तीन महीने हो गठथे à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी किये हà¥à¤à¥¤ ऊपर से à¤à¤• पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ की डिलीवरी à¤à¥€ हो गई थी और फिलहाल ऑफिस मे काम का पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° à¤à¥€ नहीं था। à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• दिन बà¥à¤°à¥‡à¤•-आउट à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ मे बैठे-बैठे जिकà¥à¤° हà¥à¤† और हम चार लोग रोड से लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– जाने के लिठतैयार हो गà¤à¥¤ इसी बीच हैदराबाद से मेरे à¤à¤• मितà¥à¤° का फ़ोन à¤à¥€ आ गया। मेरे मितà¥à¤° का फ़ोन करने का मकसद à¤à¥€ कहीं घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी करने का ही था। मैंने उसे अपने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ के बारे मे बताया। पहले तो उसने नखरे किठकà¥à¤¯à¥‚ंकि में और मेरा मितà¥à¤° 2011 मे लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– घूम के आ चà¥à¤•े थे। सच कहूठतो मेरी à¤à¥€ लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– जाने मे कà¥à¤› खास रà¥à¤šà¥€ नहीं थी पर ऑफिस के लोगों के साथ जाने मे अलग ही माहौल बनता। इस बार हम लोग कशà¥à¤®à¥€à¤° से होते हà¥à¤ लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– और वापसी मनाली से करने वाले थे। ये पà¥à¤²à¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤•र मेरा हैदराबादी मितà¥à¤° à¤à¥€ तैयार हो गया था।
सितमà¥à¤¬à¤° 12-21 की तारीख तय कर दी गई थी। इसी दौरान वà¥à¤¹à¤¾à¤Ÿà¥à¤¸à¤à¤ªà¥à¤ª के माधà¥à¤¯à¤® से और तीन लोगों ने हमारे साथ जाने ही इचà¥à¤›à¤¾ जताई थी। हमने उनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया और अपने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ की डिटेलà¥à¤¸ उनके साथ शेयर कर डाली।
ऑफिस के हम चार लोग अपनी à¤à¤• गाड़ी से जाने वाले थे। बाकी तीन लोगों को à¤à¥€ बता दिया गया था कि गाड़ी का इंतजाम कर लें। मेरे हैदराबाद वाले मितà¥à¤° ने दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ और वापस हैदराबाद जाने के लिठहवाई टिकट बà¥à¤• करवा ली थी। इसका आना तो पकà¥à¤•ा हो चà¥à¤•ा था। बाकी सब लोगो को नोà¤à¤¡à¤¾ मे ऑफिस के बाहर à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ होना था। पà¥à¤²à¤¾à¤¨ करते-करते अगसà¥à¤¤ का महीना गà¥à¤œà¤° गया। जैसे-जैसे दिन गà¥à¥›à¤° रहे थे उतà¥à¤¸à¥à¤•ता बà¥à¤¤à¥€ जा रही थी। पर à¤à¤• बात थी जो मà¥à¤à¥‡ सताठजा रही थी। दूसरे गà¥à¤°à¥à¤ª के लोग कà¥à¤› चà¥à¤ª-चà¥à¤ª से लग रहे थे। बिलà¥à¤•à¥à¤² सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ सा छाया हà¥à¤† था। मेरी छटी इंदà¥à¤°à¥€ ने मà¥à¤à¥‡ आà¤à¤¾à¤¸ करा दिया था कà¥à¤› तो लोचा होने वाला था। सितमà¥à¤¬à¤° के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ मे मेरी छटी इंदà¥à¤°à¥€ के रिजलà¥à¤Ÿ सामने आने लग गठथे।
जैसे कि:-
– गाड़ी नहीं मिल रही है। कोई लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– जाने के लिठतैयार नहीं हो रहा है।
– हमारी गाड़ी नीची है। वहां जाने मे नीचे टिक जाà¤à¤—ी।
– मेरे ऑफिस मे नया पà¥à¤°à¥‹à¤œà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ आया है। VP के साथ मीटिंग है। छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ रदà¥à¤¦ करनी पड़ेगी।
– मैंने चेकउप करवाया था मà¥à¤à¥‡ लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤– जाने मे मेडिकल इशà¥à¤¯à¥‚ज हो जाà¤à¤à¤—ी।
à¤à¤• से बॠकर à¤à¤• नà¤-नठबहाने सामने आने लगे थे। मैं सोच रहा था कि जो à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ हमने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ करके बनाई है वो कà¤à¥€ सफल नहीं हà¥à¤ˆ है। मेरे लिठये सबकà¥à¤› होना à¤à¤• आम बात सी थी। पर मेरे ऑफिस के गà¥à¤°à¥à¤ª के लोग ये सब देख कर परेशान हो गठथे।
हैदराबाद से आने वाले दोसà¥à¤¤ ने à¤à¥€ ये सब देखकर अपनी टिकट रदà¥à¤¦ करवा दी थी। टिकट कैंसिल करने पर उसको घर बैठे 4000/- रूपठका नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¤¾ पड़ा। अब हम ऑफिस से सिरà¥à¤« तीन लोग ही रह गठथे जिनकी अà¤à¥€ तक सहमती बानी हà¥à¤ˆ थी। तà¤à¥€ आप लोगों को à¤à¥€ याद होगा सितमà¥à¤¬à¤° के पहले हफà¥à¤¤à¥‡ मे कशà¥à¤®à¥€à¤° मे जलजला आया था। अब तो पà¥à¤²à¤¾à¤¨ पूरा समà¤à¥‹ चौपट ही हो गया था। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि हम कशà¥à¤®à¥€à¤° होते हà¥à¤ ही लदà¥à¤¦à¤¾à¤– जाना चाहते थे। जो कि अब मà¥à¤®à¤•िन नहीं था।
हम लोग जिसकी गाड़ी से जाने वाले थे उसने बोला कि टेंशन की कोई बात नहीं हम लोग मनाली से चल पड़ेंगे। लेकिन मà¥à¤à¥‡ लग रहा था कि ये यातà¥à¤°à¤¾ सफल नहीं हो पायेगी। à¤à¤• और बनà¥à¤¦à¥‡ ने मना कर दिया उसकी वाइफ का UK का visa लगना था और उसको à¤à¥€ अपनी वाइफ के साथ UK जाना पड़ा था।
वाह उसà¥à¤¤à¤¾à¤¦ वाह!!!!!!!!!!!!! सात लोगों से शà¥à¤°à¥‚ होकर अब हम सिरà¥à¤« दो ही लोग रह गठथे। मà¥à¤à¥‡ तो पहले से पता था कि जहाठà¤à¥€ जाना होगा मà¥à¤à¥‡ अकेले ही जाना पड़ेगा। अब मैं आखरी ना सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ का इंतज़ार करने लगा था। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि वो à¤à¥€ अपनी बेटी के nursery à¤à¤¡à¤®à¤¿à¤¶à¤¨ के धकà¥à¤•े खा रहा था लेकिन उसको अà¤à¥€ पता नहीं था कि सà¥à¤•ूल मे interviews कब से शà¥à¤°à¥‚ होने वाले हैं। जैसे कि मैंने कहा “मैं तो बस आखरी ना सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ का इंतज़ार कर रहा था”।
वो दो सà¥à¤•ूल मे इंटरवà¥à¤¯à¥‚ दे कर आ गया था। लेकिन अब वो इंटरवà¥à¤¯à¥‚ के रिजलà¥à¤Ÿ का इंतज़ार करने लगा था। अब मà¥à¤à¤¸à¥‡ इंतज़ार नहीं हà¥à¤† और मैंने खà¥à¤¦ ही उसको बोल दिया कि पहले बेटी का à¤à¤¡à¤®à¤¿à¤¶à¤¨ करवा ले घूमने तो बाद मे à¤à¥€ चले जाà¤à¤à¤—े। अगर à¤à¤¡à¤®à¤¿à¤¶à¤¨ नहीं हà¥à¤† तो तेरी वाइफ जिंदगी à¤à¤° ताने मारती रहेगी। घूमने से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ज़रूरी à¤à¤¡à¤®à¤¿à¤¶à¤¨ है। मेरी ये बात सà¥à¤¨à¤•र उसने à¤à¤¾à¤°à¥€ मन से मना करते हà¥à¤ कहा “अनूप à¤à¤¾à¤ˆ तू सही कह रहा है” à¤à¤• बार à¤à¤¡à¤®à¤¿à¤¶à¤¨ हो जाठफिर तो बस तू और मैं ही चल पड़ेंगे। हमे किसी और की ज़रूरत नहीं है। उस शाम हम दोनों ने गम मिटाà¤à¥¤ ;-)
अब मैं सोच मे पड़ गया 12-21 सितमà¥à¤¬à¤° का समय है मेरे पास। लेह-लदà¥à¤¦à¤¾à¤¹ जाने मे मेरी खास रूचि नहीं थी। ऑफिस मे इंटरनेट सरà¥à¤«à¤¿à¤‚ग करने लगा और lahual-spiti कि जानकारी मे जà¥à¤Ÿ गया। मैं अपनी आदत के विपरीत इस बार कार से नहीं बलà¥à¤•ि बस से जाने वाला था। बस से यातà¥à¤°à¤¾ करने को लेकर मैं उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ था। पर अब कई साल हो चले थे à¤à¤¸à¤¾ किये हà¥à¤à¥¤ मनाली तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ मे तो कोई दिकà¥à¤•त नहीं थी। लेकिन मनाली से आगे चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤² कैसे पहà¥à¤à¤šà¤¨à¤¾ है ये जानकारी लेने मे मैं जà¥à¤Ÿ गया। इंटरनेट पर कà¥à¤› बà¥à¤²à¥‰à¤—à¥à¤¸ पà¥à¥‡ पता चला कि कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से à¤à¤• हिमाचल रोडवेज की बस रोज़ सà¥à¤¬à¤¹ काज़ा जाती है। कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से ये बस 1-1.5 घंटे मे मनाली पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥€ है। और à¤à¥€ कà¥à¤› जरूरी जानकारी लेकर मे सितमà¥à¤¬à¤° 12 का इंतज़ार करने लगा।
12 सितमà¥à¤¬à¤° आज शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° था और मैं ऑफिस से शाम के सात बजे अपने घर की और चल दिया। घर पहà¥à¤à¤š कर à¤à¤• बैग मे पैकिंग कर रहा था तà¤à¥€ ऑफिस के à¤à¤• दोसà¥à¤¤ का फ़ोन आया। मैंने बताया की मैं आज रात को मनाली के लिठनिकल रहा हूà¤à¥¤ उसने पà¥à¤›à¤¾ कि ISBT तक कैसे जा रहा है मैंने कहा नोà¤à¤¡à¤¾ सिटी सेंटर से मेटà¥à¤°à¥‹ पकड़ कर। उसने मà¥à¤à¥‡ घर पर ही रà¥à¤•ने के लिठकहा और बोला कि मैं तेरे घर आ रहा हूठऔर वो ही मà¥à¤à¥‡ मेटà¥à¤°à¥‹ तक डà¥à¤°à¤¾à¤ª करेगा। मैंने मना किया लेकिन वो नहीं माना। वो आठबजे तक मेरे घर पहà¥à¤à¤š गया। घर मे सबको अलविदा किया। और साथ मे यह à¤à¥€ बता दिया कि हो सकता है à¤à¤•-दो दिन मोबाइल से संपरà¥à¤• नहीं कर पाऊà¤à¤—ा।
मैंने बैग दोसà¥à¤¤ की गाड़ी की डिकà¥à¤•ी मे रख दिया। मेरे पास ठणà¥à¤¡ से बचने के किये à¤à¤• जैकेट था जो बैग मे नहीं आ रहा था इसलिठमैंने उसको फिलहाल गाड़ी की पीछे वाली सीट पर रख दिया था। इसके अलावा मैंने ठणà¥à¤¡ से बचने के लिठà¤à¤• चà¥à¤¸à¥à¤¤à¥€(coats wool) बैग मे पहले से ही रख ली थी। मेरे दोसà¥à¤¤ ने रासà¥à¤¤à¥‡ मे ही à¤à¤• मारà¥à¤•िट की पारà¥à¤•िंग मे गाड़ी रोक ली। मैंने पूछा कà¥à¤¯à¤¾ मकसद है à¤à¤¾à¤ˆ, तो वो हलà¥à¤•ा सा मà¥à¤¸à¥à¤•राया और बोला यार तू अब 9 दिन के बाद ऑफिस आà¤à¤—ा जाने से पहले कà¥à¤› हो जाà¤à¥¤ हमने हलà¥à¤•े मे फटाफट निपटाया और वहीं डिनर à¤à¥€ कर लिया। मेरे पास टाइम की कमी नहीं थी ऊपर से अकेले ही जा रहा था तो किसी बात या दूसरे साथी की कोई बंदिश à¤à¥€ नहीं थी। नॉà¤à¤¡à¤¾ से मेटà¥à¤°à¥‹ पकड़कर मैं करीब रात के 10:30 बजे ISBT कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ गेट पहà¥à¤à¤šà¤¾ था। काफ़ी हाथ-पाà¤à¤µ मारने के बाद पता चला कि अब कोई volvo मनाली नहीं जाने वाली। इससे à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ बात ये हà¥à¤ˆ कि अब volvo कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥€ मनाली के नहीं जाने वाली थी। मैंने सोचा मज़ा आ गया अब तो अपने पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ सà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² मे जाऊà¤à¤—ा। अकेले जाने का यही तो फ़ायदा है जैसा मन करे वैसा करो। मैं हरियाणा रोडवेज पकड़ कर चणà¥à¤¡à¥€à¤—ॠपहà¥à¤à¤š गया।
मनाली जाने वाली यहाठà¤à¥€ इतनी सà¥à¤¬à¤¹ कोई बस उपलबà¥à¤§ नहीं थी। à¤à¤• हिमाचल रोडवेज की 2×3 लगी हà¥à¤ˆ थी। टिकट काउंटर पर जाकर मैंने 3 टिकटें खरीद ली। मैंने बैग सीट के नीचे डाला और अपनी 3 वाली सीट पर जाकर लेट गया। बस चलने के बाद मà¥à¤à¥‡ नींद आ गई। à¤à¤•-दो बार लोगो ने टोका कà¥à¤¯à¥‚ंकि उनको मालूम नहीं था कि मैंने तीनों सीट ख़रीद हà¥à¤ˆ है। मैं नींद मे à¤à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहता जाकर कंडकà¥à¤Ÿà¤° से पूछ लो। अगली बार मैंने कंडकà¥à¤Ÿà¤° को ही बोल दिया कि जब à¤à¥€ किसी का टिकट काटने तो बोल देना कि मà¥à¤à¥‡ ना छेड़े वरना दो टिकट के पैसे मà¥à¤à¥‡ वापस करना होगा। वो हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगा और कहता आप आराम से सो जाओ।
कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने मà¥à¤à¥‡ उठाया सब लोग बस से नीचे उतर रहे थे। सà¥à¤¬à¤¹ के 11 बज रहे थे। ये जगह मनाली जैसी नहीं लग रही थी शायद मै नींद मे था। ऊपर से इतनी जलà¥à¤¦à¥€ कैसे मनाली पहà¥à¤à¤š गया। मेरे पूछने पर कंडकà¥à¤Ÿà¤° ने बताया कि ये बस टाइम-टेबल के हिसाब से लेट हो गयी है। यहाठसे दूसरी बस मे जाना होगा। मेरा दिमाग ख़राब हो गया। पर कà¥à¤¯à¤¾ करता मज़बूरी थी। अबी तक मैं सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नगर ही पहà¥à¤à¤š पाया था। दूसरी बस मे कà¥à¤› खास à¤à¥€à¥œ नहीं थी वहाठपर à¤à¥€ मैंने 3 वाली सीट पर कबà¥à¥›à¤¾ जमाया और लम-लेट हो गया। अब नींद नहीं आ रही थी पर कमर सीधी थी आराम था। इस बस का डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° बड़ी तेज़ी से चला रहा था। अब बस की सीट पर लेटकर अपने-आप को संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ कà¥à¤¶à¥à¤¤à¥€ करने जैसा लग रहा था। मैंने बैठने मे ही à¤à¤²à¤¾à¤ˆ समà¤à¥€à¥¤ लेकिन जहाठà¤à¥€ सवारी रà¥à¤•ने/चà¥à¤¨à¥‡ के लिठबोलती डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° रोक देता था। इतना तो था कि मैं शाम तक ही पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाला था। जैसे-तैसे मैं कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ पहà¥à¤à¤š गया।
कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से बस मे à¤à¥€à¥œ हो गई। मैंने à¤à¥€ शराफ़त से सीट छोड़ दी और खिड़की वाली सीट पर बैठगया। वैसे तो कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से मनाली करीब डेॠ(1hr 30mins ) घंटे का ही रासà¥à¤¤à¤¾ है लेकिन à¤à¥€à¥œ देख कर मैं समठगया था कि टाइम जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लगने वाला है। मेरे आगे वाली सीट पर सà¥à¤•ूल के बचà¥à¤šà¥‡ बैठे हà¥à¤ थे। मैंने उनको कैमरा दिया और मेरी à¤à¤• फ़ोटो खींचने के लिठबोला। कैमरा देख कर बचà¥à¤šà¥‡ खà¥à¤¶ हो गठऔर à¤à¤Ÿ से तैयार हो गà¤à¥¤
कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से बस ने कछà¥à¤ की चाल पकड़ ली थी। बार-बार रà¥à¤•ते हà¥à¤ चल रही थी। à¥à¤¾à¤ˆ घंटे (2hrs 30mins) बाद मैं मनाली पहà¥à¤à¤š गया। à¤à¤•ा-à¤à¤• मौसम बिगड़ गया था। बारिश होने लगी। बस से उतरते ही मैं बारिश से बचने के लिठबस अडà¥à¤¡à¥‡ की और दौड़ गया। वहीठà¤à¤• à¤à¤• मोची दिखाई दिया। मेरे बैग की à¤à¤• जगह से सिलाई उधड़ गयी थी उसी मोची से बैग की मरमà¥à¤®à¤¤ करवा ली। बस अडà¥à¤¡à¥‡ के सूचना काउंटर पर जाकर मैंने काज़ा जाने वाली बस का पता किया। बस सà¥à¤¬à¤¹ 5-6 बजे के बीच मे कà¤à¥€ à¤à¥€ आ जाती है। मैंने कà¥à¤› देर बाद फिर से पà¥à¤›à¤¾ इस बार काउंटर पर कोई और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था उसने कहा बस 4:30 पर आयगी। मैंने सोचा ये कà¥à¤¯à¤¾ बबाल है। ना जाने कौन सही बोल रहा है। खेर छोड़ो। कà¥à¤› देर बाद बारिश रà¥à¤• गई और मैं होटल की तलाश मे निकल गया। मनाली तिबà¥à¤¬à¤¤ मारà¥à¤•िट के पीछे à¤à¤• मोनेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€(monestry) है उसी के पास 600/- रà¥à¤ªà¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन के हिसाब से à¤à¤• रूम मिल गया था। होटल नया बना हà¥à¤† था और रूम à¤à¤• दम साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ चका-चक।
अकेले घूमने जाने का सिरà¥à¤« à¤à¤• यही नà¥à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤¨ है कि बाà¤à¤¦à¤¾ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ जहान की फ़ोटो खींच लेता है बस सà¥à¤µà¤¯à¤ अपनी नहीं खींच पाता। आजकल वैसे तो सेलà¥à¥žà¥€(selfie) का ज़माना है। और FM रेडियो पर तो सेलà¥à¥žà¥€ कांटेसà¥à¤Ÿ à¤à¥€ चल रहा है। पर सेलà¥à¥žà¥€ लेना अपने बस की बात नहीं थी। और अगर लेता à¤à¥€ तो कितनी बार।
दिलà¥à¤²à¥€ से मनाली तक जैसे-तैसे पहà¥à¤à¤š गया। रूम पर à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤•ून मिल रहा था जैसे मानो यà¥à¤¦à¥à¤§ विराम (cease fire) हो गया हो। मैंने गरम पानी से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया डिनर करने के लिठमाल-रोड जाना चाहा। कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि मैंने अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के जीवन काल मे देखा है कि बजट होटलों मे अकà¥à¤¸à¤° खाना आपके सà¥à¤µà¤¾à¤¦ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• नहीं होता है। लेकिन अब बहार जाने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हो रही थी। शरीर मे हरारत सी हो गयी थी , ऊपर से गरम पानी से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ à¤à¥€ कर लिया था तो बाहर ठणà¥à¤¡ लगने का à¤à¥€ डर था। डर सिरà¥à¤« इसलिठकि अà¤à¥€ तो कल और आगे à¤à¥€ जाना था। इसी होटल से दाल , सबà¥à¥›à¥€ , रोटी मà¤à¤—वाई। रात मे ही बिल à¤à¥€ दे दिया कà¥à¤¯à¥‚à¤à¤•ि मà¥à¤à¥‡ अगली सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ निकलना था। और ये बात à¤à¥€ कर ली थी कि मेरा à¤à¤• बैग होटल मे ही रहेगा जब मे वापस लौट कर आऊà¤à¤—ा तब ले लूà¤à¤—ा। सà¥à¤¬à¤¹ 4:00 बजे का अलारà¥à¤® लगा कर मैं घोड़े बेच कर सो गया।





अनुप भाई आपने घुम्मकडी का व एक मुहावरे जहां चाह,वहां राह का स्पष्ट व बढिया उदाहरण दिया है, वैसे बिलासपुर व द्वारहाट से ही यह बसे लोकल हो जाती है,हर गांव व कुछ दुकानो पर यह रूकती हुई जाती है, दो बार मै भी ऐसी बसो में सफर कर चुका हुं,
अनूप जी , यात्रा अनुभव पढ़ कर मज़ा आ गया
तिब्बत मोनेस्ट्री (जो माल रोड से सटा हुआ है ) के बाहर मैंने भी देखा था कहीं पर लिखा हुआ की “Rooms are Available” पर मुझे नहीं पता था कि इतने साफ़ सुथरे रूम्स होंगे । वहां डबल बेड रूम्स भी हैं क्या ?
प्रिय अनूप जी
आपका लेख पढ कर मजा आ गया। कई बार ऐसा होता है कि ग्रुप के लोग धीरे धीरे निकल जाते हैं और अकेले ही यात्रा करनी पड़ती है। पर एक के बाद एक परेशानियों का मजा लेते हुए आप आगे चलते जा रहे हैं।
बस अब आगे क्या हुआ उसका इंतेजार है….
धन्यवाद
अनूप जी
हमेशा की तरह यह यात्रा भी काफी रोचक लग रही है। में चलता गया और कांरंवा बनता गया पर आपके साथ तो उल्टा ही हुवा कांरवा साथ छोड़ गया और आपको अकेले ही अपनी यात्रा को जारी रखना पड़ा। बस आपकी यात्रा की अगली कड़ी का इंतज़ार है ,
Wow…..Ghumakkar…..nobody joined….doesn’t matter……u only is havey on all.well defined n interesting visit.See it is just beginning….next episodes will more interesting.Eagerly awaiting.
अनूप जी ,
मैंने आज तक मनाली को शादी-शुदा लोगोंके नज़रिये से देखा हैं। फेहली बार आपने मुझे मनाली को एक Solo ट्रॅवेलेर के नज़रिये से दिखाया।
धन्यवाद।
And the story is pretty familiar with so many people showing interest and then a lot of them not able to make it. Sometimes when you return, another set of people would complain that you never asked them, else they would have happily joined you/ :-) But to each his own, I guess their intent is to travel but for one reason or the other, it doesn’t matertilize everytime.
Quite an effort to reach Manali, looking forward for Kaza.