२०१५ की अंतिम तिमाही चल रही थी और तà¤à¥€ मैं दिलà¥à¤²à¥€ से मà¥à¤‚बई शहर आ गया. सबकà¥à¤› बदल-सा गया था. à¤à¤¾à¤·à¤¾, आबोहवा और खान-पान सबकà¥à¤›. लगता था कि समय कटे न कटे. तब, उस नठशहर में दिल न लगने से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ बेमनी और उदासी से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हो कर, मैंने à¤à¤• पदयातà¥à¤°à¤¾ करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया. सोचा कि à¤à¤• दिन में जितना पैदल चल सकूà¤à¤—ा, चलूà¤à¤—ा. और यही जिद ठान कर, शनिवार ६ फ़रवरी २०१६ को, मैं अपने दफà¥à¤¤à¤° के à¤à¤• सहयोगी की गाड़ी में बैठकर बोरीवली में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— ०८ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ “संजय गाà¤à¤§à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨â€ के मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° तक आ गया. मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-दà¥à¤µà¤¾à¤° तक पहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¥‡ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ गाड़ी अपने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर वापस चली गयी और वहीं से मेरी पदयातà¥à¤°à¤¾ आरमà¥à¤ हो गयी.

पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
उस समय सà¥à¤¬à¤¹ के ९ बजे थे. फ़रवरी के महीने में इतनी सà¥à¤¬à¤¹ मौसम सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ था. पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ाल के उस समय में, उस बड़े-से मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ टिकट-आफिस के सामने, जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ नहीं थी. वयसà¥à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठ४४ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टिकट था. जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपनी कार वहाठपारà¥à¤• करना चाहते थे, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ १४६ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का पारà¥à¤•िंग टिकेट à¤à¥€ अलग से लेना पड़ता. मैंने तो अपनी टिकट ली और उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गया. पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶-दà¥à¤µà¤¾à¤° के अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤› दूर तक तो कार और मोटरसाइकिल पारà¥à¤•िंग की जगह थी, जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ à¤à¤°à¤¤à¥€ जा रही थी. जाहिर था कि कई लोग सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¾à¤‚त मनाने उस राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में आते होंगे. वहां कई सूचना से परिपूरà¥à¤£ नोटिस-बोरà¥à¤¡ à¤à¥€ लगे थे, जिनमें à¤à¤• नोटिस बोरà¥à¤¡ पढ़ कर मन मलिन हो गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस बोरà¥à¤¡ में मà¥à¤‚बई पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पारà¥à¤• में चोरी, डकैती और बलातà¥à¤•ार से सावधान रहने की सलाह दी गयी थी. à¤à¤• और बोरà¥à¤¡ पर सूचित किया जा रहा था कि लोगों का संधà¥à¤¯à¤¾ ६ बजे के बाद पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ निषिदà¥à¤§ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में बाघ à¤à¥€ निकलतें हैं.

नोटिस बोरà¥à¤¡

मैप
इधर जैसे ही पारà¥à¤•िंग-सà¥à¤¥à¤² समापà¥à¤¤ हो कर उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का रासà¥à¤¤à¤¾ खà¥à¤²à¤¾, वैसे ही मैंने महसूस किया कि अकेले निरà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ घूमना हो तो कहाठजाऊं. कà¥à¤¯à¤¾ बीहड़ में à¤à¤Ÿà¤•ूठया फिर कोई उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ खोजूं और उस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ को पूरा करूà¤. और इस पà¥à¤°à¤•ार वहीठउदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में खड़ा हो कर मैंने अपनी उस दिन की पदयातà¥à¤°à¤¾ के कà¥à¤› उदà¥à¤¦à¥‡à¤¹à¥à¤¶à¥à¤¯ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किये. जैसे कि उस वहाठकी सà¤à¥€ यातà¥à¤°à¥€-मनोरंजन समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं को देखना, उस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ को देखना और साथ-साथ पदयातà¥à¤°à¤¾ के दौरान होने वाले अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ का आनंद उठाना. वैसे तो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ बहà¥à¤¤ बड़ा है और इसके कई हिसà¥à¤¸à¥‡ तो घने जंगलों से ढके हैं, कà¥à¤› हिसà¥à¤¸à¤¾ खाड़ी को à¤à¥€ छूता है, पर जन-साधारण के लिठइसके मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ दो हिसà¥à¤¸à¥‡ हैं. पहला “कृषà¥à¤£à¤¾à¤—िरी उपवन†और दूसरा “कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤à¤‚â€. मैंने अपनी पद-यातà¥à¤°à¤¾ के लिठइनà¥à¤¹à¥€à¤‚ दोनों हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ को चà¥à¤¨à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बिना विशेष उपकरणों और विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के घने जंगलों में विचरण के लिठमेरे पास उपयà¥à¤•à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नहीं था. मेरे कà¥à¤› दूर आगे चलते ही पैरों से चड़- चड़ की आवाज आने लगी. नीचे देखा तो मà¥à¤à¥‡ पतà¤à¤° में गिरे सूखे पतà¥à¤¤à¥‡ दिखाई दिà¤. उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के इस हिसà¥à¤¸à¥‡ में पतà¤à¤° वाले वृकà¥à¤· थे, और इस जगह को “पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का गलीचा†कहा जाता. à¤à¤¸à¤¾ माना जाता है कि धरती पर गिरे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से ही तो वनà¥à¤¯ जीवन फलता-फूलता है. कई महीनों से सूखे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ पर नहीं चला था. इसीलिठबड़ा मजा आने लगा. पर धीरे-धीरे पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का गलीचा à¤à¥€ ख़तà¥à¤® हो गया और मैं à¤à¤• वन-विà¤à¤¾à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संचालित नरà¥à¤¸à¤°à¥€ के सामने जा पहà¥à¤‚चा.

पतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का गलीचा
नरà¥à¤¸à¤°à¥€ सोमवार को बंद रहता है. “पौधों की नरà¥à¤¸à¤°à¥€â€ à¤à¤• मनà¤à¤¾à¤µà¤¨ जगह हो सकती है. पर मैं उस समय उसके à¤à¥€à¤¤à¤° नहीं गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• लंबी पद-यातà¥à¤°à¤¾ करनी थी और उस वकà¥à¤¤ कà¥à¤› खरीदना उचित नहीं था. नरà¥à¤¸à¤°à¥€ के पीछे à¤à¤• छोटा जलाशय à¤à¥€ नजर आया. पर उसमें जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जल नहीं था. वहीठà¤à¤• बोरà¥à¤¡ पर लिखा था कि बरसात के १०० दिनों में जब १०० इंच पानी बरसेगा तो सारे जलाशय à¤à¤° जायेंगे और धरती हरी-à¤à¤°à¥€ हो जाà¤à¤—ी. इधर मैं धीमी चाल से आगे बढ़ता जा रहा था. उस वक़à¥à¤¤ मेरे सामने “नेचर इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेणà¥à¤Ÿà¤°â€ का परिसर आ गया. मैं इसके अनà¥à¤¦à¤° चला गया. वहाठà¤à¤• रिसेपà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ बैठी थी, जिसने मà¥à¤à¥‡ बताया कि यहाठसे कई टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग टà¥à¤°à¥‡à¤² चलते हैं, जो ३ से ॠघंटे तक का होता है. कà¥à¤› टà¥à¤°à¥‡à¤² का मैं नाम लिख रहा हूà¤. “शिलोदा सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤® टà¥à¤°à¥‡à¤²â€, “कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ से गायमà¥à¤– टà¥à¤°à¥‡à¤²â€, “बाबà¥-हट से हाईà¤à¤¸à¥à¤Ÿ पॉइंट टà¥à¤°à¥‡à¤²â€, “बटरफà¥à¤²à¤¾à¤ˆ टà¥à¤°à¥‡à¤²â€ और ‘मेडिसिनल पà¥à¤²à¤¾à¤‚टà¥à¤¸ – गारà¥à¤¡à¤¨ ऑफ़ फà¥à¤°à¥‡à¤—à¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸ टà¥à¤°à¥‡à¤²â€ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿. इस सà¤à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤²à¥à¤¸ के लिठà¤à¤• गà¥à¤°à¥à¤ª की आवशà¥à¤¯à¤•ता होती है. इस गà¥à¤°à¥à¤ª का नेतृतà¥à¤µ इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेणà¥à¤Ÿà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चयनित गाइड करता है. काश मà¥à¤à¥‡ इन सब टà¥à¤°à¥‡à¤²à¥à¤¸ का पहले से पता होता, यही सोच कर मन मसोसता हà¥à¤† मैं उस सेणà¥à¤Ÿà¤° से बाहर आ गया और अपनी पदयातà¥à¤°à¤¾ जारी रखी.

नेचर इनफारà¥à¤®à¥‡à¤¶à¤¨ सेणà¥à¤Ÿà¤°

चेक डैम – नौकायन सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾
तà¤à¥€ सामने à¤à¤• “चेक-डैम†आ गया, जिसमें पानी à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था. यह दहिसर नदी पर बना था जो राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से हो कर बहती थी. वहां बैठने के लिठसीढियां à¤à¥€ बनी हà¥à¤ˆà¤‚ थीं. जलाशय के सामने à¤à¤• पारà¥à¤• à¤à¥€ था, जहाठबचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के खेलने हेतॠकई पà¥à¤°à¤•ार की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ थीं. उस वक़à¥à¤¤ तो वहां जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लोग नहीं थे. परनà¥à¤¤à¥ लौटती यातà¥à¤°à¤¾ में मैंने देखा कि सीढियां पूरी तरह से à¤à¤° गयीं और कई परिवार और जोड़े उस जलाशय में नौका-विहार कर रहे थे. दो-वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाली नौका के लिठ४४ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ और चार-वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाली नौका के लिठ८८ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡. यहाठसे बायीं ओर जाने वाला और दहिसर नदी के समानांतर चलने वाला रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ तक पहà¥à¤‚चा सकता था. पर मैंने इस जलाशय से दायीं ओर का रà¥à¤– कर लिया और चल पड़ा. दायीं ओर चलने पर मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• ऊà¤à¤šà¥‡ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के साठसे ढकी “पिकनिक वाटिका†दिखी, जिसमें लकड़ी के बलà¥à¤²à¥‹à¤‚ से बने छत वाले दालान बने हà¥à¤ थे. इन दालानों में परिवार के साथ-साथ पिकनिक मनाना कितना आनंददायक हो सकता है. काश मैं à¤à¥€ यहाठà¤à¤• पिकनिक मना पाता. उस वक़à¥à¤¤ उस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में किसी चितà¥à¤°à¤•ारी-सà¥à¤•ूल के बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ आये हà¥à¤ थे. वे यतà¥à¤°-ततà¥à¤° बैठकर अपनी आà¤à¤–ों से दिखने वाला नैसरà¥à¤—िक दृशà¥à¤¯ की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ कागज़ पर बना रहे थे. मैं à¤à¥€ उनकी à¤à¤• टोली के साथ कà¥à¤› देर बैठकर देखता रहा कि किस तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ से वे लोग अपना कारà¥à¤¯ कर रहे थे. उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उनकी लेबोरेटरी थी और वे उसके विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€. सच में वहां तो मजा आ गया.

पिकनिक वाटिका

कृषà¥à¤£à¤¾à¤—िरी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर वनरानी टà¥à¤°à¥‡à¤¨
पर मà¥à¤à¥‡ तो अà¤à¥€ आगे à¤à¥€ जाना था. विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से विदा ले कर मैं जब चला तो मà¥à¤à¥‡ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की पटरियां दिखीं. पटरियों के सहारे चलते हà¥à¤ मैं उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गया. सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ का नाम “कृषà¥à¤£à¤¾à¤—िरी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨â€ था और टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का नाम था “वनरानीâ€. वयसà¥à¤• के लिठ३ॠरà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टिकट और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठ१४ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का. सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ को खाली देख कर मैं टà¥à¤°à¥‡à¤¨ का इंतज़ार करने लगा. कà¥à¤› ही देर में पीले इंजन वाली बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ में आ गयी. बचà¥à¤šà¥‡-बूढ़े और जवान यातà¥à¤°à¥€ उस पर चढ़ने लगे. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चढ़ते देख कर मेरा à¤à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤¨-यातà¥à¤°à¤¾ का बहà¥à¤¤ मन करने लगा. पर फिर अपनी जिद याद आई कि आज तो चाहे कà¥à¤› à¤à¥€ हो जाà¤, उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ की पदयातà¥à¤°à¤¾ ही करूà¤à¤—ा. इसीलिठमन को à¤à¥‚ठी सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ देते हà¥à¤ मैं आगे बढ़ गया. अà¤à¥€ तक मैं उस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के पारिवारिक कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में विचर रहा था. पर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हà¥à¤ लोगों का दिखना कम होते गया. अपने गंतवà¥à¤¯ से बिलकà¥à¤² बेफिकà¥à¤° मैं à¤à¤• वीरान पकà¥à¤•ी सड़क पकड़ कर चला जा रहा था, जिसमें कà¤à¥€-कà¤à¥€ कोई गाड़ी à¤à¥€ दौड़ रही थी. कà¥à¤› दूर पर उस पकà¥à¤•ी सड़क के बायीं तरफ मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• बोरà¥à¤¡ दिखा, जो “गाà¤à¤§à¥€-टेकरी†की दिशा इंगित कर रहा था. बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ था, मैं उसी पर चल पड़ा. ऊà¤à¤šà¥‡-ऊà¤à¤šà¥‡ वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से पटा वो पकà¥à¤•ा रासà¥à¤¤à¤¾ धीरे-धीरे मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• टीले (पैविलियन हिल) के ऊपर ले आया. चढ़ाई कठिन नहीं थी. टीले के ऊपर à¤à¤• गोल सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• बना था, जिसे “महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ मंदिर†कहते हैं. इसका शिलारोपण अकà¥à¤Ÿà¥‚बर १९४८ में हà¥à¤† था और उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ ६ अपà¥à¤°à¥ˆà¤² १९५० में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¥à¤® राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ डा. राजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हà¥à¤† था. गोल सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• के चारों तरफ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° उपवन लगा हà¥à¤† था, जिसमें कॉलेज के छातà¥à¤°-छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं का उमंग से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† à¤à¤• à¤à¥à¤£à¥à¤¡ अपनी सेलà¥à¤«à¥€ लेने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ था.

पैविलियन हिल के मारà¥à¤— का à¤à¤• दृशà¥à¤¯

महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ मंदिर
गाà¤à¤§à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-मंदिर में शांति थी. मैं à¤à¥€ कà¥à¤› देर वहाठबैठकर सोच रहा था कि इन सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-चिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ कैसा होगा. कà¥à¤¯à¤¾ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवन इन महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के जीवन-चरित की अचà¥à¤›à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को समठपायेगा या फिर सेलà¥à¤«à¥€ के इस दौर में ये सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-चिनà¥à¤¹ सिरà¥à¤« à¤à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि बन कर रह जायेंगे. वहां से जब निकला तो à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के पीछे-पीछे चलता हà¥à¤† à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ पर आ गया. यहाठपतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ से बने रसà¥à¤¤à¥‡ थे, जो कà¥à¤› घने वन से के गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ था. वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो कहीं बीच में मà¥à¤¡à¤¼ गया, पर मैं उसी राह पर चलते रहा. धीरे-धीरे वह रासà¥à¤¤à¤¾ मà¥à¤à¥‡ à¤à¤• गेट के समीप ले आया, जो साà¤à¤šà¥€-सà¥à¤¤à¥‚प के गेट से मिलती आकृति का था. यहाठआ कर मà¥à¤à¥‡ पता चला कि मैं उलटे रासà¥à¤¤à¥‡ से गाà¤à¤§à¥€-टेकरी पर चढ़ा था और सीधे रासà¥à¤¤à¥‡ से उतरा.

महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ जाने का मूल गेट
अपने-आप पर मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† मैं फिर से à¤à¤• बार चला. इस बार मैंने सोच लिया कि अब कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ तक पहà¥à¤à¤š के ही दम लूà¤à¤—ा. अतः मैं वीरान से लमà¥à¤¬à¥‡ रासà¥à¤¤à¥‡ चलता गया. बीच में à¤à¤•-दो गाà¤à¤µ आये, गाà¤à¤µ का मंदिर आया, विचितà¥à¤°-पà¥à¤°à¤•ार के बरगद के पेड़ नज़र आये, दीमक की बड़ी-बड़ी बामà¥à¤¬à¤¿à¤¯à¤¾à¤ दिखीं, सूखी हà¥à¤ˆ नदी और उस पर बना पà¥à¤² पार किया. सड़क आमतौर पर वीरान ही रहती थी. यदा-कदा कोई गाड़ी तेजी से पार हो जाती या फिर कोई मोटरसाइकिल में बैठा यà¥à¤—ल खिलखिलाता हà¥à¤† तेजी से चला जाता. मैं अकेला उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर दिखने वाले आकरà¥à¤·à¤• दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ खींचता जाता था और चलता जाता. इस पà¥à¤°à¤•ार लगà¤à¤— ३-४ किलोमीटर चलने के बाद à¤à¤• तिराहा मिला, जिसका नाम आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤œà¤¨à¤• रूप से “पिकनिक पॉइंट†था, हालाà¤à¤•ि कहीं पर पिकनिक सà¥à¤ªà¥‰à¤Ÿ तो बिलकà¥à¤² नहीं नज़र आ रहा था.

फलों की दूकान
तिराहा निरà¥à¤œà¤¨ था. पर कोने पर दो गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯à¤¾à¤‚ जंगल से तोड़े गठफल बेच रहीं थीं. उनके साथ à¤à¤• आदमी à¤à¥€ डंडा लिठखड़ा था. वैसे तो उनके पास खीरे, कचà¥à¤šà¥‡ आम, संतरे, कबरंगे, ईमली, कई तरह के बेर और बादाम थे, परनà¥à¤¤à¥ मà¥à¤à¥‡ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया उनके केलों ने. खूब सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और पà¥à¤·à¥à¤Ÿ केले थे. मà¥à¤à¥‡ केले खरीदता देख कर à¤à¤• सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ ने मà¥à¤à¥‡ समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि मैं खीरे ले लूं और केले छोड़ दूà¤. पर मैं कहाठमानने वाला था. बस जैसे ही मैंने केले ख़रीदे, वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ की डालों से तेजी-से उतर कर करीबन २०-२५ बंदरों ने मà¥à¤à¥‡ घेर लिया. घबरा कर मैंने केले वहीठजमीन पर फेंके, जो कà¥à¤·à¤£-à¤à¤° में ही बंदरों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लूट लिठगà¤. अब उस डंडे से लैस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने बंदरों को à¤à¤—ाने के लिठडंडा à¤à¤¾à¤œà¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥‚ किया. बनà¥à¤¦à¤° à¤à¤¾à¤— गà¤. अब यह तो नहीं पता कि डंडे से à¤à¤¾à¤—े या केले चट कर के à¤à¤¾à¤—े. मैंने उन दोनों सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की कि जब यहाठबंदरों का उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ है तो केले बेचते ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो. दोनों सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥€à¤‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आज उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• और शहरी आदमी मिला था, जो जंगल में बिना देखे चलता था.

घने जंगल के शà¥à¤°à¥‚ में पहली सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कà¥à¤Ÿà¥€

टाइगर टà¥à¤°à¥‡à¤² का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾
अपनी मूरà¥à¤–ता पर शरà¥à¤®à¤¾ कर मैं आगे चल पड़ा. कà¥à¤› और सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रखी फलों की दूकानों को मैंने बिना रà¥à¤•े पार किया. कà¥à¤› साइकिल-सवारों ने मà¥à¤à¥‡ पार किया. यह साइकिलें उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° कर ही किराये पर मिलतीं हैं. लगà¤à¤— ३-४ किलोमीटर चलने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ मैं घने जंगल के बाहर लगे चेक-पोसà¥à¤Ÿ तक पहà¥à¤à¤š गया. संधà¥à¤¯à¤¾ ६ बजे यह चेक-पोसà¥à¤Ÿ बंद हो जाता है और किसी को à¤à¥€ जाने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं होती. यहाठसे वाकई जंगल घना होते जा रहा था.
मैंने पहरेदार का अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ किया और आगे चलता रहा. उस समय मà¥à¤à¥‡ यह नहीं पता था की लौटते समय इसी अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ की वजह से वह पहरेदार मà¥à¤à¥‡ अपनी कà¥à¤Ÿà¥€ में बैठा कर चाय पिलायगा. जंगल तो जरà¥à¤° घना था. पर मैं तो पकà¥à¤•ी सड़क पर चल रहा था. बीच-बीच में नीरवता इतनी फैल जाती थी कि दिन में à¤à¥€ डर लगने लगे. करीबन २ किलोमीटर चलते –चलते मेरे सामने बाघ-यातà¥à¤°à¤¾ (टाइगर-टà¥à¤°à¥‡à¤²) का मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ आ गया. वीरान जंगले में मैं अकेले था और टाइगर टà¥à¤°à¥‡à¤² को सामने देख कर मेरे पैर खà¥à¤¦-बखà¥à¤¦ ही तेजी से चलने लगे. बीच-बीच में अपनी इस आकसà¥à¤®à¤¿à¤• तेज चाल पर हंसी à¤à¥€ आ रही की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगर सच में किसी बाघ ने धावा बोला तो उस वियाबान जंगल के वीरान रासà¥à¤¤à¥‡ में मेरी तेज चाल तो कोई काम आने वाली नहीं थी. बार-बार यह सोच रहा था की इससे तो अचà¥à¤›à¤¾ होता यदि टिकट-काउंटर पर ५८ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दे कर सिहं-सफारी ही बà¥à¤• कर लेता.

दूसरी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-कà¥à¤Ÿà¥€ का दृशà¥à¤¯

कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ पहाड़ के नीचे का दृशà¥à¤¯
पर तेज चाल का फायदा हà¥à¤† और मैं शीघà¥à¤° ही à¤à¤• सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-कà¥à¤Ÿà¥€ के पास पहà¥à¤à¤š गया, जहाठमहाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° सरकार का à¤à¤• वन-पà¥à¤²à¤¿à¤¸ बनà¥à¤¦à¥‚क लिठहà¥à¤ सà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾ रहा था. बनà¥à¤¦à¥‚क देख कर जान-में-जान आई और मैं कà¥à¤› देर उसके पास बैठगया और इधर-उधर की बातें करने लगा. उसने बताया कि उस सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾-कà¥à¤Ÿà¥€ से वह तà¥à¤²à¤¸à¥€-à¤à¥€à¤² जाने की रासà¥à¤¤à¥‡ की रखवाली कर रहा था और उस रासà¥à¤¤à¥‡ पर जन-साधारण का जाना मना था. सिरà¥à¤« सरकारी गाड़ियाठजा सकती थीं. खैर उसके पास कà¥à¤› देर बैठकर वनà¥à¤¯ जीवन की चरà¥à¤šà¤¾ करने के बाद मैंने उस से विदा ली और आगे बढ़ा.
वहीठबोरà¥à¤¡ पर देख कर ख़à¥à¤¶à¥€ हà¥à¤ˆ कि कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ वहाठसे मातà¥à¤° १ किलोमीटर की दूरी पर थी. रासà¥à¤¤à¤¾ धीरे-धीरे चढ़ाई ले रहा था. अब फिर से लोग-बाग़ दिखने लगे. सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लगाया गया बाज़ार à¤à¥€ दिखने लगा. यह सब देख कर मेरे पैर और तेजी से चल कर कानà¥à¤¹à¥‡à¤°à¥€ गà¥à¤«à¤¾ जाने वाले लोगों की à¤à¥€à¤¡à¤¼ में शामिल हो गà¤, हालाà¤à¤•ि गà¥à¤«à¤¾ देखने के बाद अà¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ पैदल लौटना à¤à¥€ तो बाकी था.
Namaskar Uday Ji, I couldn’t control my laughter while reading the tiger trail account. I can imagine what you must have felt. The banana account was a bit weird and clearly shows that we as urban people have forgot what it means to live in villages/jungles or near nature!
As always a very good and elaborated post.
Moreover, your hindi posts are really helping me to learn ‘ shudh hindi’. :) Dhanyawad!
Namaskar Puja Ji
Thanks for your detailed comments. Glad to know that you liked the post. These days, I am also trying to express my thoughts and my experiences in Hindi.
Thanks once again for encouraging me.
Regards