इस शà¥à¤°à¤‚खला के पिछले à¤à¤¾à¤— में मैंने आपको जानकारी दी थी की किस तरह से हम महेशà¥à¤µà¤° में अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट पर कà¥à¤› देर रूककर नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में बोटिंग के लिठगठतथा जलसà¥à¤¤à¤° अधिक होने के कारण नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के बीच टापू पर बने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° शिव मंदिर में दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं कर पाà¤. नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ माठका रौदà¥à¤° रूप देखा था उस दिन हमने, माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की बड़ी बड़ी लहरों की वजह से हमारी नाव बà¥à¤°à¥€ तरह से हिचकोले खा रही थी तथा हमें डर लग रहा था लेकिन नाव चालक ने हमें आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया की हमें सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ किनारे तक ले जाने की उसकी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ है और फिर हम सारी चिंता, डर छोड़कर बोटिंग का आनंद लेने लगे. पिछले à¤à¤¾à¤— में मैंने माठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ का परिचय देने का à¤à¥€ à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया था………………..अब आगे.

किले में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶Â से पहले (ऊपर दिखाई देता राज राजेशà¥à¤µà¤° मंदिर का शिखर)

किले का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° - कोई टूट फà¥à¤Ÿ नहीं, कोई कà¥à¤·à¤°à¤£ नहीं आज à¤à¥€ बिलकà¥à¤² नया दिखाई देता है.

कहते हैं की देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई ने अपने à¤à¤•मातà¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° मालिराव को उनके ख़राब आचरण से परेशान होकर हाथियों के पैरों में कà¥à¤šà¤²à¤µà¤¾ दिया था – इसी जन शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ को दरà¥à¤¶à¤¾ रहा यह शिलà¥à¤ª

पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨Â राज राजेशà¥à¤µà¤° मंदिर जिसमें देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥€à¤¨ पूजा करती थीं.

किले के अनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तथा नकà¥à¤•ाशी

राज राजेशà¥à¤µà¤° मंदिर तथा दायें हाथ पर रेवा सोसाइटी की और जानेवाली सीढियाà¤
राज राजेशà¥à¤µà¤° मंदिर के बाद किले में और अनà¥à¤¦à¤° जाने पर रेवा सोसाइटी (महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ी के हसà¥à¤¤à¤¶à¤¿à¤²à¥à¤ª के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तथा विपणन के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° संसà¥à¤¥à¤¾) का ऑफिस तथा थोड़े अनà¥à¤¦à¤° की ओर à¤à¤• कारà¥à¤¯ शाला सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है जहाठमहेशà¥à¤µà¤°à¥€ हसà¥à¤¤à¤¶à¤¿à¤²à¥à¤ª में पारंगत महिलाà¤à¤‚ रेवा सोसाइटी के अधीन महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियों तथा कपडे का हाथ करघों (हैणà¥à¤¡ लूमà¥à¤¸) की सहायता से निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करती हैं. उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है की यहाठपर निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठदेशà¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हैं.
महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठ-Â
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की राजधानी बनने के बाद महेशà¥à¤µà¤° ने विकास के कई अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ देखे. à¤à¤• छोटे से गाà¤à¤µ से इंदौर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ की राजधानी बनने के बाद अब महेशà¥à¤µà¤° को बड़ी तेजी से विकसित किया जा रहा था. सामाजिक, धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• तथा सांसà¥à¤•ृतिक विकास के साथ ही साथ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई ने अपनी राजधानी को औदà¥à¤¯à¥‹à¤—िक रूप से समृदà¥à¤§ करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से अपने यहाठवसà¥à¤¤à¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकरने की योजना बनाई. उस समय पà¥à¤°à¥‡ देश में वसà¥à¤¤à¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तथा हथकरघा में हैदराबादी बà¥à¤¨à¤•रों का कोई जवाब नहीं था. अतः देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई ने हैदराबाद के बà¥à¤¨à¤•रों को अपने यहाठमहेशà¥à¤µà¤° में आकर बसने के लिठआमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया तथा अपना बà¥à¤¨à¤•री का पà¥à¤¶à¥à¤¤à¥ˆà¤¨à¥€ कारà¥à¤¯ यहीं महेशà¥à¤µà¤° में रहकर करने के आगà¥à¤°à¤¹ किया. अंततः देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ से हैदराबाद से कà¥à¤› बà¥à¤¨à¤•र महेशà¥à¤µà¤° आकर बस गठतथा यहीं अपना कपडा बà¥à¤¨à¤¨à¥‡ का कारà¥à¤¯ करने लगे. इन बà¥à¤¨à¤•रों के हाथ में जैसे जादू था, वे इतना सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कपडा बà¥à¤¨à¤¤à¥‡ थे की लोग दांतों तले  ऊà¤à¤—ली दबा लेते थे.
रेवा सोसाइटी के अनà¥à¤¦à¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिठपà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ निषेध हैं लेकिन जाली की खिडकियों से महिलाओं को महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठबà¥à¤¨à¤¤à¥‡ देखा जा सकता है. बड़ी ही अदà¥à¤à¥à¤¤ कला है यह, महिलायें अपने काम में इतनी माहिर हैं की उनका यह हसà¥à¤¤ कौशल देखते ही बनता है, कà¥à¤› देर इस दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ को अपलक निहारने के बाद हम लोग सीढियों पर आगे की ओर बढे.
किले के अनà¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के बाद राज राजेशà¥à¤µà¤° मंदिर à¤à¤µà¤‚ रेवा सोसाइटी के बाद आता है à¤à¤• बड़ा हॉल जहाठà¤à¤• ओर देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का राजदरबार है तथा उनकी राजगदà¥à¤¦à¥€ है जिसपर उनकी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ रखी गई है, यह दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯ इतना सजीव लगता है की à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है की देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई सचमà¥à¤š अपनी राजगदà¥à¤¦à¥€ पर बैठकर आज à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° का शासन चला रही हैं. आज à¤à¥€ यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सजीव राजदरबार की तरह लगता है.
हॉल में दूसरी ओर होलकर राजवंश के शासकों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपयोग में लाये गठअसà¥à¤¤à¥à¤° शसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¤• छोटी सी पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ लगी है यहीं पर à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सी पालकी à¤à¥€ रखी है जिसमें बैठकर देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के लिठजाती थीं. इन सब चीजों को देखने से à¤à¤¸à¤¾ लगता है जैसे हम सचमà¥à¤š ढाई सौ साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ के शासन काल में विचरण कर रहे हैं. किले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• छोटे से मंदिर से आज à¤à¥€ दशहरे के उतà¥à¤¸à¤µ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ की जाती है जैसे वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पहले यहाठहोलकर शासनकाल में हà¥à¤† करता था. किले से ढलवां रासà¥à¤¤à¥‡ से निचे जाते ही शहर बसा हà¥à¤† है.

देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का दरबार तथा राज गदà¥à¤¦à¥€

देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का दरबार तथा राज गदà¥à¤¦à¥€………..यहीं उनकी असली बैठक थी

देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई की पालकी जिसमें बैठकर वे नगर à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के लिठजाया करती थीं
महेशà¥à¤µà¤° के मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ हैं. हर मंदिर के छजà¥à¤œà¥‡, अहाते में सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नकà¥à¤•ाशी की गई है. कालेशà¥à¤µà¤°, राजराजेशà¥à¤µà¤°, विटà¥à¤ लशà¥à¤µà¤° और अहिलà¥à¤¯à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर विशेष रूप से दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ हैं.
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ का सजीव राजदरबार तथा राजगदà¥à¤¦à¥€ के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद हम आगे बढे, अगला दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² है देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ का पूजासà¥à¤¥à¤² जहाठपर अनेकों धातॠके तथा पतà¥à¤¥à¤° के अलग अलग आकार के शिवलिंग, कई सारे देवी देवताओं की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚, और à¤à¤• सोने का बड़ा सा à¤à¥à¤²à¤¾ जो यहाठका मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ है जिसपर à¤à¤—वानॠकृषà¥à¤£ को बैठाकर मां अहिलà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥à¤²à¤¾ दिया करती थीं. इन सारी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं तथा शिवलिंगों को à¤à¤• ककà¥à¤· में संगृहीत करके रखा गया है, इस ककà¥à¤· में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ निषेध है तथा इस छोटे ककà¥à¤· के लिठà¤à¤• सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾Â गारà¥à¤¡ हमेशा तैनात रहता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाà¤Â कई मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ धातà¥à¤“ं की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤à¤‚ रखी गई हैं.

पूजा घर – इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई पूजा किया करती थीं.
अब तक मैंने आपको अपनी इंदौर की कà¥à¤› पोसà¥à¤Ÿà¥à¤¸ तथा महेशà¥à¤µà¤° की इस सिरीज़ में देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के बारे में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› जानकारी दी. इतनी महान शासिका, इंदौर राजà¥à¤¯ की महारानी, परम तथा समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ शिव à¤à¤•à¥à¤¤ आदि………इतना कà¥à¤› जानने के बाद थोड़ी सी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता होती है उनके निजी जीवन को महसूस करने की….वे कहाठतथा किस तरह रहती होंगी? उनका घर कैसा होगा? उनकी रोज़मरà¥à¤°à¤¾ की इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ कैसी होंगी? आइये आपकी इस गà¥à¤¤à¥à¤¥à¥€ को à¤à¥€ हल करती हूà¤. मैंने अपनी पिछली पोसà¥à¤Ÿ में बताया था की कà¥à¤› सालों के बाद अपनी राजधानी इंदौर से महेशà¥à¤µà¤° में शिफà¥à¤Ÿ करने के बाद देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई अपने अंत तक महेशà¥à¤µà¤° में ही रहीं तथा महेशà¥à¤µà¤° किले के सबसे उपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ में उनका अपना निजी निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था.
देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई के पूजा घर से कà¥à¤› कदमों की दà¥à¤°à¥€ पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है à¤à¤• लकड़ी का दà¥à¤µà¤¾à¤° जिसके अनà¥à¤¦à¤° है à¤à¤• आलिशान महल जो कà¤à¥€ होलकर राजवंश के शासकों का निजी आवास हà¥à¤† करता था लेकिन आजकल इस महल को à¤à¤• हेरिटेज होटल का रूप दे दिया गया है और इस होटल में à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ तीन सितारा होटल के समककà¥à¤· सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ उपलबà¥à¤§ हैं. लगà¤à¤— छः हज़ार से सात हज़ार पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¥€à¤¨ के हिसाब से à¤à¥à¤—तान करके यहाठरहा जा सकता है. इस होटल का नाम है – होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ, होटल की वेबसाईट देखने के लिठआप यहाठकà¥à¤²à¤¿à¤• कर सकते हैं  http://www.ahilyafort.com/ . यह होटल इस किले की सबसे उपरी इमारत पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, और इस होटल के मालिक हैं पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर तथा वे ही इस होटल की देख रेख तथा पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन का काम देखते हैं.

किले की सबसे उपरी मंजिल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ जो कà¤à¥€ देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का निजी निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हà¥à¤† करता था - इस निजी आवास को आजकल होलकर राजवंश के वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ वारिस पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर ने à¤à¤• हेरिटेज होटल में तबà¥à¤¦à¥€à¤² कर दिया है तथा वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ यहीं रहते हैं.
पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर, इंदौर राजà¥à¤¯ के अंतिम शासक महाराजा यशवंतराव होलकर “दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯” के à¤à¤•मातà¥à¤° सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤°  हैं. दरअसल महाराजा यशवंत राव की दो महारानियाठथीं, à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯Â थीं महारानी संयोगिता राजे तथा दूसरी महारानी अमेरिका की थीं मारà¥à¤—रेट. महारानी संयोगिता राजे होलकर से महाराजा यशवंत राव की à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ है महारानी उषा राजे (वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ नाम उषा मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾) जो की वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में मà¥à¤‚बई में अपने पति शà¥à¤°à¥€ सतीश मलà¥à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¾ के साथ मà¥à¤‚बई में रहती हैं.
अमेरिकन महारानी से महाराजा यशवंत राव के à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° हैं पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ रिचरà¥à¤¡ होलकर जो पूरà¥à¤µÂ इंदौर राजà¥à¤¯ की राजधानी महेशà¥à¤µà¤° में ही अà¤à¥€ à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° के किले में निवास करते हैं तथा होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ का काम काज देखते हैं. रिचरà¥à¤¡ होलकर की पतà¥à¤¨à¥€ à¤à¥€ अमेरिका की हैं तथा उनके à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥à¤¸ यशवंत तथा पà¥à¤°à¤¿à¤‚सेस सबरीना अमेरिका में ही रहते हैं.

किले के ऊपर जो सफ़ेद à¤à¤µà¤¨ दिखाई दे रहा हैं न, वही कल का देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ का निवास तथा आज का होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ है.

होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ की गैलरी जहां से नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तथा इसके घाट सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई देते हैं.

देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ बाई का घर / होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ अनà¥à¤¦à¤° से…

रिचरà¥à¤¡ के पिता तथा इंदौर राजà¥à¤¯ के अंतिम महाराजा – यशवंत राव होलकर “दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯”
विदेशी तथा अहिंदू माठके पà¥à¤¤à¥à¤° होने की वजह से रिचरà¥à¤¡ को इंदौर राजà¥à¤¯ का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी नहीं बनाया गया तथा उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महाराजा होने का पद तथा उपाधियाठनहीं पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जा सकीं. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में इंदौर राजà¥à¤¯ की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ारी महारानी हैं महारानी उषाराजे होलकर जिनके बारे में मैं पहले ही जानकारी दे चà¥à¤•ी हूà¤.
महेशà¥à¤µà¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤® इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ (बॉलीवà¥à¤¡) समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§:  Â
महेशà¥à¤µà¤° का हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤® इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ से बहà¥à¤¤ गहरा समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है. महेशà¥à¤µà¤° के घाट तथा नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ तट की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को अब तक कई बार बॉलीवà¥à¤¡ की फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में फिलà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ जा चूका है. यहाठपर कà¥à¤› तमिल फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ की तथा गानों की शूटिंग à¤à¥€ हो चà¥à¤•ी है. सबसे पहले जिकà¥à¤° करना चाहूंगी सचिन तथा साधना सिंह अà¤à¤¿à¤¨à¥€à¤¤ फिलà¥à¤® “तà¥à¤²à¤¸à¥€” की. यह पूरी की पूरी फिलà¥à¤® महेशà¥à¤µà¤° के घाटों तथा आसपास के परिवेश में फिलà¥à¤®à¤¾à¤ˆ गई है तथा अपने समय की à¤à¤• हिट फिलà¥à¤® थी. फिलà¥à¤® अशोका में à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° को फिलà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ गया है. १९६० की à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ पौराणिक फिलà¥à¤® महाशिवरातà¥à¤°à¤¿ की शूटिंग à¤à¥€ यहीं हà¥à¤ˆ थी तथा इस फिलà¥à¤® में कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों को à¤à¥€ अदाकारी का मौका दिया गया था. हेमा मालिनी निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ ज़ी टीवी के सीरियल à¤à¤¾à¤‚सी की रानी की शूटिंग à¤à¥€ महेशà¥à¤µà¤° में ही हà¥à¤ˆ थी और हेमा मालिनी अपने सीरियल के लिठयहाठसे ढेर सारी महेशà¥à¤µà¤°à¥€ साड़ियाठà¤à¥€ खरीद कर ले गई थीं. 1985 में बनी à¤à¤• और पौराणिक फिलà¥à¤® आदि शंकराचारà¥à¤¯ की à¤à¥€ पूरी शूटिंग यहीं संपनà¥à¤¨ हà¥à¤ˆ थी.
शायद ये सब फ़िलà¥à¤®à¥‡à¤‚ आपलोगों को याद होगी या नहीं मà¥à¤à¥‡ नहीं पता है लेकिन à¤à¤• बात दावे के साथ कह सकती हूठकी अà¤à¥€ 2011 में बनी धरà¥à¤®à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤° , सनी देओल और बोबी देओल की सà¥à¤ªà¤° हिट फिलà¥à¤® “यमला पगला दीवाना” की 50 मिनट की शूटिंग महेशà¥à¤µà¤° के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ जैसे बाज़ार चौक, राजवाडा, अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ छतरी, अहिलà¥à¤¯à¤¾ घाट तथा अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर संपनà¥à¤¨ की गई. यह महेशà¥à¤µà¤° का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही रहा की फिलà¥à¤® की लगà¤à¤— आधी शूटिंग महेशà¥à¤µà¤° में हà¥à¤ˆ और करीब à¤à¤• महीने तक फिलà¥à¤® की पूरी टीम यहाठहोटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ में रà¥à¤•ी लेकिन फिलà¥à¤® में इस जगह को “वाराणसी” के रूप में दिखाया गया है. सच है हमेशा छोटा गरीब à¤à¤µà¤‚ मजबूर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ही छला जाता है.
महेशà¥à¤µà¤° की इस जानकारी के बाद अब लौटती हूठअपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की ओर- महेशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° घाट, नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी, महेशà¥à¤µà¤° किला, किले के अनà¥à¤¦à¤° देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾ के दरबार, होटल अहिलà¥à¤¯à¤¾ फोरà¥à¤Ÿ तथा पूजा घर आदि देखने के बाद हम वापस किले के निचे उसी रासà¥à¤¤à¥‡ से उतर कर आ गठतथा कà¥à¤› ही देर में हम घाट पर थे.

नीरज जाट का ढाबा - विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं होता? खà¥à¤¦ ही पढ़ लीजिये

नीरज जाट के ढाबे पर देसी सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤²Â में सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ खाने का आनंद
ढाबे पर सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बाद अब हमारा घर करीब 25-30 किलोमीटर और रह गया था और लगà¤à¤— आठबजे हम ख़à¥à¤¶à¥€ ख़à¥à¤¶à¥€ मन में महेशà¥à¤µà¤° की इस यादगार टà¥à¤°à¤¿à¤ª की ढेरों यादे संजोये अपने घर आ गà¤.
आइये अब मैं आपको महेशà¥à¤µà¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ के बारे में कà¥à¤› और जानकारी देने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करती हूà¤.
वायॠसेवा: महेशà¥à¤µà¤° के लिठनिकटतम हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ इंदौर 91 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर है तथा मà¥à¤‚बई, दिलà¥à¤²à¥€, à¤à¥‹à¤ªà¤¾à¤² तथा गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° से सीधी विमान सेवा से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है.
रेल सेवा: महेशà¥à¤µà¤° के लिठबडवाह (39 किलोमीटर) निकटतम रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है. पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ रेलवे के बडवाह, खंडवा, इंदौर से à¤à¥€ यहाठतक पहà¥à¤‚चा जा सकता है.
सड़क मारà¥à¤—: बडवाह, खंडवा, इंदौर, धार और धामनोद से महेशà¥à¤µà¤° के लिठबस सेवा उपलबà¥à¤§ है.
जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ से लेकर मारà¥à¤š तक का समय महेशà¥à¤µà¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ है. ठहराने के लिठयहाठकई गेसà¥à¤Ÿ हाउस, रेसà¥à¤Ÿ हाउस तथा धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾à¤à¤‚ हैं.
महेशà¥à¤µà¤° की तीन à¤à¤¾à¤—ों वाली इस शà¥à¤°à¤‚खला का अब समापन करती हूà¤. फिर मिलेंगे जलà¥à¤¦à¥€ ही किसी और टूर की ताज़ा कहानी के साथ तब तक के लिठबाय बाय………..
कविता जी इस सीरिज के पहले दोनों लेख तो मैंने बाद में देखे थे लेकिन यह लेख सबसे पहले देखा है।
सबसे पहले शानदार लेखन व बेहतरीन फ़ोटो की बधाई स्वीकारे।
पहले लेख के फ़ोटॊ से इस किले को देखा था अब जाकर किला देखा जैसा कि आपने पहले फ़ोटो के कैप्सन में लिखा है मन्दिर का शिखर, लेकिन शिखर तो कट गया है। इसे पूरा दिखाईगा जरुर।
नीरज जाट का ढाबा वहाँ कैसे? जबकि हमारा नीरज तो वहाँ कभी गया ही नहीं, चलो वहाँ जब भी जाना हुआ हम भी इसी जगह के यानि वहाँ के नीरज जाट के यहाँ खाना खायेंगे।
संदीप जी,
बधाई हमें स्वीकार कर ली अब आप धन्यवाद स्वीकारें. राज राजेश्वर मंदिर के इसी पोस्ट में और फी फ़ोटोज़ हैं आप देख लीजियेगा. नीरज जाट जी का ढाबा हमारे घर से कुछ पच्चीस तीस किलोमीटर की दुरी पर ही है, आप अगली बार इंदौर आयें तो जरूर वहीँ खाना खिलाएंगे.
बहुत जानकारी से भरा हुआ लेख है… इस श्रंखला ने आपको खास लेखक बना दिया… अहिल्याबाई के नये रुप के बारे में जानकर और खुशी हुई कि वो महिलाओं के लिये इतना कुछ कर गई… उनके मंदिर निर्माण ने पहले ही उन्हे पूजनीय बना दिया था.
ये चने एवं ककड़ी का combination पहली बार सुना… ये आपकी खोज है या इन्दौर का रिवायत.. LOL
एक दो जगह अभी भी छोटे उ व बड़े ऊ की मात्राओं की गलतियां है …अगर आप हिन्दी में PHd न होती तो मै कभी न बताता।
नीरज जाट का ढाबा ..????? मैने तो सुना था कि नीरज जाट दिल्ली मैट्रो में काम करता है ….LOL
खैर इस से नीरज जाट की याद आ गई मै उसे बहुत मिस कर रहा हूं…उसके जैसे विद्वान व्यक्ति को यहां जरुर लिखना चाहिये। रेलवे की व सामान्य जानकारी में उसका कोई मुकाबला नही है… आशा है नीरज जाट ये पढ़ कर यहां जल्दी ही लिखना शुरु कर देगा
@ SS – As per her profile she is MA- Hindi.
साइलेंट जी,
आपकी इस भावपूर्ण कमेन्ट के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद. चने और ककड़ी का कोई काम्बिनेशन नहीं है, हमने दोनों चीजें अलग अलग ली थीं. मात्राओं की त्रुटियों की ओर ध्यानाकर्षण के लिए धन्यवाद. नीरज जाट जी के ढाबे का खाना सचमुच बड़ा स्वादिष्ट है, कभी इधर आयें तो ज़रूर चखियेगा. .
I proposed to visit Indore, Ujjain and near about. Can you pl mail your mobile/phone for guidence, whenever We will visit. Thanks
Hemant ji,
First of all thanks a lot for your lovely comment. Secondly, for any kind of guidance you can send your query on my husband’s E-Mail id – mukeshbhalse74@yahoo.co.in
Thanks.
Hemant,
You can contact me on my cell – 07898909043.
sabse pahle meri dher saari badhai sweekare,kyunki aapne anya lekhako ki tarah bahut jyada intezar nahi karwaya,aur jald hi post kar dia. padhkar bahut khushi hui ,balki padhne se jyada fort ke photo dekhne se hui.maine pichhli baar hi likha tha ki we kaise kalakar honge jo uswaqt kisi IIT ya HARWARD university me nahi padhe aur itna bhavya aur majboot(jiasa dekh kar hi lag raha hai,aur aapne bhi likha hai koi tut foot nahi) sundar aaj bhi naya sa dikhne wala fort bana dia.jo bunkar aaye the o koun si CAD ki padhai kie the jo aaj bhi dunia me mashoor saari bana rahe hain. fort to jivan me ekbaar dekhne layak hai hi.mouka mila to jaroor dekhunga. devi ahilya bai ke baare me bahut kam jaankari thi jo aapne badha di.unke family ke baare bata kar. niraj jat ke yahan ka khane ka photo dekh kar munh me paani aa gaya.bahut khub aise hi jald se fir kuchh jankaari dijiye.
राजेश प्रिया जी,
आपकी विस्तृत एवं मनमोहक कमेन्ट पढ़कर तो सचमुच मन खुश हो जाता है. आज के समय में किसी की मुक्तकंठ से प्रशंसा करना भी एक बहुत बड़ी बात है. उत्साहवर्धन करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
ek baat jo likhna bhul gaya, jaisa ki aapne bataya yahan film ki shooting hui hai,main batana chahunga ki tulsi movie me ek kalakar the INDER THKUR,unki tragic death 1985 me kanishka plain blast me ho gaee thi,ye film unki death ke just baad release hui thi.rahi baat yamla pagla ki to jaisa naam hi hai film ka usase kya ummeed ki ja sakti hai,aur usase maheshwar ki mahatta kam nahi ho jaati.
अतिरिक्त जानकारी के लिए शुक्रिया. जी हाँ इस फिल्म में इन्दर ठाकुर ने सचिन के बड़े भाई की भूमिका निभाई थी जो फ़ौज में था.
एक शानदार लेख का समापन ………..
साड़ियाँ पर इतना डीटेल में ना लिखा करें , हमारे लिए परेशानी हो जाती है :-)
साली साहिबा की फॅमिली महू में थी काफ़ी बार घूमने के लिए बुलाया पर जा नही पाए | अब उनका का ट्रान्स्फर पिछले महीने देल्ही ही हो गया है| शिलॉंग , चेरापूंजी व गोहाटी भी उनके साथ ही घूमे थे जब वो लोग शिलॉंग में पोस्टेड थे |
साड़ियाँ पर इतना डीटेल में ना लिखा करें , हमारे लिए परेशानी हो जाती है :-) LOL…. ये सही कहा है… लगता है कविता जी हमारी घरवाली से लड़ाई करा कर छोड़ेंगी… हमारी श्रीमति ने भी अल्टीमेटम दे दिया कि अब जल्दी से 8-10 महेश्वरी साड़ियां ला कर दो
महेश जी,
श्रीमती जी को एक महेश्वरी साड़ी गिफ्ट कर ही दीजिये, यकीन मानिये वे खुश हो जायेंगी. इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.
kavita ji; ‘bhut hi sundar’ maheshwer kile aur devi Ahilya bai ke bare main Itni sari jankari ke sath-sathunke pariwar se bhi avgat karaya .ganpati gi ki kirpa Aap ke pariwar per sda bani rahe.dhanywad.
होलकर जी ,
मुझे बहुत ही ख़ुशी हो रही है की आप मेरे लेख पढ़ते है और उसकी तारीफ करते है .महेश्वर है ही इतनी सुन्दर शांत जगह की उस पर आपकी लेखनी चलती ही जाती है और आप लिखते ही जाओ .
पोस्ट को पढने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
बहुत सुंदर वर्णन है, फोटो भी बहुत अच्छे हैं. कम से कम मुझे महेश्वरी साड़ियाँ के बारे में पता चल गया. आप का बहुत धन्यवाद इनका विस्तार से वर्णन करने के लिए. धन्यवाद
शर्मा जी ,
आपको इस लेख से कुछ जानकारी मिली यह जानकर मुझे बड़ी ख़ुशी हुई .एक लेखक के लिए यह एक बड़ी उपलब्धी होती है
प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए धन्यवाद .
अरे भाई ये नीरज जाट मेट्रो से निकलकर कब से ढाबे वाले बन गए, बधाई हो नीरज जी. कविता जी किले के फोटो बहुत ही शानदार हैं, हम लोग दिल्ली के, आगरा के किलो में खोये रहते हैं, जबकि असली किले तो ये हैं. धन्यवाद बहुत बहुत, जय नर्मदे मैय्या , वन्देमातरम…
प्रवीण जी ,
आपने तो इतनी तारीफ कर दी की दिल्ली और आगरा के किले के समक्ष ला खड़ा कर दिया .लेख को पसंद करनेके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
जय नर्मदा मैय्या . नर्मदे हर .
Out of Mumbai ,
Commenting only after seeing pics. Beautiful place and thanks for taking us there. will read later.
विशाल जी ,
आप अभी मुंबई से बाहर हो जब भी आओ लेख को जरुर पढ़े . धन्यवाद .
Dear kavita jee,
Very well written, again you break all the records of presentation, What a photographs of fort, Darbar of Ahilya bai, palki of ahilya bai, and your photographs in front of fort , so amazing,
You have written so well, so request for your next post at the earliest. Please visit HImachal in future,
Thanks and regards,
Baldev swami
बलदेव जी,
दिल खोल कर तारीफ़ करने के लिए धन्यवाद. आपको पोस्ट तथा तस्वीरें पसंद आईं, मेरे लिए ये सबसे ख़ुशी की बात है. और हिमाचल के लिए, हमारी पुरी कोशिश है की आनेवाले वर्ष की गर्मी में मनाली एवं रोहतांग की यात्रा की जाए.
कविता जी…. जय भोले की…!
बहुत ही जानकारी और विस्तार से युक्त लेख…पढ़कर बहुत अच्छा लगा साथ-साथ ही महेश्वर के बारे में बहुत जानने को मिला….| वाराणसी साड़ी के बारे में तो बहुत सुना हैं पर महेश्वरी साड़ी के बारे में पहली बार जानने को मिला….और आपने बहुत अच्छे से बताया भी | एक भोले नाथ जी का राजेश्वर नाम क मंदिर हमारे आगरा में भी हैं…..|
किले के और बाकी फोटो भी बहुत शानदार लगे…..मुझे लगता हैं इन फोटोओ में कुछ फोटो शायद आपने नहीं खींचे…..वैसे फोटोओ में नर्मदा के किनारे बसा महेश्वर मुझे बहुत आकर्षक लगा…..|
नीरज का ढाबा …..वाह वही वाह …खाए जाओ प्रभु के गुण गाये जाये….
महेश्वर से इतने विस्तार और खूबसूरती से मिलवाने के लिए धन्यवाद और इस सीरीज के समाप्ति पर बधाई….!
रितेश जी ,
जय ही भोले बाबा की .आपका कंमेंट करने का तरीका सबसे जुदा है .आपने सही पहचाना कुछ फोटो हमारे नहीं है .
समय निकालकर आप पोस्ट को पढ़ते हो इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद .
Kavita jee,
At the outset, I should apologise for the late response. You have written a beautiful series on Maheshwar, the little known capital of Malwa during the reign of Rani Ahilyabai Holkar. The pictures of the ghats on the Narmada river and of the forts and temples have come out very well. The title of this installment, “Memories trapped in stone walls” is very poetic and one of the best titles on ghumakkar.
Through your posts, we have come to know a lot about one of India’s greatest queens. She had done a lot for the emancipation of women and for Hindu renaissance after the collapse of the Mughal dynasty. It felt great to see her palaces and temples. I was not aware of the fact that the weavers of Maheshwar are originally from my home state. However, it is sad to know that the descendants of Maharani Ahalyabai will soon disappear in the American melting pot and there is nobody to carry forward the glorious heritage after Richard Holkar.
Thanks, once again, for writing this series and reminding us of the great Queen Ahilyabai.
रोचक जानकारी से भरपूर काफी अच्छी सीरीज है कविता जी| पता लगता है की आप एक विदूषी हैं| और कुछ प्रतिक्रियाएं (महेश/SS ) काफी मजेदार हैं| लेख और प्रतिक्रियाएं पढ़ कर आनंद आ गया|
विभा,
आपने पोस्ट को पढ़ा तथा अपने अमूल्य विचार रखे उसके लिए धन्यवाद. और विदुषी जैसी कोई बात नहीं है, मैं भी घुमक्कड़ के अन्य लेखकों की ही तरह ही सामान्य लेखक हूँ, मुझे विदुषी शब्द से अलंकृत करना आपका बड़प्पन है.
kavitaji namskarm.
aapne prattuttar diya dhanyavadm
aap maheshwar tirth me narmda ke kinahare tak pahuche aur aaplogo ne vaha snan nahi kiya aaccha nahi kiya j ankar accha nahi laga.
tirth me snan ke liye hi jaya jata ha.hindu manyata me tirth snan ka bada mahtv diya ha.
baccho ko sanskar dene ke liye bhi aap ko karna chahiye tha.
aapne indore ka nam likha ,aabhar……..
yadi sambhav to aagami dino me indore me dol gyaras aur anant chaturdshi ka parv bahut hi dhum dham sa
manaya jata ha.
khub sundar zakiya rat bha niklti ha.
aap chahe to khargon sa indore aakar ananat chardashi ka anand la sakte ha aur ek accha aalekh–post–bhi aapki ban jayegi ,anant chatrdashi ko indore me rat nahi hoti essa mana jata ha.
.khargone sa yadi indore me koi kam ho vah bhi ho jayega.
yadi aapko suvidha aur anukoolta ho to aap log kar sakege.
ya 2-3 din mill me bhi zakiya dekhi ja sakti ha.
pariwar sahit aapko shubh kamnaye.
dr.o.p. tiwari indore m.p.
तिवारी जी,
कमेन्ट के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.
नर्मदा में पानी का बहाव तेज होने तथा बच्चे साथ में होने की वजह से हमने नहाना उचित नहीं समझा. इंदौर की अनंत चतुर्दशी तथा डोल ग्यारस के बारे में जानकारी प्रदान करने का शुक्रिया, इस वर्ष तो अभी बच्चों की परीक्षाएं चल रहीं हैं अतः संभव नहीं हो पायेगा लेकिन अगले वर्ष जरूर कोशिश करेंगे इस समारोह का हिस्सा बनने की. आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की हम लोग खरगोन से हैं लेकिन अभी तो कुछ वर्षों से इंदौर के ही पास में घाटाबिल्लोद में रहते हैं.
namskar
agle varsh ka sabhi log pratikha karege.
ghata billod to indore hi ha.
mera aagrah tha ki malwa aur shayad nimar me SANJA ya SANZA par bahut sundar chitra gobar sa diwaro par banaye jate ha aur pooja prathana aur sundar sundar geet chote bacche,ladkiya gati ha.aap ke ghar ke aaspas ya pas ke kisi gav me aap thode prayas sa ek sundar aalekh-post- ban sakti ha.samay kam ha prayas kijiye.
malwa nimar ka jo bhi log dhekhege bahut prasnna hoge.
dhanyadm
dr.o.p. tiwari
indore m.p.
डॉ. तिवारी जी,
कविता जी ने इंदौर के बारे में एक पूरी श्रंखला लिखी है, और मैंने भी ओंकारेश्वर एवं उज्जैन दर्शन पर श्रंखलायें लिखीं हैं यदि आप उन्हें पढना चाहते हैं तो कृपया यहाँ क्लिक करें https://www.ghumakkar.com/author/kavitabhalse/. http:/ https://www.ghumakkar.com/author/mukesh-bhalse/
धन्यवाद.
MUKESH JI
NAMSKAR
OMKARESHWAR UJJAIN INDORE DEKH KAR FIR AAP KO KUCH LIKHNE KA PRAYAS KARUNGA.
PADHARE KABHI,GANGWAL KE PAS HI NIWAS HA.
ACCIDENT KA KARAN ABHI GHAR PAR HI RAHTA HU, AT: KABHI BHI PADHARE SWAGATM HA…………………..
BAHUT SHUBHKAMNAYE
DR O.P. TIWARI
INDORE M P
डॉ. तिवारी जी,
आपने निमंत्रण तो दे दिया लेकिन पता नहीं बताया, हम लोग तो इंदौर में प्रवेश ही गंगवाल बस स्टेंड से करते हैं.पूरा पता बताएं या फोन नंबर दें तो हम सपरिवार आपसे मिलने का पूरा प्रयास करेंगे. या कभी धार तरफ आना हो तो हमारे घर पधारें, मेरा मोबाइल नंबर है -7898909043.
धन्यवाद.
mukeSH ji
mai aapko mobile par msg kar raha hu.
chot ke karan kan me taklif ha at: bat sun nahi pauga.
aapne kisi purane mitra ki tarah jabab diya, bahut aaccha laga.
aapka bahut bahut SWAGATM ha
dr o.p. tiwari
indore
कविता जी , बढ़िया विस्तृत लेख | पुरानी यादें ताज़ा हो गयीं | पर आपका लेख पढ़ कर ही पूरा किला घूम पाए क्योंकि मुझे तो याद भी नहीं की कोई होटल भी था | हाँ, ४-५ महेश्वरी साड़ी ज़रूर खरीदीं गयीं थीं | महेश्वर से पहले हमलोग चंदेरी में भी रुके थे एक रात और वहां के बुनकर भी माशा-अल्लाह हैं | जय हिंद |
नंदन जी,
सुन्दर शब्दों में कमेन्ट करने तथा पोस्ट की प्रशंसा करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद. नंदन जी चूँकि यह होटल किले के शिखर पर स्थित है अतः दिखाई नहीं देता है, जब हम देवी अहिल्या के पूजाघर से दर्शन करके वापस लौट रहे थे तभी कुछ ही कदम की दुरी पर हमें इस होटल के पिछले द्वार पर लगा होटल अहिल्या फोर्ट का बोर्ड दिखाई दिया तथा वापस घर लौटने पर गूगल में सर्च किया तो सारी जानकारी मिली. चलिए महेश्वर की सैर पर श्रीमती जी को चार पांच साड़ियाँ तो मिल ही गईं……
Kavita Ji,
aapne Maheshwar ke bare me jo bhi jankari mujhe bahut aacha laga kyuki jankari bahut saf saf di he khas kar photo ke madhyam se unme jo ek photo jisme hathiyo dwara saja di gayi he us ke bare me mene apni dadi se suna tha wo kehati thi ki devi ahilya bai ne apne bete ko galat kaam karne par hathiyo se kuchlwa diya kabhi jaye to dekhan photo bhi bani he lekin me 2 se 3 bar gaya lekin dekh nahi paya lekin aaj aapke madhyam se mene dekh li wo photo me maheshwar se 40km dur khargone se hu lekin jo me waha dund raha tha wo aapke madhyam se mil dhanyawad
thanks
Itni achhi jankari dene k liye….. thank you
Respected Kavita Jee (Hindustani History writer),
i have visited the Maheshwar Fort Yesterday on 24/09/2016 Sunday and found very great History place temple and Mother river Holy Narmada , taken a dip to and worshiped
i read a detailed History with Photograph written by you, its realy very good maximum information about fort, queen, and king and way of administration of kingdom with in the name almighty GOD .
God bless you with more writing power in future too
thanks a lot
kuldip singh yadav Nirala
26/09/2016 monday
Respected Kavita Jee (Hindustani History writer),
i have visited the Maheshwar Fort Yesterday on 24/09/2016 Sunday and found very great History palace temple and Mother river Holy Narmada , taken a dip to and worshiped
i read a detailed History with Photograph written by you, its realy very good maximum information about fort, queen, and king and way of administration of kingdom with in the name almighty GOD .
God bless you with more writing power in future too
thanks a lot
kuldip singh yadav Nirala
26/09/2016 Monday
Kavitaji me MAHESHWAR ke pass vale ganv me hi rehta hu itna sb kuch to mujhe bhi pata he lkn is sb ki history aap dusro ko bata rahi he iske liye dhanyvad lkn aap ne old history nahi batayi jo sahastrabahu ki he jinhone apni bhujao se Ma NARMADA ko rokne ki kosis ki thi or ye jagah maheshwar se pass hi jis ganv ka name Jalkoti he…..jyada to mujhe bhi nhi pata lkn aage aap jab bhi MAHESHWAR aao to iski jankari jarur lena or hame batana…dhanyvad