¥€ निहारा जाये मन ही नहीं à¤à¤°à¤¤à¤¾.

रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤— à¤à¤°à¤¨à¥‡ के पास
रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤— से आगे बढ़ने पर रासà¥à¤¤à¥‡ में दोनों ओर सेब के बाग़ दिखने शà¥à¤°à¥‚ हो जाते है. यहाठसे कà¥à¤› ही दूर पर नकथान गांव है,

सेब के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से सजा हà¥à¤† रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤— से नकथान का रासà¥à¤¤à¤¾
नकथान में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दैनिक जीवन के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कलापों को करते देखा जा सकता है. अपने आस-पास उपलबà¥à¤§ दैनिक जीवन के सीमित सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾, संसाधनों से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ यहाठके लोग जीवन को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में जीते हैं. à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ का बहता सà¥à¤µà¤šà¥à¤›-शà¥à¤¦à¥à¤§ जल, पहाड़ों से होकर आती शीतल सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ वायà¥, पहाड़ों के बीच बहती पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी, छोटे-छोटे खेत और बागों में उगने वाले फल, सबà¥à¤œà¥€ और अनà¥à¤¨ और साथ में रहने वाले सहयोगी पशà¥. जीवन को वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप में जीने के लिठबस इतना ही चाहिठइसके अतिरिकà¥à¤¤ बाकी सब जीवन को और अधिक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾-संपनà¥à¤¨ बनाने की कà¤à¥€ न ख़तà¥à¤® होने वाली लालसा ही है.
खीर गंगा टà¥à¤°à¥‡à¤• के रासà¥à¤¤à¥‡ में होने के कारण देश-विदेश के अनेक परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों का नकथान में नियमित आना-जाना लगा रहता है. परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के सà¥à¤µà¤¾à¤—त में यहाठके लोग सदा ही ततà¥à¤ªà¤° रहते है. अपने दैनिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में संलगà¥à¤¨ यहाठके लोग बस इतना ही चाहते हैं की इनके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता और पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ परंपराà¤à¤‚ इसी तरह बनी रहे.

अतिथि सतà¥à¤•ार में ततà¥à¤ªà¤° और अपने कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में मगन नकथान के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¸à¥€
नकथान से थोड़ा दूर चलने पर बरशैणी में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी पर निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤¾à¤§à¥€à¤¨ पनबिजली परियोजना का विकास कारà¥à¤¯ दिखाई देने लगता है. खीर गंगा से वापसी का समापà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤² दिखाई देने पर पैर अपने आप तेज गति से आगे बढ़ने लगते है. इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर सेबों से à¤à¤°à¥€ पेटियों से लदे हà¥à¤ पहाड़ी घोड़े नीचे उतरते हà¥à¤ दिखाठदेते है. पहाड़ी लोगों के साथ ही पहाड़ी जानवर à¤à¥€ बहà¥à¤¤ परिशà¥à¤°à¤®à¥€ और पहाड़ी रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर चलने में कà¥à¤¶à¤² होते है. अपनी पीठपर बोà¤à¤¾ लादे हà¥à¤ टेढ़े-मेढ़े, घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ से आगे बढ़ते हà¥à¤ ये जानवर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ चकित कर देते है.

सेबों से à¤à¤°à¥€ पेटियों को लेकर उतरते हà¥à¤ पहाड़ी घोड़े
सेब के बागों से सेबों को इकठà¥à¤ ा करके घोड़ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बरशैणी तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ जाता है. इससे आगे जीप à¤à¤µà¤‚ छोटे टà¥à¤°à¤•ों में à¤à¤°à¤•र इनको बाज़ारों में à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाता है. यही खीर गंगा से वापसी का समापन होता है. इन पहाड़ी घोड़ों के कà¤à¥€ आगे कà¤à¥€ पीछे चलते हà¥à¤ चलते हà¥à¤ मैं à¤à¥€ बरशैणी आ पहà¥à¤‚चा.

खीर गंगा से वापसी का समापन
इस तरह पà¥à¤°à¤•ृति से समृदà¥à¤§ सदा याद रहने वाली खीर गंगा टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग का समापन हà¥à¤†.
इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से थोड़ा आगे चलने पर पनबिजली परियोजना से होकर à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के उस पार बसे कलगा और पà¥à¤²à¤—ा गांव को जाता है. इसके विपरीत दिशा में à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ तोष नामक गांव की ओर जाता है. यहाठसे सीधा चलने पर कà¥à¤› ही दूर बरशैणी बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड है. पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी के अनà¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤• टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के लिठबरशैणी बेस पॉइंट है. खीर गंगा के अतिरिकà¥à¤¤ बरशैणी से ही तोष, कलगा, पà¥à¤²à¤—ा आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठटà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग आरमà¥à¤ होती है. खीर गंगा टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग समापन के बाद अà¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समय शेष था. बचे हà¥à¤ समय का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— किसी अनà¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤• सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करके किया जाये यही सोचकर तोष की और जाने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ पर आगे बढ़ चला.
तोष व अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ का विवरण आगामी लेख में …
Thank you Munesh for sharing this with us.
Thanks Nandan Ji for your response to post.