ताजमहल- बेपनाह मोहब्बत की अनमोल निशानी ……………

साथियों,
इस श्रंखला की पिछली पोस्ट में मैंने आपलोगों को अपनी वृन्दावन यात्रा तथा वहां के अनुभवों के बारे में बताया था। वृन्दावन से लौट कर हम लोग अपने अतिथि गृह में आकर खाना खाकर सो गए थे। अगले दिन यानी 23.10.2012 को हमें सुबह आगरा के लिए निकलना था। रितेश गुप्ता जी हमें आगरा में अपने घर आने का आमंत्रण देकर गए थे तथा उन्होंने हमें यह भी आश्वासन दिया था की वे भी अपने परिवार सहित हमारे साथ ताज महल देखने के लिए आयेंगे, यह हमारे लिए बहुत ख़ुशी की बात थी।

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ख़ूबसूरत ताज महल

जाट देवता का हमसे मिलने आना:

घुमक्कड़ डॉट कॉम के एक अनमोल रत्न तथा अपनी हिन्दी यात्रा कथाओं के माध्यम से घुमक्कड़ डॉट कॉम पर अपनी अलग पहचान बनाने वाले हम सब के चहेते संदीप पंवार यानी जाट देवता से मेरी अक्सर फ़ोन पर बातचीत होती रहती है। ऐसी ही एक बातचीत के दौर में मैंने उन्हें अपने इस प्रस्तावित मथुरा आगरा वाराणसी टूर के बारे में बताया तो उन्होंने भी परिवार सहित आगरा आकर हमारे साथ ताजमहल देखने की इच्छा जताई, यह सुनकर हम सभी को बड़ी प्रसन्नता हुई। वैसे जाट देवता पहले भी हमारे घर आ चुके हैं, और हम सभी (संस्कृति तथा शिवम् भी) उनसे बहुत अच्छे से परिचित तथा घुले मिले हैं लेकिन उनके परिवार से मिलने का यह पहला मौका हमें मिलने वाला था अतः यह टूर हमारे लिए और भी ख़ास हो गया था। जाट देवता दिल्ली से ताज एक्सप्रेस से आगरा पहुँचने वाले थे, हमारी आपस में बात हो गई थी की जो पहले आगरा तथा ताजमहल पहुँच जाएगा वो सबके लिए टिकिट ले लेगा।

सुबह करीब सात बजे हम लोग सो कर उठे और साढ़े सात बजे तक तैयार होकर ऑटो रिक्शा में सवार होकर करीब आठ बजे मथुरा के राजकीय बस स्थानक पहुँच गए, हम जैसे ही ऑटो से उतरे हमें सामने ही आगरा जाने वाली बस दिखाई दे गई, हम दौड़ कर उसमें चढ़ गए और करीब दस बजे आगरा पहुँच गए। आगरा में अपने प्लान के मुताबिक हमें पहले रितेश गुप्ता जी के घर जाना था तथा वहां से उन लोगों के साथ ही ताज महल जाना था।

आगरा में उतर कर हमने एक ऑटो रिक्शा लिया तथा औटो वाले को रितेश जी के घर का पता बताया, कुछ दस मिनट में हम रितेश जी के घर पहुँच गए। रितेश जी घर के सामने ही खड़े होकर हमारा इंतज़ार कर रहे थे, उनके घर हमारा बहुत ही अच्छा स्वागत किया गया। रितेश जी की वाईफ तथा बच्चों से तो हम पहले ही मिल चुके थे, उनके यहाँ दशहरा मानाने के लिए उनके दोनों छोटे भाई तथा उनके परिवार भी आये हुए थे अतः हमें उन सबसे तथा रितेश जी के मम्मी पापा से भी मिलने का मौका मिला। रितेश जी के परिवार से हमें इतना प्यार तथा स्नेह मिला जिसे हम कभी भुला नहीं पायेंगे। रितेश जी को मिलकर चार भाई हैं, उनके परिवार को देखकर ऐसा लगता है की जैसे दशरथ जी के चार पुत्र हों, सभी में आपस में भी बड़ा प्रेम देखने को मिला।

रितेश जी ने हमें बताया की जाट देवता ताज महल पहुँच गए हैं तथा प्रवेश टिकिट लेकर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं। रितेश जी के यहाँ चाय तथा नाश्ते का प्रोग्राम था। रितेश जी की कुशल अर्धांगिनी रश्मि ने कब नाश्ते के प्रोग्राम को खाने में बदल दिया हमें पता ही नहीं चला। अब हम जल्द से जल्द ताज महल के लिए निकलना चाह रहे थे क्योंकि वहां जाट देवता तथा उनका परिवार हमारा इंतज़ार कर रहा था. हमारे साथ रितेश जी के दो छोटे भाई तथा उनके परिवार भी जानेवाले थे और इतने लोग एकसाथ नहीं जा सकते थे, अतः हम लोगों ने एक रिक्शा कर लिया जीसमें आधे लोग बैठ गए तथा बाकी लोग रितेश जी की कार में सवार हो गए।

कुछ ही देर में हम लोग ताज महल के परिसर में थे. ताज महल परिसर में ताज महल के मुख्य प्रवेश द्वार तक ले जाने के लिए बहुत ही अलग अलग तरह के वहां उपलब्ध थे जैसे बेटरी चालित गाड़ियां, घोड़ा गाड़ियां, तांगे आदि। ताज महल को प्रदुषण से बचाने के लिए यहाँ पर परिसर में पेट्रोल डीजल से चलने वाले वहां प्रतिबंधित हैं अतः यहाँ केवल बेटरी से चलने वाले वहां ही दिखाई देते हैं।

ताज महल परिसर में बैटरी चलित वाहन

ताज महल परिसर में बैटरी चलित वाहन

ताज महल की ओर बढ़ते कदम

ताज महल की ओर बढ़ते कदम

कुछ दूर पैदल चलने के बाद अब हम ताज महल के प्रवेश द्वार के करीब पहुँच गए थे। अब यहाँ पहुँच कर हमें जाट देवता को ढूँढना था, मैंने कविता को कहा की यहाँ जो कोई सफ़ेद कपडे की गोल टोपी में दिखाई दे समझना वह संदीप जी ही हैं। और सचमुच जहाँ हमें जाट देवता दिखाई दिए जो जोर जोर से हाथ हिला कर हमें इशारा कर रहे थे, और उस समय अपनी चिर परिचित सफ़ेद टोपी पहने हुए थे। जब हमने उन्हें देखा तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा, और पास आते ही रितेश जी तथा मैं बारी बरी से उनसे गले मिले। बड़ा ही यादगार पल था वह, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल हैं, बस इतना ही कह सकता हूँ की हम चार घुमक्कड़ एक साथ खड़े थे और इससे ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है। और सिर्फ चार घुमक्कड़ ही नहीं चारों के परिवार भी एक ही जगह एक साथ थे। बस हमें अफ़सोस इस बात का था की संदीप जी को हमारे लिए ताज महल में करीब डेढ़ घंटा इंतज़ार करना पड़ा था।

ताज महल में प्रवेश के लिए कतार

ताज महल में प्रवेश के लिए कतार

घुमक्कड़ों की टोली - रितेश, मुकेश एवं जाट देवता

घुमक्कड़ों की टोली – रितेश, मुकेश एवं जाट देवता

ताजमहल का प्रवेश शुल्क भारतीय यात्रियों के लिए 20 रु तथा विदेशी यात्रियों के लिए 750 रु था। अब चूँकि हमारे लिए टिकिट तो जाट देवता ने पहले से ही ले रखे थे अतः हमें सीधे लाइन में लगना था, संदीप ने सबको अपने अपने टिकिट दे दिए थे। लाइन में कुछ देर की प्रतीक्षा तथा सिक्यूरिटी चेकिंग के बाद अब हम ताज महल के मुख्य परिसर के अन्दर थे, तथा हमें सामने ही ताज महल के गार्डन में प्रवेश का बड़ा सा दरवाज़ा दिखाई दिया। यहाँ हम तीनों परिवारों ने मिलकर इस पल को यादगार बनाने के लिए खूब जम के फोटोग्राफी की।

ताज महल के प्रवेश द्वार पर बच्चों की फौज

ताज महल के प्रवेश द्वार पर बच्चों की फौज

अब हम उस दरवाज़े में प्रवेश कर गए जिसके अन्दर घुसते ही हमें ताजमहल का पहला दीदार होनेवाला था. जैसे ही हमने  दरवाज़े में प्रवेश किया, हमारे सामने दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत ईमारत खड़ी थी, जिसे बचपन से आज तक सिर्फ सुनते या पढ़ते आये थे। शाश्वत प्रेम की अमीट निशानी तथा दुनिया के सात आश्चर्यों में शुमार ताज महल अब हमारे सामने थे, जिसे देखकर एक पल के लिए मैं स्तब्ध, निःशब्द तथा सम्मोहित हो गया था।

प्रवेश द्वार से ताज महल की पहली झलक

प्रवेश द्वार से ताज महल की पहली झलक

ताज महल - खूबसूरती की मिसाल

ताज महल – खूबसूरती की मिसाल

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ताज महल के साथ ……

जाट देवता अपने परिवार के साथ, साथ में हमारा शिवम् भी.

जाट देवता अपने परिवार के साथ, साथ में हमारा शिवम् भी.

रितेश गुप्ता जी अपने परिवार के साथ

रितेश गुप्ता जी अपने परिवार के साथ

हम दोनों

हम दोनों

विदेशी मेहमान के साथ

विदेशी मेहमान के साथ

 

ताज महल करीब से

ताज महल करीब से

है न ख़ूबसूरत ???

है न ख़ूबसूरत ???

ताजमहल आगरा, उत्तर प्रदेश राज्य, भारत में स्थित है। (निर्माण- सन् 1632 से 1653 ई.)। ताजमहल आगरा शहर के बाहरी इलाके में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर बना हुआ है। ताजमहल मुग़ल शासन की सबसे प्रसिद्ध स्मारक है। सफ़ेद संगमरमर की यह कृति संसार भर में प्रसिद्ध है और पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंन्द्र है। ताजमहल विश्‍व के सात आश्‍चर्यों में से एक है। ताजमहल एक महान शासक का अपनी प्रिय रानी के प्रति प्रेम का अद्भुत शाहकार है। ताजमहल का सबसे मनमोहक और सुंदर दृश्‍य पूर्णिमा की रात को दिखाई देता है।

मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल को अपनी पत्नी अर्जुमंद बानो बेगम, जिन्हें मुमताज़ महल भी कहा जाता था, की याद में बनवाया था। ताजमहल को शाहजहाँ ने मुमताज़ महल की क़ब्र के ऊपर बनवाया था। मृत्यु के बाद शाहजहाँ को भी वहीं दफ़नाया गया। मुमताज़ महल के नाम पर ही इस मक़बरे का नाम ताजमहल पड़ा। सन् 1612 ई. में निकाह के बाद 1631 में प्रसूति के दौरान बुरहानपुर में मृत्यु होने तक अर्जुमंद शाहजहाँ की अभिन्न संगिनी बनी रहीं। मुमताज़ महल के रहने के लिए दिवंगत रानी के नाम पर मुमताज़ा बाद बनाया गया, जिसे अब ताज गंज कहते हैं और यह भी इसके नज़दीक निर्मित किया गया था।

ताजमहज मुग़ल वास्‍तुकला का उत्‍कृष्‍ट नमूना है। ताजमहल के निर्माण में फ़ारसी, तुर्क, भारतीय तथा इस्‍लामिक वास्‍तुकला का सुंदर सम्मिश्रण किया गया है। 1983 ई. में ताजमहल को यूनेस्‍को विश्‍व धरोहर स्‍थल घोषित किया गया। ताजमहल को भारत की इस्‍लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। ताजमहल का श्‍वेत गुम्‍बद एवं टाइल आकार में संगमरमर से ढका केन्‍द्रीय मक़बरा वास्‍तु सौंदर्य का अप्रितम उदाहरण है।

ताज महल को अपनी आँखों से कुछ देर निहारने के बाद अब ऐसा लग रहा की जितनी अधिक मात्रा में हो सके इस सौंदर्य की प्रतिमूर्ति को अपने कैमरे में भी कैद कर लिया जाए अतः मैं बेतहाशा अपने परिवार के साथ तथा अकेले ताज महल के फोटो लिए जा रहा था। कुछ फोटो हमने वहां घूम रहे तत्काल फोटो देने वाले फोटोग्राफरों से भी खिंचवाए। आज मैंने सिर्फ ताज महल के सामने करीब दो सौ पचास फ़ोटोज़ खींचे, जो मेरे द्वारा अब तक एक ही जगह के खींचे गए फ़ोटोज़ में सर्वाधिक हैं।

ताज महल में करीब दो घंटे बिताने तथा इसे जी भर कर निहार लेने के बाद अब हम सब निकल पड़े अपने अगले पड़ाव यानी आगरा के लाल किले की ओर। कुछ लोग पहले की तरह रितेश जी की कार में तथा बाकि लोग एक तांगा में सवार हो गए। कुछ ही देर के बाद अब हम लोग आगरा के प्रसिद्द लाल किले के सामने थे।

लाल किले में भी प्रवेश टिकिट लेने के लिए जाट देवता ही आगे आये। थोड़ी सी मशक्कत के बाद उन्हें हम सबके लिए टिकिट मिल गईं थीं। अब हम लोग लाल किले में प्रवेश कर चुके थे। यहाँ हमने जानकारी के अभाव के कारण एक गाइड कर लिया था, जो हमने बहुत ही अच्छे तरीके से किले में स्थित हर एक चीज़ की जानकारी दे रहा था।

आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्‍दी में बना महत्‍वपूर्ण मुग़ल स्‍मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्‍टोन से बना हुआ है। यह 2.5 किलोमीटर लम्‍बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मज़बूत दीवारें अपने अंदर एक स्‍वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्‍ट भवन हैं।

आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरू हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह अकबर ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते शाहजहाँ ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्‍बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्‍टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा यमुना नदी की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्‍य अक्ष नदी के समानान्‍तर है और दीवारें शहर की ओर हैं

इस किले में सबसे रोचक जगह मुझे वह स्थान (मोती महल) लगा जहाँ औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को सात साल के लिए कैद कर रखा था। इस कमरे में एक झरोंखा है जहां से ताज महल स्पष्ट दिखाई देता है तथा अपनी कैद के सात वर्षों तक शाहजहाँ अपनी इस अनमोल कृति ताज महल को निहारते रहते थे तथा अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल को याद करते रहते थे।  यहाँ मोती महल में शाहजहाँ की सबसे बड़ी पुत्री जहाँ आरा उनके अंतिम समय में उनकी देख भाल किया करती थी।

अगरा का (लाल) किला

अगरा का (लाल) किला

लाल किला

लाल किला

हम सब

हम सब

लाल किला प्रवेश द्वार

लाल किला प्रवेश द्वार

लाल किला अन्दर से …………..

लाल किले के एक झरोखे से से दिखाई देता आगरा का बाहरी दृश्य ………………दूर दिखाई दे रहा ताज महल

लाल किले से दिखाई देता आगरा का बाहरी दृश्य ..................दूर दिखाई दे रहा ताज महल

लाल किले से दिखाई देता आगरा का बाहरी दृश्य ………………दूर दिखाई दे रहा ताज महल

मोती महल, जहाँ औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को सात वर्षों तक कैद रखा

मोती महल, जहाँ औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को सात वर्षों तक कैद रखा

मीना बाज़ार जहाँ महल की स्त्रियों के लिए आभूषणों का बाज़ार लगता था

मीना बाज़ार जहाँ महल की स्त्रियों के लिए आभूषणों का बाज़ार लगता था

किले के अन्दर का एक दृश्य

किले के अन्दर का एक दृश्य

दीवाने आम स्थित बादशाह के बैठने का तखत

दीवाने आम स्थित बादशाह के बैठने का तखत

आगरा के किले की सभी महत्वपूर्ण जगहें देखने के बाद अंत में हम लोग दीवाने आम के सामने पहुंचे जहाँ आगरा के बादशाह अपनी जनता से मुखातिब होते थे तथा जहाँ दरबार लगा करता था। यहाँ सामने ही एक सुंदर सा गार्डन है जहाँ हम सब काफी देर तक बैठे।
बहुत अच्छा समय आगरा के किले में बिताने के बाद हम किले से बाहर आ गए। बहार निकल कर जाट देवता अपने परिवार के साथ मथुरा निकल गए, उन्हें मथुरा दर्शन करना था, और हमने रात साढ़े आठ बजे वाराणसी के लिए ट्रेन पकडनी थी।

हमारा सामान रितेश जी के यहाँ ही था अतः रितेश जी ने हमसे कहा की आप सब लोग घर चलो, फ्रेश होकर खाना वगैरह खा कर निकल जाना कुछ देर में रश्मि जी का भी फ़ोन आ गया की आप सब लोग खाना खा कर ही जाना, अतः हम सब एक ऑटो पकड़कर एक बार फिर रितेश जी के घर की और चल दिए।इस तरह हमारे शाम के खाने की व्यवस्था भी रितेश जी के ही यहाँ हो गई। खाना बड़ा ही स्वादिष्ट था, और हम लोग तीन चार दिन के बाद घर का खाना खा रहे थे अतः हमारे लिए यह खाना और भी स्पेशल था, और तो और रश्मि जी ने बच्चों के लिए रात के लिए भी खाना पैक कर दिया। उनके इस स्नेह को हम कभी भुला नहीं पायेंगे।

खाना खाकर एवं रात के सफ़र के अनुसार कपडे चेंज करके हम सब अब आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के लिए ऑटो लेकर चल पड़े।
हमने तो चूँकि आगरा का पेठा के दो पैकेट रितेश जी की ओर  से गिफ्ट मिले थे, अतः सासू माँ स्वयं के लिए आगरे का प्रसिद्द खरीदना चाह रही थी। ऑटो वाले को एक दूकान पर रोक कर हमने उनके लिए पेठा खरीद और कुछ ही देर में स्टेशन पहुँच गए। ट्रेन अपने नियत समय पर स्टेशन पर आ गई और हम भी फटाफट उसमें सवार हो गए तथा अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए।

ये तो था हमारे आगरा टूर का हाल, आगे वाराणसी के हाल जानने के लिए अगले रविवार घुमक्कड़ पर लोग ओन करना न भूलें ………………….तब तक के लिए बाय।

32 Comments

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    • Mukesh Bhalse says:

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  • SilentSoul says:

    Mukesh it was decent travelogue. the foto of four ghumakkars together is memorable. I asked you in my last comment too as to why you came so near to Delhi but still left it…any reason ?

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    • Mukesh Bhalse says:

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  • D.L.Narayan says:

    Thoroughly enjoyed this post, Mukesh. Not because of just the Taj Mahal but because ek jagah par jamaa hai chaaron…It felt like we were enjoying the Taj along with Jatdevta, Ritesh, Kavitaji and you for company. It must have been an awesome experience for all of you. The pictures of Taj are always special but the pictures of Moti Mahal and Lal Qila came out really well and was evocative of the days when the Mughals were the amongst the mightiest emperors in the entire world. Thanks for the pleasure.

    • Mukesh Bhalse says:

      DL ji,
      Thank you very much for your thoughtful and lovely comment. Yes really it was an awesome experience to meet Jat Devta and Ritesh.

      Thanks.

  • Nandan Jha says:

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    • Mukesh Bhalse says:

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  • JATDEVTA says:

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  • Surinder Sharma says:

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  • Vipin says:

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  • Surinder Sharma says:

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    • Mukesh Bhalse says:

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  • Praveen Wadhwa says:

    Taj Mahal is such an obvious place after all but your post made it very special again.

  • Beautiful pictures and ultimate description. One of the best ones from you. Taj Mahal is very beautiful . Red fort is a also a classy monument. I wanted to see Yamuna in Agra also.

    • Mukesh Bhalse says:

      Thank you very much Vishal for your encouraging words. You are right both Taj mahal and Red fort and worth seeing. I regret for not capturing Yamuna in Agra, but as far as I recollect the yamuna was almost dried near Taj Mahal when we visited here.

      Thanks.

  • Ritesh Gupta says:

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  • Saurabh Gupta says:

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  • Amitava Chatterjee says:

    Hi Mukesh,

    Very nice post and this post has lots of personal touch…meeting friends…travelling together…might not ever happened/possible if this platform is not there…even reading the comments is such a wonderful joy for me…thank you for the same, Nandan and to all of you.

    Unfortunately, I am a bit late in reading the post(s), published in last couple of weeks, as my laptop’s hard disk had conked-off suddenly and recovering all the data took sometime…I know it will be a good weekend for me to read those posts.

    I visited Taj end number of times since I came here and stop counting now. During bachelor days, whenever anyone visited office from outstations and wanted to visit Taj, they used to ask me to accompany them and I didn’t want to waste the chance…and now every year, whenever we have guests from Kolkata…we land-up to Agra for a day or two…it’s such a beautiful place that you can go there again and again…

  • Naresh Sehgal says:

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  • Nirdesh says:

    Hi Mukesh,

    Nice to see all Ghumakkars together.

    Everytime I see a post on Taj Mahal, I kick myself for never being there!

    Thanks.

  • Avtar Singh says:

    Hi Mukesh ji, I was just writing my post on Taj for Ghummakar, and saw your post on Taj. Excellent detailing and beautiful pics , congratulations for that!!!
    You made it very difficult for me to write on Taj as you covered all the details about it. I think, now I have to revisit on my writing to match with yours. Everything about it have been written by you….. and even one couplet which I mentioned in my post already written by Mr. Silent soul……

    The number of comments on your post prove your popularity. Congratulations for writing such a nice detailed post. .

  • sarita gupta says:

    bahut khub mukesh ji aap logo yatra ka ye blog padker hame hamari agra ki yaadein taaza ho gayi aise hamesha blog par likha kare thank u sir

  • Pravesh says:

    Dear Mukesh Ji,

    I am planning to visit Agra shortly. Your this post has answered many of our queries.

    Great post with very beautiful pics.

    Keep writing…

    Regds

  • Mukesh Bhalse says:

    Thank you very much Pravesh for going through and liking my post. Yes, I believe every one should see Taj at least once in his lifetime. It’s ultimate.

    Thanks,

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