फेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤²à¥à¤¸ की à¤à¤°à¤®à¤¾à¤°, परीकà¥à¤·à¤¾à¤“ के दौर और ऑफिस का पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° अब कà¥à¤› काम होने लगे थे। साथ ही में तीन दिन की सरकारी छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ आ रही थी जिसमे वैसाखी का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और उसमे पवितà¥à¤° गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ का अपना ही महतà¥à¤¤à¥à¤µ है। सरà¥à¤µ सहमति से यह तय हो गया की शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को, जिस दिन कà¥à¤› समय के लिठवैसाखी à¤à¥€ रहेगी और गà¥à¤¡ फà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¡à¥‡ à¤à¥€ होगा, हम लोग दिलà¥à¤²à¥€ से हरदà¥à¤µà¤¾à¤° की यातà¥à¤°à¤¾ पर निकलेंगे। दिनांक 14 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को सà¥à¤¬à¤¹ चलने और दिनांक 16 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² वापिस आने का समय निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ किया गया। अपनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, ससà¥à¤¤à¥€ और टिकाऊ विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ वैगन-र का पेट पेटà¥à¤°à¥‹à¤² (रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ 2100/-) से à¤à¤°à¤¨à¥‡ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हमने अपनी यातà¥à¤°à¤¾ का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। अब आप लोग सोचेंगे की हरदà¥à¤µà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ के विषय में पहले ही दो पोसà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤•ाशित कर चूका हूठतो इस बार फिर से कà¥à¤¯à¥‹à¤‚, तो पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पाठकों इस बार कà¥à¤› नया करने की चाह में हम लोग माठचंडी देवी के मंदिर और माठअंजनी देवी के मंदिर जाकर उनके दरà¥à¤¶à¤¨ करके आये थे तो सोचा आप लोगों के साथ à¤à¥€ साà¤à¤à¤¾ कर लूà¤à¥¤
हरदà¥à¤µà¤¾à¤° पहà¥à¤à¤š कर रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ में रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ 30/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ के हिसाब से कर पारà¥à¤•िंग कर दी गयी और साथ ही हर की पौढ़ी पर रूपये 1650/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ के हिसाब से à¤à¤• वातानà¥à¤•ूलित (जिसकी आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं थी) ककà¥à¤· à¤à¥€ बà¥à¤• कर लिया गया। पहला दिन तो सफर करने, गंगा पूजा और आरती में शामिल होने वॠखाने पीने में ही बीत गया और बाकी बचा समय अपने कमरे में बà¥à¤¦à¥à¤§à¥‚ बकà¥à¤¸à¥‡ के सामने बिता दिया गया।

गंगा माठकी à¤à¤• à¤à¤²à¤•

गंगा माठकी आरती
अगले दिन (शनिवार) की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ पवितà¥à¤° गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के साथ हà¥à¤¯à¥€ और अब बारी थी माठचंडी देवी के मंदिर जाकर दरà¥à¤¶à¤¨ करने की। इन दिनों पहाड़ी मौसम के हिसाब से सà¥à¤¬à¤¹ से शाम तक कड़क धूप खिली हà¥à¤¯à¥€ थी और रात à¤à¤° ठंडी-ठंडी बयार बहती थी, कहने का मतलब है की मौसम कà¥à¤›-कà¥à¤› खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ था और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं की रेलम-पेल तो पूछो ही मत। हर की पौढ़ी से लगà¤à¤— à¤à¤• किलोमीटर पैदल चलने पर माठमनसा देवी के मंदिर की चढ़ाई जहाठसे शà¥à¤°à¥‚ होती है वहीठपर आपको विकà¥à¤°à¤® ऑटो वाले मिल जाते है जो आपको माठचंडी देवी के मंदिर ले जाने के लिठआतà¥à¤° रहते है। à¤à¤• से पà¥à¤›à¤¾ तो उसने आने और जाने दोनों का किराया बताया रूपठ500/- जो की जेब और समठके हिसाब से अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ था।
दà¥à¤¸à¤°à¥‡ से बात की तो तीन सबारी जानकार रà¥à¤ªà¤ 150/- में à¤à¤• तरफ जाने का तय हà¥à¤†, लो जी बन गयी बात और हम à¤à¤Ÿ से उसमे बैठकर अगले 15 मिनट में माठचंडी देवी उड़न खटोला टिकट घर के बाहर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ यहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ टिकट दर रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ 163/- है जिसमे उड़न खटोले से जाना और आना दोनों हो जाता है, बस आपको धैरà¥à¤¯ के साथ अपनी बारी की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करनी पड़ती है, जिसमे à¤à¤• से दो घंटे का समय लग जाता है।
माता के जिस सà¥à¤µà¤°à¥‚प की हम बात कर रहे है उसका थोड़ा वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना तो बनता है। तो पà¥à¤°à¤¿à¤¯ पाठकों माठचंडी देवी का मंदिर नील परà¥à¤µà¤¤ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• सिदà¥à¤§ पीठके रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। कहा जाता है की आठवीं शताबà¥à¤¦à¥€ में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® गà¥à¤°à¥ आदि शंकराचारà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माता की मूरà¥à¤¤à¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ यहाठपर की गयी थी। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से जà¥à¤¡à¥€ à¤à¤• पौराणिक कथा यह है की शà¥à¤®à¥à¤-निशà¥à¤®à¥à¤ नामक राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इंदà¥à¤°à¤¾ का सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¤¯ अपने अधिपतà¥à¤¯ में ले लिया था, का वध करने के बाद माता चंडी देवी, जिनकी उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ देवी पारवती के अंश से हà¥à¤¯à¥€ थी, यहाठपर कà¥à¤› समय के लिठविशà¥à¤°à¤¾à¤® करने हेतॠरà¥à¤•ी थी।
माता का सौंदरà¥à¤¯ इतना विसà¥à¤®à¤¯à¤•ारी था की शà¥à¤®à¥à¤ उनकी तरफ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो गया और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ का विवाह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ ख़ारिज हो जाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¤• à¤à¤¯à¤‚कर यà¥à¤¦à¥à¤§ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤† जिसका साकà¥à¤·à¥€ यह नील परà¥à¤µà¤¤ बना और अंततः काल ने शà¥à¤®à¥à¤-निशà¥à¤®à¥à¤ और चणà¥à¤¡-मà¥à¤‚ड जैसे पापी राकà¥à¤·à¤¶à¥‹à¤‚ को निगल लिया। कहा जाता है की माता के मंदिर में जाकर जो à¤à¥€ मनà¥à¤¨à¤¤ मांगी जाठवह अवशà¥à¤¯ ही पूरी होती है।

इस बार नवरातà¥à¤°à¥€ में माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करने थे जो हरदà¥à¤µà¤¾à¤° जाकर अचà¥à¤›à¥‡ से हो गठऔर माता के मंदिर पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण से हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° और माठगंगा के बड़े ही मनोरम दृशय à¤à¥€ दिखाई देते हैं। उड़न खटोले की यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥€ दिलों की धड़कन बढ़ा देती है कà¥à¤¯à¥‚ंकि ऊंचाई बहà¥à¤¤ अधिक है और उस पर धीरे धीरे चलता उड़न खटोला, बस सांस रोक कर मंजिल तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ का इंतजार रहता है।

माठचंडी देवी मंदिर से à¤à¤• मनोहारी दृशà¥à¤¯


रोप वे
यहीं पर दो सौ मीटर के दायरे में माता अंजनी देवी और उनके पà¥à¤¤à¥à¤° हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का à¤à¥€ मंदिर है जिसे माà¤-बेटे का मंदिर à¤à¥€ कहा जाता है। पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में आप चाहें तो à¤à¤• दौना लडà¥à¤¡à¥‚ (4 पीस, मूलà¥à¤¯ केवल रूपठ20/-) चढ़ा सकते है। यहां à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद और कà¥à¤› समय विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने के बाद अब हम लोग वापिस उड़न खटोले से पहाड़ी से नीचे उतर आये। फिर से विकà¥à¤°à¤® ऑटो में बैठकर (रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ 150/-) हम लोग अब वापिस हर की पौढ़ी लौट आये। दोपहर का खाना खाने के बाद कà¥à¤› देर अपने कमरे में विशà¥à¤°à¤¾à¤® किया और शाम 4 बजे चाय पीने के बाद माताशà¥à¤°à¥€ और बहना ने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बाजार में कà¥à¤› खरीदारी करने और मैंने माता मनसा देवी जाने का तय किया। शाम 6 से हम लोग फिर गंगा माता के मंदिर के समीप सीढ़ियों पर जाकर बैठगठजहाठपहले से ही मौजूद जनसैलाब माता की आरती की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ कर रहा था।

गंगा घाट पर
à¤à¥€à¤¡à¤¼-à¤à¤¾à¤¡à¤¼ और कौतà¥à¤¹à¤² से à¤à¤°à¤ªà¥‚र हर की पौढ़ी में गंगा आरती में शामिल होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ रात का à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया और जान-पहचान वालों के लिठकà¥à¤› मिठाइयां खरीदी। देखते ही देखते दो दिन कब बीत गठपता ही नहीं चला और तीसरे दिन रविवार को हम लोग सà¥à¤¬à¤¹ का नाशà¥à¤¤à¤¾ करने और घर के लिठगंगा जल की केन à¤à¤°à¤¨à¥‡ के बाद 10.30 बजे दिलà¥à¤²à¥€ के निकल गà¤à¥¤ हालाà¤à¤•ि रसà¥à¤¤à¥‡ में जगह जगह निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ और सड़क की मरमà¥à¤®à¤¤ का काम चल रहा था जिसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प आने और जाने में हर बार 7 घंटे का समय लग गया। संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ माता रानी के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से हम लोग सकà¥à¤¶à¤² अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शाम 6 बजे पहà¥à¤à¤š गठऔर इस पà¥à¤°à¤•ार हमारी इस सà¥à¤–द यातà¥à¤°à¤¾ का समापन हà¥à¤†à¥¤ अगले दिन से अपनी नियमित दिनचरà¥à¤¯à¤¾ का पालन à¤à¥€ तो करना था।
जय माता दी।
bahut khubsurat post hai arun ji….short trip ka maza hi kuch aur hota hai….aapki post pad ke man khush ho gaya……
अनिमेष जी,
पोसà¥à¤Ÿ को पà¥à¤¨à¥‡ और सराहने के लिठआपका बहà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¥¤
अरà¥à¤£
what a religious place to be connected to god and self….
thank you for sharing!!!
मà¥à¤¸à¥à¤•ान जी,
हरदà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहाठपर जाकर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रूप से तन और मन दोनों को ही शांति मिलती है। आरती के समय à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ समा बंधता है की पूछिठही मत। पोसà¥à¤Ÿ को पà¥à¤¨à¥‡ और सराहने के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
अरà¥à¤£
बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लेखन हैं आपका , अरà¥à¤£ जी। जब à¤à¥€ मैं गंगा आरती के बारे में पà¥à¤¤à¥€ हूठतो मà¥à¤à¥‡ रोमांचक लगता हैं। ज़िनà¥à¤¦à¤—ी में à¤à¤• बार देखने कि आशा हैं, देखते हैं कब वह सपना साकार होगा।
आपकी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ की और कहानियाठपà¥à¤¨à¥‡ की आशा हैं।
अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ जी,
आप किसी à¤à¥€ मौसम में हरदà¥à¤µà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ का लà¥à¤¤à¥à¥ž उठा सकती है। मातà¥à¤°à¤¾ 3-4 दिनों का à¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® यदि आप बनाà¤à¤‚गी तो नीलकंठमंदिर, मनसा देवी मंदिर, चंडी देवी मंदिर और ऋषिकेश जैसे पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर घूम कर आ सकती हैं। परिवहन और ठहरने की à¤à¥€ कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नहीं है।
पोसà¥à¤Ÿ को पà¥à¤¨à¥‡ और सराहने के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
अरà¥à¤£
My first car was a Wagon-R too and I did a lot of trips on this trusted set of wheels. I must have been to Haridwar a lot of times but could never make it to Mansa Devi or to use the ropeway. Looks like, I will make use of logs like these in my Banprashta :-).
Thank you Arun for the warm and positive log on Haridwar.
_/_ Nandan Sir,
As far as I am concerned, a well traveled person like you never reaches Vanaprastha…please leave it for us. Metal wise not sure, but yes wagonr is a great machine. Try once the thrill of rope-way during off-season since Haridwar and its temples becomes unmanageable during festivals and puts more burden on pockets too.
Thanks for your time and consideration!
Arun
Arun Ji,
I have read your post few days back but could not find time to say anything about it.
It is remarkable that you visited quite a few places in just two days and had time to relax too. Short trips are always nice and especially when the destination is so beautiful and divine.
I remember visiting Haridwar and Rishikesh during my school days and attended ganga Arti though my memories have fade away about my then experience but through your post I feel like re living those moments.
I never got a chance to visit Chandi Devi Mandir so I thank you that through this travel post I could read about it.
Many thanks!
Pooja Ji, thanks for liking the post.
Of course short trips are always nice e.g. last time randomly we got a chance to visit Neelkanth Mahadev Temple, which is almost 50-60 KMs away from Haridwar. At that time we had covered all the hilly areas including Rishikesh in a single go within 03 days as well as we had spent a quality time by watching Maa Gangaa Aarti and taking holy bath at Har ki Pauri. The travelogue is available on ghumakkar and you can read and enjoy it as well at any time.
Thank you again!
Jai ganga maya, jai mara didi, aapke post news to Muje jane Ke liye or bhi majboor kar diya he
Thanks dear