पिण्डारी ग्लेशियर यात्रा- जरूरी जानकारी, नक्शा और खर्चा

पिण्डारी ग्लेशियर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल में बागेश्वर जिले में स्थित है। यहां जाने के लिये सबसे पहले हल्द्वानी पहुंचना होता है। हल्द्वानी से अल्मोडा (96 किलोमीटर), अल्मोडा से बागेश्वर (80 किलोमीटर) और बागेश्वर से सौंग (40 किलोमीटर) पहुंचना होता है।
सौंग से पैदल यात्रा शुरू होती है जो निम्न प्रकार है:
1. सौंग से लोहारखेत (3 किलोमीटर): लोहारखेत तक सडक भी बनी है। एक पैदल रास्ता सौंग से लोहारखेत जाता है। जहां सौंग समुद्र तल से करीब 1400 मीटर पर है वही लोहारखेत लगभग 1848 मीटर पर है।
2. लोहारखेत से धाकुडी (8 किलोमीटर): यह सम्पूर्ण यात्रा का कठिनतम भाग है। शुरूआती 7 किलोमीटर सीधी चढाई भरे हैं। 7 किलोमीटर के बाद धाकुडी टॉप आता है जिसकी ऊंचाई 2900 मीटर है। इसके बाद नीचे उतरकर 2680 मीटर की ऊंचाई पर धाकुडी कैम्प है।

3. धाकुडी से खाती (8 किलोमीटर): धाकुडी से खाती तक कुल मिलाकर नीचे ही उतरना होता है। खाती की समुद्र तल से ऊंचाई 2246 मीटर है। खाती से एक रास्ता सुन्दरढूंगा ग्लेशियर के लिये अलग हो जाता है। खाती पिण्डारी ग्लेशियर से आने वाली पिण्डर नदी के किनारे बसा है।
4. खाती से द्वाली (11 किलोमीटर): पूरा रास्ता पिण्डर नदी के किनारे किनारे है और घने जंगल से होकर जाता है। साधारण चढाई है। द्वाली 2592 मीटर पर है।
5. द्वाली से फुरकिया (5 किलोमीटर): फुरकिया 3200 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां से नन्दा देवी रेंज की कई चोटियां दिखती हैं और ग्लेशियर भी। रास्ता घने जंगल से होकर जाता है और काफी चढाई भरा है लेकिन स्पष्ट पगडण्डी बनी है।
6. फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट (7 किलोमीटर): यह रास्ता बुग्यालों से होकर जाता है। कहीं कहीं बडे बडे पत्थर और चट्टानें भी मिल जाते हैं। पिण्डारी जीरो पॉइण्ट एक भयानक भूस्खलन क्षेत्र है जिसकी वजह से जीरो पॉइण्ट की ऊंचाई लगातार कम होती जा रही है। जब मैं गया था, उस दिन जीरो पॉइण्ट 3787 मीटर पर था।
सावधानियां
पिण्डारी और इसके जुडवां कफनी ग्लेशियर की यात्रा करते समय किसी विशेष सावधानी की जरुरत नहीं है। हर जगह खाने और रुकने की सुविधा मिल जाती है। जहां खाना महंगा मिलता है वही रुकना बेहद सस्ता। ओढने बिछाने को सबकुछ मिल जाता है। हां, अपने साथ एक रेनकोट जरूर रखना चाहिये। इसीलिये इस ट्रैक को आसान ट्रैक या टी हाउस (Tea House) ट्रैक भी कहा जाता है। गाइड की कोई जरुरत नहीं है, रास्ता ट्रैकिंग के लिहाज से बेहद उत्तम है।
नक्शा

यह चित्र अपने साथ ले जाये गये जीपीएस मोबाइल से प्राप्त डाटा और गूगल अर्थ के संयोग से बना है। मेरे पास नोकिया का 5800 मोबाइल है। इसमें जीपीएस की सुविधा भी है। मैं हर दस-पन्द्रह मिनट में जीपीएस से उस स्थान के अक्षांश-देशान्तर और समुद्र तल से ऊंचाई नोट कर लेता था। बाद में दिल्ली वापस आकर गूगल अर्थ में अक्षांश-देशान्तरों की सहायता से सम्पूर्ण नक्शा बनाया, जिसे किन्हीं कारणों से मैं यहां लोड नहीं कर पाया। अक्षांश-देशान्तरों से मुझे दूरी भी मिलती रही और उस दूरी और जीपीएस से प्राप्त ऊंचाई को लेकर excel में उपरोक्त चार्ट बनाया, जिसकी मुझे उम्मीद है कि वहां जाने वालों के बहुत काम आयेगा।

और अब यात्रा का सम्पूर्ण खर्चा

1 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक हम पिण्डारी ग्लेशियर की यात्रा पर थे। कुल मिलाकर 8 दिन बनते हैं और खर्च आया 2624 रुपये। शुरू से लेकर आखिर तक हमने क्या-क्या खर्चा किया, इसे पूरे विस्तार से आगे बताया गया है। यह खर्च बाद में जाने वाले घुमक्कडों के बहुत काम आयेगा।

1 अक्टूबर 2011


दिल्ली से जाट महाराज के साथ अतुल भी था। हमारा तीसरा साथी नीरज सिंह यानी हल्दीराम हमें हल्द्वानी में मिलेगा।

दिल्ली से मुरादाबाद ट्रेन से बेटिकट (50 रुपये के आसपास किराया लगता है। मजबूरी थी कि बेटिकट गये। ट्रेन में बैठते ही हमने सम्भावित जुर्माने के पांच सौ रुपये अलग जेब में निकालकर रख लिये थे। हालांकि चेकिंग नहीं हुई। बेटिकट जाने की अफसोस है।)

लंच- मुरादाबाद= 100 रुपये
पानी की बोतल- मुरादाबाद= 10 रुपये
मुरादाबाद से हल्द्वानी बस से= 150 रुपये
अब हल्द्वानी बस अड्डे पर ही हमें हल्दीराम भी मिल जाता है। यात्रियों की संख्या तीन हो गई और खर्चे को व्यक्तिगत बनाने के लिये अब कुल खर्चे के तीन हिस्से करने पडेंगे।
हल्द्वानी से अल्मोडा शेयर आल्टो कार से= 600 रुपये
रास्ते में कहीं चाय= 10 रुपये
अल्मोडा से बागेश्वर शेयर आल्टो कार से= 700 रुपये (750 मांग रहा था)
बागेश्वर में कमरा= 300 रुपये (साढे नौ बज चुके थे। लगभग पूरा बागेश्वर सो चुका था। कमरा कार में बैठे बैठे ही ड्राइवर ने बुक करा दिया था इसलिये मोलभाव की गुंजाइश नहीं थी।)

1 अक्टूबर का कुल खर्च= 260+1610= 1870 रुपये

1 अक्टूबर का मेरा खर्च= 260/2 + 1610/3= 130 + 537 = 667 रुपये


2 अक्टूबर 2011

चाय- बागेश्वर = 10 रुपये
केले- बागेश्वर = 35 रुपये (1 दर्जन)
बागेश्वर से भराडी जीप से= 105 रुपये
समोसे- भराडी = 65 रुपये
भराडी से सौंग जीप से = 90 रुपये
अब हमारी पिण्डारी ग्लेशियर के लिये पैदल यात्रा यानी ट्रैकिंग शुरू होती है। सौंग से तीन किलोमीटर आगे लोहारखेत में 60 रुपये प्रति व्यक्ति इको चार्ज काटा जाता है।
लोहारखेत में इको चार्ज = 180 रुपये
झण्डीधार में मैगी, चाय, आमलेट = 70 रुपये
शाम होने तक धाकुडी पहुंच गये। यहां पचास रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से सोने की जगह मिल गई। तीनों ने भरपेट डिनर किया। इसका भुगतान अगले दिन सुबह किया इसलिये यह खर्च अगले दिन के खाते में लिखा जायेगा।
2 अक्टूबर का कुल खर्च= 555 रुपये

2 अक्टूबर का मेरा खर्च= 555/3 = 185 रुपये

3 अक्टूबर 2011

धाकुडी में सोना, कल का डिनर, आज का ब्रेकफास्ट= 550 रुपये
वाछम (खाती से पहले) में चाय बिस्कुट= 50 रुपये
खाती में लंच= 160 रुपये
खाती से 11 किलोमीटर आगे द्वाली में रात्रि विश्राम किया गया। रात का डिनर और रुकने का चार्ज अगले दिन में जोडा गया है।

3 अक्टूबर का कुल खर्च= 760 रुपये

3 अक्टूबर का मेरा खर्च= 760/3= 253 रुपये


4 अक्टूबर 2011
द्वाली में कल का डिनर, रुकना, ब्रेकफास्ट= 700 रुपये
फुरकिया में चाय बिस्कुट= 50 रुपये
वापसी में भी फुरकिया में चाय बिस्कुट= 30 रुपये

4 अक्टूबर का कुल खर्च= 780 रुपये

4 अक्टूबर का मेरा खर्च= 780/3= 260 रुपये


5 अक्टूबर 2011

हल्दीराम कल पिण्डारी ग्लेशियर के पास ही रुक गया था। इसलिये आज का खर्चा केवल मैंने और अतुल ने ही किया।
द्वाली में कल का डिनर, रुकना और ब्रेकफास्ट= 410 रुपये
खटिया में आमलेट= 50 रुपये
वापसी में खटिया में चाय= 20 रुपये
रात को हम खाती में रुके थे। जिसका खर्च अगले दिन दिया गया।

5 अक्टूबर का कुल खर्च=480 रुपये

5 अक्टूबर का मेरा खर्च= 480/2= 240 रुपये


6 अक्टूबर 2011
खाती में रुकना, कल का डिनर और आज का ब्रेकफास्ट= 250 रुपये
खाती से पैदल यात्रा करके हम सूपी पहुंचे। सूपी के पास मुनार तक सडक बन गई है और जीपें भी चलती हैं।
मुनार से भराडी जीप से= 80 रुपये
भराडी से बागेश्वर= 70 रुपये
बागेश्वर में चाऊमीन= 30 रुपये
बागेश्वर से अल्मोडा= 360 रुपये
अल्मोडा में कमरा= 200 रुपये
अल्मोडा में डिनर= 180 रुपये

6 अक्टूबर का कुल खर्च= 430 + 740 = 1170 रुपये

6 अक्टूबर का मेरा खर्च= 430/2 + 740/3 = 462 रुपये


7 अक्टूबर 2011
हालांकि पिण्डारी यात्रा हमारे हल्द्वानी पहुंचते ही खत्म हो जाती लेकिन अभी भी हमारे पास दो दिन और थे इसलिये अपने एक जाने पहचाने ठिकाने भागाद्यूनी गांव जा पहुंचे।
अल्मोडा में नाश्ता= 55 रुपये
अल्मोडा में बाल मिठाई= 180 रुपये
अल्मोडा से शहरफाटक बस से= 100 रुपये
शहरफाटक से मोतियापाथर ट्रक से= 10 रुपये

7 अक्टूबर का कुल खर्च= 345 रुपये

7 अक्टूबर का मेरा खर्च= 345/2= 173 रुपये

8 अक्टूबर 2011
मोतियापाथर से हल्द्वानी बस से= 150 रुपये
हल्द्वानी में आमलेट= 60 रुपये
हल्द्वानी से दिल्ली बस से= 368 रुपये
गजरौला में डिनर= 100 रुपये
आनन्द विहार से शाहदरा ऑटो से= 90 रुपये

8 अक्टूबर का कुल खर्च= 768 रुपये

8 अक्टूबर का मेरा खर्च= 768/2= 384 रुपये

पूरी यात्रा का कुल खर्च

1 अक्टूबर= 667 रुपये
2 अक्टूबर= 185 रुपये
3 अक्टूबर= 253 रुपये
4 अक्टूबर= 260 रुपये
5 अक्टूबर= 240 रुपये
6 अक्टूबर= 462 रुपये
7 अक्टूबर= 173 रुपये
8 अक्टूबर= 384 रुपये

कुल खर्च= 2624 रुपये

इसमें हल्दीराम द्वारा लाये गये मिठाई के डिब्बों, नमकीन, बिस्कुटों का खर्च और जाते समय हल्दीराम द्वारा अपनी तरफ से खिलाई गई बाल मिठाई का खर्च शामिल नहीं है। रास्ते में कई जगह टॉफी भी ली गई, उसका खर्च भी शामिल नहीं है।

अब पिण्डारी यात्रा खत्म होती है।

23 Comments

  • Silentsoul says:

    ज़ीरो प्वाईट से ग्लेशियर कितना दूर है और वहां पंहुचने का कोई रास्ता है ?

    • Neeraj Jat says:

      साइलेण्ट जी, असल में जीरो पॉइण्ट से ही ग्लेशियर देखा जाता है। और हां, धुंध होने के कारण हमें ग्लेशियर दिखा भी नहीं। जीरो पॉइण्ट से थोडा बहुत ही आगे होगा।

  • Nandan says:

    बहुत बढ़िया | excel का ग्राफ तो कमाल का है | जैसा की मैने पहले भी लिखा था की इन यात्राओं के लिए काफी गहन होम-वर्क ज़रूरी है | बहुत बहुत शुक्रिया आपका इस ग्राफ के लिए | दूसरा ये की मैं समझता था की पिंडारी का ट्रेक मुश्किल ट्रेक है
    पर अब पता चला की इसका ग्रेड कम है |

    जहाँ तक खर्चे के बात है, शायद इस खर्चा-पट्टे को मात देना संभव नहीं है :-) | आपका आभार एक बार फिर से |

    अब कहाँ ले चलेंगे ?

    • Silentsoul says:

      नंदनजी आप तो मुंह फेर कर बैठे है… इधर चेहरा करें… तो कुछ गुफ्तगू आप से भी कर लें

      • Nandan says:

        आपकी तरफ ही मुंह है SS , iceland की ओर देख रहा हूँ , पीछे की तरफ ही तो हुआ यहाँ से :-)

        • Silentsoul says:

          LOL…. this is best joke of the month !

        • Neeraj Jat says:

          नंदन जी, भले ही साइलेंट साहब की टिप्पणी हटा दी गई हो, लेकिन वो मेरी मेल में भी आई है और मुझे पूरा मामला पता चल गया है। ‘घुमक्कड’ पर ढाई सौ के करीब लेखक हैं। इतना बडा परिवार और उसे संभालने में आपने कोई नियम-कायदा अब तक क्यों नहीं बनाया? यह बात मेरी भी समझ से परे है।
          एक बात गांठ बांध लीजिये कि अगर आज SS ने कुछ विद्रोह का स्वर ऊंचा किया है, तो अन्दर ही अन्दर ज्वालामुखी भी सक्रिय हो रहा है। बडी अच्छी इमेज है ‘घुमक्कड’ की अब तक, सब खाक हो जायेगी। भले ही आपकी आमदनी पर कोई असर ना पडे, भले ही रोज प्रकाशित होने वाली पोस्टों में कोई कमी ना आये, लेकिन… बात की गम्भीरता को समझो।
          बिना देर किये रूल-रेगुलेशन बनाओ। और सबसे बडी बात, कि नियमों में लेखकों पर जरा भी रहम मत करो। केवल अपनी चलाओ। अगर दिन में दो पोस्ट प्रकाशित करने का प्रावधान होगा तो हर हाल में दो… मतलब दो। अगर कोई मान्यता प्राप्त लेखक किसी नियम को तोडता है तो उस पर पेनल्टी भी लगाओ। पहली बार गलती करने पर वार्निंग और दूसरी बार गलती करने पर मान्यता खत्म कर दो।

          • Nandan says:

            Neeraj – It takes all kind of people to make this world. So please pardon my learnings and mistakes as I strive to get better. We are taking appropriate actions.

    • Neeraj Jat says:

      नंदन जी, खर्चे की यह लिस्ट मैंने इसलिये नहीं दी है कि हम कम खर्चा दिखाना चाह रहे हों। बल्कि इसलिये दी है कि हमारे बाद में जाने वालों को खर्चे का मोटा-मोटा आइडिया हो जाये। अगर पूरी कंजूसी पर आया जाये, तो इससे भी बहुत कम में यात्रा सम्भव है।

  • rajesh priya says:

    aapko main niraj jat devta kahna chahunga,jis tarah hamare dharm me kai devta hain waise hi ghumakkaro ke aap log devta ho.devta isliye kyunki (jahan mango people nahi ja sakte waise dev bhumi ke live darshan aap log apne is blog me karwate ho.are aap log ho hi tarif ke kaabil.dil se dhanyawad deta hun aapko

    • Neeraj Jat says:

      आपको राजेश कहूं या प्रिया कहूं। चलो खैर, मैंगो मतलब आम, बढिया, बहुत बढिया। और अपनी तारीफ सुनकर हम झाड पर जा चढते हैं, तो जी वहीं चढे चढे ही आपको रिप्लाई कर रहा हूं। देवता का तमगा तो हमारे सन्दीप भाई ले ही चुके हैं, आप मुझे राक्षस, दानव या असुर का खिताब दे सकते हैं; मुझे बडी खुशी होगी। वैसे देवता भी बुरा नहीं है।

  • Mayank Khanduri says:

    Niraj ji! Apko bahut bahut dhanyavad, itni achi jankari dene ke liye. Graph jesi chijon, se jankari kitni rochak ho jati hai. apne jo gahan adhyan kiya, uske liye apka abhinandan. aapka abhar ki aap apne vyast samay se likhne ke liye or aise adhyan ke liye samay nikal pate hain.

    • Neeraj Jat says:

      खण्डूरी साहब, आभार तो आपका है जिनकी वजह से हम इतना सब कर पाते हैं। अगर आप लोग ना होते, शाबाश-शाबाश कहने वाले ना होते तो भईया, हम तो कभी के भीड में शामिल हो जाते।

  • Mayank Khanduri says:

    Neeraj ji , Mene aapke purane yatra vritant bhi pade hain or aapki lekhani ka star hamesha badia se badia hota ja reha hai. Hindi likhne padne vale to bahut hain per hindi ko gambhrta se nehi liya jata. Appke lekhon me jo romanch hai sath hi sath kenhi gambhirta bhi hai. Isliye aake yatra vritant padne me meja aata hai. lok bhasha ka istemal bhi aap badia kerte hian. sabse badia hai ki aap apna anubhav likhte hain naki apni soch. Yatra vritant me yeh jaruri ho jata hai ki aap apni manytayen,khan paan, or sotch ko door rekehen or ek prekshak yani observer ki tereh duniya dekhen.

  • Vibha says:

    नीरज जी, जब आपने अपनी पहली पोस्ट भेजी थी तब ही सन्दीप जी ने हमें सावधान कर दिया था कि आपकी पोस्ट्ज़ की हमें आदत लग जायेगी। अब जब आपकी पहली सीरीज़ खत्म हुई है तो हम यह ही सोच रहें हैं कि नयी कब शुरू होगी। सच आपकी स्टोरीज़ पाठकों को बांधे रखती हैं। आपने खर्चे का ब्यौरा दे कर काफ़ी मदद की है उन लोगों की जो कि पिन्डारी की यात्रा पर जाना चाहते हैं। धन्यवाद।

  • vibha is correct.. :)

  • Mukesh Bhalse says:

    नीरज जी,
    पिंडारी ग्लेशियर यात्रा की यह आखिरी किश्त भी बड़ी सुन्दर तथा जानकारी से परिपूर्ण थी. यात्रा का पूरा भूगोल, सांख्यिकी तथा अर्थशास्त्र आपने इस अंतिम कड़ी में पेश कर दिया जो की भावी यात्रियों के लिए निश्चित ही बहुत फायदेमंद शामिल होगा. एक्सेल चार्ट तो मुझे भी बहुत पसंद आया.
    आपकी अगली पोस्ट के इंतज़ार में.

    धन्यवाद.

  • Kavita Bhalse says:

    @ नीरज जी,
    आपके द्वारा प्रदान की गई खर्चे की जानकारी सचमुच बड़ी अच्छी लगी, क्योंकि सफ़र में हम जो बजट लेकर चलते हैं उससे ज्यादा ही खर्च हो जाता है, अतः खर्चों का पूर्वानुमान बहुत लाभदायक होता है. जानकारी के लिए धन्यवाद.

    @साइलेंट सोल जी,
    हम भी कई दिनों से सोच रहे हैं की नंदन जी को आखिर क्या नाराजगी है, मुंह घुमा कर क्यों बैठे है. खैर हम तो कभी पूछ नहीं पाए, आपने आखिर पूछ ही लिया लेकिन जवाब फिर भी गोलमोल ही रहा.

    धन्यवाद.

  • Prakash says:

    Bhai Neeraj,
    Lagta hai aajkal yehin ram gaye ho…….

  • भाई साफ कहना सुखी रहना ! अपने बस का तो ऐसी टेढ़ी – मेढ़ी यात्रा करना अब रहा नहीं ! आपने जो खर्चा और नक्शे वगैरा दिखाये, हमने बड़े मजे ले ले कर देख लिये, अपनी घरवाली को भी दिखा दिये पर सच्ची बात तो ये है कि हमें कतई उम्मीद नहीं है कि हम कभी उधर का रुख करेंगे ! जब पचपन साल की ऊम्र तक मसूरी से बड़े पहाड़ के दर्शन नहीं हुए तो अब ग्लेशियर जाने की सोचने से ही झुरझुरी हो रही है। पर खैर, आपको बधाई कि आप ऐसी सोणी – सोणी जगै पे जाते हो ! हमें तो फोटुआं दिखाते रहो जी, हम उसी से मन को भरमा लेंगे !

  • Rohan says:

    Neeraj Jaat Sir Ji, Please Contact Me Bcz I am also from Shahdara, Delhi……
    And I am a big fan of you from my Heart….!!!!!

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