जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ के इस महीने में अब जब गरà¥à¤® हवाओं का रà¥à¤– नरà¥à¤® हो चला है, और बारिश की ठंढी फà¥à¤†à¤°à¥‹à¤‚ से तन-मन को थोड़ी राहत नसीब हà¥à¤ˆ है, तो आइठमैं आपको लेकर चलता हूठà¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ मà¥à¤•ाम की ओर जहां सब कà¥à¤› जलमगà¥à¤¨ है, फिर चाहे वो धरा हो या फिर à¤à¤¿à¤—ने को बेकरार हमारा मन।
जबलपà¥à¤° के मà¥à¤–à¥à¤¯ बस अडà¥à¤¡à¥‡ से 25 रà¥à¤ªà¤ में ऑटो की सवारी कर मैं à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿ पहà¥à¤à¤šà¤¾à¥¤ सफ़र का रोमांच टूटी-फूटी सड़कों से कà¥à¤› कम जरà¥à¤° हà¥à¤† था लेकिन मंजिल पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ की ललक ने मेरी बेकरारी को कम नहीं होने दिया। जबलपà¥à¤° से तकरीबन 20 किमी की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿà¥¤ चौंसठ-योगिनी का मंदिर, धà¥à¤†à¤‚धार जल-पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ और पंचवटी घाट पर नौका विहार मेरी सूची में शामिल थे।
अमरकंटक से निकलती नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी जब à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿ तक आती है तो उसका यौवन अपने उफान पर होता है। हालांकि ना ही ये किसी किसà¥à¤® के आकà¥à¤°à¥‹à¤¶ की गरà¥à¤œà¤¨ है और ना ही किसी दरà¥à¤ª का पà¥à¤°à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¨, लेकिन à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• आवेग जब कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¼à¤¾ करने पर उतारॠहो तो उसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤²à¤•à¥à¤·à¤£ शायद इतना ही विहंगम होगा। जी हां धà¥à¤†à¤‚धार पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ को à¤à¤¾à¤°à¤¤ के नियागà¥à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ की संजà¥à¤žà¤¾ दी जाती है और इसका अहसास इस जगह पर आकर ही किया जा सकता है। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की लहरों का शोर, उस तेज बहाव के चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर टकराने से उठती धà¥à¤‚ध और उसकी वजह से बनता à¤à¤• रहसà¥à¤®à¤¯à¥€ आवरण, पल à¤à¤° में ही आपको समà¥à¤®à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ कर देगा।
à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿ पर रोपवे के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ आप धà¥à¤†à¤‚धार पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ का नज़ारा देख सकते हैं। रोपवे के दूसरी ओर के हिसà¥à¤¸à¥‡ को नà¥à¤¯à¥‚- à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿ के नाम से जाना जाता है। यहां से धà¥à¤†à¤‚धार पà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ का बेहद करीबी दीदार संà¤à¤µ है। तट के इस छोर की उरà¥à¤œà¤¾ à¤à¥€ दूसरे छोर से जà¥à¤¦à¤¾ है। लहरों के शोर में सà¥à¤•ून के चंद लमà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तलाशते लोग या फिर अपनी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के à¤à¤‚वर में डूबते-उबरते लोगों से इस अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•ृत शांत हिसà¥à¤¸à¥‡ की ओर मिला जा सकता है।
तट के दूसरी ओर आसà¥à¤¥à¤¾ और à¤à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का सतत पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ देखा जा सकता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•ृति में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी का विशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ है। जिस पà¥à¤°à¤•ार उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गंगा-यमà¥à¤¨à¤¾ नदियों की महिमा है, उसी पà¥à¤°à¤•ार मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी जन-जन की आसà¥à¤¥à¤¾à¤¸à¥‡ जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हà¥à¤ˆ है। सà¥à¤•ंदपà¥à¤°à¤¾à¤£ के रेवाखंड में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के माहातà¥à¤®à¥à¤¯ और इसके तटवरà¥à¤¤à¥€ तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ है। नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के पतà¥à¤¥à¤° के शिवलिंग नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हैं । शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ में पाठजाने वाले नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° को बाणलिंग à¤à¥€ कहा गया है। इसकी मà¥à¤–à¥à¤¯ विशेषता यह है कि नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करते समय इसमें पà¥à¤°à¤¾à¤£-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा करने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं पडती । नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¡ बाणलिंग को साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ शिव माना जाता है । नरà¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° को बिना किसी अनà¥à¤·à¥à¤ ानके सीधे पूजागृहमें रखकर पूजन à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकिया जा सकता है ।
लहरों के इस अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® सौंदरà¥à¤¯ और अकलà¥à¤ªà¤¨à¥€à¤¯ वेग को थामती हैं संगेमरमर की वो चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ जिनका शà¥à¤µà¥‡à¤¤ वरà¥à¤£ अब मटमैला हो चला है। हालांकि यदि शाम के वकà¥à¤¤ आपने नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी में नौका विहार का मन बना रखा हो तो आपको इनका à¤à¤• अलग ही रà¥à¤ª देखने को मिलेगा। शाम को सूरज की सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥€ किरणों में कà¤à¥€ ये नीली, कà¤à¥€ गà¥à¤²à¤¾à¤¬à¥€ तो कà¤à¥€ हरी पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होतीं है। नौका विहार में लगने वाले à¤à¤• घंटे के अंतराल में à¤à¥‚लà¤à¥à¤²à¥ˆà¤¯à¤¾, बंदर कूदनी जैसे दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤² हैं। बंदर कूदनी के बारे में तो कहा जाता है कि बरसों पहले ये दोनों पहाड़ियां इतनी पास थीं कि à¤à¤• ओर से दूसरी ओर बंदर कूद जाते थे पर बाद में पानी के कटाव ने इन दोनों पहाड़ियों में काफी फासला कर दिया। और इन सब के बीच नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ की लहरों पर à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ सूरज का अकà¥à¤¸ मन को मोह लेता है।

नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के किनारे मौजूद ये बचà¥à¤šà¥‡ आपसे नदी में पैसा फेंकने को कहेंगें और फिर ये उसे पानी में से ढ़ूढ लाते हैं
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी में नौका विहार का à¤à¤• मनोरंजक पहलू है वहां के नाविकों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाने वाला वरà¥à¤£à¤£à¥¤ किसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में फिलà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥‡ की वजह से पूरा विडियो तो नहीं दिखा पाऊà¤à¤—ा पर इसकी à¤à¤• बानगी जरà¥à¤° देखिà¤à¥¤
नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के किनारे लगी नौकाओं में आम तौर पर 40 से 50 लोगों को बिठाया जाता है। लकड़ी से बनी इन पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ नावों की देख-रेख या यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की ओर से कोई खास इंतजाम देखने को नहीं मिला। नदी की गहराई 100 फिट से à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है लेकिन पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की लापारवाही की वजह से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिठखतरा हमेशा मंडराता रहता है।  नौका विहार से फारिग होने में इतना वकà¥à¤¤ लग गया की चौंसठ-योगिनी मंदिर का दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं कर पाया। इसका मलाल तो जरà¥à¤° था लेकिन जो पाया उसकी मिठास नि:संदेह खोने पर हावी थी।
और चलते-चलते आपको छोड़े जा रहा हूठनरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी की लहरों के संग…
bahut badia Amit…. I had been hearing about Bhedaghat and now through your travelogue, we have seen it also
it seems b’ful place… tks for sharing
First of all congratulation sir on being “Author of the Month”. It was indeed an enriching experience to read about you.
Thanks for your time and wonderful comment.
अमित जी १९७१ में धुआ धार देखा था आप ने याद ताजा कर दी धन्यवाद
फोटोस गजब की हैं तथा विडियो से और अच्छा लगा
आपने पसंद किया इसके लिए आपका धन्यवाद सर्वेश जी।
Welcome back, Amitbhai. It is great to see you back here after a long time and this is probably the first post after your wedding. You have made a spectacular return with some amazing visuals of the famous Dhuandhaar falls.
Commiserations for not being able to visit the 64 yoginis temple. And aghast to learn that there are no safety measures in place for boats plying on such deep waters. The minimum requirement should be life jackets.
Looking forward to more highly enjoyable and informative blogs from you.
Thanks a lot sir for your nice and valuable comment. I was bit busy with work and after marriage syndrome :-) so took some time to regain my senses. It is always good to read your encouraging comments.
अमित जी बहुत अच्छा लगा भेडा घाट, और माँ नर्मदा के फोटो देखकर मन खुश हो गया. धुआधार झरने को देखकर रोमांच हो आया. धन्यवाद बहुत बहुत. वन्देमातरम.
आपने पसंद किया इसके लिए आपका धन्यवाद प्रवीण जी।
अमित जी,
पहले तो बधाईया नवविवाहित दंपत्ति को,
भेड़ाघाट बचपन में हमारा प्रिय दर्शनीय स्थल होता था. जैसे ही मैंने आपका लेख पढना शुरू किया, मुझे लगा कि क्या वो बच्चे जो डुबकी मारकर पैसे निकलते थे अभी भी है?
सब कुछ वैसा ही है.
वहा का एक और सामान होता था मार्बल रोक्स के ३-डी मोडल्स – कांच के अन्दर पत्थरो द्वारा बनायीं गयी भेड़ाघाट, छोटे स्केल में.
धन्यवाद् आपके इस वर्णन के लिए,
Auro.
भेड़ाघाट वाकई में देखने के लायक है। डुबकी मारकर पैसे निकालते बच्चे ही नहीं बल्कि मार्बल रोक्स से बनी अनगिणत सामाग्री आज भी वहां मिलती है। बधाइयों और पोस्ट को पसंद करने के लिए आपका शुक्रिया।
Nice Post Amit… Excellent Visuals….
Thanks a lot Aditya. Its always nice to hear from you.
Very nice description and good photos. Thanks for it
Thanks a lot Surinder Ji :-) Glad you liked it.
welcome back amit !
Dhuandhar fall is India’s Nigra fall :-)
Hello Mahesh Ji. Dhuandhar fall is undoubtedly a place worth visiting.
aise -2 photograph aapne laga dia hai amitji,ye achchhi baat nahi,lag raha hai sare kaam dhaam chhor kar bas turant nikal paru jabalpur.dimag pagla gaya hai ye vritant aur photographs dekhkar.abto dussehra chhutti to yenhi bitegi
Thanks a lot Rajesh Ji for liking the post. You must go there and after rain I am sure this place will be magical.
जबलपुर में हमारी मौसी जी का घर होते हुए हम लोग आज तक भेडाघाट ओर धुयाँधार जलप्रपात नहीं देख पाए ….|
आपकी पोस्ट के माध्यम इन जगहों के बारे में पढ़ा और देखा भी …..बहुत ही शानदार जगह लगी…..अब तो जरूर जायेंगे यहाँ….|
बहुत खूब और अच्छा लिखा आपने [फोटो और वीडियो बहुत अच्छे लगे…..|
धन्यवाद
शुक्रिया रितेश भाई। भेडाघाट ओर धुयाँधार जलप्रपात जरुर देखिए मजा आएगा।
भेड़ाघाट के तरह ये पोस्ट भी धुआंधार रही | पहला विडियो तो कमाल का है , फेसबुक पर साझा कर लिया गया है :-)
नर्मदा के बारे में बात होती है तो Indian Ocean बैंड का, ‘माँ रेवा’ गाना याद आ जाता है | हाल ही में ‘Coke Studio’ प्रोग्राम के तहत इसकी एक रेकॉर्डिंग का लिंक डाले दे रहा हूँ |
http://youtu.be/wiQTA9TvVOQ
शुक्रिया नंदन, लिंक के लिए भी धन्यवाद।
प्रिय अमित,
आपकी फोटो, आपकी लालित्यपूर्ण भाषा, आपका कवि हृदय – सब कुछ देख पढ़ कर हृदय गद्गद है। मैं तो सन् 81-82 में भेड़ाघाट और धुंआधार गया था । उस समय मोटर बोट नहीं, सादी नाव चलती थीं, लाइफ जैकेट जैसी सुरक्षा प्रणाली न उस समय थी, न आज है, जानकर दुःख हुआ। हमारी प्रशासनिक मशीनरी इतनी निर्विकार, विरक्त भाव से कार्य करती है कि बस ! रोप वे भी वहां पर आ गई है, यह जानकर अच्छा भी लगा ।
कुल मिला कर यही कह सकता हूं कि आपके माध्यम से दोबारा भेड़ाघाट – धुआंधार हो आया हूं पर पूरा मन तभी भरेगा, जब परिवार के साथ एक बार साक्षात नर्मदा के दर्शन कर पाऊंगा। आपका हार्दिक आभार ।
सुशान्त सिंहल
आपका बेहद शुक्रिया सर कि आपने इस पोस्ट को पढ़ा और पसंद किया।
बहुत बढ़िया पोस्ट और फोटो है अमित. पचमढ़ी एक बार गया था, अगली बार जब भी जाऊँगा जबलपुर भी शामिल रहेगा .
शुक्रिया पोस्ट पसंद करने के लिए।