सावन के महीने का आगमन दिलà¥à¤²à¥€ में हो गया था किनà¥à¤¤à¥ बारिश की बूंदो का इंतजार अब à¤à¥€ बाकि था, लग ही नहीं रहा था की इस बार दिलà¥à¤²à¥€ में बारिश होगी à¤à¥€ या नहीं। आख़िरकार है तो यह दिलà¥à¤²à¥€ ही न, रोजाना यहाठवहां की खबरों को सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हà¥à¤ यह पता चल जाता था की सलमान की à¤à¤•-à¤à¤• फिलà¥à¤® 100 करोड़ कमा रही है किनà¥à¤¤à¥ पूरी दिलà¥à¤²à¥€ में 100 लीटर à¤à¥€ पानी बरस जाये तो गनीमत होगी। बेचारा मन यह सब नहीं जानता अतः उसे शांत करने के लिये सोचा की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न किसी परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² में जाकर थोड़ा समय बिता लिया जाये और साथ के साथ वरà¥à¤·à¤¾ ऋतू का आननà¥à¤¦ à¤à¥€ उठा लिया जाये। बातो ही बातो में तय हो गया की इस बार हम अगले तीन दिनों के लिठहरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, ऋषिकेश और नीलकंठमहादेव के मंदिर की पावन यातà¥à¤°à¤¾ का लाठउठाà¤à¤‚गे और बोनस के रूप में वरà¥à¤·à¤¾ ऋतू का à¤à¥€ आनंद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेंगे.
योजना को आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दिनांक 11 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2014 को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 6 बजे हम तीन लोग (मैं, माताशà¥à¤°à¥€ और बहन जी) अपनी वैगनआर पर सवार होकर निकल पड़े हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की तरफ और सीधे पहà¥à¤à¤š गठराजनगर, गाजियाबाद जहाठà¤à¤• लमà¥à¤¬à¤¾ जाम हमारी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहा था. दिलà¥à¤²à¥€ की गरà¥à¤® धूप और उस पर लमà¥à¤¬à¤¾ जाम, अगले दो घंटो के लिठयह दोनो हमारे सफर के साथी बन गठऔर गाड़ी का इंजन वॠà¤à¤¸à¥€ आन कर सिवाय गाड़ी के अंदर बैठे रहने के अलावा हमारे पास और कोई चारा नहीं था. इसी दरमà¥à¤¯à¤¾à¤¨ हमने अपने घर से लाये गठनाशà¥à¤¤à¥‡ को निबटाया और फिर आराम से यहाà¤-वहां अनà¥à¤¯ पथिकों को देखते हà¥à¤ समय बिताने लगे. लगà¤à¤— दो घंटो के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ जाम के खà¥à¤²à¤¤à¥‡ ही हमने सरपट गाडी दौड़ा दी और 100 -125 किमी चलने के बाद सीधे चीतल गà¥à¤°à¥ˆà¤‚ड होटल में जाकर ही बà¥à¤°à¥‡à¤• लगे.
यहाठà¤à¤•-à¤à¤• ठंडी लसà¥à¤¸à¥€ का गà¥à¤²à¤¾à¤¸ पीने और कà¥à¤› देर आराम करने के बाद अपनी आगे की यातà¥à¤°à¤¾ हमने फिर से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर दी. यहॉ यह बताना चाहूंगा की चीतल गà¥à¤°à¥ˆà¤‚ड à¤à¤• फà¥à¤²à¥à¤²à¥€ à¤à¤¸à¥€ होटल है जहाठअंडर-गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड फà¥à¤°à¥€ कार पारà¥à¤•िंग के साथ-साथ आप अपने परिवार के साथ पेट à¤à¤°à¤•र हर पà¥à¤°à¤•ार का खाना चख सकते है. कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ है और माहौल à¤à¥€ बà¥à¤¿à¤¯à¤¾ है. किनà¥à¤¤à¥ रेट किसी बजट पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ को थोड़ा कषà¥à¤Ÿ दे सकते है. खैर हमारा बिल तो सेवा कर सहित केवल लगà¤à¤— रॠ180 ही आया और थकान à¤à¥€ मिट गयी. पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹ में इस होटल में काफी परिवरà¥à¤¤à¤¨ या फिर विकास हà¥à¤† है. यहां से आगे बà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बहà¥à¤¤ से खेत-खलियान और टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° हमारे पथ साथी बने रहे किनà¥à¤¤à¥ बारिश की बà¥à¤à¤¦à¥‡ अब à¤à¥€ नहीं दिखी थी. दिलà¥à¤²à¥€-हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° राजमारà¥à¤— अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤—म तो नहीं है किनà¥à¤¤à¥ नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ गति में चलेंगे तो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ नहीं लगेगा, हाठवरà¥à¤·à¤¾ ऋतू में अवशà¥à¤¯ ही यातà¥à¤°à¤¾ कषà¥à¤Ÿà¤¦à¤¾à¤¯à¥€ हो सकती है.
और à¤à¤¸à¥‡ ही बतियाते हà¥à¤ हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तक पहà¥à¤à¤š गये
दोपहर के दो बज रहे थे और धूप अपने चरम वेग पर थी. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही सबसे पहले मैंने अपनी कार का फà¥à¤¯à¥‚ल टैंक दोबारा से फूल करवा लिया था कà¥à¤¯à¥‚ंकि सफर में फà¥à¤¯à¥‚ल की जरूरत बहूत होती है न जाने फिर कब, कहाठऔर कितने घंटे रनिंग इंजिन और à¤à¤¸à¥€ के सहारे जाम में बिताने पड़े. उसके बाद कार को हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की पारà¥à¤•िंग जिसका शà¥à¤²à¥à¤• रॠ30 /पà¥à¤°à¤¤à¤¿ 12 घंटे था में ही छोड़ दिया और साईकिल रिकà¥à¤¶à¤¾ से सामान सहित सीधा हर की पौड़ी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होटल पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ में रॠ1200 / पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन मूलà¥à¤¯ का à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ रूम अगले दो दिनों के लिठबà¥à¤• कर लिया। à¤à¤¸à¥€ और टीवी चल रहे थे, बिसà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ साफ़ था बाथरूम में पानी सफà¥à¤²à¤¾à¤‡ की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नही थी, साथ ही में à¤à¤• छोटी सी बालकोनी थी जिससे बाहर का बाजार दिखाई दे रहा था अंततः रूम ठीक-ठाक था, किनà¥à¤¤à¥ आफ सीजन में शायद रेट थोड़े और कम हो जाते होंगे.
कà¥à¤› देर रूम में ही आराम करने के बाद शाम को तकरीबन 5 बजे हम लोग माता मनसा देवी के दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠनिकल पड़े किनà¥à¤¤à¥ वहां जाकर पता चला की मेंटेनेंस वरà¥à¤• के कारण रजà¥à¤œà¥ मारà¥à¤— तो बंद पड़ा है. सबका चेहरा उतà¥à¤¤à¤° गया किनà¥à¤¤à¥ माता का बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ था अतः हमने पैदल चलने का तय किया और हांफते-2 पसीने में à¤à¥€à¤—ते हà¥à¤ 50 मिनट के à¤à¥€à¤¤à¤° माता के मंदिर तक की दूरी तय कर ली. दरà¥à¤¶à¤¨ अचà¥à¤›à¥‡ से हो गठऔर मà¥à¤à¥‡ मेरे पसंदीदा पकोड़े और जलेबी चाय के साथ खाने को मिल गठजो की बाहर ही मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में उपलबà¥à¤§ छोटे-2 ढाबो में आपको मिल जाते है. माता का मंदिर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ नही है और यहां तक पैदल मारà¥à¤— में लगाने वाला नारà¥à¤®à¤² समय 35 मिनट तक ही होता है, रजà¥à¤œà¥ मारà¥à¤— से केवल 2 -3 मिनट लगते है. माता को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करने और पेट पूजा के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अब हम लोग वापिस चल दिठमाठगंगा के दरà¥à¤¶à¤¨ करने हेतॠहर की पौà¥à¥€à¥¤
शाम के 7 बज रहे थे और घाट पर बहà¥à¤¤ ही चहल -पहल वाला माहौल था कà¥à¤¯à¥‚ंकि माता की आरती का समय जो हो चला था, जिसे जहाठजगह मिली वो वहीठबैठगया और जो बैठन सका वो खड़ा ही रह गया. यहाठà¤à¥€ माठगंगा के दरà¥à¤¶à¤¨ और पूजा दोनों ही अचà¥à¤›à¥‡ से हो गठऔर घूमते-फिरते हà¥à¤ रातà¥à¤°à¤¿ का डिनर करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हम वापिस अपने रूम में आकर सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगे. लेकिन मेरा मन हमारी गाडी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ थोड़ा à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ था, आखिरकार à¤à¤• अनजान शहर में हमसे लगà¤à¤— 2.5 किमी दूर जो पारà¥à¤• हो रखी थी. मैंने मन बना लिया की à¤à¤• बार ज़रा उसे निहार आता हॠतब बाद में इतà¥à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤¨ से सो जाऊंगा। इस पूरी गतिविधि में मà¥à¤à¥‡ 1 घंटे का समय लग गया और मैं वापिस अपने रूम में आकर सबके साथ टीवी देखने में मशगूल और अंततः निदà¥à¤°à¤¾ मगà¥à¤¨ हो गया.
जी à¤à¤° कर सोने के बाद जब आà¤à¤– खà¥à¤²à¥€ तो à¤à¤• खूबसूरत पहाड़ी सà¥à¤¬à¤¹ बारिश की फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ हमारा इनà¥à¤œà¤¾à¤° कर रही थी. सà¥à¤¬à¤¹ के 5 बजे थे हमे गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठजाना था, और फिर उसके बाद नीलकंठमहादेव जी के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ तो करने थे. हर कारà¥à¤¯ समय पर होता चला गया और ठीक 7 बजे हम अपनी कार में सवार होकर निकल पड़े अपने अगले सफर की और. हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° शहर का राजमारà¥à¤— उस पर चलते छोटे-बड़े हर पà¥à¤°à¤•ार के वाहन और आकाश से बरसता पानी à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ दृशà¥à¤¯ की संरचना कर रहे थे. इसी पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता को निहारते हà¥à¤ हम पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गठà¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ पहाड़ी मारà¥à¤— में जो संकरा होने के साथ-२ घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° à¤à¥€ था. यह मारà¥à¤— सीधे आपको नीलकंठमहादेव मंदिर तक लेकर जाता है किनà¥à¤¤à¥ यहां डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ अतà¥à¤¯à¤‚त ही सावधानी पूरà¥à¤µà¤• करनी पड़ती है कà¥à¤¯à¥‚ंकि शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ पैदल और वाहन दोनों पà¥à¤°à¤•ार की यातà¥à¤°à¤¾ कर रहे होते है और साथ में जंगली हाथियों से सामना होने की चिंता अलग से। यह à¤à¤• वनीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है और हाथी संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¥€ अतः सावधानी बरतना अति आवशà¥à¤¯à¤• है। नीचे घाटी में तीवà¥à¤° वेग से बहती माठगंगा का विशाल रूप à¤à¥€ आपको मोहने के लिठपरà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है. सà¥à¤¬à¤¹ से कà¥à¤› खाया-पीया तो नही था अतः रासà¥à¤¤à¥‡ में ही à¤à¤• पहाड़ी के किनारे उपलबà¥à¤§ टी-सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² से चाय बनवा कर साथ लाये गठबिसà¥à¤•िट का सेवन किया और फिर से आगे बॠचले. यहां सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ परेशान करते है आपको टैकà¥à¤¸à¥€ वाले जिनका à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ समय होता है सवारी को ऋषिकेश से नीलकंठतक दरà¥à¤¶à¤¨ करवा कर वापिस लाने का और इसलिठवो आपकी कार को उस संकरे और घà¥à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤° पहाड़ी मारà¥à¤— पर à¤à¥€ ओवरटेक करने से बाज नही आते और यदि आपने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जगह नही दी तो हॉरà¥à¤¨ दे-देकर आपका चलना मà¥à¤¶à¥à¤•िल कर देते है. वैसे सावन माह में हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में à¤à¥€à¥œ थोड़ा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हो जाती है कà¥à¤¯à¥‚ंकि आम परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के साथ-2 आपको कांवड़िया मंडली से à¤à¥€ दो चार होना पड़ता है. और शिवजी के मंदिर में तो आप तैयार रहिये à¤à¤• जबरदसà¥à¤¤ मà¥à¤•ाबले के लिà¤. किनà¥à¤¤à¥ इनकी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ की आगे हम à¤à¥€ नतमसà¥à¤¤à¤• हो लिठऔर à¤à¤—वान नीलकंठके दरà¥à¤¶à¤¨ उपरांत चारो तरफ तैरते बादल और रिमà¤à¤¿à¤® बरसती वरà¥à¤·à¤¾ का आनंद लेने लगे.
कà¥à¤¯à¤¾ मनोहारी दृशà¥à¤¯ था, विशाल पहाड़ पर फैली हरियाली, उन पर सीà¥à¥€à¤¨à¥à¤®à¤¾ खेत और चेहरे को छूते बादल। हवा तो जैसे ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ का शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ हो रही थी और थकान मानो छू-मंतर थी. हालांकि मां थोड़ा थक जरूर गयी थी किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• नया तीरà¥à¤¥ करने के बाद खà¥à¤¶ à¤à¥€ हो गयी थी, और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ख़à¥à¤¶à¥€ तो इस बात की हो रही थी की हम अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯ गृह नगर पौड़ी गà¥à¤µà¤¾à¤² में थे। यहां à¤à¤• बात और कहना चाहूंगा की नीलकंठमें कार पारà¥à¤•िंग की वैसे कोई ख़ास समसà¥à¤¯à¤¾ नही है किनà¥à¤¤à¥ सीजन होने के कारण हमे तो पारà¥à¤•िंग मिली नही इसलिठअपने दिलà¥à¤²à¥€ वाले सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² में उसे सड़क के किनारे पारà¥à¤• कर दिया अब दà¥à¤¸à¤°à¥‹ को तकलीफ हो तो मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤¯à¤¾à¥¤à¥¤à¥¤à¥¤
अब बारी थी यहाठसे चलने की, मन तो चाह रहा था की कà¥à¤› देर और बिता लिया जाये किनà¥à¤¤à¥ हमे ऋषिकेश à¤à¥€ जाना था और दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ करना था जिसकी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में अब हम जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नही बिता सकते थे। सेकंड गियर में ही गाड़ी ढलान पर सरपट दौड़ रही थी इसलिठमैंने आगे चल रही गाड़ी के ही पीछे चलना उचित समà¤à¤¾ और लगà¤à¤— 2 घंटो के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हम ऋषिकेश पहà¥à¤à¤š गठऔर सबसे पहले à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ सा होटल देखकर खाने पर टूट पड़े। खा-पीकर थोड़ा टहले और यहां-वहां की सà¥à¤‚दरता का अवलोकन करते हà¥à¤ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ à¤à¥‚ला पहà¥à¤à¤š गठकिनà¥à¤¤à¥ अब शरीर थक कर चूर हो रहा तह इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय न लेते हà¥à¤ हम फिर वापिस अपने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रूम की तरफ चल दिà¤. कà¥à¤² मिलाकर आज का दिन à¤à¥€ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ रहा और समय का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ खूब हà¥à¤†. वरà¥à¤·à¤¾ के जिस सà¥à¤µà¤°à¥‚प के दरà¥à¤¶à¤¨ हमे करने थे वो à¤à¥€ हà¥à¤ और मजा à¤à¥€ खूब आया। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में चपà¥à¤ªà¥‡-२ पर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ करà¥à¤®à¥€ आपकी सहायता के लिठतैनात मिलते है, या फिर कांवड़ यातà¥à¤°à¤¾ के कारण यह सारी वयवसà¥à¤¥à¤¾ थी, मà¥à¤à¥‡ इस विषय में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नही पता किनà¥à¤¤à¥ उनके साथ मेरा अनà¥à¤à¤µ ठीक ही रहा.
शाम के 6 बजे तक हम लोग अपने रूम में वापिस आ चà¥à¤•े थे और सिवाय लेटने के अब हमारे पास कोई काम नही था. रातà¥à¤°à¤¿ 8 बजे डिनर के लिठथोड़ी देर बाहर गठऔर फिर अपने रूम में आकर निदà¥à¤°à¤¾à¤®à¤—à¥à¤¨ हो गये. अगले दिन दिलà¥à¤²à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¥€ तो करना था.
अगले दिन à¤à¥€ बारिश की फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ हमारे सà¥à¤µà¤¾à¤—त में बाहर खडी हमारा इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° कर रही थी, पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ काल की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से हà¥à¤¯à¥€ और 8 बजे तक हम कार में सवार होकर दिलà¥à¤²à¥€ के लिठनिकल चà¥à¤•े थे। वापसी का सफर à¤à¥€ शानदार रहा और रासà¥à¤¤à¥‡ से मातà¥à¤° रॠ300 के 10 किलो आम की पेटी पैक करवा ली। राजमारà¥à¤— पर सड़क किनारे आपको लकड़ी के हाउसहोलà¥à¤¡ सामान बेचने वाले à¤à¥€ मिल जाते है और उनसे मोलà¤à¤¾à¤µ करने पर खरीददारी à¤à¥€ कर सकते है, जैसे हमने रॠ1000 मूलà¥à¤¯ की दो चेयर केवल रॠ700 में ख़रीद ली थी.
इसी तरह आनंद लेते हà¥à¤ हम वापिस दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤š गठऔर यहाठआकर हमने अपनी इस छोटी à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤—म यातà¥à¤°à¤¾ को विराम दिया. अगले यातà¥à¤°à¤¾ वृतांत तक सà¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मेरा नमसà¥à¤•ार।












Hi Arun
Nice write up indeed!
Congratulations for that!!!
There is no off season in Haridwar, you will find the same rush of pilgrimage right through the year. Although one can see huge pool of heads during Sawan because of Kanvarias, but the city has great potential to contain everyone in itself.
This May, we too spent a few days in Haridwar, your post resurge all the memories once again!
A good post showing excellent narrative skill, along with beautiful pics and most important thing, three continuous posts in Hindi on Ghumakkar….. Amazing indeed!!!
Oh My God…the very first comment on my post from my dearest hindi writer Avtar Ji…. am I dreaming? If no, then mera to ho gaya re good day.
Avtar Ji thanks for rewarding me by these valuable words. I am so happy after knowing that you have read all my three posts and I must say that just to follow the foot steps of our brilliant ghumakkars-cum-hindi writers, I always try to create my posts in hindi.
Well, thank you once again for encouraging this new boy to write more and more….
Regards,
Arun
Arun Ji, Fisrt thing first! You write really well! This post is a nice description of your tour. Now one thing that I could not see is the “Caption” with the photographs. You may also share the place of “Cheetal Grand”, this may help travellers going to Hardwar by road. Have you not watched Ganga Aarti?
Keep travelling and keep writing :)
Thanks
Another good comments from a experienced traveler really made my day….
Anupam Ji I have not used captions on photos because in my point of view this short travelogue has worked enough itself to describe the pics as well as locations.
As I wrote in post, after crossing Raj Nagar, Ghaziabad and covering distance of 100-125 KMs, the travelers may find Cheetal. Lots of sign boards are also there on the way to Haridwar to make aware the travelers that Cheetal is so and so km ahead.
Of course we got the chance to watch this divine Aarti and to enjoy it we decided to keep our camera and phones switched off, thats why I have not added it in my post.
Thank you once again.
Regards,
Arun
Oh My God…the very first comment on my post from my dearest hindi writer Avtar Ji…. am I dreaming? If no, then mera to ho gaya re good day.
Avtar Ji thanks for rewarding me by these valuable words. I am so happy after knowing that you have read all my three posts and I must say that just to follow the foot steps of our brilliant ghumakkars-cum-hindi writers, I always try to create my posts in hindi.
Well, thank you once again for encouraging this new boy to write more and more….
Regards,
Arun
अरुण जी ! श्रवण मास में हरिद्वार की यात्रा का अपना विशेष महत्त्व है. श्रवण मास में भी गर्मी से ट्रस्ट दिल्ली वालों के लिए तो हरिद्वार सप्ताहांत व्यतीत करने का अच्छा स्थान है. आपके द्वारा सुगम भाषा में वर्णित यात्रा वृतांत अत्यंत ही रोचक है. यात्रा के उत्साह को दर्शाने वाले सभी चित्र सुन्दर हैं.
घुमक्कड़ पर यात्रा-वृत्तांत को साझा करने के लिए धन्यवाद.
इतनी सुन्दर शब्दावली में प्रसंसा करने एवं पोस्ट को पसंद करने हेतु आपका बहुत-2 धन्यवाद मुनीश जी।
आशा करता हूँ की भविष्य में भी आप का स्नेह मिलता रहेगा।
सादर,
अरुण
Arun , Very nice write up. It is smooth as butter and sweet as honey. Direct Dil se. I could not stop reading after I start. Keep it up. You should have post more picture of Maa Ganga. Picture of Neelkanth temple is also missing.
Thanks for your appreciation Naresh.
Yes I know the pics’ quantity is not good, but due to the rainy season and large groups of kanvariyas we kept our camera and phones in our pockets all the time. Whenever we got some free space from long queues, heavy rush, drizzling etc., we started clicking the beauties.
Well thanks once again.
Regards,
Arun
आज ही अवतार जी की “हिमाचल डायरी” पढ़ने के बाद अरुण जी की ‘एक मनोरम स्मृति’ को पढा और एक ऐसे निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि आने वाले दिनों में यह घुमक्कड़ पटल अँगरेजी भाषा के धुरंधरों की तरह हिन्दी भाषी/प्रेमीयों को भी प्रचुर मात्रा में यात्रा अनुभव प्रदान करेगा.
अरुण जी आपका आवरण चित्र एक बच्चे का सा दिखाई देता है. मगर लेखन परिपक्व है. घुमक्कड़ी में तीर्थ और वह् भी तीर्थों (माताश्री व बहिन जी) के साथ, हर पढ़ने वाले के मुख से आशीर्वाद निकलता है.
सजीव लेखन व सुंदर चित्र (अनुपम जी के आग्रह से मैं सहमत हूँ कि वह् संदर्भ सहित होने चाहिए). बधाई व धन्यवाद.
“गुरु गोबिंद दोउ खड़े काके लागु पाय, बलिहारी गुरु आपके जो गोबिंद दियो मिलाय।”
इस अति महत्वपूर्ण दोहे का प्रयोग करने का मेरा अभिप्राय केवल इतना है की आप सरीखे गुरुदेव की प्रसंशा या यूँ कहे की आशीर्वाद का मिलना मेरे जैसे अधकचरा लेखक के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। आपकी सुन्दर शब्दावली ही पर्याप्त है मुझे भाव विभोर कर देने हेतु और इस अवस्था में आपको धन्यवाद भी कहूँ तो कैसे, समझ नहीं आता।
खैर, इसी प्रकार भविष्य में भी प्रेम बनाये रखियेगा।
सादर,
अरुण
नीलकंठ महादेव के दर्शन करवाने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद अरुण जी। अति सुन्दर चित्र एंवम लेखन ने इसे और अधिक दिलचस्प बना दिया है !
लेख एवं चित्र दोनों को पसंद करने एवं अपनी अति महत्वपूर्ण टिप्पणी देने हेतु आपका बहुत-2 शुक्रिया शेफाली जी। घूमना-फिरना तो जीवन में लगा ही रहता है किन्तु वास्तविक आनंद की प्राप्ति तो तभी होती है जब अन्य भी आपके साथ या तो शामिल हो जाये या फिर आपके यात्रानुभव की सराहना करे।
धन्यवाद,
अरुण
Short, sweat and a very warm log of a family travel. Just like Ganga, the narration is fluid. Information about hotel rates, parking rates and other stuff would be helpful for fellow Ghumakkars. Thank you Arun.
All the credit goes to you Nandan Sir for innovating a new idea i.e. travel and share the experience with all…
Thanks for your appreciation.
Arun
हिंदी में लेख वो भी इतनी बढ़िया सी तस्वीरों के साथ फिर एक कमेन्ट तो बनता ही भाई
इसी तरह लिखते रहिये
चतुर्वेदी जी उत्साह वर्धन हेतु आपका बहुत-2 धन्यवाद।
अरुण
आपकी हिंदी बहुत ही अच्छी है. घूमते रहिये हमें भी घुमाते रहिये.
Thanks for your appreciation Sir…
WRITTEN VERY GOOD IN VERY SIMPLE LANGUAGE & HELP US IN OUR TOUR TO HARIDWAR & RISHIKESH. PHOTOGRAPHY IS ALSO EXCELLANT
Thank you Sharma ji for leaving your lovely comments on the post.
Regards,
Arun
I have read your all posts..on the reading time I have thoroughly enjoyed..and I really read out these kinds of stories which are based on the realistic..
Or bi apni journey ka likhiye sir..aap bhut acha likhte hai..or aapki Hindi bhut achi hai..