साथियों,
इस शà¥à¤°à¤‚खला की पिछली पोसà¥à¤Ÿ में मैंने आपलोगों को अपनी वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ तथा वहां के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ के बारे में बताया था। वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ से लौट कर हम लोग अपने अतिथि गृह में आकर खाना खाकर सो गठथे। अगले दिन यानी 23.10.2012 को हमें सà¥à¤¬à¤¹ आगरा के लिठनिकलना था। रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी हमें आगरा में अपने घर आने का आमंतà¥à¤°à¤£ देकर गठथे तथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें यह à¤à¥€ आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया था की वे à¤à¥€ अपने परिवार सहित हमारे साथ ताज महल देखने के लिठआयेंगे, यह हमारे लिठबहà¥à¤¤ ख़à¥à¤¶à¥€ की बात थी।
जाट देवता का हमसे मिलने आना:
घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ डॉट कॉम के à¤à¤• अनमोल रतà¥à¤¨ तथा अपनी हिनà¥à¤¦à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ कथाओं के माधà¥à¤¯à¤® से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ डॉट कॉम पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले हम सब के चहेते संदीप पंवार यानी जाट देवता से मेरी अकà¥à¤¸à¤° फ़ोन पर बातचीत होती रहती है। à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• बातचीत के दौर में मैंने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने इस पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ मथà¥à¤°à¤¾ आगरा वाराणसी टूर के बारे में बताया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ परिवार सहित आगरा आकर हमारे साथ ताजमहल देखने की इचà¥à¤›à¤¾ जताई, यह सà¥à¤¨à¤•र हम सà¤à¥€ को बड़ी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ वैसे जाट देवता पहले à¤à¥€ हमारे घर आ चà¥à¤•े हैं, और हम सà¤à¥€ (संसà¥à¤•ृति तथा शिवमॠà¤à¥€) उनसे बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ से परिचित तथा घà¥à¤²à¥‡ मिले हैं लेकिन उनके परिवार से मिलने का यह पहला मौका हमें मिलने वाला था अतः यह टूर हमारे लिठऔर à¤à¥€ ख़ास हो गया था। जाट देवता दिलà¥à¤²à¥€ से ताज à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ से आगरा पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाले थे, हमारी आपस में बात हो गई थी की जो पहले आगरा तथा ताजमहल पहà¥à¤à¤š जाà¤à¤—ा वो सबके लिà¤Â टिकिट ले लेगा।
सà¥à¤¬à¤¹ करीब सात बजे हम लोग सो कर उठे और साढ़े सात बजे तक तैयार होकर ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ में सवार होकर करीब आठबजे मथà¥à¤°à¤¾ के राजकीय बस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤• पहà¥à¤à¤š गà¤, हम जैसे ही ऑटो से उतरे हमें सामने ही आगरा जाने वाली बस दिखाई दे गई, हम दौड़ कर उसमें चढ़ गठऔर करीब दस बजे आगरा पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ आगरा में अपने पà¥à¤²à¤¾à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• हमें पहले रितेश गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जी के घर जाना था तथा वहां से उन लोगों के साथ ही ताज महल जाना था।
आगरा में उतर कर हमने à¤à¤• ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ लिया तथा औटो वाले को रितेश जी के घर का पता बताया, कà¥à¤› दस मिनट में हम रितेश जी के घर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ रितेश जी घर के सामने ही खड़े होकर हमारा इंतज़ार कर रहे थे, उनके घर हमारा बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया गया। रितेश जी की वाईफ तथा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से तो हम पहले ही मिल चà¥à¤•े थे, उनके यहाठदशहरा मानाने के लिठउनके दोनों छोटे à¤à¤¾à¤ˆ तथा उनके परिवार à¤à¥€ आये हà¥à¤ थे अतः हमें उन सबसे तथा रितेश जी के ममà¥à¤®à¥€ पापा से à¤à¥€ मिलने का मौका मिला। रितेश जी के परिवार से हमें इतना पà¥à¤¯à¤¾à¤° तथा सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ मिला जिसे हम कà¤à¥€ à¤à¥à¤²à¤¾ नहीं पायेंगे। रितेश जी को मिलकर चार à¤à¤¾à¤ˆ हैं, उनके परिवार को देखकर à¤à¤¸à¤¾ लगता है की जैसे दशरथ जी के चार पà¥à¤¤à¥à¤° हों, सà¤à¥€ में आपस में à¤à¥€ बड़ा पà¥à¤°à¥‡à¤® देखने को मिला।
रितेश जी ने हमें बताया की जाट देवता ताज महल पहà¥à¤à¤š गठहैं तथा पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ टिकिट लेकर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं। रितेश जी के यहाठचाय तथा नाशà¥à¤¤à¥‡ का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था। रितेश जी की कà¥à¤¶à¤²Â अरà¥à¤§à¤¾à¤‚गिनी रशà¥à¤®à¤¿ ने कब नाशà¥à¤¤à¥‡ के पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® को खाने में बदल दिया हमें पता ही नहीं चला। अब हम जलà¥à¤¦ से जलà¥à¤¦ ताज महल के लिठनिकलना चाह रहे थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहां जाट देवता तथा उनका परिवार हमारा इंतज़ार कर रहा था. हमारे साथ रितेश जी के दो छोटे à¤à¤¾à¤ˆ तथा उनके परिवार à¤à¥€ जानेवाले थे और इतने लोग à¤à¤•साथ नहीं जा सकते थे, अतः हम लोगों ने à¤à¤• रिकà¥à¤¶à¤¾ कर लिया जीसमें आधे लोग बैठगठतथा बाकी लोग रितेश जी की कार में सवार हो गà¤à¥¤
कà¥à¤› ही देर में हम लोग ताज महल के परिसर में थे. ताज महल परिसर में ताज महल के मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶Â दà¥à¤µà¤¾à¤° तक ले जाने के लिठबहà¥à¤¤ ही अलग अलग तरह के वहां उपलबà¥à¤§ थे जैसे बेटरी चालित गाड़ियां, घोड़ा गाड़ियां, तांगे आदि। ताज महल को पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ से बचाने के लिठयहाठपर परिसर में पेटà¥à¤°à¥‹à¤² डीजल से चलने वाले वहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित हैं अतः यहाठकेवल बेटरी से चलने वाले वहां ही दिखाई देते हैं।
कà¥à¤› दूर पैदल चलने के बाद अब हम ताज महल के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के करीब पहà¥à¤à¤š गठथे। अब यहाठपहà¥à¤à¤š कर हमें जाट देवता को ढूà¤à¤¢à¤¨à¤¾ था, मैंने कविता को कहा की यहाठजो कोई सफ़ेद कपडे की गोल टोपी में दिखाई दे समà¤à¤¨à¤¾ वह संदीप जी ही हैं। और सचमà¥à¤šÂ जहाठहमें जाट देवता दिखाई दिठजो जोर जोर से हाथ हिला कर हमें इशारा कर रहे थे, और उस समय अपनी चिर परिचित सफ़ेद टोपी पहने हà¥à¤ थे। जब हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा तो हमारी ख़à¥à¤¶à¥€ का ठिकाना ही नहीं रहा, और पास आते ही रितेश जी तथा मैं बारी बरी से उनसे गले मिले। बड़ा ही यादगार पल था वह, जिसे शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बयान करना मà¥à¤¶à¥à¤•िल हैं, बस इतना ही कह सकता हूठकी हम चार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ à¤à¤• साथ खड़े थे और इससे ख़à¥à¤¶à¥€ की बात और कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है। और सिरà¥à¤« चार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ ही नहीं चारों के परिवार à¤à¥€ à¤à¤• ही जगह à¤à¤• साथ थे। बस हमें अफ़सोस इस बात का था की संदीप जी को हमारे लिठताज महल में करीब डेढ़ घंटा इंतज़ार करना पड़ा था।

घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों की टोली – रितेश, मà¥à¤•ेश à¤à¤µà¤‚ जाट देवता
ताजमहल का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठ20 रॠतथा विदेशी यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठ750 रॠथा। अब चूà¤à¤•ि हमारे लिठटिकिट तो जाट देवता ने पहले से ही ले रखे थे अतः हमें सीधे लाइन में लगना था, संदीप ने सबको अपने अपने टिकिट दे दिठथे। लाइन में कà¥à¤› देर की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ तथा सिकà¥à¤¯à¥‚रिटी चेकिंग के बाद अब हम ताज महल के मà¥à¤–à¥à¤¯ परिसर के अनà¥à¤¦à¤° थे, तथा हमें सामने ही ताज महल के गारà¥à¤¡à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ का बड़ा सा दरवाज़ा दिखाई दिया। यहाठहम तीनों परिवारों ने मिलकर इस पल को यादगार बनाने के लिठखूब जम के फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ की।

ताज महल के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की फौज
अब हम उस दरवाज़े में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गठजिसके अनà¥à¤¦à¤° घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही हमें ताजमहल का पहला दीदार होनेवाला था. जैसे ही हमने दरवाज़े में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया, हमारे सामने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सबसे ख़ूबसूरत ईमारत खड़ी थी, जिसे बचपन से आज तक सिरà¥à¤« सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ या पढ़ते आये थे। शाशà¥à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® की अमीट निशानी तथा दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सात आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में शà¥à¤®à¤¾à¤° ताज महल अब हमारे सामने थे, जिसे देखकर à¤à¤• पल के लिठमैं सà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§, निःशबà¥à¤¦ तथा समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ हो गया था।

जाट देवता अपने परिवार के साथ, साथ में हमारा शिवमॠà¤à¥€.
ताजमहल आगरा, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ राजà¥à¤¯, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। (निरà¥à¤®à¤¾à¤£- सनॠ1632 से 1653 ई.)। ताजमहल आगरा शहर के बाहरी इलाके में यमà¥à¤¨à¤¾ नदी के दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ तट पर बना हà¥à¤† है। ताजमहल मà¥à¤—़ल शासन की सबसे पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• है। सफ़ेद संगमरमर की यह कृति संसार à¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है और परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के आकरà¥à¤·à¤£ का मà¥à¤–à¥à¤¯ केंनà¥à¤¦à¥à¤° है। ताजमहल विशà¥â€à¤µ के सात आशà¥â€à¤šà¤°à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। ताजमहल à¤à¤• महान शासक का अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ रानी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® का अदà¥à¤à¥à¤¤ शाहकार है। ताजमहल का सबसे मनमोहक और सà¥à¤‚दर दृशà¥â€à¤¯ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ की रात को दिखाई देता है।
मà¥à¤—़ल बादशाह शाहजहाठने ताजमहल को अपनी पतà¥à¤¨à¥€ अरà¥à¤œà¥à¤®à¤‚द बानो बेगम, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œà¤¼ महल à¤à¥€ कहा जाता था, की याद में बनवाया था। ताजमहल को शाहजहाठने मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œà¤¼ महल की क़बà¥à¤° के ऊपर बनवाया था। मृतà¥à¤¯à¥ के बाद शाहजहाठको à¤à¥€ वहीं दफ़नाया गया। मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œà¤¼ महल के नाम पर ही इस मक़बरे का नाम ताजमहल पड़ा। सनॠ1612 ई. में निकाह के बाद 1631 में पà¥à¤°à¤¸à¥‚ति के दौरान बà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤¨à¤ªà¥à¤° में मृतà¥à¤¯à¥ होने तक अरà¥à¤œà¥à¤®à¤‚द शाहजहाठकी अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ संगिनी बनी रहीं। मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œà¤¼ महल के रहने के लिठदिवंगत रानी के नाम पर मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œà¤¼à¤¾ बाद बनाया गया, जिसे अब ताज गंज कहते हैं और यह à¤à¥€ इसके नज़दीक निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया था।
ताजमहज मà¥à¤—़ल वासà¥â€à¤¤à¥à¤•ला का उतà¥â€à¤•ृषà¥â€à¤Ÿ नमूना है। ताजमहल के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में फ़ारसी, तà¥à¤°à¥à¤•, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ तथा इसà¥â€à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• वासà¥â€à¤¤à¥à¤•ला का सà¥à¤‚दर समà¥à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤£ किया गया है। 1983 ई. में ताजमहल को यूनेसà¥â€à¤•ो विशà¥â€à¤µ धरोहर सà¥â€à¤¥à¤² घोषित किया गया। ताजमहल को à¤à¤¾à¤°à¤¤ की इसà¥â€à¤²à¤¾à¤®à¥€ कला का रतà¥à¤¨ à¤à¥€ घोषित किया गया है। ताजमहल का शà¥â€à¤µà¥‡à¤¤ गà¥à¤®à¥â€à¤¬à¤¦ à¤à¤µà¤‚ टाइल आकार में संगमरमर से ढका केनà¥â€à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ मक़बरा वासà¥â€à¤¤à¥ सौंदरà¥à¤¯ का अपà¥à¤°à¤¿à¤¤à¤® उदाहरण है।
ताज महल को अपनी आà¤à¤–ों से कà¥à¤› देर निहारने के बाद अब à¤à¤¸à¤¾ लग रहा की जितनी अधिक मातà¥à¤°à¤¾ में हो सके इस सौंदरà¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ को अपने कैमरे में à¤à¥€ कैद कर लिया जाठअतः मैं बेतहाशा अपने परिवार के साथ तथा अकेले ताज महल के फोटो लिठजा रहा था। कà¥à¤› फोटो हमने वहां घूम रहे ततà¥à¤•ाल फोटो देने वाले फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ खिंचवाà¤à¥¤ आज मैंने सिरà¥à¤« ताज महल के सामने करीब दो सौ पचास फ़ोटोज़ खींचे, जो मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अब तक à¤à¤• ही जगह के खींचे गठफ़ोटोज़ में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• हैं।
ताज महल में करीब दो घंटे बिताने तथा इसे जी à¤à¤° कर निहार लेने के बाद अब हम सब निकल पड़े अपने अगले पड़ाव यानी आगरा के लाल किले की ओर। कà¥à¤› लोग पहले की तरह रितेश जी की कार में तथा बाकि लोग à¤à¤• तांगा में सवार हो गà¤à¥¤ कà¥à¤› ही देर के बाद अब हम लोग आगरा के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ लाल किले के सामने थे।
लाल किले में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ टिकिट लेने के लिठजाट देवता ही आगे आये। थोड़ी सी मशकà¥à¤•त के बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम सबके लिठटिकिट मिल गईं थीं। अब हम लोग लाल किले में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•े थे। यहाठहमने जानकारी के अà¤à¤¾à¤µ के कारण à¤à¤• गाइड कर लिया था, जो हमने बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¥‡ तरीके से किले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हर à¤à¤• चीज़ की जानकारी दे रहा था।
आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताबà¥â€à¤¦à¥€ में बना महतà¥â€à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मà¥à¤—़ल सà¥â€à¤®à¤¾à¤°à¤• है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ है। यह शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ क़िला लाल सैंड सà¥â€à¤Ÿà¥‹à¤¨ से बना हà¥à¤† है। यह 2.5 किलोमीटर लमà¥â€à¤¬à¥€ दीवार से घिरा हà¥à¤† है। यह मà¥à¤—़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मज़बूत दीवारें अपने अंदर à¤à¤• सà¥â€à¤µà¤°à¥à¤— को छà¥à¤ªà¤¾à¤ हैं। इस क़िले में अनेक विशिषà¥â€à¤Ÿ à¤à¤µà¤¨ हैं।
आगरा के क़िले का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ 1656 के लगà¤à¤— शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था। इसकी संरचना मà¥à¤—़ल बादशाह अकबर ने निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करवाई थी। इसके बाद का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ उनके पोते शाहजहाठने कराया। शाहजहाठने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अरà¥à¤§ चंदà¥à¤°à¤¾à¤•ार बना हà¥à¤† है जो पूरà¥à¤µ की दिशा में चपटा है और इसकी à¤à¤• सीधी और लमà¥â€à¤¬à¥€ दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडसà¥â€à¤Ÿà¥‹à¤¨ की दोहरी पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤° बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। à¤à¤• और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरà¥à¤¨à¥€ दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा यमà¥à¤¨à¤¾ नदी की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मà¥à¤–à¥â€à¤¯ अकà¥à¤· नदी के समानानà¥â€à¤¤à¤° है और दीवारें शहर की ओर हैं
इस किले में सबसे रोचक जगह मà¥à¤à¥‡ वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ (मोती महल) लगा जहाठऔरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाठको सात साल के लिठकैद कर रखा था। इस कमरे में à¤à¤• à¤à¤°à¥‹à¤‚खा है जहां से ताज महल सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई देता है तथा अपनी कैद के सात वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक शाहजहाठअपनी इस अनमोल कृति ताज महल को निहारते रहते थे तथा अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ बेगम मà¥à¤®à¤¤à¤¾à¤œ महल को याद करते रहते थे।  यहाठमोती महल में शाहजहाठकी सबसे बड़ी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जहाठआरा उनके अंतिम समय में उनकी देख à¤à¤¾à¤² किया करती थी।

लाल किले के à¤à¤• à¤à¤°à¥‹à¤–े से से दिखाई देता आगरा का बाहरी दृशà¥à¤¯ ………………दूर दिखाई दे रहा ताज महल

लाल किले से दिखाई देता आगरा का बाहरी दृशà¥à¤¯ ………………दूर दिखाई दे रहा ताज महल

मोती महल, जहाठऔरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाठको सात वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक कैद रखा

मीना बाज़ार जहाठमहल की सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठआà¤à¥‚षणों का बाज़ार लगता था

दीवाने आम सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बादशाह के बैठने का तखत
आगरा के किले की सà¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जगहें देखने के बाद अंत में हम लोग दीवाने आम के सामने पहà¥à¤‚चे जहाठआगरा के बादशाह अपनी जनता से मà¥à¤–ातिब होते थे तथा जहाठदरबार लगा करता था। यहाठसामने ही à¤à¤• सà¥à¤‚दर सा गारà¥à¤¡à¤¨ है जहाठहम सब काफी देर तक बैठे।
बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ समय आगरा के किले में बिताने के बाद हम किले से बाहर आ गà¤à¥¤ बहार निकल कर जाट देवता अपने परिवार के साथ मथà¥à¤°à¤¾ निकल गà¤, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मथà¥à¤°à¤¾ दरà¥à¤¶à¤¨ करना था, और हमने रात साढ़े आठ बजे वाराणसी के लिठटà¥à¤°à¥‡à¤¨ पकडनी थी।
हमारा सामान रितेश जी के यहाठही था अतः रितेश जी ने हमसे कहा की आप सब लोग घर चलो, फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होकर खाना वगैरह खा कर निकल जाना कà¥à¤› देर में रशà¥à¤®à¤¿ जी का à¤à¥€ फ़ोन आ गया की आप सब लोग खाना खा कर ही जाना, अतः हम सब à¤à¤• ऑटो पकड़कर à¤à¤• बार फिर रितेश जी के घर की और चल दिà¤à¥¤à¤‡à¤¸ तरह हमारे शाम के खाने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ रितेश जी के ही यहाठहो गई। खाना बड़ा ही सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था, और हम लोग तीन चार दिन के बाद घर का खाना खा रहे थे अतः हमारे लिठयह खाना और à¤à¥€ सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤² था, और तो और रशà¥à¤®à¤¿ जी ने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठरात के लिठà¤à¥€ खाना पैक कर दिया। उनके इस सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ को हम कà¤à¥€ à¤à¥à¤²à¤¾ नहीं पायेंगे।
खाना खाकर à¤à¤µà¤‚ रात के सफ़र के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कपडे चेंज करके हम सब अब आगरा फोरà¥à¤Ÿ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के लिठऑटो लेकर चल पड़े।
हमने तो चूà¤à¤•ि आगरा का पेठा के दो पैकेट रितेश जी की ओर  से गिफà¥à¤Ÿ मिले थे, अतः सासू माठसà¥à¤µà¤¯à¤‚ के लिठआगरे का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ खरीदना चाह रही थी। ऑटो वाले को à¤à¤• दूकान पर रोक कर हमने उनके लिठपेठा खरीद और कà¥à¤› ही देर में सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ अपने नियत समय पर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर आ गई और हम à¤à¥€ फटाफट उसमें सवार हो गठतथा अपनी अपनी बरà¥à¤¥ पर लेट गà¤à¥¤
ये तो था हमारे आगरा टूर का हाल, आगे वाराणसी के हाल जानने के लिठअगले रविवार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर लोग ओन करना न à¤à¥‚लें ………………….तब तक के लिठबाय।
 
    

















 
                
मुकेश जी ताजमहल कितनी भी बार घूम आएँ मन नहीं भरता, यह ईमारत है ही इतनी आकर्षक . अपने अच बयां किया है, तीन घुमक्कड़ो की इकट्ठे फोटो देख कर बहुत अछा लगा। सभी फोटोग्राफ बहुत सुंदर आये हैं।
देसी ट्रेवलर जी,
आपने बिलकुल सही कहा ताज महल सचमुच बहुत सुन्दर ईमारत है। आपको लेख तथा फोटोग्राफ पसंद आये, मेरे लिए बड़ी ही ख़ुशी की बात है।
धन्यवाद्।
Mukesh it was decent travelogue. the foto of four ghumakkars together is memorable. I asked you in my last comment too as to why you came so near to Delhi but still left it…any reason ?
इक शहंशाह ने बनवा के हंसी ताजमहल
हम गरीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मजाकय..LOL
साइलेंट जी,
बहुत दिनों के बाद आपकी कमेन्ट पढ़कर मज़ा आ गया। प्रोफाइल पिक्चर में आपका नया अवतार बहुत अच्छा लग रहा है। पोस्ट को पसंद करने तथा हौसला अफजाई का शुक्रिया। जहाँ तक दिल्ली न आने का सवाल है तो सच बात तो ये है की मैंने कभी दिल्ली के बारे में पर्यटन की दृष्टि से सोचा ही नहीं। चलिए कोई बात नहीं …………..फिर कभी कोशिश करेंगे दिल्ली देखने की।
अभी तो दिल्ली की उस शर्मनाक तथा खौफनाक घटना की वजह से टीवी, अखबार हर जगह सिर्फ दिल्ली दिल्ली की ही गूंज सुनाई दे रही है।
Thoroughly enjoyed this post, Mukesh. Not because of just the Taj Mahal but because ek jagah par jamaa hai chaaron…It felt like we were enjoying the Taj along with Jatdevta, Ritesh, Kavitaji and you for company. It must have been an awesome experience for all of you. The pictures of Taj are always special but the pictures of Moti Mahal and Lal Qila came out really well and was evocative of the days when the Mughals were the amongst the mightiest emperors in the entire world. Thanks for the pleasure.
DL ji,
Thank you very much for your thoughtful and lovely comment. Yes really it was an awesome experience to meet Jat Devta and Ritesh.
Thanks.
मुकेश , कमाल का लेख रहा ये क्योंके सभी घुमक्कड़ परिवार समेत एक साथ और वो भी ‘ताज महल’ के ठीक सामने । घुमक्कड़ .कॉम की खुशकिस्मती है । अगली बार इस तरफ आयें तो दिल्ली की और भी रुख रखें । फ़ोन पर काफी बातें हो गयीं ।
@ डी एल – फिल्म “शराबी”, बोल है “अनजान” के , संगीत दिया है बप्पी दा और फरमाइश है, वाईजाग से डी एल,धार से मुकेश भालसे , कविता भालसे , शिवम् और संस्कृति भालसे, बम्बई से विशाल राठौर सोनाली राठौर और आर्या राठौर, बम्बई से ही निशा झा, गीता अ म और सभी कलाकार गण । आइसलैंड से तिवारी जी और उनके सभी बर्फीले साथी , न्यू जेर्सी से प्रवीण वाधवा, कनेडा से शर्मा जी और उनका समस्त परिवार, आगरा से रीतेश, रश्मि, अंशिता, अक्षत और उनके चाचा ताऊ , गुडगाँव से अमिताव , फरीदाबाद से महेश, मुज़फ्फरनगर बुढाना से मनु त्यागी, रांची से मनीष कुमार , दिल्ली से संदीप जाटदेवता , विभा मल्होत्रा, विपिन , औरो , बिदिशा, वसंत और शुभम । नॉएडा / गाजिआबाद से नंदन झा , मनीष – जयश्री – रचित और तन्मय खमेसरा , बैंगलोर से अर्चना , देसी त्रवेलेर । अरब से डॉक्टर ताहिर और सबके प्यारे सहारनपुर से शूशांत साहब ।
नंदन,
प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद। आपके आमंत्रण को पढ़कर तो ऐसा लग रहा की बस कल ही निजामुद्दीन पकड़कर दिल्ली चला जाए। खैर, जज़्बातों को काबू में रखते हुए …………….अगली किसी ट्रिप में दिल्ली को शामिल करने के कोशिश अवश्य की जायेगी।
फरमाईशियों की लिस्ट बनाने में आपने कोई कसर नहीं छोड़ी …………….मान गए उस्ताद।
बहुत ही शानदार यात्रा विवरण, मातृ भाषा (हिन्दी) में कोई भी यात्रा वर्णन पढ़ कर ऐसा ही लगता है कि जैसे हम कोई फ़िल्म ही देख रहे हो। वैसे मैंने कई साल पहले यह स्थल देखा था, परिवार को पहली बार लेकर आया था।
मुकेश भाई वैसे अपुन के पास बहुत मौके आये है जिसमें मैं नेट के जरिये जान पहचान बनाये दोस्तों से मिला हूँ, मनु, विपिन, विशाल, मुकेश, नीरज, से तो दो बार या उससे ज्यादा बार मिल ही चुका हूँ, प्रवीण गुप्ता जी से भी जल्द ही मुलाकात होने वाली है।
नन्दन व तिवारी जी से मुलाकात होते-होते रह गयी, मैंने व नीरज ने पहले से ही यह सोचा हुआ था कि जब तिवारी जी भारत आयेंगे तो उनसे मुलाकात करुँगा लेकिन वह बिन बताये नीरज के यहाँ जा पहुँचे, उसके बाद वहाँ से किया, टेलीफ़ून कि पहचानो कौन? पहले तो आवाज पहचान में नी आयी, लेकिन जब मैने कहा कि कुछ हिन्ट दो, तब त्रिदेव चरण जी ने मुझसे बात की तो मैं समझ गया कि कौन है? खैर ऊपर वाले की मर्जी।
नये साल पर गोवा से आने के बाद नन्दन से शायद मुलाकात सम्भव है। क्यों नन्दन जी क्या कहते हो?
हे जाट देवता,
घुमक्कड़ी के महाप्रभु। आपकी कलम से प्रशंसा के शब्द सुनकर ह्रदय प्रसन्नता से भर उठा। आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है की भविष्य में भी इसी तरह हौसला बढाते रहेंगे।
धन्यवाद।
इंशा अल्लाह ।
जाट देवता आप नंदन जी से कहां मुलाकात करने वाले हैं, हो सके तो कैनेडा स्टाइल में फिक्स कर लो, डेट Jan 26, लोकेशन पंजाबी होटल, सेक्टर 17 फ़रीदाबाद, लंच, एवरीवन इनवाईटड एंड पेड योर ओन लंच। कृपया अपनी हाज़री सूचित करें।
@नंदन जी फरमाइश में नाम शामिल करने का धन्यवाद .
सुरेन्द्र जी आपके साथ भी तो मुलाकात करनी है, चलिये आपका इन्तजार करेंगे, उसके साथ ही नन्दन से भी मुलाकात होगी। आप कब आ रहे है?
वाह भई वाह…घुमक्कड़ टोली फिर एक साथ…मजा आ गया. घुमक्कड़ों के मिलने की ख़ुशी सबके चेहरे पर साफ़ झलकती है…सुरिंदर जी का सुझाव एक छोटी घुमक्कड़ मीट को हवा देता सा लगता है…:)…
ताज के तो कहने ही क्या लाजवाब, आप सबकी एक साथ उपस्थिति से चार चाँद लग गए इस पर…बढ़िया विवरण और खुबसूरत फोटोज, मुकेश जी…उपरवाले से दुआ है घुमक्कड़ ऐसे ही साथ घुमक्कड़ी करते रहें और घुमक्कड़ तो सार्थक बनाते रहें!
विपिन,
आपकी इस मनभावन टिप्पणी के लिए ढेरों धन्यवाद। घुमक्कड़ों को एक साथ देखकर आपको मज़ा आया, तो सोचिये हमें साक्षात् मिलन पर कितने आनंद आया होगा? उपरवाले से प्यारी सी दुआ के लिए आपको धन्यवाद।
मुकेश जी,
बहुत सुंदर परस्तुती, फोटो बहुत अच्छे हैं। यह कहना मुश्किल है, आप का आलेख ज्यादा सुंदर है या ताज?
धन्यवाद
सुरेन्द्र शर्मा जी,
आपकी इस उम्दा टिप्पणी के लिए धन्यवाद। मेरे लेख की तुलना ताजमहल से करके आपने ” बैठा दिया फ़लक पे मुझे ख़ाक से उठा के” ………………
Taj Mahal is such an obvious place after all but your post made it very special again.
Praveen ji,
Your comment is very special for me. Thanks for such sweet words.
Beautiful pictures and ultimate description. One of the best ones from you. Taj Mahal is very beautiful . Red fort is a also a classy monument. I wanted to see Yamuna in Agra also.
Thank you very much Vishal for your encouraging words. You are right both Taj mahal and Red fort and worth seeing. I regret for not capturing Yamuna in Agra, but as far as I recollect the yamuna was almost dried near Taj Mahal when we visited here.
Thanks.
मुकेश जी….
सर्वप्रथम इस लेख को अपने मातृ भाषा हिंदी में लिखने के लिए आपका धन्यवाद ….| आपने ताजमहल , लालकिला और हम सब घुमक्कड़ के बारे में आपकी अभिव्यक्ति पढ़कर गदगद हो गया ….| आपका यह लेख बहुत ही शानदार और फोटो उससे भी शानदार लगे….ताजमहल और लालकिला जगह ही जो ऐसी है | हम तो प्रतिदिन इन शानदार इमारतो को देखते ही रहते हैं….पर आपने पहली बार देख कर जो अभिव्यक्ति की वो बहुत बढ़िया लगी…..
लेख पढ़कर आपके और जाट देवता के साथ बिताए एक एक पल को फिर से याद किया और आपने लेख लिखकर उसे हमेशा के लिए अंतर्जाल में संजो दिया हैं ….| मेरे लिए भी आप और संदीप जी से मोहब्बत की नगरी आगरा में मिलना मेरे लिए बहुत ही सुखद और यादकर अनुभव रहा हैं……|
धन्यवाद’
बहोत ही सुंदर और मनमोहक पोस्ट. आगरा का ताजमहल सचमुच भारत की शान है. इसके लिये तो यही शब्द निकलते हैं…..वाह ताज……. सभी फोटो बहोत ही सुंदर लगे.
आपके अगले यात्रा वर्णन के इंतजार में
अशीष मिश्रा
मुकेश जी, पढ़कर और देखकर वास्तव मैं बहुत अच्छा लगा। फतेहपुर सीकरी भी पास ही था तो आपको वहा भी जाना चाहिए था। वो भी बहुत अच्छी जगह है। आपके लिखने का तरीका और फोटो प्रेजेंटेशन गज़ब है। उम्मीद है आगे और भी बहुत कुछ पढने और देखने को मिलेगा . धन्यवाद।
Hi Mukesh,
Very nice post and this post has lots of personal touch…meeting friends…travelling together…might not ever happened/possible if this platform is not there…even reading the comments is such a wonderful joy for me…thank you for the same, Nandan and to all of you.
Unfortunately, I am a bit late in reading the post(s), published in last couple of weeks, as my laptop’s hard disk had conked-off suddenly and recovering all the data took sometime…I know it will be a good weekend for me to read those posts.
I visited Taj end number of times since I came here and stop counting now. During bachelor days, whenever anyone visited office from outstations and wanted to visit Taj, they used to ask me to accompany them and I didn’t want to waste the chance…and now every year, whenever we have guests from Kolkata…we land-up to Agra for a day or two…it’s such a beautiful place that you can go there again and again…
सुंदर लेखन एवं परस्तुतीकरण . आपका लेख पढ़ कर यादें ताजा हो गयी . लग रहा था कि तुम्हारे साथ -साथ हम भी घूम रहे हैं . मैं पढने में थोडा लेट हो गया . उम्मीद है आगे कशी में और भी बहुत कुछ पढने और देखने को मिलेगा . धन्यवाद।
Hi Mukesh,
Nice to see all Ghumakkars together.
Everytime I see a post on Taj Mahal, I kick myself for never being there!
Thanks.
Hi Mukesh ji, I was just writing my post on Taj for Ghummakar, and saw your post on Taj. Excellent detailing and beautiful pics , congratulations for that!!!
You made it very difficult for me to write on Taj as you covered all the details about it. I think, now I have to revisit on my writing to match with yours. Everything about it have been written by you….. and even one couplet which I mentioned in my post already written by Mr. Silent soul……
The number of comments on your post prove your popularity. Congratulations for writing such a nice detailed post. .
bahut khub mukesh ji aap logo yatra ka ye blog padker hame hamari agra ki yaadein taaza ho gayi aise hamesha blog par likha kare thank u sir
Dear Mukesh Ji,
I am planning to visit Agra shortly. Your this post has answered many of our queries.
Great post with very beautiful pics.
Keep writing…
Regds
Thank you very much Pravesh for going through and liking my post. Yes, I believe every one should see Taj at least once in his lifetime. It’s ultimate.
Thanks,