कौन जान सकता है कि धरती के अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤¯à¤¾ पक रहा है? पर कहीं ना कहीं तो कोई जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ जरà¥à¤° à¤à¤¡à¤¼à¤• रही होगी, जो धरती की सतह को फोड़ कर कà¤à¥€ जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤®à¥à¤–ी से पिघले हà¥à¤ मैगà¥à¤®à¤¾ बन कर निकलती है तो कà¤à¥€ गरà¥à¤® पानी की सतत बहने वाली धारा के रूप में बाहर आ कर हमें आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤šà¤•ित कर देती है. मà¥à¤‚बई महानगर के बिलकà¥à¤² नजदीक à¤à¤¸à¥‡ गरà¥à¤® पानी के सोतों को देखने की खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ ले कर मैं निकला था. गणेशपà¥à¤°à¥€ के सोतों के देखने के बाद मैं वहाठसे लगà¤à¤— २ किलोमीटर दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ नामक शहर में आ गया. यह à¤à¤• छोटा शहर है, जो मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी नामक परà¥à¤µà¤¤ की तलहटी में बसा हà¥à¤† है. मनà¥à¤¦à¤¾à¤•िनी परà¥à¤µà¤¤ के उठान के बारे में कहा जाता है कि वह पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ काल में हà¥à¤ˆ किसी जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤®à¥à¤–ी विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ के कारण बना था. इस शहर के ठीक मà¥à¤–à¥à¤¯ चौक पर विशाल किलेनà¥à¤®à¤¾ “वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ योगिनी देवी का मंदिर†है. इस शहर का नामकरण यहाठकी अधिषà¥à¤ ातà¥à¤°à¥€ देवी वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ के नाम पर हà¥à¤† है. कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासियों ने, जिनके मकान या जमीन मंदिर के निकट हैं, वहाठगाड़ी पारà¥à¤•िंग का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ खोल रखा है, जो उनकी आमदनी का à¤à¤• बड़ा सà¥à¤°à¥‹à¤¤ है. à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• पारà¥à¤•िंग में गाड़ी खड़ी कर मैं वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठचला.

वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ देवी का मंदिर के सामने का दृशà¥à¤¯
मंदिर के सामने फूल-माला, साड़ी-ओढ़नी, पूजन सामगà¥à¤°à¥€ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ की दà¥à¤•ानें लगी हैं. वहीठपर आस-पास के इलाके में जाने के लिठऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ और तांगे à¤à¥€ मिलते हैं. काफी चहल-पहल बनी रहती है. चपà¥à¤ªà¤²à¥‡à¤‚ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ रखने के लिठआमतौर पर फूल-माला बेचने वाले दà¥à¤•ानदार सहयोग करते हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤¸à¤¾ उनके वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ के लिठà¤à¥€ फायदेमंद होता है. पर मंदिर पà¥à¤°à¤¬à¤‚धन ने मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़े को पार करने के बाद किनारे पर चपà¥à¤ªà¤²-जूता सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड à¤à¥€ बना रखा है. मंदिर का मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़ा ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर है, जहाठतक जाने के लिठ५२ सीढियाठचढ़नी पड़ती हैं. कई शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥-à¤à¤•à¥à¤¤ इन सीढ़ियों पर चढ़ते समय पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कदम पर कपूर की बतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जलाते हैं. à¤à¤¸à¤¾ वे तब करते हैं, जब उनकी कोई मनà¥à¤¨à¤¤ पूरी हो जाती है. मानसून में तो सीढियाठà¤à¥€à¤‚गी और ठंडी थीं, परनà¥à¤¤à¥ गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में यह धूप से तपती रहती हैं. लगà¤à¤— आधी ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ सीढियाठचढ़ने पर à¤à¤• सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ रंग का कछà¥à¤ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ लगी है, जिसे à¤à¤—वानॠके कूरà¥à¤®-अवतार का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• माना जाता है.

मंदिर के गेट पर अंकित मंदिर का इतिहास
मंदिर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़े के ऊपर à¤à¤• नकà¥à¤•ारखाना है, जहाठसे पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ काल में संगीतकार धà¥à¤¨à¥‡à¤‚ बजाते होंगे. बाहर से यह मंदिर à¤à¤• छोटे किले के रूप में दीखता है. इस किला-रà¥à¤ªà¥€ मंदिर की कहानी मराठा-पोरà¥à¤¤à¥à¤—ीस यà¥à¤¦à¥à¤§ से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हà¥à¤ˆ है. १à¥à¥©à¥¯ के पहले पोरà¥à¤¤à¥à¤—ीस शासक वसई के किले से शासन करते थे. लोगों के बीच उनकी कà¥à¤°à¥‚रता की कहानियाठथीं. तब पेशवा बाजी राव-पà¥à¤°à¤¥à¤® के छोटे à¤à¤¾à¤ˆ चीमा जी अपà¥à¤ªà¤¾ ने वसई किले को फ़तह करने के लिठडेरा डाला. लगà¤à¤— तीन वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद à¤à¥€ किला फ़तह नहीं हो सका. तब चीमा जी अपà¥à¤ªà¤¾ ने देवी वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ का पूजन किया. लोकोकà¥à¤¤à¤¿ है कि पूजन के बाद देवी ने सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ में उनको वासी किले को जीतने का तरीका बताया. बताये हà¥à¤ तरीके से यà¥à¤¦à¥à¤§ करने से वसई किला मराठों ने जीत लिया और पोरà¥à¤¤à¥à¤—िसों को खदेड़ दिया. जीत के बाद चीमा जी अपà¥à¤ªà¤¾ ने वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ देवी का मंदिर बनवाया. मंदिर के मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़े पर उनकी वीरता की कहानी सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में आज à¤à¥€ अंकित है.

मंदिर परिसर से मंदिर का दृशà¥à¤¯
मà¥à¤–à¥à¤¯ दरवाज़े को पार कर और खमà¥à¤¬à¥‡-यà¥à¤•à¥à¤¤ मंडप से हो कर मैं मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर के गरà¥à¤-गृह तक पहà¥à¤à¤š गया. मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से बना था, जबकि खमà¥à¤¬à¤¾-यà¥à¤•à¥à¤¤ मंडप में सीमेंट की बनावट लग रही ठी. मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर में गरà¥à¤-गृह के सामने à¤à¥€ गोलाकार गà¥à¤®à¥à¤¬à¤¦ वाला à¤à¤• चौकोर मंडप था, जिसमें à¤à¤¾à¤¡à¤¼-फानूस लटक रहे थे. इस मंडप में पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से बने तीन नकà¥à¤•ाशीदार कलातà¥à¤®à¤• दरवाज़े थे, जिसमें नारद मà¥à¤¨à¤¿ की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ मà¥à¤–à¥à¤¯ मानी जाती है. गरà¥à¤-गृह के दरवाज़े के दोनों तरफ़ जय-विजय की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ थी. जय-विजय को à¤à¤—वानॠविषà¥à¤£à¥ का अंगरकà¥à¤·à¤•/दरबान माना जाता है.

मंदिर का मंडप
मंदिर के गरà¥à¤-गृह में वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ देवी की मूरà¥à¤¤à¤¿ है, जिसमें उनके हाथों में तलवार और गदा है. उनके साथ रेणà¥à¤•ा देवी की à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ है, जो à¤à¤—वानॠपरशà¥à¤°à¤¾à¤® की माता थीं. तीसरी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सपà¥à¤¤à¥à¤¶à¥à¤°à¥€à¤‚गी देवी की है, जो महिषासà¥à¤°-मरà¥à¤¦à¤¿à¤¨à¥€ थीं. वहीठमहालकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का à¤à¥€ विगà¥à¤°à¤¹ है. वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ देवी की कहानी वजà¥à¤° नामक असà¥à¤¤à¥à¤° से समà¥à¤¬à¤‚धित है. कहानी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हजारों वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ, इस इलाक़े में, कलà¥à¤²à¤¿à¤•ा नामक à¤à¤• राकà¥à¤·à¤¸ रहता था, जिसके दà¥à¤°à¤¾à¤šà¤°à¤£ से सà¤à¥€ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ परेशान थे. उसकी यातनाओं से परेशान हो कर महरà¥à¤·à¤¿ वशिषà¥à¤ ने à¤à¤• यजà¥à¤ž किया, जिससे देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो गयीं. पर उसी यजà¥à¤ž में देवताओं के राजा इंदà¥à¤° को आहà¥à¤¤à¤¿ नहीं दी गई, जिसके कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ हो कर अपने “वजà¥à¤°â€ नामक असà¥à¤¤à¥à¤° से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° कर दिया. वजà¥à¤° को आता देख कर सà¤à¥€ देवी की शरण में आ गà¤. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी शरण में ले कर देवी ने सà¤à¥€ की रकà¥à¤·à¤¾ की और साथ में कालà¥à¤²à¤¿à¤•ा राकà¥à¤·à¤¸ को à¤à¥€ मार डाला. à¤à¤• दूसरी कहानी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° इंदà¥à¤° ने अपना वजà¥à¤° कलà¥à¤²à¤¿à¤•ा राकà¥à¤·à¤¸ पर चलाया था. जब राकà¥à¤·à¤¸ ने वजà¥à¤° को à¤à¥€ निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ करने की कोशिश की, तो देवी ने वजà¥à¤° में समां कर कलà¥à¤²à¤¿à¤•ा का वध कर दिया. इसी वजह से इन देवी का नाम वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤†. वहाठफोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषिदà¥à¤§ थी. पर मंदिर में शांति का अहसास होता था. लोगों के आने-जाने का सिलसिला सतत चलता रहता था. दूर-दूर से लोग वहाठआ कर पूजन सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª फूल और नारियल चढ़ाते थे. कà¥à¤› लोग यहाठसाड़ियाठà¤à¥€ चढ़ाते हैं, जो बाद में मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में शà¥à¤°à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिठरखी रहती हैं.

पूजन का समय-सारणी
मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर के बाहर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में कपिलेशà¥à¤µà¤° महादेव मंदिर, दतà¥à¤¤ मंदिर, हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ कà¥à¤› और मंदिर हैं. पीपल के à¤à¤• वृकà¥à¤· की à¤à¥€ पूजा होती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसका आकार गणेश मूरà¥à¤¤à¤¿ से मिलता-जà¥à¤²à¤¤à¤¾ है. कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ लोगों की समाधियाठà¤à¥€ उसी पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन में हैं, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मंदिर के बनने में अपनी à¤à¥‚मिका अदा की थी. मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिर के बगल से सीढ़ियों वाला à¤à¤• रासà¥à¤¤à¤¾ उस परà¥à¤µà¤¤ की चोटी पर जाता है. लगà¤à¤— १५० सीढियाठचढ़ कर चोटी पर मैं à¤à¥€ गया. वहाठसे आस-पास का इलाक़ा बड़ा मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ दीखता है. चोटी पर à¤à¤• बड़ा मंडप à¤à¥€ बना हà¥à¤† है, जिसमें १à¥à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के à¤à¤• संत की समाधी है. उस मंडप में बैठकर मैंने अपनी थकान दूर कर ली और फिर नीचे उतर गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मंदिर देखने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ मà¥à¤à¥‡ गरà¥à¤® पानी के सोतों को देखने की उतà¥à¤¸à¥à¤•ता थी.

चोटी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ समाधि – मंडप
मंदिर की ५२ सीढ़ियों से नीचे उतरने के बाद मà¥à¤–à¥à¤¯ चौराहे से अकà¥à¤²à¥‹à¤²à¥€ गाà¤à¤µ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है. अकà¥à¤²à¥‹à¤²à¥€ गाà¤à¤µ वहाठसे लगà¤à¤— १.५ किलोमीटर की दूरी पर था. वहाठजाने के लिठमहाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° टà¥à¤°à¤¾à¤‚सपोरà¥à¤Ÿ कारपोरेशन की बस, ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ अथवा घोड़ों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खींचे जाने वाले तांगे उपलबà¥à¤§ थे. गाड़ी à¤à¥€ जा सकती थी. परनà¥à¤¤à¥ मैंने पैदल-यातà¥à¤°à¤¾ करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¥à¤› होटल à¤à¥€ हैं, जिससे यह जाहिर होता है कि गरà¥à¤® कà¥à¤‚डों के कारण कई यातà¥à¤°à¥€ यहाठआते होंगे. आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ तो तब हà¥à¤† जब इस छोटे से गाà¤à¤µ के रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• वृधाशà¥à¤°à¤® और à¤à¤• सनेटोरियम à¤à¥€ मिला. काफी दूर तक रासà¥à¤¤à¤¾ तनà¥à¤¸à¤¾ नदी के किनारे-किनारे चलता है. नदी और हरे-à¤à¤°à¥‡ खेत के बीच से चलने में बड़ा आनंद आ रहा था. मसà¥à¤¤à¥€ से चलते चलते मैं लगà¤à¤— आधी दूरी à¤à¥€ तय कर ली थी. परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• तांगेवाला पीछे पड़ गया. उसके कई बार मनà¥à¤¹à¤¾à¤° करने के कारण मैंने अंतिम कà¥à¤› दूरी उसके तांगे पर सवार हो कर पूरी की. हालाà¤à¤•ि सौदा मेरे घाटे का रहा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सिरà¥à¤« आधी दूरी तय करने पर à¤à¥€ पूरी दूरी के पंदà¥à¤°à¤¹ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ ही देने पड़े.

तांगे की यातà¥à¤°à¤¾
तांगे ने मà¥à¤à¥‡ अकà¥à¤²à¥‹à¤²à¥€ गाà¤à¤µ के मà¥à¤–à¥à¤¯ चौराहे पर उतार दिया, वहाठसे तनà¥à¤¸à¤¾ नदी लगà¤à¤— १०० मीटर मातà¥à¤° की दूरी पर थी. नदी के तट पर बसे हà¥à¤ गाà¤à¤µ के कà¥à¤› परिवारों ने वहाठटिन के छपà¥à¤ªà¤°à¥‹à¤‚ वाली छोटी-छोटी à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤ लगा रखीं थीं. उन à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में लोहे के पायों वाली बहà¥à¤¤à¥‡à¤°à¥€ खाटें लगीं थीं ताकि आगंतà¥à¤• परिवार वहाठठहर कर नदी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ कपड़े इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ बदल सके. तट पर जाने के लिठउसी गाà¤à¤µ के मधà¥à¤¯ से à¤à¤• गलियारा खà¥à¤²à¤¾ हà¥à¤† था, जिससे गà¥à¤œà¤¼à¤° कर मैं तनà¥à¤¸à¤¾ नदी के तट पर आ गया. उस नदी के तट पर किसी अनà¥à¤¯ मारà¥à¤— से ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ तक पहà¥à¤à¤š जा सकता था. जिसकी वज़ह से ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ चालकों ने अपने-अपने ऑटोरिकà¥à¤¶à¤¾ को नदी में ही उतार दिया था और उसकी धारा में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धो रहे थे. उसी नदी की धाराओं में कà¥à¤› कारें और कà¥à¤› मोटरसाइकिलें à¤à¥€ धà¥à¤² रहीं थीं. à¤à¤¸à¥‡ में पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ का किसी को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं था.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
वहाठपर असंखà¥à¤¯ लोगों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ थी. किनारे पर जल का बहाव और ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ दोनों कम थे, जिसकी वज़ह से लोग नदी की धारा में कमर तक जा कर मसà¥à¤¤à¥€ से डà¥à¤¬à¤•ियाठलगा रहे थे. à¤à¤•-दूसरे पर जल के छीटें फेंकना, हंसी-मज़ाक करना, पानी के बीच अपनी फोटो खिंचवाना इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ जल-कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं से लोग खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मना रहे थे. तैरना जानने वाले लोग तो उस नदी के बीचो-बीच तैर रहे थे. कà¥à¤› सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯à¤¾à¤‚ नदी के तट पर बैठकर अपनी-अपनी अंजà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में किनारे पर आई हà¥à¤ˆà¤‚ छोटी-छोटी मछलियों को पकड़ने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ कर रहीं थीं. समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वातावरण बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की किलकारियों से, महिलाओं की खिलखिलाहट से और पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के मौज़ों से गà¥à¤‚जायमान था. à¤à¤¸à¤¾ लगता था कि आसपास के गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ और शहरों से परिवार-जन उस दिन तनà¥à¤¸à¤¾ नदी की धाराओं में अठखेलियाठकरने आये हà¥à¤ थे.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी-तट पर बने गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤‚ड
नदी के तट पर सीमेंट से घेर कर चार कà¥à¤‚ड à¤à¥€ बने हà¥à¤ थे. इन कà¥à¤‚डों में गरà¥à¤® पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ थे, जिनसे धरती के अनà¥à¤¦à¤° से लगातार गरà¥à¤® पानी निकलता रहता है. वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¸à¤¾ मानते हैं कि धरती के अनà¥à¤¦à¤° जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤®à¥à¤–ी के पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में फà¤à¤¸à¥€ हà¥à¤ˆ जलधारा के धरती को किसी कमज़ोर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर फोड़ कर निकलने से इस पà¥à¤°à¤•ार के गरà¥à¤® सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ होता है. इस पà¥à¤°à¤•ार के जल में सलà¥à¤«à¤¼à¤° की मातà¥à¤°à¤¾ होती है, जो चरà¥à¤®-रोग की समसà¥à¤¯à¤¾ से निज़ात देता है. कई लोग नदी के किनारे उन कà¥à¤‚डों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे थे. आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ था की à¤à¤• तरफ़ नदी की ठंडी धारा बह रही थी और उसी के किनारे पर गरà¥à¤® पानी का सोता à¤à¥€ था. मैं उन कà¥à¤‚डों के पास चला गया और अपने पैर गरà¥à¤® पानी में डाले. पानी इतना गरà¥à¤® था कि यदि सावधानी ना बरती जाठतो पैरों में फोले हो सकते हैं.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी की धारा में निकले गरà¥à¤® पानी के दो सोते
कà¥à¤‚ड में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने मà¥à¤à¥‡ बताया कि वहाठकà¥à¤² मिला कर सात सोतें हैं. चार सोते तो नदी के तट पर ही थे, जिनके ऊपर लोगों की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठसीमेंट के कà¥à¤‚ड बना दिठगठथे. अनà¥à¤¯ तीन सोते बिलकà¥à¤² नदी की धारा के बीच में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे. किनारे से देखने पर नदी की धारा के बीच में ही तीन अलग-अलग सीमेंट के कà¥à¤‚ड बने हà¥à¤ दीखते थे. यह कà¥à¤‚ड गरà¥à¤® पानी से सोतों के ऊपर बने थे. पर वासà¥à¤¤à¤µ में धरती के अनà¥à¤¦à¤° से इन सोतों से गरà¥à¤® पानी निकलता था और ऊपर से नदी की ठंडी धारा बहती थी. à¤à¤¸à¤¾ आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ मैंने पहले कà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं देखा था की नदी बह रही हो और उसी में गरà¥à¤® पानी से सोते à¤à¥€ हों.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी की बीच धारा में गरà¥à¤® पानी का à¤à¤• सोता
इनमें से à¤à¤• कà¥à¤‚ड तो बिलकà¥à¤² नदी के मधà¥à¤¯ में था, जहाठसिरà¥à¤«à¤¼ तैराक ही जा सकते थे. पर जो कà¥à¤‚ड नदी के किनारे से थोड़ी दूरी पर ही थे, उनमें सà¤à¥€ जा सकते थे. उनमें से à¤à¤• कà¥à¤‚ड महिलाओं ने अपने अधीन कर लिया था और दूसरे को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ ने. मैं à¤à¥€ नदी की धारा में चला गया. वहाठपर पानी सिरà¥à¤«à¤¼ à¤à¤¡à¤¼à¥€ à¤à¤° था. पानी में चल कर मैं नज़दीक वाली दोनों कà¥à¤‚डों के समीप गया. जो कà¥à¤‚ड पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के पास थे, उन पर चढ़ने से गरà¥à¤® पानी का सोता दीखता था, जिसमें से à¤à¤¾à¤ª निकल रही थी. पैर डालने पर पानी की तेज गरà¥à¤®à¥€ का अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ हà¥à¤†. अब यह आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ नहीं तो और कà¥à¤¯à¤¾ है कि नदी की ठंडी धाराओं के मधà¥à¤¯ में धरती से गरà¥à¤® पानी à¤à¥€ निकल रहा है. लोकोकà¥à¤¤à¤¿ है कि जिन दानवों का देवी ने वध किया था, उनके गरà¥à¤® रकà¥à¤¤ की धारा इन सोतों से निकली थी, वही कालांतर में गरà¥à¤® पानी के सोतों में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो गई.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी में à¤à¤—वानॠका जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤•
सोतों से थोड़ी ही दूरी पर नदी-तट पर लोगों के नदी-सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ हेतॠà¤à¤• पकà¥à¤•ा घाट à¤à¥€ बना हà¥à¤† है. उस दिन उस घाट पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के à¤à¤•à¥à¤¤-जन आये हà¥à¤ थे, जिनकी विशेष परंपरा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤—वानॠसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ का जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• वहाठसमà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो रहा था. खैर, मैं काफ़ी देर तक वहाठखड़ा रह कर à¤à¤—वानॠके जलाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• और तनà¥à¤¸à¤¾ नदी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ उन सोतों को देख कर आसà¥à¤¥à¤¾ और क़à¥à¤¦à¤°à¤¤ की इन करिशà¥à¤®à¤¾à¤“ं के बारे में सोच-सोच कर विसà¥à¤®à¤¯ करता रहा. अचानक खà¥à¤¯à¤¾à¤² आया कि शाम ढलने के पहले मà¥à¤‚बई वापस à¤à¥€ तो पहà¥à¤‚चना था. बस पैदल चल कर वापस वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ आया गया, जहाठà¤à¤• पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤² पर मेरी गाड़ी लगी हà¥à¤ˆ थी. अब यदि कोई टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से यहाठआना चाहे तो उसे वसई या विरार सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर उतरना होगा. वहाठसे ऑटो या बस की सवारी ले कर वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ तक पहà¥à¤‚चा जा सकता है.
Not only the travel-details around how to reach, what to do, your logs also contain all the background mythological information too. Bravo.
Indeed India has so much to see and experience. Thank you Uday.
Thank you very much.
Yes. It is true that our country has too many known and unknown points to travel and experience.
Dear Udai Baxi, Very interesting and detailed description to reach marvellous temples and hot water springs.You have given its every minute detail that will help every traveller to reach there comfortably. Thanks.
It feels very nice when the post is liked by fellow Ghumakkars. Thank you Sir.
Uday, you have the knack of handling a difficult subject with perfect ease. Highly readable post.
Thanks a lot sir for appreciation. It means a lot. Yes. I am really trying to experiment with different types of venues and all.
Its really nice to read the unknown places with so much importance Baxi Ji. So beautifully Documented.