साथियों,
पिछली कड़ी में मैं आपसे जिकà¥à¤° कर रहा था की किस तरह से मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ को पार करते हà¥à¤ अंततः हम लोग रहाला फाल पहà¥à¤‚च ही गà¤, और फिर सिलसिला शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† बरà¥à¤« में खेलने का, बरà¥à¤« में फिसलने का. उमà¥à¤°à¤¦à¤°à¤¾à¤œ पà¥à¤°à¥Œà¤¢à¤¼ दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की तरह बरà¥à¤« से खेलते हà¥à¤ देखने में जो मज़ा आ रहा था उसका वरà¥à¤£à¤¨ करना मà¥à¤¶à¥à¤•िल है. लगà¤à¤— सà¤à¥€ लोग बचà¥à¤šà¥‡ बने हà¥à¤ थे, हर कोई इन यादगार पलों को जी लेना चाहता था. हम सब à¤à¥€ अपनी ही मसà¥à¤¤à¥€ में खोठहà¥à¤ थे, किसी को किसी का होश नहीं था. बचà¥à¤šà¥‡ अपने तरीके से बरà¥à¤« से खेल रहे थे और बड़े अपने तरीके से, मकसद सबका à¤à¤• था….आनंद आनंद और आनंद.

द बरà¥à¤« पर खड़े होकर à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ खाने का आनंद ही कà¥à¤› और है..
पास ही à¤à¤• à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ वाला गरà¥à¤®à¤¾ गरम à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ सेंक रहा था, 25 रà¥. का à¤à¤•, शिवम को à¤à¤• à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ दिलवाया और फिर लग गठबरà¥à¤« से खेलने में. यहाठकरीब डेढ़ घंटा बरà¥à¤« में खेलने के बाद ही हमें लगने लगा की हमारा यहाठतक आना सफल हो गया और अब आगे नहीं à¤à¥€ जा पाà¤à¤ तो कोई गम नहीं होगा, लेकिन आज हमारी किसà¥à¤®à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ थी सो कà¥à¤› ही देर बाद हमारे पास हमारी गाड़ी के डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° का फोन आया और उसने हमें बताया की रासà¥à¤¤à¤¾ चालू हो गया है और हम बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाला तक जा सकते है. आप लोग वहीं रà¥à¤•ो मैं दस मिनट में पहà¥à¤‚च रहा हूà¤. यह सà¥à¤¨à¤•र हम तो खà¥à¤¶à¥€ से à¤à¥‚म उठे. दरअसल इन खूबसूरत वादियों ने हमें पागल कर दिया था और “ये दिल मांगे मोर” की तरà¥à¤œà¤¼ पर हम इस खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ माहौल से दूर जाना नहीं चाहते थे.
कà¥à¤› ही देर में हमारा डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° गाड़ी लेकर उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो गया और हम अपनी गाड़ी में सवार हो गà¤. अब गाड़ी में सवार होने के बाद हमें सà¥à¤•ून मिल रहा था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मंज़िल को पाने की ललक à¤à¤• बार फिर जागà¥à¤°à¤¤ हो गई थी. अब हम आगे के सफर के लिठबढ़ चà¥à¤•े थे. रासà¥à¤¤à¥‡ में छोटे बड़े à¤à¤°à¤¨à¥‡, नदी, आकरà¥à¤·à¤• पà¥à¤², गोल-मटोल सफ़ेद, रंगीन पतà¥à¤¥à¤°, चशà¥à¤®à¥‹ से बहता पानी, आकृतियाà¤Â बदलते बादल, चहचहाते पंछी, à¤à¥€à¤¨à¥€-२ खà¥à¤¶à¤¬à¥ बिखेरते जंगली फूल व वृकà¥à¤·, हमारा मन पà¥à¤²à¤•ित कर रहे थे.

फà¥à¤°à¤¸à¤¤ के पल
मनाली से लगà¤à¤— 50 किमी दूर 13286 फà¥à¤Ÿ ऊंचाई पर यह रासà¥à¤¤à¤¾ लगà¤à¤— आसमान की ओर बढ़ रहा था. दà¥à¤°à¥à¤—म पहाड़ियों को अथक मेहनत से काटकर बनाई गई सड़क के दोनों ओर बरà¥à¤« बिछी ही नहीं, बलà¥à¤•ि दीवारों के रूप में खड़ी दिखाई दे रही थी. इस मारà¥à¤— पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठहोते ही बरà¥à¤« को सà¥à¤¨à¥‹-कटर से हटाया जाता है ताकि आवागमन बहाल रहे.Â
रासà¥à¤¤à¤¾ इतना खतरनाक था की कई बार à¤à¤¸à¤¾ लगता की गाड़ी किसी मोड पर मà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥€ और लगता जैसे उसका दूसरा पहिया खाई के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर पहà¥à¤à¤š जाता है, हम लोगों की तो कई बार लगà¤à¤— चीख ही निकल जाती…….. “मर गà¤â€.
‘नीचे कितनी खाई है, ओ बाप रे, हे à¤à¤—वान, ओ’ माई गोड, कà¥à¤¯à¤¾ रासà¥à¤¤à¤¾ है? इन सà¤à¥€ कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में गाड़ी चालक हमेशा चौकनà¥à¤¨à¤¾ रहता. मà¥à¤à¥‡ तो कई बार आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता की ये लोग कितने खतरनाक रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर वाहन कैसे चलाते हैं, कहाठसे लाते हैं ये इतनी हिमà¥à¤®à¤¤ इतना साहस. अपनी तथा परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों की जान हथेली पर रखकर हर समय मौत से टकà¥à¤•र लेते ये डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° मेरे लिये अजूबा थे.
कà¥à¤› ही देर में हमें रà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ गाड़ियों की कतार दिखाई देती है, जो इस बात का संकेत है की हमारी मंज़िल आ गई है. गाड़ी रूकती है और हमारी मंज़िल यानी बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाला आ जाता है जो हमारे लिठरोहतांग पास ही है, और हमारा मन करता है कि तेजी से उतरा जाये, हमें ये खवाबों की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ महसूस होती है, हमारे कानों में “जब वी मेट†फिलà¥à¤® का गाना ‘ये इशà¥à¤• हाय….. बैठे बिठाये जनà¥à¤¨à¤¤ दिखाअ.ओ रामा’ बजना शà¥à¤°à¥‚ हो जाता है. हम महसूस करते हैं कि इस गाने में फिलà¥à¤®à¤¾à¤ˆ लोकेशन आस-पास ही है. इस जगह आ कर, उमà¥à¤° दराज दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपने आप को जवान महसूस करने लगते हैं, यहाठजनà¥à¤¨à¤¤ में पहà¥à¤à¤š कर इशà¥à¤• फिर से परवान चà¥à¤¨à¥‡ लगता है.

बरà¥à¤« की दीवारें, मंज़िल अब दूर नहीं
गाड़ी वाले ने हम सबको सूचना दी की आप लग यहाठउतर जाओ कà¥à¤› दूर की पैदल दूरी पर ही बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाला है. हम लोग खà¥à¤¶à¥€ खà¥à¤¶à¥€ नीचे उतर गठऔर पैदल चलने लगे. उपर आसमान में देखा तो पॅरागà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤°à¥à¤¸ उड़ान à¤à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ दिखाई दिà¤. लोगों को आसमान में यूं उड़ता देखकर बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था. बरà¥à¤« की दीवारों के बीच चलते हà¥à¤ हमें महसूस हो रहा था जैसे हम किसी और ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में आ गठहों.

अब मंज़िल दूर नहीं
और जैसे ही वो बरà¥à¤« की दीवारें समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ, सामने खà¥à¤²à¤¾ मैदान था जो बरà¥à¤« से à¤à¤°à¤¾ पड़ा था, जहाठनज़र जाती हर तरफ बरà¥à¤« ही बरà¥à¤« नज़र आती. पास ही à¤à¤• लकड़ी के डंडे वाला खड़ा था जो 20 रà¥. पà¥à¤°à¤¤à¤¿ डंडा किराठसे डंडे दे रहा था. कौतूहल वश मैं à¤à¥€ उस à¤à¥€à¤¡à¤¼ में खड़ा हो गया तो पता चला की बरà¥à¤« में चलने में तथा उपर चढ़ने में ये डंडे बड़े काम के होते हैं, सो मैने à¤à¥€ चार डंडे ले लिठऔर आगे बढ़ चले.

पॅरागà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग

बरà¥à¤« से अठखेलियाà¤
à¤à¤•दम ताजी, à¤à¥à¤°à¤à¥à¤°à¥€ और रूई के फाहे सी सफेद बरà¥à¤« इतनी à¤à¤¾à¤°à¥€ मातà¥à¤°à¤¾ में देखकर हम तो बांवरे हो गठथे. यहाठपर कई तरह के साहसिक खेल आदि का à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध था जैसे पेरागà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग, सà¥à¤¨à¥‹ सà¥à¤•ूटर, टà¥à¤°à¤• के टà¥à¤¯à¥‚ब पर बैठकर दूर पहाड़ी से फिसलना आदि. डंडों के सहारे हम उपर बरà¥à¤« के पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश करते लेकिन जलà¥à¤¦à¥€ ही थक जाते. पास ही में टà¥à¤¯à¥‚ब वाला खेल चल रहा था, टà¥à¤°à¤• का बड़ा सा टà¥à¤¯à¥‚ब à¤à¤• मोटी रसà¥à¤¸à¥€ से बाà¤à¤§ दिया गया था, उपर तथा नीचे दोनो तरफ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के लिये दो दो लोग तैनात थे. आपको पहाड़ की काफी उंचाई पर टà¥à¤°à¤• के टà¥à¤¯à¥‚ब में बैठाया जाता और फिर वहां से फिसलाया जाता, रसà¥à¤¸à¥‡ को पूरी तरह फà¥à¤°à¥€ छोड़ दिया जाता, बड़ी ही दà¥à¤°à¥à¤¤ गति से बरà¥à¤« पर फिसलने का मज़ा आता, लोग हरà¥à¤·à¥‹à¤¨à¥à¤®à¤¾à¤¦ से चीख रहे थे. यह देखकर मैने à¤à¥€ अपने दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को तैयार किया इस रोमांचक खेल के लिये, बचà¥à¤šà¥‡ मान तो गठलेकिन इस शरà¥à¤¤Â पर की हम तीनों साथ में फिसलेंगे, मैने ये शरà¥à¤¤ खेल करवाने वालों के सामने रखी तो वो मान गठऔर मातà¥à¤° २५० रॠमें हम तीनों ने इस रोमांच का आनंद लिया.

हमारा गà¥à¤°à¥à¤ª

बरà¥à¤« का दिल

बरà¥à¤« पर खेलने का मज़ा

बरà¥à¤« पर चढ़ाई, सबसे मà¥à¤¶à¥à¤•िल काम

सà¥à¤¨à¥‹ सà¥à¤•ूटर

आधी जमी हà¥à¤ˆ बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी …
बरà¥à¤« पर खेलते खेलते हमें लगà¤à¤— दो घंटे हो गठऔर मैं कब जबरदसà¥à¤¤ जà¥à¤•ाम की चपेट में आ गया मà¥à¤à¥‡ पता ही नहीं चला.जब हर तरह से मन à¤à¤° गया तो हम उस बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ पहाड़ से नीचे उतर आठतो हमें अपने साथ कैंप से पैक करवा कर लाठà¤à¥‹à¤œà¤¨ की याद आई और लगà¤à¤— आधी जमी हà¥à¤ˆ बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी के किनारे à¤à¤• घेरा बनाकर हम सब à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठबैठगà¤. खाना खाने के बाद सब लोग गाड़ी में अपनी अपनी जगह पर आ कर बैठगà¤. बरà¥à¤« में लगातार दो घंटे खेलने से मà¥à¤à¥‡ जबरदसà¥à¤¤ तेज सरà¥à¤¦à¥€ हो गई थी जिसकी सजा अगले दो दिनों तक मेरा निरà¥à¤¦à¥‹à¤· रà¥à¤®à¤¾à¤² à¤à¥à¤—तता रहा.

बरà¥à¤« पर à¤à¤• छोटा सा बाज़ार

बाय बाय सà¥à¤¨à¥‹
थके हारे से हम सब अपने वापसी के सफर पर निकल पड़े और अब सबको लगातार उबासियाठऔर à¤à¤ªà¤•ियां आ रहीं थी. अधूरी नींद, थकान जà¥à¤•ाम की मार à¤à¥‡à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ हम कà¥à¤› घंटों के सफर के बाद सोलांग वेली पहà¥à¤‚च गà¤.अचानक ही मौसम ने करवट ली और आसमान में बादल उमड़ने घà¥à¤®à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ लगे जो कà¥à¤› ही पलों में हलà¥à¤•ी बूà¤à¤¦à¥‹à¤‚ में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो गà¤. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बताया सोलांग आ गया है आप लोग जलà¥à¤¦à¥€ से देख कर आ जाओ बारिश तेज हो सकती है. लगà¤à¤— सà¤à¥€ बेतहाशा थके हà¥à¤ थे अतः किसी की नीचे उतरने की हिमà¥à¤®à¤¤ नहीं हो रही थी. हमारी तथा साथियों की शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने उतरने से साफ इंकार कर दिया था, अतः हम पà¥à¤°à¥à¤· तथा बचà¥à¤šà¥‡ ही नीचे उतरे और सोचा à¤à¤• नजर देख à¤à¤° आते हैं, आखिर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ है सोलांग घाटी में.पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² से कà¥à¤› दूर पैदल चलने के बाद सोलांग घाटी अब हमारे सामने थी. सचमà¥à¤š बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° जगह थी. पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿ ने यहाठअपना सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯Â जी à¤à¤°à¤•र लà¥à¤Ÿà¤¾à¤¯à¤¾ है.

सोलांग घाटी

खूबसूरत सोलांग घाटी
करीब आधा घंटा सोलांग में बिताने के बाद हम पà¥à¤¨à¤ƒ गाड़ी में अपनी अपनी जगह पर बैठगà¤. अब हमें जलà¥à¤¦ ही मनाली पहà¥à¤‚चकर वहां से अपने कैंप पहà¥à¤‚चना था ताकि कà¥à¤› देर आराम कर सकें. सोलांग से निकलने के बाद कà¥à¤› ही दूरी पर “विशेष वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚” की वह दà¥à¤•ान थी जहाठसे हमने किराठसे वसà¥à¤¤à¥à¤° लिठथे, हमें वसà¥à¤¤à¥à¤° लौटाने थे अतः गाड़ी वाले ने गाड़ी उस दà¥à¤•ान पर रोक दी, और हम सब à¤à¥€ उतर गà¤. जब कपड़े लौटाने की अपनी बारी आई तो पता चला की हाथ के दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ हम बरà¥à¤« में खेलते हà¥à¤ वहीं कहीं छोड़ आठहैं. परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प जेब से 50 रà¥. का दंड à¤à¤°à¤¨à¤¾ पड़ा और पतà¥à¤¨à¥€ जी के कोपà¤à¤¾à¤œà¤¨ बने सो अलग.
शाम होते होते थके हारे हम अपने कैंप तक पहà¥à¤‚च ही गठऔर डिनर लेकर घोड़े बेचकर सो गà¤, अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हमें बिजली महादेव जाना था. तो दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ इस तरह हमारी यह बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ और अगली कड़ी में तैयार रहिà¤à¤—ा मेरे साथ बिजली महादेव की सैर पर चलने के लिअ…..शेष अगले à¤à¤¾à¤— में.
Hello Mukesh
The article shows how much the family enjoyed the trip. And yes, I envied Shivam seeing him enjoying “garam-garam Bhutta” on the snow.
Pictures are good.
Keep travelling, keep writing and keep enjoying.
May this desire of travelling never-ever reduces.
Thank you very much Professor saab fir this sweet comment. After a long I have received a comment from you….So nice of you.
Thanks.
Hi Mukesh,
Nice reading your post…. so we still have the last part…bring that soon…Good Pics! Great to see Manish Khamesra commenting on a current post. :)
Mukesh Bhai….Milte hai अगले भाग में!
Thanks Anupam ji for your encouraging comment. Yes the last part is remaining, will try to bring it soon.
very interesting log… i think you people saw snow for the first time ??
the caption of Fursat ke pal is not correct… Mrs. Bhalse is looking so tense ? :)
एस. एस. जी,
टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। जी हाँ सर बिल्कुल सही फरमाया आपने, हम अभागों ने बर्फ जीवन में पहली बार ही देखी थी तभी तो बावले हुए जा रहे थे। उपरवाला सभी को एक जैसा नसीब कहाँ देता है, आप सौभाग्यशाली हैं जो आपने लाखों किलोमीटर धरती नापी है और प्रकृति के हर रंग रूप को देखा है। दुआ करते हैं की अगले जनम में हमें भी उपरवाला ऐसा नसीब बख्शे …….लेकिन चिंता इस बात की है की कई बार भगवान खुशनसीबी एवं सौभाग्य के साथ बोनस में दंभ और घमंड भी दे देता है।
धन्यवाद।
आपने मेरी किस बात में दंभ देख लिया मुकेसभाई ???
मुकेश भाई नमस्कार.
जब हम समतलवासी पहाडो पर बर्फ देखते है,तब हमे आन्नद की अनुभूति होती है,उस वक्त हमारा मन बच्चे की माफिक हो जाता है,हम उस लम्हे को जीते है ओर बाद मे हमेशा उसे याद करते है.
आपके इस लेख में मुझे वो आन्नद,वो लम्हे देखने को मिले.
बहुत उम्दा चित्र व लेख..
Hi Mukesh ji
मुबारक हो! आखिर आपने बर्फ के दर्शन कर ही लिए!
एक बहुत अच्छी पोस्ट जिसमे कथ्य की रवानी भी है और छायाचित्रों की मोहकता भी! इस वजह से इसे पढ़ते हुये जो तारतम्यता बनती है, उसके कारण कई जगह आ गयी वर्तनी की अशुद्धियाँ भी खटकती नही ( वैसे इसका एक कारण फोन्ट का बदल जाना भी हो सकता है, I guess. मेरे साथ भी हो जाता है, कृपया इसका बुरा मत मानियेगा )
SS सर, की बात से याद आया कि पड़ी हुयी बर्फ तो हमने भी देखी है, पर नजरों के सामने गिरती हुयी नही!
वैसे, SS सर ने बहुत पारखी दृष्टि पायी है, पर मुझे लगता है कि यहाँ उनके कमेन्ट की आखरी पंक्ति केवल आपको उकसाने के लिये ही है… LOL
अवतार साहब,
आपकी इस सुन्दर तथा प्रेरणादायक प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। इसी तरह सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करते रहें, यही कामना है।
धन्यवाद।
सचिन जी,
बहुत सुन्दर टिप्पणी. आपके कमेन्ट हमेशा ही उत्साहवर्धक एवं मार्गदर्शक होते हैं ………
धन्यवाद।
मुकेश जी, पिछली दो posts पर भी comments लिखे थे पर पता नहीं क्यों वह डिलीट हो गये. कुछ wordpress /browser का issue हो सकता है.
ख़ैर , आपकी यह post भी बहुत पसंद आई , हम सब को अपनी अपनी पहली पहाड़ों की यात्रा और पहली बार बर्फ़ देखने का अनुभव याद दिला दिया इस पूरी series ने।
अनुभव साँझा करने के लिए धन्यवाद .
स्टोन,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपने पोस्ट्स पढीं तथा उन्हें सराहा. आपकी ओर से ऐसे ही उत्साहवर्धन होता रहे तथा मार्गदर्शन मिलता रहे…यही कामना करते हैं..
घुमक्कड़ पर आते रहिये, पढ़ते रहिए ….
बहुत ही सुन्दर पोस्ट आपको ढेरो बधाईयाँ ऐसे ही घुमक्कड़ी करते रहिये……..
आनंद जी,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद इतनी सुन्दर कमेन्ट प्रेषित करने के लिए. बस आज ही शाम को निकल रहे हैं अगली घुमक्कड़ी के लिए …..हरिद्वार एवं ऋषिकेश..
मुकेश जी
पोस्ट अच्छी लगी।
किन्तु समझ नहीं आया की हंगामा है क्यों बरपा?
अवश्य ही समझने और समझाने में थोड़ी भूल हुयी है।
अरुण
Hi,Shahrukh.bhai aapka post padho aur live na lage,aisa ho nahi sakta.aisa hee bijli mahadeo wala post hoga,bas gujarish hai jara jaldi post kare.dipika bhabhiji ko mera pranam.dono dress me achchhi lag rahi chain.rohtang na pahunch paane ki kasak to man me haihee.
Bahut hi sundar post, aese hi ghumte rhiye aur ham sabko ghumate rhiye, pariwar k sath hone se ghumne ka maza duguna ho jata g, sweet family, aage ki ghumakkadi k liye shubhkamnayen. All d best
पूरा पैसा वसूल कार्यक्रम रहा मुकेस भाई । वो कहतें हैं न, उच्छृंकल (वर्तनी सही नहीं है शायद) उल्लास ।