8 मार्च 2012 की बात है. होली का त्यौहार ख़त्म ही हुआ था. आगे स्कूल की छुट्टी थी क्यूंकि एग्जाम समाप्त हो चुके थे और अगला सत्र अप्रैल से प्रारंभ होना था. घर में विचार किया गया कि आस पास घूमने के लिए अल्प समय का कोई कार्यक्रम बनाया जाए. घर में चर्चा के दौरान याद आया कि मेरे एक मित्र जो रामनगर(नैनीताल ) में रहते हैं वह काफी दिनों से अपने यहाँ आने का निमंत्रण दे रहे रहे थे. याद आते ही तुरंत कार्यक्रम बना कि जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में सफारी का आनंद उठाया जाये.
होली के उत्सव की थकन के बावजूद जिम कॉर्बेट पार्क में सफारी का मजा लेने के ख्याल भर से सभी परिवार सदस्यों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और यात्रा की तैयारी शुरू हो गई. सबसे पहले रामनगर में मित्र जीवन बिष्ट को दूरभाष पर संपर्क किया गया और उन्हें सूचित किया कि हम लोग कल रामनगर पहुँच रहे हैं. आप नेशनल पार्क में घुमने के लिए टिकट और वाहन कि व्यवस्था कर दें. थोड़ी देर बाद उनका सन्देश आ गया कि उन्होंने 10 मार्च के लिए इंतजाम कर दिया है. यह खबर मिलते ही दोनों बच्चों की आनंद की सीमा ही न रही क्योंकि उन्हें नेशनल पार्क में शायद टाइगर को खुले जंगल में देखने का मौका जो मिलने वाला था. अब हम यात्रा पर जाने के लिए अपनी अपनी तैयारी करने लगे. हमारा विचार आज रात तक रामनगर पहुँच जाने का था ताकि अगले दिन रामनगर के आस पास के अन्य स्थानों का भ्रमण किया जा सके. हमारे एक संबंधी डॉ मनोज बिजनौर (उत्तर प्रदेश ) में रहते हैं. उनसे भी साथ चलने के लिए संपर्क किया तो वह भी तैयार हो गए . इस तरह उनकी पत्नी रजनी को मिलाकर हम सात लोग इस यात्रा पर जाने वाले थे. चूँकि डॉ मनोज को बिजनौर से चलना था इसलिए हमने कार्यक्रम में थोडा बदलाव किया और तय किया आज हम दिल्ली से सीधे बिजनौर जायेंगे. वहां से कल रामनगर की यात्रा करेंगे.
होली का दिन था शाम को हमें अपने एक और संबंधी, जो वैशाली (गाज़ियाबाद) में रहते हैं , के घर भी होली मिलन के लिए जाना था. तय किया गया कि वहां से रात्रि भोजन कर बिजनौर रवाना हो जायेंगे. शाम के पांच बज चुके थे. जल्दी जल्दी पैकिंग कर हमने गाज़ियाबाद की ओर प्रस्थान कर दिया.
दिल्ली से बिजनौर जाने के दो रास्ते हैं. 1. दिल्ली-मेरठ-मवाना-मीरापुर-बिजनौर (149 किमी) 2. दिल्ली-मुरादनगर-खतौली-मीरापुर-बिजनौर (147 किमी). पहला वाला रास्ता अच्छा है. दिल्ली से मेरठ तक राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर चलना होता है. मेरठ आने से पहले एक बाई पास आता है. जहाँ से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और शास्त्री नगर होते हुए मेरठ से पौड़ी गढ़वाल जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को पकड़ना होता है. इसी पौड़ी राजमार्ग पर बिजनौर आता है.
रात को 10 बजे हमने बिजनौर की यात्रा अपने निजी वाहन मारुती स्विफ्ट से शुरू की. होली के कारण सड़क पर नाम मात्र का ही ट्रैफिक था. अन्य दिनों में दिल्ली से मेरठ पहुँचने में कम से कम दो घंटे लगते हैं. परन्तु आज हम 45 मिनट में मेरठ बाई पास पहुँच गए. आगे भी ट्रैफिक न के बराबर था. इसलिए हम बिना कहीं रुके रात को 12.10 बजे बिजनौर पहुँच गए. इस प्रकार हमने 130 किमी की यात्रा दो घंटे में पूरी कर ली. जिसे और दिनों में लगभग ४ घंटों में पूरा किया जाता.
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय अभ्यारण है. संपूर्ण संरक्षित वन का कुल क्षेत्रफल 1318 वर्ग किलोमीटर है. जिसमे 520 किलोमीटर क्षेत्र कोर क्षेत्र और 797 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र है. इसी 520 वर्ग किलोमीटर में कॉर्बेट नेशनल पार्क है. शेष 797 वर्ग किलोमीटर संरक्षित वन है. यह पार्क नैनीताल जिले के रामनगर में स्थित है. रामनगर ही कॉर्बेट पार्क का मुख्यालय है. रामनगर दिल्ली से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है.सड़क मार्ग से दिल्ली की दूरी 285 किमी है.
जिम कॉर्बेट पार्क मुखत्य: चार जोन में बंटा हुआ है. 1. ढिकाला जोन 2. बिजरानी ज़ोन 3. झिरना ज़ोन 4. उत्तरी ज़ोन (दोमुंडा, सोनानदी ). पूरे क्षेत्र में प्रविष्टि के लिए 20 द्वार है. जिनमे से मुख्य द्वार ढिकाला, बिजरानी, झिरना और दुर्गा देवी हैं. पार्क में घूमने के लिए परमिट कि आवश्यकता होती है. यह परमिट पार्क की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन प्राप्त किये जा सकते हैं. ढिकाला ज़ोन में डे विजिट के लिए परमिट नहीं मिलते हैं. यहाँ पर केवल वे पर्यटक जा सकते हैं जिन्होंने रात्रि विश्राम के लिए बुकिंग कर रखी होती है.अन्य पर्यटक यहाँ पर कॉर्बेट पार्क द्वारा संचालित सफारी से डे विजिट कर सकते हैं. केवल ढिकाला ज़ोन ही कोर एरिया में स्थित है. इस ज़ोन में पर्यटकों के लिए सीमित प्रतिबन्ध लगाये गए हैं. अन्य ज़ोन में डे विजिट की जा सकती है. यहाँ पर भी रात को रुकने कि व्यवस्था उपलब्ध है. पर्यटक अपने निजी वाहन या किराये की जिप्सी/जीप से पार्क में घूम सकते है. केवल परमिट की जरूरत होती है. परन्तु हर वाहन के साथ एक गाइड का ले जाना आवश्यक है. कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पार्क में कहीं भी टहलने/पैदल चलने की अनुमति नहीं है. सूर्यास्त के बाद पार्क में घूमना मना है. पार्क में गैर शाकाहारी भोजन और मदिरा सेवन भी मना है. पार्क में हाथी पर बैठकर घूमने का भी इंतजाम है. इसके लिए पहले से बुकिंग करानी होती है. पार्क में बाच टावर भी लगे हैं जिन पर चढ़कर पर्यटक जंगल का दूर दूर का नजारा ले सकते हैं.
अगले दिन हमें बिजनोर से रामनगर जाना था . बिजनौर से रामनगर जाने के तीन रास्ते है. तीनो की दूरी १२० किमी है. हमने धामपुर, काशीपुर होते हुए रामनगर जाने का फैसला किया. दिन के दो बजे बिजनौर से चलकर शाम पांच बजे हम लोग रामनगर पहुँच गए. यहाँ पर अपने मित्र श्री बिष्ट से मुलाकात की जिन्होंने कॉर्बेट सफारी के लिए परमिट, वाहन की व्यवस्था कर रखी थी . उन्होंने हमें बताया कि हमें परमिट दोपहर बाद के मिले हैं. अब हमारे पास कल दोपहर तक आस पास घूमने का समय था. हम लोगों ने रामनगर में गर्जिया माता के मंदिर के बारे में बहुत से लोगो से सुन रखा था इसलिए मंदिर जाने की भी इच्छा थी. आज हमारे पास समय भी था.
गर्जिया देवी का मंदिर रामनगर से रानीखेत जाने वाली सड़क पर रामनगर से 15 किलोमीटर दूर है.यह मंदिर कोसी नदी के किनारे एक पहाड़ी के शीर्ष पर बना हुआ है. यह नैनीताल जिले का एक मुख्य मंदिर है जहाँ हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर हजारो श्रदालु माता के दर्शनों के लिए आते है. वसंत पंचमी पर भी यहाँ भक्तों की भीड़ जुटती है. यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित है.
मंदिर की दूरी सिर्फ 15 किमी ही थी परन्तु पहाड़ी रास्तों पर इन 15 किमी की दूरी तय करने में अच्छा खासा समय लग जाता है. हमे भी पहुँचते पहुँचते अँधेरा हो गया था. मंदिर के रास्ते में पड़ने वाली दुकाने भी बंद होने लगी थी. हमने एक दुकानदार से पूछा कि क्या मंदिर खुला होगा उसने सकारात्मक उत्तर दिया. मंदिर तक पहुँचने के लिए कोसी नदी पर बने एक पुल पर से गुजरना होता है. शाम हो चुकी थी इसलिए मंदिर का रास्ता भी सुनसान सा ही था. मंदिर एक पहाड़ के शिखर पर स्थित है. जहाँ सीढ़ियों पर चढ़कर जाना होता है. मंदिर काफी उंचाई पर है. मंदिर पहुँच कर प्रसाद चढ़ाया और माता का आशीर्वाद लिया. मंदिर से वापस होटल पहुंचे. जहाँ रात्रि भोजन कर कल की सफारी की कल्पनायों में खो गए.
अगले दिन हमारे पास दोपहर तक का समय खाली था . हमने होटल वाले से पूछा कि आस पास कहाँ जा सकते हैं. होटल के मेनेजर ने सुझाव दिया कि आप रामनगर से कालाढूंगी जाने वाले मार्ग पर स्थित कॉर्बेट जल प्रपात को देख कर आ सकते हो. कॉर्बेट फाल रामनगर से नैनीताल जाने वाली सड़क पर कालाढूंगी के निकट है.रामनगर से फाल की दूरी 27 किमी है. फाल तक पहुँचने के लिए राजमार्ग से लगभग एक या डेड़ किलोमीटर अन्दर जंगल में जाना होता है. फाल और रास्ते के रख रखाव के लिए फाल तक जाने के पर्यटकों को शुल्क देना होता है. यह शुल्क वन विभाग, उत्तराखंड सरकार द्वारा लिया जाता है. आप अपने वाहन को अन्दर ले जा सकते हैं. अन्दर वाहन को पार्क कर आधा किलोमीटर की पैदल यात्रा कर आप फाल तक पहुँच सकते है, फाल चारों ओर घने जंगल से घिरा हुआ है. करीब 60 फीट की ऊंचाई वाला यह फाल एक मनोरम दृश्य देता है.
हम लोग गाड़ी पार्क कर फाल के किनारे पहुंचे. फाल के बिलकुल नीचे जाना एक मुश्किल कार्य है. क्योंकि फाल से आने वाला पानी नीचे आकर एक छोटी सी नदी का रूप धारण कर लेता. यहाँ पर फिसलन वाले पत्थर होने की वजह से फाल के नीचे जाना मुश्किल है. यहाँ फाल के पास आधा घंटा बिताने के बाद हमने वापसी की. रामनगर पहुंचकर दोपहर का भोजन जल्दी ही कर लिया. क्योंकि कॉर्बेट पार्क में खाने की व्यवस्था नहीं है. इसके पश्चात् हम कोसी नदी के किनारे एक पर्यटक होटल में अपने जिप्सी ड्राईवर का इंतज़ार करने लगे. जो हमें झिरना ज़ोन ले जाने वाले थे. झिरना ज़ोन में क्या हुआ? हमने क्या देखा? कैसे और क्यूँ हम सभी लोग अपनी जिप्सी को छोड़कर आनन् फानन में नजदीक के एक वाच टावर पर चढ़ गए. यह सब अगले भाग में.
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post achchha hai,par anya logo ki tarah mujhe bhi is post me thori bahut kami lagi,jaise garjia devi jane ka rasta 15 km hai,aapne ye clear nahi kia ki is 15 km me apni gaadi se kitni kilometre gae (,kyunki jaisa aapne likha hai ki 15 km safar tay karne me bahut samay laga) paidal kitna jana para? photo’s aur chahiye the.phir bhi itni achchhi jankari aapne di hai maza aa gaya.dhanywad
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wow… bareilly ka niwasi hokar bhi aaj tak ye saubhagya nahi mil paya ki Corbett ghum lu,jabki hardly 2 ghante ki doori par hai..:(
its so beautifull…
KAAL movie was shooted at this place only..
its so scenic location of UK…
thnx
Small but wonderful write up
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Sir g aapka lekh bahut acha laga me bhi april me nanital ja raha hu muje pahle jim corbett fall dekhna chaye ya phir nanital se aate huai dekhna chaye