मà¥à¤‚बई में रहते-रहते मà¥à¤à¥‡ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† कि अहमदनगर में पà¥à¤°à¤¥à¤® और दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ टैंकों का à¤à¤• संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ है. इसे à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का à¤à¤•मातà¥à¤° टैंक मà¥à¤¯à¥‚जियम माना जाता है. पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ १९१४-१९१९ के दौरान और दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ १९४१-१९४५ के दौरान हà¥à¤† था. उस समय कैसे-कैसे टैंक होते होंगे, इसे जानने की जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ मेरे मन में à¤à¤° गयी. कहते हैं कि सचà¥à¤šà¥‡ मन से की गई इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ करने के लिठसंà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ बन जातीं हैं. अहमदनगर टैंक मà¥à¤¯à¥‚जियम की Yatra.
यकीन मानिठकि à¤à¤¸à¤¾ ही कà¥à¤› हà¥à¤† और मैं ०१ अगसà¥à¤¤ २०१६ को अहमदनगर पहà¥à¤à¤š गया. नासिक से लगà¤à¤— १६० किलोमीटर पर अहमदनगर नामक शहर पड़ता है. सड़क मारà¥à¤— से जाने के लिठनासिक-संगमनेर-अहमदनगर का रासà¥à¤¤à¤¾ बढ़िया है. उसी रासà¥à¤¤à¥‡ पर दौड़ती हà¥à¤ˆ हमारी गाड़ी हमें लगà¤à¤— ११.३० बजे अहमदनगर ले आई. उसी दिन हमें रातà¥à¤°à¤¿ गहराने के पहले वापस à¤à¥€ लौटना था. à¤à¤¸à¥€ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ के मधà¥à¤¯ में समय निकाल कर हमलोग जा पहà¥à¤‚चे अहमदनगर का “कैवलरी टैंक संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯â€, जहाठटैंकों की à¤à¤• मनोरंजक दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थी.

कैवलरी टैंक संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ सà¥à¤¥à¤²
वह संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना के अधीन था. मेजर-जेनेरल आई. à¤à¤¨. लूथरा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ फरवरी १९९३ में इस संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ की रूपरेखा बनाई गई थी. बाद में जेनेरल बी. सी. जोशी ने फरवरी १९९४ में इसका उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ किया था. यहाठतक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ वाला समतल और सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ ख़à¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤•ृति की सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ को अपने में समाये हà¥à¤ था. उस रासà¥à¤¤à¥‡ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मोड़ पर दो-दो टैंक सलामी-मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में रखे हà¥à¤ थे.
जैसे १९४२ का यूरोप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— होने वाला चरà¥à¤šà¤¿à¤² टैंक तथा १९६४ का पोलैंड में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ टोपास टैंक. रासà¥à¤¤à¥‡ में रखे उन टैंकों को देख कर असली मà¥à¤¯à¥‚जियम देखने की उतà¥à¤¸à¥à¤•ता और à¤à¥€ बढती जाती थी. मà¥à¤¯à¥‚जियम के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के सामने à¤à¤• खूबसूरत पारà¥à¤• था और साथ ही à¤à¤• बड़ा-सा पारà¥à¤•िंग सà¥à¤¥à¤², जहाठहमारी गाड़ी पारà¥à¤• हो गई.
मà¥à¤¯à¥‚जियम में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करते ही, मारà¥à¤— के दोनों तरफ टैंकों के उपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ टीले को पार करने के बाद, दोनों तरफ ताड़ के ऊà¤à¤šà¥‡-ऊà¤à¤šà¥‡ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से सजे मारà¥à¤— से चलने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मेरे सामने à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत पारà¥à¤• आया, जिसमें कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कटी हà¥à¤ˆà¤‚ और हरे-à¤à¤°à¥‡ घास लगे हà¥à¤ थे. वहीठपर टैंकों के विकास के इतिहास को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† à¤à¤• सूचना-बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगा हà¥à¤† था.

कैवलरी टैंक संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ का इतिहास
वहीठमà¥à¤à¥‡ थोड़ा समठआया कि घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤° दसà¥à¤¤à¤¾ और टैंकों का आपस में कà¥à¤¯à¤¾ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ है? पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ से पहले तोपों को रसà¥à¤¸à¥‡ से बाà¤à¤§ कर खींचा जाता था. इस कारà¥à¤¯ में घोड़े बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ साबित होते थे. यह à¤à¤• जटिल पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ थी, साथ ही घोड़ों के मारे जाने की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में तोपें निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ हो जातीं थीं. तब बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने सबसे पहले यह सोचा की कैसे तोपों को à¤à¤• लोहे की बनी यांतà¥à¤°à¤¿à¤•ीय गाड़ी में फिट किया जाय.
और तब से टैंकों का आविरà¥à¤à¤¾à¤µ हà¥à¤†. तोपों का नाम टैंक कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पड़ा? इस नामकरण का आधार इनके आविषà¥à¤•ार में रखी जाने वाली गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¤à¤¾ से था. आविषà¥à¤•ार को गà¥à¤ªà¥à¤¤ रखने के लिठ“टैंक†का नाम दिया गया, जो बाद में सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• रूप से मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर गया. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ मेरी नज़र पड़ी “Rolls-Royes Armoured Car†पर, जिसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान हà¥à¤† था. इसे बनाने के लिठरोलà¥à¤¸-रोयेस कंपनी की सिलà¥à¤µà¤° घोसà¥à¤Ÿ नामक कार की चेसिस पर लोहे के चदरे से बनी बॉडी का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² हà¥à¤† था, जिसमें à¤à¤• छोटी मशीनगन à¤à¥€ लगी हà¥à¤ˆ थी.
यह ४५ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से दौड़ सकती थी. विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ में यूरोप के कई देशों में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² आने के बाद १९४५ में यह ततà¥à¤•ालीन बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आंतरिक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में लगाई गई. जरा सोचिये कि इस आरà¥à¤®à¤°à¥à¤¡ कार का à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® को कà¥à¤šà¤²à¤¨à¥‡ में कितना डरावना इतिहास रहा होगा?

रोलà¥à¤¸ रोयेस आरà¥à¤®à¤°à¥à¤¡ कार
१९४० के आते-आते जल-थल दोनों में चल सकने वाले टैंक à¤à¥€ बनने लगे. à¤à¤¸à¤¾ ही “Landed vehicle Tracked A-4†नामक à¤à¤• उà¤à¤¯à¤šà¤° टैंक वहाठपर रखा था, जो सà¥à¤¥à¤² पर १ॠमील पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे और पानी में ६ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे के रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चलता था. सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® इसे बाढ़ में सहायता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के लिठबनाया गया था. पर बाद में १९४२-१९४३ में दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान इसका सामरिक उपयोग à¤à¥€ किया गया.
पास ही में à¤à¤• टैंक रखा था, जिसका नाम “Valentine Infantry Tank Mark-III†था. दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ में इसका पूरà¥à¤£ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² हà¥à¤† था, जिसमें इस टैंक ने मरà¥à¤¸à¥à¤¥à¤²à¥€ ज़मीनों पर अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सफलता हासिल की थी. इसका नाम वैलेंटाइन कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पड़ा? इसकी à¤à¥€ à¤à¤• कहानी है. १९३८ की बात है, जब इस टैंक के डिजाईन को १४ फरवरी के दिन ही जंगी-कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ को सौंपा गया था. इसी वजह से १५ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चलने वाले इस मारक टैंक का नाम वैलेंटाइन टैंक पड़ा. वाह कà¥à¤¯à¤¾ बात है? किसी ने नहीं सोचा होगा कि वैलेंटाइन डे और टैंकों का à¤à¥€ आपसी कोई नाता होगा.

वैलेंटाइन इनà¥à¤«à¥‡à¤‚टà¥à¤°à¥€ टैंक

शरà¥à¤®à¤¨ टैंक
इसी पà¥à¤°à¤•ार टैंकों की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कà¥à¤› और विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ नाम हैं, जिसमें à¤à¤• है “Sherman Tankâ€. दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान विकसित हà¥à¤† यह टैंक बनाने में ससà¥à¤¤à¤¾ और आसान था. इसीलिठलगà¤à¤— ५०००० à¤à¤¸à¥‡ टैंक बने थे और जगह जगह इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² में लाये गà¤. पर १९४४ में “Sherman Duplex Drive†नामक टैंक बनाया गया जो, उà¤à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ था. इसका डिजाईन १९४२-१९४३ में बना था. इसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पानी में उतरने पर टैंक के चारों और à¤à¤• कोलपà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤² नाव बन जाती थी और ३० टन à¤à¤¾à¤°à¥€ टैंक पानी में तैर कर नदी पर कर जाता था. सिरà¥à¤« à¤à¤•-ही कमी थी कि तैरते समय यह टैंक गोले नहीं बरसा सकता था. फिर à¤à¥€ शरà¥à¤®à¤¨ टैंकों को देख कर ही à¤à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता था.

शेरà¥à¤®à¤¨ डà¥à¤ªà¥à¤²à¥‡à¤•à¥à¤¸ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ टैंक

चरà¥à¤šà¤¿à¤² इनà¥à¤«à¥‡à¤‚टà¥à¤°à¥€ टैंक
पर à¤à¤• “A-22 Churchil Infantry mark-8 Tank†के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤• और à¤à¤¾à¤°à¥€-à¤à¤°à¤•म टैंक वहाठरखा था. यह अगसà¥à¤¤ १९४२ में पहली बार यूरोप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाया गया था. यह धरती पर १५ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से दौड़ सकता था और अपनी दो तोपों से गोले बरसा सकता था. पर इसकी à¤à¤• और खासियत थी.
यह पहला बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ टैंक था, जिसमें टैंक-कमांडर टैंक के à¤à¥€à¤¤à¤° छà¥à¤ª कर बैठकर à¤à¥€ यà¥à¤¦à¥à¤§ की गतिविधियों पर निगरानी रख सकता था. यà¥à¤¦à¥à¤§à¤¶à¥ˆà¤²à¥€ में यह तकनीक काफी कारगर साबित हà¥à¤ˆ और बाद के सà¤à¥€ टैंकों में इसे शामिल किया गया. à¤à¥€à¤®à¤•ाय टैंकों में à¤à¤• और पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नाम था “Centurion MK VII Main Battle Tankâ€. इसे बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में १९४९ में बनाया गया था. इसमें रोलà¥à¤¸-रोयेस कंपनी के वे इंजन लगे थे, जिसे कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ ने दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान à¤à¤¾à¤— लेने वाले सà¥à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤«à¤¾à¤¯à¤° और हरिकेन लड़ाकू हवाई जहाजों में लगाया था.
यह २१ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿-घंटे की गति से दौड़ सकता था और इसके गोले à¤à¥€ १२ पाउंड के थे, जिसने १९६५ के हिनà¥à¤¦à¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨-पकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ यà¥à¤¦à¥à¤§ में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ पैटन टैंकों को निरà¥à¤®à¤®à¤¤à¤¾ से विधà¥à¤µà¤‚श किया था. मेरे साथ à¤à¤• à¤à¥‚तपूरà¥à¤µ करà¥à¤¨à¤² à¤à¥€ थे, जो सेंचà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ टैंक के कमांडर रह चà¥à¤•े थे. अब इससे बड़ी बात कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती थी, कि मैं à¤à¤¸à¥‡ बहादà¥à¤° अधिकारी के साथ, उसी के टैंक से सामने खड़ा हो कर उनसे टैंकों के बारे में समठरहा था.

सेंचà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ टैंक
१९६५ की उस लड़ाई में पकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जहाठकई पेटन टैंक नषà¥à¤Ÿ हà¥à¤ थे, वहीठकई पेटन टैंक को लड़ाई के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ ले आया जा चà¥à¤•ा था. लड़ाई में पकड़े जाने वाले पेटन टैंकों में से à¤à¤• टैंक इस मà¥à¤¯à¥‚जियम में à¤à¥€ रखा हà¥à¤† था, जिसके सामने के हिसà¥à¤¸à¥‡ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गोले से लग कर बना हà¥à¤† à¤à¤• निशान à¤à¥€ चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ किया गया था. पेटन टैंक को देख कर पकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचे यà¥à¤¦à¥à¤§ की विà¤à¥€à¤·à¤¿à¤•ा का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगता है, तो साथ ही à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गोले से लगे उस चिनà¥à¤¹ को देख कर à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨.
वहाठरखे उस पेटन टैंक का नाम था “M 48 Pattonâ€. यह १९५३ में सयà¥à¤‚कà¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के सेवा में लगा था और इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ लगà¤à¤— १९६० तक चला. पचास के दशक का यह सबसे शकà¥à¤¤à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ टैंक माना जाता है. इसमें टैंक चालक के पास इनà¥à¤«à¥à¤°à¤¾-रेड लाइट à¤à¥€ लगी थी, जिससे वह रातà¥à¤°à¤¿ में à¤à¥€ देख सकता था.
मà¥à¤–à¥à¤¯ शसà¥à¤¤à¥à¤° के ऊपर à¤à¤• सरà¥à¤šà¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ à¤à¥€ लगी हà¥à¤ˆ थी. आवशà¥à¤¯à¤•ता होने पर इसके अगले हिसà¥à¤¸à¥‡ में à¤à¤• बà¥à¤²-डोज़र à¤à¥€ लगाया जा सकता था, जिससे १० फà¥à¤Ÿ का घडà¥à¤¦à¤¾ खोद कर यह टैंक छिप à¤à¥€ सकता था. à¤à¤¸à¥‡ कारगर टैंकों की सेना को हमारी सेना के धà¥à¤°à¤‚धरों ने हरा दिया, ये तो वीरता की बानगी ही हो सकती है.

पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ पेटन टैंक
१९६५ की लड़ाई के बाद à¤à¤• और लड़ाई १९à¥à¥§ में हà¥à¤ˆ. इन दोनों लड़ाइयों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• और टैंक का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया गया, जो “A. M. X. 13 Light Tank†अथवा à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नाम “बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° टैंक†से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ था. इसे १९६५ में खेमकरण और छमà¥à¤¬ सेकà¥à¤Ÿà¤° में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ टैंकों के विरà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया था.
बाद में १९à¥à¥§ में छमà¥à¤¬-जोरिया सेकà¥à¤Ÿà¤° में à¤à¥€ उपयोगी साबित हà¥à¤†. लड़ाई के दौरान इसे “कूदने वाला टैंक†की संजà¥à¤žà¤¾ दी गई थी. यह à¤à¤• फ़à¥à¤°à¤¾à¤‚सिसी टैंक था, जिसे १९५० के दशक में विकसित किया गया था. हवाई परिवहन के लिठà¤à¥€ आसान इस टैंक में पहली बार टरेट-पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² हà¥à¤† था. इसी के बाद टैंकों में सà¥à¤µà¤šà¤¾à¤²à¤¿à¤¤ लोडर के माधà¥à¤¯à¤® से गोले à¤à¤°à¤¨à¥‡ की तकनीक का विकास शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†. मà¥à¤à¥‡ à¤à¤¸à¤¾ बताया गया कि इस टैंक से यà¥à¤¦à¥à¤§ में सà¤à¥€ खौफ़ खाते थे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह कहीं à¤à¥€ छिप कर बैठा रहता था और दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ के आने पर कूद कर अचानक सामने आ कर गोलों की बरसात कर देता था.

बखà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤° टैंक
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दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ में अमेरिकन और मितà¥à¤°-राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने पहाड़ों के ऊà¤à¤šà¥‡ दरà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर à¤à¤• और टैंक तैनात किये थे, जिसका नाम “M3A3 Stuart Littleâ€. ३६ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿-घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से चलने वाला यह टैंक अमेरिकन था. à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इसे जोजिला दरà¥à¤°à¤¾, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र और नागालैंड इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ मोरà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर तैनात किया गया था. दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤• और अमेरिकन टैंक कारà¥à¤¯ में लाया गया था, जिसे “M22 Locust†कहते थे. यह à¤à¤• हलà¥à¤•ा टैंक था.
इसे हवाई परिवहन के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शतà¥à¤°à¥-à¤à¥‚मि में उतारा जा सकता था, जहाठयह २६ मील पà¥à¤°à¤¤à¤¿-घंटे की रफ़à¥à¤¤à¤¾à¤° से जमीन पर चल सकता था. छोटे टैंकों के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• और नाम था “M24 Chaffe Light tankâ€, जिसने दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ में अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ छोटे टैंकों को हटा दिया था. यह à¤à¥€ मालूम हà¥à¤† कि १९६२ के à¤à¤¾à¤°à¤¤-चीन यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¥€ इसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— हà¥à¤† था.

चाफ़ी लाइट टैंक
इन सबके अलावा कà¥à¤› टैंक à¤à¤¸à¥‡ थे, जो लड़ाई में कोई अनà¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ करते थे. जैसे की नदी-नाले के ऊपर पà¥à¤² बाà¤à¤§à¤¨à¤¾. इस कारà¥à¤¯ में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होने वाला à¤à¤• टैंक का नाम था “Churchill Bridge layerâ€, जो बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में बना था और लगà¤à¤— १९६० तक सेवा में बना रहा. यह ३० फ़ीट लमà¥à¤¬à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¥€ पà¥à¤² बना सकता था. à¤à¤• और पà¥à¤²-बनाने वाला टैंक à¤à¥€ वहां मौजूद था, जिसका नाम था “Valentine Bridge Layerâ€. शà¥à¤°à¥‚ में इसे पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ के लिठकाम में लाया जाता था, परनà¥à¤¤à¥ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान इसका सामरिक उपयोग à¤à¥€ हà¥à¤†. यह à¤à¥€ ३० फ़ीट का पà¥à¤² बना सकता था, जो ३० टन तक का à¤à¤¾à¤° वहन कर सकता था.

चरà¥à¤šà¤¿à¤² बà¥à¤°à¤¿à¤œ लेयर

रà¥à¤®à¤¨ कà¥à¤°à¥ˆà¤¬ टैंक
पà¥à¤² बनाने वाले टैंकों के बाद मैंने à¤à¤• विशेष टैंक देखा, जो सà¥à¤¥à¤²à¥€à¤¯ माइन को विनà¥à¤§à¥à¤µà¤‚श करने के काम में आता था. इसका नाम “Sherman Crab Tank†था. इसे १९४४ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ आरà¥à¤®à¥€ ने बनाया था. इसके अगले हिसà¥à¤¸à¥‡ में à¤à¤• डà¥à¤°à¤® लगा रहता था, जिसमें लोहे की जंजीरें लगीं रहतीं थी. जब डà¥à¤°à¤® घूमता तो जंजीरें जमीन पर चोट करतीं थीं. इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से ज़मीन पर बिछे हà¥à¤ माइन उखड जाते थे और निषà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯ कर दिठजाते थे.
इसमें à¤à¤• तोपखाना à¤à¥€ था, जिससे चलते समय आगे फायर à¤à¥€ किया जा सकता था. यह टैंक मेरे लिठà¤à¤•दम अजूबा था, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैंने इससे पहले à¤à¤¸à¤¾ कोई à¤à¥€ यंतà¥à¤° नहीं देखा था. मैं à¤à¤¸à¤¾ मानता हूठकि आज से वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ तोपों और टैंकों को वेधने के लिठमारक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ इतनी विकसित नहीं थी. दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤§à¥à¤•े दौरान जिस à¤à¤‚टी-टैंक पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का विकास और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया, उसका नाम “8.8 Cm Flak 18†था. शà¥à¤°à¥‚ में इसे सà¥à¤µà¥€à¤¡à¤¨ में à¤à¤‚टी-à¤à¤¯à¤°à¤•à¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ गन के रूप में बनाया गया. बाद में तीवà¥à¤° गति से फायर करने वाले इस टैंक को à¤à¤‚टी-टैंक गन के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया.

८.८ फà¥à¤²à¥ˆà¤• à¤à¤‚टी-टैंक

विजयंत टैंक
सारा परिसर कई पà¥à¤°à¤•ार के टैंकों से à¤à¤°à¤¾ था. मगर मेरी नज़र किसी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ टैंक को ढूà¤à¤¢à¤¨à¥‡ में लगी हà¥à¤ˆ थी. अंत में उसी परिसर में à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ टैंक सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ दिखाई दिया, जिसका नाम “Vijayanta†था. यह टैंक सेंचà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¨ टैंकों की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का था, जिसे समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रूप से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बनाया गया था. यह १९६६ में सेना में शामिल हà¥à¤† और २००४ में इसे सेवानिवृत किया गया. १९à¥à¥§ के यà¥à¤¦à¥à¤§ में इसने अहमॠà¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆ. पर उससे à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गौरव की बात यह है कि इसी टैंक ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ को टैंकों की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤•रà¥à¤¤à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में शामिल कर दिया.
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ टैंक को देख लेने के बाद मेरा मन ख़à¥à¤¶à¥€ से à¤à¥‚म उठा. अब मैं निशà¥à¤šà¤¿à¤‚त मन से उस मà¥à¤¯à¥‚जियम से बाहर आ गया. मà¥à¤¯à¥‚जियम देखने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हमलोग अहमदनगर का किला देखने चले. यह वही क़िला था, जिसमें कैद होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ जवाहर लाल नेहरॠने “डिसà¥à¤•वरी ऑफ़ इंडिया†नामक किताब लिखी थी. साथ ही à¤à¤• फ़रिया बाग़ महल के अवशेष à¤à¥€ थे, जो १५८३ में बना था और जिसमें ततà¥à¤•ालीन निज़ामी शाह आराम फरमाते और मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के साथ शतरंज की चालें चलते थे. ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ शाम ढलने को थी और हमारे अहमदनगर से निकलने का समय à¤à¥€ हो चà¥à¤•ा था.
Highly informative and well researched post. Thanks for sharing.
Thank you Sir. It was really good to know that you liked the post. As far as the technical details of the tanks were concerned, the same were taken from the information provided by the Army. So, the real credit of research goes to them. Also the credit for creating and maintaining such splendid museum also goes to the Indian Army.
Regards
Dear Udai Baxi, It gave me a different feeling to read your post regarding the unique museum of army tanks in Ahamadnagar. Very glad to see the different types of old Giants used in many wars. feel proud to see the captured Pakistani Patton Tanks. Post some other similar type of descriptions, if you have any.
Dear Sir, It was really good to know that the post was to your liking. The sight of victory in the form of a captured Patton Tank always brings some happiness mixed pride. I will definitely post the details of my visits to such places. Meanwhile, I also request you to find time to read my previous posts on the “Battlefields of Panipat”, Battlefield of Kurukshetra” and “Battlefields of Delhi”. These posts were written an year back. I would love to read your views on these posts also.
Regards
Thats quite an exhaustive description of all kinds of tanks. I long for a day when there is no need for these machines :-), or if at all, then only during disaster-recovery operations. Thank you Uday for sharing this.
Thanks for your nice comments. Though “the no-tank-world” does not seem possible in near future, lot many people do desire the same which you have mentioned.
Regards
nice blog.
my native place is Ahmednagar.
during schooling i was regularly going to this tank museum on bicycle.
Good to find that you could remember your childhood through this article. I really than you for going through it and also for your nice comments.
Regards