दूसरा दिन
अगले दिन नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद चेक आउट कर के करीब 10:30 बजे हम लोग निकले। रानेह फ़ॉलà¥à¤¸ के लिà¤à¥¤ रानेह फ़ॉलà¥à¤¸ करीब 25km की दूरी पर है और पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ मे लगà¤à¤— 40 minute का समय लगता है। कहते है यहाठआने का सबसे सही समय मॉनसून का मौसम है, जब इतना पानी होता है कि पानी के गिरने की आवाज़ 15-20 km तक सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है लेकिन सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मे यहाठआने का अनà¥à¤à¤µ ही अलग है, जब पानी कम होने के कारण घाटी की चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अलग अलग रंगो को देखा जा सकता है।

जवालामà¥à¤–ी के लावे से बनी अलग अलग रंगो की चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का यह विशिषà¥à¤Ÿ नज़ारा तो इसी मौसम मे देखा जा सकता है । गाइड के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• फ़ॉलà¥à¤¸ तो आप à¤à¤¾à¤°à¤¤ मे और à¤à¥€ कई देख सकते है लेकिन 5000 साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ 5 रंगो की चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚( Green dolomite, Black Basalt, Brown Quartz, Red Jaspar and pink coloured granite) केवल यहीं पर मिलती है । यह घाटी 5 km मे फैली हà¥à¤ˆ है और जो गहराई इन चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ मे दिखाई देती है, वह “Grand Canyon†के अतिरिकà¥à¤¤ संसार मे और कहीं दिखाई नहीं देती, इसलिठइसे “Canyon of India†à¤à¥€ कहा जाता है।

यहीं से घढ़ियाल sanctuary के लिठमारà¥à¤— आरंठहोता है। इस पशॠविहार मे हमे कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ जानवर जैसे नीलगाय, हिरण आदि देखने को मिले। केन नदी के छोर पर दूरबीन के सहायता से हम कà¥à¤› आराम फरमाते घढ़ियाल à¤à¥€ देख सके।

कà¥à¤› देर के बाद हम पांडव फ़ॉलà¥à¤¸ के निकले जो कि यहाठसे 31km है । लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ अचà¥à¤›à¤¾ नहीं होने के कारण 1 घंटा लग जाता है। यह पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिजरà¥à¤µ के बिलकà¥à¤² साथ सटा हà¥à¤¯à¤¾ है। रासà¥à¤¤à¥‡ मे मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• विà¤à¤¾à¤— के अतिथि गृह मे à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया । पांडव फ़ॉलà¥à¤¸ की पà¥à¤°à¤•रà¥à¤¤à¤¿à¤• छटा तो देखते ही बनती है। जैसा कि नाम से विदित होता है यहाठपांडवो ने बनवास का कà¥à¤› समय बिताया था।
चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ और बीचों बीच फ़ॉलà¥à¤¸ से गिरता पानी और पानी से बना तालाब । ऊपर से गिरता पानी इतना शà¥à¤¦à¥à¤§ है कि उसे पीना सेहत के लिठअचà¥à¤›à¤¾ माना जाता है। लगà¤à¤— 300 सीडियाठउतार कर हम तालाब के किनारे पहà¥à¤‚चे। यहाठà¤à¤• छोटी सी गà¥à¤«à¤¾ à¤à¥€ है । दूर दूर तक छाई खामोशी , छोटी छोटी धाराओं से बहता निरà¥à¤®à¤² जल, ऊंचे ऊंचे पेड़ मन को सà¥à¤•ून सा आ गया। सà¥à¤‚दर, अति सà¥à¤‚दर। à¤à¤¸à¤¾ लगता है मानो पà¥à¤°à¤•ृति ने दोनों हाथों से अपना खज़ाना यहाठलà¥à¤Ÿà¤¾à¤¯à¤¾ है ।

पà¥à¤°à¤•ृति के इन नज़ारों को आà¤à¤–ों मे बसाये हम चल दिये वापिस खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ की ओर, वही रात को संपरà¥à¤• कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति पकड़ने के लिठ।
टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के कोच मे à¤à¤• और लड़की से मà¥à¤²à¤¾à¤•़ात हà¥à¤ˆà¥¤ वह डेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¨à¤¶à¤¨ वैडिंग मे समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होने दिलà¥à¤²à¥€ से आई थी। मै अचंà¤à¤¿à¤¤ हो गई जब उसने पूछा आप खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आठथे, आप कैसे जानते है इस के बारे मे। कà¥à¤¯à¤¾ इतने कम लोग जानते है इस मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ चमतà¥à¤•ार खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ के बारे मे ? कà¥à¤¯à¤¾ हमारी महान सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और संसà¥à¤•ृति की अमूलà¥à¤¯ देन के साथ इतिहास ने नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं किया ?
सच मे, मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ चमतà¥à¤•ारों का खज़ाना खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ और पà¥à¤°à¤•ृति का अमूलà¥à¤¯ खज़ाना रानेह फ़ॉलà¥à¤¸ और पांडव फालà¥à¤¸ का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन हमारे देश मे उतना नहीं हà¥à¤† जितने के यह हकदार है।