घुमक्कड़ विशिष्ट लेखक साक्षात्कार – एक बातचीत प्रज्ञ और मृदु मनु के साथ

गूढ़ सांख्यिकी में मेरी रूचि कोई खास नहीं रही है, गणित भी जोड़ जाड कर हो गया इसलिए पूरे दावे से साथ तो नहीं पर मेरा अनुमान ये है की मनु प्रकाश त्यागी शायद सबसे युवा ‘विशिष्ट घुमक्कड़ लेखक’ हैं | इससे पहले की आप की चढ़ी त्योरिया और यौवन पकड़ें ,  उन्हें युवा कहने के पीछे का परदाफ़ाश हो जाना चाहिए| अभी तक के करीब करीब सभी  ‘विशिष्ट लेखक’ कई महीनों के दम-ख़म के बाद इस अभिज्ञान से सम्माने  गए हैं पर हमारे मृदु मनु ६ महीने के भीतर ही इस क्लब  में बाअदब बमुलायज़ा शामिल हो गए हैं |  वैसे मैं खुद भी मेम्बरशिप नहीं ले पाया हूँ इस विशिष्ट दल में तो दिल न हारें और बने रहें | घुमक्कड़ परिवार की सहूलियत के लिए उनकी पहली स्टोरी का लिंक   ये रहा | | 

६ महीने कोई बहुत बड़ा समय नहीं होता है और इस छोटे से अंतराल  में मृदु मनु ने लेखों की  झड़ी लगा दी | ४० से ऊपर लेख छापने के बाद मनु ने घुमक्कड़ परिवार में एक मुकाम हासिल किया जो काबिले तारीफ़ है |  हालांकि इन सभी यात्रा संस्मरणों से मनु ने संपादकीय गिरोह के मानस पटल पर घुस पैठ तो की पर शायद इतना अधिक नहीं था | शरुआत में मृदु रहने वाले मनु ने धीरे धीर टिप्पणियों के ज़रिये  से अपनी सूझ बूझ, सयंम और संतुलित  आचरण  से  सम्पदिकीय मंडल की “संभावित विशिस्ट लेखक सूची” में शामिल हुए और आंतरिक चर्चा का कारण बने | अब दिल्ली दूर नहीं और अपने मनीषी प्रतिक्रियाओं से 
उन्होंने खुद ही अपने चयन पर मोहर लगा दी | मेरे हिसाब से ये एक ऐसा चयन था जो बस सही समय की प्रतीक्षा में था और अगस्त २०१२, बहुत औगोस्त (August) था इस सही निर्णय को क्रियान्वित करने के लिए |  इतने विस्तृत परिप्रेक्ष्य के बाद , प्रस्तुत है मनु से घुमक्कड़ के साथ हुई लम्बी बात चीत के दो क्षण| 

2 वर्ष की आयु में पिता और बडे भाई बहन के साथ


घुमक्कड़ – मनु, बहुत बहुत बधाई ‘अगस्त २०१२ के विशिष्ट घुमक्कड़ लेखक ‘ के सम्मान के लिए |
मनु – धन्यवाद् नंदन जी | ये मेरे लिए गर्व की बात है की मुझे इतना प्यार और सम्मान मिला संपूर्ण घुमक्कड़ परिवार से | इस घोषणा के बाद मेरी फॅमिली में हर्ष का माहौल है और ऐसा लगता है जैसे मुझे कोई ओलिम्पिक पदक मिल गया हो | साधुवाद |

घुमक्कड़ – आपके जीवन में हर्ष और उल्लास जीवन में हमेशा बने रहे | घुमक्कड़ पर पहले लेख के पीछे की कहानी बताएं |
मनु – संदीप जाट देवता से फ़ोन पर संपर्क हुआ , फिर उनके घर गया , इस बीच ब्लॉगर पर कुछ कुछ लिखा और धीरे धीरे पकड़ते छोड़ते , मैने कर ही दिया | उसके बाद तो जैसे एक नशा सा हो गया | रोज़ पढना, कई कई पोस्ट्स पढ़ डालना एक ही बैठक में और दिन भर एक मदहोशी सी रहती थी | पहला लेख जब छपा तो अप्रत्याशित स्नेह मिला, समझ में कुछ ख़ास नहीं आया , बस एक जूनून सा सवार हुआ और पूरे मन से लिखना शुरू किया |

घुमक्कड़ – अपने लेखन प्रक्रिया के बारे में बताएं |
मनु – मैं मन से लिखता हूँ | मुझे हिंदी में टाइपिंग का ज्ञान है तो मेरी गति माशा अल्लाह ठीक ठाक ही है | जैसा मन में आता गया, लिखता गया और कोशिश ये रहती है की एक सत्र में एक लेख ख़तम कर दूं | एक बार जब मेरी लेखनी रुकी तो फिर में सामान्यतः फेर बदल नहीं करता | मेरी इस आदत के कारण कभी कभी कोई फोटो ऊपर हो जाता है, या कभी किसी विषय पर बहुत लिख देता हूँ, कभी कम ही लिख पाता हूँ | 

घुमक्कड़ -  “चार धाम हिन्दुस्तान के ,चार धाम उत्तरांचल,नौ देवियां ,नौ ज्योर्तिलिंग,15 शक्तिपीठ, 18 राज्य 4 यूनियन टेरिटरिज ,सैकडो शहर हिल स्टेशन अब तक घूम चुका हूं ।” आप तकरीबन सम्पूर्ण भारत घूम चुके हैं| कब से आपने घूमना शुरू किया? कुछ शुरू शुरू की यात्राओं के बारे में बताएं.

मनु —नंदन जी ,बचपन से ही मेरा घर में मन नही रमता था । दो तीन  बार पापा से डांट खाने के बाद हरिद्धार चला गया था जब मै सिर्फ 8 वी में पढता था वहां चंडी देवी के मंदिर पर जाकर पहाड के बिलकुल किनारे पर जाकर बैठ जाता था । पूरा दिन बैठने के बाद शाम को वापिस घर के लिये चल देता । सुबह आकर झाड़ झपट होती और फिर सब सामान्य । सबसे पहली पद यात्रा नीलकंठ महादेव की थी जब मै 9 वी कक्षा में था और अपनी मां के साथ गया था । मेरे पिता सरकारी अध्यापक थे तो वे हर साल छुटिटयो में अपना ग्रुप बनाकर घूमने जाते थे और वहां से मुझे पत्र लिखते थे कि अब मै कन्याकुमारी में हूं या किसी और जगह और वहां के बारे में ,वो पत्र मुझे रोमांचित करते थे । लेकिन तब तक ये यात्राऐं हरिद्धार , शुक्रताल तक सीमित थी | शादी से पहले मसूरी , देहरादून तक और शादी के बाद मेरी असली घुमक्कडी शुरू हुई । एक वाकये जो कि मै अपनी पोस्ट में लिखा है कि कैसे एक साथी की कमी ने लवी को मेरा साथी घुमक्कडी में बना दिया और उसके बाद से आप पढ ही रहे हैं लवी के साथ पहले मसूरी देहरादून ,उसके बाद उत्तरांचल के चार धाम बाइक पर , फिर बस से मथुरा , आगरा ,नैनीताल ,कौसानी , उसके बाद रेल से गंगासागर यात्रा फिर अपनी कार से एक लम्बी घुमक्कडी की यात्रा जिसमें राजस्थान ,गुजरात ,महाराष्ट्र ,दादरा व नगर हवेली , दमन आदि और रेल और कार से ही दक्षिण भारत एवं पूर्वोत्तर भारत के साथ कश्मीर और हिमाचल आदि की यात्राऐं की हैं

डाल्फिन टूर ,गोआ

मुन्नार , केरला


 
घुमक्कड़ –  अपने बारे में ऐसा कुछ बताएं जो किसी घुमक्कड़ को नहीं पता हो| अपने परिवार से भी परिचित करवाएं|
मनु - मै जो भी काम करता हूं बडी लगन से ,इतनी जितनी की कोई और शायद ही करे , मै स्कूल और कालेज में पढाई के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमो ,सुलेख  और अन्य प्रतियोगिताओ में बढचढकर भाग लेता था । मै बैडमिंटन , शतरंज और क्रिकेट खूब खेलता हूं अब भी चाहे साथ में छोटे बच्चे ही हों । संगीत मुझे प्रिय है और हजारेा गाने जिनमें कि ज्यादातर दर्द भरे और सूफी गाने और गजले हैं मेरे याद हैं  । मैने स्कूल कालेज और रामलीला के मंच तक में भाग लिया है ।
 
दसवीं के बाद मैने इंटर की पढाई प्राइवेट की क्योंकि मै  खुद कमाने लगा था जो आज तक जारी है । 
 

बेटी अनुष्का वशिष्ठ

शादी के बाद पिता ,बहन ,जीजाजी के साथ

16 साल की उम्र में मैने अपने बडे भाई के साथ मिलकर एक पब्लिक स्कूल खोला था जो मेरे भाई की 1999 में अचानक मृत्यू होने के कारण दो साल ही चल पाया । उसके बाद मैने कम्पयूटर हार्डवेयर का कोर्स किया और अपना कम्पयूटर सैंटर खोला । 22 साल की उम्र में जनवरी 2004 में लवी से प्रेम विवाह हुआ जिसे घरवालो की रजामंदी मिल गयी थी और दिसम्बर 2004 में  बेटी अनुष्का ने जन्म लिया । लवी कम्पयूटर सिखाती थी और मै उनका खरीदने बेचने और रिपेयर का काम करता था  । 2007 में मेरे पिता की मृत्यू के बाद मेरी नौकरी उनके स्थान पर मृतक आश्रित में लग गयी । अब मेरे परिवार में मेरी माताजी , मेरी एक बडी बहन समता त्यागी जो कि श्री राजकुमार त्यागी निवासी गढमुक्तेश्वर से ब्याही हैं , मेरी पत्नी लवी और बेटी अनुष्का हैं
 
घुमक्कड़ – धन्यवाद मनु | इश्वर करे आप और आपका परिवार स्वस्थ और खुश रहे, ऐसी मनोकामना है हमारी |  आप एक अध्यापक हैं, इतना घूमने के बावजूद भी आपने लिखना अभी हाल ही में शुरू किया है| इसका कोई ख़ास कारण? आपको लिखने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
मनु - सबसे पहली बात कि मै लिखना तो काफी समय से चाहता था पर इसमें रोडा थी बिजली  । हमारे यहां बिजली की समस्या के कारण डेस्कटाप पर काम करना संभव नही था इतने समय तक  । जब ज्यादा इच्छा प्रबल हो गयी तो लैपटाप लिया जिसने इस काम को सफल किया क्योंकि अब मै वक्त मिलते ही लिख सकता था ।
 
दूसरा अपने टूर प्लानिंग के बारे में नेट पर सर्च करते समय संदीप जाट  और मनीष जी के ब्लाग पढता था । संदीप से फोन पर बात की तो उसने मुझे समय भी दिया और ब्लाग बनाने के बारे में भी बताया । मै ब्लाग को सीख ही रहा था कि संदीप ने सलाह दी कि आप घुमक्कड पर लेख डाल दो । तब तक मै घुमक्कड को नही जानता था पर यहां का एक फंडा मुझे बडा पसंद आया कि आप लेख और फोटो भेज देा बाकी वो खुद कर लेंगे । इसी ने मुझे जल्दी जल्दी लिखने को प्रेरित किया । अब वो दिन याद आते हैं जब बस लिखना और फोटो डालकर सबमिट करना होता था कितनी जल्दी काम हो जाता था आजकल सारा काम खुद ही करना पडता है LOL

घुम्मकड़ – आप चाहें तो हमें अभी भी लेख और फोटोस ईमेल कर सकते हैं | हमारा ऑफर सभी लेखकों के लिए खुला है |  घूमने, और अब लिखने, के अलावा आप और कौन कौन से शौक रखते हैं?
मनु – घूमने और लिखने के अलावा मै पढना काफी पसंद करता हूं । फिल्में देखना भी काफी पसंद है और उसमें भावुक दृश्यो में रोना भी आ जाता है कभी कभी  । इसके अलावा बाइक हो या कोई भी गाडी ड्रा इविंग भी पसंद है और आजकल फोटोग्राफी में भी रूचि हो गयी है बस एक अदद कैमरे के लिये बजट तैयार होना बा की है और हां सीखना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है मै सीखने के लिये हर वक्त तैयार रहता हूं । आप इतनी सारी पसंद सुनने के बाद शायद मुझे मल्टीटास्कर या बहुउददेशीय मान सकते हैं ।

भरत के रोल में मंच पर

1995 में मोक पार्लियामेन्ट में

घुमक्कड़ – आप ज़्यादातर अपने परिवार के साथ यात्रा करते हैं. सपरिवार यात्रा करने के फायदे बताएं| और परिवार के साथ यात्रा प्लान करते हुए किन-किन बातों का आप ध्यान रखते हैं वोह भी बताएं|
मनु – नंदन जी , परिवार के साथ यात्रा करने में जो आनंद है वो बहुत चीजो से बढकर है पर उसकी कुछ लिमिटेशन्स हैं । जैसे किसी भी जगह पर रूकने , खाने और घूमने से पहले ये जांच लेना कि क्या वो जगह पारिवारिक माहौल में है या नही , अगर जरा सा भी शक या वहम हो तो ऐसी जगह पर रूकना या खाना मै नही करता । दूसरी बात परिवार के साथ एक्सट्रा केयर रखनी होती है और एक्सट्रा सामान भी । फायदे हैं कि आप को घर जैसा ही अनुभव होता है और जीवनसाथी के साथ घूमने की यादगार हमेशा घर आने के बाद भी रोजमर्रा के जीवन में रोमांचकता रखती है । हम आपस में काफी चर्चा करते हैं जो हमारे ज्ञान को बढाती है

घुम्मकड़ – आपकी बहुत यात्राएं काफी रोमांचक रही हैं| रोमांच के साथ खतरा अक्सर हाथ में हाथ डाल कर चलता है| हमें अप्रत्याशित परिस्थितियों में संयम कैसे रखना चाहिए?
मनु – नंदन जी , खतरा तो सब जगह होता है चाहे आप यात्रा कर रहे हों या रोजमर्रा का काम । मै अक्सर पढता हूं कि हिंदुस्तान में इतने लोग तो आतंकवाद से भी नही मरते जितने सडक दुर्घटनाओ में । मै मानता हूं कि इस लाइन को हमेशा अपनाया नही जा सकता पर मुझे लगता है कि रोमांच मेरे जीवन के कुछ साल बढा देता है वैसे मै कभी भी बेवकूफी नही करना चाहता क्योंकि रोमांच और बेवकूफी में थोडा सा ही अंतर होता है जो लोग रोमांच में आकर सुरक्षा का ध्यान नही रखते वो बेवकूफी करते हैं
अगर कोई ऐसी स्थिति आ जाये तेा बस अपना दिमाग ठंडा रखें और चिल्लाने या रोने की बजाय आगे क्या करना है यही सोचे तो बेहतर होगा पर ऐसा सभी कर भी नही पाते ये भी मुझे पता है

बैक वाटर टूर इन केरला

मैसूर पैलेस ,90 हजार बल्बो से सजा हुआ

घुमक्कड़ –  छह महीनों और ४१ कहानियों के बाद, यह कहना तो महज एक औपचारिकता है की घुमक्कड़ों में आपने एक ख़ास जगह बना ली है| इतने कम समय में आप इतनी कहानियां कैसी लिख पाए?
मनु – मुझे आप को टाप पर देखकर रश्क होता है और यही मुझे प्रेरणा देता है (lol )
 
ये तो मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा मंच मिला है जिस पर मैने किसी को नही पर सबने मुझे ढूंढा है और अपनाया भी है । एक घुमक्कड ही ऐसा मंच है जहां पर आपकी पहली कहानी के साथ ही आप हजारो पाठको और सैकडो लेखको के साथ आत्मीय हो जाते हैं । कुछ लोगो को आप अपना दीवाना बना लेते हो और कुछ लोगो के कमेंट से ही वो आपके प्रिय बन जाते हैं ऐसा मैने आज तक तो कहीं और देखा ही नही ।
 
कहानिया लिखने के बारे में मेरा इतना ही कहना है कि अब जैसे ही मै पिछले यात्रा संस्मरणो को देखता हूं तो मुझे एक पहाड सा नजर आता है जैसे कोई आफिस का बाबू फाइलो के ढेर की ओर देखता है कि उसे अभी कितना काम निपटाना है तो अगर घुमक्कड की गाइडलाइन ना होती तो मै तो रोज एक पोस्ट लगा दिया करता | शुरू शुरू मे लवी ने जब मुझे लिखते देखा और घुमक्कड पर लेखको की लिस्ट देखी तो उसमे मेरा नाम नही था जो कि 3 पोस्ट के बाद आया । उस दिन से वो हमेशा देखती थी कि अब तुम टाप 50 में हो अब 20 में और अब 10 में । ये भी मुझे प्रेरित करता था । पता नही आपको किसने ये विचार दिया कि यहां फोटो लगाओ यहां पर नाम दो ये सब चीजे एक प्रेरणा देती हैं आगे बढने की कुछ अलग करने की इसके लिये घुमक्कड की परिकल्पना ही जिम्मेदार है और एक महत्वपूर्ण कारक भी , उसके लिये मेरी ओर से साधुवाद | 
 
घुमक्कड़ – घुमक्कड़ पर लिखना शुरू करने के बाद, कोई मूल पर्तिवर्तन आपने महसूस किया अपनी ताज़ा यात्राओं में ?
मनु – मत पूछीये | सब कुछ बदल गया है , और अच्छे के लिए | सबसे बड़ा परिवर्तन आया फोटोस से मामले में | मेरी पुरानी यात्राओं के मेरे पास हजारों फोटोस हैं पर उनमे में गिनती के फोटो होंगे जिसमे मैं या मेरे 
परिवार का कोई न हो | मणि महेश की यात्रा में मैने १५०० से अधिक फोटो लिए, बहुत से बहुत ५० होंगे जिसमे यात्री हैं, बाकी सभी में प्रक्रति, मुख्य स्थान , दूकान, रास्ता, रेल, फाटक , सभी कुछ इंसानों के सिवा :-) . 
नूरपुर के होटल का चित्र मैने केवल घुमक्कड़ के लिए खीचा जिससे आगे जाने वाले घुमक्कड़ों को इसका लाभ हो सके | 

दूसरा बड़ा परिवर्तन ये है, की जिम्मेवारी बढ़ गयी है | आपने थोडा काम बढ़ा दिया है | दिमाग में ये चलता रहता है की सभी जानकारी कैसे मिले, कुछ छुट तो नहीं गया, ऐसा नया क्या है यहाँ जो जाते ही घुमक्कड़ पर साझा
कर दिया जाए | निश्चित तौर पर मेरी घुमक्कड़ी पहले से प्रचुर और बहुमूल्य हो गयी है | 

घुमक्कड़ – आपके कुछ पसंदीदा लेखक ?
मनु – कई हैं, जो इस वक़्त दिमाग में आते हैं उनमे नाम लेना चाहूँगा संदीप जी, विशाल भाई, SS जी, सुशांत सिंघल जी, D L सर, औरोजित भाई, सुरेन्द्र शर्मा , मनीष कामसेरा , कविता जी, रितेश जी |  

1986 में अपने बडे भाई से नाराज कांवड में ना ले जाने पर

घुमक्कड़ -  घुमक्कड़ और बाकी घुमक्कड़ों के साथ अभी तक जो वक्त आपने गुज़ारा है वह कैसा रहा?
मनु – घुमक्कड तो मेरे परिवार में एक ऐसा सदस्य बन गया है जिसे मै लवी और अनुष्का के बाद और कभी कभी तो उनसे भी ज्यादा समय देता हूं और इससे पत्नी और बेटी कभी कभी चिढ भी जाती हैं । बाकी मुझे घुमक्कड से कई मित्र भी मिले हैं जिनमें से विपिन, विशाल राठौड के साथ मै घूमने भी गया हूं और ये बेहतरीन अनुभव रहा है । बाकी मुकेश जी , एस एस जी , रितेश जी से भी बात होती रहती हैं और हम सब इसे एंजाय करते हैं
 
घुमक्कड़-  अभी तक का आपका सफ़र घुमक्कड़ पर काफी संयमित और सहिष्णुतापूर्ण रहा है| घुमक्कड़ के नए पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे इन्टरनेट कम्युनिटी पर एक आदर्श आचरण के बारे में?
मनु – नंदन जी हर व्यक्ति की अपनी सोच होती है आचरण के बारे में , खासतौर से नेट पर , बहुत से लोग अभद्र भाषा लिखना अपनी शान समझते हैं गलत कमेंट करके दूसरो को विचलित करना चाहते हैं या अपनी शेखी बघारते हैं लेकिन मेरी राय इसके विपरीत है । मै मानता हूं  स्वस्थ कमेंट और शालीन भाषा में आप सभ्य आलोचना कर सकते हैं |
 
इस बारे में एक बात और कहूंगा कि चाहे समाज हो कालोनी हो या वेबसाइट किसी भी जगह को उसके रहने वाले ही उंचा उठाते हैं यानि हम लोग ही घुमक्कड का स्तर तय करते हैं तो हमारा स्तर उंचा है तभी घुमक्कड का स्तर भी उंचा है । मर्यादित भाषा का प्रयोग सभी करते हैं और कुछेक अवसरो और कुछ अमर्यादित आगंतुक जो कि घुमक्कड के निवासियो की परीक्षा लेने के लिये कभी कभी आ जाया करते हैं के सिवाय मैने आज तक यहां यही पाया है कि सभी लोग बहुत ही मिलनसार और उच्च विचारो के हैं और वो ऐसा ही बनाये रखेंगे । नये पाठको से भी मेरी यही विनती है कि जो माहौल आपको मिल रहा है इसमें वृद्धि करें |

जाते जाते एक बोनस फोटो

1999 में अजगर के साथ

एक बार फिर से समस्त घुमक्कड़ परिवार के तरफ से धन्यवाद | आप ऐसे hee घुमते रहे और हमारे साथ अपने संसमरण बाँटतें रहे | जय हिंद |

78 Comments

  • Surinder Sharma says:

    मनु जी और नंदन जी,
    बहुत अच्छा इंटरव्यू है. मनु जी का जीवन काफी संघर्षमय लगा, भगवान की किरपा है, अभी सब ठीक है. मनु जी कौन सी क्लास को कौन सा विषय सिखाते हैं .
    आप दोनों का बहुत धन्यवाद .

  • JATDEVTA says:

    मनु त्यागी अरे नहीं, घुमक्कड़ का हीरो कहू तो ज्यादा बेहतर है,

    हिन्दी लिखने में व् असल जिंदगी में भी गुरु के पद पर आसीन है, कुछ महीनों में ही यह पदवी मिलने की मुबारका,
    आपको असीम शुभकामनाए, आपके घूमने व् लिखने की भूख ऐसे ही बनी रहे, यही अपनी परमात्मा से विनती है, की इस मामले में आपका हाजमा खराब ना होने दे, जो की अक्सर हो जाता है?

    • आपके सहयोग के बिना ये संभव नही हो पाता संदीप जी , मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने और समय समय पर मार्ग दर्शन करने के लिये मै आपका बहुत आभारी हूं । आपसे कुछ चीजे सीखी हैं जिनमें विनम्रता सबसे अहम है

  • Mahesh Semwal says:

    मनु के चालीस लेख पड़ने के बढ़ उनके बारे में काफ़ी कुछ पता चल गया था ओर जो नही पता था वो इस इंटरव्यू ने पूरा कर दिया | सदीप की बातों से में सहमत हूँ , आप घुमक्कार पर ओर असली जीवन में भी गुरु हो |

    सफलता कभी सिर पर मत हावी होने देना | मेने हाल में ही एक म्यूज़िकल प्रोग्राम देखा जो राजेश खाना जी की याद में था वहाँ किसी ने शेर सुनाया था , टिक से तो याद नही पर उसका निचोड़ ये था की जो सबसे उँची इमारत होती है उसे गिरने का सबसे ज़यादा डर होता है |

    • ऐसा कभी ना हो जीवन में महेश जी ऐसी विनती है परमात्मा से

      बाकी आपकी सादगी , लेखनी और सहृदयता का कायल हूं मै । आप मेरे प्रिय लेखको में से हो । और मेरे मन में एक खास छाप है आपकी

      आपका बहुत बहुत धन्यवाद

  • Nandan Jha says:

    मायानगरी मुंबई से ढेर सारी बधाई इस सम्मान के लिए, मृदु मनु | आप इसी तरह घुमते रहे, खुश रहे | जय हिंद |

    • बात निकली है तो दूर तलक जायेगी , और दुआ दूर से दी है तो कबूल हो जायेगी

      अभी अभी शायरी शुरू की है नन्दन जी और पहला तुक्का आपको सप्रेम भेंट है

      मै आपका और संपादकीय मंडल का आभारी हूं कि उन्होने मुझे इस काबिल समझा । वैसे मुझसे योग्य यहां पर कई लोग और भी हैं जो कि मुझसे बहुत अच्छा लिखते हैं भले उन्हे ये सम्मान मेरे बाद मिले पर उनके लिये मेरे मन में स्थान खुद से पहले ही है । जैसे कि महेश सेमवाल जी , रितेश जी , सुरेन्द्र शर्मा जी , सुशांत सिंघल जी , साहिल सेठी , वेंकट ,रिषी राज गुप्ता ,विनय , नवीना जी और भटट साब । पर जैसा कि आपने कहा कि अपना काम करते रहो तेा सब अपने आप हो जायेगा

      नंदन जी घुमक्कड पर साथी लेखको के लेख् पढने से भी एक पाजिटिव एनर्जी बनती है घुमक्कडी के लिये । जब भी कोई अच्छा लेख पढते हैं तो वहां पर जाने की इच्छा बन जाती है और यही घुमक्कड डाट काम की खासियत है

      @विभा जी नन्दन जी काफी अच्छे लेखक हैं इनके बारे में भी विचार करें । ये हमेशा अपनी संतुलित और उत्साही टिप्पणियो से लेखको खासतौर पर नये व्यक्तियो का तो उत्साह बनाये रखते हैं
      एक बार फिर से इस साक्षात्कार को इतना सुंदर तरीके से प्रस्तुत करने के लिये हार्दिक आभार

  • मनु जी राम राम, तुसी तो छा गए हो जी, बधाई हो बहुत बहुत, भरत जी के रूप में बहुत सुन्दर लग रहे हो. आपका साक्षात्कार अच्छा हैं. छोटा मनु बहुत क्यूट लग रहा हैं. ऐसे ही यात्रा करते रहो, हमें दर्शन कराते रहो, घुमाते रहो. आपका बहुत धन्यवाद. वन्देमातरम

    • धन्यवाद प्रवीण जी , आपकी सराहना और आलोचना देानो का मै मुरीद हूं ऐसे ही साथ बनाये रखिये

  • lavi tyagi says:

    congrats Manu ji,

    and thanks to Nandan & all the ghumakkar editors team for this honour from all our family.

    why August ?

    This is also Manu`s Birthday at 29 august.

    • तुम्हारे साथ के बिना ये मु​मकिन नही था । काफी समय लेता हूं घर के हिस्से का भी और तुम्हारा सपोर्ट मुझे प्रेरणा देता है

  • मनुजी ,

    बहुत बढ़िया रहा आपका साक्षात्कार. आपके साथ दोस्ती है , एक बार घूम भी चूका हूँ , लेकिन फिर भी बहुत कुछ मालूम पढ़ा आपके बारे में. इसके लिए नंदन जी का धन्यवाद .

    दोस्तों मनुजी एक ऐसे व्यक्ति है कि जो घुमक्कडी और लिखने के लिए हमेशा तैयार रहते है. इत्नी कम उमर में उन्होंने जो घुमक्कडी की है और जो जो destinations cover किये है वह काबिले तारीफ़ है वह भी अपनी धरम पत्नी लाविजी के साथ. इसके लिए तो आप दोनों को बधाई. लिखने की रुचि में तो इनके मुकाबले और कोई है ही नहीं , इतने कम समय में इतनी संख्या , बहुत बढ़िया. उनके पास इतनी यात्राए है की वे पाठकों से पूछते है की कौनसी यात्रा लिखी जाए. ऐसा अभी तक हुआ है इस मंच पर.

    पापा की डाट की वजह से देवी माँ का आशीर्वाद मिल ही गया आपको की सारे धाम , सारे राज्यों के देवी देवताओं के आशीर्वाद आपको दर्शन के तौर पर मिल रहे है. आपके पापा को भी साक्षात नमस्कार.

    बहुत बहुत बधाई हो मनुजी विशिष्ट लेखक की पदवी हासिल करने के लिए और मेरी शिवशक्ति से यही प्रार्थना है की आप घुमते रहे और लिखते रहे ,और बड़े बड़े मुकाम हासिल करते रहो.

    और आखिर में आने वाले जनम दिन की भी बधाई हो.

    • मुझे भी घुमक्कड डाट काम से आप जैसा एक दोस्त् मिला है , आपके परिवार के साथ समय बिता कर काफी बाते जानने को मिली और यदि भविष्य में मौका मिला तो एक लम्बा समय साथ बितायेंगें ।
      जन्मदिन की अग्रिम बधाई के लिये शुक्रिया

  • sarvesh n vashistha says:

    होनहार वीरान के हॉट न चिकने पात ….
    जय हो राम के प्रिय भरत के…………
    जय हो. भविष्य के इमानदार नेता के ……

    • हार्दिक आभार वशिष्ठ जी

      वैसे हम नौकरीपेशा लोग राजनीति में कैसे जायेंगे , मुश्किल है

      आप ऐसे ही आर्शिवाद देते रहे

  • Stone says:

    Congratulations Manu bhai.
    You’re truly a star of Ghumakkar family. Your posts, your comments are always well balanced and full of positive energies.

    Thank you for sharing your experiences with us.

    • धन्यवाद भास्कर जी , आपने शुरू से कमेंट के रूप में मेरी उर्जा में वृद्धि की है धन्यवाद तो मुझे करना चाहिये आपको

  • Ritesh Gupta says:

    मनु जी…..
    आप तो एक अच्छे लेखक हो और आपके बारे में काफी कुछ आपके लेख से जाना , पर आज आपके साक्षात्कार पढ़कर आपने बारे जो नहीं जानते तो वो भी जानकार बहुत -बहुत अच्छा लगा ….| आप से नंदन जी की बातचीत के अंश बहुत अच्छे लगे…घुमक्कड़ पर आप भी मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक हो …….और आपके लेख [पढ़ना मुझे भी बहुत पसंद हैं |
    एक बार फिर से आपको यह सम्मान की प्राप्ति पर बहुत -बहुत बधाई……| अपने सुविचार और लेख ऐसे लिखते रहिये……….|
    धन्यावाद……
    @नंदन जी….
    मनु जी से परिचय कराने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यावाद…..|आपने काफी अच्छे ढंग से हिंदी भाषा के चुनिन्दा शब्दों से बहुत अच्छे से यह साक्षात्कार लिखा हैं जो मुझे बहुत अच्छा लगा…..| धन्यवाद

    • धन्यवाद रितेश जी , मेरी नजर में आपकी लेखनी फूलप्रूफ होती है कहीं कोई शिकायत का मौका नही । मै तो काफी ग​लतियां भी कर देता हूं इसलिये मै तो आपको भी विशिष्ट लेखक मानता हूं आपका हृदय से आभार

  • SilentSoul says:

    बहुत अच्छा इंटरव्यू रहा…. आपके बारे में और जानने को मिला। इसी तरह घूमते रहिये…घुमाते रहिये

    • धन्यवाद एस एस जी , आप उर्जावान इंसान हैं जो एक पाजिटिव एनर्जी का झौंका लेकर आते हैं । बहुत बहुत आभार

  • Vipin says:

    मनु भाई, सर्वप्रथम घुमक्कड़ पर ‘विशिष्ट लेखक’ चुने जाने के लिए हार्दिक शुभकामनायें…..वाकई इतने कम समय में इस मुकाम को हासिल करना ना सिर्फ काबिले तारीफ़ है बल्कि प्रेरणादायक भी है….एक बेहतरीन घुमक्कड़ जो ना सिर्फ घुमक्कड़ी के लिए घूमता है बल्कि इसके माध्यम से कैसे जानकारी जुटाकर इसे दूसरों के साथ साझा किया जाये ये बात भी बखूबी ध्यान रखता है…लवी जी और आपकी प्यारी बालिका अनुष्का को साधुवाद जो आपके प्रेरणा स्रोत भी हैं….:)…..और जाते जाते एक बोनस प्रश्न आपके लिए……ये बोनस फोटो तो किसी निर्जन जंगल का सा लगता है…..क्या ये अजगर जंगल में मिला या इसे गले में टांगकर जंगल भ्रमण के लिए ले गए थे?……….आशा करते हैं भविष्य में कुछ और यादगार घुमक्कड़ी साथ करने का सुअवसर मिलेगा…….

    • इस अजगर से निर्जन जंगल मे ही सामना हुआ था विपिन भाई , 20 रू देकर इसे गले में लटका लिया था मैने मंसा देवी के रास्ते में

      मै उत्सुक हूं आपके साथ घूमने के लिये ……..इस बार तो प्रोग्राम बनता बनता रह गया । आपका कमेंट देखकर आश्चर्य हुआ कि आप रूद्रनाथ के लिये नही गये कोई बात नही साथ् ही चलेंगें

      thnx

  • मनु की घुमक्कड़ी के बारे में तो हम लोग काफी समय से पढ़ ही रहे है, आज उनके बारे में कुछ और बातें जानने को मिली. ईश्वर आपको और आपके परिवार को सदैव खुश रखे.

  • raj jogi says:

    मनु जी आप का साक्षात्कार पढ़ा जिससे आपके जीवन के कुछ अनजान पहलुओं के बारे में पता चला | |यह सही है घुम्मकड़ पर जो पारिवारिक वातावरण है जो आत्मीयता है , वह मुझे अन्य यात्रा संसमरण साईट पर नहीं मिलती है |इसीलिए काफी समय तक घुमक्कड पर लेख पढ़ने के बाद मेरा मन भी लेख लिखकर इस परिवार से जुड़ने का हुआ था |

    • जो भी यहां पर हैं उन सबका यही अनुभव है राज जोगी जी और इसीलिये यहां एक परिवार बन गया है जिसमें सब एक दूसरे को प्रोत्साहित करते हैं

      आपका कोटि कोटि धन्यवाद

  • ashok sharma says:

    Congats to Manu.This guy is a hero not only in GHUMAKKAR but in his life as well.Keep it up Manu.Keep roaming and keep sharing.
    Some spelling mistakes were observed in this interview.

    • धन्यवाद अशोक शर्मा जी , आपके नाइस पोस्ट , ब्यूटीफुल फोटोज , इन शब्दो ने हमेशा लगन बनाये रखी । आपके बडे कमेंट कभी कभी ही आते है पर जब आते हैं तो और भी रोमांच बढा देते हैं

  • Deepak says:

    मुबारकें मनु भाई, मैं न कहता था आप जल्दी ही Featured Author बनोगे | आप इसे deserve करते थे और आप Featured Author बने भी बड़े अच्छे मौसम में हो |
    मैं तो अभी तक लखनऊ में ही फसा हूँ, जल्द ही वापस आता हूँ, फिर आपके Featured Author बनने की ख़ुशी में कोई प्लान बनाते हैं | :)

    • कुछ शुभचिंतक शुरू से ही कहते थे और आप उनमें से एक हो दीपक भाई । आपके साथ घुमक्कड के द्धारा एक आत्मीयता बन गयी है । आशा करता हूं कि आपके जीवन में सब ठीक हो और आप जल्द दिल्ली वापस लौटें

  • Vibha says:

    मनु जी,

    आपके बारे में जान कर इस बात पर यकीन होता है कि हर किसी में एक हीरो छुपा बैठा है। आपके निश्छल स्वभाव और स्वभाविक लेखन को देखते हुए यह सोच पाना नामुमकिन है कि आपने अभी अभी लिखना शुरू किया है। आपके बारे में जान कर हार्दिक खुशी हुई।

    जहाँ तक नन्दन जी का सवाल है। उनकी लेखन-कला तो सचमुच प्रश्न्सनीय है। मगर उनको फ़ीचर्ड औथर बनाना तो ऐसा होगा जैसे कि अप्रैल फूल का मज़ाक। :) सम्पादकीय मन्डल में से कोई भी इस अवार्ड के लिये एलिजिबल नहीं है। मगर हो सका तो जल्द ही कुछ सोचूँगी।

    धन्यवाद,

    • विभा जी , ये आपकी और नंदन जी की सोच और समझबूझ है जो घुमक्कड डाट काम इस मुकाम पर है और दिन प्रतिदिन नयी उंचाईयां छू रहा है ।

      नंदन जी के बारे में मैने गंभीरता से नही कहा था वो तो खुद विशिष्ट हैं

      आपने पहली पोस्ट से सहयोग में कोई कसर नही रखी । कभी कभी मैने ही आपकी मेल में कही बातो को जल्दबाजी में लेते हुए जबाब दिया जिस पर भी आपके सहृदय उत्तरित टिप्पणी ने मुझे सोचने पर मजबूर ​कर दिया । इसके लिये मुझे हमेशा खेद रहेगा

      वास्तव में किसी का भी सम्मान ना गिरने देना आप और सभी सम्पादकीय मंडल ने कायम रखा है और इसीलिये सब लोग यहां अपनापन महसूस करते हैं

  • D.L.Narayan says:

    I was waiting eagerly for August 15th this year. Not only is it our 65th Independence Day but also the day your interview was scheduled for publication. Congratulations once again, Manu bhai.

    Thanks, Nandan, for the expertly conducted interview with Manu Prakash Tyagi. Manu is such an utterly nice and honest person and everything he says comes straight from his heart. He is the kind of person one can trust implicitly. He is truly one of the most popular authors in ghumakkar. Wishing him all the best for a great future and looking forward to hundreds of travelogues from his prolific pen.

    • धन्यवाद डी एल , भले ये सम्मान ना होता पर घुमक्कड डाट काम के ​जरिये काफी बेहतरीन लोगो से परिचय हुआ जिनमें से एक आप भी हैं । यदि हम यहां ना होते तो एक दूसरे को जान ना पाते । आपके लेख या कहिये रिसर्च के बारे में तो कुछ कहना सूरज को दिया दिखाना होगा

      100 लेखो की भी पूरी कोशिश रहेगी अगर समय साथ देता रहा तो

      धन्यवाद डी एल

  • ~ sakSham ~ says:

    बधाई मनु..
    सुन्दर साक्षात्कार … सुन्दर चित्र … और उतनी ही सुन्दर भाषा..

    सारे कमेंट पढकर जो सबसे अच्छी बात महसूस हुई वो ये की सभी कमेंट आत्मीयता से परिपूर्ण है .. एक विशेष स्नेह झलक रहा है सभी कमेंट्स से.. कहीं कोई ईर्ष्या कोई दुर्भावना नहीं |

    ये शायद घुमक्कडी का ही असर है जो की हमें मनोविकारों से दूर रखती है.. हमें ये सिखाती है की जीवन मे इन तुच्छ भावनाओं से अधिक बहुत कुछ है सोचने तथा करने के लिए |

    घुमक्कड़ . कॉम को धन्यवाद… न सिर्फ पर्यटन की वास्तविक भावना को बदावा देने के लिए बल्कि पाठकों को वैचरिक तौर पर और अधिक समृद्ध करने के लिए भी…

    अतिउत्तम साक्षात्कार के लिए मनु तथा नंदन को पुनः बधाई |

    • धन्यवाद सक्षम ,
      जैसा कि आपने कहा मै सहमत हूं इस बात से
      विचार बडी ताकत होते हैं और इस प्लेट फार्म पर केवल यात्रा के बारे में इतना कुछ है कि कहीं और के बारे में सोचने की जरूरत ही नही पडती है । लेखक ही नही अपितु पाठक भी अपने विचार रखते हैं

  • AUROJIT says:

    मृदु मनु,
    हार्दिक शुभकामनाये इस विशिष्ठ पदवी के लिए.
    इस साक्षात्कार के माध्यम से आपके और आपके अपनों के बारे में दिस्ल्चास्प जानकारी मिली.
    घुमाक्कर के मंच का इसी तरह अपने अमूल्य, भावनायुक्त अनुभवों से ज्ञानवर्धन करते रहिये.
    धन्यवाद ,
    Auro.

  • Mukesh Bhalse says:

    मनु,
    एक बार फिर से आपको बधाई, माह के विशिष्ट लेखक चुने जाने पर. आप घुमक्कड़ के एक विशिष्ट लेखक होने के साथ ही एक बहुत ही सहृदय, अच्छे एवं सच्चे इंसान हो. आपने इतने कम समय में घुमक्कड़ पर जो ऊँचाइयाँ हासिल की हैं, वे हर किसी के बस की बात नहीं है.
    ईश्वर आपको आपके जीवन में इससे भी बड़े सम्मानों से नवाज़े, और आपके जीवन का हर क्षण सुखमय एवं उल्हासपूर्ण हो.

    • धन्यवाद मुकेश जी , आप तो स्वयं परिवार सहित काफी बडे घुमक्कड हैं और हम लोग फोन से भी बात कर चुके हैं ऐसे में आपकी टिप्पणी का बेसब्री से इंतजार था । घुमक्कड पर आपने हिंदी लेखन में मील का पत्थर बनकर दिखाया है जिससे मुझे और अन्य हिंदी लेखको ​को बिना त्रुटि किये लिखने की प्रेरणा मिलती है

  • jaishree says:

    Congratulations Manu. A well deserved honor indeed.

    I will say you are the ‘youngest and earnest’ writer on this site. May the fervor of youth, passion of travel and spirit of writing go on and on!

    • बिलकुल ऐसे ही रहेगी जयश्री जी ,

      ये लगन इतनी आसानी से खत्म नही होने वाली है ,

      पर ऐसा नही है कि इस बार मेरे लिये आपके कोश में चंद लाइने ना हों

  • bhagat says:

    भविष्य के लिए शुभकामनाएं

    • धन्यवाद भगत सिंह जी , आज काफी दिनो बाद आपने घुमक्कड पर एंट्री की । इसे मै अपने लिये प्यार मानूंगा पर जो कुछ हुआ उसे भूलकर आप नये सिरे से घुमक्कड पर रोज आयें । क्योंकि किसी एक व्यक्ति की वजह से आप इस प्लेटफार्म को क्यों छोडे । आप तो खुद एक ब्लागर और तकनीकी ज्ञान के व्यक्ति हैं मै आपका ब्लाग पढता हूं और जब मैने राय मांगी तो आपने पूरे मन से उसे दिया

      धन्यवाद

  • jam555 says:

    आप घुमते रहो घुमातें रहो. लिखते रहो और पढ़ाते रहो. फोटो खीचते रहो और दिखाते रहो. जानकारी देते रहो और मदत करते रहो.हम लोग आपको दुआ देते रहेंगे और ऊपर वाले से दुआ मांगते रहेंगे आपके लिए.

    बहुत ही अच्छे इंसान का एक अच्छा साक्षात्कार.

  • मैं नहीं जाणदा कि मेरा मनुआ मेनू ए हक दिंदा है के नहीं, पर मेरा प्यार मज़बूर है ओदे मत्थे ते काला टिक्का लौण वास्ते ताकि ओनू किसे दी नज़र ना लगे अते रब जमाने दी तत्ति हवा तो बचाए.
    मेरे मनुआ, विशिष्ट लेखक चौण अते सम्मान वारे आपजी नूँ ते लवीजी नूँ लख-लख बधाईया-शुभ कामनावाँ.
    आज मेरा मन बहुत प्रसन्न है तथा दिल से आशीर्वाद है तुम्हें, तुम्हारी कर्मठता को, तुम्हारी शालीनता को, तुम्हारे स्वभाव को, तुम्हारे जनून को और तुम्हारे लेखन को. मैंने तुम्हारे 27 मई के लेख पर 31 मई को कमेंट किया था जो शायद आपने पढा नहीं, देरी कि वजह से. तीन देवियों कि कृपा से उसी दिन ये तय था….
    @ नंदनजी, साक्षात्कार में मनु के बारे में बहुत सी जानकारियाँ उकेरने के लिए धन्यवाद, एस एस जी के साक्षात्कार के बाद आपने एक ऐसी उम्मीद जगाई थी कि आने वाले समय में शायद हर इंटरव्यू में एक vidio क्लिप भी हुआ करेगी. क्या ऐसी उम्मीद करें ?

    • त्रिदेव जी , भला ऐसा हो सकता है कि मै आपके कमेंट का जबाब ना दूं ?
      कभी कभी पुरानी पोस्ट पर दोबारा से जाने का मौका नही मिलता है और कभी कभी नेट पर भी दो दो दिन हो जाते है आये हुए

      और आपको हक है बडे होने के नाते कि जहां चाहे टीका लगा दो । प्यार है तभी तो आप नजर नही लगने देना चाहते हो

  • एक बात और, मनु सर्वेश जी ने ये कथन किसी व्यंग के अनुरूप दिया है क्या ? मेरे तो उपर से निकाल गया. या फिर इसे शुद्ध करना है:- “होनहार विरवान के होत चिकने पात”.

  • Harish Bhatt says:

    Many congratulations Manu Ji…

  • Dear Manu,

    It is very nice to know you as a person through this initiative. You really have a very large fan follower…all the childhood photos are very good…and you must have a very big heart (photo with Python…even if this reptile is not poisonous)

    True, whatever you say, is straight from your heart and wish you all the best in life and keep writing.

    Also, Tx Nandan for this write-up…

    Regards,

    • प्रशंसक पाना जीवन में सबसे बडा सम्मान है । मैने तो
      क्या मेरे ​परिवार में भी लेखन किसी ने नही किया था अबसे पहले पर अब लेखन की वास्तविकता से परिचय हो रहा है

      thnx a lot Dear Amitava Chatterjee

  • sarvesh n vashistha says:

    त्रिदेव चरण जी , मुहावरे में कोई गलती हो तो माफ़ करना , व्यंग नहीं किया . बाकि अध्यापक जी (मनु) ठीक कर देंगे

  • Anand Bharti says:

    प्रिय मनु,
    घुमक्कड़ के विशिष्ट लेखक दल में शामिल होने पर मेरी तरफ से हार्दिक बधाई. नंदन जी ने शुरुआत में सही ही लिखा है कि आप सबसे युवा विशिष्ट लेखक के रूप में दल में शामिल हुए हैं. सचमुच छह महीनो के छोटे से समय आपने हम सभी घुम्मक्कड सदस्यों को इतने सारे लेख दिए हैं. यह कोई मामूली बात नहीं है. आजकल के इस भाग दौड़ के जीवन में जब हम सभी को अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी से समय निकालना मुश्किल होता है, आपने अपने व्यस्त समय से हमारे लिए समय निकाल कर इन लेखो को हमारे लिए प्रस्तुत किया और देश के विभिन्न भागों की हमें जानकारी दी. इस कार्य के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. बातचीत के दौरान आपके जीवन के निजी पहलुयों के बारे में भी जानने का अवसर मिला.
    मैं इस कमेन्ट के माध्यम से यदि नंदन जी को इतने शानदार इंटरव्यू के लिए बधाई न दूं तो यह उनके साथ बेइंसाफी होगी. एक कुशल साक्षात्कारकर्ता वही होता है जो साक्षात्कार देने वाले के जीवन के अनजाने पहलुयों को भी सबके सामने ला सके. इस प्रयास में नंदन जी पूरी तरह से सफल हुए हैं. नंदन जी इस विशिष्ट दल में शामिल न होने पर निराश न हों. आप भी अवश्य शामिल होंगे ऐसी मुझे उम्मीद है.

    मनु जी आने वाले जन्मदिन की अग्रिम बधाई स्वीकार करें.

    • धन्यवाद आनंद भारती जी ,

      मुझे भी आपकी इस टिप्पणी ने आपके दिल में बसे भावनाओ के फुहारो से सरोबार कर दिया

  • Sharma Shreeniwas says:

    श्री मृदु मनु, माह के विशिष्ट लेखक चुने जाने के लिये बधाई।
    साक्षात्कार में आपकी बहुमुखी प्रतिभा का भान हुआ और बड़ी खुशी मिली।
    आपके लेखन में आपका उत्साह प्रमुख रूप से उभर कर आता है।
    आशा है जानकारी युक्त लेख मिलते रहेंगें।

  • Kavita Bhalse says:

    मनु जी,
    कुछ पारिवारिक व्यस्तताओं की वजह से थोड़े विलम्ब से उपस्थित हो रही हूँ, अतः क्षमाप्रार्थी हूँ. आप जैसे उम्दा लेखक के बारे में कुछ लिखना, मतलब सूरज को दिया दिखाना है.
    आपके बारे में पहले से ही कुछ जानकारी तो थी लेकिन इस इंटरव्यू के द्वारा आपके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को भी जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, खासकर आपके प्रारंभिक जीवन और लवी के आपके जीवन में आगमन के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा. और जहाँ तक आपकी पोस्ट्स का सवाल है, वे तो सदाबहार एवं लाजवाब होती ही हैं.

    आपके जन्मदिवस की पूर्व बधाई स्वीकार करें. अंत में एक बार पुनः आपको विशिष्ट लेखक चुने जाने पर बधाई.

    @ नंदन जी- इतने सुन्दर तरीके से हमारे समक्ष यह साक्षात्कार प्रस्तुत करने के लए आपका शुक्रिया.

    • नही कविता जी , कोई विलम्ब नही हुआ है । व्यस्तता तो किसी को भी हो सकती है । मै खुद 15 के बाद छुटटी में भी काफी कम ​समय निकाल पा रहा हूं । खैर आप स्वयं एक अच्छी लेखिका हैं और मुकेश जी की तरह काफी अच्छा लिखती हैं । आपसे बधाई पाकर अच्छा लग रहा है । आप हमेशा हर पोस्ट पर भी उत्सावर्धन करते हैं

  • Gaurav Jain says:

    Hi Manu,

    how are you? Congratulation for your Ghumakkari Award. It is nice to see you after a long time can say after Class 5.Hope you remember me.

    • प्रिय गौरव , क्या आप मेरे फेसबुक पते पर क्लिक करोगे ताकि मै अपने पुराने मित्र को पहचान सकूं ? इस इंटरव्यू से मुझे एक पुराना मित्र मिले तो इससे अच्छा क्या होगा

      http://www.facbook.com/manuprakashtyagi

  • rajesh sehrawat says:

    Manu ji hamari bhee badhai saweekar kare.Janam din ki badhai janam din wale din

  • धन्यवाद राजेश जी , बधाई के लिये ,दोनो के लिये

  • Nandan Jha says:

    @ मनु – इरशाद इरशाद | थोडा मक्ता और मतला का ध्यान रखना पड़ेगा | सिफारिश के लिए धन्यवाद पर शायद और मशक्क़त करनी पड़ेगी (मुझे) |

    @ शर्मा जी – धन्यवाद |

    @ lavi – Thank you. Manu thoroughly deserved it. I was not aware that Manu’s bday is in Aug. Wishes in advance.

    @ विशाल – धन्यवाद |

    @ रितेश – धन्यवाद् | मेरी हिंदी और हिंदी वर्तनी में बहुत सुधार हुआ है आप जैसे लेखकों को पढ़ पढ़ के |

    @ Ashok – I am to blame for any spelling mistakes. Would improve. Thank you.

  • JATDEVTA says:

    मनु भाई अपना भरत की वेश भूषा वाला चित्र मुझे मेल कर दो, नहीं तो घर आकर तंग करुँगा। मैं आने-जाने में तंग रहूंगा तो तुम्हे वहाँ आकर तंग करूँगा। बताओ कब कर रहे हो फ़ोटो मेल।

  • JATDEVTA says:

    नन्दन जी मनु भाई का जन्म दिन 29 को आ रहा है, चलो चलते है मनु के घर। हम और आप ही सबसे नजदीक रहने वाले है।

    • जाट देवता जी , भरत वाला फोटो आप घर से आकर ले लो तो इससे बढिया बात क्या होगी । वैसे जन्मदिन तो आपका भी है इसी महीने तो क्यों ना कुछ एक साथ धमाल हो जाये ?

  • Nandan Jha says:

    @ विभा – धन्यवाद् आपके सटीक और स्पष्ट टिपण्णी के लिए |

    @ DL – Thank you. Its been a while you wrote here. Wishing you well.

    @ सक्षम – बने रहें |
    @ त्रिदेव – विडियो का सारा श्री तिवारी जी का है | काफी जद्दो जहद के बाद हो पाया | कोशिश रहेगी की आने वाले समय में नए आयाम जोड़े जाएँ इन साक्षात्कारों की श्रृंखला में |
    @Amitava – Thanks Amitava.
    @आनंद – इंशा अल्लाह |
    @ कविता – और कोशिश रहेगी | धन्यवाद् |

  • Manish Kumar says:

    मनु आपकी मेहनत रंग लाई है। विशिष्ट लेखक बनने की हार्दिक बधाई।

    • धन्यवाद मनीष जी , आप भी जापान से लौट आये और अब आपकी जापान यात्रा का रस हम सब भी ले रहे हैं

  • rajesh priya says:

    kya baat hai manu aapki koi khabar nahi aa rahi hai,sab khariyat se hai? ya koi problem?aap jawab jarur do mere mail par hi sahi. aapka koi post ya jankari nahi aa rahi hai.jald se jald apna haal batao.

  • Manish Khamesra says:

    प्रिय मनु

    इस साक्षात्कार से आपके बारें में काफ़ी नयी बातें पता चलीं| जीवन में काफ़ी सन्घर्ष किया है आपने| इस पोस्ट पर ७५ लोगों ने कॉमेंट दिया है, इससे आपकी लोकप्रियता का अहसास होता है| आप इसी तरह घूमते रहो और लिखते रहो यही कामना है|

  • Anupam Mazumdar says:

    good one

  • Nandan,
    This is a good piece. I regret not reading this earlier.

    Manu,
    You are a very well-travelled person and write pretty well too. Above that, I can observe a genuine person behind these writings.

    Ghumakkar indeed is a better place because of authors like you.

    Keep traveling, keep writing.
    RRG

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