लगà¤à¤— à¤à¤• – डेढ़ घंटे घूमने के बाद महल से बाहर आया। अब गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° का किला देखने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था। ऑटो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने मà¥à¤à¥‡ किले में जाने के लिठजिस à¤à¤¾à¤— में उतारा यहाठसे किले में जाने के लिठकाफी चढ़ाई है। उसने चढ़ाई से पहले ही उतार दिया और सामने लगे बोरà¥à¤¡ को दिखा कर कहने लगा , यहाठसे टैकà¥à¤¸à¥€ -ऑटो आगे नहीं जा सकते। पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ कार ही जा सकती हैं। वहीठपर पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ टैकà¥à¤¸à¥€ कार वाले से किले में जाने के लिठपूछा तो उसने 450 रूपये में किला घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ की बात कही। कहने लगा बहà¥à¤¤ बड़ा यह किला है और तीन-चार किलोमीटर में फैला है। सामने किले में जाने की चढ़ाई देखकर आगे बढ़ने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हो रही थी। अà¤à¥€ वहाठखड़ा हà¥à¤† सोंच ही रहा था कि कà¥à¤¯à¤¾ करना चाहिà¤à¥¤ इस टैकà¥à¤¸à¥€ वाले को 450 रूपये दूठया फिर वापस लौट जाऊ।सोंच रहा था कि अगर à¤à¤• -दो लोग और आ जाते हैं तो मिलकर शेयर टैकà¥à¤¸à¥€ कर लेंगे। तà¤à¥€ वहाठपर à¤à¤• यà¥à¤µà¤• – यà¥à¤µà¤¤à¥€ ऑटो से उतरे। मैंने उनके पास जाकर पूछा कि वह लोग कैसे जायेंगे। वह लड़का बोला मै तो यहाठकई बार आ चूका हूठचले – चलो। हम लोग तो पैदल ही पूरा किला घूम आते हैं। उन लोगो की बाते सà¥à¤¨à¤•र मै à¤à¥€ उनके पीछे – पीछे कि किले ऒर चल दिया।
कà¥à¤› कदम आगे बढ़ता हूठतो देखता हूठकि किले की तरफ जाने वाली पतली सी सड़क के à¤à¤• तरफ, पतà¥à¤¥à¤° की चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काट कर जैन समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के तीरà¥à¤¥à¤•रों कि मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बनाई गईं हैं। इनमे से कई मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤—à¥à¤¨ अवसà¥à¤¥à¤¾ में थीं जिनà¥à¤¹à¥‡ शायद किले पर विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के बाद मद -मसà¥à¤¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¾à¤“ ने इस अवसà¥à¤¥à¤¾ में पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¯à¤¾ था। यह बहà¥à¤¤ ही कषà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤°à¤¦ विषय है कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® को मानने वाले अविवेक में अपने विजयी दंठको वह इन पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर निकालने लगते है। à¤à¤• तरफ तो यह मà¥à¤—़ल अपने आप को कला पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ करते हैं और दूसरी तरफ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर की गई इन कलाकृतियों को नषà¥à¤Ÿ करते हैं। मंगलवार का दिन था इसलिठबहà¥à¤¤ कम लोग ही किला घूमने के लिठजा रहे थे। छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का दिन होता तो शायद यहाठपर à¤à¥€à¤¡à¤¼ देखने को मिलती। वह दोनों यà¥à¤µà¤•-यà¥à¤µà¤¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ रासà¥à¤¤à¤¾ बता कर तेजी से आगे बढ़ गà¤à¥¤ मेरे पीछे à¤à¤• विदेशी यà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¥€ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काटकर बनाये गठइन जैन तीरà¥à¤¥à¤•ारों को देखती हà¥à¤ˆ आ रही थी। मै धीरे – धीरे चढ़ाई पर चढ़ता हà¥à¤† आगे बढ़ रहा था पर मà¥à¤à¥‡ दूर – दूर तक किला कही नहीं दिख रहा था। इतनी चढ़ाई चढ़ने के बाद मन ही सोंच रहा था कि इतनी चढ़ाई पर किला बनाने का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ शायद यही होता होगा कि जलà¥à¤¦à¥€ तो किसी दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ की हिमà¥à¤®à¤¤ ही नहीं होती होगी इतनी चढ़ाई पर चढ़ कर हमला करने की और अगर किया à¤à¥€ तो पहले ही उसकी सेना इतनी पसà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी होती है कि जीत की बहà¥à¤¤ कम ही गà¥à¤‚जाइश होती होगी। दो – तीन सौ गज या कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ की चढ़ाई चढ़ने के बाद à¤à¤• और गेट दिखाई पड़ता है। किले के दूसरे गेट से करीब 200 गज आगे आने पर चढ़ाई ख़तà¥à¤® हो जाती है। यहाठपर à¤à¥€ à¤à¤• गारà¥à¤¡ रूम है। यहाठपर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ टैकà¥à¤¸à¥€ वाला बैठा था। किला और किले के अंदर उसके आस – पास की जगह घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठइसने 250 रूपये मांगे। इतनी चढ़ाई चढ़ने के बाद अब और आगे चलने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हो रही थी। मैंने कहा कि पीछे à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤• लोग आ रहे हैं उनसे पूछ लो अगर वह लोग चले चलेंगे तो हम लोग आपस में शेयर कर लेंगे । तà¤à¥€ वह विदेशी यà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¥€ आ गई।डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने उसके पास जाकर शेयर टैकà¥à¤¸à¥€ किराये पर लेने के लिठकहा पर वह उसकी बात ठीक से समà¤à¥€ नहीं तब मैंने उससे कहा कि अगर हम लोग यह टैकà¥à¤¸à¥€ शेयर कर ले तो सब जगह घूम लेंगे। यह टैकà¥à¤¸à¥€ वाला 250 रूपये मांग रहा है आधे – आधे हम लोग दे देंगे। वह यà¥à¤µà¤¤à¥€ à¤à¥€ शायद थक गई थी , वह राजी हो गई।

चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काट कर बनाई गई जैन तीरà¥à¤¥à¤•रों की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤

चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काट कर बनाई गई जैन तीरà¥à¤¥à¤•रों की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤

चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को काट कर बनाई गई जैन तीरà¥à¤¥à¤•रों की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤
अब हम दोनों को टैकà¥à¤¸à¥€ वाला सबसे पहले किला ले गया। हाà¤à¤²à¤¾à¤•ि जिस जगह से मैंने टैकà¥à¤¸à¥€ ली वहाठसे किला पास ही था।
किले के बाहर टिकटघर बना हà¥à¤† है। यहाठपर आम à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठटिकेट पाà¤à¤š रूपये का है और विदेशी नागरिक के लिठसौ रूपये का टिकेट है। पता नहीं à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करती है सरकार। शायद यह सोंच कर कि विदेशी बहà¥à¤¤ पैसे वाले होते हैं तो मै यही कहूंगा कि यह सरकार का à¤à¥à¤°à¤® है। वहीं पर à¤à¤• – दो गाइड खड़े थे जो कि मà¥à¤à¤¸à¥‡ गाइड करने के लिठकहने लगे। विदेशी यà¥à¤µà¤¤à¥€ जिसका नाम Lauranne था जो कि फ़à¥à¤°à¤¾à¤‚स से à¤à¤¾à¤°à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआयी थी ,से पूछा तो उसने मना कर दिया शायद वह गाईड पर पैसे खरà¥à¤š नहीं करना चाहती थी। गाइड मà¥à¤à¥‡ बताने लगा कि यह किला तीन मंजिला नीचे तक बना हà¥à¤† है। विना गाइड के अगर आप लोग जायेंगे तो केवल किले की दीवारे देखकर लौट आयेंगे। जब तक आप इस किले का इतिहास और इसके सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® अतीत के बारे में नहीं जानेंगे तब तक आपका यहाठआना सारà¥à¤¥à¤• नहीं होगा। मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ लगा गाइड यह बात तो सही कह रहा है। मैंने उससे पूछा कितने पैसे लोगे तो 150 रूपये मांगे। मैंने दोबारा उस विदेशी यà¥à¤µà¤¤à¥€ से पूछा पर à¤à¤¸à¤¾ लगा वह गाइड पर पैसे खरà¥à¤š करने के मूड में नहीं है। मैंने गाइड को बोला कि मै 100 रूपये दे सकता हूà¤à¥¤ यह विदेशी महिला मेरे साथ जरà¥à¤° है पर यह कà¥à¤› à¤à¥€ खरà¥à¤š नहीं करना चाहती है। यह कह कर मै आगे बढ़ गया। गाइड फिर मेरे साथ हो लिया और बोला ठीक है आप सौ रूपये दे देना अगर मेरा काम अचà¥à¤›à¤¾ लगे तो उस विदेशी यà¥à¤µà¤¤à¥€ से मà¥à¤–ातिब होकर बोला कि आप की जो मरà¥à¤œà¥€ हो दे देना।
किले में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही हम पहले à¤à¤• दालान में पहà¥à¤‚चते हैं। यहाठपर खड़े होकर गाइड ने किले के इतिहास के बारे में बताना शà¥à¤°à¥‚ किया। उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° किले का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 500 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ राजा मानसिंह तोमर ने इस किले का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया था। जिनकी आठरानियाठथीं। à¤à¤• बार जंगल से शिकार करके लौटते समय रासà¥à¤¤à¥‡ में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने देखा दो à¤à¥ˆà¤¸à¥‡ आपस में सींग से सींग लड़ाये लड़ रही हैं। उनकी लड़ाई से डर से सहमे हà¥à¤ लोग à¤à¤• तरफ को रासà¥à¤¤à¤¾ छोड़ कर खड़े हà¥à¤ थे। तà¤à¥€ à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° गूजर यà¥à¤µà¤¤à¥€ ने आकर उन दोनों à¤à¥ˆà¤‚सो के सींग पकड़ कर अलग कर दिया। राजा उस लड़की कि बहादà¥à¤°à¥€ देख बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ और यह सोच कर कि इतनी बहादà¥à¤° लड़की से जो संतान होगी वह à¤à¥€ बहà¥à¤¤ बहादà¥à¤° होगी , उससे शादी का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ रखा। लड़की ने राजा के शादी के पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार करने की तीन शरà¥à¤¤à¥‡ रखी। जिसमे से पहली उसकी शरà¥à¤¤ थी वह जंगल की खà¥à¤²à¥€ हवा में रही है इसलिठघूà¤à¤˜à¤Ÿ नहीं करेगी। दूसरी शरà¥à¤¤ थी राजा जहाठकहीं à¤à¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ के लिठजायेंगे वह उनके साथ जायेगी। और तीसरी शरà¥à¤¤ थी कि जिस रेवा नदी का पानी पीकर वह बड़ी हà¥à¤ˆ है वह उसी जल से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करेगी और पियेगी। राजा ने तीनो शरà¥à¤¤ सà¥à¤µà¥€à¤•ार कर ली। तीसरी शरà¥à¤¤ थोड़ी कठिन थी कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि इतनी दूर से नदी के पानी को किले की चढ़ाई पर लाना था। इसके लिठराजा ने अपनी नौवी रानी के लिठकिले से नीचे à¤à¤• अलग से महल बनाया जोकि गूजरी महल के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ हà¥à¤†à¥¤ राजा साहब की यह नौवीं रानी इतिहास में मृगनयनी के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤•ार वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ लाल वरà¥à¤®à¤¾ का उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ मृगनयनी इसी पर आधारित है।

किले के अंदर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर हाथ से काट कर बनाई गई कलातà¥à¤®à¤• जालियां , खंà¤à¥‡ , बà¥à¤°à¥à¤œà¥¤
अब हमारा गाइड किले à¤à¤• à¤à¤• à¤à¤¾à¤— से दूसरे à¤à¤¾à¤— और दूसरे से तीसरे à¤à¤¾à¤— में ले जाकर वहाठके बारे में बता रहा था कि कहाठपर गीत – संगीत की महफ़िल जमती थी तो à¤à¤• तरफ नाच- गाने का रंगा -रंग पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® होता था तो कही पर शयन गृह था। गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में गरà¥à¤®à¥€ न लगे इसके लिठपà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक कूलर का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया था। किले में à¤à¤• à¤à¤¾à¤— से दूसरे à¤à¤¾à¤— में बात करने के लिठà¤à¤• अलग तरह के टेलीफोन का आविषà¥à¤•ार किया गया था।

किले के अंदर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर हाथ से काट कर बनाई गई कलातà¥à¤®à¤• जालियां , खंà¤à¥‡ , बà¥à¤°à¥à¤œà¥¤

गाईड यहाठपर à¤à¤• दीवार के सामने खड़ा है, इसके पीछे पहले सà¥à¤°à¤‚ग थी जिसमे से à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ ओरछा के लिठजाता था वॠदूसरा रासà¥à¤¤à¤¾ आगरा के लिठजाता था।
किले के अंदर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर हाथ से काट कर बनाई गई कलातà¥à¤®à¤• जालियां , खंà¤à¥‡ , बà¥à¤°à¥à¤œà¥¤
किले के अंदर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹ पर हाथ से काट कर बनाई गई कलातà¥à¤®à¤• जालियां , खंà¤à¥‡ , बà¥à¤°à¥à¤œà¥¤

इस हाल में नृतà¥à¤¯ होता था , हमारे गाईड के कहने पर lauranne की नृतà¥à¤¯ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में फोटो
किले के निचले हिसà¥à¤¸à¥‡ में बहà¥à¤¤ ही संकरी सीढ़ियों से होकर जाना होता है।
पूरà¥à¤µ में तो किले के नीचे का à¤à¤¾à¤— राजा -रानियों के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ घर था à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होता था पर बाद में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤˜à¤° के टैंक को जौहर के लिठà¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया गया था। इस सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤˜à¤° के दूसरे à¤à¤¾à¤— में बाद में कैदियो को रखा जाने लगा था। औरंगजेब ने अपने à¤à¤¾à¤ˆ मà¥à¤°à¤¾à¤¦ को à¤à¥€ इसी किले में कैद कर के , उबलते तेल के कढ़ाहे में डाल कर मार देने का आदेश दिया था पर बाद में इसी तहखाने में उसे फांसी दे दी गई। मन में विचार आ रहा था कि सतà¥à¤¤à¤¾ को मोह इंसान को किस कदर हैवान बना देता है कि à¤à¤¾à¤ˆ ही à¤à¤¾à¤ˆ का दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ बन जाता है। इस वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ की लड़ाई में औरंगजेब विजयी हà¥à¤† था।

उस समय की टेलीफोन पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ , à¤à¤• होल इनकमिंग का है और दूसरा आउटगोइंग के लिà¤à¥¤
किले के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¾à¤—ो में घूम कर हम वापस लौटे। गाइड को उसकी फीस सौ रूपये दिà¤, lauranne ने कंजूसी करते हà¥à¤ केवल बीस रूपये ही दिà¤à¥¤ जबकि सारे समय गाइड महोदय lauranne से मà¥à¤–ातिब होकर , किले के बारे में और उसके इतिहास के बारे में बताते रहे। हाà¤à¤²à¤¾à¤•ि गाइड महोदय खà¥à¤¶ थे। यहाठसे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° हमें सास- बहू के मंदिर के ले गया।

सास-बहॠका मंदिर सही शबà¥à¤¦à¥‹ में सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¹à¥ का मंदिर

सास-बहॠका मंदिर सही शबà¥à¤¦à¥‹ में सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¹à¥ का मंदिर
सास -बहॠमंदिर गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° किले के पूरà¥à¤µà¥€ ओर है। समय के साथ इस मंदिर का नाम बिगड़ कर सास बहॠमंदिर हो गया है। जबकि यह मंदिर सास और बहॠका नहीं है। यह नाम सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¹à¥ नाम से निकला है जो à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ का दूसरा नाम है। इसके दरवाज़े पर à¤à¤—वान बà¥à¤°à¤®à¥à¤¹à¤¾, à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और देवी की नकà¥à¤•ाशियां की हà¥à¤ˆ हैं।
यहाठदो मंदिर है जिनमें से à¤à¤• बड़ा है और à¤à¤• छोटा। यह मंदिर लाल बलà¥à¤† पतà¥à¤¥à¤° से बना है जिस पर कमल की नकà¥à¤•ाशियां की हà¥à¤ˆ हैं। इसकी संरचना पिरामिड के आकार की है जिसमें कोई मेहराब नहीं है। कहते हैं इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 11 वीं शताबà¥à¤¦à¥€ के कछवाहा राजवंश के राजा महिपाल ने करवाया था।
अब यहाठपर मंदिर के अंदर कोई मूरà¥à¤¤à¤¿ नहीं है। शायद मà¥à¤—़ल आकà¥à¤°à¤‚ताओ या अनà¥à¤¯ आकà¥à¤°à¤¾à¤‚ताओं ने तोड़ दी थी।
तेली का मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•ूट शासक गोविंदा III (793-814) ने 794 में गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° फ़ोरà¥à¤Ÿ पर अधिकार कर लिया और इस मंदिर का पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कारà¥à¤¯ तैलंग बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को सौप दिया इस वजह से मंदिर का नाम यह पड गया. à¤à¤• अनà¥à¤¯ मतानà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› तेल के वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° करने वालों या तेली जाति के लोगों ने इस मंदिर के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की शà¥à¤°à¥‚आत की थी इस वजह से इसका नाम तेली मंदिर पडा. पर à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि इसका संबंध तैलंगाना (आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶) से रहा होगा जो सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बोली में वकà¥à¤¤ के साथ बदलकर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में पà¥à¤•ारे जाने वाले नाम “तेली का मंदिर” में बदल गया होगा. हाà¤à¤²à¤¾à¤•ि यहाठपर लगे शिलालेख में यही लिखा है कि इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ तेल के वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने करवाया था। इस मंदिर के आस – पास कई छोटे – छोटे से मंदिरो के à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ à¤à¥€ देखने को मिलते हैं। पूरे उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° किले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ तेली मंदिर में आप दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¼ आरà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ शैली का अदà¤à¥à¤¤ समनà¥à¤µà¤¯ देख सकते है. गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¤¿ में बना यह मंदिर गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° फ़ोरà¥à¤Ÿ में बना सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ मंदिर है। तेली मंदिर का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पूरà¥à¤µ दिशा की तरफ़ है. पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के à¤à¤• ओर कछà¥à¤ पर यमà¥à¤¨à¤¾ व दूसरी ओर मकर पर विराजमान गंगा की मानव आकृतियां हैं. अंदर आयताकार गरà¥à¤à¤—ृह में छोटा सा मंडप और निचले à¤à¤¾à¤— में 113 छोटे देव पà¥à¤°à¤•ोषà¥à¤ हैं जिनमें देवी-देवताओं की मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ थीं. पर वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में यहां कोई मूरà¥à¤¤à¤¿ नहीं है।
कहते हैं आरà¥à¤¯ दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¼ शैली के इस मंदिर को सन 1231 में, यवन आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•ारी इलà¥à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंदिर का अधिकांश हिसà¥à¤¸à¤¾ धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कर दिया गया था. इसके उपरांत 1881–1883 ई. के मधà¥à¤¯ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ शासकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤µà¤¿à¤• महतà¥à¤µ के मदà¥à¤¦à¥‡à¤¨à¤œà¤° मेजर कीथ के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° किले पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अनà¥à¤¯ मंदिरों, मान महल [मंदिर] के साथ-साथ तेली मंदिर का à¤à¥€ सरंकà¥à¤·à¤£ करवाया. मेजर कीथ ने ही इधर-उधर बिखरे पड़े à¤à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤µà¤¶à¥‡à¤·à¥‹à¤‚ को जà¥à¤Ÿà¤¾à¤•र तेली मंदिर के सामने à¤à¤µà¥à¤¯ और आकरà¥à¤·à¤• दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ बनवाया।
तेली के मंदिर का अवलोकन करने के बाद हमने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से पूछा अब कहाठचलना है। बोला अब आप लोगो को गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ ले चलता हूà¤à¥¤ इस समय तक शाम ढलने लगी थी पहले तो विचार आया कि छोड़ो वापस चलते हैं पर फिर लगा कि जाना चाहिà¤à¥¤ उस समय तक मà¥à¤à¥‡ इस गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ का इतिहास नहीं मालूम था। इसी किले में सिखों के छठे गà¥à¤°à¥ को मà¥à¤—लो ने कैद किया था पर बाद में जहांगीर ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रिहा कर दिया था। कहते हैं गà¥à¤°à¥ साहब ने रिहा होते वकà¥à¤¤ शरà¥à¤¤ रखी थी कि मेरे साथ कैद इन हिनà¥à¤¦à¥‚ राजाओं को à¤à¥€ रिहा किया जाय। तब जहाà¤à¤—ीर ने कहा जितने à¤à¥€ राजा आपका कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ पकड़ कर बंदी गृह से निकल सकते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ छोड़ दिया जायेगा। कहते हैं उस समय करीब 52 राजाओं ने उनका कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ पकड़ कर बंदी गृह से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पायी थी। उसी की याद में यहाठपर à¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बना हà¥à¤† है। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने हमें गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के पास उतार दिया। गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के बाहर फोटो न खींचने के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ वहाठपर लिखे हà¥à¤ थे। पहले तो मन हà¥à¤† कि दिन à¤à¤° की थकान है बाहर से दरà¥à¤¶à¤¨ करके लौट चलेंगे पर टैकà¥à¤¸à¥€ से उतरते ही गà¥à¤°à¥‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के बाहर वातावरण में गूंजती हà¥à¤ˆ गà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤£à¥€ की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ ने नई ऊरà¥à¤œà¤¾ का संचार कर दिया। अब हमने जूते उतार सर पर पटका बांध कर गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करके वापस लौटे। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बताया अब किले का टूर ख़तà¥à¤®à¥¤ उसने हमें किले से नीचे छोड़ दिया।
यहाठसे टहलते हà¥à¤ हम बाहर मà¥à¤–à¥à¤¯ सड़क पर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ वहीं पर à¤à¤• जगह गोल गपà¥à¤ªà¥‡ बिक रहे थे। lauranne ने पूछा इसका कà¥à¤¯à¤¾ नाम है मैंने कहा यहाठपर तो गोल गपà¥à¤ªà¥‡ कहते हैं मà¥à¤à¥‡ नहीं मालूम कि फ़à¥à¤°à¤¾à¤‚सिसी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं। कहने लगी मà¥à¤à¥‡ खाना है। सà¥à¤¨ कर मà¥à¤à¥‡ ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि मेरी जानकारी तो यही थी कि यह लोग चटपटी और तीखी खाने की चीजे पसंद नहीं करते हैं। परनà¥à¤¤à¥ यह तो उसके विपरीत है। गोल गपà¥à¤ªà¥‡ के बाद वहाठपर बिक रहे चना जोर गरà¥à¤® का à¤à¥€ उसने सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया। बातो ही बातो में मैंने उसे बताया मै सामाजिक , राजनीतिक विषयो पर लिखता à¤à¥€ हूठसाथ ही साथ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾à¤“ पर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ डॉट कॉम की साईट पर लिखता हूà¤à¥¤ आज जो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की है इस पर à¤à¥€ लिखूंगा तà¤à¥€ मैंने हर à¤à¤• जगह के फोटो खींचे है। अपना मेल आईडी देकर कहने लगी कि मà¥à¤à¥‡ मेल करना। मैंने कहा लेकिन मै तो अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ में लिखता हूà¤à¥¤ तब उसने बताया कि उसे à¤à¥€ हिंदी आती है।
शाम ढलने लगी थी मेरी गाडी सात बजे की थी। सोंचा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ चला जाय वहीं पर शाम की चाय पीकर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° करेंगे। मैंने lauranne को अपना पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बताया। बोली मै à¤à¥€ साथ चलती हूà¤à¥¤ रासà¥à¤¤à¥‡ में वह शहर के फोटो खींचती रही। सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के बाहर मारà¥à¤•िट में हम उतर गà¤à¥¤ यहाठपर कई छोटे – छोटे रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट , हलवाई की दूकान आदि हैं। à¤à¤• मिठाई की दूकान पर चाय की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ देख हम उसमे जाकर बैठगà¤à¥¤ वहाठकाउनà¥à¤Ÿà¤° पर तरह – तरह की मिठाई देख कर वह उनको खाने के लिठउतà¥à¤¸à¥à¤• हो गई। मैंने उसके लिठमिठाई , समोसा और दोनों के लिठचाय मà¤à¤—वाई । मिठाई में उसे रस मलाई बहà¥à¤¤ पसंद आयी। चाय पीकर बाहर आये। वह और मिठाई खरीदना चाहती थी , मैंने दà¥à¤•ानदार से कहा आठ– दस पीस अलग – अलग तरह की मिठाई के पैक करके दे दो।
अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो चà¥à¤•ा था। अब मà¥à¤à¥‡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के लिठजाना था। lauranne का होटल वही पास में लिंक रोड पर था. मैंने वहाठपर खड़े à¤à¤• टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• सिपाही से कहा कि यह विदेशी लड़की है , इस समय अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो गया है इसलिठसावधानी के नाते किसी ऑटो वाले को समà¤à¤¾ कर इसके होटल पहà¥à¤à¤šà¤µà¤¾ दो। सिपाही ने à¤à¤• ऑटो वाले को रोक कर उसे lauranne को होटल छोड़ने के लिठबोला साथ ही साथ अपने परà¥à¤¸ से निकल कर ऑटो का à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ à¤à¥€ देने लगा। यह देख मैंने कहा नहीं – नहीं आप पैसे मत दो , à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ यह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ दे देगी। वैसे बहà¥à¤¤ ख़à¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ कि कà¥à¤› सिपाही इतने अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¥€ होते हैं वरà¥à¤¨à¤¾ देखने में तो यही आता है कि अपने आप तो मà¥à¤«à¥à¤¤ में सैर करते ही हैं और अगर कोई जानने वाला मिल जाय तो उसे à¤à¥€ पैसे नहीं देने देते हैं। मैंने कहा लाओ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ फोटो खींच लेते हैं अपने लेख में पà¥à¤°à¤•ाशित करूà¤à¤—ा पर शायद हाथ हिल गया और फोटो साफ नहीं आई। यह थी मेरी गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° की सैर हांलाकि बहà¥à¤¤ जगह अà¤à¥€ à¤à¥€ थीं लेकिन à¤à¤• दिन में इतना ही घूम सका।
Very elaborate and detailed post Mr. Rastogi. Thank you.
When I visited, we were driving in our own car so we missed all the ‘Jain Tirthankar’s motifs/sculptors’. So thank you for sharing the pictures and about them. Could not agree more with you on your views about Mughal’s (Guess more of Hun and Mongols) way to destroying these things in the name of religion (idol worship).
The fort is indeed very well kept but authorities should do more in helping visitors by providing bonafide guides with fixed charges so that both the parties are comfortable. Not sure if there is any plan of introducing “Audio Guides’ but if that can happen, it would further help foreign tourists. It is hard for anyone from outside to appreciate and understand our English (accent, pronunciation, diction etc).
Hope Lauren gets to read your note and comment on it. Wishes.
dear Nandan
इस किले का जो इतिहास है उसके आधार पर मैंने मुस्लिम आक्रंताओ को इसके लिए दोषी ठहराया है। कहते हैं सबसे पहले इस पर इब्राहीम लोदी ने कब्ज़ा किया था पर बाद में उससे मुगलो ने जीत लिया था।
Kamlanshji,
Very informative and elaborate narration. I am learning from you all the difference between elaborated and exaggerated. Good learning. We have a plan to visit MP soon and this post will definitely help me as a guide for Gwalior. Nice pics & great job.
Keep traveling
Ajay
dear Ajay Sharma Ji
बहुत ख़ुशी होती है जब लोग को इस तरह सराहते हैं। बहुत – बहुत धन्यवाद।
Hi Kamlanshji,
I was there last saturday and already I am seeing my (your) post! It took me two trips to Gwalior Fort to cover everything including the Gurjari Mahal down below. Covering everything by walking can be arduous but young people here can definitely do it.
Enjoyed the post – the Man Mahal as you mentioned with its communication system is amazing!
Dear Nirdesh Ji
मै समझता हूँ कि आप तो बहुत कुछ बेहतर जानकारी इकट्ठी कर चुके होंगे। आपके लेख का इन्तजार रहेगा।
रस्तोगी जी,
य़ात्रा वृतान्त तो निःसंदेह बेहद खूबसूरत और रुचिकर बन पड़ा है, जिसके लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद. लेकिन विदेशी मेहमान को जो प्यार और मान दिया उसके लिए आपको कोटि-कोटि प्रणाम्. हालांकि, यह हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन कितने लोग समझते हैं. आपकी ये साधुता, विदेश में अनेकों की नजर में, देश को ना केवल शर्मिंदगी से बचाएगी बल्कि सम्मान पूर्वक लोग चर्चा करेंगे. उस अनजान सच्चे सिपाही को भी मेरा प्रणाम्.
साभार नमस्कार.
dear vinod ji
जिस तरह से हम अपने घर आये हुए मेहमान का आदर – सत्कार करते है वैसे ही हमे विदेशी अतिथियो के साथ व्यवहार करना चाहिए। परन्तु दुनिया है हर जगह कुछ अच्छे कुछ बुरे लोग होते हैं अगर आपका वास्ता अच्छे लोगो से पड़ता है तो बहुत ख़ुशी होती है वहीँ अगर कोई बुरा मिल जाता है तो कष्ट होता है। मैंने जो मिठाई उसे पैक करवा कर दी तब वह पैसे देने को उत्सुक हुई परन्तु मैंने कहा नहीं तुम रहने दो इसे हमारी तरफ से गिफ्ट है। तो भाई यह तो दुनिया है। हर तरह के प्राणी हैं यहाँ।
बहुत – बहुत धन्यवाद।
Hi Kamlansh ji
One more nice write up from your pen. Very descriptive, informative and supported with some astonishing pics.
While reading your post, seems like Nirdesh ji writing in Hindi.
Kamlansh ji, विजेता तो अपने मन माफिक काम करते ही हैं, ये जंगल का कानून तो सदियों से लागू है, और आज भी उसी तरह से कायम है | प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर का एक कथन है कि किसी भी मन्दिर की बुनियाद में आपको किसी ना किसी बोद्ध विहार के अवशेष ही पायेंगे |
गुरूद्वारे का आपने अच्छा वर्णन किया है, इस दिन को सिख समुदाय में दिवाली के ही दिन बंदी छोड़ गुरुपुरव के नाम से मनाया जाता है |
कुल मिलाकर, एक बेहतरीन पोस्ट !
Thanx for sharing.
अवतार सिंह जी
बहुत – बहुत धन्यवाद आपको लेख का दूसरा भाग पसंद आया। बहुत ख़ुशी होती है जब अन्य उत्कृष्ट लेखक आपके लेख को सराहते हैं।
Very nice description and good photos. Normally people think foreigner are rich, but they saved for long time and then go to travel, always have budget in which they have to live.
Thanks for so wonderful post.
सुरेन्द्र शर्मा जी
बिलकुल सही आपने लिखा है वह बड़ी किफायत से अपने खर्चे करते हैं और फिर अपनी सेविंग को घूमने – फिरने में खर्च करते हैं। मुझे नहीं मालूम इस तरह का भेद-भाव विदेशो में है या नहीं परन्तु हिंदुस्तान में तो मैंने बहुत सारे historical एवं अन्य स्थानो पर देखा है जहाँ पर विदेशी पर्यटको से अधिक फ़ीस ली जाती है। बहुत दिनों के बाद आपके कमेंट घुमक्कड़ पर देखने को मिले हैं।
बहुत – बहुत धन्यवाद।
रस्तोगीजी
आपने बहुत ही सहज रूप से हमें ग्वालियर के किले और महलों का परिचय कराया है। भाषा प्रवाह तो ऐसा है कि लगता है जैसे हम भी आपके साथ ही भ्रमण कर रहे हों। फोटो सभी अद्भुत आये है। विदेशी पर्यटक को आपने जो स्नेह दिया है उससे निश्चित रूप से भारत कि मेहमान नवाज़ी को विदेशों में काफी बल मिलेगा।
dear Om Prakash ji
बहुत अच्छा लगा कि आपको यह लेख पसन्द आया। हमारे नंदन जी तो 15 -16 से ज्यादा फोटो लेख में प्रकाशित नहीं करते हैं। हाँ मेरे ब्लॉग पर देख सकते हैं।
http://rastogi-yatra.blogspot.in/
रस्तोगी जी… बहुत बढ़िया विवरण…सास-बहू का किला बहुत सुन्दर लगा..
thanks a lot
रस्तोगी जी… बहुत बढ़िया विवरण
बेहद खूबसूरत और रुचिकर य़ात्रा वृतान्त … धन्यवाद।
DEAR NARESH JI
THANKS
BAHUT ACHA LAGA YE LEKH PADKAR BAHUT KNOWLEDGE GAIN KI
TNX