अब तक ………. महाकाल के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹ के बाद हम लोगों ने नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और नाशà¥à¤¤à¥‡ के बाद हमने à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ ऑटो कि तलाश शà¥à¤°à¥‚ कि जो हमें जंतर मंतर , जिसे वेधशाला à¤à¥€ कहते हैं , ले जाà¤à¥¤ हमारी गाडी का समय दोपहर का था और उसमे अà¤à¥€ काफी समय था इसलिठहम लोग जंतर मंतर घूमना चाहते थे । आज रंग पंचमी का दिन था और यहाठकाफी धूम धाम थी। जैसे हमारे उतर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में होली मनाई जाती है वैसे ही यहाठरंग पंचमी। इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° दà¥à¤•ाने बंद थी और जो खà¥à¤²à¥€ थी वो à¤à¥€ सिरà¥à¤« कà¥à¤› घंटो के लिà¤à¥¤ आज रंग पंचमी होने के कारण ऑटो à¤à¥€ काफी कम थे। जो थे वो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पैसे मांग रहे थे। आखिर कà¥à¤› मोलà¤à¤¾à¤µ के बाद à¤à¤• ऑटोवाला हमें जंतर मंतर / वेधशाला होते हà¥à¤ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जाने के लिठ150 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में मान गया। हम ऑटो में सवार हो अपनी नयी मंजिल जंतर मंतर / वेधशाला की ओर चल दिठ।
ऑटो वाला हमें उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ की कà¥à¤› सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ सडकों से घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† 15-20 मिनट में जंतर मंतर ले आया। सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ सडकों पर जाने का उसका उदेशà¥à¤¯ केवल हमें व अपने नठऑटो को रंग से बचाना था। हम उसे बाहर पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने को कह जंतर मंतर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर गà¤à¥¤ यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ महाकालेशà¥à¤µà¤° से 3 किलोमीटर की दà¥à¤°à¥€ पर चिंतामन रोड पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है जहाठसे रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की दà¥à¤°à¥€ मातà¥à¤° 2 किलोमीटर है। यहाठपà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ 10 रूपये पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• है। जब हम वहाठपहà¥à¤‚चे तो हमारे अलावा वहाठकोई à¤à¥€ नहीं था। अंदर जाकर देखा तो à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नजर आया जो वहाठका केअर टेकर था । उसने आकर हमें टिकट दिठऔर छोटी सी फ़ीस पर खà¥à¤¦ ही गाइड का काम करने लगा। उसने हर यंतà¥à¤° के बारे में बताया जिसमे से हमें थोडा सा समठआया बाकी सब कà¥à¤› सर के ऊपर से निकल गया। हमारे पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के थोड़ी देर बाद वहाठकà¥à¤› लोग और आने लगे और वो केअर टेकर उनके साथ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गया।
वेधशाला, उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨:
उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ शहर में दकà¥à¤·à¤¿à¤£ की ओर कà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾ के दाहिनी तरफ जयसिंहपà¥à¤° नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में बना यह पà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¤¾ गृह “जंतर महल’ के नाम से जाना जाता है। इसे जयपà¥à¤° के महाराजा जयसिंह ने सनॠ1733 ई. में बनवाया। उन दिनों वे मालवा के पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ नियà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤ थे। जैसा कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के खगोलशासà¥à¤°à¥€ तथा à¤à¥‚गोलवेतà¥à¤¤à¤¾ यह मानते आये हैं कि देशांतर रेखा उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ है। अतः यहाठके पà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¤¾à¤—ृह का à¤à¥€ विशेष महतà¥à¤µ रहा है।
यहाठपांच यंतà¥à¤° लगाये गये हैं — समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ यंतà¥à¤°, नाडी वलय यंतà¥à¤°, दिगंश यंतà¥à¤°, à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ यंतà¥à¤° à¤à¤µà¤‚ शंकॠयंतà¥à¤° है। इन यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का सनॠ1925 में महाराजा माधवराव सिंधिया ने मरमà¥à¤®à¤¤ करवाया था।
यह वेधशाला पांच शहरों दिलà¥à¤²à¥€, जयपà¥à¤°, मथà¥à¤°à¤¾, वाराणसी à¤à¤µà¤‚ उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ में बनवाई गई वेधशालाओं में से à¤à¤• उतà¥à¤•ृषà¥à¤Ÿ वेधशाला है। उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का गà¥à¤°à¥€à¤¨à¤µà¤¿à¤š के नाम से जानते है। आज à¤à¥€ इस वेधशाला का उपयोग पंचांग बनाने में किया जाता है। सूरà¥à¤¯ घडी से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ समय को वहीं लगी à¤à¤• सारणी से सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤£à¥à¤¡à¤°à¥à¤¡ समय में बदल लिया जाता है। वेधशाला में दिगंश यंतà¥à¤° से गà¥à¤°à¤¹-नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के दिगंश पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किठजाते है। यह वेधशाला पंचांग के साथ-साथ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ कलाकृति का à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। यह à¤à¤• उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤¥à¤² है।
वेधशाला में टेलिसà¥à¤•ोप à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं। यहाठटेलिसà¥à¤•ोप के माधà¥à¤¯à¤® से रातà¥à¤°à¤¿ के समय आकाश अवलोकन कि सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों के लिठउपलबà¥à¤§ है। गà¥à¤°à¤¹à¤£ आदि विशेष घटनाओं का टेलिसà¥à¤•ोप के माधà¥à¤¯à¤® से अवलोकन वेदशाला में करवाया जाता है। सोलर फ़िलà¥à¤Ÿà¤° वाले टेलिसà¥à¤•ोप से दिन के समय सूरà¥à¤¯ और उसके धबà¥à¤¬à¥‹à¤‚ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ रà¥à¤ª से देख सकते हैं।
यहीं से à¤à¤• छोटी सी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•ा जिसका मूलà¥à¤¯ सिरà¥à¤« पांच रूपये था , हमने खरीदी और सà¤à¥€ यंतà¥à¤°à¥‹ की जानकारी इसी से देखकर लिख रहा हूà¤à¥¤ काफी कठिन शबà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ है इसलिठअनजाने में हà¥à¤ˆ तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ के लिठपहले से कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांग लेता हूà¤à¥¤
समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ यंतà¥à¤° : इस यंतà¥à¤° के बीच कि सीढ़ी की दीवारों की ऊपरी सतह पृथà¥à¤µà¥€ की धà¥à¤°à¥€ के सामानांतर होने के कारण रात को दीवारों की ऊपरी सतह की सीध में धà¥à¤°à¥à¤µ तारा दिखाई देता है। सीढ़ी की दीवारों के पूरà¥à¤µ और पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा में समय बतलाने के लिठà¤à¤• चौथाई गोल à¤à¤¾à¤— बना हà¥à¤† है। जिस पर घंटे , मिनट और मिनट का तीसरा à¤à¤¾à¤— खà¥à¤¦à¥‡ हà¥à¤ हैं। जब आकाश में सूरà¥à¤¯ चमकता है तब दीवार की छाया पूरà¥à¤µ या पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा के समय बतलाने वाले किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पड़ती है। इस निशान पर घंटे , मिनट आदि की गिनती से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ समय जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। यंतà¥à¤° के पूरà¥à¤µ और पशà¥à¤šà¤¿à¤® दिशा में लगी समय सारणी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मिनट , इस उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के समय में जोड़ने से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मानक समय जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है।
नाडी वलय यंतà¥à¤° : धरातल में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ इस यंतà¥à¤° के उतर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दो à¤à¤¾à¤— हैं। छह माह जब तक सूरà¥à¤¯ उतरी गोलारà¥à¤¦à¥à¤§ में रहता है , उतर का गोल à¤à¤¾à¤— पà¥à¤°à¤•ाशित रहता है तथा दूसरे छह माह जब सूरà¥à¤¯ दकà¥à¤·à¤¿à¤£ गोलारà¥à¤¦à¥à¤§ में रहता है , दकà¥à¤·à¤¿à¤£ का गोल à¤à¤¾à¤— पà¥à¤°à¤•ाशित रहता है -यानि कि सूरà¥à¤¯ की धूप इस पर पड़ती है। इन दोनों à¤à¤¾à¤—ों के बीच में पृथà¥à¤µà¥€ की धà¥à¤°à¥€ के सामानांतर लगी कीलों से उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ समय जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है। गृह वॠनकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° की उतरी व दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ गोलारà¥à¤¦à¥à¤§ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ जानने के लिठà¤à¥€ इस यंतà¥à¤° का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाता है।
शंकॠयंतà¥à¤° : कà¥à¤·à¤¿à¤¤à¤¿à¤œ वृतà¥à¤¤ के धरातल में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ इस चबूतरे के मधà¥à¤¯ में à¤à¤• शंकॠलगा हà¥à¤† है जिसकी छाया से सात रेखाà¤à¤‚ खींची गयी हैं जो बारह राशियों को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करती हैं। ये रेखाà¤à¤‚ 22 दिसंबर को वरà¥à¤· का सबसे छोटा दिन , 21 मारà¥à¤š à¤à¤µà¤‚ 23 सितमà¥à¤¬à¤° दिन रात बराबर तथा 22 जून को वरà¥à¤· का सब से बड़ा दिन बतलाती हैं। शंकॠकी छाया से उनà¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤‚श à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ किये जा सकते हैं। शंकॠकी छाया दिन की अवधि के घटने -बढ़ने के साथ घटती बढ़ती रहती है जिससे ये रेखाà¤à¤‚ बनी हà¥à¤ˆ हैं।
वेधशाला से निपट कर हम वापिस आकर ऑटो में बैठगà¤à¥¤ ऑटो वाला पहले से बहà¥à¤¤ उतावला हो रहा था और हमें जलà¥à¤¦à¥€ से रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ कि और ले गया और लगà¤à¤— पाà¤à¤š मिनट में हम उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ के रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ हमारी गाडी का समय दो बजे था और अà¤à¥€ गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ ही बजे थे और अà¤à¥€ हमारी गाड़ी आने में काफी समय बाकी था लेकिन रंगपंचमी होने के कारण हम कहीं और नहीं घूम सकते थे। सड़के सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ थी , रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर à¤à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ नगणà¥à¤¯ थी और पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर मौजूद सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² à¤à¥€ लगà¤à¤— बंद थे। उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ का रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बड़ा नहीं है लेकिन साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ है । यहाठसिरà¥à¤« 2-3 पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® हैं और गाड़ियों कि आवाजाही à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम है। हमने पहले से यह तय किया था कि दोपहर का à¤à¥‹à¤œà¤¨ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर ही करेंगे लेकिन यहाठपर खाने को कà¥à¤› नहीं था। सिरà¥à¤« à¤à¤• सà¥à¤Ÿà¤¾à¤² ही खà¥à¤²à¤¾ था जिस पर खाने के लिठबिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ व चिपà¥à¤¸ के अलावा सिरà¥à¤« पोहा था। हमने à¤à¤• -à¤à¤• पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ पोहा खाकर और कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क पीकर पेट à¤à¤°à¤¨à¥‡ की नाकाम कोशिश की।
कà¤à¥€ इधर उधर घूम कर ,कà¤à¥€ लेट कर ,कà¤à¥€ बैठकर मà¥à¤¶à¥à¤•िल से समय बिताया। मालवा à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ गाड़ी अपने निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¥‰à¤°à¥à¤® पर पहà¥à¤‚ची और हमने अपनी अपनी बरà¥à¤¥ पर जाकर आसन लगा लिया। जैसे ही गाड़ी चली तो यह जिस दिशा से आई थी उसी दिशा में चल दी , शायद उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯ लाइन के साइड पर है। अगली सà¥à¤¬à¤¹ गाड़ी निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर अमà¥à¤¬à¤¾à¤²à¤¾ पहà¥à¤à¤š गयी और हम लोग अपने -२ घर रवाना हो गà¤à¥¤ इसके साथ ही मेरा यह यातà¥à¤°à¤¾ वà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤‚त संपनà¥à¤¨ होता है।
अà¤à¥€ तीन चार यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£ लिखना बाकी है जिसमे मथà¥à¤°à¤¾ ,वृंदावन और आगरा / महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° यातà¥à¤°à¤¾ ( तीन जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग ,शिरà¥à¤¡à¥€, शनि सिगनापà¥à¤° ,औरंगाबाद ) तथा अमरनाथ यातà¥à¤°à¤¾ 2013 शामिल है। आशा है शीघà¥à¤° ही इनमे से किसी à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ संसà¥à¤®à¤°à¤£ को आपके साथ साà¤à¤à¤¾ करूà¤à¤—ा। धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
good post with lot of information. nice pics.
Thnaks Ashok Ji..
Good info about observatory. Waiting for your next series to start.
Thanks Mukesh Ji..
Good job !
Thanks Mahesh Ji..
Hi Naresh,
Did not know that there are five Jantar Mantars in all! And Mathura is al real surprise – nobody seems to have written about it.
Now only if you could translate it into English so I could make some sense out of it!
It is time to visit the Jantar Mantar in Delhi.
It has been an epic series. Thanks for sharing!
Thanks Nirdesh ji for Liking.
will try to translate for you in English.
thanks again.
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