आज का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ के आसपास कà¥à¤› कम à¤à¥€à¤¡à¤¼à¤à¤¾à¤¡à¤¼ वाले खूबसूरत सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ मे विचरण करने और शाम को बसेरे के लिठजोशिमठपहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का था. कल रात सोने से पहले सबने सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठने का वादा किया था, पर थकान के मारे सब à¤à¤¸à¥‡ चूर थे की आà¤à¤– खà¥à¤²à¤¨à¥‡ के बाद à¤à¥€ बस थोड़ी देर और, बस थोड़ी देर और करते करते वाकई देर हो गयी. चलो कोई बात नही, उठे तो सही! इस बार बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ आने की à¤à¤• ख़ास वजह थी ना सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सीमा पर बसे अंतिम गà¥à¤°à¤¾à¤® माणा को देखना बलà¥à¤•ि उससे à¤à¥€ परे कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के à¤à¤• अनमोल रतà¥à¤¨ वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ जल पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के दरà¥à¤¶à¤¨ करना. चूà¤à¤•ि बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ से वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की दूरी थोड़ा ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ (लगà¤à¤— 8 किमी) थी और हम सब लोग पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करने वाले थे, इसलिठसाथियों को सà¥à¤¬à¤¹ केवल ये ही सूचना दी गयी की हम 3 किमी दूर बसे अंतिम गà¥à¤°à¤¾à¤® माणा और उसके आसपास के दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को देखेंगे और फिर जोशिमठवापस चलेंगे. à¤à¤¸à¤¾ कहने की à¤à¤• वजह थी उचà¥à¤š परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ पर पैदल चलने से होने वाली थकान और 8 किमी सà¥à¤¨à¤•र तो मेरे साथी वैसे ही मना कर देते, इसलिठसोचा के माणा की ओर बढ़ते बढ़ते जैसे जैसे दूरी कम होगी और खूबसूरत नज़ारे अपना घूà¤à¤˜à¤Ÿ उठा रहे होंगे तो मैं à¤à¥€ मौके का फ़ायदा उठाकर वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की तारीफों के à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤² बाà¤à¤§à¥‚ंगा के देखे बिना कोई à¤à¥€ वापिस जाने की बात नही करेगा और हà¥à¤† à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही. जलà¥à¤¦à¥€ से रोजाना की ज़रूरी गतिविधियों को अंजाम देकर, अपने बहादà¥à¤° सिपाही तैयà¥à¤¯à¤¾à¤° थे किला फ़तेह करने को. मौसम कल रात की तरह ही सरà¥à¤¦ था और चलते चलते हम लोग जलà¥à¤¦à¥€ ही माणा जाने वाली सड़क पर पहà¥à¤à¤š गये. चूà¤à¤•ि ये इलाक़ा à¤à¤¾à¤°à¤¤-तिबà¥à¤¬à¤¤ सीमा के पास का है, इसलिठयहाठसेना के लोगों की चहलकदमी होना कोई आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ की बात नही और उनकी यहाठउपसà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿ की वजह से ही माणा तक की ये सड़क काफ़ी चौड़ी व पकà¥à¤•ी है. यहाठसे बीआरओ ने माणा पास (5608 मीटर) जो की यहाठसे लगà¤à¤— 50 किमी दूर à¤à¤¾à¤°à¤¤-तिबà¥à¤¬à¤¤ की सीमा पर है, तक à¤à¥€ à¤à¤• सड़क बनाई है जिसे हाल ही मे बीआरओ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ‘विशà¥à¤µ की सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर बनी गाड़ी चलाने योगà¥à¤¯ सड़क’ का दरà¥à¤œà¤¾ दिया गया है. à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है कि सनà¥à¤¨ 1951 तक इसी रासà¥à¤¤à¥‡ गढ़वाल और तिबà¥à¤¬à¤¤ के बीच वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° हà¥à¤† करता था जिसे बाद मे चीनी सरकार ने आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया. इसी माणा पास के नज़दीक à¤à¤• खूबसूरत à¤à¥€à¤² है देवताल जिसे सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी का उदà¥à¤—म सà¥à¤¥à¤² माना जाता है.
à¤à¤• सैनिक के साथ पà¥à¤¨à¥€à¤¤ व दीपक माणा रोड पर
आज सà¥à¤¬à¤¹ की पहली फोटो खींचते ही मेरे कैमरे ने तो दम तोड़ दिया और अब हमारा सहारा था केवल पà¥à¤¨à¥€à¤¤ का कैमरा जिसमे à¤à¥€ कà¥à¤› ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जान बाकी नही थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम लोगों ने इतने दिन से अपने कैमरों की बैटरी रीचारà¥à¤œ नही की थी. खैर माणा गाà¤à¤µ से थोड़ा पहले रà¥à¤•कर हम लोगों ने इस ठंडे मौसम का मज़ा चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ियों और कà¥à¤› बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के साथ लिया और फिर आगे निकल पड़े. माणा (3118 मी) à¤à¤• छोटा सा गाà¤à¤µ है जहाठकी औरते विशेष परिधान व आà¤à¥‚षणों से सजà¥à¤œà¤¿à¤¤ रहती है जो गढ़वाल के अनà¥à¤¯ इलाक़ों से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दिखता है. गाà¤à¤µ के पास ही à¤à¤• टूटाफूटा सा बोरà¥à¤¡ दिखाई देता है जिस पर आसपास घूमी जा सकने वाली जगहों के नाम लिखे हैं इनमे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– हैं i) उपर की ओर गणेश गà¥à¤«à¤¾ (30 मी), वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ (150 मी), मà¥à¤šà¥à¤•ूंद गà¥à¤«à¤¾ (3 किमी), देवताल, राकà¥à¤·à¤¸ ताल और वशिषà¥à¤Ÿ ताल (40 किमी) और ii) नीचे की ओर है à¤à¥€à¤® पà¥à¤² व सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ धारा (100 मी), अलकनंदा व सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का संगम – केशव पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— (600 मी), वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ (5 किमी), लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤µà¤¨ (8 किमी), सतोपनà¥à¤¥ (25 किमी) आदि. इस बोरà¥à¤¡ को देखते हà¥à¤ सबसे पहले हमने पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ किठजहाठबैठकर महरà¥à¤·à¤¿ वेद वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने महागà¥à¤°à¤‚थ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रचना की थी. वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ की बाहरी दीवारों जिनपर ‘वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ पोथी’ लिखा हà¥à¤† है à¤à¤• पोथी के समान ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती हैं, वाकई रोचक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है यह! वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ गà¥à¤«à¤¾ के पास ही à¤à¤• दà¥à¤•ान सहसा ही आपका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अपनी और आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती है जिस पर लिखा होता है ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ की आख़िरी चाय की दà¥à¤•ान’ यहाठहमने चाय तो नही पी लेकिन नीचे जाने से पहले कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ ज़रूर खींची. अगला सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था गणेश गà¥à¤«à¤¾ जो की देखने मे तो à¤à¤• साधारण सा मंदिर लगता है पर अंदर जाकर गà¥à¤«à¤¾ का असली à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है. à¤à¤—वान गणेश ने यहीं बैठकर वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाà¤à¤šà¥€ गयी महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ को लिखित रूप दिया था.
माणा गाà¤à¤µ से घाटी का à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत नज़ारा
चलो अब चलते हैं मà¥à¤šà¥à¤•ूंद गà¥à¤«à¤¾, ‘अरे नही यार ये तो बहà¥à¤¤ उपर लगता है’ दीपक बोला. ‘अरे नही à¤à¤¾à¤ˆ, पास ही तो है’, मैं बोला. ‘3 किमी तो दूर है à¤à¤¾à¤ˆ, फिर हम लोग वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ नही जा पाà¤à¤à¤—े, देख लो’, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ बोला. बात सबको ठीक लगी, हम लोग वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ को नही छोड़ना चाहते थे, गà¥à¤«à¤¼à¤¾à¤à¤ तो सबने देख ही ली थी अब वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने को सब बड़े बेकरार थे. इसलिठबिना समय गवाठहम लोग नीचे à¤à¥€à¤® पà¥à¤² की ओर बढ़ चले. à¤à¥€à¤® पà¥à¤² के पास आकर सबसे पहले à¤à¤• बड़ी à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚ति टूटी जो थी ‘सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो जाने की’, हमने तो सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ से पहले केवल यही सà¥à¤¨ रखा था की यह नदी अब विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी है और शायद à¤à¥‚मिगत होकर बहती है. लेकिन यहाठआकर सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ का जो रूप देखने को मिलता है वो बिलà¥à¤•à¥à¤² मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ कर देने वाला होता है देखने मे सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जैसी सफेद और गरà¥à¤œà¤¨à¤¾ मे काली जैसी à¤à¤¯à¤‚कर. à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है की सà¥à¤µà¤°à¥à¤— की ओर बढ़ते हà¥à¤ पांडवों के साथ दà¥à¤°à¥Œà¤ªà¤¦à¥€ जब सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के तीवà¥à¤° बहाव को देखकर यकायक रà¥à¤• गयी तो महाबली à¤à¥€à¤® ने दो पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ को जोड़कर इस à¤à¥€à¤® पà¥à¤² का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया. यहाठमेरे लिठà¤à¤• और आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ छà¥à¤ªà¤¾ था, इसी à¤à¥€à¤® पà¥à¤² के साथ ही दाà¤à¤¯à¥€ ओर à¤à¤• छोटी सी धारा बहती दिखाई है, कहा जाता है कि ये धारा तिबà¥à¤¬à¤¤ की मानसरोवर à¤à¥€à¤² से आती है. इसे सà¥à¤¨à¤•र अतà¥à¤¯à¤‚त खà¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¤à¥€ कैलाश दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद तिबà¥à¤¬à¤¤ जाकर कैलाश और मानसरोवर देखने की बड़ी तमनà¥à¤¨à¤¾ है, जिसे यहाठथोड़ा सा बल मिला.
अब बारी थी आज की यातà¥à¤°à¤¾ के सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की ओर बढ़ने की. माणा से वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ की दूरी 5 किमी, माणा वापस आने के 5 किमी और फिर माणा से बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ तक 3 किमी, कà¥à¤² मिलकर लगà¤à¤— 13 किमी की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ थी और शाम तक जोशिमठà¤à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ था वो à¤à¥€ गेट बंद होने से पहले. तो शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ कदम तेज़ तेज़ बढ़ाते हà¥à¤ और कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के नज़ारों का मज़ा लेते हà¥à¤ हम लोग बढ़े चले जा रहे थे. शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मे ही हमे लगà¤à¤— 10 लोगों का à¤à¤• दल मिला जो सतोपनà¥à¤¥ की यातà¥à¤°à¤¾ पर जा रहा था, उनà¥à¤¹à¥‡ देखकर à¤à¤• बार तो मन किया कि होलो इनके साथ! खैर à¤à¥€à¤® पà¥à¤² से वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ तक à¤à¤• पैदल चलने योगà¥à¤¯ ठीक ठाक सीधा रासà¥à¤¤à¤¾ बना हà¥à¤† है जिसकी वजह से यहाठआपको किसी गाइड की आवशà¥à¤¯à¤•ता नही पड़ती. इस मारà¥à¤— पर ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° रासà¥à¤¤à¤¾ पथरीला है जहाठथोडा संà¤à¤²à¤•र चलने की ज़रूरत होती है, लोग अकà¥à¤¸à¤° खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ नज़ारे देखते हà¥à¤ इस बात की अनदेखी कर देते हैं और à¤à¤¸à¥‡ मे अपनी टाà¤à¤— तà¥à¤¡à¤¼à¤µà¤¾ बैठते हैं. शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤à¥€ 2/3 किमी की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¤• सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ पर बड़ी आसान सी मालूम पड़ती है लेकिन उसके बाद थोड़ी उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ बढ़ती चली जाती है और थकान à¤à¥€ होने लगती है. वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ तक पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमने शायद 3 या 4 छोटे छोटे हिमनद पार किठजिनपर कई जगह चलने मे तो बड़ा डर सा लग रहा था. हमने अà¤à¥€ पहले हिमनद पर कà¥à¤› फोटो खींची ही थी की हमारे साथ चल रहे दूसरे केमरे ने à¤à¥€ जवाब दे दिया.
वसà¥à¤§à¤°à¤¾ की ओर जाते पथरीले रासà¥à¤¤à¥‡ पर कà¥à¤¦à¤°à¤¤ को निहारते हà¥à¤â€¦
दो थके मानà¥à¤· और पीछे से उà¤à¤°à¤¤à¥€ बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियाअ
बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ चोटियों से घिरे थकान मिटाते हà¥à¤â€¦
लो जी अब हमलोग फोटो खींचने की चिंता से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सिरà¥à¤«à¤¼ वहाठà¤à¤•ांत मे बैठी पà¥à¤°à¤•ृति को निहारते हà¥à¤, हिमालय की अचनाक से पà¥à¤°à¤•ट होती हà¥à¤ˆ बरà¥à¤«à¤¼à¥€à¤²à¥€ चोटियों को मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ होकर देखते हà¥à¤ और छोटे छोटे हिमनदों पर मà¥à¤«à¤¼à¥à¤¤ सà¥à¤•ेटिंग का मज़ा लेते हà¥à¤ आख़िरकार à¤à¤• छोटे से मंदिर के पास पहà¥à¤à¤š ही गये. यहाठसे लगà¤à¤— 150 मीटर दूर वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ का नज़ारा à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था मानो अपने नीचे फैले विशाल हिमनद को जैसे ये पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ अपनी हवाई बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ के जल से पोषित कर रहा हो, अदà¥à¤à¥à¤¤ नज़ारा था वो जिसे सिरà¥à¤«à¤¼ हमारी आà¤à¤–े ही क़ैद कर पाई, शायद हमारे कैमरे की किसà¥à¤®à¤¤ मे ये नज़ारा देखना और उसे संजोठरखना नही लिखा था. वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ मे जल लगà¤à¤— 125 मीटर की उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ से गिरता है, à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है की सà¥à¤µà¤°à¥à¤— की ओर बढ़ते हà¥à¤ पांडवों ने इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया था. वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ को देखते ही सà¤à¥€ इंदà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ जैसे जागृत सी हो गयी और शरीर मे à¤à¤• नई चेतना का संचार सा हो गया. पर यहाठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ à¤à¥‚ख पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ से बà¥à¤°à¤¾ हाल हो चà¥à¤•ा था. à¤à¥€à¤® पà¥à¤² के पास ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ की अंतिम चाय की दà¥à¤•ान के बाद यहाठतक कोई दà¥à¤•ान नही है इसलिठखाने पीने का सामान साथ रखना ज़रूरी होता है. खैर जब à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤µà¥à¤¯ नज़ारा सामने हो तो à¤à¥‚ख पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ सब गायब हो जाती है. जैसे ही हम पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के नीचे फैले हिमनद पर पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो सबसे पहले हिमनद से निकलते शीतल जल से अपनी पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾à¤ˆ. हम यहाठबैठे जल का आनंद ले ही रहे थे की हमे सामने से à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— जिनकी उमर करीब 60/70 बरस रही होगी आते हà¥à¤ दिखाई दिà¤. इनके शरीर पर सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤• धोती और à¤à¤• गमछा था, पूछने पर पता चला के महाराज पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ मे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करके आ रहे हैं. पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के नीचे हिमनद के कारण उसकी बूà¤à¤¦à¥‡à¤‚ कà¤à¥€ कबार ही लोगों पर गिरती हैं. इसलिठइन बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महाशय की जवानी देखकर हमे à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने का मन किया. नीचे से इस पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ की ओर देखते हà¥à¤ उपर कà¥à¤› काली सी गà¥à¤«à¤¼à¤¾à¤à¤ दिखाई देती है, नीचे से ही ये सोच कर चले की गà¥à¤«à¤¾ तक जाà¤à¤à¤—े. चलने लगे तो थकान के मारे बेहाल दीपक ने जाने से मना कर दिया और मैं और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ उपर पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ की ओर बढ़ चले. à¤à¤• लगà¤à¤— 50 मीटर छोटी सी पहाड़ी चढ़ते ही हम पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के नीचे आ गये, हमारे उपर था à¤à¤• विशाल पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ और नीचे की ओर à¤à¤• विशाल हिमनद. यहाठपहाड़ी और हिमनद के बीच à¤à¤• चौड़ा सा खोखला सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था, अगर ग़लती से कोई नहाते हà¥à¤ पहाड़ी से नीचे गिर जाठतो वो हिमनद पर ना गिरके इस बीच वाली चौड़ी खोखली जगह मे गिर पड़ेगा जहाठबचने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ कम लग रही थी. हम लोग अपने कपड़े और अनà¥à¤¯ सामान à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° पर रखकर सावधानी से इस कà¥à¤¦à¤°à¤¤à¥€ शॉवर का आनंद लेने लगे. यहाठपà¥à¤°à¤•ृति का à¤à¤• सतरंगी रूप à¤à¥€ पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के पास à¤à¤• विशाल इंदà¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤· के रूप मे देखने को मिला, वासà¥à¤¤à¤µ मे अलौकिक अनà¥à¤à¤µ था यह! यहाठहमे अपने कैमरे की कमी बहà¥à¤¤ खल रही थे. थोड़ी देर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद लगà¤à¤— 50 मीटर उà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर दिख रही गà¥à¤«à¤¾ की ओर बढ़ने लगे. नीचे से पास दिखाई देने वाली ये गà¥à¤«à¤¾ अब यहाठसे दूर दिखाई दे रही थी इसलिठबड़ी गà¥à¤«à¤¾ को छोड़कर उससे पहले बनी à¤à¤• छोटी गà¥à¤«à¤¾ तक जाने का फ़ैसला लिया गया. शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मे तो हम जोश मे जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ उपर की ओर चढ़ गये लेकिन गà¥à¤«à¤¾ से लगà¤à¤— 10 मीटर की दूरी पर पानी के कारण मिटà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥à¤°à¤à¥à¤°à¥€ सी हो गयी थी और वहाठपकड़ बनाना काफ़ी मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो रहा था. यहाठà¤à¤• जगह पर मैं à¤à¤¸à¥€ परेशानी मे फà¤à¤¸ गया की ना तो उपर ही जा पा रहा था और ना ही नीचे जैसे बीच मे अटक सा गया था. जैसे ही उपर चढ़ने के लिठपैर पर ज़ोर देने की कोशिश करता, पेर के तले से मिटà¥à¤Ÿà¥€ खिसकती जाती और मेरे हाथ à¤à¥€ à¤à¤• कचà¥à¤šà¥€ पकड़ वाली घास पर थे. चूà¤à¤•ि पà¥à¤¨à¥€à¤¤ मेरे आगे चल रहा था और मà¥à¤à¤¸à¥‡ थोड़ा दूर था उसके लिठà¤à¥€ वहाठपर 2/3 कदम पीछे आना थोड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल था. à¤à¤¸à¥‡ वकà¥à¤¤ मे नीचे फैली खोखली खाई को सोचकर मन मे तरह तरह के नकारातà¥à¤®à¤• विचार à¤à¥€ आने लगे. मैं वहाठलगà¤à¤— 5 मिनट तक à¤à¤¸à¥‡ ही फà¤à¤¸à¤¾ रहा, à¤à¤¸à¥‡ मे उपर पहà¥à¤à¤šà¥‡ पà¥à¤¨à¥€à¤¤ ने कà¥à¤› उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बढ़ाया और मन को शांत करके धीरे धीरे उपर बढ़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते करते आख़िरकार उस ख़तरनाक जगह से निकल ही गया. उपर चढ़ते ही राहत की साà¤à¤¸ ली और गà¥à¤«à¤¾ मे पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. इसकी दीवारों से शà¥à¤¦à¥à¤§ जल रिसकर आ रहा था जो वहाठकिसी अमृत से कम नही लग रहा था. गà¥à¤«à¤¾ मे बैठे बैठे मà¥à¤à¥‡ अचानक किसी चीज़ की कमी महसूस हà¥à¤ˆ, देखा तो मेरी दो आà¤à¤–े यानी मेरा चशà¥à¤®à¤¾ शायद पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के पास नहाते वकà¥à¤¤ वहीं छूट गया था, सोचा चलो कोई बात नही जाते समय उठा लेंगे. उतरते समय हम बैठबैठकर पहाड़ों की दीवारों से सटकर उतर रहे थे ताकि à¤à¤• मजबूत पकड़ मिल सके और थोड़ी ही देर मे हम नहाने वाले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤š कर चशà¥à¤®à¤¾ ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ लगे. थोड़ी देर ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ पर à¤à¥€ जब नही मिला तो हम लोग नीचे उतरने लगे. उतरते समय हमे à¤à¤• महाशय अपने ननà¥à¤¹à¥‡ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ उपर की ओर आते मिले, सोचकर लगा की à¤à¤¸à¥€ जगह पर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को लाना थोडा ख़तरनाक सा था. लेकिन पूछने पर पता चला की à¤à¤¾à¤ˆ साब सेना के जवान थे और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के इस रूप से परिचय कराने लेकर आठथे. नीचे उतरकर हम लोग दीपक को देखने लगे तो वो दूर मंदिर के पास बैठा हà¥à¤† दिखाई दिया.
वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ (साà¤à¤¾à¤°: http://scriptures.ru/india/uttarakhand/badrinath/mana_en.htm)
इतने परिशà¥à¤°à¤® के बाद à¤à¥‚ख अपने चरम पर थी, जैसे ही मंदिर पर पहà¥à¤à¤šà¥‡ तो दीपक ने हमारे लिठकà¥à¤› खाने का इंतज़ाम कर रखा था. दीपक को यहाठघूमने आठकà¥à¤› मराठी à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• टोली मिल गयी जिनसे दीपक ने 2/3 मà¥à¤Ÿà¥à¤ ीà¤à¤° à¤à¥€à¤—े चने माà¤à¤— लिठथे और हम à¤à¥€ चने देखते ही उन पर टूट पड़े, à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था मानो बरसों के à¤à¥‚खे हों. चने जेब मे à¤à¤°à¤•र हम लोग दीपक को अपनी उपर की कहानी और वो हमे अपनी नीचे की कहानी बताते हà¥à¤ तेज़ी से कदम बढ़ाते हà¥à¤ वापिस जाने लगे. उतरते समय पथरीले रासà¥à¤¤à¥‡ पर चलना बड़ा मà¥à¤¶à¥à¤•िल सा लग रहा था, कई जगह पर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर पैर रखते हà¥à¤ हमारे पैर मà¥à¤¡à¤¼ à¤à¥€ गये थे. à¤à¤¸à¥‡ मे आगे बढ़ते हà¥à¤ अचानक से पीछे से चीखने की आवाज़ आई, पीछे मà¥à¤¡à¤¼à¤•र देखा तो ये तो अपना पà¥à¤¨à¥€à¤¤ था जो दरà¥à¤¦ से कराह रहा था. पास आठतो पता चला की उसके टखने मे मोच आ गयी थी, à¤à¤¸à¥‡ समय मे उसका साहस बढ़ाते हà¥à¤ हम लोग जैसे तैसे माणा पहà¥à¤à¤š गये. पà¥à¤¨à¥€à¤¤ दरà¥à¤¦ से कराह रहा था और à¤à¤¸à¥‡ मे लग रहा था की आज हमे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ मे ही रूकना पड़ेगा. हम जैसे ही माणा से बाहर निकलने लगे तो जोशिमठमे मिले विदेशी यà¥à¤—ल हमसे रासà¥à¤¤à¥‡ मे टकरा गये जो की वापिस बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ जा रहे थे. पà¥à¤¨à¥€à¤¤ की à¤à¤¸à¥€ हालत देखकर उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हमे बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ तक अपनी गाड़ी मे छोड़ दिया. गाड़ी मे जाते वकà¥à¤¤ पता चला कि ये दोनो à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने से पहले à¤à¤• दूसरे से अंजान थे और इनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात ऋषिकेश मे à¤à¤• कैफ़े मे हà¥à¤ˆ थी. चूà¤à¤•ि दोनो अकेले सफ़र कर रहे थे तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ साथ सफ़र करने का फ़ैसला लिया. बातें करते करते हम लोग गेट बंद होने से पहले बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ पहà¥à¤à¤š गये और यहाठजीप सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर उतर गये. यहाठपता करने पर बिना बà¥à¤•िंग के कोई à¤à¥€ जीप वाला जोशिमठजाने को राज़ी नही हà¥à¤†. à¤à¤¸à¥‡ मे जीप के बजाय अब हम लोग जोशिमठजाने वाली सवारियों की तलाश मे लग गये और गेट बंद होने से पहले हमने जीप वाले के लिठकà¥à¤› सवारियाठजà¥à¤Ÿà¤¾ ही ली और हम लोग चल पड़े जोशिमठकी ओर.
जोशिमठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही हम लोग à¤à¤• डौरमेटà¥à¤°à¥€ मे बिसà¥à¤¤à¤° लेकर, अपना सामान वहीठछोड़कर, पà¥à¤¨à¥€à¤¤ को à¤à¤• कà¥à¤²à¤¿à¤¨à¤¿à¤• मे ले गये. यहाठमौजूद डॉकà¥à¤Ÿà¤° साब ने पà¥à¤¨à¥€à¤¤ को सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤• गरम पटà¥à¤Ÿà¥€ चढ़ाई और अब पà¥à¤¨à¥€à¤¤ को कà¥à¤› अचà¥à¤›à¤¾ महसूस हो रहा था. वापस डौरमेटà¥à¤°à¥€ मे जाने से पहले हम दिन à¤à¤° के à¤à¥‚खे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने जी à¤à¤°à¤•र à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया. डौरमेटà¥à¤°à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤•र दीपक और पà¥à¤¨à¥€à¤¤ अपने अपने बिसà¥à¤¤à¤° पर लेट कर दिन à¤à¤° की घटनाओं की याद कर रहे थे और मैं ऋषिकेश बस अडà¥à¤¡à¥‡ से खरीदी गढ़वाल के तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ की जानकारी देती à¤à¤• किताब मे वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ पढ़ रहा था कि मेरे दिमाग़ मे दीपक के लिठà¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ आया. मैंने दीपक से पूछा “यार à¤à¤• बात बता, जब हम वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के नीचे खड़े थे, तो कà¥à¤¯à¤¾ उस वकà¥à¤¤ तेरे उपर à¤à¤°à¤¨à¥‡ का पानी गिरा था कà¥à¤¯à¤¾?†उसका जवाब ना मे सà¥à¤¨à¤•र मेरे हंस हंस के पेट मे दरà¥à¤¦ होने लगा. मà¥à¤à¥‡ इस तरह हंसते देखकर जब पà¥à¤¨à¥€à¤¤ ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ कारण पूछा तो मैंने उसे किताब मे वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ पढ़ने को कहा, जिसे पढ़कर वो à¤à¥€ ज़ोर ज़ोर से हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगा. हम दोनो को à¤à¤¸à¥‡ हंसते देख दीपक à¤à¥€ अब उस किताब को पढ़ने को बड़ा बेताब था. हमने उसे किताब थमाई और उसे पढ़कर उसके चेहरे पर à¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤•ान सी दौड़ गई. इस किताब मे वसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¾ के महतà¥à¤µ के बारे मे कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ लिखा था “यदि इस पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ की बूà¤à¤¦à¥‡à¤‚ आप पर पड़े तो आप पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ हैं, अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ पापी.†खैर ये à¤à¤• मज़ाक था और जिसे याद करके हम आज à¤à¥€ खूब हंसते हैं. पà¥à¤¨à¥€à¤¤ की ज़खà¥à¤®à¥€ टाà¤à¤— के साथ ये रोमांचक सफ़र आगे à¤à¥€ जारी रहेगा…