जयपà¥à¤°-आगरा- छटीकरा माठवैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
मनमाड (मालेगाà¤à¤µ) जाने के लिये अचानक बने कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में 24 सितमà¥à¤¬à¤° को पतà¥à¤¨à¥€ व उसकी à¤à¤¾à¤à¥€ को मैंगलौर à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ पकड़वाने के लिये मैं आगरा सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया था। बेटी संगीता à¤à¥€ 4 वरà¥à¤· की खà¥à¤¶à¥€ के साथ उसकी सà¥à¤•ूल में रà¥à¤£à¥€à¤šà¥‡-रामदेवजी की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ होने से साथ चल पड़ी। विनीत की सà¥à¤•ूल में उस दिन परीकà¥à¤·à¤¾ के कारण उसे जयपà¥à¤° छोड़ना पड़ा। दोपहर 12:20 पर टà¥à¤°à¥‡à¤¨ रवाना होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ विचार करने लगे कि अब लौटते हà¥à¤¯à¥‡ मेंहदीपà¥à¤° बालाजी या करौली मदन-मोहन-मनà¥à¤¦à¤¿à¤° अथवा वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡… कहाठका पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाकर चलें। मेंहदीपà¥à¤° बालाजी के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° माहौल में बचà¥à¤šà¥€ के साथ शाम/रातà¥à¤°à¥€-दरà¥à¤¶à¤¨ को मन ने गवारा नहीं किया, करौली मदन-मोहन-मनà¥à¤¦à¤¿à¤° या वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ में à¤à¥à¤•ाव वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ का होने से हमने वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ के लिये अपनी अलà¥à¤Ÿà¥‹ को सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿ किया। मथà¥à¤°à¤¾ शहर के अनà¥à¤¦à¤° किसी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€-संगठन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ धरने से रासà¥à¤¤à¤¾ बनà¥à¤¦ मिलने से लौटकर पà¥à¤¨: मà¥à¤–à¥à¤¯ राजमारà¥à¤— पकड़ छटीकरा होते हà¥à¤¯à¥‡ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ पकड़ा। रासà¥à¤¤à¥‡ में बाà¤à¤ˆ तरफ संगमरमर का विशाल गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦ देख रà¥à¤•े, जो कि जयगà¥à¤°à¥‚देव के आशà¥à¤°à¤® का à¤à¤• विशाल हॉल था। संगमरमर के इतने बड़े हॉल को देखने का यह हमारा पà¥à¤°à¤¥à¤® अनà¥à¤à¤µ था। सड़क किनारे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में जूते-चपà¥à¤ªà¤² जमा करने पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ खà¥à¤²à¥€ तेज धूप में खà¥à¤¶à¥€ को हिदायत देते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¤¹à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤ बरत रहे थे कि संगमरमर का फरà¥à¤¶ गरà¥à¤® होगा और हमें खà¥à¤¶à¥€ को गोद में लेकर à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤¯à¥‡ दरवाजा पार कर छाà¤à¤¹ में जाना है, परंतॠआशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ हà¥à¤† कि फरà¥à¤¶ बिलकà¥à¤² ठणà¥à¤¡à¤¾ था। कà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ की आतà¥à¤®à¤¾ का चमतà¥à¤•ारिक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ था !! अब जब à¤à¥€ विचार करता हूठतो यह और à¤à¥€ विषà¥à¤®à¤¯à¤•ारी अनà¥à¤à¤µ महसूस होता है। à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•वादी मन इसमें अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक कारण खोज ले परंतॠआधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• मन उन कारणों को सà¥à¤µà¥€à¤•ार नहीं कर पाता। हॉल में अतीव शांती थी, फरà¥à¤¶ पर कà¥à¤› कà¥à¤·à¤£ बैठने पर à¤à¤• सेवक ने आगà¥à¤°à¤¹ किया कि पीछे गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ की समाधी के दरà¥à¤¶à¤¨ अवशà¥à¤¯ करके जाऎà¤à¥¤ समयाà¤à¤¾à¤µ के कारण कà¥à¤·à¤£à¤à¤° के लिये दरà¥à¤¶à¤¨ मातà¥à¤° करते हà¥à¤¯à¥‡ हम वहाठसे रवाना हà¥à¤¯à¥‡à¥¤
दाà¤à¤ˆ ओर छटीकरा मà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥‡ ही कà¥à¤› फासले पर ही, दाà¤à¤ˆ तरफ कà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ शेर पर सौमà¥à¤¯ देवी माठकी विशाल मूरà¥à¤¤à¤¿ का दरà¥à¤¶à¤¨ होता है, पास ही हाथ जोड़े धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤—à¥à¤¨ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ बैठे हैं। यह माठवैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€ का नवनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ विशाल मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हैं। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की तरफ कà¥à¤› हटकर हलकी सी छाà¤à¤¹ में गाड़ी पारà¥à¤• की। चार बजे गेट खà¥à¤²à¤¨à¥‡ में दसेक मिनट की देर थी और à¤à¥€à¤¡à¤¼ खड़ी थी। बोरà¥à¤¡ पर जूतों को जमा करने के विषय में पढ हमने जूतों को कार में खोल दिया। गेट खà¥à¤²à¤¨à¥‡ पर संगीता व खà¥à¤¶à¥€ महिला दà¥à¤µà¤¾à¤° से अनà¥à¤¦à¤° चले गये। पà¥à¤°à¥à¤· लाईन चेकिंग में बेलà¥à¤Ÿ पर à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ होने से मैने उसे खोल दिया परंतॠपरà¥à¤¸ पर à¤à¥€ à¤à¤¤à¤°à¤¾à¤œ पाने पर मैं बेलà¥à¤Ÿ बाà¤à¤§à¤¤à¥‡ हà¥à¤¯à¥‡ लौट पड़ा कि दरà¥à¤¶à¤¨ तो हो ही गये हैं, वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ à¤à¥€ जाना है, संगीता के लौटते ही रवाना हो जायेंगें, विचार करते हà¥à¤¯à¥‡ ऑफिस-काउणà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ के सामने खड़ा हो गया जहां दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥à¤Ÿà¤°à¤¾à¤‡à¤œà¥à¤¡ सà¥à¤²à¤¿à¤ªà¥‡à¤‚ जारी की जा रही थीं। इनके आधार पर ही सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लॉकरों पर सामान जमा किया जाता है। खाली काउंणà¥à¤Ÿà¤° देख मैने अपने नाम से सà¥à¤²à¤¿à¤ª ले ली। लॉकर काउणà¥à¤Ÿà¤° पर सà¥à¤à¤¾à¤µ मिला कि मैं परà¥à¤¸ सामगà¥à¤°à¥€ को जेब में रख परà¥à¤¸ व बेलà¥à¤Ÿ जमा करवा दूà¤à¥¤ अनदेखी आजà¥à¤žà¤¾à¤µà¤¶ जमा करने का कारà¥à¤¯ किया। अनà¥à¤¦à¤° हरियाली में कà¥à¤› उपर जाने पर सामने नीचे चौक में उतरने के लिये सीढियाठथीं जहां à¤à¤• तरफ गंगाजी की मूरà¥à¤¤à¤¿ जिसके दोनों तरफ मगरमचà¥à¤›à¥‹à¤‚ के मà¥à¤à¤¹ से पानी की धार तथा दूसरी तरफ यमà¥à¤¨à¤¾à¤œà¥€ जिनके दोनों तरफ कछà¥à¤“ं के मà¥à¤à¤¹ से पानी की धार बह रही थी, वहाठखà¥à¤¶à¥€ मेरा इंतजार कर रही थी और मà¥à¤à¥‡ देखते ही खà¥à¤¶à¥€ से चिलà¥à¤²à¤¾à¤ˆ कि नानू देखो… उसकी खà¥à¤¶à¥€ व उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ का कोई पारावार न था। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिये यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण वासà¥à¤¤à¤µ में बहà¥à¤¤ ही खà¥à¤¶à¥€ देनेवाला व उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤µà¤°à¥à¤§à¤• है।
‘गंगा-यमà¥à¤¨à¤¾â€™ के बीच में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤• विशाल वृताकार हॉल का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° है जिसके बाà¤à¤ˆà¤‚ ओर शà¥à¤°à¥€à¤—णेशजी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और अनà¥à¤¯ का कारà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤¾à¤§à¥€à¤¨ है। पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ संगमरमर आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ हॉल के बीच सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ विशाल ऊंचे निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ फरà¥à¤¶ के सामने वाले à¤à¤¾à¤— में देवी की सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ किसी धातॠकी मूरà¥à¤¤à¤¿ है, जहाठपà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€à¤œà¥€ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को तिलक आदि सेवा के लिये। चारों ओर घूमते हà¥à¤¯à¥‡ जब बाहर आये तो गà¥à¤«à¤¾ में जाने का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° मिला। मà¥à¤à¥‡ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं था कि अनà¥à¤¦à¤° à¤à¥€ à¤à¤µà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ है। गà¥à¤«à¤¾ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¤• दकà¥à¤· इजीनियरिंग का कमाल है। दो à¤à¤¾à¤—ों मे सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤«à¤¾ में सà¤à¥€ नौ देवियों की आदमकद मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ हैं और उनके विà¤à¤¾à¤— इस पà¥à¤°à¤•ार विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ हैं कि à¤à¤• का दरà¥à¤¶à¤¨ करते हà¥à¤¯à¥‡ आप अनà¥à¤¯ को नही देख सकते। सà¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ अपने नाम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली हैं। बाहर आ अपने पर माठकी कृपा का अनà¥à¤à¤µ करने लगा कि मà¥à¤à¥‡ अपने इस विशाल, सौमà¥à¤¯à¤°à¥‚प, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€, कृपामयी उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤à¤µ कराया। मोबाइल/कैमरों को à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° ले जाना वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ है इसकारण नेट पर à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ अनà¥à¤¦à¤° के किसी à¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¥‡ का कोई चितà¥à¤° नही मिला। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ से लौटते हà¥à¤¯à¥‡ रातà¥à¤°à¥€ 8 बजे से उपर हो गया और मैने देखा कि अब दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कारों की पारà¥à¤•िग करीबन आधे कि.मी.तक फैल गई है। दिलà¥à¤²à¥€ से यहां की दूरी 140 कि.मी.है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की अधिकारिक वेबसाइट निमà¥à¤¨ है जहाठपर आवशà¥à¤¯à¤• जानकारी समà¥à¤šà¤¿à¤¤ मातà¥à¤°à¤¾ में उपलबà¥à¤§ है। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ अगले à¤à¤¾à¤— में …….
शर्मा जी , काफी अंतराल के बाद आपका लेख पढने को मिला । आपकी लेखनी और भाषा साहित्यिक और शुद्ध है । आजकल इस तरह की भाषा व्यवाहरिक नहीं समझी जाती और खासकर बड़े शहरों में रहने वालो को बिलकुल नसीब नहीं होती है । मैने दो बार लेख पढ़ा :-) , शत शत धन्यवाद आपको की मुझे अवसर मिला ऐसा कुछ पढने का । बचपन में अनेकों किताबे पढीं , हर तरह की । बचपन के याद आ गयी ।
मंदिर भ्रमण में मेरी ज्यादा रूचि नहीं है , इसलिए ये लिखना उचित नहीं होगा की यह लेख पढ़ कर यहाँ की यात्रा की कोई योजना बनाई जायेगी पर निश्चित रूप से एक नयी जगह के बारे में जानने और समझने को मिला ।
जहाँ तक संगमरमर के फर्श के ठंडा होने का प्रशन हैं, तो मेरे ख्याल से वो गर्म ही होगा पर क्योंकि संगमरमर ऊष्मा का एक अच्छा संवाहक (conductor) है तो अगर आपके पैर गर्म है तो वो फट से पैर के गर्मी को संवाहित करता है और लगता है की फर्श ठंडा है ।
शर्मा जी अभी कल ही आपका चारो धाम वाला लेख पढ़ रहा था ,शुरुआत से अंत तक पढता गया आपकी लेखनी में एक अलग ही अंदाज देखने को मिला
कंही भी फोटो की जरुरत ही नहीं महसूस हुई।।आपकी ये पोस्ट पढ़कर मेरा मन भी वृन्दावन की ओर चला गया ,कई बार इस रूट (NH 2) से आता जाता रहा हूँ
पर मौका नहीं मिला ..खैर अभी तो इलाहाबाद जा रहा हूँ अपनी कार से वापसी में इस बार वृन्दावन के दर्शन कर के ही लौटूंगा ..धन्यवाद आपके अगले पोस्ट के
इन्तजार में।।
शर्माजी धन्यवाद इस पोस्ट के लिये… पोस्ट अच्छी थी पर बहुत छोटी थी.. कुछ चित्र और लग जाते तो अच्छा लगता
@Nandan – India you cant escape temples..LOL our gods were very clever … they had already occupied the best hill stations and best view points that is why for a common Indian tourism means going to a temple and enjoy the hill station. Jakhu in Shimla, Badrinath, KedarNath, chamunda etc are some such examples
Sharma Ji, Thank you very much for taking us to this unknown temple.
Thank you, Sharmaji, for introducing us to this beautiful temple. The video link is wonderful and the website gives us a lot of information. The structural engineering information on the website about the statue is amazing. It makes us wonder about the remarkable technical skills of our ancestors who built such massive edifices several centuries ago.
I think there is a typo. विष्मयकारी should read विस्मयकारी. Please correct me if I am wrong.
Sharmajee,
Although the post is small , but I liked the video, depiction and the ashram . Thanks for sharing a new place.
if you come in chhatikara then vist to garud govind mandir ,which is very ancient and has popular belive
it is the place where god vishnu has taken out in digging.
its really true