Mumbai Local / मुंबई लोकल: माया नगरी की जीवन रेखा

दोस्तों, अपने धार्मिक यात्रा वृत्तांतों से अलग आज मैं आप लोगों को भारत की व्यावसायिक राजधानी मुंबई जिसे मायानगरी भी कहा जाता है की जीवन रेखा यानि मुंबई उपनगरीय रेल व्यवस्था (मुंबई लोकल) तथा उससे जुड़े मेरे अनुभवों के बारे में बताना चाहता हूँ.

हमारी मुंबई यात्रा वस्तुतः मेरे तथा विशाल राठोड़ (जो घुमक्कड़ के एक वरिष्ठ लेखक हैं) के परिवार की सम्मिलित तटीय कर्नाटक यात्रा (उडुपी – कोल्लूर- मुरुदेश्वर- गोकर्ण) के परिणामस्वरूप थी. हमें अपनी कर्नाटक यात्रा के लिए योजना के अनुसार पहले विशाल राठोड़ के घर मुंबई जाना था तथा वहां से दोनों परिवारों को उडुपी के लिए प्रस्थान करना था.

अपने इस चार दिवसीय मुंबई प्रवास के दौरान मुंबई में हमने विशाल राठोड़ के मार्गदर्शन में उन्हीं के साथ मुंबई के कुछ चुनिन्दा दर्शनीय स्थलों का भ्रमण तथा अवलोकन किया जैसे हाजी अली की दरगाह, सिद्धि विनायक मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, तारापुरवाला एक्वेरियम, बांद्रा बेन्डस्टेंड, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताजमहल होटल, गेटवे ऑफ़ इंडिया, बाबुलनाथ मंदिर, मुकुटेश्वर मंदिर, इस्कोन मंदिर, एंटेलिया (मुकेश अम्बानी का निवास), मन्नत (शाहरुख खान का निवास), जलसा तथा प्रतीक्षा (अमिताभ बच्चन के दोनों निवास), बसेरा (रेखा का निवास), इम्पीरियल टॉवर्स तथा अन्य कई दर्शनीय स्थल.

मुंबई लोकल का पहला सफ़र (मैं, विशाल, संस्कृति एवं शिवम्)

इस पूरी मुंबई यात्रा के दौरान अगर मुझे किसी चीज ने आकर्षित किया तो वह थी मुंबई की जीवन रेखा कही जाने वाली मुंबई उपनगरीय रेल व्यवस्था जिसे मुंबई लोकल कहते हैं, और इस रेल व्यवस्था से मैं इतना प्रभावित हुआ की मैंने सोच लिया था की घुमक्कड़ पर अपनी अगली पोस्ट इस मुंबई लोकल को ही समर्पित करूँगा.

गाड़ी बुला रही है, सिटी बजा रही है.
चलना ही ज़िन्दगी है, चलती ही जा रही है………..

बीते वर्षों की एक बॉलीवुड फिल्म का यह गाना आज भी मुंबई में रहने वाले लाखों लोगों के जीवन के एक महत्वपूर्ण पहलु को परिभाषित करता है. इलेक्ट्रिक मल्टिपल यूनिट्स (EMU ‘s) जिन्हें मुंबई लोकल ट्रेन कहा जाता है, मुंबई की जीवन रेखा है.  BO – 06 :57 – Slow और N -08 :23 – Fast जैसे संकेत मुम्बईकरों के दैनिक जीवन का हिस्सा है. वस्तुतः इन लोकल ट्रेनों के बिना मुंबई की कल्पना करना भी असंभव है. अगर आपने लोकल ट्रेन में सफ़र नहीं किया मतलब आपने मुंबई नहीं घुमा, या आपका मुंबई घूमना अधुरा है.

मुंबई में वैसे तो जन परिवहन के लिए अन्य साधन भी उपलब्ध हैं जैसे ऑटो रिक्शा, टेक्सी, उपनगरीय बसें आदि लेकिन जनमानस में अगर सबसे प्रचलित आवागमन का साधन कोई है तो वह मुंबई लोकल ही है. मुंबई शहर को गतिमान रखने में इन मुंबई लोकल्स का बहुत योगदान है, लोकल ट्रेन्स के एक दिन भी रुक जाने से मुंबई शहर जैसे ठहर जाता है, मुंबई की धड़कने चलती हैं तो इन लोकल्स के ही सहारे.
शंघाई, इस्तांबुल तथा कराची के बाद मुंबई विश्व का चौथा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है, तथा भारत में तो यह निर्विवाद रूप से सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है. अगर मुंबई के साथ लगे ठाणे तथा नवी मुंबई को मिला कर देखा जाये तो यह शहर विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर बन जाता है. अब आप सोच सकते हैं की इतने बड़े शहर की इतनी ज्यादा आबादी में स्थानीय परिवहन साधन के रूप में सर्वाधिक प्रचलित साधन को हम कुछ विशेष ही कहेंगे न.

मुंबई की धरती पर उतरते ही सबसे पहले हमारा सामना मुंबई लोकल ट्रेन सर्विस से ही हुआ. वैसे मुंबई में हम दुसरे साधनों से भी घूम सकते थे लेकिन हमारे मेजबान विशाल राठोड़ ने मुझे मुंबई की इस अनूठी तथा विशिष्ट व्यवस्था से परिचित करवाने के उद्देश्य से हमारे मुंबई भ्रमण की पूरी व्यवस्था इन लोकल ट्रेनों से ही की थी, और सच बताउं तो हमने भी मुंबई में इन लोकल ट्रेन्स के सफ़र तथा अनियंत्रित भीड़ का खूब लुत्फ़ उठाया. अगर आप मुंबई जा रहे हैं और आपको लोकल ट्रेन्स तथा इनमें सफ़र करने की रणनीति की पर्याप्त जानकारी है तो निश्चित रूप से आप मुंबई में इन ट्रेन्स में सफ़र करके अपना काम निकाल सकते हैं वरना………..गोलमाल है भाई सब गोलमाल है.

मुंबई लोकल में कविता

खड़े रहने के सिवा और कोई चारा नहीं

बोरीवली स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार

बोरीवली स्टेशन

इंतज़ार

 

आखिर शिवम् को सोने के लिए जगह मिल ही गई

मुंबई लोकल में संस्कृति

अत्यधिक भीड़मुंबई लोकल का नकारात्मक पहलु:
 मुंबई की तेज़ तथा भागमभाग वाली ज़िन्दगी से सामंजस्य बैठने के लिए यहाँ पर हर किसी को इन लोकल ट्रेन्स के सहारे ही अपनी ज़िन्दगी चलानी होती है, हर वर्ग के व्यक्तियों के द्वारा एक महत्वपूर्ण स्थानीय परिवहन के साधन के तौर पर उपयोग किये जाने की वजह से इन लोकल ट्रेनों में बेतहाशा ड़ होती है. व्यस्त समय में एक ट्रेन जिसमें सिर्फ 9 डिब्बे जिनमें सिर्फ 1700 यात्रियों को ढोने की क्षमता होती है उससे कहीं ज्यादा लगभग 4500 यात्रियों को ढोना इन ट्रेनों की बदनसीबी है. इस बेतहाशा भीड़ की वजह से ट्रेन के प्रति स्क्वेयर मीटर की छोटी सी जगह में 14 से 16 लोगों को खड़ा होने पर मजबूर होना पड़ता है.

मुंबई लोकल में चढ़ना तथा उतरनाएक चुनौती:
मुंबई लोकल में चढ़ना और उतरना अपने आप में एक बहुत बड़ी कला, क्षमता तथा दक्षता का काम है. मुंबई लोकल में चढ़ते तथा उतरते समय आपको सभ्यता तथा सही तौर तरीकों को बाजु में रखना होगा, यहाँ पर ऐसे मैनर्स को फोलो करना जायज़ नहीं है जैसे की चढ़ने से पहले उतरने वाली सवारियों को उतरने दिया जाये. यहाँ तो जो अपने आप को जो धक्का मुक्की करके कैसे भी ट्रेन के अन्दर घुसेड़ पाता है वही शूरवीर और वही सिकंदर होता है. ट्रेन के दरवाज़े यात्रियों से ठंसे पड़े होते हैं और ऐसी ही परिस्थिति में आपको चढ़ना भी होता है और उतरना भी, जो जीता वही सिकंदर की कहावत यहाँ सोलह आने सच साबित होती है. अपना स्टेशन आने से पहले ही आपको चौकन्ना हो जाना चाहिए और गेट पर पहुँच जाना चाहिए, बाकी का काम आपकी पीछे की भीड़ अपने आप कर देगी और आपको आगे धकेल कर उतार देगी.

पैर रखने की जगह का जुगाड़:
मुंबई लोकल ट्रेनों में आपको भिन्न भिन्न प्रकार के लोग बैठे, खड़े, भीड़ में फंसे मिल जायेंगे. कोई महाराष्ट्र से, कोई गुजरात से कोई यूपी से तो कोई बिहार से. अपनी क्षमता से चार गुना लोगों को लादे ये लोकल ट्रेन के डिब्बे अगर आपको अपने दोनों पैर फ्लोर पर रखने की इज़ाज़त दे देते हैं तो ये आपकी खुशनसीबी होगी. भीड़ में फंसने के बाद आपको अपने अंगों के बारे में ही होश नहीं रहेगा की आपके हाथ कहाँ हैं, पैर कहाँ और सिर कहाँ. आपके सिर के आसपास और भी आठ दस सिर होंगे और हर एक सिर से एक अलग गंध आपके नथुनों को सुवासित करेगी, किसी सिर से चमेली तो किसी से आंवला किसी से मूंगफली तो किसी से सोयाबीन के तेल की गंध आपको मुंबई लोकल में होने का एहसास कराएगी. दुनिया का कोई भी परफ्यूम, कोई भी डीओडोरेंट कम्पार्टमेंट में फैली इस गंध को चुनौती नहीं दे सकता.

पसीने की गाथा:
भीड़ से अटे आपके कम्पार्टमेंट में हवा का झोंका अन्दर आने के लिए अपनी सारी ताकत झोंककर हार कर वापस लौट जाता है और फिर दौर शुरू होता है पसीने का. पसीने की बूंदें आपके माथे से टपक कर नाक से होते हुए आपके होठों से टकराती है और आपको अपने खारेपन से अवगत कराती है लेकिन सावधान………….हर बार ज़रूरी नहीं की यह आपके ही माथे का पसीना हो, आसपास और भी माथे हैं भाई…………….

भीड़, भीड़ और भीड़

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

इतने सारे स्पाइडर मैन एक साथ देखे हैं कहीं? ये है मुंबई मेरी जान, जी हाँ ये रेंगते हुए कीड़े मकोड़े नहीं, इंसान हैं.

 

एक व्यस्ततम रेलवे स्टेशन

गेट पर इस तरह लटकते हैं.

प्रथम श्रेणी कोच

 

लेडीज़ कम्पार्टमेंट

बेतहाशा भीड़

यह भी देखिये

 

शोपिंग, महिलाओं की कमजोरी

 

मुंबई लोकलकुछ रोचक तथ्य:
१. सेंट्रल एवं वेस्टर्न रेलवे दोनों मिलाकर प्रतिदिन करीब छः करोड़ दस लाख यात्रियों को ढोती हैं, यह संख्या कुछ देशों जैसे फिनलैंड, नोर्वे, न्यूज़ीलैंड  की जनसँख्या से अधिक है. उदाहरण के लिए, सुबह के व्यस्त समय में वेस्टर्न रेलवे के चर्चगेट स्टेशन पर सिर्फ 90 सेकेंड के अंतराल में तक़रीबन 4000 यात्री प्रति ट्रेन के हिसाब से उतरते हैं, अब आप भीड़ की कल्पना कर सकते हैं.
२.  मुंबई लोकल का सवारी घनत्व (passenger density) विश्व के किसी भी शहरी रेलवे सिस्टम से सर्वाधिक है.
३. चर्चगेट से विरार के बिच के ६० किलोमीटर में एक वर्ष में लगभग 900,000,000 लोग  सफ़र करते हैं.
४. सारे सुरक्षा साधनों की मौजूदगी के बावजूद मुंबई लोकल ट्रेन्स में सफ़र के दौरान औसतन सालाना 3,700 यात्रियों की मौत होती है. पिछले दस सालों में (2002-2012) मुंबई लोकल्स में दुर्घटनाओं की वजह से 36,152 लोग मर चुके हैं तथा 36,688 लोग घायल हुए हैं.
४. प्रतिवर्ष औसतन 3700 यात्रियों की मौत के बाद भी यह विश्व का सर्वाधिक सुरक्षित रेलवे सिस्टम है. आज तक किसी ट्रेन का एक्सिडेंट नहीं हुआ है. जो भी मौतें होती हैं वे अत्यधिक भीड़ तथा यात्रियों की लापरवाही की वजह से होती हैं.
५. हर स्टेशन तथा हर ट्रेक पर औसतन 400 ट्रेन प्रतिदिन के हिसाब से आवाजाही रहती है.

चलिए अब वक़्त है आपको मुंबई लोकल के बारे में पर्याप्त जानकारी देने का, आशा है यह जानकारी अन्य घुमक्कड़ साथियों के लिए फायदेमंद साबित होगी.

मुंबई लोकल का रूट नेटवर्क:
मुंबई महानगरी में आवागमन के साधन के रूप में लोकल ट्रेन्स सबसे दक्ष एवं तेज साधन है. मुंबई की लोकल ट्रेनें भारतीय रेलवे की दो जोनल अथोरिटी सेंट्रल रेलवे एवं वेस्टर्न रेलवे के द्वारा संचालित की जाती हैं.
1 . सेंट्रल रेलवे मेन लाइन  -  छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से कसारा एवं करजत
2 . वेस्टर्न रेलवे लाइन – चर्चगेट से विरार
3 . सेंट्रल रेलवे हार्बर लाइन – छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से मानखुर्द

लोकल ट्रेन नेटवर्क

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बुकिंग काउंटर तथा पास ही में टिकिट निकालने की ऑटोमेटिक मशीन

मुंबई लोकल में किस समय सफ़र करें:
अगर आप मुंबई लोकल में सफ़र करना चाहते हैं और मुश्किलों से भी बचना चाहते हैं तो सुबह तथा शाम की बेतहाशा भीड़ से बचते हुए ११ बजे से ४ बजे के बिच सफ़र करें. शनिवार तथा रविवार को इन ट्रेनों में अपेक्षाकृत कम भीड़ होती है.
बैठक व्यवस्था:
मुंबई लोकल ट्रेनों में पुरुषों तथा महिलाओं के लिए प्रथक कम्पार्टमेंट की व्यवस्था है. कैंसर तथा मधुमेह रोगियों के लिए भी इन ट्रेनों में बैठक की प्रथक व्यवस्था है. इन ट्रेनों में फर्स्ट क्लास डिब्बों की भी व्यवस्था है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है की आपको इन फर्स्ट क्लास डिब्बों में कुछ लक्झरी सेवाएं मिलेगी बल्कि इसका मतलब यह है की आप थोडा ज्यादा पैसा देकर भीड़ से होनेवाली असुविधा से बच सकते है. महिलाओं के लिए अलग डिब्बे की भी इन ट्रेनों में व्यवस्था है.
सही लोकल ट्रेन का चुनाव:
कौन सी ट्रेन किस प्लेटफोर्म से रवाना होगी यह जानना थोडा मुश्किल होता है. ट्रेनों को उनके अंतिम गंतव्य स्थान से पहचाना जा सकता है. आमतौर पर ट्रेन के ऊपर ट्रेन के अंतिम स्टेशन के नाम के शुरुवाती एक या दो अक्षर प्रदर्शित किये जाते हैं तथा इसी के बाजू में ट्रेन फास्ट है या स्लो यह भी प्रदर्शित किया जाता है जैसे BO  F का मतलब है बोरीवली की और जानेवाली फास्ट ट्रेन.

मुंबई लोकल ट्रेन्स में सफ़र कैसे करें?
१. करीबी रेलवे स्टेशन जाएँ.
२. टिकिट खिड़की से या ATVM (ऑटोमेटिक टिकिट वेंडिंग मशीन) से अपना टिकिट खरीदें.
३. सही प्लेटफोर्म पर जाकर खड़े हो जाएँ.
४. ट्रेन आने पर सही कम्पार्टमेंट देखकर ही ट्रेन में घुसें. अगर आपके पास फर्स्ट क्लास का टिकिट नहीं है तो फर्स्ट क्लास में न घुसें.
५. ध्यान दें की लोकल ट्रेन दो तरह की होती हैं स्लो और फास्ट. स्लो ट्रेन हर स्टेशन पर रूकती हैं और फास्ट ट्रेन कुछ चुनिन्दा स्टेशनों पर ही रूकती हैं.
६. नई ट्रेनों में एनाउन्समेंट की सुविधा है, जिससे आपको अपने स्टेशन पर उतरने में आसानी होती है.

मुंबई लोकल ट्रेन्स में पालन करने योग्य सुरक्षा के उपाय:
१. यदि आपका स्टेशन नहीं आया है तो आप गेट के पास नहीं खड़े हों. कई बार भीड़ के द्वारा आप न चाहते हुए भी बहार धकेल दिए जाते हैं जिससे दुर्घटना की सम्भावना रहती है.
२. प्लेटफोर्म पर भी ट्रेक से थोडा दूर ही खड़े रहें, ट्रेन पकड़ने के लिए भागते लोग आपको धक्का दे कर गिरा सकते है.
३. लोकल ट्रेन में सफ़र के दौरान अपना मूल्यवान सामान अपने बैग में रखें तथा बैग को अपने सिने से चिपका कर रखें, आपके आसपास कोई जेबकतरा खड़ा हो सकता है.

चलिए अब रुख करते हैं खुद की और, तो साहब हमें विशाल जी ने इन तीन चार दिनों में मुंबई की जान इन लोकल ट्रेनों में चढ़ने उतरने, टिकिट लेने, जगह हथियाने और टाइम पास करने के सारे हथकंडे बता दिए थे वर्ना हम तो ठहरे सीधे सादे इन्दौरी हमारी बिसात कहाँ की इन लोकल ट्रेनों की भीड़ का सामना कर पाते.

आज के लिए बस इतना ही अब अगली पोस्ट में आपको लेकर चलूँगा मुंबई में हाजी अली की दरगाह तथा महालक्ष्मी मंदिर की सैर पर.

42 Comments

  • JATDEVTA says:

    पहली बार मुंबई लोकल के बारे में विस्तार से देखने पढ़ने को मिला बहुत कुछ जान पाया,
    विशाल कभी हीरो के वेश में, कभी टपोरी स्टाईल में जम रेला बोस,
    दिल्ली में भी ऐसी ही भीड़ होती है कभी मौक़ा लगे तो भुगतना जरुर
    आपके सभी फोटो तो वहाँ की असलियत बता रहे है, एक दिन अपुन भी इसका सफर करेंगे,

    • Mukesh Bhalse says:

      संदीप भाई,
      आपके अमूल्य शब्दों के लिए धन्यवाद.
      विशाल तो सदाबहार हीरो हैं भाई घुमक्कड़ का, जमेगा ही सही………………………………………….. उम्मीद है आप भी जल्दी ही मुंबई लोकल के सफ़र का आनंद लेंगे.

  • मुकेश जी मुंबई रेलवे का आपने बहुत अच्छा वर्णन किया हैं. क्या बात विशाल जी कुछ उदास लग रहे हैं. मुंबई रेलवे तो मुंबई की जीवन रेखा हैं. पर इसके साथ साथ मुंबई में मेट्रो का भी विकास होता तो शायद इस भीड़ से छुटकारा मिल जाता. मैंने भी इस रेलवे को पूरे एक महीने झेला था, १९८४ में. भीड़ उस समय भी उतनी ही थी. मुंबई रेलवे के रोड मैप से रेल नेटवर्क के बारे में जानकारी मिलती हैं. मुंबई रेलवे अपने आप में एक कल्चर हैं. उसमे आप हिन्दुस्तान के हर कोने के आदमी को देख सकते हो. मुंबई में ओपन एयर टूरिस्ट बस भी चलती हैं. आपने सब के घर देखे पर सचिन तेंदुलकर का घर छोड़ दिया.

    • Mukesh Bhalse says:

      प्रवीण जी,
      सबसे पहले तो पोस्ट पढने तथा प्रतिक्रिया भेजने का शुक्रिया. मुंबई में मेट्रो के विकास पर तेजी से काम चल रहा है. हाँ प्रवीण जी आपने सही कहा, हमने सचिन का घर नहीं देखा, चलिए कोई बात नहीं अगली बार जायेंगे तब देख लेंगे.

    • प्रवीण जी ,

      जी हाँ सचिन का घर दिखा नहीं पाया . इसकी वजह है, पहली बात मुझे ध्यान नहीं था और दूसरी बात मुझे पता ही नहीं था की सचिन का नया घर किधर है ?. अभी यह लिखते वक्त भी मुझे पता नहीं की बांद्रा में किस जगह पर है सचिन का घर ????
      तीसरी बात समय बहुत कम था मुकेश और उसके परिवार के पास.अच्छी तरह से मुंबई घूमने के लिए तक़रीबन एक हफ्ता चाहिए और मुकेश के पास थे साडे तीन दिन,वोह भी गोकर्ण से थक के आने के बाद और हमारा आधा दिन तो मुंबई में नया केमेरा खरीदने में गया था . जितना हो सके उतनी कोशिष की मैंने ज्यादा से ज्यादा जगह दिखाने की………………..

      धन्यवाद………….

  • वाह ! मुकेश मेरे उमीद से काफी आगे निकली यह पोस्ट . लाजवाब . आपने पूरी तरह से इसका वर्णन किया. बहुत बढ़िया. और मैंने कभी किधर भी ऐसी पोस्ट कभी देखी नहीं है. और कुछ आंकड़े तो मुझे भी नहीं मालूम थे इस लोकल ट्रेन के.

    माथे के पसीने के साथ साथ सर पर चमेली के तेल की बदबू भी आती है जो असहनीय होती है. LOL …….

    एक बात में बता दूं मुंबई लोकल ट्रेन से ज्यादा सही वक्त पर चलने वाला कोई भी परिवाहन मुंबई में है ही नहीं.आप बोरीवली से चर्चगेट केवल ५० मिनिट में पहुच सकते हो किसी भी वक्त चाहे वोह ऑफिस जाने आने का समय हो या साधारण समय , आप ५ओ मिनिट में पहुचेंगे . लेकिन अन्य कोई परिवहन को कम से कम डेढ़ घंटा लगता है जब ट्राफिक न हो तो और ट्राफिक के समय ३ घंटे भी लगना आम बात है . वक्त की पाबंदी में मुंबई की लोकल से आगे कोई भी नहीं. इस लिए अगर वक्त पे पहुचना है तो लोकल जिंदाबाद और मारो गोली कार , बस , टेक्सी , रिक्शा को. और हाँ इसके उपरांत सबसे सस्ता परिवाहन भी यही है .

    सेन्ट्रल रेलवे मैन लाइन कर्जत के आगे खोपोली तक चलती है.
    सेन्ट्रल रेलवे हार्बर लाइन मानखुर्द नहीं पनवेल तक चलती है जिसमे नवी मुंबई भी आता है.
    एक और लाइन है जिसे थाणे – वाशी -नेरुल – पनवेल लाइन कहते है.

    और अंत में आपको मुंबई लोकल के टाइम टेबल के बारे में जानना है तो आप निचे दी हुई वेबसाइट पर जा सकते है. और मोबाइल में भी यह वेबसाईट उपलब्ध है.

    http://mumbailifeline.com/

    धन्यवाद …..

    • Mukesh Bhalse says:

      विशाल,
      आपको पोस्ट पसंद आई, जानकार मुझे बड़ी ख़ुशी हुई. और आपकी बात बिलकुल सही है मुंबई में इन लोकल ट्रेन्स से फास्ट आवागमन का साधन और कोई नहीं. अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए आपका शुक्रिया. मुंबई लोकल ट्रेन्स का टाइम टेबल जानने के लिए लिंक लगाने का भी शुक्रिया.

  • मजा आ गया मुकेश जी , एक तो आपकी पोस्ट काफी दिन बाद आयी और उसके बाद इतनी विस्तृत जानकारी फोटोज के साथ …वो भी एक ऐसी चीज के बारे में जिसको अक्सर कोई नही लिखता है …..मुम्बई लोकल के बारे में तथ्य जानकर ​बढिया लगा …शिवम के सोने का फोटो बढिया था और बच्चो के बीच में बैठी हुई आर्या भी परी जैसी लग रही है । ….मुझे लगता है कि इतनी व्यस्त ट्रेनो में सामान के साथ आदमी को तो बडी मुश्किल हो जाती होगी । …………आगे महालक्ष्मी जी और हाजी अली के इंतजार में क्योंकि अपनी मुम्बई यात्रा के दौरान मैने हाजी अली दरगाह को दूर से देखा था

    • Mukesh Bhalse says:

      मनु,
      पोस्ट पढने तथा पसंद करने के लिए धन्यवाद. हाँ बिलकुल सही बात है मुंबई लोकल में सामान रखने की बड़ी समस्या है. हमें खुद अपने लिए खड़े होने की जगह बमुश्किल मिलती है तो सामान की बिसात कहाँ, लेकिन हमारे साथ विशाल जी थे जो पैदाइशी मुम्बईकर हैं, उन्हें मुंबई के चप्पे चप्पे की जानकारी है अतः हम इन सब परेशानियों से बचते चले गए.

  • tarun says:

    jay shree krishna Mukesh ji

    Mukesh ji aapki Post padhkar bahut hi Achha laga. AApne Mumbai ki local trains ke bare me bahut hi Achhi Information di he. Aur Local trains Aur stations ke photo bhi bahut achhe lage. Photos dekhakr laga ki kitni bheed hoti he In local trains me. Agar koi naya Person jisne pahle kabhi in local trains me safar nahi kiya ho aur vo pahli baar kare to vo to pagal hi ho jaye. Bahut hi jyada Bheed he Mumbai loccal trains me.

    Bahut Hi Sundar post thi mukesh ji. Padhakr Bahut Hi Anand Aaya.

    Isi tarah se hame Mumbai ki aur bhi isi tarah ke baton se avgat karate rahiye.

    jay shreenath ji ki. jay bholenath ji.

    • Mukesh Bhalse says:

      जय श्री कृष्ण तरुण जी,
      तरुण जी आपने मेरी मेरी पोस्ट की इतनी तारीफ़ कर दी की मैं फुला नहीं समा रहा हूँ. ये सब आप लोगों का प्रेम है जो हमें अच्छे से अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करता है. आपने सही फ़रमाया नए व्यक्ति के लिए ये ट्रेन्स मुसीबत का सबब बन सकती हैं, इसलिए इन ट्रेन्स में पूरी जानकारी लेकर ही सफ़र करने चाहिए.

      इसी श्रंखला में आपको मैं मुंबई की कुछ और सुन्दर जगहों पर लेकर चलूँगा, बस आप साथ में रहिएगा. आनेवाले शनिवार को शाम चार बजे हाजी अली की दरगाह का वर्णन सुन्दर चित्रों के साथ.
      थैंक्स.
      जय श्रीनाथ जी………………..जय भोलेनाथ जी.

  • Adarsh bhalse says:

    Bahut badiyta post thi chachu padhkar maja aa gaya aapne bahut hi acche tarike se discribe kiya ise dekhar to mujhe bhi local train me travel karne ki iccha ho rahi hain……

  • Mukesh Bhalse says:

    आदर्श,
    पोस्ट पढने के लिए और पसंद करने के लिए थैंक्स…………………… Stay Tuned for some more attractions of Mumbai.

    Thanks.

  • Ritesh Gupta says:

    मुकेश जी….. _(“)_
    जय भोले की…..!
    बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा |
    आपने मुंबई की जान वहाँ की जीवन रेखा “लोकलस्” से बखूबी और विस्तार से परिचय कराया |
    मुंबई के लोकल के बारे में काफी कुछ फिल्मो और टेलीविजन में देख रखा हैं पर लोकल के बारे पढ़ा आज हैं |बहुत अच्छा लगा वहाँ की लोकलस् की जीवन शैली जानकार |
    मुंबई लोकल और स्टेशन पर इतनी भीड़भाड़ होने की बाबजूद आपने वहाँ की काफी अच्छे फोटो खीचें और वहाँ के वास्तविक हालत को भी दिखाया हैं |
    अब आगे अगले लेख में आपसे मुम्बई के बारे में और भी जानने का इन्तजार रहेगा …|
    धनयवाद…….. :)

    • Mukesh Bhalse says:

      रितेश जी,
      पोस्ट को पढने, पसंद करने तथा प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद. आपकी कमेंट्स लेखकों की धमनियों में रक्त संचार का कार्य करती हैं.

  • tarun says:

    jay shree krishna Mukesh ji

    bahut Bahut dhanyawaad. hame aapke aage ki mumbai ke aur sthano ke bare me aane vali post ka intajaar rahega.

    Munbai ki Local trains ki yatra jo aapke dwara hamne bhi kari vo yaad rahegi.

    jay ho bholenath ji ki

  • ashok sharma says:

    your travelogue thro’ Mumbai locals is splendid.But the overflowing crowd in the nicely shot photos raises ones hair.dangerously increasing population spoils whole of the show.

    • Mukesh Bhalse says:

      Sir,
      Thank you very much for your sweet comments. Yup, the uncontrolled crowd is main problem in this unique network.

      Thanks.

  • Neeraj Jat says:

    मुकेश जी, आप भी कहोगे कि जाटराम जब भी आता है, कमियां ही निकालता है। इस बार दो कमियां मेरे हिस्से आई हैं। बाकी विशाल भाई ने बता दी।
    1. अगर आप मुम्बई लोकल के बारे में एक स्पेशल पोस्ट लिख रहे हैं तो फोटो भी मुम्बई लोकल के ही होने चाहिये। सभी फोटो सही हैं लेकिन एक फोटो मुम्बई लोकल का नहीं है। उस फोटो में जो ट्रेन है, उसका इंजन डीजल वाला है, जबकि मुम्बई में गोवा वाली लाइन को छोडकर सभी लाइनें विद्युतीकृत हैं। गोवा वाली भी कम से कम पनवेल तक विद्युतीकृत है। इसलिये मेरा ख्याल यह कहता है कि वो फोटो मुम्बई का भी नहीं है। कुल मिलाकर बात यह है कि वो फोटो इस पोस्ट में नहीं आना चाहिये था।
    2. आपने एक जगह लिखा है कि हर स्टेशन पर 40 ट्रेन प्रतिदिन के हिसाब से चलती हैं। इतनी ट्रेनें तो हमारे दिन भर खाली रहने वाले ट्रेक पर चलती हैं। कहीं आप 400 तो नहीं लिखना चाहते थे? मैंने आपकी दी हुई टाइम टेबल वाली लिंक से पता किया है कि मात्र चर्चगेट से दिन भर में चार सौ से ज्यादा ट्रेनें निकलती हैं। इतनी ही ट्रेनें चर्चगेट स्टेशन पर आती भी हैं। इसलिये मात्र चर्चगेट का आंकडा 800 ट्रेन प्रतिदिन का बैठता है।

  • मुंबई लोकल – कुछ रोचक तथ्य:
    १. सेंट्रल एवं वेस्टर्न रेलवे दोनों मिलाकर प्रतिदिन करीब 61,000,000 यात्रियों को ढोती हैं, …….
    61 CRORE …??? is it correct…????

    very informative contribution.

  • Neeraj Jat says:

    61 करोड नहीं है भईया\\\\\
    6 करोड 10 लाख है….
    सच्ची लिखा है।

  • Surinder Sharma says:

    Neeraj Bhai 61 Million is ok for English reader but for us who study in Hindi medium and count ikai, dhai secra for it is easy if coma come after 6 not 61. Tapla to lag jata hai

    • Mukesh Bhalse says:

      सुरिन्दर शर्मा जी,
      इस हिंदी में लिखी गई पोस्ट पर जहाँ पर हर कोई कमेन्ट भी हिंदी में कर रहा है, आप अंग्रेजी में कमेन्ट लिख रहे हैं और लिख रहे हैं की हम जैसे हिंदी माध्यम के लोग जो इकाई, दहाई,सैकड़ा पढ़ते हैं उनके लिए 6 के बाद कॉमा लगाना चाहिए. आप तो मुझे किसी भी एंगल से हिंदी माध्यम वाले नहीं लग रहे.

      दूसरी बात, आप पोस्ट पर आये और नीरज की तरह गलतियाँ निकालना शुरू की, यहाँ तक तो ठीक है लेकिन साहब पोस्ट के बारे में भी दो शब्द लिखने की जेहमत उठा लेते तो हमें भी अच्छा लगता.

  • Mukesh Bhalse says:

    वैसे पाठकों की सुविधा के लिए इस आंकड़े को बदल कर हिंदी में शब्दों में लिख दिया गया है.

  • मैने डिस्कवरी चैनल पर एक लम्बा कार्यक्रम देखा था इस विषय पर । पर आपने यहाँ कुछ बातें जो किसी यात्री के लिये खास मायने रखती हैं बताई जो शायद डिस्कवरी वालों के ध्यान से ही उतर गई होंगी। मेरे ये समझ नही आता कि आदमी को खाना तो ज्यादा से ज्यादा 20 रोटी है दिनभर में जो वह अपनी जन्मभूमि में या उसके आसपास रहकर भी कमा सकता है अपने परिवार को और स्वयं को शुकुन से रख कर। फिर आदमी ये भेड बकरियों की तरह क्यो प्रतिदिन अपना जीवन नर्क बनाता है इन ट्रेनों में। मै ये मानता हूँ कि यदि आप नर्क में भी रहें तो एक ना एक दिन आप उसके आदी हो जाते हैं। लेकि न क्या आप अपनी चेतना और समझ को इंग्नोर नही कर रहे। कब तक आईक्यू लेवल और बैंक बैलेंस ही बढ़ाते रहने की भेडचाल में शामिल रह कर अपने जीवन का क्षण क्षण बर्बाद कर सकते हैं। मैने अपने शहर में एक बात नोटिस की है जो लोग मुम्बई से भोपाल में आकर लोगों को ठगने या भ्रमित कर एक ही दिन में 20-40 हजार कमाने का आॅफर वाले विज्ञापन पेपर में देते हैं लोग लालच में आकर भ्रमित हो जाते हैं और उनकी बातें तो उन पर सम्मोहन का कार्य करती हैं। लोग इंद्रिय सुख के चक्कर में यहाँ से मुम्बई भागते हैं।

    • Mukesh Bhalse says:

      भगत सिंह जी,
      थोड़े विलम्ब से जवाब दे रहा हुं, माफ़ कीजियेगा. आपने पोस्ट को पढ़ा एवं अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की उसके लिए आपका धन्यवाद. जी हाँ मैंने भी बहुत पहले डिस्कवरी पर यह वृत्तचित्र देखा था और मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ था.

      मैं आपकी बात से बिलकुल सहमत हुं मैंने भी ऐसे लोग देखे हैं जो गाँव की साफ़ स्वच्छ आबो हवा छोड़ कर शहर की तरफ भागते हैं और वहां जाकर नर्क की ज़िन्दगी जीते हैं, लेकिन वापस गाँव में आकर यही दिखने की कोशिश करते हैं की उनसे ज्यादा समझदार और कोई नहीं.

      धन्यवाद.

  • Dear Mukesh,
    Aap Ki post Bahut wadia hai. Per meri problem hai mujhe hindi typing nahin aati. Aap ne jo lagan se aur mehnat se post likhi hai bahut hi sundar hai, aap ka bahut bahut sukhria . Vaise main aap se umar mein bada hun aur aap mujhe apne lagte hein is liye kabhi majak mein kuch likh dia (61 million) to kirpya bura mat maane. Mujhe lagta hai lekak ko kuch kamian chod deni chahiye aur Pathak unhen par kar comment de sakta hai , aau aap jan jainge ki pathak kitni lagaj se aap ki post paar rahein hai. Aap ki jo diesel engine wali train aur local train hai, woh photo Panvel or Thane railway station ka ho sakta hai kyonki wahan per local aur express dono tain aati hai.

    In 2004 I was there at Navi Mumbai and I enjoy local train. Really so nice writing it looks that I am going with you. Lot of efforts to collect data. Aur ek baat , Sahitya (Litrature) mein toda galp (Masala) aur alankar dalna parta hai. Aap koi police report nahin likha rahe ke har baat sahi honi chahiye. When I was in India Manohar Kahayanian was very popular magzine there and it always describe ” Yeh katha sachi ghatnon per adharit hai”. Aap ne jo bhi likha hei sach lika hai. Bahut achha or bahut mehnet se likha hai.

    Regards to you and all your family members.

    Surinder Sharma
    Edmonton Canada

    • Mukesh Bhalse says:

      शर्मा जी,
      सराहना के लिए धन्यवाद. नहीं आपने गलती की ओर ध्यान आकर्षित करवाया उस बात का मुझे कोई शिकवा गिला नहीं है, बल्कि मैं तो आपका शुक्रगुजार हूँ की आपने मेरी पोस्ट को और बेहतर बनाने का सुझाव दिया. मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता था की पोस्ट की गलतियों की ओर ध्यान दिलाने के साथ पोस्ट के बारे में भी कुछ लिखना चाहिए अच्छा या बुरा कुछ भी.

      दूसरी बात हिंदी लिखने के लिए आपको हिंदी टाइपिंग आना जरुरी नहीं है, यहाँ जितने भी लोग हिंदी लिखते हैं किसी न किसी सोफ्टवेयर की मदद से लिखते हैं, आपको सोफ्टवेयर खोलकर रोमन अंग्रेजी में शब्द लिख कर स्पेस बार दबा देना है शब्द अपने आप हिंदी में बदल जाएगा, उसके बाद मेटर को यहाँ से कट करके जहाँ आपको लिखना हो वहां पेस्ट कर दीजिये बस हो गया. मैं जो सोफ्टवेयर यूज़ करता हूँ उसका लिंक भेज रहा हूँ http://www.google.com/transliterate/. बस क्लीक कीजिये और हिंदी लिखिए, और हाँ अगली कमेन्ट जरुर हिंदी में ही लिखियेगा.
      थैंक्स.

  • Nandan Jha says:

    मुंबई लोकल , ये विषय अपने आप में एक आकर्षक विषय है | मैं कभी मुंबई में नहीं रहा, पर ५-१० बार गया ज़रूर हूँ, दो-दिन चार-दिन एक-हफ्ता और हर बार लोकल में भी सफ़र किया एक दो बार और सच मानिए तो कभी भी बहुत अच्छा नहीं लगा | :-) मेरे मुंबई के दोस्त , मेरा पिताजी जिन्होंने वहां ५ साल से अधिक काम किया है, हमेशा से लोकल से मुरीद रहे हैं (ये मुरीद लव्ज़ मनु से चुराया है मैंने) |

    मेरे हिसाब से मुंबई लोकल एक बहुत बड़ी नेमत है पर अब समय आगे बढ़ गया है | मैं बीजिंग में था तो वहां के मेट्रो सेवा देख कर दंग रह गया और अगर आपको सभ्य व्यवहार समझना है तो टोक्यो जाएँ | हज़ार भीड़ में मुझे याद नहीं की किसी ने कभी पांव पर पांव रखा हो या धक्का-मुक्की की हो | दिल्ली मेट्रो में मुझे जाने का ज्यादा मौका नहीं मिलता पर मैं उसका फेन हूँ | तो एक बार धन्यवाद ढेर साड़ी जानकारी के लिए और इंतज़ार रहेगा आगे पोस्ट्स का |

    • Mukesh Bhalse says:

      नंदन,
      आप की ही कमेन्ट का इंतज़ार हो रहा था. सुन्दर शब्दों में प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. आप इस पोस्ट पर FOG का टेग लगाना भूल गए शायद. मेरे ख्याल से इससे पहले घुमक्कड़ पर मुंबई लोकल पर आधारित पोस्ट नहीं प्रकाशित हुई है.

      धन्यवाद.

  • sanjay says:

    very informative. I was unaware of all these things. Thanks for sharing.

  • श्री मुकेश जी,
    आप का यह लिंक भेजेने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , इसीलिए कहते हैं गुनी लोगों की संगत करनी चाहिए .

  • Stone says:

    This is what I call a well-balanced complete ‘post’.

    Thank you for sharing all this interesting information with us.

  • Nandan Jha says:

    @ Mukesh , Neeraj, Sandeep, James, Bhagat, others – The editorial team would take a look and curate the comments which do not follow the ‘Comment Guidelines’. I would also be writing to each one of you to further apprise you of views from the editorial team.

    Please exercise patience, meanwhile.

  • bk sharma says:

    यह पोस्ट बहुत अछि है और नए मुंबई जाने वालों के लिए काम की है
    भागात सिंह पंथी अपने बिलकुल ठीक कहा है लोग कुछ पैसे के लिए
    अपना घर बार छोड़ कर नरक भोगते हैं
    जो लोग भगत का विरोध कर रहे हैं बेवकूफ है

  • D.L.Narayan says:

    Very evocative post, Mukesh, on Mumbai’s lifeline. It felt like we were all travelling with you. It is different from your other posts. Thoroughly enjoyed it.

  • Bindu Jose says:

    Hi Mukesh!

    You have written so well about the Mumbai locals! I cannot believe you are not from Mumbai.
    Auro ke liye yeh koi fiction jaisa lage. Par aapke article ki har ek bat sach hain. Yeh Mumbai walon se zyada koi aur nahi jaan sakta.

    Kuddos to your article. Well done

    Bindu Jose

  • Hemant says:

    नमस्कार मुकेश जी ,
    आपके द्वारा डाले गये मुंबई विजिट के सभी पोस्ट बहुत ही शानदार है आपने बहुत ही अच्छा वर्णन अच्छे चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है , आपकी तरह हम भी भोले के भक्त है और इस बार महारास्ट्र में स्थित पांचो ज्योतिर्लिंगों के दर्शनों की अभिलाषा करते हुए इसी आगामी जून महीने में विजिट की प्लानिंग कर रहे है , इसी संदर्भ में आपसे थोडा मार्गदर्शन चाहते है कृपया हमारा मार्गदर्शन कीजिये ताकि कम समय में हम भी लोकल ट्रेन द्वारा (बजट कोंसियस है ) मुंबई के सभी दर्शनीय स्थल जोकि आपने घुमे है को विजिट कर सके |
    हम दो फैमिली एक हावड़ा से मुंबई और दूसरी जोधपुर से बांद्रा स्टेशन पे उतरेंगे उसके बाद शाम को मुंबई CST से परभनी रेलवे स्टेशन के लिए हमारी ट्रेन है तो कृपया गाइड कीजिये कैसे CST से हम एक दिन में लोकल ट्रेन द्वारा इन सभी रिलीजियस स्थलों के दर्शन कर सकते है …..

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