हम लोग चरण पादुका से आगे बढे ही थे की मौसम खराब होना शुरू हो गया था. यंहा तक हम पसीने में तर थे और थक कर चूर थे, क्योंकि गर्मी बहुत थी. बादल छाने से ठंडी हवाए चलनी शुरू हो गयी थी. ठंडी हवा चलने से पसीने सूख गए थे, और अब थकान भी महसूस नहीं हो रही थी. माता की यात्रा के पुरे रास्ते में खाने पीने की अच्छी सुविधाए है. और ये सुविधाए श्राइन बोर्ड के द्वारा प्रदान की जाती हैं. ऐसे ही एक हट में बैठ कर चाय और स्नैक्स का आनंद लिया. इसी बीच थोदा सा बूंदा बांदी भी शुरू हो गयी थी. ऐसे समय ही ये नीचे वाला फोटो लिया था. ऊपर काले बादल, नीचे कटरा नगर में धूप खिली हुई थी.
नीचे कटरा नगर ऊपर काले बादल
बारिश रुकने के बाद थोड़ा आगे चले ही थे की एक अजब नज़ारा देखा, एक वानर महोदय फ्रूटी का आनंद उठा रहे थे. ज़नाब कहने लगे मेरा भी क्या कसूर हैं, एक फोटो मेरा भी ले लो.
बन्दर महाशय फ्रूटी का आनंद लेते हुए
थक कर बैठ गए
धीरे धीरे चलते हुए, रुकते हुए, बैठते हुए, हम लोग उस दो राहे पर आ गए थे, जंहा से एक रास्ता अर्ध कुंवारी की और जाता हैं. और बांये से एक रास्ता नीचे की और से माता के भवन की और जाता हैं. अर्ध कुंवारी की और से माता के भवन पर जाने के लिए हाथी मत्था की कठिन चढाई चढनी पड़ती हैं. और इधर से दूरी करीब साढ़े छह किलो मीटर पड़ती हैं. जबकि नीचे वाले रास्ते से चढाई बहुत कम पड़ती हैं. और इधर से माता के भवन की दूरी करीब पांच किलो मीटर पड़ती हैं. अर्ध कुंवारी माता के भवन की यात्रा में ठीक मध्य में पड़ता हैं. यंहा पर माता का एक मंदिर, गर्भ जून गुफा, और बहुत से रेस्टोरेंट, भोजनालय, डोर मेट्री आदि बने हुए हैं. यंहा पर यात्री गण थोड़ी देर विश्राम करके, गर्भ जून की गुफा, व माता के दर्शन करते हैं, फिर आगे की यात्रा करते हैं. पर हम लोग नीचे के रास्ते से जाते हैं, और वापिस आते हुए माता के दर्शन करते हैं. ये कंहा जाता हैं की माता वैष्णो देवी इस गुफा में नो महीने रही थी, और गुफा के द्वार पर हनुमान जी पहरा देते रहे थे. भैरो नाथ माता को ढूँढता घूम रहा था, और माता इस गुफा से निकल कर आगे बढ़ गयी थी.
हम लोग नीचे वाले रास्ते से आगे बढ़ गए थे. मौसम फिर से खराब होना शुरू हो गया था. माता के भवन की यात्रा के मार्ग में थोड़ी थोड़ी दूर पर टिन शेड बने हुए हैं. जिनमे मौसम खराब होने पर व बारिस होने पर रुक सकते हैं. बारिश होने से हम लोग भी एक टिन शेड में रुक गए थे.
ऊपर थोड़े से बादल थे, जिनमे से भगवान सूर्य झाँकने की कोशिश कर रहे थे. और बारिश जारी थी , बारिश हलकी होने के बाद भी मौसम में कोहरा छाया हुआ था. बहुत से लोग अपनी पोलीथीन की बनी हुई बरसाती ओढकर यात्रा के लिए आगे बढ़ने शुरू हो गए थे. बहुत ही प्यारा और खूबसूरत मौसम हो गया था.
इसी समय कोई यात्री जो दर्शन करके ऊपर से आ रहे थे, उनका प्रसाद का थैला और माता की चुनरी बन्दर छीन कर एक हट के ऊपर चढ गया था. और वो लोग उससे अपना सामान वापस लाने का प्रयास कर रहे थे. यात्रियों को एक बात ध्यान रखनी चाहिए की अपना प्रसाद वगैरा किसी थैले के अंदर रखना चाहिए, क्योंकि मार्ग में बन्दर और लंगूर बहुत अधिक मिलते हैं, जो की यात्रियों से प्रसाद आदि झपट्टा मार कर छीन लेते हैं.
बन्दर महाशय प्रसाद का आनंद लेते हुए
थोड़ी देर बाद ही हम लोग हिम कोटी पहुँच जाते हैं, यंहा पर दूर दूर तक कोहरा छाया हुआ था. और ठंडी हवाए चल रही थी. यंहा पर श्राइन बोर्ड के भोजनालय में चाय, साम्भर बड़ा, डोसा आदि मिल जाता हैं. जो कि बहुत ही स्वादिष्ट होता हैं. जिनके रेट भी वाजिब हैं.
हिम कोटी से आगे निकलते ही मौसम खुलना शुरू हो जाता हैं. भगवान सूर्य देव कि खिली हुई सुनहरी धूप से दिल खुश हो जाता हैं.
भगवान सूर्य की बादलों से आँख मिचोली
पर्वतो के ऊपर बादल, उनके ऊपर भगवान सूर्य
नीचे पर्वत, बीच में बादल, ऊपर पर्वत
माता के भवन को जाने वाला मार्ग
ये फोटो में ऊपर वाला रास्ता सांझी छत से माता के भवन की और जाता हैं. नीचे वाला रास्ता हिम कोटी से माता के भवन की और जाता हैं.
तीर्थ यात्रियों के रुकने के लिए बने शेड्स
देवी द्वार
यह प्राकृतिक रूप से बना हुआ एक द्वार हैं, जिसे देवी द्वार कहा जाता हैं. इस द्वार के दोनों और चट्टानें व बीच में जाने के लिए मार्ग हैं. सूर्यास्त होना शुरू हो चुका हैं. मौसम भी खुलकर बिलकुल साफ़ हो चुका था.
भगवान सूर्य अस्त होते हुए
सूर्यास्त होने के बाद
मित्रों मैंने इस पोस्ट में माता वैष्णो देवी की यात्रा के मार्ग में मौसम के बदलते हुए रंग, और प्राकृतिक छटा को दिखाने का प्रयास किया हैं. इसे शब्दों में कम बल्कि चित्रों के द्वारा ज्यादा दिखाने की कोशिस की हैं. उम्मीद हैं की मेरा ये प्रयास आपको अच्छा लगे. क्योंकि कई बार शब्द वो सन्देश नहीं दे पाते हैं, जो की चित्रों के द्वारा मिल जाता हैं. थोड़ी ही आगे बढ़ने पर हमें दूर से माता के भवन के दर्शन हो जाते हैं. दिन छिपता हुआ हैं, और माता का भवन प्रकाश मय हो चुका हैं.
शाम के समय दूर से माता का भवन
माता के भवन को दूर से देखरे ही माता के जयकारे गूंजने लगते हैं. पैरों की चलने की गति भी बढ़ जाती हैं. माता का द्वार नजदीक लगने लगता हैं. पर जंहा से मैंने ये फोटो लिया था वंहा से अभी माता का द्वार करीब दो किलो मीटर पड़ता हैं. मित्रों माता के भवन नजदीक आने पर सबसे पहले प्रसाद का काउंटर आता हैं. ये काउंटर श्राइन बोर्ड के द्वारा स्थापित किया हुए हैं. यंहा से आपको वाजिब रेट पर प्रसाद मिल जाता हैं. प्रसाद में नारियल आदि होता हैं, जो की एक थैले में होता हैं. प्रसाद काउंटर के ठीक सामने ही पार्वती भवन हैं, जो की अभी बन रहा हैं, इसमें ५०० बिस्तर की डोरमेट्री बनायी जायेगी. अभी फिलहाल इसमें क्लोक रूम काम कर रहा है, जिनमे आप लोग मुफ्त में अपना सामान आदि रख कर ताला बंद कर सकते हो. पार्वती भवन से थोडा आगे ही मनोकामना भवन आता हैं. मनोकामना भवन में ही हमने अपने बेड बुक करा रखे थे. मनो कामना भवन में अंदर जा कर के हमने अपनी एंट्री कराई. और अपने बैड पर पहुंचकर एक घंटा आराम किया. उसके बाद नहाने के लिए बाथ रूम की और प्रस्थान किया. बाथ रूम में गरम पानी के गीज़र लगे हुए है. गरम पानी में नहा कर के सारी थकान उतर जाती हैं. उसके बाद तैयार होकर के दर्शनों के लिए चल दिए. यंहा पर एक बात का ध्यान रखना चाहिए की दर्शन के लिए यदि आप लोग आरती के समय लाइन में लगते हो तो बहुत लंबी लाइन और धक्का मुक्की मिलती हैं, समय भी २-३ घंटे कम से कम लग जाते हैं. हम लोग रात दस बजे दर्शन के लिए पहुंचे तो हमें कोई भी लाइन नहीं मिली, थोड़ी बहुत माता की गुफा के बाहर जाकर के मिली, परन्तु १०-१५ मिनट में हमें दर्शन हो जाते है. बोलो सच्चे दरबार की जय…
इसी मनोकामना यात्री निवास में हम लोग हमेशा रुकते हैं. इसमें नीचे खाने पीने के लिए भोजनालय बना हुआ हैं, और ऊपर ४-५ मंजिलो में डोरमेट्री और कमरे बने हुए हैं. कुछ रूपये ज़मा कराकर के अच्छे कम्बल मिल जाते हैं. अच्छे बैड पड़े हुए हैं. और गरम पानी में नहाने की सुविधा उपलब्ध हैं. यंहा की बुकिंग इन्टरनेट से होती हैं. करेंट बुकिंग भी मिल जाती हैं, यदि स्थान खाली हो तो. इन्टरनेट की बुकिंग का लिंक में नीचे दे रहा हूँ.
Beautiful blog, Praveen bhai. Very descriptive and the pictures are spectacular. Thanks.
Narayan Ji Jai Mata Ki, Thankyou Very much.
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very informative post !
Mahesh Ji Thank you…
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Hi Praveen,
Very informative post. Will use the knowledge in my next trip to Vaishno Devi.
Nirdesh
Thank You, Nirdesh ji…..
Nice post …Beautifulllllllllllll pics…Just awesome
Thanking You Abhee Ji… jai mata ki…
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very good
very nice pic. jai mata ki –ratte raho jai mata ki–cont–
Praveen Gupta jee,
jai mata di, aap ke sunder chitra dekh kar mann prasana ho gaya, sarahna karne ke liye mere pass shabda nahi hain, ek prathna hai aap se ki itne sunder aur pyare mausam ko, mausam kharab mat likha kijiye, aise mausam to prakrati ka vardan hai hum logon ke liye..
Dhanyavad, Jai Mata Di
Ajay Gupta
Lajpat Nagar, Sahibabad
Ghaziabad (U.P.)
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