intensity of light

Photography : Using Light to Your Advantage

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एक फोटोग्राफर का प्रकाश के जिन पहलुओं से जन्म – जन्म का रिश्ता होता है, वे हैं – प्रकाश का कोण (angle of light) की दिशा direction of light, प्रकाश की मात्रा (luminocity या brightness), तीव्रता (intensity), और कंट्रास्ट (contrast) ! सबसे पहले प्रकाश के कोण की बात करें तो हम कह सकते हैं कि हम सब प्रकाश को ऊपर से नीचे की ओर आते हुए देखने के अभ्यस्त हैं। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक हमें सूर्य धरती के ऊपर से ही धरती पर प्रकाश बिखेरता हुआ नज़र आता है। हमारे काम आये या न आये, चन्द्रमा का प्रकाश भी ऊपर से नीचे की ओर आता प्रतीत होता है। हमारे ठीक सामने से प्रकाश आये ऐसा शायद वाहनों की हैड लाइट के मामले में ही देखने में आता है या फिर कैमरे में लगी हुई फ्लैशलाइट प्रकाश सामने से हमारे चेहरे पर फेंकती है। चूंकि हम जन्म से लेकर अपने अंतिम दिन तक ऊपर से नीचे की ओर आते हुए प्रकाश को ही देखा करते हैं अतः घरों में भी हम बल्ब और ट्यूब छत के आस – पास ही लगवाते हैं, न कि फर्श के आसपास। फोटोग्राफर भी अपने स्टूडियो में लाइटें मॉडल के सिर के लेवल से ऊपर ही फिट करते हैं, नीचे नहीं ! प्रकाश का स्रोत अगर धरती के आस पास हो तो कैसा लगेगा, यह देखना हो तो कुछ हॉरर फिल्में देख डालिये ! ठोडी, होंठ, नाक, आंख आदि की छाया जब नीचे के बजाय ऊपर की ओर बनेंगी तो अपनी अर्द्धांगिनी की शक्ल देख कर एक बारगी तो डर ही जायेंगे।

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Getting the most out of your camera

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इससे पहले कि मैं किस्सा-ए-फोटोग्राफी शुरु करूं, अगर अनुमति-ए-आपकी हो तो पहले एक किस्सा सुनाना चाहूंगा। सुना है कि एक छात्र फोटोग्राफी सीखने के लिये मुंबई के एक प्रख्यात फोटोग्राफर के पास पहुंचा। पांच दिन तक कैमरे के सभी अंग-प्रत्यंगों का परिचय देने के बाद, गुरु ने अपने शिष्य से कहा कि अपने कैमरे में एक फिल्म डालो और निकल पड़ो मुंबई की फोटोग्राफी के लिये ! जो कुछ भी अच्छा लगे, उसकी फोटो खींच लाओ ! रात को थका-हारा शिष्य वापिस आया! फिल्म धुलवाई गई और प्रिंट बनवा कर मेज पर फैला दिये गये। गुरुजी ने शिष्य से पूछा, “बताओ, किस स्थान की फोटो सबसे अच्छी लगीं?” शिष्य ने जवाब दिया, मुझे तो गेट वे ऑफ इंडिया की फोटो सबसे अच्छी लग रही है। गुरुजी ने अगले दिन उस शिष्य को सारी की सारी फोटो गेटवे ऑफ इंडिया की खींचने का आदेश दे दिया। शिष्य ने विभिन्न कोणों से सारे के सारे चित्र गेटवे ऑफ ईंडिया के ही खींच डाले। शाम को फिल्म धुली, प्रिंट बने और फिर गुरुजी ने पूछा, “कौन का फोटो सबसे अच्छा लगा?” तो शिष्य ने बता दिया । गुरुजी ने पुनः एक फिल्म लोड कराई और कहा कि कल जाकर गेटवे ऑफ इंडिया के सारे के सारे फोटो इसी एंगिल के खींच कर लाओ! बेचारा शिष्य पुनः गया और सुबह से शाम तक उसी एंगिल से भिन्न-भिन्न प्रकाश में फोटो खींचता रहा। शाम को पुनः प्रिंट फैलाये गये और गुरुजी ने जब शिष्य से पूछा, “कौन सा फोटो पसन्द आया है?” तो शिष्य ने बता दिया कि मुझे तो सूर्यास्त के समय का यह चित्र सबसे अधिक भा रहा है! गुरुजी ने उसे कहा, “जाओ, तुम्हारी शिक्षा पूर्ण हुई!” तुम्हें photographic subject, various angles और various types of lighting का ज्ञान हो गया है। फोटोग्राफी यहीं से शुरु होती है, अब जीवन भर फोटोग्राफी करते रहो और सीखते रहो!

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