मैं और मनोहर बैठे हà¥à¤ थे, सोच रहे थे कंहा चला जाये, मैं कहने लगा जयपà¥à¤°, वो कहने लगा अमृतसर. पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤®  अमृतसर जाने का तय हà¥à¤†, आरकà¥à¤·à¤£Â कराया गया. ४ नवमà¥à¤¬à¤° की रात का सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤‚दिर à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ (फà¥à¤°à¥‹à¤‚टिà¤à¤° मेल) का जाने का तय हà¥à¤†, वापसी ६ नवमà¥à¤¬à¤° को छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ à¤à¤•à¥à¤¸à¥à¤ª. से थी. रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर जलà¥à¤¦à¥€ पहà¥à¤à¤š कर, वंहा पर बैठकर चाय वाय पीने का आनंद ही कà¥à¤› और होता हैं. समय रात १०:३० का था, मैं ९ बजे ही पहà¥à¤à¤š गया था, जाट देवता पूरे सवा दस बजे पहà¥à¤‚चे. खैर ११ बजे टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आयी, चढ़ गà¤, देखा डिबà¥à¤¬à¥‡ में बà¥à¤°à¥€ हालत थी. ये टà¥à¤°à¥‡à¤¨ मà¥à¤‚बई से आती हैं, अगले दिन बकरा ईद का दिन था, आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ डिबà¥à¤¬à¥‡ में बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¥€ तरह से लोग à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ थे, उनसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उनका सामान था. खैर सहारनपà¥à¤° पहà¥à¤à¤š कर आराम से बरà¥à¤¥ मिली, और पड़ कर सो गà¤.
सà¥à¤¬à¤¹ ५ बजे गाड़ी अमृतसर पहà¥à¤à¤š गयी
बाहर निकले, सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ ही वरà¥à¤·à¤¾ हà¥à¤ˆ थी. मौसम बहà¥à¤¤ ही अचà¥à¤›à¤¾ था, हलà¥à¤•ी हलà¥à¤•ी ठणà¥à¤¡ थी, à¤à¤• à¤à¤• कप चाय  पी गयी, फिर होटल ढूà¤à¤¢à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया. किसी ने बताया की सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर के पास ठीक रहेगा, तà¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤µà¤¾à¤²à¥‡ ने टोका, “कंहा  से आ रहे हो, कंहा जाना हैं?” पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ऊ. पà¥à¤°. वालो को बाहर शक की नजरो से देखा जाता हैं, खैर सà¥à¤µà¤°à¥à¤®à¤‚दिर पर पहà¥à¤à¤š कर à¤à¤• होटल गोलà¥à¤¡à¤¨ हेरिटेज में डेरा जमा दिया.
नहा धोकर बाहर निकले, सबसे पहले सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर पहà¥à¤‚चे, जूते उतारे,  सर पर रà¥à¤®à¤¾à¤² बांधा और पवितà¥à¤° मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गà¤. सबसे पहले मंदिर के बाहर पानी के हौज़ में पैर धोकर आगे बढ़ते हैं तो मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाजे में बाहर से ही पवितà¥à¤° हरिमंदिर साहब के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं. दरà¥à¤¶à¤¨ करते ही मन पवितà¥à¤° हो गया.  पवितà¥à¤° अमृत सरोवर के जल को सर माथे पर लगाया. फिर शà¥à¤°à¥€ हरिमंदिर साहब में माथा टेका. पवितà¥à¤° अमृत सरोवर के नाम से ही इस नगर का नाम अमृतसर पड़ा हैं.
सà¥à¤¬à¤¹ ही सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾
पवितà¥à¤° सरोवर में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ नहा रहे थे. हम लोगो ने अपना हाथ मà¥à¤¹ धोया.  इसके बाद सरोवर की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ की. मंदिर में चारो और speakers लगे हà¥à¤ हैं, जिन पर २४ घंटे शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ साहिब का पाठचलता रहता हैं.
शà¥à¤°à¥€ हरी मंदिर साहिब
वाह कà¥à¤¯à¤¾ बात हैं
à¤à¤—वान को à¤à¥€ जरा याद करले
शà¥à¤°à¥€ हरी मंदिर साहिब का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶
फà¥à¤°à¥à¤¶à¤¤ में
मंदिर दूसरी तरफ से
सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर को देख कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® इतिहास को याद करके सीना गरà¥à¤µ से फूल जाता हैं. इस मंदिर को मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आकà¥à¤°à¤®à¤¨à¥à¤•ारियो ने कई बार विधà¥à¤µà¤‚श किया.  पर हम लोगो ने इसे बार बार  बना कर खड़ा कर दिया.  रात के समय मंदिर की छवि निराली लगती हैं. सरोवर के किनारे बैठकर मंदिर को निहारते रहो, समय का पता ही नहीं चलता हैं.
सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर में माथा टेकने के बाद हम मंदिर के सामने सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जलियावाला बाग पहà¥à¤‚चे . जहा पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये हà¥à¤ अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚  को देखा . मन दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¤ हो उठा. यंहा पर म़ोत का कà¥à¤† जिसमे की लोग गोली खाकर कूदते रहे, और मरते रहे. दीवारों पर गोलियों के निशान अब à¤à¥€ मौजूद हैं. यंहा पर ३८० लोग मारे गठथे. उस समय कई हज़ार लोग मौजूद थे. यदि सारे के सारे अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ पर पिल पड़ते तो à¤à¤• à¤à¥€ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ जिंदा नहीं बचता, पर कà¥à¤¯à¤¾ करे हम लोगो की ये कमजोरी हमेशा हमें परासà¥à¤¤ कर देती हैं, खैर इतिहास की बाते फिर कà¤à¥€.
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•
अमर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿
मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤•
गोलियों के निशान
जलियावाला बाग से निकल कर रिकà¥à¤¶à¤¾ में बैठकर दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾ मंदिर पहà¥à¤‚चे, यह मंदिर, सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर की तरह से ही बना हà¥à¤† हैं. इसके बारे में कहा जाता हैं की जब देवी देवताओ की मà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर से निकाल कर फ़ेंक दी गयी, और मंदिर पर कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थियों  ने कबà¥à¤œà¤¼à¤¾ कर लिया तो अमृतसर के सनातनी लोगो ने बिलकà¥à¤² सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤‚दिर का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प बनाया, जिसे दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾ मंदिर बोलते हैं. वैसे पंजाब आकर à¤à¤• बात देखी की यंहा सà¤à¥€ पंजाबी हैं, कोई हिनà¥à¤¦à¥‚ नहीं, कोई सिख नहीं, सà¤à¥€ à¤à¤• माठबाप की संतान हैं. सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर में केशà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मोने जाते हैं. रोटी बेटी का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हैं , तीरà¥à¤¥ साà¤à¥‡ हैं, à¤à¤—वान, गà¥à¤°à¥ साà¤à¥‡ हैं, तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° साà¤à¥‡ हैं. फिर à¤à¥€ पता नहीं लोग कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं समà¤à¤¤à¥‡ हैं.
दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾ मंदिर में à¤à¤—वान जी के दरà¥à¤¶à¤¨
दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾ मंदिर
मंदिर से निकल कर हम वापिस सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर पहà¥à¤‚चे, जहा पर पहले से बà¥à¤• कराई हà¥à¤ˆ मारà¥à¤¤à¥€ वैन  में बैठकर हम बाघा बोरà¥à¤¡à¤° की और निकल पड़े. डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° का नाम गà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª था, बड़ा ही नेक इंसान था.
आपको à¤à¤• बात बतादे की, यंहा पर à¤à¥€à¤¡à¤¼ बहà¥à¤¤ होती हैं. इसलिठ३ या ४ बजे तक पहà¥à¤à¤š जाना चाहिà¤, जिससे सही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ मिल सके. सà¥à¤•ूलों के बहà¥à¤¤ सारे बचà¥à¤šà¥‡ आये होते हैं. जो की देश à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के गीतों पर नृतà¥à¤¯ करते हैं. BSF  दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मारà¥à¤š पासà¥à¤Ÿ किया जाता हैं. छाती गरà¥à¤µ से फूल जाती हैं . यंहा पर à¤à¤• बात देखने को मिली, à¤à¤¾à¤°à¤¤Â  की और करीब २०००० लोगो की à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी, देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी, पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨  की और ५००-६०० लोगो की à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी, और वो लोग à¤à¤¸à¥‡ बैठे थे की जैसे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सांप सूंघ गया हो, उस और कà¥à¤› बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ थे, वे उचक उचक कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ की और बचà¥à¤šà¥‹ का नृतà¥à¤¯ देख रहे थे. जैसे सोच रहे हो की काश हम लोग à¤à¤• होते.
बाघा बोरà¥à¤¡à¤° पर बचà¥à¤šà¥‹ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नृतà¥à¤¯
BSF दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨
यंहा पर à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ देखी,  जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ होने पर BSF  दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ को संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¤¾ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाता हैं. यंहा बैठने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थोड़ी और अचà¥à¤›à¥€ होती तो ठीक रहता. धकà¥à¤•ा मà¥à¤•à¥à¤•ी होती हैं, बचà¥à¤šà¥‹, सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, और बड़ी उमà¥à¤° के लोगो को बहà¥à¤¤ मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो जाती हैं.
हमारा दà¥à¤µà¤¾à¤°
डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° गà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª ने सà¤à¥€ सवारियों को जंहा उतरना था उतारा, और हमें à¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ मंदिर पर वापिस छोड़ दिया.
रात को थके हरे खाना खाकर के अपने होटल पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं,  और सो जाते हैं, सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर मंदिर में माथा टेकते हैं.
थक गठबेचारे
वैसे अमृतसर खाने पीने के मामले में मशहूर हैं. मंदिर के सामने कà¥à¤²à¤¦à¥€à¤ª के छोले कà¥à¤²à¤šà¥‡ मशहूर हैं.  लसà¥à¤¸à¥€, और कटरा अहलà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ की देशी घी की ज़लेबी का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ तो कà¥à¤¯à¤¾ कहने. मंदिर के आसपास अचà¥à¤›à¥‡ बजट होटल मिल जाते हैं. २ बजे हम सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š जाते हैं. और गाडी लगने का इंतजार करते हैं. और फिर CHATTISHGARH में बैठ  कर अपने घर मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤°à¤¨à¤—र पंहà¥à¤š जाते हैं. वैसे अमृतसर बार बार आने लायक नगर हैं. बहà¥à¤¤ ससà¥à¤¤à¤¾ और पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ से आसान सड़क और रेल मारà¥à¤— से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§.
सतà¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤…काल, वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®.Â

वाह गुप्ता जी वाह बहुत बढिया लेख लगा, गुप्ता और जाट की जोडी जम रही है, वैसे आपके साथी जाट भाई के साथ कितनी यात्राएँ की है। अगर एक आध की है लगे रहिए, अगर बहुत सारी की है इसे लय को बनाय रखिए, आपने एक ही पोस्ट में तीन-तीन स्थलों की सैर करा दी, इसको दो लेख में किया जा सकता था, एक लेख में करने से काफ़ी कुछ छूट जाता है।
संदीप भाई आप की बात ठीक हैं, इस पोस्ट को २ पोस्ट में बांटा जा सकता था, आगे से इस बात का ध्यान रखूँगा. सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
प्रवीन जी वाघा बार्डर पर जाने मात्र से देश भक्ति की भावना हमारे शरीर से बाहर निकलने लगती है, और जब परेड होती है तो हमारा जोश तो रोके नहीं रुक पाता है मैंने इन सभी स्थलों की सैर एक ही दिन में की थी अमरनाथ जाते समय, आपके पास भी बहुत अनुभव है घूमने का जल्दी-जल्दी बताते रहिए…………………..
संदीप जी बाघा बोर्डर पर देशभक्ति पुरे उफान पर होती हैं, पर ये बात पाकिस्तान की और नज़र नहीं आती हैं. संदीप जी अब अपने अनुभव जल्दी जल्दी आप लोगो से बाँटने की कोशिश करूँगा.
Pardeep ji bhut badiya, Acha likha aur pic bhut badiya hai. Main punjab se hu Rajpura jab app ne punjab enter kiya hoga to pheli city Rajpura hi ati hai………. Nice thank u for sharing
जगदीप जी धन्यवाद्.
गुप्ता जी आपने मोने शब्द शायद हिन्दू के लिए प्रयोग किया हे जो गलत हे मोना शब्द बाल कटे सिख का हे
हिन्दू के लिए मोना न लिखे
जाट भाई ध्यान दे
सर्वेश जी, मोने हो या केश धारी , सिक्ख हो या हिन्दू, पंजाब में सब पंजाबी हैं. सब एक ही माँ बाप की संतान है. गुरु, भगवान, गुरूद्वारे, मंदिर, सब के सांझे हैं. गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिक्खी की स्थापना ही हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए की थी.
bahut acche praveen ji . you are welcome at ghumakkar and in hindi authors. pic are very nice and amazingly remiend me my journey of Vagha Border . aaj main out of Station hu so mera hindi softwere mere pass nahi hai . Cafe se likh raha hu . Keep writing and Ghumakkari.
Manu prakash Tyagi
बहुत बहुत धन्यवाद मनु जी
नमस्कार प्रवीण जी , घुमाक्कर में आपका स्वागत है. अमृतसर का दर्शन बहुत अच्छा लगा . विवरण काफी अच्छा था. लिखते रहिये ……………………..
धन्यवाद विशाल जी.
राम राम विशाल जी, सराहना करने के लिए धन्यवाद।
प्रवीन जी…..एक और हिंदी लेखक को घुमक्कड़.कॉम पर देखकर बड़ी प्रशन्नता हुई… | आपका स्वागत हैं और पोस्ट प्रकाशित होने आपको बहुत बधाई हो..|
बहुत अच्छा लिखा आपने अमृतसर के बारे में पर थोड़ा संक्षेप में वर्णन किया है आगे से कुछ विस्तार से लिखने का प्रयत्न कीजिये | बहुत अच्छा लगा बाघा बोर्डर के बारे में जानकर….दिल में देशभक्ति की भावना ओत प्रोत हो गया | अमृतसर आज तक गया नहीं पर जाने के इच्छा हैं…देखते कब कार्यक्रम बनता हैं |
लाजबाब फोटो के माध्यम से अमृतसर शहर को देखकर दिल खुश हो गया…..बहुत बढ़िया | धन्यवाद …..|
जय हिंद जय भारत !
रीतेश.गुप्ता …..
रितेश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद, वाकई यह नगर ऐसा हैं, कि बार बार जाने का मन करता हैं। वन्देमातरम।
प्रवीण जी, घुमक्कड़ पर आपका स्वागत है. सभी चित्र वाकई खुबसूरत हैं खासतौर पर रात्रि के समय लिया गया स्वर्ण मंदिर. दुर्ग्याणा मंदिर के बारे में पहले कभी नहीं सुना था, इसकी यात्रा कराने के लिए शुक्रिया…….अपनी यात्रा में हम स्वर्ण मंदिर में ही रुके थे और जब मन करता सरोवर में स्नान करने पहुँच जाते……..वैसे आपकी इस यात्रा का कुल खर्चा (प्रति व्यक्ति) कितना था (घर से घर तक)………
विपिन जी बहुत बहुत धन्यवाद, हमारी यात्रा में २ दिन में हर बन्दे का कुल खर्च करीब १२००/- रहा हैं। जिसमे रेलवे आरक्षण, होटल, खाना-पीना, रिक्शा, ऑटो, सभी कुछ शामिल हैं।
बहुत बढ़िया विवरण और उससे भी बढ़िया चित्र… ये जाट कौन गया था आपके साथ क्या अपने नीरज या संदीप ???
Bahut acchi photo-post Praveenji, aur Durgiana Temple ki jaankaari ke liye dhanyabaad.
Thankyou sir.
आपके ब्लॉग पर पहले ही पढ़ चुका हूँ। अच्छा लगा आपका लेख यहाँ देख कर।
प्रवीण जी स्वागतम घुमक्कड़ पर |
अम्बरसर से शुरुआत एक बढ़िया शुरुआत है, मुझे सबसे ज्यादा ये बात पसंद आयी
” मोने हो या केश धारी , सिक्ख हो या हिन्दू, पंजाब में सब पंजाबी हैं. सब एक ही माँ बाप की संतान है. गुरु, भगवान, गुरूद्वारे, मंदिर, सब के सांझे हैं. ”
दुर्गीयाना टेम्पल के बारे में नयी जानकारी थी मेरे लिए | अगली पोस्ट में आपसे और ज्यादा जानकारी और अनुभवों की उम्मीद लिए हुए, जय हिंद |
dhanyawad sir
Ghumakkar pe apka swaagat hai.
bahot accha vivran diya hai shahar ka. main bhi akfi samaya se jaana chah raha hoon Amritsar.
dhanyawad sir ji.
प्रवीण जी,
मैं आपका घुमक्कड़ पर स्वागत नहीं करुँगी, क्योंकि आप अपनी कमेंट्स के माध्यम से घुमक्कड़ से पहले से ही जुड़े हैं तथा घुमक्कड़ परिवार के सदस्य है. आपकी पहली पोस्ट के लिए बधाई जरुर देना चाहूंगी. लेखन शैली सरल तथा प्रभावी है तथा चित्रों की तारीफ़ करने के लिए तो मेरे पास शब्द नहीं हैं. बहुत ही उम्दा पोस्ट थी, हिन्दी में थी इसलिए और मजेदार लगी, आशा है आपके लेख अब घुमक्कड़ पर अनवरत उपलब्ध होते रहेंगे.
शुक्रिया.
प्रवीण जी,
आपने स्वर्ण मंदिर के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है. बचपन में मैंने भी इस शहर में कुछ महीने गुजारे थे, उसके बाद भी बहुत बार स्वर्ण मंदिर जाना हुआ पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. दुर्ग्याणा मंदिर भी प्राचीन है, सोने का खूबसूरत काम स्वर्ण मंदिर, दुर्ग्याणा मंदिर और काशी विशवनाथ में महाराजा रणजीत सिंह दुआरा करवाया गया बताते हैं. स्वर्ण मंदिर, दरबार साहिब नाम आम लोग अमृतसर में परयोग करते हैं, पर असली नाम हरिमंदिर साहिब है और हरि के बारे में आप सब जानते ही हैं. प्रथा थी परिवार का बड़ा बेटा सरदार (सिख) बना दिया जाता था. हमारे आर्य समाज, और सरदार भाई मूर्ति पूजा नहीं करते, १९२५ में गुरुद्वारा सुधार लहर के दोरान हो सकता है, मूर्तियाँ दुर्ग्याणा मंदिर में लायी गयी हों, पहले बताते हैं यह हरिमंदिर साहिब परिकर्मा में थीं.
धन्यवाद
धन्यवाद सुरिंदर जी, ये हमारे देश और धर्म का दुर्भाग्य रहा हैं की, वेदिक संस्कृति, सनातन धर्म, हिंदू धर्म, बाद में आये सभी पंथो और संप्रदायों की माँ हैं. और सभी की उत्पत्ति यंही से हुई हैं. पर सभी ने ही हमेशा हिंदू धर्म को कोसा हैं और उलाहना दी हैं. और अपने आप को अलग बताने लगे हैं. सिक्खो और हम लोगो में रोटी बेटी का सम्बन्ध हैं, फिर हम लोग अलग कैसे हो सकते हैं. सिक्ख, जैन, बोद्ध, सनातनी, आर्यसमाजी, आदि सभी इसी विराट हिंदू परिवार का ही अंग हैं. हम लोग एक होकर चलेगे तो पूरी दुनिया हमारी ताकत को मानेगी, नहीं तो हम लोगो का नाम लेवा पानी देवा भी नहीं बचेंग, धन्यवाद, वन्देमातरम.
महोदय,
मैं मार्च में सपरिवार कटरा (वैष्णो देवी ), अमृतसर,मथुरा तथा वृन्दावन घूमने का योजना बनाया हूँ । मुझे इन जगहों पर ठहरने के लिए गेस्ट हाउस या बजट होटल का डिटेल चाहिए । सही लोकेशन में तथा सुरक्षित होने के साथ खाने पीने की सुविधा पास में हो, इन सुविधाओं वाला धर्मशाला भी चलेगा । दो डबल बेड रूम या एक चार बेड रूम हो ।आप लोग जो इन जगहों जा चुके हो वो मेरी मदद कर सकते है । मुझे ई मेल से उक्त जानकारी प्रदान करने की कृपा करे । धन्यवाद
Anil