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शहर का मेला – सूरजकुंड

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मेले में एंट्री करते ही आपको अनायास ही दिल्ली हाट का ध्यान आता है, इस तरह का अधिकतर साजो सामान वहीँ मिलता है। वैसे एक बात और बताना चाहूंगा की इस मेले में यदि आप शुरूआती दिनों में आएंगे तो सामान कुछ अधिक कीमत पर मिलता है लेकिन अगर आप अंतिम शेष 2-3 दिनों में आएंगे तो सामान की कीमत में अच्छा खासा फर्क देखने को मिलेगा क्यूंकि विभिन्न राज्यों से आये हुए विक्रेता अपना सामान वापिस ले जाने के बदले स्टॉक क्लियर करने में ज्यादा रूचि रखते हैं। घर के लिए यदि आप फर्नीचर, चादर, वूडेन डेकोरेटिव आइटम्स आदि लेने के मूड में हैं तो सावधानी पूर्वक मोलभाव करने के बाद आगे की सोच सकते हैं अन्यथा जेब की सलामती के लिए मेरे जैसे अनारी तो कृपया दूर ही रहे। वैसे हमारा शॉपिंग वगैरह का विचार नहीं था, फिर भी एक बेडशीट, वेस्टकोट, लेडीज सूट और टॉय स्टेचू जो की हम मध्यमवर्गीय लोगों की जेब के अनुकूल थे, ले ही लिया।  

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Battlefields of Kurukshetra

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At Jyotisar, I was standing at the very centre of the battle, which had taken place centuries ago. The atmosphere was peaceful, serene and totally religious with no sign of remorseness connected with the battle. It was certain that the war cries of the famous battle of Kurukshetra have given way to the mass religious sentiments in as much as people had forgotten that it was ultimately a battle field.

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Morni Hills – The Pride Of Haryana

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We started our journey from Chandigarh after breakfast. Took the road to Morni via Panchkula, after about half an hour we were driving through hilly area. It was month of November, so atmosphere was filled with a cool breeze. Since Morni is less frequented, so you will find only one or two cars and few local collegiate and lovebirds on bikes. We reached Morni by around afternoon and headed towards Adventure Park. You park your cars and walk through the entrance and get tickets.

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