मैं शिवखोड़ी कि यातà¥à¤°à¤¾ पर कई बार जा चà¥à¤•ा हूà¤. जब à¤à¥€ वैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€ जाता हूठमैं वंहा जाने कि जरà¥à¤° कोशिस करता हूà¤. मैंने यंहा पर अपनी अलग यातà¥à¤°à¤¾à¤“ के चितà¥à¤° और अनà¥à¤à¤µ डालने कि कोशिस कि हैं. फोटो पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ कैमरे से लिठगठहैं. और उनको सà¥à¤•ैन करके डाला हैं. हम लोग कटरा से सà¥à¤¬à¤¹ के समय ही शिवखोड़ी के लिठनिकल जाते हैं. सà¥à¤¬à¤¹ से ही बारिश चल रही थी. à¤à¤• बार तो कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® निरसà¥à¤¤ à¤à¥€ कर दिया था. पर फिर à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा का नाम लेकर चल पड़े. रासà¥à¤¤à¥‡ में चिनाब नदी पड़ती हैं. जिसे हिमाचल में चंदà¥à¤° à¤à¤¾à¤—ा बोलते हैं. बारिश के कारण नदी पूरे उफान पर थी.

चिनाब (चंदà¥à¤° – à¤à¤¾à¤—ा ) नदी का उफनता हà¥à¤† जल
पहाडो के ऊपर बादल
रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर नाशà¥à¤¤à¥‡ के लिठरà¥à¤• जाते हैं. हलवाई कि दà¥à¤•ान पर गरमागरम छोले à¤à¤Ÿà¥‚रे बन रहे थे. बस कà¥à¤¯à¤¾ था हमारे जैन साहब का हलवाई पन  जाग उठा और लगे à¤à¤Ÿà¥‚रे तलने. अचà¥à¤›à¥€ तरह से पेट पूजा करने के बाद आगे कि यातà¥à¤°à¤¾ पर निकल पड़ते हैं.
हमारे जैन साहब à¤à¤Ÿà¥‚रे तलते हà¥à¤
कà¥à¤› शिवखोड़ी के बारे में
शिवखोड़ी गà¥à¤«à¤¼à¤¾ जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° राजà¥à¤¯ के रियासी  ज़िले’ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह à¤à¤—वान शिव के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पूजà¥à¤¯à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। यह पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¼à¤¾ 150 मीटर लंबी है। शिवखोड़ी गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤—वान शंकर का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर पवितà¥à¤° जल की धारा सदैव गिरती रहती है। यह à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक गà¥à¤«à¤¼à¤¾ है। इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के अंदर अनेक देवी -देवताओं की मनमोहक आकृतियां है। इन आकृतियों को देखने से दिवà¥à¤¯ आननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। शिवखोड़ी गà¥à¤«à¤¼à¤¾ को हिंदू देवी-देवताओं के घर के रूप में à¤à¥€ जाना जाता है।
पहाड़ी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में गà¥à¤«à¤¼à¤¾ को ‘खोड़ी’ कहते है। इस पà¥à¤°à¤•ार पहाड़ी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में ‘शिवखोड़ी’ का अरà¥à¤¥ होता है- à¤à¤—वान शिव की गà¥à¤«à¤¼à¤¾à¥¤
शिवखोड़ी तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² हरी-à¤à¤°à¥€ पहाड़ियों के मधà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह रनसू से 3.5 किमी. की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। रनसू शिवखोड़ी का बेस कैमà¥à¤ª है। यहाठसे पैदल यातà¥à¤°à¤¾ कर आप वहाठतक पहà¥à¤‚च सकते हैं। रनसू तहसील रियासी  में आता है, जो कटरा से 80 कि.मी. की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। कटरा वैषà¥à¤£à¥‹ देवी की यातà¥à¤°à¤¾ का बेस कैमà¥à¤ª है। जमà¥à¤®à¥‚ से यह 110 कि.मी. की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। जमà¥à¤®à¥‚ से बस या कार के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रनसू तक पहà¥à¤à¤š सकते है। वैषà¥à¤£à¥‹ देवी से आने वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठजमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° टूरिज़à¥à¤® विà¤à¤¾à¤— की ओर से बस सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराई जाती है। कटरा से रनसू तक के लिठहलà¥à¤•े वाहन à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं। रनसू गाà¤à¤µ रियासी-राजौरी मारà¥à¤— से 6 कि.मी. की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है।
जमà¥à¤®à¥‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ का आंनद उठाकर शिवखोड़ी तक जा सकते है। जमà¥à¤®à¥‚ से शिवखोड़ी जाने के रासà¥à¤¤à¥‡ में काफ़ी सारे मनोहारी दृशà¥à¤¯ मिलते हैं, जो कि यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का मन मोह लेते है। कलकल करते à¤à¤°à¤¨à¥‡, पहाड़ी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ आदि परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को अपनी ओर आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करते हैं।
इतिहास
पौराणिक धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थों में à¤à¥€ इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के बारे में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ को खोजने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ à¤à¤•  गड़रिये को जाता है। यह गड़रिया अपनी खोई हà¥à¤ˆ बकरी खोजते हà¥à¤ इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ तक पहà¥à¤à¤š गया। जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾à¤µà¤¶ वह गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के अंदर चला गया, जहाठउसने शिवलिंग को देखा। धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤‚थों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वान शंकर इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में योग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में बैठे हà¥à¤ हैं। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° अनà¥à¤¯ देवी-देवताओं की आकृति à¤à¥€ मौजूद हैं।
गà¥à¤«à¤¼à¤¾ का आकार
गà¥à¤«à¤¼à¤¾ का आकार à¤à¤—वान शंकर के डमरू के आकार का है। जिस तरह से डमरू दोनों तरफ से बड़ा होता है और बीच में से छोटा होता है, उसी पà¥à¤°à¤•ार गà¥à¤«à¤¼à¤¾ à¤à¥€ दोनों तरफ़ से बड़ी है और बीच में छोटी है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ 100 मी. चौड़ा है। परंतॠअंदर की ओर बढ़ने पर यह संकीरà¥à¤£ होता जाता है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ अपने अनà¥à¤¦à¤° काफ़ी सारे पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ दृशà¥à¤¯ समेटे हà¥à¤ है।
गà¥à¤«à¤¼à¤¾ का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ काफ़ी बड़ा है। यह 20 फीट चौड़ा और 22 फीट ऊà¤à¤šà¤¾ है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर शेषनाग की आकृति के दरà¥à¤¶à¤¨ होते है। अमरनाथ गà¥à¤«à¤¾ के समान शिवखोड़ी गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में à¤à¥€ कबूतर दिख जाते हैं। संकीरà¥à¤£ रासà¥à¤¤à¥‡ से होकर यातà¥à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं। गà¥à¤«à¤¾ के मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤—वान शंकर का 4 फीट ऊà¤à¤šà¤¾ शिवलिंग है। इसके ठीक ऊपर गाय के चार थन बने हà¥à¤ हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कामधेनॠके थन कहा जाता है। इनमें से निरंतर जल गिरता रहता है।
शिवलिंग के बाईं ओर माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की आकृति है। यह आकृति धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में है। माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ की मूरà¥à¤¤à¤¿ के साथ ही में गौरी कà¥à¤£à¥à¤¡ है, जो हमेशा पवितà¥à¤° जल से à¤à¤°à¤¾ रहता है। शिवलिंग के बाईं ओर ही à¤à¤—वान कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय की आकृति à¤à¥€ साफ़ दिखाई देती है। कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के ऊपर à¤à¤—वान गणेश की पंचमà¥à¤–ी आकृति है। शिवलिंग के पास ही में राम दरबार है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° ही हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के 33 करोड़ देवी-देवताओं की आकृति बनी हà¥à¤ˆ है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के ऊपर की ओर छहमà¥à¤–ी शेषनाग, तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल आदि की आकृति साफ़ दिखाई देती है। साथ-ही-साथ सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° की गोल आकृति à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई देती है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के दूसरे हिसà¥à¤¸à¥‡ में महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€, महाकाली, सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ के पिणà¥à¤¡à¥€ रूप में दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं।
सावधानियाà¤
रनसू से शिवखोड़ी जाते समय यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को रेनकोट, टॉरà¥à¤š आदि अपने पास रखने चाहिà¤à¥¤ ये चीज़ें यहाठकिराठपर à¤à¥€ मिल जाती हैं। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यहाठसे जब शिवखोड़ी के लिठआगे बढ़ते हैं, तो रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• नदी पड़ती है। नदी का जल दूध जैसा सफेद होने की वजह से इसे दूध गंगा à¤à¥€ कहते हैं। शिवखोड़ी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही सामने à¤à¤• गà¥à¤«à¤¼à¤¾ दिखाई देती है। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने के लिठलगà¤à¤— 60 सीढ़ियाठचढ़नी पड़ती हैं। गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही लोगों के मà¥à¤– से अनायास ‘जय हो बाबा à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥’-यह उदà¥à¤˜à¥‹à¤· निकलता है।
पौराणिक कथाà¤à¤
à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° की कथा
इस गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के संबंध में अनेक कथाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हैं। इन कथाओं में à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° से संबंधित कथा सबसे अधिक पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° असà¥à¤° जाति का था। उसने à¤à¤—वान शंकर की घोर तपसà¥à¤¯à¤¾ की थी, जिससे पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर à¤à¤—वान शंकर ने उसे वरदान दिया था कि वह जिस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सिर पर हाथ रखेगा, वह à¤à¤¸à¥à¤® हो जाà¤à¤—ा। वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के बाद वह ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करने लगा। उसका अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° इतना बढ़ गया था कि देवता à¤à¥€ उससे डरने लगे थे। देवता उसे मारने का उपाय ढूà¤à¤¢à¤¼à¤¨à¥‡ लगे। इसी उपाय के अंतरà¥à¤—त नारद मà¥à¤¨à¤¿ ने उसे देवी पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का अपहरण करने के लिठपà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। नारद मà¥à¤¨à¤¿ ने à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° से कहा, वह तो अति बलवान है। इसलिठउसके पास तो पारà¥à¤µà¤¤à¥€ जैसी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€ होनी चाहिà¤, जो कि अति सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° है। à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° के मन में लालच आ गया और वह पारà¥à¤µà¤¤à¥€ को पाने की इचà¥à¤›à¤¾ से à¤à¤—वान शंकर के पीछे à¤à¤¾à¤—ा। शंकर ने उसे अपने पीछे आता देखा तो वह पारà¥à¤µà¤¤à¥€ और नंदी को साथ में लेकर à¤à¤¾à¤—े और फिर शिवखोड़ी के पास आकर रूक गà¤à¥¤ यहाठà¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° और à¤à¤—वान शंकर के बीच में यà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहो गया। यहाठपर यà¥à¤¦à¥à¤§ होने के कारण ही इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम रनसू पड़ा। रन का मतलब ‘यà¥à¤¦à¥à¤§’ और सू का मतलब ‘à¤à¥‚मि’ होता है। इसी कारण इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को ‘रनसू’ कहा जाता है। रनसू शिवखोड़ी यातà¥à¤°à¤¾ का बेस कैमà¥à¤ª है। अपने ही दिठहà¥à¤ वरदान के कारण वह उसे नहीं मार सकते थे। à¤à¤—वान शंकर ने अपने तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल से शिवखोड़ी का निमारà¥à¤£ किया। शंकर à¤à¤—वान ने माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के साथ गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया और योग साधना में बैठगये। इसके बाद à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने पारà¥à¤µà¤¤à¥€ का रूप धारण किया और à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° के साथ नृतà¥à¤¯ करने लगे। नृतà¥à¤¯ के दौरान ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने सिर पर हाथ रखा, उसी पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¸à¥à¤° ने à¤à¥€ अपने सिर पर हाथ रखा, जिस कारण वह à¤à¤¸à¥à¤® हो गया। इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ ने कामधेनॠकी मदद से गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया फिर सà¤à¥€ देवी-देवताओं ने वहाठà¤à¤—वान शंकर की अराधना की। इसी समय à¤à¤—वान शंकर ने कहा कि आज से यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ‘शिवखोड़ी’ के नाम से जाना जायेगा।
पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°
महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ का पावन परà¥à¤µ, जो कि à¤à¤—वान शिव को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, शिवखोडी में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हर वरà¥à¤· यहाठपर तीन दिन के मेले का आयोजन किया जाता है। कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹ से यहाठपर आने वाले शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ में काफ़ी वृदà¥à¤§à¤¿ हà¥à¤ˆ है। अलग-अलग राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से आकर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यहाठपर à¤à¤—वान शिव का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। शिवरातà¥à¤°à¤¿ का तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° फरवरी के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ या मारà¥à¤š के पà¥à¤°à¤¥à¤® सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में मनाया जाता है।
शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गये कारà¥à¤¯
शिव रातà¥à¤°à¤¿ मेले में तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ की संखà¥à¤¯à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ को देखते हà¥à¤ यहां पर à¤à¤• शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ का गठन किया गया है। शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यहां पर तीथयातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठके विशेष पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध किये गठहैं। पैदल यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कोई परशानी न हो इसके लिठजगह-जगह पीने के पानी की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की गई है। यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के विशà¥à¤°à¤¾à¤® के लिठरासà¥à¤¤à¥‡ मे जगह-जगह पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® सà¥à¤¥à¤² बनाà¤à¤‚ गठहै। पैदल यातà¥à¤°à¤¾ को सà¥à¤—म और आरामदायक बनाने के लिठ3 कि. मी. के पैदल मारà¥à¤— में टाइल लगाया गया है।
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रनसू गांव बस यातà¥à¤°à¤¾ का अनà¥à¤¤à¤¿à¤® पड़ाव है। इसके बाद यहां से 3 कि. मी. की पैदल यातà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚मà¥à¤ हो जाती है। रनसू में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के ठहरने की उचित वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है। शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ ने यहां पर सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ संबंधी सेवाये मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराई है। रनसू में यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठघोड़े व पालकी की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ हैं। शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गà¥à¤«à¤¾ के अनà¥à¤¦à¤° रोशनी का पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध किया गया है। गà¥à¤«à¤¾ के बाहर यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के लिठशौचालय, पीने के पानी आदि का à¤à¥€ उचित पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध किया गया है। बारिश से बचाव के लिठयातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— में जगह-जगह पर टिन सेड लगाये गये हैं। रोशनी के लिठपूरे मारà¥à¤— में लैमà¥à¤ª लगाये गये हैं। जनरेटर आदि की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ की गई है। यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ के सामान रखने के लिठकà¥à¤²à¥‰à¤• रूम बनाये गठहैं। रनसू गांव कटरा, जमà¥à¤®à¥‚, उघमपà¥à¤° से सड़क मारà¥à¤— से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° टूरिजम विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यहां तक आने के लिठबस सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ à¤à¥€ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ करायी जाती हैं।
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रनसू गांव, रयसी-राजौरी रोड़ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। रनसू गांव शिव खोड़ी का बेस कैमà¥à¤ª है। यह वैषà¥à¤£à¥‹ देवी कटरा से à¤à¥€ सड़क मारà¥à¤— से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है। वैषà¥à¤£à¥‹ देवी के लिठलगà¤à¤— सà¤à¥€ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से बस सेवा है। आप यहां से 80 कि.मी. की दूरी तय कर शिव खोड़ी तक पहà¥à¤‚च सकते है। कटरा तक जाने के लिठकाफी बसें उपलबà¥à¤§ है। जमà¥à¤®à¥‚ -कशà¥à¤®à¥€à¤° टूरिजà¥à¤® विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ शिव खोड़ी धाम के लिठबस सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कराई जाती है। टैकà¥à¤¸à¥€ और हलà¥à¤•े वाहनो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ यहां तक पहà¥à¤‚चा जा सकता है। कटरा उधमपà¥à¤° और जमà¥à¤®à¥‚ से यातà¥à¤°à¥€ बस, कार, टैमà¥à¤ªà¥‚ और वैन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिव खोड़ी तक पहà¥à¤‚च सकते हैं।
ठहरने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾
शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की संखà¥à¤¯à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ को देखते हà¥à¤ जमà¥à¤®à¥‚-कशà¥à¤®à¥€à¤° टूरिजà¥à¤® विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यातà¥à¤°à¥€ निवास की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की गई है। ये यातà¥à¤°à¥€ निवास रनसू गांव में है। रनसू शिव खोड़ी का बेस कैमà¥à¤ª है। यहां पर काफी संखà¥à¤¯à¤¾ में निजी होटल à¤à¥€ हैं। यहां पर आपको सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¯à¥‡ मिल जायेगी।
(साà¤à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ डिसà¥à¤•वरी)
शिवखोड़ी पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ में हमें करीब २- ढाई घंटे लगते हैं. अपनी गाड़ी को पारà¥à¤• करके, और खाने का ऑरà¥à¤¡à¤° देकर के, जी हाठखाने का, यंहा पर खाने का आरà¥à¤¡à¤° पहले देकर के ऊपर चढाई शà¥à¤°à¥‚ करनी पड़ती हैं. जितने लोग होते हैं. उतना ही वे लोग खाना बनाते हैं. यंहा का राजमा, चावल, और देशी घी कि रोटी मशहूर हैं. और खाना बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ बनता हैं.
महादेव कि गà¥à¤«à¤¾ का मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° (चितà¥à¤° साà¤à¤¾à¤°  : à¤à¤¾à¤°à¤¤ डिसà¥à¤•वरी)
करीब पांच किलोमीटर कि चढाई चढ़ने के बाद हम लोग गà¥à¤«à¤¾ तक पहà¥à¤à¤š जाते हैं. अंदर दरà¥à¤¶à¤¨ करने जाने के लिठमोबाइल, कैमरा, चमड़े का सामान सब बाहर रख कर जाना पड़ता हैं. यंहा पर à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ और हैं. कोई à¤à¥€ कà¥à¤²à¥‹à¤• रूम आदि नहीं हैं. कà¥à¤› लोग को बाहर छोड़कर सामान उनके हवाले कर के जाना पड़ता हैं.

शिवलिंगम (साà¤à¤¾à¤° : लाइवइंडिया.कॉम)
गà¥à¤«à¤¾ में à¤à¥€ CRPF सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ हैं. पहले केवल à¤à¤• ही गà¥à¤«à¤¾ हà¥à¤† करती थी. पर जाने और आने के लिठअब अलग अलग हैं. बरसात होने के कारण गà¥à¤«à¤¾ के अंदर à¤à¥€ पानी à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था. बचà¥à¤šà¥‹ को गोदी में लेकर निकलना पड़ा. और à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर तो करीब साढ़े चार फीट पानी था. मà¥à¤–à¥à¤¯ मंडप में पहà¥à¤‚चकर à¤à¥‹à¤²à¥‡ नाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ करके हम लोग दूसरी और से बाहर निकल आते हैं.
गà¥à¤«à¤¾ का चितà¥à¤° दूर से

शिव खोडी कि पैदल चढाई
ये चितà¥à¤° मेरी अलग यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं के हैं. और काफी पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ हैं. à¤à¤• बार पैदल यातà¥à¤°à¤¾ करते हà¥à¤ और à¤à¤• बार तबियत खराब होने के कारण घोड़े पर. जिसमे मैं घोड़े से गिर à¤à¥€ पड़ा था और बहà¥à¤¤ चोट आयी थी.

बचà¥à¤šà¥‹ के साथ गà¥à¤«à¤¾ के सामने

दूध गंगा
शिव खोडी कि गà¥à¤«à¤¾ के पास से ही दूध गंगा कि पवितà¥à¤° धारा निकलती हैं. मैं घोड़े सहित इस कि धारा में गिर गया था. उस समय पà¥à¤² नहीं बना था. और इसकी अंदर से होकर जाना पड़ता था. बारिश के कारण बहाव बहà¥à¤¤ तेज था.

घोड़े पर बचà¥à¤šà¥‹ के साथ

इसी घोड़े ने मà¥à¤à¥‡ पटक दिया था

इशांक बाबू गà¥à¤«à¤¾ के बाहर

गà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ का सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤²

थोड़ी देर के लिठधूप निकल गयी

सनी, तरॠअब दोनों इंजिनियर हैं, साथ में संजय à¤à¤¾à¤ˆ

संदीप जाट बचà¥à¤šà¥‹ के साथ
जी हाठहमारे चरथावल में à¤à¥€ हमारे à¤à¤• दोसà¥à¤¤ हैं जिनका नाम संदीप हैं, पà¥à¤¯à¤¾à¤° से हम लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचपन से ही संदीप जाट बोलते हैं.

सामान आदि रखने के लिठशेड

शिव खोडी में साधू बाबा

सà¤à¥€ लोग à¤à¤• साथ बैठकर खाना खाते हà¥à¤

सपरिवार à¤à¥‹à¤œà¤¨ का आनंद

शिव खोड़ी में वह होटल जंहा हमने खाना खाया था

धान के खेत
यंहा का धान और राजमा बहà¥à¤¤ मशहूर हैं. दूर तक फैली हà¥à¤ˆ घाटी में धान और राजमा की फसल होती हैं.

खेतों में खड़े हà¥à¤ नाक साफ़ करते हà¥à¤ ये कौन
मेरी तबियत बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ तरह से खराब थी बस किसी तरह से खड़ा हो पा रहा था मै.

धान के खेत में बचà¥à¤šà¥‡

दोनों à¤à¤¾à¤ˆ बहन
à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ करके, नीचे रनà¥à¤¸à¥‚ में आकर के à¤à¥‹à¤œà¤¨ करके तृपà¥à¤¤ हà¥à¤ और जमà¥à¤®à¥‚ की और चल दिà¤. बारिश और आंधी तूफ़ान बहà¥à¤¤ तेज था. पहाड़ के à¤à¤• मोड पर हमारी बस कि टकà¥à¤•र à¤à¤• टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° टà¥à¤°à¤¾à¤²à¥€ से हो गयी. वह टकà¥à¤•र लगते ही पलट गयी. बस पीछे की  और खिसकने लगी. पीछे सैकड़ों फीट गहरी खाई थी. चालक ने किसी तरह से बस को समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¾. हम लोगो कि सांस में सांस  आयी. सकà¥à¤¶à¤² जमà¥à¤®à¥‚ पहà¥à¤‚चकर ही शानà¥à¤¤à¤¿ मिली. ये तो à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा कि कृपा थी जो हम लोग सकà¥à¤¶à¤² लौट गà¤. रात को जमà¥à¤®à¥‚ रूककर, अगले दिन जमà¥à¤®à¥‚ घूमकर हम लोग मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र लौट गà¤. जमà¥à¤®à¥‚ के बारे में मैं अपनी पिछली पोसà¥à¤Ÿ में वरà¥à¤£à¤¨ कर चà¥à¤•ा हूà¤.
जय माता कि, वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®.
very informative post , helpful for the follow Ghumakkars !!!
महेश जी धन्यवाद बहुत बहुत…वन्देमातरम…
प्रवीण जी,
आपने शिवखोड़ी का इतिहास और भूगोल सब कुछ यहाँ प्रस्तुत कर दिया, इस भरपूर जानकारी के लिए धन्यवाद।
गुप्ता जी , सराहना के लिए धन्यवाद…
प्रवीण जी…..जय भोले की…!
अपनी वैष्णो देवी यात्रा के दौरान कई साल पहले शिवखोडी जा चुका हूँ…| एक बार फिर आपका लेख पढ़कर वोही जाने का अहसास हो गया ….| सुन्दर फोटो और लेख के लिए धन्यवाद….वंदेमातरम
रितेश जी राम राम, धन्यवाद, वन्देमातरम..
à¤à¤• सà¥à¤§à¤¾à¤° कीजिये अपनी लेख में –
बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ल लिखा है, बहà¥à¤¤ सी जानकारी मिली उसी के साथ à¤à¤• बहà¥à¤¤ ग़लत जानकारी आप दे रहे वो यह – कि 33 करोड़ देवी देवता नहीं हैं मातà¥à¤° 33 तरह के देवी देवता हैं। हम बोलते हैं 33 कोटि देवी देवता और संसà¥à¤•ृत में कोटि का मतलब तरह/पà¥à¤°à¤•ार होता है(à¤à¤• शबà¥à¤¦ के कई अरà¥à¤¥ हो सकते हैं पर यहां तरह/पà¥à¤°à¤•ार है) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ 33 तरह के देवी देवता हैं न कि 33 करोड़ अब शिव ही जाने उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कौन कौन 33 करोड़ देवी देवता दिखा दिया आपको खोड़ी/गà¥à¥žà¤¾ में – शिव की लीला शिव ही जाने…ॠनमः शिवाय
धन्यवाद प्रवीण जी ।
I think this is FOG since I do not remember reading about this place here. I guess Jammu is leading on ensuring that pilgrims get a good service. It is heartening to read that there is now a ‘Shrine Board’ to take care of visitors. I hope that other places of worship, specially the ones which attract a lot of visitors learn from this.
नंदन जी धन्यवाद..
Dear Praveen,
Very detailed and interesting post about little known Shiv Khodi.
Yes kids would have grown up by now. That reminds me to scan my hard photos also.
Thanks for sharing!
निर्देश जी धन्यवाद…
Mai an maa k darwar me phli war ja RHA aapke lekh she but prb solve ho jaygi
Mere pass 6 day ka time h darsan 3 din me ho jayge for mai yaha she air kaha kaha ghum sakta hu..plz shivkhodi jajjar k alawa ….kya srinager Maya ja Sakta ha
Resp. Sir, good morning… First of all i would like to very very very thanks to you, that you made me provide this great information as i wanted to know any how today only. Sir, by god i am very big fan to you now. Aapne har cheej itne acchi se batai hai ki koi bhi person waha jake problem nahi mahsoos karega. Sir, main bhi apni family ke sath mata rani ke darshan ko jaa raha hu but mijhe waha ke bare me kuch ni pata tha, but sirf apki wajha se abb mujhe bahut accha feel ho raha hai. Ki me waha pe aram se jaa sakta hu. Wakai me me bahut paresan tha ki darshan kese honge etc. ? But thank you so much sir. sir. If you dont mind , pls give me your mobile no. I wanted to ask you something more about that place.