सदियों से मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरती की सतह को फोड़ कर निकलने वाले गरà¥à¤® जल के सोते को देख कर विसà¥à¤®à¤¯ करता रहा है. कहाठसे यह गरà¥à¤® पानी सतत रूप से आता होगा, इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का हल निकालने की चेषà¥à¤Ÿà¤¾ बड़े-बड़े वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• करते रहे हैं. दूसरी तरफ साधारण मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤—ण उन गरà¥à¤® जल के सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से कई अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•ार से अपना नाता तय करते रहे हैं. कà¤à¥€ तो धारà¥à¤®à¤¿à¤• रूप से और कà¤à¥€ औषधि पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के रूप से. चाहे कà¥à¤› à¤à¥€ हो, गरà¥à¤® पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‡ सदा-सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को लà¥à¤à¤¾à¤¤à¥‡ रहे हैं. मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ जब, मà¥à¤‚बई के निकट गणेशपà¥à¤°à¥€ नामक शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गरà¥à¤® पानी केकà¥à¤› सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ के बारे में पता चला, तो मà¥à¤ पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखने की धà¥à¤¨ सवार हो गई. और इसी धà¥à¤¨ में ११ सितमà¥à¤¬à¤° २०१६ (रविवार) को मैं à¤à¤•बार फिर से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उचà¥à¤šà¤ªà¤¥ ४८ पर चल पड़ा, जो आगे चल कर मà¥à¤‚बई को दिलà¥à¤²à¥€ से जोड़ने वाली राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उचà¥à¤š पथ ०८ ही कहलाती थी. दहिसर चेकनाका से सड़क मारà¥à¤— से वह क़रीबन ४५ किलोमीटर की यातà¥à¤°à¤¾ थी. चेकनाका पर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• गाड़ी से ३५ रूपये का टोल चारà¥à¤œ लिया जाता था. यह चारà¥à¤œ फिर से लौटती बार à¤à¥€ देना पड़ता था. खैर दहिसर चेकनाका पर मà¥à¤‚बई मà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤² कारपोरेशन का à¤à¤µà¥à¤¯ दरवाज़ा हर आने-जाने वाले को मानों सà¥à¤µà¤¾à¤—त और विदाई करता हà¥à¤† पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता था. उसी आकरà¥à¤·à¤• दरवाज़े से पार हो कर मेरी गाड़ी आगे बढ़ी.

दहिसर चेकनाका पर मà¥à¤‚बई मà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤² कारपोरेशन का à¤à¤µà¥à¤¯ दरवाज़ा
दहिसर नाके से क़रीबन ३० किलोमीटर तक का रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही बढ़िया था. इसे मà¥à¤‚बई-अहमदाबाद उचà¥à¤š पथ à¤à¥€ कहते हैं. इस पर गाड़ी à¤à¤¸à¥€ चलती है, मानों सड़क पर मकà¥à¤–न बिछा हो और चकà¥à¤•े उस पर फिसलते जाते हों. मानसून के समय यहाठकी हरियाली ने और सà¥à¤¬à¤¹ की ठंडी हवाओं ने मेरी यातà¥à¤°à¤¾ को और à¤à¥€ मनोहर बनाना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया था. उस पर से वसई कà¥à¤°à¥€à¤• पर बने पà¥à¤² से पार करते समय चारों तरफ़ से पहाड़ों से घिरे हà¥à¤ कà¥à¤°à¥€à¤• में बहते हà¥à¤ जल के आकरà¥à¤·à¤£ से वशीà¤à¥‚त हो गया. पर वहीठरà¥à¤• कर फ़ोटो उतारने के सिवा और मैं कर à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ सकता था. वहाठसे वसई-विरार मà¥à¤¨à¤¿à¤¸à¤¿à¤ªà¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है. सà¥à¤¦à¥‚र कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ पर हरे रंग के पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से घिरी परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खलाà¤à¤‚ दिखने लगती हैं और सड़कें यदा-कदा घाटों के बीच से चढ़ती-उतरती जाती हैं. वसई और विरार के इलाके को पार करने के बाद à¤à¤• शिरशाट नामक गाà¤à¤µ आता है, जहाठसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उचà¥à¤š पथ छोड़ना था. यहीं धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना पड़ता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि फà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤“वर के नीचे से राजà¥à¤¯à¤•ीय उचà¥à¤š पथ का रासà¥à¤¤à¤¾ दाहिने जाता था. यदि यहाठधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ चूका तो निररà¥à¤¥à¤• सीधे काफी आगे तक जा कर पà¥à¤¨à¤ƒ वापस लौटना पड़ेगा.

वसई कà¥à¤°à¥€à¤• का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
शिरशाट से १५ किलोमीटर की दूरी पर गणेशपà¥à¤°à¥€ शहर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ था. यहाठसे सिंगल लेन वाला शिरशाट – वजà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¥€ राजà¥à¤¯à¤•ीय उचà¥à¤šà¤ªà¤¥ शà¥à¤°à¥‚ हो गया. कई जगहों पर इस रासà¥à¤¤à¥‡ के दोनों तरफ़ बरगद के बड़े-बड़े वृकà¥à¤· थे, जिनसे बड़ी-बड़ी जड़ें लटक रहीं थीं. मैंने देखा कि कई आदिवासी वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से गिरने वाले टहनियों और पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को इकठà¥à¤ ा कर रहे थे, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाद में शायद बाज़ार में बेच दिया जायेगा. इस इलाक़े में पकà¥à¤•ी ईंटें बनाने वाले à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ à¤à¥€ थे. साथ ही कई दà¥à¤—à¥à¤§-शालायें à¤à¥€ थीं. उसगांव नामक à¤à¤• गाà¤à¤µ à¤à¥€ इस रासà¥à¤¤à¥‡ पर पड़ता है, जहाठसे लोग उसगांव डैम पर जा सकते हैं. १५ किलोमीटर पर गणेशपà¥à¤°à¥€ का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ बायीं तरफ़ खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है, जहाठगणेशपà¥à¤°à¥€ की दिशा दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बड़े-बड़े बोरà¥à¤¡ लगे हà¥à¤ हैं ताकि यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कोई असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ नहीं हो.

गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤
गणेशपà¥à¤°à¥€ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही शà¥à¤°à¥€ à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° सदà¥à¤—à¥à¤°à¥ नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द संसà¥à¤¥à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित “गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ †का दरà¥à¤¶à¤¨ होता है. शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¿à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द सिदà¥à¤§à¤¯à¥‹à¤— के à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़े महातà¥à¤®à¤¾ हà¥à¤ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने १९३६ से १९६१ तक गणेशपà¥à¤°à¥€ में ही तप-योग-मनन किया था. इनके शिषà¥à¤¯ का नाम मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤‚द था, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गणेशपà¥à¤°à¥€ में à¤à¤• विशाल सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ तथा शà¥à¤°à¥€ à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की. इस दोनों महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं की समाधी à¤à¥€ गणेशपà¥à¤°à¥€ में ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-जांच के बाद पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने दिया जाता है. गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ की à¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ वहाठसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. उस हौल में बड़ी शांति रखी जाती है. शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥-à¤à¤•à¥à¤¤à¤—ण वहाठबैठकर मनन और धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं. परनà¥à¤¤à¥ यह सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ दिन के १२ बजे से दोपहर ३ बजे तक दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठबंद रहता है. संधà¥à¤¯à¤¾ को à¤à¥€ ६ बजे के बाद यहाठदरà¥à¤¶à¤¨ समापà¥à¤¤ हो जाता है. यदि मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¤‚द जी की समाधि का दरà¥à¤¶à¤¨ करना हो, तो वह सिरà¥à¤« शनिवार-रविवार को अलà¥à¤ª समय के लिठखà¥à¤²à¤¤à¤¾ है. इस सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ के अनà¥à¤¦à¤° फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ निषिदà¥à¤§ है.वहीठपर à¤à¤• छोटा मंदिर “गà¥à¤°à¤¾à¤®-देवी†को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है, जहाठजा कर लोग पूजन-à¤à¤œà¤¨ कर सकते हैं और तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ à¤à¥€ ले सकते हैं.

गà¥à¤°à¤¾à¤® देवी का मंदिर
मैंने अपनी गाड़ी सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ के सामने खड़ी करने के बाद वहाठका दरà¥à¤¶à¤¨ कर लिया. अब मà¥à¤à¥‡ गरà¥à¤® पानी के सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ की तलाश थी. पता चला कि सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‡ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ से लगà¤à¤— १.५ किलोमीटर की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. गाड़ी वहाठतक जा सकती थी. पर मैंने पैदल ही चलने का निशà¥à¤šà¤¯ किया ताकि मैं उस मà¥à¤«à¤¸à¥à¤¸à¤¿à¤² टाउनशिप को à¤à¥€ अचà¥à¤›à¥€ तरह से देख सकूं. लोकोकà¥à¤¤à¤¿ है की रामायण काल में à¤à¤—वानॠराम के गà¥à¤°à¥ महरà¥à¤·à¤¿ वशिषà¥à¤ ने यहाठà¤à¤• गणेशजी की मूरà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी और तपसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ की थी. à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि उसी से इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का नाम गणेशपà¥à¤°à¥€ पड़ा. छोटी सी बसà¥à¤¤à¥€ के रूप में बसे इस शहर में à¤à¤• जंगल à¤à¥€ था, जिसे महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° सरकार के वन-विà¤à¤¾à¤— ने गणेशपà¥à¤°à¥€ उपवन नाम दिया था.

à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर के सामने फूलों की दà¥à¤•ानें
उसी उपवन के किनारे-किनारे चलते हà¥à¤ मैं à¤à¤• विशाल मंदिर के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गन तक पहà¥à¤à¤š गया. यह “à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर†था. दूर-दराज से à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨ यहाठदरà¥à¤¶à¤¨ करने आते हैं. कहते हैं कि संत नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द इसी मंदिर के पास तपसà¥à¤¯à¤¾ किया करते थे. इस मंदिर में संगमरमर के पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ का उपयोग हà¥à¤† था. पर यहाठà¤à¥€ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषेध थी. इसके बड़े से हौल में बैठकर यहाठà¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥-गण शांति बना कर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ मगà¥à¤¨ थे. मधà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¹ आरती का समय हो गया था. धीरे-धीरे आरती की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ और घंटे-घरियाल बजने लगे. सारा वातावरण गूà¤à¤œ उठा और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥-à¤à¤•à¥à¤¤à¤—ण आरती में मगà¥à¤¨ हो गà¤.यहाठपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पांच बार आरती होती है, जिसमें पà¥à¤°à¤¥à¤® काकड़ आरती पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ ०४.०० बजे और अंतिम शयन आरती रातà¥à¤°à¤¿ ०९.०० बजे आयोजित की जाती है.
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à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर[/caption]
बाहर उस दिन बारिश à¤à¥€ हो रही थी. à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° मंदिर के सामने फूलों की दà¥à¤•ानें लगीं थीं. मालिनों ने बारिश से बचने के लिठरंग-बिरंगे छाते लगा लिठथे, जिनसे उन दà¥à¤•ानों की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ और à¤à¥€ निखरी जाती थी. फूलों के माले बेचने वाले दà¥à¤•ानों से जो माले लटक रहे थे, वे à¤à¥€ वरà¥à¤·à¤¾-जल से धà¥à¤² कर अपनी रंगों की छटा बिखेर रहे थे. बारिश जब बंद हà¥à¤ˆ, तब मैंने उनकी कà¥à¤› तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ लीं.उस à¤à¤µà¥à¤¯ मंदिर के साथ ही à¤à¤• “à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव शिव मंदिर†à¤à¥€ था, जो कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ लग रहा था. यहाठलोगों को पूजन करने की पूरà¥à¤£ अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ थी. सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोग यहाठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नंदी के कानों में अपनी मनोकामनाà¤à¤‚ कह रहे थे. मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि à¤à¤¸à¤¾ करने से उनकी मनोकामनाà¤à¤‚ पूरी हो जाती हैं.

à¤à¥€à¤®à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव शिव मंदिर
महादेव मंदिर से निकलते ही ऊà¤à¤šà¥€ चाहरदिवारियों से घिरा à¤à¤• दालान है, जिसमें चार कà¥à¤‚ड बने हà¥à¤ थे. यहीं गणेशपà¥à¤°à¥€ का विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ गरà¥à¤® पानी का सोता था. पà¥à¤°à¤¥à¤® कà¥à¤‚ड में गरà¥à¤® पानी का सोता है, जिसे सीमेंट से बनी चैमà¥à¤¬à¤° से घेर दिया गया है. लोग इसमें अपनी मनोकामनाओं की पूरà¥à¤¤à¥€ के लिठसिकà¥à¤•े डालते हैं. यही विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ उन सà¤à¥€ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है कि इस सोते में सिकà¥à¤•े डालने से मन की अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ पूरी होती है.

गरà¥à¤® पानी का सोता जिसमें लोग सिकà¥à¤•े डालते हैं
इस सोते से पानी पà¥à¤°à¤¥à¤® कà¥à¤‚ड में à¤à¤°à¤¤à¤¾ है. फिर पानी बह कर दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ और कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ तृतीय और चतà¥à¤°à¥à¤¥ कà¥à¤‚ड में चला जाता है. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ पानी बह कर दालान से बाहर निकल कर नदी में चला जाता है. इसीलिठपà¥à¤°à¤¥à¤® कà¥à¤‚ड में सबसे गरà¥à¤® पानी मिलता है. कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ गरà¥à¤®à¥€ अगले कà¥à¤‚डों में घटती चली जाती है. दालान में सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठअलग-अलग कपड़े बदलने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ à¤à¥€ है.कई लोग उन कà¥à¤‚डों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर रहे थे. लोग-बाग़ किनारे पर बैठकर पहले पैरों को पानी में डालते थे और फिर तापमान सà¥à¤¥à¤¿à¤° होने के बाद कà¥à¤‚ड में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ हेतॠउतरते थे.मैंने à¤à¥€ पानी में पैर डाला. सच में पानी बहà¥à¤¤ गरà¥à¤® था. अचानक उस गरà¥à¤® पानी में उतरने से थोड़ी जलन हो सकती है.

गणेशपà¥à¤°à¥€ के चार कà¥à¤‚ड
इस पà¥à¤°à¤•ार गणेशपà¥à¤°à¥€ का पहला गरà¥à¤® सोता मैं देख चà¥à¤•ा था. परनà¥à¤¤à¥ मेरा मन अà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं à¤à¤°à¤¾ था. मैंने पहले कहीं पढ़ रखा था कि वहाठà¤à¤• नदी à¤à¥€ बहती है और उस नदी के तट पर à¤à¥€ गरà¥à¤® पानी का à¤à¤• सोता है. उस तट पर जो सोता था उसका नाम लोगों ने “अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड†रखा था. कहते हैं कि उसका पानी इतना गरà¥à¤® है कि कचà¥à¤šà¥‡ चावल की पोटली तो पतले कपड़े में बाà¤à¤§ कर अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड में रखो तो कà¥à¤› ही मिनटों में चावल पक जाते हैं. इसीलिठकà¥à¤› देर वहाठबिताने के बाद मैं मंदिर परिसर से बाहर आ गया और किसी दूकानदार से नदी तट का रासà¥à¤¤à¤¾ पूछ कर उसी तरफ़ बढ़ चला. उस नदी का नाम तनà¥à¤¸à¤¾ नदी था. रासà¥à¤¤à¤¾ कचà¥à¤šà¤¾ था और मानसून में नदी के किनारे लगे हà¥à¤ सारे वृकà¥à¤· और पौधे हरे-à¤à¤°à¥‡ और विकसित थे. अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड का मारà¥à¤— पकड़ कर मैं नदी के तट पर आ तो गया, पर वहाठमालूम हà¥à¤† कि बरसात में नदी फूली हà¥à¤ˆ है और अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड का रासà¥à¤¤à¤¾ पूरी तरह से जलमगà¥à¤¨ है. आलम यह कि मैं अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड तक पहà¥à¤à¤š नहीं पाया और वापस लौट चला.

तनà¥à¤¸à¤¾ नदी और अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड जाने का मारà¥à¤—
इधर छिटपà¥à¤Ÿ हो रही बारिश से मेरा तन-बदन à¤à¥€à¤‚ग चà¥à¤•ा था. उस à¤à¥€à¤‚गे हà¥à¤ ठंडे मौसम में ईचà¥à¤›à¤¾ होने लगी कि गरà¥à¤® पानी के सोतों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ किया जाà¤. आखिर इतनी दूर मैं उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के लिठतो आया था. पर मैं महादेव मंदिर वाले उन सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• कà¥à¤‚डों में डà¥à¤¬à¤•ीनहीं लगाना चाहता था. किंकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¿à¤®à¥‚ढ़ता की उस परिसà¥à¤¤à¤¿à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में तनà¥à¤¸à¤¾ नदी के तट से जैसे निकला, वैसे ही à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ समय की कोठी नज़र आई. उतà¥à¤¸à¥à¤•ता शांत करने हेतॠमैं कोठी तक चला गया. इस कोठी का नाम रतà¥à¤¨à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ था. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में इसे “गरà¥à¤®-पानी सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ तथा हेलà¥à¤¥ रिसोरà¥à¤Ÿâ€ के रूप में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ किया गया था.

रिसोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¦à¤° गरà¥à¤® पानी के सोता
वहाठके अटेंडेंट ने मà¥à¤à¥‡ गरà¥à¤® पानी का à¤à¤• और सोता दिखाया जो उस पà¥à¤°à¥‰à¤ªà¤°à¥à¤Ÿà¥€ के परिसर में ही था. उस सोते से निकलते पानी को सीमेंट से बने हौदे में जमा कर सà¥à¤¨à¤¾à¤¨-गृह में à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाता था. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨-गृह पकà¥à¤•ा और साफ़-सà¥à¤¥à¤°à¤¾ था. वहाठबाकायदा बाथ-टब à¤à¥€ बना हà¥à¤† था. पर à¤à¤• बात है. वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बिलकà¥à¤² निरà¥à¤œà¤¨ था. उस निरà¥à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ में, मानसून की बारिश के दौरान, पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ कोठी में बने सà¥à¤¨à¤¾à¤¨-गृह के बाथ-टब में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करते समय à¤à¤• अजीब à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है, à¤à¤¸à¤¾ कि मानों कोई अनजान रहसà¥à¤¯ वहीठमौजूद हो और जिसे हम देख à¤à¥€ ना सकें. संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ मेरा à¤à¥à¤°à¤® होगा, परनà¥à¤¤à¥ उस रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯ à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ ने मà¥à¤à¥‡ जलà¥à¤¦à¥€ ही वहाठसे निकलने के लिठमजबूर कर दिया. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ तो मैं कर ही चà¥à¤•ा था, बस जलà¥à¤¦à¥€ से कपड़े बदले और उस निरà¥à¤œà¤¨à¤¤à¤¾ से बाहर निकल गया. हालाà¤à¤•ि अटेंडेंट ने बताया था कि सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में उस रिसोरà¥à¤Ÿ के सारे कमरे हमेशा बà¥à¤• रहते हैं. परनà¥à¤¤à¥ अचà¥à¤›à¤¾ होता यदि कोई उस दिन मानसून में à¤à¥€ अपने साथ होता. चहल-पहल होती रहती तो फिर शायद जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ देर तक वहाठरहा जा सकता था.

रिसोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¦à¤° गरà¥à¤® पानी का सोता से सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾
मैंने गणेशपà¥à¤°à¥€ के दो सोतों के बारे में पढ़ा था. पहला महादेव मंदिर में और दूसरा अगà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥à¤‚ड तनà¥à¤¸à¤¾ नदी में था. यहाठआकर मैंने तीसरा सोता à¤à¥€ देखा, जिसके कारण à¤à¤• रिसोरà¥à¤Ÿ à¤à¥€ चल रहा है.गणेशपà¥à¤°à¥€ आने के लिठरेलमारà¥à¤— से विरार अथवा वसई रोड सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ तक आने के बाद लोकल बस या टैकà¥à¤¸à¥€/ऑटो से à¤à¥€ आया जा सकता है. ठहरने और खाने-पीने के लिठयहाठकई होटल इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ हैं. नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¥€ ठहरने और कैंटीन की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की जाती है. यदि गरà¥à¤® पानी के सोतों में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना हो तो सबसे अचà¥à¤›à¤¾ मौसम सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का होगा. परनà¥à¤¤à¥ यदि धारà¥à¤®à¤¿à¤• मन से नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठआना हो, तो कोई à¤à¥€ मौसम ठीक होगा. खैर धरती से निकले गरà¥à¤® पानी में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने के बाद à¤à¥‚ख बड़ी खà¥à¤² कर लगती है. सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त नितà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चलाये जाने वाले कैंटीन में शà¥à¤¦à¥à¤§ शाकाहारी थाली का सेवन करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ मैं पैदल चलते हà¥à¤ सिदà¥à¤§à¤ªà¥€à¤ के पास खड़ी अपनी गाड़ी के पास आया और इसी इलाक़े में गरà¥à¤® पानी के कà¥à¤› और सोतों की खोज में चल पड़ा.
And we come to know of one more place which is hidden from the onslaught of tourists. Thank you Uday.
Yes. Ganeshpuri is not so famous with general tourists, specially from far off places. But Locals do travel to these hotsprings. Additionally, it is like a mecca for people, who follow the siddha panth, sadguru Nityanand and sadguru Muktanand.
Thanks a lot.