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केदारताल यात्रा – भोज खड़क – केदार खड़क – केदार ताल

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19 जून 2017 – कपिल ने बताया की भोज खड़क से केदार खड़क के बीच दूरी ज्यादा नहीं है लेकिन रास्ता काफी दुर्गम है। पहले दो घंटे तो रास्ता कल जैसा ही खड़ी चढाई वाला था लेकिन कोई ख़ास परेशानी नहीं हुई। कुछ और आगे बढ़ने पर हम एक ऐसी जगह पर पहुंचे जहाँ पर कोई रास्ता ही नहीं था। भूस्खलन से रास्ता गायब हो गया था। अब हमे एकदम नीच केदार गंगा तक जाना था जहाँ से रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश करनी थी। नीचे पहुँच कर समझ में आया की पानी में उतर कर ही आगे बड़ा जा सकता है। एक तरफ केदार गंगा का हड्डियों को जमा देने वाला पानी था और दूसरी तरफ ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिर रहे थे।

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केदारताल यात्रा – गंगोत्री से भोज खड़क

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अगली सुबह यानि 18 जून 2017 को नींद तो छै बजे ही खुल गयी थी लेकिन ठण्ड के कारण रजाई से बहार निकलते निकलते सात बज गए। तब तक कपिल भी हमारे कमरे में आ गया और फटा फट सामान बांधने में हमारी मदद करने लगा। ठीक आठ बजे हम फॉरेस्ट ऑफिस पहुंचे और परमिट की एंट्री करवाई  तथा कैंपिंग चार्जेज़ और गार्बेज चार्जेज़ जमा करवा के वापस अपने कमरे पे सामन उठाने पहुँच गए। ट्रेक शुरू करने से पहले फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वाले गार्बेज चार्जेज लेते हैं जो की ट्रेक के दौरान आपके द्वारा फैलाये गए कूड़े कटकर के लिए होते हैं।  ये चार्जेज रिफंडेबल होते हैं अगर आप ट्रेक से वापस आने के बाद अपना सारा कूड़ा वापस लेके आये हों तो। सारी तैयारियां पूरी होने के बाद हम अपने सफर पर निकल पड़े जो की सूर्य कुंड को पार करके शुरू से ही खड़ी चढाई से शुरू होता है।

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