Ameer durga

आमेर दुर्ग : चल खुसरो घर आपने….

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राजस्थान पर्यटन विभाग की तरफ से यहाँ आपको सपेरे, शहनाई वादक और सारंगी वादक बजाने वाले, कई लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते भी मिल जायेंगे, हालांकि पहली नज़र में आपको ऐसा लग सकता है, कि यह सब पर्यटकों के मनोरंजन और उन्हें आकर्षित करने के लिये है, और इस से राजस्थान की संस्कृति झलकती है, लेकिन यदि आप जरा गौर से सोचें तो आपको इसके पीछे की सोच और मानसिकता पर हैरानी ही होगी | मेरी अपनी समझ से, इस सबका कुल मनोरथ यहाँ आने वाले उन यूरोपियन पर्यटकों के दिलों में बसी हिन्दुस्तान की उस छवि को पुख्ता भर करने से ज्यादा और कुछ नही है, जिसके वशीभूत वो आज भी हिन्दुस्तान को सपेरों, जादूगरों और मदारियों का देश ही समझते हैं, उनकी इन मान्यतायों और पूर्वाग्रहों को सच साबित करने के लिये ही, ऐसे कलाकार यहाँ बैठाये जाते हैं, जिनके साथ आप फोटो खिचँवा कर जब वापिस अपने देश पहुँचते हैं तो वहाँ के समाज को ऐसे चित्र दिखा कर साबित कर सकते हैं कि वास्तव में ही भारत आज भी उस दौर में ही है, जैसा कभी हमारे पूर्वज छोड़ कर आये थे ! इन सबके अलावा, इस दुर्ग में ही अलग-अलग दिशायों में खुलने वाले प्रवेश द्वारों में से त्रिपोलिया दरवाज़ा सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्यूंकि यहाँ से तीन जगहों के लिये रास्ता निकलता है, जिनमे से एक रास्ता आमेर शहर की तरफ भी है |

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