अब मैं सà¤à¥€ आने वालों को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखता हà¥à¤† चल रहा था। न जाने मेरे साथी कहाठमिल जाà¤à¤à¥¤ थोड़ी देर में मैं उस दà¥à¤•ान पर पहà¥à¤‚चा जहाठमैंने सामान जमा करवाया था ,रसीद देकर सारा सामान वापिस लिया और अपने दोसà¥à¤¤ को फ़ोन किया लेकिन उसका फ़ोन मिल नहीं रहा था। मैं धीरे धीरे चलता रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठसारे रासà¥à¤¤à¥‡ पर बरà¥à¤« होने से लोग बार बार फिसल रहे थे। जब मैं गà¥à¤«à¤¾ से दो किलोमीटर दूर आ गया तो मà¥à¤à¥‡ मेरे साथी आते हà¥à¤ दिखे। मैं वहीठरà¥à¤• गया और पास आने पर उनके लेट होने का कारण पूछा तो पता चला कि à¤à¤• तो राजू के परिवार के धीरे चलने के कारण और दूसरा उसकी बिटिया की तबियत ख़राब होने के कारण वो लेट हो गठथे । मैंने उनसे कहा की तà¥à¤® लोग दरà¥à¤¶à¤¨ कर आओ मैं यहीं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ इंतजार करता हूठतो शà¥à¤¶à¥€à¤² ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कहा की तà¥à¤® रà¥à¤•ो मत और दोमेल अपने à¤à¤‚डारे पर पहà¥à¤à¤šà¥‹ और हमारे रात को सोने के लिठपà¥à¤°à¤¬à¤‚ध कर के रखना। हम दरà¥à¤¶à¤¨ कर के आ रहे हैं। उस समय 3:30 बज चà¥à¤•े थे और मैंने अंदाजा लगाया कि यहाठसे मैं चार घंटे में दोमेल आराम से पहà¥à¤à¤š जाऊंगा लेकिन मेरे साथी रात 10 बजे से पहले बिलकà¥à¤² नहीं पहà¥à¤à¤š सकते। मैंने अपनी टोरà¥à¤š उनको दे दी और कहा इसे रख लो वापसी में काम आà¤à¤—ी। इसके बाद हम अपने -२ रासà¥à¤¤à¥‡ को चल दिà¤à¥¤
अमर नाथ यातà¥à¤°à¤¾ पर जाने के दो रासà¥à¤¤à¥‡ हैं। à¤à¤• पहलगाम होकर और दूसरा सोनमरà¥à¤— बालटाल से। । पहलगाम से जाने वाले रासà¥à¤¤à¥‡ को सरल और सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• समà¤à¤¾ जाता है लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ लमà¥à¤¬à¤¾ है और कà¥à¤² दà¥à¤°à¥€ 32 किलोमीटर है । बालटाल वाले रासà¥à¤¤à¥‡ से अमरनाथ गà¥à¤«à¤¾ की दूरी केवल 14 किलोमीटर है लेकिन यह बहà¥à¤¤ ही दà¥à¤°à¥à¤—म रासà¥à¤¤à¤¾ है और सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ संदिगà¥à¤§ है। लेकिन रोमांच और जोखिम लेने का शौक रखने वाले लोग या कम समय में यातà¥à¤°à¤¾ पूरी करने के इचà¥à¤›à¥à¤• लोग इस मारà¥à¤— से यातà¥à¤°à¤¾ करना पसंद करते हैं। बालटाल के रासà¥à¤¤à¥‡ में, खासकर दोमेल से बरारी टॉप तक रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ धूल à¤à¤°à¤¾ है। यदि बारिश हो जाये तो सारे रासà¥à¤¤à¥‡ में बà¥à¤°à¥€ तरह कीचड़ हो जाता है और यदि बारिश ना हो तो घोड़ों और खचà¥à¤šà¤°à¥‹à¤‚ के कारण इतनी धूल उड़ती है कि अचà¥à¤›à¤¾ खासा इंसान à¤à¥€ à¤à¥‚त बन जाता है। शायद à¤à¤—वान à¤à¥‚तनाथ à¤à¤¸à¤¾ ही चाहते हैं कि उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को उनकी à¤à¤à¥‚त जरूर मिले।
à¤à¥‹à¤²à¥‡ नाथ के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही जोश आ जाता है और उतरते हà¥à¤ वो जोर जोर से जयकारे लगाते चलते हैं लेकिन चढाई करने वालों की हालत साà¤à¤¸ चढ़ने के कारण बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ होती है। बम-बम à¤à¥‹à¤²à¥‡ की गूंज और à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के à¤à¥à¤£à¥à¤¡à¥¤ घाटी में जब शिव à¤à¤•à¥à¤¤ बम-बम बोलते जाते हैं तो à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि खà¥à¤¦ परà¥à¤µà¤¤ à¤à¥€ बम à¤à¥‹à¤²à¥‡ की पà¥à¤•ार कर रहे हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आसà¥à¤¥à¤¾ रोम-रोम में बसती है ।
अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ को उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ की सबसे पवितà¥à¤° तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ माना जाता है। दà¥à¤°à¥à¤—म पहाडियां, खराब मौसम, खाई, बारिश, बरà¥à¤« और अनà¥à¤¯ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से जूà¤à¤¨à¥‡ के उपरांत à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की आसà¥à¤¥à¤¾ में कोई कमीं नहीं आती। आसà¥à¤¥à¤¾ और रोमांच से à¤à¤°à¥€ इस यातà¥à¤°à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से तो किया ही नहीं जा सकता। साहसिक और जोखिम à¤à¤°à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ होने के कारण अमरनाथ की इस यातà¥à¤°à¤¾ में जहां दिलेर और बहादà¥à¤° लोग रà¥à¤šà¤¿ लेते हैं, वहीं à¤à¤• बड़ा तबका उन लोगों का à¤à¥€ है, जो शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के वशीà¤à¥‚त होकर वहां जाते हैं। à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ वहां ठंडी बरà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥€ गà¥à¤«à¤¾ में बरà¥à¤« से रिस-रिस कर बने हिम सà¥à¤¤à¥‚प (शिवलिंग, पारà¥à¤µà¤¤à¥€ और गणेश) के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठजाते हैं। जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ-अगसà¥à¤¤ माह में मॉनसून के आगमन के दौरान पूरी कशà¥à¤®à¥€à¤° वादी में हर तरफ हरियाली ही हरियाली ही दिखती है। यह हरियाली यहां की पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता में चार चांद लगाती है।
जिस रासà¥à¤¤à¥‡ से मैं आया था उसी से वापिस जाने का निशà¥à¤šà¤¯ किया जिसमे शà¥à¤°à¥‚ में à¤à¤• -डेढ़ किलोमीटर खड़ी चढाई है और रासà¥à¤¤à¤¾ काफी ख़तरनाक। लेकिन इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर घोड़े -खचà¥à¤šà¤° न होने से काफी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ रहती है। बरारी टॉप से थोड़ा पहले ही दोनों रासà¥à¤¤à¥‡ मिल जाते है। यहाठतक चलने में कोई असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं हà¥à¤ˆ लेकिन जैसे ही संगम घाटी से आने वाल रासà¥à¤¤à¤¾ साथ मिला तो घोड़े -खचà¥à¤šà¤° की à¤à¥€à¤¡à¤¼ होने से चलना मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो गया। जगह -जगह जाम लग रहे थे और आरà¥à¤®à¥€ वाले à¤à¤• समय à¤à¤• ही लाइन को चलने दे रहे थे। दूसरी दिकà¥à¤•त यह थी की घोड़े -खचà¥à¤šà¤° के चलने के कारण बहà¥à¤¤ धूल उड़ रही थी। अपने सिर -मà¥à¤‚ह को पूरी तरह लपेटे हà¥à¤, अपने आप को घोड़े -खचà¥à¤šà¤° से बचाता हà¥à¤† मैं तेजी से नीचे उतरता चला गया। अब लगà¤à¤— सारी ढलान ही थी। वापसी रासà¥à¤¤à¥‡ में काफी कम रà¥à¤•ा और मैं शाम को ठीक 7:20 बजे दोमेल में अपने à¤à¤‚डारे “बरà¥à¤«à¤¼à¤¾à¤¨à¥€ सेवा मंडल, कैथल” पर पहà¥à¤à¤š गया।
à¤à¤‚डारे में उस समय आरती चल रही थी। आरती के बाद मैं परशाद लेकर नहाने के लिठचला गया कयोंकि धूल मिटà¥à¤Ÿà¥€ के कारण मेरा और कपड़ों का बà¥à¤°à¤¾ हाल हो चूका था और मà¥à¤à¥‡ बड़ी बैचनी हो रही थी। नहाने के लिठगरम पानी इस समय à¤à¥€ मौजूद था। गरम पानी से नहाने के तà¥à¤°à¤‚त बाद मà¥à¤à¥‡ कंपकपी होने लगी। यहाठका तापमान उस समय 4 -5 डिगà¥à¤°à¥€ होगा। लंगर में आकर गरà¥à¤®à¤¾à¤—रà¥à¤® चाय पी और कमà¥à¤¬à¤² लेकर बैठगया। थोड़ी देर आराम करने के बाद अपने साथियों को फ़ोन किया, वो अà¤à¥€ बरारी से पीछे थे मतलब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कम से कम तीन घंटे और लगने थे। मैं खाना खाकर और अपने साथियों के सोने का इंतजाम कर रात दस बजे के करीब सो गया। बीच -२ में मैं उठकर उनको देखता रहा । उस समय तक सारा पंडाल यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤° चूका था। लंगर में किसी à¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€ को ठहरने से मना नहीं किया जाता जब तक वो पूरी तरह à¤à¤° ना जाये। रात à¤à¤• बजे मेरे साथी वहां पहà¥à¤‚चे और जब मेरे साथी खाना खा चà¥à¤•े तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ दवाई मांगी। दवाइयाठमेरे बैग में ही थी। सब à¤à¤• à¤à¤• कॉमà¥à¤¬à¤¿à¤«à¥à¤²à¥‡à¤® की गोली खाकर कर सो गà¤à¥¤
हमारा इस लंगर से जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ का क़िसà¥à¤¸à¤¾ à¤à¥€ काफी दिलचसà¥à¤ª है। जब हम पहली बार 1998 में यातà¥à¤°à¤¾ पर आये थे तो पहलगाम रूट से आना जाना किया था। उस समय बालटाल मारà¥à¤— औपचारिक रूप से शà¥à¤°à¥‚ नहीं हà¥à¤† था। कà¥à¤› लोग ही उस तरफ से जाया करते थे। पहलगाम मारà¥à¤— से पैदल आना जाना 64 किलोमीटर पड़ता है। जब हम वापसी में यातà¥à¤°à¤¾ पूरी कर चंदनवाड़ी पहà¥à¤‚चे तो काफी देर हो चà¥à¤•ी थी और उस समय वहां से पहलगाम जाने के लिठकोई साधन उपलबà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं था। चंदनवाड़ी से पहलगाम के बीच मोटर मारà¥à¤— है और उस पर छोटी गाड़ियाठचलती हैं लेकिन दिन ढलने से पहले -पहले। अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ होने के बाद सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ करà¥à¤®à¥€ गाड़ी नहीं चलने देते।चंदनवाड़ी में सिरà¥à¤«à¤¼ वो ही यातà¥à¤°à¥€ रà¥à¤•ते हैं जो लेट आने के कारण पहलगाम नहीं जा पाते और à¤à¤¸à¥‡ लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ बहà¥à¤¤ कम होती है। हम à¤à¥€ उन चंद लोगो में से थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उस दिन मज़बूरी में वहीठठहरना पड़ रहा था। चंदनवाड़ी में रà¥à¤•ने के लिठकिसी लंगर में ही रà¥à¤•ना पड़ता है और कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं होती। हम तीन दोसà¥à¤¤ थे और आज हम सà¥à¤¬à¤¹ से 26 किलोमीटर चल चà¥à¤•े थे और हम सब का बà¥à¤°à¤¾ हाल हो चà¥à¤•ा था। किसी कि नस खिंच चà¥à¤•ी थी तो किसी के पैरों पर छाले पड़े हà¥à¤ थे। हम लोग बरà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥€ सेवा मणà¥à¤¡à¤² वालों के à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥‡ में गठऔर रात ठहरने के लिठपूछा। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हाठकर दी और ठहरने के लिठà¤à¤• टेंट में जगह दे दी। हम जगह मिलते ही लेट गठऔर फिर उठने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हà¥à¤ˆà¥¤ थोड़ी देर बाद हमें खाने के लिठबà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आया लेकिन हम थके होने के कारण जाना नहीं चाहते थे। लंगर के सेवक हमें विनति करके ले गठऔर खिचड़ी में शà¥à¤¦à¥à¤§ घी डालकर खाने को दिया और कहा इसे खाकर सà¥à¤¬à¤¹ तक तबियत ठीक हो जाà¤à¤—ी। हम खाना खाकर फिर से आकर सो गà¤à¥¤ थोड़ी देर में à¤à¤• कारà¥à¤¯à¤•रà¥à¤¤à¤¾ जग में केसर वाला दूध लेकर आया और हमें उठा कर इसे पीने को कहा। हम उनकी इस सेवा से बड़े अà¤à¤¿à¤à¥‚त हà¥à¤à¥¤ इतनी सेवा तो घर पर à¤à¥€ सबको नसीब नहीं होती।
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ वापसी आते हà¥à¤ हम ने आगंतà¥à¤• रजिसà¥à¤Ÿà¤° में अपना नाम पता लिख कर अगले वरà¥à¤· संपरà¥à¤• करने को कहा। यहाठसà¤à¥€ लंगर वालों का à¤à¤• नियम है यदि आप उनके सेवा à¤à¤¾à¤µ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर कà¥à¤› आरà¥à¤¥à¤¿à¤• मदद करना चाहते हैं तो आप आगंतà¥à¤• रजिसà¥à¤Ÿà¤° में लिख सकते हैं। इस समय आपसे कोई नक़द राशि नहीं लेता लेकिन अगले वरà¥à¤· वो आपसे संपरà¥à¤• कर लेते हैं। अगले वरà¥à¤· यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ होने से पहले उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमसे संपरà¥à¤• किया और हमने बाकि साथियों के साथ मिलकर यथासंà¤à¤µ सहयोग किया। धीरे -धीरे इससे काफी लोग जà¥à¤¡à¤¼ गठऔर अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ में इसकी à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ शाखा बन गयी। तब से हम बरà¥à¤«à¤¾à¤¨à¥€ सेवा मणà¥à¤¡à¤², कैथल वालों के साथ लगातार जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं।
पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ यादों के बाद चलिठवरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में लौटते हैं। अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ 6 बजे तक सब उठचà¥à¤•े थे। मैं तो कल रात ही नहा धोकर निपट चà¥à¤•ा था लेकिन बाकि सà¤à¥€ साथियों का अà¤à¥€ à¤à¥€ धà¥à¤² से बà¥à¤°à¤¾ हाल था। धीरे धीरे सà¤à¥€ नहा कर तैयार हो गठऔर नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद बालटाल बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड की और चल दिà¤à¥¤ तब तक सà¥à¤¬à¤¹ के 9 बज चà¥à¤•े थे। बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से जमà¥à¤®à¥‚ की बस लेकर वापसी शà¥à¤°à¥‚ कर दी और देर रात उधमपà¥à¤° पहà¥à¤à¤š गठऔर अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ उधमपà¥à¤° से अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ के लिठटà¥à¤°à¥ˆà¤¨ ले ली और शाम तक घर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤



















Hi Naresh,
Good to read you!…..You have taken a great photo of Kalimata road. Earlier, I saw in 2011, this road road was too tough and dangerous. Now some widening work has been done…good to see some development in this year. Your attachment with Barfani Seva Mandal speaks a lot about you. I really appreciate that. All the photographs in this post are beautiful.
Thanks for sharing.
नरेश जी श्री अमरनाथ की सफल यात्रा पर हार्दिक शुभकामनाएं. श्रृंखला की सभी पोस्ट अत्यंत ही मनोहारी हैं. यात्रा-वृतांत में चित्र भी आकर्षक और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाते हैं. घर बैठे ही पाठकों को श्री अमरनाथ की सम्पूर्ण यात्रा करवाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
Thanks ,Mishra Ji for encouraging.
Hi Naresh ji
और फिर इस तरह एक बार फिर आपने अपनी रोमांचक यात्रा पूरी की |
Bravo!!! for your love and dedication to this extremely difficult journey.
जितनी श्रद्धा और समर्पण से आप यात्रा करते हो उतने ही भक्ति भाव से उसे लिखते भी हो…:)
Thanx for sharing…
Thanks Avtar Ji for motivating me with your encouraging words.
जय बाबा अमरनाथ की…
हमेशा की तरह रोमांचक और उत्कृष्ट वर्णन ……. फोटो बहुत चिताकर्षक लगे….
बधाई…
Thanks friend ??
Another good post. All the pictures have been captured beautifully. photo of Kali marg represent the difficulty of track.
Thanks anil Sharma jee
bahut badia… many fotos I could not see due to slow connection… and thanks for joining the meeting I salute your dedication
Thanks Tiwari jee for your kind words.
Thanks Anupam. You are right . new path has been widened now. sorry for the late response. Actually my broad band is not working and now too I am replying from Mobile.
नरेश जी,
बहुत सुन्दर वर्णन, और चित्र तो गज़ब ढा रहे हैं। एक शानदार यात्रा का सुखद अंत….इस पूरी श्रंखला में आपके द्वारा खींचे गए फोटो बहुत सुन्दर लगे। आगे कहाँ ले जा रहे हैं?
Thanks Mukesh Ji for appreciating post and photographs.
Sorry for the late reply.
Next ,Plan to pen down Maharashtra yatra covering three Jyotirlings and many others places.
In this part, you have explained in detail about the route conditions as well as supported it with appropriate photographs. That greatly helps any one who has been there.
I think trekking these long distances alone would have made you a super-calm person :-), some of it we could experience when you visited here for Ghumakkar Meet.
I am still thinking on how the Amarnath-Knowledge-Storehouse can be leverages for the greater benefit. I think a lot of people demonstrate a mammoth belief (or Aastha as you beautifully say) but they may not be completely aware of what is coming. Anyway, when I get a good scalable simple idea, I would reach out to you :)
Wishes. And look forward to your Maha logs.
Nice pic Sir
Nicely written … but कहानी के पहेले पारà¥à¤Ÿ मे आपने खà¥à¤¦ लिखा है की अपने साथियों की और साथी यातà¥à¤°à¤¿à¤“ं की मदद करे..और आप खà¥à¤¦ अपने साथियों को छोड़ आगे चल दिठवो मà¥à¤à¥‡ थोड़ा अजीब लगा..
किरण जी , पहले तो पोसà¥à¤Ÿ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से पà¥à¤¨à¥‡ के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ .
दूसरा .मैंने अपने साथियों को अकेला नहीं छोड़ा था ,वो पाà¤à¤š लोग थे .मैं पहले इसलिठचला आया कà¥à¤¯à¥‚ंकि मà¥à¤à¥‡ लौटकर उन सबके रà¥à¤•ने का इंतजाम à¤à¥€ करना था जो मैंने किया à¤à¥€ .वे लोग रात à¤à¤• बजे के करीब लौटे उस समय वो कहाठठिकाना देखते .