गतांक से आगे ….
[ पिछले अंक में आपने हमारी हिमाचल की सड़क यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में पड़ा कि किस पà¥à¤°à¤•ार से हमने अपने घर से लेकर कांगो जोहड़ी तक का सफर तय किया | ], अब आगे…
कैमà¥à¤ª रोकà¥à¤¸ से करीब 100 मीटर की दूरी पर आपकी गाड़ी पारà¥à¤• करवा दी जाती है, इससे आगे आपको नीचे ढलान की तरफ जाती कचà¥à¤šà¥€ सीढ़ीयों से उतर कर जाना है, आपका सामान गाड़ी में ही है, कैमà¥à¤ª का सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« इसे आपकी काटेज़ में पहà¥à¤‚चा देगा | सो, गाडी से निकले, बस निहायत ही जरूरी सामान उठाया और चल दिठà¤à¤• और नये अनà¥à¤à¤µ की तरफ…
वैसे, कैमà¥à¤ª कà¥à¤¯à¤¾ है… बस जो कà¥à¤› पूरे रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° था, उसका à¤à¤• विसà¥à¤¤à¤¾à¤° à¤à¤° ही है | हाà¤, यहाठउसे à¤à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ दे दी गयी है | कैमà¥à¤ª के à¤à¥€à¤¤à¤° जाते हà¥à¤¯à¥‡ आप à¤à¤• सरसरी सी निगाह अपने आस पास डालते जाते हो | कैमà¥à¤ª रोकà¥à¤¸ पूरà¥à¤£ रूप से परà¥à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की विशेष à¤à¥Œà¤—ोलिक विशेषतायों को अपने में संमायोजित किये हà¥à¤ है, पà¥à¤°à¤•ृति के साथ अनावशà¥à¤¯à¤• छेड़-छाड़ करने की कोशिश कहीं दिखाई नही देती, यहाठतक की सà¥à¤¦à¥‚र ऊपर पहाड़ियों से, इस वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠमें बहकर आता पानी à¤à¥€ कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से, जहाà¤-तहाठयूठही बहकर, नीचे बहती हà¥à¤ˆà¤‚ बरसाती नदी में समाहित होने के लिये, बिना किसी मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ अवरोध से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ हà¥à¤† निरà¥à¤¬à¤¾à¤§ गति से जा रहा है, आप को इससे असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ हो सकती है या आप को इसमें आनंद à¤à¥€ आ सकता है, ये आपके अपने नजरिये पर निरà¥à¤à¤° करता है | यहाà¤, आप चाहे तो इस रिजोरà¥à¤Ÿ की मैनेजेमेंट को इस बात के लिये साधà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ दे सकते हैं और उनकी दूरदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ की सराहना à¤à¥€, कि इन वजहों से ही यह कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपने आप में ही उन सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक नजारों को अपने में समेटे हà¥à¤ है जिसके मोहपाश में बà¤à¤§à¤¾ कोई सैलानी अपने घर से सैंकड़ो किमी दूर खिà¤à¤šà¤¾ चला आता है |

पारस की नजर से देखो, वादियाठकितनी हसीन है !

तà¥à¤¯à¤¾à¤—ी जी की बायीं तरफ से जो रासà¥à¤¤à¤¾ है वो कैमà¥à¤ª की तरफ जा रहा है

मंजिल अब करीब है !
बीच बीच में किसी टीले को समतल करके उस पर कà¥à¤› काटेज बनाये गये हैं और उन पर तिरपाल डाल कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• टेंट का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प देने का à¤à¤• सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है, पहली नजर में ही आप इसके ले-आउट से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो जाते  हो | हमे à¤à¤• बड़े से हाल में, जो कि 1200 वरà¥à¤— फीट कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बना हà¥à¤† है, ले जाया जाता है, जो कि यहाठका à¤à¤• काॅमन डाइनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ है | वहीं, इस रिजोरà¥à¤Ÿ के पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक अनिल गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात होती है, इसी हाल से ही वो पूरे कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हैं | मूल रूप से गà¥à¤¡à¤—ाà¤à¤µ के ही रहने वाले अनिल गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी अपने बेटों à¤à¤µà¤®à¥ अपने à¤à¤• अनà¥à¤¯ सहयोगी सतेनà¥à¤¦à¥à¤° जी के साथ मिलकर इसे चला रहे हैं | वैसे हमारा पà¥à¤°à¤¥à¤® परिचय सतेनà¥à¤¦à¥à¤° जी के साथ ही था, और उनके अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर ही हमने इस जगह का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया था | पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ 2500 रà¥à¤ªà¥ˆà¤¯à¥‡ से लेकर 3000/- रà¥à¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ तक à¤à¤• दिन का शà¥à¤²à¥à¤• है, जिसमे तीनो समय का खाना, काटेज और à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€à¤œ का शà¥à¤²à¥à¤• समाहित है | ये रेंज मैंने इसलिये दी कà¥à¤¯à¥‚ंकि होटल इंडसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ में सीजन और वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ देख कर ही गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤• के माथे पर तिलक लगाया जाता है ! इस हाल के साथ ही लगा हà¥à¤† रसोई घर है, जिसमे इस समय दोपहर के à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की जा रही है | कà¥à¤› ही पलों में हमारे लिये चाय तैयार करवाई  जाती है, चाय पीते पीते आप इस हाल में यहाठवहाठघूम कर देखते है कि इस हाल का केवल फरà¥à¤¶ कंकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ का है, बाकी छत और दीवालें सब फाइबर की बनी हैं | यहाठवहाठबहà¥à¤¤ सी कà¥à¤°à¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¥€ रखी गई  हैं और दीवालों में बड़ी बड़ी कांच की खिड़कियाà¤, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आप खोल कर नीचे तेज पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से बहती उस नदी का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ अवलोकन कर सकते हैं जो इस कैमà¥à¤ª की à¤à¤• USP है | हाल का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° इतना बड़ा तो है ही कि यहाठà¤à¤• बार में 50-60 लोग आराम से बैठकर अथवा चहलकदमी करते हà¥à¤¯à¥‡ खा पी सकते हैं | चाय पीने के दौरान ही वहीं पर जरूरी औपचारिकताà¤à¤ à¤à¥€ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी पूरी कर लेते हैं और फिर हमे हमारे लिठआरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ काटेजà¥à¤¸ में शिफà¥à¤Ÿ कर दिया जाता है | हमारा सामान पहले से ही काटेज में पहà¥à¤‚चा दिया गया है, परिवार के साथ होने की वजह से हमे वो काटेज दिया गया है जिसमे साथ ही टायलेट जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¤† है |
दोपहर के à¤à¥‹à¤œà¤¨ में अà¤à¥€ कà¥à¤› समय है तो इस समय का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— हम नहा धो कर तरो ताजा होने के लिये कर सकते हैं | 200 वरà¥à¤— फीट कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बना हà¥à¤† à¤à¤• काटेज à¤à¥€ उसी पà¥à¤°à¤•ार से फाइबर के ढांचे से बना हà¥à¤† है, बस इसे थोड़ा और अलंकृत करने के लिये इसकी सफेद फाइबर की दीवालों पर à¤à¥€à¤¤à¤° की तरफ से माईका की शीटें लगी हैं और फरà¥à¤¶ पर धूल से बचाव के लिये नीचे तिरपाल और ऊपर à¤à¤• कारपेट, बाथरूम में फरà¥à¤¶ पर टाईलà¥à¤¸ हैं | लकड़ी के पकà¥à¤•े पलंगो की जगह फोलà¥à¤¡à¤¿à¤‚ग बेड हैं | किसी à¤à¥€ सूरत में ये परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾, इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ईट और सीमेंट के गारे से बने कमरों से बेहतर हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि à¤à¤• तो इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बनाने में परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ से कोई छेड़ छाड़ नही की गयी और न ही इनमे अब सीलन के आने का कोई पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठता है, जिसका होना à¤à¤¸à¥‡ नमी वाले कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अवशà¥à¤¯à¤‚à¤à¤¾à¤µà¥€ है और इस वजह से कमरों और बिसà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤• अजब सी दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ समाई रहती है, और दीवालें à¤à¥€ साल à¤à¤° गीली रहती है | हमारे लैंसडाउन के हिल वà¥à¤¯à¥‚ शांति राज वाले मितà¥à¤° यदि इसे पà¥à¥‡à¤‚, तो à¤à¤¸à¥‡ किसी विकलà¥à¤ª पर अवशà¥à¤¯ विचार करे !

इनà¥à¤¹à¥€ में से कोई हमारी काटेज à¤à¥€ है

काटेज का à¤à¥€à¤¤à¤°à¥€ दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯

कैमà¥à¤ª का डाइनिंग à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾

à¤à¤• फोटो कैमà¥à¤ª के मालिक पà¥à¤°à¤¬à¤‚धक गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी के साथ तो बनती ही है’
लंच का समय हो गया है, और आपको यहाठà¤à¤• बात बताता चलूà¤, कि इस कैमà¥à¤ª में किसी à¤à¥€ गेसà¥à¤Ÿ को उसके कमरे में चाय या खाना नही परोसा जाता, सà¤à¥€ को चाय, लंच और डिनर के लिये इसी हाल में आना होता है | कैमà¥à¤ª का अपना मेनà¥à¤¯à¥ है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही खाना बनता है और आप बà¥à¤«à¥‡ सिसà¥à¤Ÿà¤® में इसे ले सकते हैं, हाठयदि आपका अपना कोई बड़ा गà¥à¤°à¥à¤ª हो तो आप बà¥à¤•िंग के समय इस पर बातचीत कर सकते हैं, आज दोपहर के खाने में राजमा, चावल, पनीर, रायता, रोटी और सलाद वगैरहा है | कà¥à¤² मिला कर सादा मगर सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ !
दोपहर के à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अपराहà¥à¤¨ 4 बजे का समय à¤à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€à¤œ का है, जिसके लिये पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन ने पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¶à¤¨à¤² टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤°à¥à¤¸ की टीम को रखा हà¥à¤† है, मगर सफर की थकान और ऊपर से बारिश की आशंका की वजह से हम इसकी जगह यूठही निरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ à¤à¤Ÿà¤•ने को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता देते है | नीचे उफनती बरसाती नदी में जाकर पानी के पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ में अवरोध बन कर जमे बड़े बड़े पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ पर बैठना या फिर लमà¥à¤¬à¥€ सैर पर निकल जाना , रावी और तà¥à¤·à¤¾à¤° ने काफी नीचे à¤à¤• समतल मैदान देख लिया जिसमे दिलà¥à¤²à¥€ से आये कà¥à¤› यà¥à¤µà¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ का समूह कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट खेल रहा है और ये à¤à¥€ जा कर उनमे शामिल होने चले गठ| और हमारे लिये तो शà¥à¤°à¥‚ से ही, नदी के पानी में पाà¤à¤µ लटका कर यूठही घंटो बैठजाना, सदा से ही मनपसंदीदा शगल रहा है, दूर कहीं से निरà¥à¤¬à¤¾à¤§ गति से आता हà¥à¤† पानी, दोड़ता, उछलता, कूदता, अपनी पूरी उचà¥à¤–ंलता के साथ अपनी ही मसà¥à¤¤à¥€ में चूर, कहीं अपने बीच उग आये नागफनी के पौधे को चà¥à¤ªà¤•े से छूकर निकल जाता हà¥à¤†, तो कà¤à¥€ अपने ही गरà¥à¤ में पल रहे जलीय पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को यूठही अपनी किसी लहर के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से डरा देता, मगर जब यही उफनता हà¥à¤† पानी अपनी राह में आ गये किसी बड़े से चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ के टà¥à¤•ड़े को देखता है तो पल à¤à¥€ रà¥à¤• कर ठिठकता नही अपितॠअपने पूरी शकà¥à¤¤à¤¿ को अपने में समेट पूरे वेग के साथ उससे टकरा जाता है, चारो तरफ à¤à¤¾à¤— का à¤à¤• आवरण बन जाता है, उस पतà¥à¤¥à¤° और इस पानी ने दोनों को à¤à¤• साथ अंगीकार कर लिया है, मगर पतà¥à¤¥à¤° अपनी जड़ों से कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही मजबूती से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है, वो पानी के इस पà¥à¤°à¤£à¤¯ से खणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ नही होता तो कà¥à¤¯à¤¾…?, पानी तो खंडित हो सकता है न…!, और वो खंडित हो जाता है, à¤à¤¾à¤— के साथ ही उसके टà¥à¤•ड़े खणà¥à¤¡-खणà¥à¤¡ में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ हो चारो तरफ बिखर जाते है | à¤à¤²à¥‡ ही उस चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ ने अपने गरूर में उसके पà¥à¤°à¤£à¤¯ निवेदन को ठà¥à¤•रा दिया, परनà¥à¤¤à¥, अब उसकी अनेको जल धाराà¤à¤ बन गयी है, वो उस चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ के विशाल वकà¥à¤· को चूमता हà¥à¤† आगे सरक जाता है, उसे चोट लगी है मगर उसकी जिजीवषा समापà¥à¤¤ नही हà¥à¤ˆ है | कà¥à¤› कदम आगे बà¥à¤•र, वह à¤à¤• बार फिर से अपने को संयोजित करता है और फिर à¤à¤• नई उमà¥à¤®à¥€à¤¦ और उमंग को संजो, उसी मसà¥à¤¤ चाल से अपनी राह में आ गयी किसी और चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ से अपना पà¥à¤°à¤£à¤¯ निवेदन करने के लिठआगे बॠजाता है, शायद उसके पथ में आने वाली अगली चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ इतनी निषà¥à¤ à¥à¤° न हो, और उसे उसके पà¥à¤°à¥‡à¤® का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¾à¤¨ मिल जाये !  ये सिलसिला यूठही अनवरत ढंग से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही चलता चला आ रहा है और यूठही चलता रहेगा | हाà¤, कà¤à¥€ कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ जरूर हो जाता है कि पानी का पà¥à¤°à¤£à¤¯ इतना आगà¥à¤°à¤¹à¥€ होता है कि चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ à¤à¥€ उसके निवेदन को अपनी पूरी जड़ता के बावजूद ठà¥à¤•रा नही पाती और खà¥à¤¦ को उसके आगोश में बह जाने देती है और यकीन मानिठजब कà¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ हो जाता है तो पहाड़ों से लेकर मैदानों  तक में, पà¥à¤°à¤²à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ मातà¥à¤° से ही खलबली मच जाती है |
कैमà¥à¤ª पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन के पास कà¥à¤› लेबराडोर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ à¤à¥€ हैं, जो आपके किसी à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ में आपके साथ साथ ही रहते है और आपकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ के साथ साथ खà¥à¤¦ को à¤à¥€ आनंदित करते रहते हैं | हाà¤, इतना अवशà¥à¤¯ है कि किसी à¤à¥€ आपदा कालीन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में वो अवशà¥à¤¯ ही कैमà¥à¤ª के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« को बà¥à¤²à¤¾ लायेंगे, इसकी गारंटी गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी आपसी बातचीत में देते हैं | पहाड़ों पर शाम कà¥à¤› जलà¥à¤¦à¥€ हो जाती है और आज तो रà¥à¤• रà¥à¤• कर बरसात à¤à¥€ हो रही है | शाम का धà¥à¤‚धलका बढ़ते ही फिर से à¤à¤• बार बरसात शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•ी है, मगर इस बार इंदà¥à¤° देवता आसानी से पसीजने के मूड में नही | कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के चारो तरफ विशाल जंगल, घना घà¥à¤ªà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ और ऊपर से ये घटाटोप बरसात… à¤à¤• रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ वातावरण सा छाया हà¥à¤† है | इस बरसात की वजह से कैंप फायर का मजा à¤à¥€ जाता रहा और सà¤à¥€ मेहमान अपने अपने कमरों में ही कैद हो कर रह गठहै |

कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ही इतना जंगल है कि घà¥à¤®à¤¤à¥‡ रहो

लडà¥à¤¡à¥‚ गोपाल अपनी ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में लीनं है

गरà¥à¤²à¥à¤¸ और किडà¥à¤¸ यदि काटेज से बाहर होंगे तो कोई कà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ अवशà¥à¤¯ साथ होगा, इसकी गवाही तो ये फोटो देतीं है

गरà¥à¤²à¥à¤¸ और किडà¥à¤¸ यदि काटेज से बाहर होंगे तो कोई कà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ अवशà¥à¤¯ साथ होगा, इसकी गवाही तो ये फोटो देतीं है

नदी à¤à¥€ आपसे बातें करती है, बस आपको सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ आना चाहिये

à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक नजारा और रावी के हाथ में The Krishna Key, कà¥à¤¯à¤¾ दोनों में कà¥à¤› तारतमà¥à¤¯ है…

कैमà¥à¤ª कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से होकर बहती बरसाती नदी

जैसे जैसे ऊपर पहाड़ों पर पानी गिरता है, इस नदी का यौवन उफान पर पहà¥à¤à¤š जाता है
शाम के छह साढ़े छह बजे का समय चाय का नियत है, कà¥à¤› मेहमानों के पास अपनी निजी, और कà¥à¤› कैमà¥à¤ª वालों के पास, कà¥à¤² मिलकर इतनी छतरियां है कि सà¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤• करके हाल में पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ है | इस तरह के आयोजन का सबसे बड़ा लाठयह है कि आप केवल अपने निजी आवरण  में ही सिमटे नही रहते बलà¥à¤•ि अजनबी लोगो से मà¥à¤²à¤¾à¤•ात होती है, कà¥à¤› नठदोसà¥à¤¤ बनते है मोबाइल नमà¥à¤¬à¤° à¤à¥€ लिठदिठजाते है और फिर à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में रहने के वादे इरादे à¤à¥€! यूठतो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग गà¥à¤¡à¤—ाà¤à¤µ और दिलà¥à¤²à¥€ के ही है, शायद इनà¥à¤¹à¥€ जगहों पर सबसे अधिक रोजगार के साधनों का सृजन à¤à¥€ हà¥à¤† है जिसकी वजह से देश विदेश से हजारो लोग अपने परिवेश को छोड़ कर इन शहरों में आये है, और à¤à¤• सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ नये पà¥à¤°à¤•ार के  नवधनाढà¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¤® वरà¥à¤— का उदय हà¥à¤† है, जो 1990 से पहले की à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ था | और, फिर à¤à¤¸à¥‡ छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ के अवसर पर दो चार दिन अपने PG में पड़े रहने से, या माल में घूमने से बेहतर है कि इस तरह का परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ ही कर लिया जाये | à¤à¤• बड़ा सा समूह, à¤à¤¸à¥‡ ही लडके लडकियों का है, मगर वो अपनी ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में मगन है, उन सब की काटेज आस पास ही है, सो उनका अडà¥à¤¡à¤¾ वहीं जमा रहता है | अपने ही मà¥à¤¯à¥‚जिक सिसà¥à¤Ÿà¤® पर वो गाने लगा लेते है और नाचते रहते है | अपनी गिटार à¤à¥€ है, कà¤à¥€ कà¤à¥€ उस पर à¤à¥€ खà¥à¤¦ ही गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ रहते हैं, लडके हों या लडकियाà¤, सिगरेट और शराब के शौक़ीन है और कैमà¥à¤ª के सहयोग से इस सबकी अनवरत सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆ उनके लिठचालू है | à¤à¤• दूसरा गà¥à¤°à¥à¤ª दस लोगों का, दिलà¥à¤²à¥€ से है, जो à¤à¤• ही सà¥à¤•ूल से सन नबà¥à¤¬à¥‡ के पास आउट है, और अब सà¤à¥€ अलग अलग कारà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सलिंपà¥à¤¤ है | मगर उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय बात है कि वो आज à¤à¥€ à¤à¤• दूसरे के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में है | और, कà¤à¥€ कà¤à¥€  साथ बिताये गये, अपने उन गà¥à¤œà¤°à¥‡ लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को याद करने के लिà¤, अपने परिवारों से अलग à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाते रहते है | दिलà¥à¤²à¥€ से हैं, और अधिकतर पंजाबी हैं, सो शà¥à¤°à¥‚आती संकोच के बाद जब खà¥à¤²à¤¤à¥‡ हैं तो फिर इतना खà¥à¤² जाते हैं कि आप उनकी शाम की महफ़िल में ही अपने आप को जाम उठाये पाते है |

जहाठदिखा मैदान वहीं गेंद और बलà¥à¤²à¥‡ का संघरà¥à¤· शà¥à¤°à¥‚Â
इधर, बारिश का पà¥à¤°à¤•ोप यूठही अनवरत जारी है, चाय के बाद à¤à¤• फिर सब अपने अपने कमरों में कैद हो कर रह गये है | यहाठकी वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आठबजे के करीब सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« का à¤à¤• आदमी आप के कमरे में आपको सà¥à¤¨à¥ˆà¤•à¥à¤¸ दे जाता है, जिसमे पकोड़े à¤à¥€ है और निरामिष à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने वालों के लिये चिकन से बना कोई वà¥à¤¯à¤‚जन à¤à¥€ | अब हमारे गà¥à¤°à¥à¤ª में चूंकि दो तरह के लोग हैं तो हमे दो कैसरोल मिलते है | मानसून की घटाà¤à¤‚ यूठही बरस रही है à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि जैसे, इस दफा सारा मानसून सिमट कर पहाड़ों में ही रह गया है | बादल बरस रहें हैं और पहाड़ à¤à¥€à¤— à¤à¥€à¤— कर à¤à¥‚सà¥à¤–लन का शिकार हो रहे है, मगर मैदान यूठही रीते पड़े हैं | इस बरसते पानी की वजह से सà¤à¥€ मैदानी नदियाठउफान पर है | आपके कमरों में तो टीवी नही है, मगर हाल में à¤à¤• टीवी लगा है जिस पर मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ समाचार ही चलते रहते है,  या जब तक पारस जैसा कोई बचà¥à¤šà¤¾ रिमोट उठा कर अपनी पसंद का चैनल न ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ लगे | इसी बारिश के दौरान ही रात के à¤à¥‹à¤œà¤¨ का समय हो जाता है और फिर अपनी अपनी सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤°, à¤à¤• à¤à¤• कर सà¤à¥€ हाल में पहà¥à¤‚चना शà¥à¤°à¥‚ हो जाते हैं | दोपहर की तरह ही खाना है, फरà¥à¤• है तो सिरà¥à¤« इतना कि इस बार निरामिष खाने वालों के लिये चिकन है, तो मीठे में हलवा à¤à¥€ | रात का समय, बाहर अनवरत मूसलाधार बारिश, किसी मà¥à¤–à¥à¤¯ शहर और सढ़क से कोसो दूर… à¤à¤¸à¥‡ माहोल में आप खाने का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ ले रहे है और आपके समीप ही वो बरसाती नदी जोर शोर से बह रही है जो इस समय दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर तो नही हो रही मगर उसके अनवरत पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ की साकà¥à¤·à¥€ आपके कानो में पड़ने वाली उसकी वो चिरपरिचित सà¥à¤µà¤° लहरियाठहै, जो वायॠके à¤à¥‹à¤‚को के साथ आपके कानों से टकरा कर इस वातावरण को और रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ बना रही है |

अब समय है खाना खाने का और आने वाले कल की परà¥à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ का
खाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ आज के इस दिन की समापà¥à¤¤à¤¿ हो जाती है जो अपने आप में विविध रंग समेटे था | बारिश अà¤à¥€ à¤à¥€ जारी है और खाना खा चà¥à¤•े लोग à¤à¤• दूसरे को रातà¥à¤°à¥€ की शà¥à¤à¤•ामनाà¤à¤‚ देते हà¥à¤ अपने अपने काटेज में जा रहे है | हमने à¤à¥€ इस आशा के साथ अपनी काटेज का रà¥à¤– किया कि शायद कल का दिन, अपने आप में कà¥à¤› और खूबसूरत पल संजोये हà¥à¤¯à¥‡ हो, जो हमारी इस यातà¥à¤°à¤¾ को कà¥à¤› और à¤à¥€ यादगार, कà¥à¤› और à¤à¥€ मानीखेज़ बनाये …. तो à¤à¤• बार फिर जलà¥à¤¦ ही मिलेंगे अगले अंक में, à¤à¤• नये दिन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ के साथ…कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ
Dear Avtaar ji,
It is a very nice post , I am waiting for its next part. I am also from Himachal distt. Sirmour, but I never visit this place, So I congrates U and your troop members , So very nice and I hope you must give us knowledge to these untouch tourist places,
Once again all compliments to you,
Baldev swami
Thanx Baldev Swami ji for your nice words.
Its good to know that you belong to Sirmour itself.
I must say that this eastern part of Himachal is as beautiful as rest of the state but for some reasons it is less explored and so less popular compare to their other counterparts.
But I am quite hopeful that soon this place will too get its due.
Th
Sorry Baldev ji, before finishing my reply, it was published.
I wanted to say, thanx for your comment… :)
हसीन वादियो के धरातल पर दूर तक फैली हरियाली और उसका पोषण करती जीवनदायिनी नदियां जिनके मध्य एक अवतार जी सरीखा लेखक आ पहुंचा है अपनी स्याही में डूबी कलम की नोंक द्वारा इन्हे सजीव करने हेतु। आज यह खूबसूरत स्थल अपने भाग्य पर अवश्य ही गौरवान्वित हो रहा होगा।
अगले भाग की प्रतीक्षा में,
अरुण
Hi Arun
भाई, ऐसे शब्द मत लिखो कि हमे खुद आइना देखने में शर्म महसूस हो !
स्नेह अच्छा होता है, मगर वो हम जैसों का अहित भी कर सकता है यदि कहीं हमने इसे गलती से भी सच होने का भ्रम पाल लिया तो !
हिमाचल क्या पूरा हिमालय का क्षेत्र ही इन्तेहाई खूबसूरत है, और फिर इसे तो देवभूमि ही कहा गया है । अपने भाग्य के तो हम शुक्रगुजार हैं कि हमे इस पावन धरती पर कुछ समय गुजारने का अवसर मिला ।
अगली पोस्ट जल्द ही मिलेगी… आशा है कि तुम्हारा सहयोग यथावत मिलता रहेगा… :)
Good Review of Camp Roxx…Some Excellent Photos! Hope to read your continuing part very soon, Avtar Ji!
Thanks
Hi Anupam
Camp Rox is a good place to visit only for a couple of days, although some other places too exist in that part of the Himachal. Out of many, i will write on two of them in the subsequent posts.
Thanks for your comment… :)
अवतार जी बहुत ही उम्दा लेख लिखने के लिए बधाँई..
शहर के कंक्रीट के जंगल से निकल कर,काम -काज वगैरहा की टैंसन से दूर प्राकर्तिक वातावरण में रहना मन को सकुन देने वाला अहसास होता है.
Hi Sachin
निश्चित ही ऐसे पल आपको सकूं देते हैं, अत: मुझे इसके लिए ही यह शीर्षक उपयुक्त लगा –
दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है
ज़िन्दगी और कुछ भी नही तेरी मेरी कहानी है ।
( मनोज कुमार की फिल्म शोर का यह गीत तो आपने अवश्य सुना ही होगा )
धन्यवाद आपकी टिप्पणी और पोस्ट का मूल भाव पकड़ने के लिए… :)
अवतार जी,
बहुत सुन्दर लेख तथा सजीव चित्र. आपके लेखन के तो हम सदा से ही मुरीद हैं … बहुत उम्दा लेखन. प्रकृति की गोद में बिताए दो पल भी सचमुच बहुत ही सुकून दायक होते हैं. अगली कड़ियों का बेसब्री से इंतज़ार…..
धन्यवाद।
Hi Mukesh ji
धन्यवाद आपका, जो आपने इस पोस्ट को पसंद किया ।
आपकी टिप्पणी सदैव ही उत्साह वर्धक एवम प्रेरणादायी होती है ।
हिमाचल की दिलकश सुन्दरता के तो इस वर्ष आप स्वयम गवाह रहे हैं, फिर हमे तो वर्ष ऋतु में जाने का मौका मिला जब पहाड़ो का शबाब अपने शिखर पर होता है, और इस तरफ सैलानी भी अपेक्षाकृत कम ही होते हैं । सो सब कुछ अनदेखा, अनछुआ और अनजाना सा ही था।
चलिए, जल्द ही आपसे इसके अंक पर मिलते हैं, सम्भवत: 22 को ही… :)
Avtar Ji… Hello
As usual nicely and hardworking written up post with awesome & mind blowing pictures..
Keep it up..
Thanks
Hi ??
Mysterious pen name for anonymity, I must admit.
Thanks you like the post and the pics too.
I have to confess that the first three parts of it did not take much time and I prepared a rough draft of each one in a single go but the fourth one is extracting all the metal from me and above all my new laptop is with its doctors having all the data and pics in it. Leaving me in a lurch to do my work by the mobile.
Anyways, the journey continues and so do we…
Thanks once again…. ;)
अवतार सिंह हिमाचल के कैंप रोक्क्स में खो गये और लेख पढ़ने के बाद हम जैसे पाठक भी अपने आपको कभी यत्र तो कभी तत्र तलाश रहे हैं । अगर त्यागी जी का फोटो नहीं होता , तो शायद मैं ये दावे से कह सकता था कि सिंह साहिब इज अंडर सम इन्फ्लुएंस , वरना ऐसा विवरण जहाँ लहर और शिला (शीला नहीं, शिला ) का प्रणय चल रहा हो,ये सब सच नहीं हो सकता ।
आप फलसफा लेखक पहले हैं, और “यात्रा वृत्तांत लेखक” कहीं बाद में । बट कीप देम कमिंग , वी आर लभिंग (बिहार वाले लभ ही लिखतें हैं ) इट ।
Dear Nandan ji
You are right…., but u will will found that i am always with him in the journey of life.
Moreover i am more Ghumakkar then Avtaar ji…
I would like to say heartily thanks to you to start such a nice site and to compile a nice community of Ghumakkars.
Rgds
Tyafi Ji
I think, your comment is more for Nandan and less for me. So, he is the right person to acknowledge it.
But I do agree with you that, he provides us a wonderful platform to share our feelings.
Hi Nandan
एक बार फिर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार!
आपके लिखे से काफी हद तक सहमत हूँ, जब बीच रास्ते आपको खड्ड( मुझे उम्मीद है कि शायद आपकी तरफ बरसाती नदी के लिए इसका प्रयोग किया जाता है) और चश्मे(natural springs) मिल जाएँ वो भी यदा कदा नही अपितु बार बार तो कहीं न कहीं आपकी संवेदना का स्तर उससे जुड़ ही जाता है।
बाकी मुझे SS सर की प्रतिक्रिया का जरूर इन्तजार है क्यूंकि हिमाचल उनका भी प्रिय स्थान है, हाँ त्रिदेव जी ने बहुत हौसला अफजाई की है…
बाकि देखते हैं…
Sorry Nandan
The reply to your comment posted at the end. hope you will manage it… :)
Very nice Avtar ji.. Keep travel and writing. Good Luck