घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के अनेक रूप हैं जैसे कि परिवार के साथ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी, मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ गà¥à¤°à¥à¤ª घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी और सबसे अलग अपने तक ही सीमित à¤à¤•ल (solo) घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के इन विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚पों की अपनी-अपनी अलग ही विशेषता है. परिवार के साथ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी में जो आनंद और आपसी पारिवारिक घनिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ की अनà¥à¤à¥‚ति होती है वह गà¥à¤°à¥à¤ª या à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी में संà¤à¤µ नहीं है तथा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी में जो खà¥à¤²à¤¾à¤ªà¤¨, जोश-उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और à¤à¤•-दूसरे को जानने-समà¤à¤¨à¥‡ का अवसर मिलता है उसका अपना अलग ही अनà¥à¤à¤µ है. इसी पà¥à¤°à¤•ार à¤à¤•ल (solo) घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी में सà¥à¤µ-तंतà¥à¤°à¤¤à¤¾, सà¥à¤µ-अधिकार और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को और अधिक जानने का अवसर मिलता है. सांसारिक संबंधों से दूर पà¥à¤°à¤•ृति के समीपसà¥à¤¥ होने का अवसर पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी. à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का निरà¥à¤£à¤¯ लेने में à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ है कि इसके लिठमितà¥à¤°à¥‹à¤‚ और परिवार जनों का कोप-à¤à¤¾à¤œà¤¨ बनना पड़ता है लेकिन à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठइतना तो चलता ही है.
किसी à¤à¥€ रूप-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प में जब à¤à¥€ अवसर मिले बस घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी होनी चाहिà¤. इसी विचार को मन में रखकर मैनै काफी समय से लंबित पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी (कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚) में à¤à¤•ल (solo) घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का निरà¥à¤£à¤¯ लिया और उससे समà¥à¤¬à¤‚धित जानकारियों को इनà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥‡à¤Ÿ और अनà¥à¤¯ माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ से à¤à¤•तà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने में जà¥à¤Ÿ गया. इससे पहले à¤à¥€ ऋषिकेश और तà¥à¤°à¤¿à¤‰à¤‚ड (मैकलॉडगंज, धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾) <> में à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का अनà¥à¤à¤µ रहा है.
पहले के अनà¥à¤à¤µ और उपलबà¥à¤§ जानकारियों के आधार पर à¤à¤•ल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का जो पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥‚प तैयार हà¥à¤† वह इस पà¥à¤°à¤•ार है:
समय : 24 सितमà¥à¤¬à¤° से 26 सितमà¥à¤¬à¤°, 2016
आरमà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ : कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ गेट, दिलà¥à¤²à¥€
संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤² : गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब, खीर गंगा टà¥à¤°à¥‡à¤•, तोष टà¥à¤°à¥‡à¤•, चलाल (कसोल) और बिजली महादेव (कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚).
23 सितमà¥à¤¬à¤°, 2016
मणिकरà¥à¤£
कशà¥à¤®à¥€à¤°à¥€ गेट, दिलà¥à¤²à¥€ से 23 सितमà¥à¤¬à¤°, 2016 की शाम 6:40 पर हिमाचल परिवहन की दिलà¥à¤²à¥€ से मनाली जाने वाली सेमि-डीलकà¥à¤¸ बस में पूरà¥à¤µ आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ सीट पर बैठने के साथ ही यातà¥à¤°à¤¾ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤†. बस की खिड़की से आने वाली हवा मन और मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• को शीतलता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ कर रही थी साथ ही लंबे समय से घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के अà¤à¤¾à¤µ में मन में जमी हà¥à¤ˆ हताशा की बरà¥à¤« पिघलकर उसी खिड़की से निकलकर सड़क पर बिखरती जा रही थी. तनाव और थकान को à¤à¥à¤²à¤¾à¤•र मन-मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• हलà¥à¤•ा और हलà¥à¤•ा होता जा रहा था. दैनिक जीवन की à¤à¤¾à¤—दौड़ और शहरी वातावरण के कोलाहल को पीछे छोड़ते हà¥à¤ अपने गंतवà¥à¤¯ की और बढ़ते हà¥à¤ मन में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ दृशà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤ªà¤¨ तैरने लगे. पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक वातावरण के सà¥à¤µà¤ªà¤¨à¥‹à¤‚ में गोते लगाते हà¥à¤ कब आà¤à¤– लग गयी इसका आà¤à¤¾à¤¸ ही नहीं रहा. बस की रातà¥à¤°à¤¿ यातà¥à¤°à¤¾ में नींद तो आती नहीं बस आà¤à¤– लग जाती है. सà¥à¤¬à¤¹ आà¤à¤– खà¥à¤²à¤¨à¥‡ पर आà¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤† की बस अपने गंतवà¥à¤¯ के समीप ही पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•ी है. परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ मारà¥à¤— और पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने सà¥à¤¬à¤¹ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया.

पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी (कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚) में à¤à¤•ल (solo) घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी.
24 सितमà¥à¤¬à¤°, 2016
कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚ से लगà¤à¤— 9 किलोमीटर पहले à¤à¥à¤‚तर नमक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है. यहीं पर कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚-मनाली (à¤à¥à¤‚तर) हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ à¤à¥€ है. à¤à¥à¤‚तर से ही पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° आरमà¥à¤ होता है. यहीं से ही à¤à¤• मारà¥à¤— गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब, खीर गंगा, कसोल आदि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठजाता है. à¤à¥à¤‚तर से बरशैणी तक जाने वाली बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ तक जाया जा सकता है. कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚-मनाली से à¤à¥€ बस à¤à¥à¤‚तर के रासà¥à¤¤à¥‡ बरशैणी के लिठजाती हैं. à¤à¥à¤‚तर पर उतरकर बरशैणी जाने वाली बस में बैठकर आगे की यातà¥à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ की. इस मारà¥à¤— के सामानांतर पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी अपने पूरà¥à¤£ वेग के साथ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी से नीचे उतरती दिखाई देती है. à¤à¥à¤‚तर में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नदी में आकर मिलती है. इस पूरे मारà¥à¤— में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के तेज पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कल-कल के मधà¥à¤° सà¥à¤µà¤° को सà¥à¤¨à¤¾ जा सकता है.

पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी का à¤à¤• दृशà¥
अपनी यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से करना à¤à¤• शà¥à¤ विचार है. इसी आशय से मणिकरà¥à¤£ पर बस से उतरने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. मणिकरà¥à¤£ नमक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ घाटी में पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, जो हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं और सिकà¥à¤–ों का à¤à¤• तीरà¥à¤¥à¤¸à¥à¤¥à¤² है. हिंदू मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इस घाटी में शिव के साथ विहार के समय पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के कान (करà¥à¤£) की बाली (मणि) खो जाने के कारण इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम ‘मणिकरà¥à¤£’ पडा़. बस से उतरकर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ अदि दैनिक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ कà¥à¤› देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया. गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परिसर में आगंतà¥à¤•ों के लिठशौच, सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ अदि की उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के साथ ही पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक गरà¥à¤® पानी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के कà¥à¤‚ड तथा इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ठहरने वालों के लिठकमरों की उतà¥à¤¤à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है. गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परिसर में गरà¥à¤® पानी के विशाल कà¥à¤‚ड बने हà¥à¤ हैं जिनमें आराम से नहाया जा सकता है. पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ व महिलाओं के सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के लिठअलग-अलग पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध है। गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब का विशालकाय à¤à¤µà¤¨ इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का विशेष आकरà¥à¤·à¤£ है. ये à¤à¤µà¤¨ किसी राजमहल सा पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है.

गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब का विशालकाय à¤à¤µà¤¨
पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के किनारे बने इस à¤à¤µà¤¨ पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठछोटे से पà¥à¤² से होकर जाना होता है इस पà¥à¤² पर खड़े होकर पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के किनारे गरà¥à¤® कà¥à¤‚डों से उठता धà¥à¤‚आ और पारवती नदी के पà¥à¤°à¤šà¤‚ड वेगशाली रूप को देखा जा सकता है.

गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठबना पà¥à¤²
गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब के अतिरिकà¥à¤¤ यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अपने गरà¥à¤® पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है. खौलते पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ मणिकरà¥à¤£ का सबसे अचरज à¤à¤°à¤¾ और विशिषà¥à¤Ÿ आकरà¥à¤·à¤£ हैं. इन सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के गंधकयà¥à¤•à¥à¤¤ गरà¥à¤® पानी में कà¥à¤› दिन सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से चरà¥à¤® रोग या गठिया जैसे रोगों में विशेष लाठमिलता है. इस पानी में गंधक के कारण अधिक देर तक नहाने से चकà¥à¤•र à¤à¥€ आ सकते हैं. इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के गरà¥à¤® पानी का उपयोग गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ के लंगर के लिठचाय बनाने, दाल व चावल पकाने के लिठकिया जाता है. गरà¥à¤® पानी के इन सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ में पानी के तापमान का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ नीचे दिया गठविडियो से लगाया जा सकता है.
गरà¥à¤® पानी सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¤• अनà¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ है गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परिसर की गरà¥à¤® गà¥à¤«à¤¾. गरà¥à¤® गà¥à¤«à¤¾ गरà¥à¤® पानी सà¥à¤°à¥‹à¤¤ के ऊपर है जिसके कारण इसका तापमान परिसर के अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अपेकà¥à¤·à¤¾ बहà¥à¤¤ अधिक है. इतना गरà¥à¤® की गà¥à¤«à¤¾ के अंदर घà¥à¤¸à¤¤à¥‡ ही पसीने आने लगते हैं. अधिक देर तक गà¥à¤«à¤¾ में रह पाना बहà¥à¤¤ कठिन है. शरीर के कई रोगों के निवारण के लिठकà¥à¤› लोग इस गरà¥à¤®à¥€ को सहन करते हà¥à¤ गà¥à¤«à¤¾ में काफी देर तक रहते हैं.

गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ मणिकरà¥à¤£ साहिब परिसर में गरà¥à¤® गà¥à¤«à¤¾ का रासà¥à¤¤à¤¾
गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परिसर से ही à¤à¤• मारà¥à¤— मणिकरà¥à¤£ के बाज़ार और अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठजाता है. मणिकरà¥à¤£ में à¤à¤—वान राम (रघà¥à¤¨à¤¾à¤¥ जी), à¤à¤—वान कृषà¥à¤£, à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ और à¤à¤—वान शिव के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤µà¤‚ आकरà¥à¤·à¤• मंदिर à¤à¥€ हैं. ये धारà¥à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤² इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ को और अधिक बढ़ा देते हैं.

मणिकरà¥à¤£ में रघà¥à¤¨à¤¾à¤¥ जी मंदिर

मणिकरà¥à¤£ में नैना देवी मंदिर

मणिकरà¥à¤£ में शिव जी का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मंदिर à¤à¤µà¤‚ गरà¥à¤® सà¥à¤°à¥‹à¤¤ के समीप रà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤µà¤¤à¤¾à¤°
उनà¥à¤¨à¤¤ परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ नदी के तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ छोटा सा मणिकरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सà¥à¤‚दरता à¤à¤µà¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¤¾ का अनूठा संगम है.

मणिकरà¥à¤£ से बरशैणी जाने वाले मारà¥à¤— से दिखाई देता आकरà¥à¤·à¤• मणिकरà¥à¤£
मणिकरà¥à¤£ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को देखने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परिसर में मिलने वाले लंगर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया. इसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ मणिकरà¥à¤£ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर आकर आगे की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठबरशैणी जाने वाली बस की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने लगा.
मणिकरà¥à¤£ से बरशैणी à¤à¤µà¤‚ खीर गंगा टà¥à¤°à¥‡à¤• का विवरण आगामी लेख में …
Very informative and well written post about Gurdwara Manikaran Sahib and the temples. Enjoyed reading it. Would look forward to your ensuing post on Kheer Ganga Trek.
Thank you Ram Dhall ji for your valuable comment. Sorry for late response, I faced some technical issues to logging in so cannot reply the comments. Hoping to receive your inspirational words in future.
Manikaran’s Gurduwara is indeed a sight, right next to Parvati, flanked all around by hills, its heavenly. We visited it during 2008-2010 and I still remember the chaos around parking with busloads of people all around. I do not remember but may be it was one of the important days.
Looking forward to read the next leg, Munesh. Thank you for sharing.
Thank you Nandan ji for your response to Manikaran story.