दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚, अपने धारà¥à¤®à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤‚तों से अलग आज मैं आप लोगों को à¤à¤¾à¤°à¤¤ की वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• राजधानी मà¥à¤‚बई जिसे मायानगरी à¤à¥€ कहा जाता है की जीवन रेखा यानि मà¥à¤‚बई उपनगरीय रेल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ (मà¥à¤‚बई लोकल) तथा उससे जà¥à¥œà¥‡ मेरे अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ के बारे में बताना चाहता हूà¤.
हमारी मà¥à¤‚बई यातà¥à¤°à¤¾ वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ मेरे तथा विशाल राठोड़ (जो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ के à¤à¤• वरिषà¥à¤ लेखक हैं) के परिवार की समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ तटीय करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• यातà¥à¤°à¤¾ (उडà¥à¤ªà¥€ – कोलà¥à¤²à¥‚र- मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°- गोकरà¥à¤£) के परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प थी. हमें अपनी करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• यातà¥à¤°à¤¾ के लिठयोजना के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पहले विशाल राठोड़ के घर मà¥à¤‚बई जाना था तथा वहां से दोनों परिवारों को उडà¥à¤ªà¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ करना था.
अपने इस चार दिवसीय मà¥à¤‚बई पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ के दौरान मà¥à¤‚बई में हमने विशाल राठोड़ के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के साथ मà¥à¤‚बई के कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ तथा अवलोकन किया जैसे हाजी अली की दरगाह, सिदà¥à¤§à¤¿ विनायक मंदिर, महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर, तारापà¥à¤°à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤•à¥à¤µà¥‡à¤°à¤¿à¤¯à¤®, बांदà¥à¤°à¤¾ बेनà¥à¤¡à¤¸à¥à¤Ÿà¥‡à¤‚ड, छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी टरà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¸, ताजमहल होटल, गेटवे ऑफ़ इंडिया, बाबà¥à¤²à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर, मà¥à¤•à¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर, इसà¥à¤•ोन मंदिर, à¤à¤‚टेलिया (मà¥à¤•ेश अमà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ का निवास), मनà¥à¤¨à¤¤ (शाहरà¥à¤– खान का निवास), जलसा तथा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ (अमिताठबचà¥à¤šà¤¨ के दोनों निवास), बसेरा (रेखा का निवास), इमà¥à¤ªà¥€à¤°à¤¿à¤¯à¤² टॉवरà¥à¤¸ तथा अनà¥à¤¯ कई दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤².

मà¥à¤‚बई लोकल का पहला सफ़र (मैं, विशाल, संसà¥à¤•ृति à¤à¤µà¤‚ शिवमà¥)
इस पूरी मà¥à¤‚बई यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान अगर मà¥à¤à¥‡ किसी चीज ने आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया तो वह थी मà¥à¤‚बई की जीवन रेखा कही जाने वाली मà¥à¤‚बई उपनगरीय रेल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ जिसे मà¥à¤‚बई लोकल कहते हैं, और इस रेल वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से मैं इतना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† की मैंने सोच लिया था की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर अपनी अगली पोसà¥à¤Ÿ इस मà¥à¤‚बई लोकल को ही समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करूà¤à¤—ा.
गाड़ी बà¥à¤²à¤¾ रही है, सिटी बजा रही है.
चलना ही ज़िनà¥à¤¦à¤—ी है, चलती ही जा रही है………..
बीते वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की à¤à¤• बॉलीवà¥à¤¡ फिलà¥à¤® का यह गाना आज à¤à¥€ मà¥à¤‚बई में रहने वाले लाखों लोगों के जीवन के à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पहलॠको परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ करता है. इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• मलà¥à¤Ÿà¤¿à¤ªà¤² यूनिटà¥à¤¸ (EMU ‘s) जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ कहा जाता है, मà¥à¤‚बई की जीवन रेखा है. BO – 06 :57 – Slow और N -08 :23 – Fast जैसे संकेत मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆà¤•रों के दैनिक जीवन का हिसà¥à¤¸à¤¾ है. वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ के बिना मà¥à¤‚बई की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना à¤à¥€ असंà¤à¤µ है. अगर आपने लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में सफ़र नहीं किया मतलब आपने मà¥à¤‚बई नहीं घà¥à¤®à¤¾, या आपका मà¥à¤‚बई घूमना अधà¥à¤°à¤¾ है.
मà¥à¤‚बई में वैसे तो जन परिवहन के लिठअनà¥à¤¯ साधन à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं जैसे ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾, टेकà¥à¤¸à¥€, उपनगरीय बसें आदि लेकिन जनमानस में अगर सबसे पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ आवागमन का साधन कोई है तो वह मà¥à¤‚बई लोकल ही है. मà¥à¤‚बई शहर को गतिमान रखने में इन मà¥à¤‚बई लोकलà¥à¤¸ का बहà¥à¤¤ योगदान है, लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ के à¤à¤• दिन à¤à¥€ रà¥à¤• जाने से मà¥à¤‚बई शहर जैसे ठहर जाता है, मà¥à¤‚बई की धड़कने चलती हैं तो इन लोकलà¥à¤¸ के ही सहारे.
शंघाई, इसà¥à¤¤à¤¾à¤‚बà¥à¤² तथा कराची के बाद मà¥à¤‚बई विशà¥à¤µ का चौथा सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आबादी वाला शहर है, तथा à¤à¤¾à¤°à¤¤ में तो यह निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ रूप से सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आबादी वाला शहर है. अगर मà¥à¤‚बई के साथ लगे ठाणे तथा नवी मà¥à¤‚बई को मिला कर देखा जाये तो यह शहर विशà¥à¤µ का सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आबादी वाला शहर बन जाता है. अब आप सोच सकते हैं की इतने बड़े शहर की इतनी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आबादी में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ परिवहन साधन के रूप में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ साधन को हम कà¥à¤› विशेष ही कहेंगे न.
मà¥à¤‚बई की धरती पर उतरते ही सबसे पहले हमारा सामना मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ से ही हà¥à¤†. वैसे मà¥à¤‚बई में हम दà¥à¤¸à¤°à¥‡ साधनों से à¤à¥€ घूम सकते थे लेकिन हमारे मेजबान विशाल राठोड़ ने मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤‚बई की इस अनूठी तथा विशिषà¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से परिचित करवाने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से हमारे मà¥à¤‚बई à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की पूरी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ से ही की थी, और सच बताउं तो हमने à¤à¥€ मà¥à¤‚बई में इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ के सफ़र तथा अनियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¥€à¤¡à¤¼ का खूब लà¥à¤¤à¥à¥ž उठाया. अगर आप मà¥à¤‚बई जा रहे हैं और आपको लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ तथा इनमें सफ़र करने की रणनीति की परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जानकारी है तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से आप मà¥à¤‚बई में इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ में सफ़र करके अपना काम निकाल सकते हैं वरना………..गोलमाल है à¤à¤¾à¤ˆ सब गोलमाल है.
अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• à¤à¥€à¤¡à¤¼– मà¥à¤‚बई लोकल का नकारातà¥à¤®à¤• पहलà¥:
 मà¥à¤‚बई की तेज़ तथा à¤à¤¾à¤—मà¤à¤¾à¤— वाली ज़िनà¥à¤¦à¤—ी से सामंजसà¥à¤¯ बैठने के लिठयहाठपर हर किसी को इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ के सहारे ही अपनी ज़िनà¥à¤¦à¤—ी चलानी होती है, हर वरà¥à¤— के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ परिवहन के साधन के तौर पर उपयोग किये जाने की वजह से इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में बेतहाशा ड़ होती है. वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ समय में à¤à¤• टà¥à¤°à¥‡à¤¨ जिसमें सिरà¥à¤« 9 डिबà¥à¤¬à¥‡ जिनमें सिरà¥à¤« 1700 यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ढोने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है उससे कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगà¤à¤— 4500 यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ढोना इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ की बदनसीबी है. इस बेतहाशा à¤à¥€à¤¡à¤¼ की वजह से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सà¥à¤•à¥à¤µà¥‡à¤¯à¤° मीटर की छोटी सी जगह में 14 से 16 लोगों को खड़ा होने पर मजबूर होना पड़ता है.
मà¥à¤‚बई लोकल में चà¥à¤¨à¤¾ तथा उतरना – à¤à¤• चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€:
मà¥à¤‚बई लोकल में चà¥à¤¨à¤¾ और उतरना अपने आप में à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ी कला, कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ तथा दकà¥à¤·à¤¤à¤¾ का काम है. मà¥à¤‚बई लोकल में चà¥à¤¤à¥‡ तथा उतरते समय आपको सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ तथा सही तौर तरीकों को बाजॠमें रखना होगा, यहाठपर à¤à¤¸à¥‡ मैनरà¥à¤¸ को फोलो करना जायज़ नहीं है जैसे की चà¥à¤¨à¥‡ से पहले उतरने वाली सवारियों को उतरने दिया जाये. यहाठतो जो अपने आप को जो धकà¥à¤•ा मà¥à¤•à¥à¤•ी करके कैसे à¤à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के अनà¥à¤¦à¤° घà¥à¤¸à¥‡à¤¡à¤¼ पाता है वही शूरवीर और वही सिकंदर होता है. टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के दरवाज़े यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से ठंसे पड़े होते हैं और à¤à¤¸à¥€ ही परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आपको चà¥à¤¨à¤¾ à¤à¥€ होता है और उतरना à¤à¥€, जो जीता वही सिकंदर की कहावत यहाठसोलह आने सच साबित होती है. अपना सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आने से पहले ही आपको चौकनà¥à¤¨à¤¾ हो जाना चाहिठऔर गेट पर पहà¥à¤à¤š जाना चाहिà¤, बाकी का काम आपकी पीछे की à¤à¥€à¤¡à¤¼ अपने आप कर देगी और आपको आगे धकेल कर उतार देगी.
पैर रखने की जगह का जà¥à¤—ाड़:
मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में आपको à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार के लोग बैठे, खड़े, à¤à¥€à¤¡à¤¼ में फंसे मिल जायेंगे. कोई महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° से, कोई गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ से कोई यूपी से तो कोई बिहार से. अपनी कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से चार गà¥à¤¨à¤¾ लोगों को लादे ये लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के डिबà¥à¤¬à¥‡ अगर आपको अपने दोनों पैर फà¥à¤²à¥‹à¤° पर रखने की इज़ाज़त दे देते हैं तो ये आपकी खà¥à¤¶à¤¨à¤¸à¥€à¤¬à¥€ होगी. à¤à¥€à¤¡à¤¼ में फंसने के बाद आपको अपने अंगों के बारे में ही होश नहीं रहेगा की आपके हाथ कहाठहैं, पैर कहाठऔर सिर कहाà¤. आपके सिर के आसपास और à¤à¥€ आठदस सिर होंगे और हर à¤à¤• सिर से à¤à¤• अलग गंध आपके नथà¥à¤¨à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ करेगी, किसी सिर से चमेली तो किसी से आंवला किसी से मूंगफली तो किसी से सोयाबीन के तेल की गंध आपको मà¥à¤‚बई लोकल में होने का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कराà¤à¤—ी. दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का कोई à¤à¥€ परफà¥à¤¯à¥‚म, कोई à¤à¥€ डीओडोरेंट कमà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट में फैली इस गंध को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ नहीं दे सकता.
पसीने की गाथा:
à¤à¥€à¤¡à¤¼ से अटे आपके कमà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट में हवा का à¤à¥‹à¤‚का अनà¥à¤¦à¤° आने के लिठअपनी सारी ताकत à¤à¥‹à¤‚ककर हार कर वापस लौट जाता है और फिर दौर शà¥à¤°à¥‚ होता है पसीने का. पसीने की बूंदें आपके माथे से टपक कर नाक से होते हà¥à¤ आपके होठों से टकराती है और आपको अपने खारेपन से अवगत कराती है लेकिन सावधान………….हर बार ज़रूरी नहीं की यह आपके ही माथे का पसीना हो, आसपास और à¤à¥€ माथे हैं à¤à¤¾à¤ˆ…………….

इतने सारे सà¥à¤ªà¤¾à¤‡à¤¡à¤° मैन à¤à¤• साथ देखे हैं कहीं? ये है मà¥à¤‚बई मेरी जान, जी हाठये रेंगते हà¥à¤ कीड़े मकोड़े नहीं, इंसान हैं.
मà¥à¤‚बई लोकल – कà¥à¤› रोचक तथà¥à¤¯:
१. सेंटà¥à¤°à¤² à¤à¤µà¤‚ वेसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¨ रेलवे दोनों मिलाकर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ करीब छः करोड़ दस लाख यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को ढोती हैं, यह संखà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤› देशों जैसे फिनलैंड, नोरà¥à¤µà¥‡, नà¥à¤¯à¥‚ज़ीलैंड की जनसà¤à¤–à¥à¤¯à¤¾ से अधिक है. उदाहरण के लिà¤, सà¥à¤¬à¤¹ के वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ समय में वेसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¨ रेलवे के चरà¥à¤šà¤—ेट सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर सिरà¥à¤« 90 सेकेंड के अंतराल में तक़रीबन 4000 यातà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के हिसाब से उतरते हैं, अब आप à¤à¥€à¥œ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कर सकते हैं.
२. मà¥à¤‚बई लोकल का सवारी घनतà¥à¤µ (passenger density) विशà¥à¤µ के किसी à¤à¥€ शहरी रेलवे सिसà¥à¤Ÿà¤® से सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• है.
३. चरà¥à¤šà¤—ेट से विरार के बिच के ६० किलोमीटर में à¤à¤• वरà¥à¤· में लगà¤à¤— 900,000,000 लोग सफ़र करते हैं.
४. सारे सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ साधनों की मौजूदगी के बावजूद मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ में सफ़र के दौरान औसतन सालाना 3,700 यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की मौत होती है. पिछले दस सालों में (2002-2012) मà¥à¤‚बई लोकलà¥à¤¸ में दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾à¤“ं की वजह से 36,152 लोग मर चà¥à¤•े हैं तथा 36,688 लोग घायल हà¥à¤ हैं.
४. पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· औसतन 3700 यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की मौत के बाद à¤à¥€ यह विशà¥à¤µ का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रेलवे सिसà¥à¤Ÿà¤® है. आज तक किसी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का à¤à¤•à¥à¤¸à¤¿à¤¡à¥‡à¤‚ट नहीं हà¥à¤† है. जो à¤à¥€ मौतें होती हैं वे अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• à¤à¥€à¤¡à¤¼ तथा यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की लापरवाही की वजह से होती हैं.
५. हर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तथा हर टà¥à¤°à¥‡à¤• पर औसतन 400 टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ के हिसाब से आवाजाही रहती है.
चलिठअब वक़à¥à¤¤ है आपको मà¥à¤‚बई लोकल के बारे में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ जानकारी देने का, आशा है यह जानकारी अनà¥à¤¯ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ साथियों के लिठफायदेमंद साबित होगी.
मà¥à¤‚बई लोकल का रूट नेटवरà¥à¤•:
मà¥à¤‚बई महानगरी में आवागमन के साधन के रूप में लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ सबसे दकà¥à¤· à¤à¤µà¤‚ तेज साधन है. मà¥à¤‚बई की लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ रेलवे की दो जोनल अथोरिटी सेंटà¥à¤°à¤² रेलवे à¤à¤µà¤‚ वेसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¨ रेलवे के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित की जाती हैं.
1 . सेंटà¥à¤°à¤² रेलवे मेन लाइन - छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी टरà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¸ से कसारा à¤à¤µà¤‚ करजत
2 . वेसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¨ रेलवे लाइन – चरà¥à¤šà¤—ेट से विरार
3 . सेंटà¥à¤°à¤² रेलवे हारà¥à¤¬à¤° लाइन – छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी टरà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¸ से मानखà¥à¤°à¥à¤¦

बà¥à¤•िंग काउंटर तथा पास ही में टिकिट निकालने की ऑटोमेटिक मशीन
मà¥à¤‚बई लोकल में किस समय सफ़र करें:
अगर आप मà¥à¤‚बई लोकल में सफ़र करना चाहते हैं और मà¥à¤¶à¥à¤•िलों से à¤à¥€ बचना चाहते हैं तो सà¥à¤¬à¤¹ तथा शाम की बेतहाशा à¤à¥€à¤¡à¤¼ से बचते हà¥à¤ ११ बजे से ४ बजे के बिच सफ़र करें. शनिवार तथा रविवार को इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत कम à¤à¥€à¤¡à¤¼ होती है.
बैठक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾:
मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ तथा महिलाओं के लिठपà¥à¤°à¤¥à¤• कमà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है. कैंसर तथा मधà¥à¤®à¥‡à¤¹ रोगियों के लिठà¤à¥€ इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में बैठक की पà¥à¤°à¤¥à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है. इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में फरà¥à¤¸à¥à¤Ÿ कà¥à¤²à¤¾à¤¸ डिबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है की आपको इन फरà¥à¤¸à¥à¤Ÿ कà¥à¤²à¤¾à¤¸ डिबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ में कà¥à¤› लकà¥à¤à¤°à¥€ सेवाà¤à¤‚ मिलेगी बलà¥à¤•ि इसका मतलब यह है की आप थोडा जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसा देकर à¤à¥€à¥œ से होनेवाली असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ से बच सकते है. महिलाओं के लिठअलग डिबà¥à¤¬à¥‡ की à¤à¥€ इन टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है.
सही लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का चà¥à¤¨à¤¾à¤µ:
कौन सी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ किस पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‹à¤°à¥à¤® से रवाना होगी यह जानना थोडा मà¥à¤¶à¥à¤•िल होता है. टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ को उनके अंतिम गंतवà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से पहचाना जा सकता है. आमतौर पर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के ऊपर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के अंतिम सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के नाम के शà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¤à¥€ à¤à¤• या दो अकà¥à¤·à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किये जाते हैं तथा इसी के बाजू में टà¥à¤°à¥‡à¤¨ फासà¥à¤Ÿ है या सà¥à¤²à¥‹ यह à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया जाता है जैसे BO F का मतलब है बोरीवली की और जानेवाली फासà¥à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨.
मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ में सफ़र कैसे करें?
१. करीबी रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जाà¤à¤.
२. टिकिट खिड़की से या ATVM (ऑटोमेटिक टिकिट वेंडिंग मशीन) से अपना टिकिट खरीदें.
३. सही पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‹à¤°à¥à¤® पर जाकर खड़े हो जाà¤à¤.
४. टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आने पर सही कमà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट देखकर ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में घà¥à¤¸à¥‡à¤‚. अगर आपके पास फरà¥à¤¸à¥à¤Ÿ कà¥à¤²à¤¾à¤¸ का टिकिट नहीं है तो फरà¥à¤¸à¥à¤Ÿ कà¥à¤²à¤¾à¤¸ में न घà¥à¤¸à¥‡à¤‚.
५. धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दें की लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ दो तरह की होती हैं सà¥à¤²à¥‹ और फासà¥à¤Ÿ. सà¥à¤²à¥‹ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ हर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर रूकती हैं और फासà¥à¤Ÿ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ पर ही रूकती हैं.
६. नई टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में à¤à¤¨à¤¾à¤‰à¤¨à¥à¤¸à¤®à¥‡à¤‚ट की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ है, जिससे आपको अपने सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरने में आसानी होती है.
मà¥à¤‚बई लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ में पालन करने योगà¥à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के उपाय:
१. यदि आपका सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ नहीं आया है तो आप गेट के पास नहीं खड़े हों. कई बार à¤à¥€à¤¡à¤¼ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आप न चाहते हà¥à¤ à¤à¥€ बहार धकेल दिठजाते हैं जिससे दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रहती है.
२. पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‹à¤°à¥à¤® पर à¤à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤• से थोडा दूर ही खड़े रहें, टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पकड़ने के लिठà¤à¤¾à¤—ते लोग आपको धकà¥à¤•ा दे कर गिरा सकते है.
३. लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में सफ़र के दौरान अपना मूलà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨ सामान अपने बैग में रखें तथा बैग को अपने सिने से चिपका कर रखें, आपके आसपास कोई जेबकतरा खड़ा हो सकता है.
चलिठअब रà¥à¤– करते हैं खà¥à¤¦ की और, तो साहब हमें विशाल जी ने इन तीन चार दिनों में मà¥à¤‚बई की जान इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ में चà¥à¤¨à¥‡ उतरने, टिकिट लेने, जगह हथियाने और टाइम पास करने के सारे हथकंडे बता दिठथे वरà¥à¤¨à¤¾ हम तो ठहरे सीधे सादे इनà¥à¤¦à¥Œà¤°à¥€ हमारी बिसात कहाठकी इन लोकल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¥€à¤¡à¤¼ का सामना कर पाते.
आज के लिठबस इतना ही अब अगली पोसà¥à¤Ÿ में आपको लेकर चलूà¤à¤—ा मà¥à¤‚बई में हाजी अली की दरगाह तथा महालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ मंदिर की सैर पर.
पहली बार मुंबई लोकल के बारे में विस्तार से देखने पढ़ने को मिला बहुत कुछ जान पाया,
विशाल कभी हीरो के वेश में, कभी टपोरी स्टाईल में जम रेला बोस,
दिल्ली में भी ऐसी ही भीड़ होती है कभी मौक़ा लगे तो भुगतना जरुर
आपके सभी फोटो तो वहाँ की असलियत बता रहे है, एक दिन अपुन भी इसका सफर करेंगे,
संदीप भाई,
आपके अमूल्य शब्दों के लिए धन्यवाद.
विशाल तो सदाबहार हीरो हैं भाई घुमक्कड़ का, जमेगा ही सही………………………………………….. उम्मीद है आप भी जल्दी ही मुंबई लोकल के सफ़र का आनंद लेंगे.
मुकेश जी मुंबई रेलवे का आपने बहुत अच्छा वर्णन किया हैं. क्या बात विशाल जी कुछ उदास लग रहे हैं. मुंबई रेलवे तो मुंबई की जीवन रेखा हैं. पर इसके साथ साथ मुंबई में मेट्रो का भी विकास होता तो शायद इस भीड़ से छुटकारा मिल जाता. मैंने भी इस रेलवे को पूरे एक महीने झेला था, १९८४ में. भीड़ उस समय भी उतनी ही थी. मुंबई रेलवे के रोड मैप से रेल नेटवर्क के बारे में जानकारी मिलती हैं. मुंबई रेलवे अपने आप में एक कल्चर हैं. उसमे आप हिन्दुस्तान के हर कोने के आदमी को देख सकते हो. मुंबई में ओपन एयर टूरिस्ट बस भी चलती हैं. आपने सब के घर देखे पर सचिन तेंदुलकर का घर छोड़ दिया.
प्रवीण जी,
सबसे पहले तो पोस्ट पढने तथा प्रतिक्रिया भेजने का शुक्रिया. मुंबई में मेट्रो के विकास पर तेजी से काम चल रहा है. हाँ प्रवीण जी आपने सही कहा, हमने सचिन का घर नहीं देखा, चलिए कोई बात नहीं अगली बार जायेंगे तब देख लेंगे.
प्रवीण जी ,
जी हाँ सचिन का घर दिखा नहीं पाया . इसकी वजह है, पहली बात मुझे ध्यान नहीं था और दूसरी बात मुझे पता ही नहीं था की सचिन का नया घर किधर है ?. अभी यह लिखते वक्त भी मुझे पता नहीं की बांद्रा में किस जगह पर है सचिन का घर ????
तीसरी बात समय बहुत कम था मुकेश और उसके परिवार के पास.अच्छी तरह से मुंबई घूमने के लिए तक़रीबन एक हफ्ता चाहिए और मुकेश के पास थे साडे तीन दिन,वोह भी गोकर्ण से थक के आने के बाद और हमारा आधा दिन तो मुंबई में नया केमेरा खरीदने में गया था . जितना हो सके उतनी कोशिष की मैंने ज्यादा से ज्यादा जगह दिखाने की………………..
धन्यवाद………….
वाह ! मुकेश मेरे उमीद से काफी आगे निकली यह पोस्ट . लाजवाब . आपने पूरी तरह से इसका वर्णन किया. बहुत बढ़िया. और मैंने कभी किधर भी ऐसी पोस्ट कभी देखी नहीं है. और कुछ आंकड़े तो मुझे भी नहीं मालूम थे इस लोकल ट्रेन के.
माथे के पसीने के साथ साथ सर पर चमेली के तेल की बदबू भी आती है जो असहनीय होती है. LOL …….
एक बात में बता दूं मुंबई लोकल ट्रेन से ज्यादा सही वक्त पर चलने वाला कोई भी परिवाहन मुंबई में है ही नहीं.आप बोरीवली से चर्चगेट केवल ५० मिनिट में पहुच सकते हो किसी भी वक्त चाहे वोह ऑफिस जाने आने का समय हो या साधारण समय , आप ५ओ मिनिट में पहुचेंगे . लेकिन अन्य कोई परिवहन को कम से कम डेढ़ घंटा लगता है जब ट्राफिक न हो तो और ट्राफिक के समय ३ घंटे भी लगना आम बात है . वक्त की पाबंदी में मुंबई की लोकल से आगे कोई भी नहीं. इस लिए अगर वक्त पे पहुचना है तो लोकल जिंदाबाद और मारो गोली कार , बस , टेक्सी , रिक्शा को. और हाँ इसके उपरांत सबसे सस्ता परिवाहन भी यही है .
सेन्ट्रल रेलवे मैन लाइन कर्जत के आगे खोपोली तक चलती है.
सेन्ट्रल रेलवे हार्बर लाइन मानखुर्द नहीं पनवेल तक चलती है जिसमे नवी मुंबई भी आता है.
एक और लाइन है जिसे थाणे – वाशी -नेरुल – पनवेल लाइन कहते है.
और अंत में आपको मुंबई लोकल के टाइम टेबल के बारे में जानना है तो आप निचे दी हुई वेबसाइट पर जा सकते है. और मोबाइल में भी यह वेबसाईट उपलब्ध है.
http://mumbailifeline.com/
धन्यवाद …..
विशाल,
आपको पोस्ट पसंद आई, जानकार मुझे बड़ी ख़ुशी हुई. और आपकी बात बिलकुल सही है मुंबई में इन लोकल ट्रेन्स से फास्ट आवागमन का साधन और कोई नहीं. अतिरिक्त जानकारी प्रदान करने के लिए आपका शुक्रिया. मुंबई लोकल ट्रेन्स का टाइम टेबल जानने के लिए लिंक लगाने का भी शुक्रिया.
मजा आ गया मुकेश जी , एक तो आपकी पोस्ट काफी दिन बाद आयी और उसके बाद इतनी विस्तृत जानकारी फोटोज के साथ …वो भी एक ऐसी चीज के बारे में जिसको अक्सर कोई नही लिखता है …..मुम्बई लोकल के बारे में तथ्य जानकर बढिया लगा …शिवम के सोने का फोटो बढिया था और बच्चो के बीच में बैठी हुई आर्या भी परी जैसी लग रही है । ….मुझे लगता है कि इतनी व्यस्त ट्रेनो में सामान के साथ आदमी को तो बडी मुश्किल हो जाती होगी । …………आगे महालक्ष्मी जी और हाजी अली के इंतजार में क्योंकि अपनी मुम्बई यात्रा के दौरान मैने हाजी अली दरगाह को दूर से देखा था
मनु,
पोस्ट पढने तथा पसंद करने के लिए धन्यवाद. हाँ बिलकुल सही बात है मुंबई लोकल में सामान रखने की बड़ी समस्या है. हमें खुद अपने लिए खड़े होने की जगह बमुश्किल मिलती है तो सामान की बिसात कहाँ, लेकिन हमारे साथ विशाल जी थे जो पैदाइशी मुम्बईकर हैं, उन्हें मुंबई के चप्पे चप्पे की जानकारी है अतः हम इन सब परेशानियों से बचते चले गए.
jay shree krishna Mukesh ji
Mukesh ji aapki Post padhkar bahut hi Achha laga. AApne Mumbai ki local trains ke bare me bahut hi Achhi Information di he. Aur Local trains Aur stations ke photo bhi bahut achhe lage. Photos dekhakr laga ki kitni bheed hoti he In local trains me. Agar koi naya Person jisne pahle kabhi in local trains me safar nahi kiya ho aur vo pahli baar kare to vo to pagal hi ho jaye. Bahut hi jyada Bheed he Mumbai loccal trains me.
Bahut Hi Sundar post thi mukesh ji. Padhakr Bahut Hi Anand Aaya.
Isi tarah se hame Mumbai ki aur bhi isi tarah ke baton se avgat karate rahiye.
jay shreenath ji ki. jay bholenath ji.
जय श्री कृष्ण तरुण जी,
तरुण जी आपने मेरी मेरी पोस्ट की इतनी तारीफ़ कर दी की मैं फुला नहीं समा रहा हूँ. ये सब आप लोगों का प्रेम है जो हमें अच्छे से अच्छा लिखने के लिए प्रेरित करता है. आपने सही फ़रमाया नए व्यक्ति के लिए ये ट्रेन्स मुसीबत का सबब बन सकती हैं, इसलिए इन ट्रेन्स में पूरी जानकारी लेकर ही सफ़र करने चाहिए.
इसी श्रंखला में आपको मैं मुंबई की कुछ और सुन्दर जगहों पर लेकर चलूँगा, बस आप साथ में रहिएगा. आनेवाले शनिवार को शाम चार बजे हाजी अली की दरगाह का वर्णन सुन्दर चित्रों के साथ.
थैंक्स.
जय श्रीनाथ जी………………..जय भोलेनाथ जी.
Bahut badiyta post thi chachu padhkar maja aa gaya aapne bahut hi acche tarike se discribe kiya ise dekhar to mujhe bhi local train me travel karne ki iccha ho rahi hain……
आदर्श,
पोस्ट पढने के लिए और पसंद करने के लिए थैंक्स…………………… Stay Tuned for some more attractions of Mumbai.
Thanks.
मुकेश जी….. _(“)_
जय भोले की…..!
बहुत दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा |
आपने मुंबई की जान वहाँ की जीवन रेखा “लोकलस्” से बखूबी और विस्तार से परिचय कराया |
मुंबई के लोकल के बारे में काफी कुछ फिल्मो और टेलीविजन में देख रखा हैं पर लोकल के बारे पढ़ा आज हैं |बहुत अच्छा लगा वहाँ की लोकलस् की जीवन शैली जानकार |
मुंबई लोकल और स्टेशन पर इतनी भीड़भाड़ होने की बाबजूद आपने वहाँ की काफी अच्छे फोटो खीचें और वहाँ के वास्तविक हालत को भी दिखाया हैं |
अब आगे अगले लेख में आपसे मुम्बई के बारे में और भी जानने का इन्तजार रहेगा …|
धनयवाद…….. :)
रितेश जी,
पोस्ट को पढने, पसंद करने तथा प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद. आपकी कमेंट्स लेखकों की धमनियों में रक्त संचार का कार्य करती हैं.
jay shree krishna Mukesh ji
bahut Bahut dhanyawaad. hame aapke aage ki mumbai ke aur sthano ke bare me aane vali post ka intajaar rahega.
Munbai ki Local trains ki yatra jo aapke dwara hamne bhi kari vo yaad rahegi.
jay ho bholenath ji ki
your travelogue thro’ Mumbai locals is splendid.But the overflowing crowd in the nicely shot photos raises ones hair.dangerously increasing population spoils whole of the show.
Sir,
Thank you very much for your sweet comments. Yup, the uncontrolled crowd is main problem in this unique network.
Thanks.
मुकेश जी, आप भी कहोगे कि जाटराम जब भी आता है, कमियां ही निकालता है। इस बार दो कमियां मेरे हिस्से आई हैं। बाकी विशाल भाई ने बता दी।
1. अगर आप मुम्बई लोकल के बारे में एक स्पेशल पोस्ट लिख रहे हैं तो फोटो भी मुम्बई लोकल के ही होने चाहिये। सभी फोटो सही हैं लेकिन एक फोटो मुम्बई लोकल का नहीं है। उस फोटो में जो ट्रेन है, उसका इंजन डीजल वाला है, जबकि मुम्बई में गोवा वाली लाइन को छोडकर सभी लाइनें विद्युतीकृत हैं। गोवा वाली भी कम से कम पनवेल तक विद्युतीकृत है। इसलिये मेरा ख्याल यह कहता है कि वो फोटो मुम्बई का भी नहीं है। कुल मिलाकर बात यह है कि वो फोटो इस पोस्ट में नहीं आना चाहिये था।
2. आपने एक जगह लिखा है कि हर स्टेशन पर 40 ट्रेन प्रतिदिन के हिसाब से चलती हैं। इतनी ट्रेनें तो हमारे दिन भर खाली रहने वाले ट्रेक पर चलती हैं। कहीं आप 400 तो नहीं लिखना चाहते थे? मैंने आपकी दी हुई टाइम टेबल वाली लिंक से पता किया है कि मात्र चर्चगेट से दिन भर में चार सौ से ज्यादा ट्रेनें निकलती हैं। इतनी ही ट्रेनें चर्चगेट स्टेशन पर आती भी हैं। इसलिये मात्र चर्चगेट का आंकडा 800 ट्रेन प्रतिदिन का बैठता है।
मुंबई लोकल – कुछ रोचक तथ्य:
१. सेंट्रल एवं वेस्टर्न रेलवे दोनों मिलाकर प्रतिदिन करीब 61,000,000 यात्रियों को ढोती हैं, …….
61 CRORE …??? is it correct…????
very informative contribution.
61 करोड नहीं है भईया\\\\\
6 करोड 10 लाख है….
सच्ची लिखा है।
Neeraj Bhai 61 Million is ok for English reader but for us who study in Hindi medium and count ikai, dhai secra for it is easy if coma come after 6 not 61. Tapla to lag jata hai
सुरिन्दर शर्मा जी,
इस हिंदी में लिखी गई पोस्ट पर जहाँ पर हर कोई कमेन्ट भी हिंदी में कर रहा है, आप अंग्रेजी में कमेन्ट लिख रहे हैं और लिख रहे हैं की हम जैसे हिंदी माध्यम के लोग जो इकाई, दहाई,सैकड़ा पढ़ते हैं उनके लिए 6 के बाद कॉमा लगाना चाहिए. आप तो मुझे किसी भी एंगल से हिंदी माध्यम वाले नहीं लग रहे.
दूसरी बात, आप पोस्ट पर आये और नीरज की तरह गलतियाँ निकालना शुरू की, यहाँ तक तो ठीक है लेकिन साहब पोस्ट के बारे में भी दो शब्द लिखने की जेहमत उठा लेते तो हमें भी अच्छा लगता.
वैसे पाठकों की सुविधा के लिए इस आंकड़े को बदल कर हिंदी में शब्दों में लिख दिया गया है.
मैने डिस्कवरी चैनल पर एक लम्बा कार्यक्रम देखा था इस विषय पर । पर आपने यहाँ कुछ बातें जो किसी यात्री के लिये खास मायने रखती हैं बताई जो शायद डिस्कवरी वालों के ध्यान से ही उतर गई होंगी। मेरे ये समझ नही आता कि आदमी को खाना तो ज्यादा से ज्यादा 20 रोटी है दिनभर में जो वह अपनी जन्मभूमि में या उसके आसपास रहकर भी कमा सकता है अपने परिवार को और स्वयं को शुकुन से रख कर। फिर आदमी ये भेड बकरियों की तरह क्यो प्रतिदिन अपना जीवन नर्क बनाता है इन ट्रेनों में। मै ये मानता हूँ कि यदि आप नर्क में भी रहें तो एक ना एक दिन आप उसके आदी हो जाते हैं। लेकि न क्या आप अपनी चेतना और समझ को इंग्नोर नही कर रहे। कब तक आईक्यू लेवल और बैंक बैलेंस ही बढ़ाते रहने की भेडचाल में शामिल रह कर अपने जीवन का क्षण क्षण बर्बाद कर सकते हैं। मैने अपने शहर में एक बात नोटिस की है जो लोग मुम्बई से भोपाल में आकर लोगों को ठगने या भ्रमित कर एक ही दिन में 20-40 हजार कमाने का आॅफर वाले विज्ञापन पेपर में देते हैं लोग लालच में आकर भ्रमित हो जाते हैं और उनकी बातें तो उन पर सम्मोहन का कार्य करती हैं। लोग इंद्रिय सुख के चक्कर में यहाँ से मुम्बई भागते हैं।
भगत सिंह जी,
थोड़े विलम्ब से जवाब दे रहा हुं, माफ़ कीजियेगा. आपने पोस्ट को पढ़ा एवं अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की उसके लिए आपका धन्यवाद. जी हाँ मैंने भी बहुत पहले डिस्कवरी पर यह वृत्तचित्र देखा था और मैं उससे बहुत प्रभावित हुआ था.
मैं आपकी बात से बिलकुल सहमत हुं मैंने भी ऐसे लोग देखे हैं जो गाँव की साफ़ स्वच्छ आबो हवा छोड़ कर शहर की तरफ भागते हैं और वहां जाकर नर्क की ज़िन्दगी जीते हैं, लेकिन वापस गाँव में आकर यही दिखने की कोशिश करते हैं की उनसे ज्यादा समझदार और कोई नहीं.
धन्यवाद.
आपने बहुत अच्छा वर्णन किया हैं
Dear Mukesh,
Aap Ki post Bahut wadia hai. Per meri problem hai mujhe hindi typing nahin aati. Aap ne jo lagan se aur mehnat se post likhi hai bahut hi sundar hai, aap ka bahut bahut sukhria . Vaise main aap se umar mein bada hun aur aap mujhe apne lagte hein is liye kabhi majak mein kuch likh dia (61 million) to kirpya bura mat maane. Mujhe lagta hai lekak ko kuch kamian chod deni chahiye aur Pathak unhen par kar comment de sakta hai , aau aap jan jainge ki pathak kitni lagaj se aap ki post paar rahein hai. Aap ki jo diesel engine wali train aur local train hai, woh photo Panvel or Thane railway station ka ho sakta hai kyonki wahan per local aur express dono tain aati hai.
In 2004 I was there at Navi Mumbai and I enjoy local train. Really so nice writing it looks that I am going with you. Lot of efforts to collect data. Aur ek baat , Sahitya (Litrature) mein toda galp (Masala) aur alankar dalna parta hai. Aap koi police report nahin likha rahe ke har baat sahi honi chahiye. When I was in India Manohar Kahayanian was very popular magzine there and it always describe ” Yeh katha sachi ghatnon per adharit hai”. Aap ne jo bhi likha hei sach lika hai. Bahut achha or bahut mehnet se likha hai.
Regards to you and all your family members.
Surinder Sharma
Edmonton Canada
शर्मा जी,
सराहना के लिए धन्यवाद. नहीं आपने गलती की ओर ध्यान आकर्षित करवाया उस बात का मुझे कोई शिकवा गिला नहीं है, बल्कि मैं तो आपका शुक्रगुजार हूँ की आपने मेरी पोस्ट को और बेहतर बनाने का सुझाव दिया. मैं तो सिर्फ यह कहना चाहता था की पोस्ट की गलतियों की ओर ध्यान दिलाने के साथ पोस्ट के बारे में भी कुछ लिखना चाहिए अच्छा या बुरा कुछ भी.
दूसरी बात हिंदी लिखने के लिए आपको हिंदी टाइपिंग आना जरुरी नहीं है, यहाँ जितने भी लोग हिंदी लिखते हैं किसी न किसी सोफ्टवेयर की मदद से लिखते हैं, आपको सोफ्टवेयर खोलकर रोमन अंग्रेजी में शब्द लिख कर स्पेस बार दबा देना है शब्द अपने आप हिंदी में बदल जाएगा, उसके बाद मेटर को यहाँ से कट करके जहाँ आपको लिखना हो वहां पेस्ट कर दीजिये बस हो गया. मैं जो सोफ्टवेयर यूज़ करता हूँ उसका लिंक भेज रहा हूँ http://www.google.com/transliterate/. बस क्लीक कीजिये और हिंदी लिखिए, और हाँ अगली कमेन्ट जरुर हिंदी में ही लिखियेगा.
थैंक्स.
मुंबई लोकल , ये विषय अपने आप में एक आकर्षक विषय है | मैं कभी मुंबई में नहीं रहा, पर ५-१० बार गया ज़रूर हूँ, दो-दिन चार-दिन एक-हफ्ता और हर बार लोकल में भी सफ़र किया एक दो बार और सच मानिए तो कभी भी बहुत अच्छा नहीं लगा | :-) मेरे मुंबई के दोस्त , मेरा पिताजी जिन्होंने वहां ५ साल से अधिक काम किया है, हमेशा से लोकल से मुरीद रहे हैं (ये मुरीद लव्ज़ मनु से चुराया है मैंने) |
मेरे हिसाब से मुंबई लोकल एक बहुत बड़ी नेमत है पर अब समय आगे बढ़ गया है | मैं बीजिंग में था तो वहां के मेट्रो सेवा देख कर दंग रह गया और अगर आपको सभ्य व्यवहार समझना है तो टोक्यो जाएँ | हज़ार भीड़ में मुझे याद नहीं की किसी ने कभी पांव पर पांव रखा हो या धक्का-मुक्की की हो | दिल्ली मेट्रो में मुझे जाने का ज्यादा मौका नहीं मिलता पर मैं उसका फेन हूँ | तो एक बार धन्यवाद ढेर साड़ी जानकारी के लिए और इंतज़ार रहेगा आगे पोस्ट्स का |
नंदन,
आप की ही कमेन्ट का इंतज़ार हो रहा था. सुन्दर शब्दों में प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद. आप इस पोस्ट पर FOG का टेग लगाना भूल गए शायद. मेरे ख्याल से इससे पहले घुमक्कड़ पर मुंबई लोकल पर आधारित पोस्ट नहीं प्रकाशित हुई है.
धन्यवाद.
मुझे भी याद नहीं पड़ता | Its a FOG. :-)
very informative. I was unaware of all these things. Thanks for sharing.
श्री मुकेश जी,
आप का यह लिंक भेजेने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , इसीलिए कहते हैं गुनी लोगों की संगत करनी चाहिए .
This is what I call a well-balanced complete ‘post’.
Thank you for sharing all this interesting information with us.
@ Mukesh , Neeraj, Sandeep, James, Bhagat, others – The editorial team would take a look and curate the comments which do not follow the ‘Comment Guidelines’. I would also be writing to each one of you to further apprise you of views from the editorial team.
Please exercise patience, meanwhile.
यह पोस्ट बहुत अछि है और नए मुंबई जाने वालों के लिए काम की है
भागात सिंह पंथी अपने बिलकुल ठीक कहा है लोग कुछ पैसे के लिए
अपना घर बार छोड़ कर नरक भोगते हैं
जो लोग भगत का विरोध कर रहे हैं बेवकूफ है
Very evocative post, Mukesh, on Mumbai’s lifeline. It felt like we were all travelling with you. It is different from your other posts. Thoroughly enjoyed it.
Hi Mukesh!
You have written so well about the Mumbai locals! I cannot believe you are not from Mumbai.
Auro ke liye yeh koi fiction jaisa lage. Par aapke article ki har ek bat sach hain. Yeh Mumbai walon se zyada koi aur nahi jaan sakta.
Kuddos to your article. Well done
Bindu Jose
नमस्कार मुकेश जी ,
आपके द्वारा डाले गये मुंबई विजिट के सभी पोस्ट बहुत ही शानदार है आपने बहुत ही अच्छा वर्णन अच्छे चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है , आपकी तरह हम भी भोले के भक्त है और इस बार महारास्ट्र में स्थित पांचो ज्योतिर्लिंगों के दर्शनों की अभिलाषा करते हुए इसी आगामी जून महीने में विजिट की प्लानिंग कर रहे है , इसी संदर्भ में आपसे थोडा मार्गदर्शन चाहते है कृपया हमारा मार्गदर्शन कीजिये ताकि कम समय में हम भी लोकल ट्रेन द्वारा (बजट कोंसियस है ) मुंबई के सभी दर्शनीय स्थल जोकि आपने घुमे है को विजिट कर सके |
हम दो फैमिली एक हावड़ा से मुंबई और दूसरी जोधपुर से बांद्रा स्टेशन पे उतरेंगे उसके बाद शाम को मुंबई CST से परभनी रेलवे स्टेशन के लिए हमारी ट्रेन है तो कृपया गाइड कीजिये कैसे CST से हम एक दिन में लोकल ट्रेन द्वारा इन सभी रिलीजियस स्थलों के दर्शन कर सकते है …..