नवमà¥à¤¬à¤° 2011 कि बात है, अपनी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग यातà¥à¤°à¤¾ के अगले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के रà¥à¤ª में हमने चà¥à¤¨à¤¾ था à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर को। विशाल राठोड़ से उस समय फोन पर बहà¥à¤¤ लंबी बातें हà¥à¤† करती थीं, à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• दिन घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी पर चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ मैने विशाल को अपने à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर जाने के पà¥à¤²à¤¾à¤¨ के बारे में बताया, चà¥à¤‚की उस समय तक हम लोगों की मà¥à¤²à¤¾à¤•ात नहीं हà¥à¤ˆ थी और हम दोनों ही कोशिश में थे की परिवार सहित कहीं मिला जाà¤, मेरे à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर जाने की बात सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही विशाल बोला कि यार à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर तो हमें à¤à¥€ जाना है कà¥à¤¯à¥à¤‚ ना à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर में ही मà¥à¤²à¤¾à¤•ात की जाठऔर बस उसी समय दिन, दिनांक समय आदी तय करके हम दोनों ने अपने अपने परिवारो सहित टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ मे आरकà¥à¤·à¤£ करवा लिया।
तय कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के तहत मà¥à¤à¥‡ अपने परिवार के साथ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से तथा विशाल को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ से पà¥à¤£à¥‡ पहà¥à¤‚चना था और वहां से साथ में à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर। हम लोगों को तो यह पà¥à¤²à¤¾à¤¨ बहà¥à¤¤ पसंद आया था लेकिन à¤à¥‹à¤²à¥‡ बाबा न तो हमें अपने दरà¥à¤¶à¤¨ देना चाहते थे और न ही दोनों की मà¥à¤²à¤¾à¤•ात होने देना चहà¥à¤¤à¥‡ थे। हà¥à¤† यà¥à¤‚ की हमारे निकलने वाले दिन से कà¥à¤› तीन चार दिन पहले मेरी बहà¥à¤¤ जबरà¥à¤¦à¤¸à¥à¤¤ तबियत खराब हà¥à¤ˆ, मैनें ये बात विशाल से कही और हम दोनों ने आरकà¥à¤·à¤£ रदà¥à¤¦ करवा दिà¤à¥¤ बिमारी का आलम ये रहा की जो बैग हमने टूर के लिये तैयार किये थे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लेकर हमें असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² जाना पड़ा और पूरे दस दिन मà¥à¤à¥‡ असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में à¤à¤°à¤¤à¥€ रहना पड़ा।
मारà¥à¤š २०१२ में मैने फिर à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर जाने के लिये इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से पà¥à¤£à¥‡ की इनà¥à¤¡à¤¿à¤—ो की फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ में हम चारों का आरकà¥à¤·à¤£ करवाया, लेकिन इस बार फ़िर हमारा पà¥à¤²à¤¾à¤¨ चौपट हो गया, संसà¥à¤•à¥à¤°à¤¤à¥€ की सी.बी.à¤à¤¸.ई. की परीकà¥à¤·à¤¾ की तारिखें आगे बढ जाने से हमें फिर आरकà¥à¤·à¤£ कैंसल करवाना पड़ा। अब ये हमारे लिये सोचने का विषय था की आखिर à¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर के केस में ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो रहा है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बार बार ये यातà¥à¤°à¤¾ कैंसल हो रही है?
लेकिन आखिर à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ कहीं हार मानती है? à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के आगे तो à¤à¤—वान à¤à¥€ à¤à¥à¤• जाते हैं। हम à¤à¥€ हार नहीं मानने वाले थे, इस बार अगसà¥à¤¤ में फ़िर इनà¥à¤¡à¤¿à¤—ो की फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ का पà¥à¤£à¥‡ के लिठरिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ करवाया। और इस बार हमें à¤à¤—वान à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर के सफ़लता पà¥à¤°à¥à¤µà¤• दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के अलावा पà¥à¤£à¥‡ के दगड़à¥à¤¶à¥‡à¤ गणेश जी, तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° तथा साईं बाबा के दरà¥à¤¶à¤¨ करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¥€ मिला।
मेरा जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ अगसà¥à¤¤ में आता है और इस यातà¥à¤°à¤¾ का योग à¤à¥€ अगसà¥à¤¤ में ही बन रहा था अत: मैंने सोचा की कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न इस बार अपना जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ बाबा à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर के मंदिर में पूजन अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के साथ ही मनाया जाà¤, और बस इसी सोच के साथ तारिख à¤à¥€ तय हो गई, मेरा बरà¥à¤¥ डे 8 अगसà¥à¤¤ को है अतः 7 अगसà¥à¤¤ को इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से निकालना निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ हà¥à¤† ताकि आठको हम à¤à¥€à¤®à¤¾à¤¶à¤‚कर पहà¥à¤‚च सकें।
शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ के महीने में जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ वाले दिन à¤à¤—वान à¤à¥‹à¤²à¥‡à¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨, à¤à¤²à¤¾ इससे अचà¥à¤›à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ बात हो सकती है? आजकल हम लोगों ने बरà¥à¤¥ डे पर पारà¥à¤Ÿà¥€ वगैरह करना बंद कर दिया है, और कोशिश करते हैं की यह पावन दिन हम किसी मंदिर में पà¥à¤œà¤¾ पाठके साथ मनायें, खैर, रिजरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¨ वगैरह करवाने के बाद अब उस दिन का इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° था जिस दिन हमें यातà¥à¤°à¤¾ के लिये निकलना था।
इस यातà¥à¤°à¤¾ को लेकर मन में बहà¥à¤¤ संशय था, पता नहीं हो पायेगी à¤à¥€ या नहीं, à¤à¤¨ टाइम पर कà¥à¤› à¤à¥€ लफ़ड़ा हो सकता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये यातà¥à¤°à¤¾ दो बार पहले कैंसल हो चà¥à¤•ी थी। खैर, वो कहते हैं ना की जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है, और अनà¥à¤¤à¤¤: हमारी यातà¥à¤°à¤¾ वाला दिन आ ही गया।
यह मेरी तथा मेरे परिवार की पहली हवाई यातà¥à¤°à¤¾ थी अतः à¤à¤•à¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤Ÿà¤®à¥‡à¤‚ट का लेवल बहूत हाई था, सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में। सात अगसà¥à¤¤ को शाम ६.५० पर हमारी फ़à¥à¤²à¤¾à¤‡à¤Ÿ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ से निकलने वाली थी। दरअसल यह à¤à¤• कनेकà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग फ़à¥à¤²à¤¾à¤‡à¤Ÿ थी, इनà¥à¤¦à¥Œà¤° से नागपà¥à¤° तथा नागपà¥à¤° से पà¥à¤£à¥‡,  नागपà¥à¤°Â à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर दो घंटे का विशà¥à¤°à¤¾à¤® था और रात लगà¤à¤— गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ बजे फ़à¥à¤²à¤¾à¤‡à¤Ÿ पà¥à¤£à¥‡ पहà¥à¤‚चने वाली थी।
इंसान की खà¥à¤µà¤¾à¤‡à¤¶à¥‡à¤‚ हर पल नयी होती रहती है कà¤à¥€ यह चाहिठकà¤à¥€ वह, ऊपर नील गगन में उड़ते उड़नखटोले को देख कर बैठने की  इचà¥à¤›à¤¾ हर दिल में होनी सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है, सो हम सब के दिल में à¤à¥€ थी …कब दिन आà¤à¤—ा यह बात सोचते सोचते वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बीत गà¤, लेकिन मन में यह विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था की वो दिन आयेगा जरà¥à¤° और फिर वह दिन आ गया ….पहली हवाई यातà¥à¤°à¤¾ थी, दिल में धà¥à¤• धà¥à¤• हो रही थी कैसे जाना होगा ..कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ करना होगा
हम लोग दोपहर करीब à¤à¤• बजे अपनी कार से इनà¥à¤¦à¥Œà¤° के लिये निकल पड़े, चà¥à¤‚कि हमें इससे पहले कà¤à¥€ पà¥à¤²à¥‡à¤¨ में तो कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर à¤à¥€ नहीं गये थे, और à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ की औपचारिकताओं के बारे में à¤à¥€ नहीं मालà¥à¤® था अत: हमारी कोशिश थी की à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर फ़à¥à¤²à¤¾à¤‡à¤Ÿ के समय से दो घंटे पहले ही पहà¥à¤‚च जायें। पà¥à¤²à¤¾à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• अपनी कार इनà¥à¤¦à¥Œà¤° में à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° के यहां रखकर हम आटो लेकर देवी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ होलà¥à¤•र à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ की ओर चल दिये और साढे चार बजे à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पहà¥à¤‚च गà¤à¥¤ इनà¥à¤¦à¥Œà¤° à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ का नया टरà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤² बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° था, वहां की रौनक तथा शानो शौकत देखते ही बनती थी।
सिकà¥à¤¯à¥‹à¤°à¤¿à¤Ÿà¥€ तथा लगेज की सारी औपचारिकताà¤à¤‚ संपनà¥à¤¨ करते हà¥à¤ करीब पौने छ: बजे हम लोग लाउंज में बैठकर अपनी फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ का इनà¥à¤¤à¥›à¤¾à¤° करने लगे। लाउंज के बड़े बड़े शीशों से रनवे की सारी गतिवीधीयां सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई दे रहीं थीं। शिवम बड़े मजे से पà¥à¤²à¥‡à¤¨à¥à¤¸ को टेक ओफ़ तथा लैंड करते देख रहा था, हमारी फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ २० मिनट लेट थी। कà¥à¤› ही देर में हमारी फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ à¤à¥€ रनवे पर आ गई और अनà¥à¤¤à¤¿à¤® औपचारिकता पà¥à¤°à¥€ करके हम à¤à¥€ रनवे पर आ गà¤à¥¤
शाम का समय था, मौसम सà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, ठंडी हवायें चल रहीं थीं और मन में ढेर सारा कौतà¥à¤¹à¤², उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और उमंगें थीं, रनवे पर दो तीन पà¥à¤²à¥‡à¤¨ खड़े थे, पहली बार हमलोगों ने इतने करीब से à¤à¤¯à¤° पà¥à¤²à¥‡à¤¨ को देखा था। और फिर इंडिगो सà¥à¤Ÿà¤¾à¥ž की मदद से हम लोग लाइन में लगकर अपने पà¥à¤²à¥‡à¤¨ की ओर बढे और कà¥à¤› ही देर में हम अपनी अपनी सिट पर बैठगà¤à¥¤ चà¥à¤‚कि पहली हवाई यातà¥à¤°à¤¾ थी अत: मैनें चार में से दो सिटें विनà¥à¤¡à¥‹ वाली आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करवाईं थीं ताकी हम बाहर का नज़ारा à¤à¥€ देख सकें।
इंडिगो की नीली डà¥à¤°à¥‡à¤¸ में विमान परिचारिकाà¤à¤ à¤à¤•दम नीली परियों सी लग रहीं थीं। खिड़की वाली सीटें मिल ही गयी थीं इस से अधिक और कà¥à¤¯à¤¾ चाहिठथा? बस इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° था इसके उड़ने का और मन का बादलों को छूने का .. सफ़ेद बादलों के बीच, नील गगन की नीली आà¤à¤¾ में नीली पोशाक में शोà¤à¤¾à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ उन नीली परियों को निहारने का अलग ही आनंद था, लेकिन साथ ही साथ इस बात का à¤à¥€ à¤à¤¾à¤¨ था की घरवाली परी की à¤à¤• जोड़ी आà¤à¤–ें लगातार चौकसी में लगी हà¥à¤ˆ हैं। अतः जितना परम आवशà¥à¤¯à¤• था उतना निहार लिया और फिर हमेशा की तरह अपनी परी को निहारने लगे.
दरवाज़े बंद हà¥à¤ और दो परिचारिकाà¤à¤ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कई तरह से मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ से बचने के नियम कानून समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ लगी ..हाथ को वà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤® की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में हिलाते हà¥à¤ ..कà¥à¤› समठआया कà¥à¤› नहीं …छोटे से सफ़र में यह बालाà¤à¤‚ सब कà¥à¤› समà¤à¤¾à¤¤à¥€ किसी नरà¥à¤¸à¤°à¥€ सà¥à¤•ूल की मासà¥à¤Ÿà¤°à¤¨à¥€à¤¯à¤¾à¤‚ लगीं …
ये सबकà¥à¤› बड़ा अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था, और कà¥à¤› ही देर में हमारा विमान रनवे पर सरपट दौड़ने लगा और à¤à¤• हलà¥à¤•े से à¤à¤Ÿà¤•े के साथ उसने उड़ान à¤à¤° दी।
अà¤à¥€ उड़ान à¤à¤°à¤¨à¥‡ को कà¥à¤› ही मिनट हà¥à¤ थे की विमान दोनों तरफ डोलने लगा, मेरी तो जान सà¥à¤– कर हलक में अटक गई थी, मà¥à¤à¥‡ परेशान देखकर पास वाले à¤à¤¾à¤ˆ साहब बोले ….जसà¥à¤Ÿ रिलेकà¥à¤¸, फà¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ में à¤à¤¸à¤¾ होता है, सà¥à¤¨à¤•र जान में जान आई ….
कà¥à¤› मिनट और बीते थे की à¤à¤• और नई परेशानी सामने आई, दोनों कान ढप ढप की आवाज के साथ बारी बारी से खà¥à¤²à¤¨à¥‡, बंद होने का उपकà¥à¤°à¤® करने लगे, शà¥à¤°à¥‚ में मà¥à¤à¥‡ लगा की à¤à¤¸à¤¾ सिरà¥à¤« मेरे साथ ही हो रहा है लेकिन यही परेशानी दोनों बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ तथा पतà¥à¤¨à¥€ जी को à¤à¥€ महसूस हà¥à¤ˆ, मेरी ये परेशानी à¤à¥€ बाजू वाले à¤à¤¾à¤ˆ साहब à¤à¤¾à¤‚प गठऔर मà¥à¤à¥‡ फिर ढाढस बंधाने लगे, बोले की à¤à¤¾à¤ˆ साहब यह à¤à¥€ होता है, इससे निबटने के लिठउड़ान के दौरान चà¥à¤‡à¤‚गम चबाते रहना चाहिà¤, और इस सलाह के साथ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चà¥à¤‡à¤‚गम की à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤ª बेग से निकाल कर हमें दे दी, à¤à¤¾à¤ˆ साहब को धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ देकर हम सब चà¥à¤‡à¤‚गम के सहारे अपने कानों में हो रही उस उठा पटक को à¤à¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश में लग गà¤à¥¤
उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, उमंग, उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ तथा डर की मिशà¥à¤°à¥€à¤¤ अनà¥à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ करीब à¤à¤• घंटे में हम डा. अंबेडकर अनà¥à¤¤à¤°à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ नागपà¥à¤° पर उतरे।
नागपà¥à¤° हवाई अडà¥à¤¡à¥‡ की चमक दमक तथा यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आवाजाही को दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर करते हà¥à¤ कब दो घंटे बीत गठपता ही नहीं चला। करीब दो घंटे की सà¥à¤–मय पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ के बाद तथा हलà¥à¤¦à¥€à¤°à¤¾à¤® के नमकीनों के आठदस पाउच उदरसà¥à¤¥ करने के बाद हम अपनी अगली फ़à¥à¤²à¤¾à¤ˆà¤Ÿ के लिये विमान में सवार हो गठऔर à¤à¤• घंटे के बाद पà¥à¤£à¥‡ के लोहेगांव à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर उतर गà¤à¥¤
नागपà¥à¤° à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ पर मेरी पिछली कंपनी के à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— डायरेकà¥à¤Ÿà¤° मिल गये थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखते ही मैनें उनके चरण सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ किये, वे à¤à¥€ वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद मà¥à¤à¥‡ यà¥à¤‚ अचानक देखकर बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ थे, चà¥à¤‚कि वे पà¥à¤£à¥‡ ही रहते हैं अत: उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ हमें अपनी गाड़ी से पà¥à¤£à¥‡ शहर तक पहà¥à¤‚चाया तथा à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ होटल में कमरा दिलवाने में à¤à¥€ मदद की। कमरे में पहà¥à¤‚चने के कà¥à¤› देर बाद ही हम सो गये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि रात बहà¥à¤¤ हो चà¥à¤•ी थी और हम सब थके हà¥à¤ à¤à¥€ थे।
सà¥à¤¬à¤¹ करीब आठबजे हम लोगों की नींद खà¥à¤²à¥€à¥¤ आज मेरा जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ था अत: सà¥à¤¬à¤¹ उठते ही कविता तथा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने बरà¥à¤¥ डे विश किया और फिर सिलसिला शà¥à¤°à¥ हà¥à¤† दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚, रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के फोन कालà¥à¤¸ का जो करीब à¤à¤• घंटे में थमा। आज हमें पà¥à¤£à¥‡ के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ दगड़ॠशेठगणपती मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिये जाना था, अत: सà¤à¥€ नहा धो कर तैयार हो गà¤à¥¤
आइये जानते हैं पà¥à¤£à¥‡ के इस मंदिर के बारे में: शà¥à¤°à¥€ दगड़ॠशेठगणपती हलवाई मंदिर पà¥à¤£à¥‡ शहर के मधà¥à¤¯ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है तथा पà¥à¤°à¥‡ महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है, हर वरà¥à¤· यहां लाखों की तादाद में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ à¤à¤—वान गणेश के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिये आते है, इनके à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में कई पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अलावा महराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ à¤à¥€ शामिल हैं। इस मंदिर के गणेश जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ का à¤à¤• करोड़ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का बीमा करवाया जाता है। अधिक जानकारी के लिये कà¥à¤²à¤¿à¤• करें –http://en.wikipedia.org/wiki/Dagadusheth_Halwai_Ganapati_Temple
आज जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ पर मà¥à¤à¥‡ इतने सिदà¥à¤§ मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ का लाठमिल रहा था यह मेरा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ था। हमने मंदिर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ में परà¥à¤šà¥€ कटवा कर टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ के पंडित जी से गणेश जी का अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• करवाया। अà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के बाद कà¥à¤› देर मंदिर में बैठने के बाद हम मंदिर से बाहर आ गà¤à¥¤ सà¥à¤¬à¤¹ से कà¥à¤› खाया नहीं था अत: अब à¤à¥à¤– सता रही थी, मंदिर से कà¥à¤› दà¥à¤° पैदल ही चल कर हम à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट की तलाश करने लगे और कà¥à¤› ही देर में हमें à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ उड़à¥à¤ªà¥€ रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट मिल गया, जहां कविता तथा बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने इडली तथा डोसा का औरà¥à¤¡à¤° किया, लेकिन मेरी नज़रें अà¤à¥€ à¤à¥€ हमेशा की तरह पोहे तलाश रही थीं, थोड़ा संकोच करते हà¥à¤ मैनें रेसà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥‡à¤‚ट वाले से पोहे के बारे में पà¥à¤› ही लिया, और मेरी खà¥à¤¶à¥€ का ठिकाना नहीं रहा जब उसने कहा की पोहे उपलबà¥à¤§ हैं, मैं बड़े पà¥à¤°à¥‡à¤® से दो पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ पोहे चट कर गया।
à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ नाशà¥à¤¤à¤¾ करके तथा कà¥à¤› देर पà¥à¤£à¥‡ की सड़कों पर चहलकदमी करते हà¥à¤ हम अपने होटल लौट आअ…………..
आगे का हाल अगली पोसà¥à¤Ÿ में अगले संडे……….



















बहुत जानदार वर्णन मुकेसभाई… पहली उड़ान को आपने सजीव कर दिया… चित्र भी आकर्षक हैं …अगले भाग की प्रतीक्षा है
(उन नीली परियों को निहारने का अलग ही आनंद था, लेकिन साथ ही साथ इस बात का भी भान था की घरवाली परी की एक जोड़ी आँखें लगातार चौकसी में लगी हुई हैं। —— सावधान थानेदार को साथ लेकर चलते हुए चोरी का सोचना भी नहीं वरना….. )
एस. एस. सर,
आपकी प्रेमिल तथा भावपूर्ण प्रतिक्रिया के लिये हृदय से धन्यवाद। सर जी, थानेदार की उपस्थिति में तो बस अल्लाह की गाय बने रहने में ही भलाई है, सो बने रहते हैं।
बहुत खूब वर्णन |
जहाज़ में तेर्बुलानसे (turbulence) का मज़ा लेना है तो कभी कोचीन का प्रोग्राम बनाओ | :-)
अगली पोस्ट का इंतज़ार …….
महेश जी,
पोस्ट पसंद करने तथा प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये धन्यवाद। सर आपने कोचीन के बारे में बता कर हमारी उत्सुकता बढ़ा दी है. क्या उस तरफ टर्बुलेंस ज्यादा खतरनाक होता है?
वेसे तो तेर्बुलानसे (turbulence) आम बात है | कोचीन5-6 बार गया हू , हर बार जाबरदस्त तेर्बुलानसे देखने को मिला ओर टाइम पीरियड भी ज़यादा रहा !
chitron ke sath bahut hi sunder varnan kiya hai apne mukhesh ji
संजय जी,
उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक धन्यवाद.
बहुत सुंदर यात्रा वृतांत हमेशा की तरह. मैं आपकी ज्यादातर पोस्ट पढ़ता हूं
विद्युत जी,
आपकी इस प्रेमपूर्ण प्रशंसा के लिये धन्यवाद। आप पाठकों का स्नेह ही तो है जो हमें और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करता है।
आदरणीय मुकेशजी
बहुत सुंदर चित्रों के साथ बहुत व्यवस्थित वर्णन। करीब ८ या ९ माह पहले गूगल पर घुमक्कर की खोज के बाद आपके यात्रा लेखो के माध्यम से आपसे परिचय हुआ और हिंदी में सशक्त लेखनी के कारन आपके लेखो का नियमित पाठक बन गया। आपके द्वारा द्वादश ज्योर्तिलिंग पर लिखी गयी अलग अलग श्रंखला की लिंक में आपसे चाह्ता हूँ ताकि मेरे जो जो भी ज्योर्तिलिंग रह गए है उनकी जानकारी मिल जाये और आगे में उस हिसाब से प्लान कर सकु. वेसे आगामी दिसम्बर २०१३ में सर्कुलर जर्नी टिकट के द्वारा हम परिवार के सदस्य पूरी गंगा सागर बैधय्नाथ धाम और कशी विश्व नाथ के दर्शन के लिए जा रहे है। अत: लिंक के लिए किए गए मेरे अनुरोध पर विचार किया जावेगा इसी विश्वास के साथ सदर प्रणाम।
भूपेंद्र सिंह रघुवंशी
रघुवंशी जी,
आपकी टिप्पणियां हमेशा ही मेरे लिए उत्साहवर्धक, मार्गदर्शक तथा प्रेरक रहीं हैं। आप इतनी सुन्दर तथा सिद्ध जगहों पर दर्शन के लिए जा रहे हैं जानकर ख़ुशी हुई। आपकी यात्रा सुखमय हो यही प्रार्थना है।
मेरी सभी पोस्ट्स आपको यहाँ पर मिल जायेंगी https://www.ghumakkar.com/author/mukesh-bhalse/ , यदि आपको इन जगहों से सम्बंधित और जानकारी की आवश्यकता हो तो आप मुझे मेल कर सकते हैं या फिर फ़ोन पर कोंटेक्ट कर सकते हैं, मेरे कांटेक्ट डिटेल्स ये हैं – mukeshbhalse74@yahoo.co.in / 7898909043.
Thanks.
पहली हवाई यात्रा हर किसी के लिए बड़ा रोमांचकारी होता है,आपका ये लेख इस बात को साबित करता है, ऐयरपोर्ट के चित्र काफ़ी अच्छे आए है,पुणे गये है तो पुणे के शॉपिंग मॉल ज़रूर घूम आईएगा अगर टाइम मिले तो ख़ासकर पुणे सेंट्रल और काकड़े मॉल..धन्यवाद..
राकेश जी,
आपकी इस सुन्दर कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। अगली बार पुणे जायेंगे तो ये मोल्स भी जरुर देखेंगे।
Mukesh Ji..
Nice post.. Better late than never.
Photographs of the Indore Airport have come so nice.
Waiting for Bhimashankar Darshan….
Naresh ji,
Thanks for your lovely comment. Yes, Indore airport is recently shifted to its new building.
बहुत ही शानदार पोस्ट , खुबसूरत फोटो और बेहतरीन लेखन……. जितनी तारीफ करे उतना ही कम है। अगले लेख के इन्तजार में …….
उपाध्याय जी,
आपने तो कुछ ज्यादा ही प्रशंसा कर दी। खैर, आपको ये पोस्ट पसंद आई, मेरे लिए ये सबसे बड़ी ख़ुशी है। इतने सुन्दर शब्दों में प्रतिक्रया व्यक्त करने के लए मैं आपका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ।
Hi Mukesh,
I guess everyone has similar awesome experience of flying for the first time.
Enjoyed the post and look forward to the next.
Thank you very much sir for the comment. Being first timers we were bit afraid too, but eventually the things were cherishing.
Thanks.
Mukes bhai, I think you made the most out of your maiden trip and I guess the change-over at Nagpur, which typically is not an attractive proposition, worked in your favor. I also tremendously liked and genuinely appreciate your honest comments around everything blue. I think you should not take SS’s comment too seriously, he has probably done so many of air travels that he has lost all interest, let that not come in your way. Also on a public forum he would be very tactical (actually it is an occupational hazard in his case).
Super narration. Enjoyed. Look forward to return flight.
Thank you Nandan for your encouraging comment along with expert advice ……
Hi Mukesh Ji
Well balanced and nicely composed post like always.
Good narrative style with beautiful pics, especially the part inside the plane was very crisp.
Thoroughly enjoyed…
Avtar ji,
Thanks a lot for your sweet words.
मुकेश जी….
नमस्कार जी ….. आपका लेख पढ़कर और आपकी पहली हवाई यात्रा के रोचक वर्णन पढ़कर कर मन प्रसन्न हो गया… |
चित्र वाकई में बहुत खूबसूरत लगे…..आपकी हवाई यात्रा देखकर हमारे मन भी एक ललक जाग उठी कि हम भी एक बार तो हवाई यात्रा का लुफ्त उठा ही ले…..
धन्यवाद….
सोचना क्या है रितेश जी, दिल्ली से इंदौर के लिए इंडिगो या स्पाइस जेट की फ्लाईट की बुकिंग करवाओ (बहुत किफायती होती हैं)। उज्जैन, ओंकारेश्वर, मांडू, देवास, महेश्वर बहुत कुछ है हमारे घर के आसपास। आपके आगमन का इंतज़ार है….
मुकेश जी,
बहुत ही बढ़िया यात्रा व्रतांत है, आपकी पहले हवाई यात्रा का अनुभव पढ़ कर ही इतना अच्छा लग रहा है तो मैं समझ सकता हूँ कि आप उस समय कैसा महसूस कर रहे होंगे ! नीली परियों वाली बात भी काफ़ी रोचक लगी !
प्रदीप जी,
इन मधुर शब्दों के लिए आभार …….
As usual a very good & informative post Mukesh Ji.
Pictures are good. I am too late to read the post but “der aaye durust aaye.
Dear Mukesh, We, two senior citizen couples, are planning for visiting Jyotirlingas of M.P. and Maharashtra ( Mahakaleshwar, Onkareshwar, Bhimashankar, Trayambakeshwar, Parli Vaijnath and Nageshwar, Grishneshwar and Aundh Nagnath. Please guide preferred route and mode of travel, if you can email to me at rajeshkumar_bajpai@yahoo.com Ph. 09453538048. Tentatively planned Ujjain by train from Kanpur; Ujjain to Indore by road; Indore to Omkareshwar Road by train then by road to Omkareshwar and then to Khandwa. From Khandwa to Parbhani by train . How by road to Parli Vaidyanath, Aundh Nagnath, Grishneshwar, Nageshwar. Then how to Bhimashankar and Triambakeshwar and from Nashik back to Kanpur by train. If early guidance received from your side I will be benefitted to book Tickets accordingly as per your suggestions of stay period and travel time and your special tips.
– R.K. Bajpai, Kanpur