अगर  सिकà¥à¤•िम  में कोई à¤à¤¸à¤¾  रमणीक  सà¥à¤¥à¤²  है जिसे सब देखना चाहते  हैं, जहाठ सब जाना  चाहते  हैं तो वो  à¤à¤• ही जगह है – नाथà¥à¤²à¤¾ दरà¥à¤°à¤¾à¥¤ यूठतो  पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक विविधताओं  से à¤à¤°à¥‡ इस राजà¥à¤¯ में कई  नयनाà¤à¤¿à¤°à¤¾à¤® दृशà¥à¤¯  और  परिदृशà¥à¤¯ देखने को मिल जायेंगे, किनà¥à¤¤à¥ नाथà¥à¤²à¤¾  दरà¥à¤°à¤¾  ही à¤à¤•मातà¥à¤°  जगह है जहाठहर पà¥à¤°à¤•ार के परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• जरूर  जाना चाहते हैं। मà¥à¤à¥‡ इसकी दो वजहें  जान पड़ती हैं।  à¤à¤• तो इसका सिकà¥à¤•िम की राजधानी गानà¥à¤¤à¥‹à¤• से नजदीक होना (मातà¥à¤° ५८ किमी ) और दूसरी यह कि यही वह जगह है जो कà¤à¥€ सिलà¥à¤• रूट के नाम से पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ था। वही सिलà¥à¤• रूट, जिससे होते हà¥à¤  हà¥à¤µà¥‡à¤¨à¤¸à¤¾à¤‚ग , फाहियान और मारà¥à¤•ोपोलो à¤à¤¾à¤°à¤¤ आये थे और बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के दूसरे हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ तक पहà¥à¤à¤šà¤¾ था। नाथà¥à¤²à¤¾ दरअसल हिमालय का à¤à¤• पहाड़ी दरà¥à¤°à¤¾ है जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सिकà¥à¤•िम और तिबà¥à¤¬à¤¤ की चà¥à¤®à¥à¤¬à¥€ घाटी को जोड़ता है। नाथà¥à¤²à¤¾ दो तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ शबà¥à¤¦ नाथॠ(Listening Ears) और ला (Pass) से मिलकर बना है। १९६२ ई. के à¤à¤¾à¤°à¤¤ -चीन यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद नाथà¥à¤²à¤¾ मारà¥à¤— को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° के लिठबंद कर दिया गया था , जिसे २००६ ई. में दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ खोला गया।
कहते हैं कि  अगर आप सिकà¥à¤•िम में हैं तो आपको नाथà¥à¤²à¤¾ दरà¥à¤°à¤¾ तो जाना ही चाहिà¤à¥¤ फिर हमारा तो ठिकाना ही गानà¥à¤¤à¥‹à¤• था। मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नाथà¥à¤²à¤¾ की तारीफें सà¥à¤¨-सà¥à¤¨ कर हमने सोचा कि हम à¤à¥€ à¤à¤²à¤¾Â कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पीछे रहें। चल पड़े यातà¥à¤°à¤¾ परमिट  पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤Â करने केलिठटूरिजà¥à¤® डिपारà¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट के ऑफिस, जो à¤à¤® जी मारà¥à¤— के आरमà¥à¤ में ही  है।  परमिट के लिठदो पासपोरà¥à¤Ÿ साइज के फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤« और à¤à¤• आईडी पà¥à¤°à¥‚फ की जरà¥à¤°à¤¤ पड़ती है। सोमवार और मंगलवार को छोड़कर बाकी किसी à¤à¥€ दिन आप नाथà¥à¤²à¤¾ जा सकते हैं। और हाà¤, परमिट सफर के à¤à¤• दिन पहले जरूर ले लें।
इस तरह हम कà¥à¤² छह लोग  इतवार की à¤à¤• सà¥à¤¬à¤¹ अपने वाहन चालक तà¥à¤²à¤¾à¤°à¤¾à¤® (जो पिछले ०३ सालों के दौरान हमारी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ टोली का अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिसà¥à¤¸à¤¾ रहे।) के साथ नाथà¥à¤²à¤¾ की सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ वादियों की छटा निहारने को निकल पड़े। गरà¥à¤® कपड़ों और खाने पीने की चीजों के साथ पूरी तरह मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦ हम लोग कà¥à¤› ही देर में महातà¥à¤®à¤¾ गांधी मारà¥à¤— को पीछे छोड़ जवाहरलाल नेहरू मारà¥à¤— पर चल पड़े थे (जैसे हमारा देश आजादी के बाद गाà¤à¤§à¥€ को छोड़ नेहरू मारà¥à¤— पर चल पड़ा था।)। जैसे जैसे हम घनी आबादी वाले कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से आगे बढ़ रहे थे, सैनिक छावनियाठहमारा सà¥à¤µà¤¾à¤—त कर रही थीं।  रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ बेहद संकरे  हो चले थे। कई जगहों  पे तो à¤à¤¸à¤¾ जान पड़ता था मानो सड़क है ही नहीं। हिचकोले खाती हà¥à¤ˆ गाडी में हम उस वक़à¥à¤¤Â यह सोच रहे  थे की शायद यह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ का à¤à¤• तरीका है नाथà¥à¤²à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता को सहेज के रखने का। वो तो à¤à¤²à¤¾ हो सिकà¥à¤•िम के दकà¥à¤· और सिदà¥à¤§à¤¹à¤¸à¥à¤¤ चालकों का, नहीं तो नाथà¥à¤²à¤¾ समेत उतà¥à¤¤à¤°à¥€ सिकà¥à¤•िम के सारे रासà¥à¤¤à¥‡ आपके दिल की धड़कनों को बढाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। à¤à¤°à¤¨à¥‹à¤‚ की बहà¥à¤¤à¤¾à¤¯à¤¤ जो उतà¥à¤¤à¤° और पशà¥à¤šà¤¿à¤® सिकà¥à¤•िम में मिलती है, वो इस रासà¥à¤¤à¥‡ में नहीं थी।
नाथà¥à¤²à¤¾ के रासà¥à¤¤à¥‡ का दृशà¥à¤¯
अब तक हम काफी ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•े थे, जिसका अंदाजा हमें गहराती हà¥à¤ˆ घाटियों से लग रहा था। सड़क के दोनों ओर सैनिक छावनियों की बढ़ती संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤- चीन सीमा के आस-पास होने का संकेत दे रही थी। और तà¤à¥€ हम सब की निगाहें सामने वाले पहाड़ पे जा टिकीं जो बरà¥à¤« की सफ़ेद चादर ओढ़े बिलकà¥à¤² दमक रहा था।  फ़ौरन हमारे कैमरे काम पे लग गठऔर कà¥à¤› ही मिनटों में ना जाने कितनी  तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚  उनमें कैद हो गयीं।

मंजिल के करीब आने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कितना रोमांचक होता है और वो à¤à¥€ तब जब हम मंजिल की और धकà¥à¤•े खाते  पहà¥à¤‚चे हों , पहली बार महसूस हो रहा था। जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे थे पहाड़, पेड़ और रासà¥à¤¤à¥‡ सब सफ़ेद ही सफ़ेद दिख रहे थे।  लगà¤à¤— दो ढाई घंटो के सफर के बाद हम छांगू लेक पहà¥à¤‚च गà¤Â थे। (वैसे तो à¤à¥€à¤² का नाम सोमगो (Tsomgo) है, पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में यह छांगू के नाम से ही पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है। ) बिना कà¥à¤› खाठबरà¥à¤« में चलने की हममें हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं थी, सो सब चाय और मैगी खाने à¤à¤• छोटी सी दà¥à¤•ान की ओर बढ़ लिà¤à¥¤ कà¥à¤·à¥à¤§à¤¾ शांत हà¥à¤ˆ तब चारो ओर से बरà¥à¤« से घिरी à¤à¥€à¤² को निहारने का खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया। जा पहà¥à¤‚चे à¤à¥€à¤² के पास, पर ये कà¥à¤¯à¤¾ आज à¤à¥€à¤² ने à¤à¥€ सफ़ेद चादर ओढ़ रखी थी। खैर छांगू à¤à¥€à¤² का ये सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª à¤à¥€ कम मनमोहक नहीं था। उसके बाद हमारा बरà¥à¤« से खेलने का  दौर शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लमà¥à¤¬à¤¾ नहीं चला कà¥à¤¯à¥‚ंकि हमें अà¤à¥€ नाथà¥à¤²à¤¾ पास à¤à¥€ जाना था और मौसम à¤à¥€ बदलने का संकेत देने लगा था।

छांगू à¤à¥€à¤² से पहले दिखा यह सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯

बरà¥à¤« से ढà¤à¤•ी छांगू à¤à¥€à¤²

à¤à¥€à¤² का वह हिसà¥à¤¸à¤¾ जिसे à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• ठंढ à¤à¥€ डरा न सकी
 १२३०० फ़ीट की ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤Â छांगू à¤à¥€à¤² की सà¥à¤‚दरता का आनंद लेते  हà¥à¤ हमलोग अपने अगले पड़ाव नाथà¥à¤²à¤¾ की तरफ बढ़ चले। कà¥à¤› ही दूर गठहोंगे कि मौसम ने अचानक करवट ली और हमें बरà¥à¤«à¤¬à¤¾à¤°à¥€ का अदà¥à¤à¥à¤¤Â नजारा à¤à¥€ देखने को मिल गया। और इस तरह बरà¥à¤«à¤¼à¤¬à¤¾à¤°à¥€ के बीच हम १४२०० फ़ीट की ऊंचाई पे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤Â नाथà¥à¤²à¤¾ दरà¥à¤°à¤¾ पहà¥à¤‚चे। आप à¤à¥€ इन तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‹à¤‚ से  बदले हà¥à¤Â मौसम का अंदाजा लगा सकते हैं।
नाथà¥à¤²à¤¾ पास
हमारी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ टोली
à¤à¤¸à¥€ विषम परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€Â सीमा के पà¥à¤°à¤¹à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मà¥à¤¸à¥à¤¤à¥ˆà¤¦à¥€ से डंटा देख उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सलाम करने का मन हà¥à¤†  और हमारी खà¥à¤¶à¤•िसà¥à¤®à¤¤à¥€ थी कि उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आà¤à¤¾à¤° और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने का अवसर à¤à¥€ मिला। हमारे जाà¤à¤¬à¤¾à¤œà¤¼ सिपाही जान पे खेल के ना सिरà¥à¤« सीमा की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ करते हैं, बलà¥à¤•ि हम जैसे यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ का à¤à¥€ खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखते हैं। तà¤à¥€ तो वहां à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ और आपातकालीन चिकितà¥à¤¸à¤¾ इकाई की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी और बिगड़ते मौसम को ले कर वापस लौटने की चेतावनी à¤à¥€ दी जा रही थी।
सीमा की  दूसरी ओर नजर गयी तो चीनी सिपाहियों को उतना ही सजग और चौकस पाया , यह आपको अगली तसà¥à¤µà¥€à¤° से पता चलेगा जिसमे à¤à¤• चीनी सिपाही हाथ में कैमरा लिठवहां की गतिविधियों पे नजर रख रहा है।
सीमा पर तैनात à¤à¤• चीनी सिपाही
नाथà¥à¤²à¤¾ से वापस लौटते वक़à¥à¤¤ हम बाबा हरà¤à¤œà¤¨ सिंह जी के मंदिर  गठऔर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¸à¥à¤®à¤¨ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया। बाबा मंदिर की कैंटीन में सिपाहियों की बनाई हà¥à¤ˆ चाय का à¤à¥€ आनंद लिया। à¤à¤¸à¤¾ मानना है कि हरà¤à¤œà¤¨ सिंह à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सिपाही थे जो रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में लापता हो गठथे और उनकी आतà¥à¤®à¤¾ अà¤à¥€ à¤à¥€ सीमा पर तैनात सिपाहियों की मदद करती है। उनके बारे में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों और जवानों के बीच à¤à¥€ ना जाने कितनी किंवदतियाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं।
बाबा मंदिर
चूà¤à¤•ि मौसम हमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर ठहरने की इजाजत नहीं दे रहा था सो अब नाथà¥à¤²à¤¾ की खूबसूरत वादियों से रà¥à¤–सत होने का समय हो चला था और हम इस बेशकीमती à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ को यादों में संजोये वापस गानà¥à¤¤à¥‹à¤• की राह पर चल पड़े।
अगले कà¥à¤› चिटà¥à¤ ों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾Â सिकà¥à¤•िम में बिताये चंद हसीन लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को आपसे बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ की इचà¥à¤›à¤¾ रखता हूà¤à¥¤
प्रिय अमित
बहुत सुंदर पोस्ट और उत्कृष्ट तस्वीरें।
सच में मज़ा आया।
शुक्रिया……
प्रिय उदय जी,
जान कर अत्यंत ख़ुशी हुई कि आपको मेरा पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा। धन्यवाद।
अमित,
बहुत सुन्दर वर्णन एवं दिलकश तस्वीरें। इस मौसम में बर्फ से ढंके रास्ते, पहाड़ तथा भवन एवं हिमपात के चित्र देखने से ही कंपकंपी छूटने लगती है। वैसे आपने इस वृत्तांत में लिखा नहीं की आप वहां किस महीने में गए थे ? एक लम्बे समय के बाद घुमक्कड़ पर इतनी अच्छी जगह के बारे में पढ़ने तथा जानने को मिला। बहुत बहुत धन्यवाद।
मुकेश …..
बहुत बहुत धन्यवाद मुकेश जी। हमलोग नाथुला फ़रवरी 2014 में गए थे, यह सोच कर कि शायद हमें बर्फ़बारी का नजारा देखने को मिल सके और संयोग से हमारी इच्छा भी पूरी हो गयी।
Nice post and excellent photos. Two question . first the Date and time of Visit and second about your driver Tula Ram. The name suggest that he is north Indian.How you take him to Sikkiam.
Thanks for liking the post Sehgal ji! Regarding your queries, first, we had gone to Nathula in February 2014 and second, my driver Tularam Rai is a local nepali fellow, not a north indian.
अमित जी,
अत्यंत ही अदभुत एवं बर्फानी लेख है. गहरी खाइयों और ऊँचे पहाड़ो के साथ-साथ बर्फ़बारी का आनंद अत्यंत ही रोमांचकारी यात्रा का अनुभव देता प्रतीत हो रहा है. लिखते रहिये और घूमते-घुमाते रहिये।
अरुण
अरुण जी,
लेख की प्रशंसा के लिए धन्यवाद! नाथुला की हमारी यात्रा निस्संदेह रोमांच से परिपूर्ण थी।
Marvelous post amit ji.. the description is beautiful and photos are out of the world. Thanks for showing me this never seen place
Thanks Silent soul ji! I am surprised to know that you have not visited this place. You should visit Nathula pass, if you travel to Sikkim.
अत्यंत ही सुन्दर आलेख….. लेखन के साथ चित्रों का सामंजस्य उत्तम प्रकार का है…. लगता है मानो हम भी यात्रा में साथ साथ चल रहे है….. साधुवाद मित्र….
बहुत बहुत धन्यवाद कौस्तुभ जी !
A quick drive to Nathula with stunning views. Thank you Amit.
We traveled to Sikiim in 2005 and because my daughter was too young and parents were getting old :-), we decided to let go of Nathula. It was in Februray and everyone cautioned us, for good reasons, against it. I do have a plan to go there again but don’t know when. Via this log, I again managed to get inspired. Some day, If I can go via Nathula to China, then that would be a real drive.
Thanks again.
Thank you Nandan!
I feel that a trip to Sikkim is incomplete without visiting Nathula Pass. But yes, it is true that travelling to such a place with family that too in the month of February is very difficult.
Your wish to travel to China via Nathula may come true, as this route is being developed as an alternative route for Kailash Mansarovar Yatra.
I like what you guys tend to be up too. This kind of clever work and
exposure! Keep up the terrific works guys I’ve you guys to
blogroll.