अब दà¥à¤¸à¤°à¥‡ दिन का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाना था। सà¤à¥€ को बोल दिया की सà¥à¤¬à¤¹ 5 बजे उठजाना तà¤à¥€ कंचनजंगा का खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत नजारा देख पाओगे। परनà¥à¤¤à¥ यह कà¥à¤¯à¤¾, रात à¤à¤° हलà¥à¤•ी – हलà¥à¤•ी बारिश होती रही। सà¥à¤¬à¤¹ उठे तो दूर – दूर तक बादलो के सिवा कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं दिख रहा था।

सà¥à¤µà¤¹ के समय होटल से बाहर गंगटोक शहर का दृशà¥à¤¯
अब सà¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ आठबजे तैयार होकर गंगटोक के अनà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के लिठनिकले। नाशà¥à¤¤à¤¾ वगैरह करते हà¥à¤ टैकà¥à¤¸à¥€ तय करने में 9 बज गà¤à¥¤ टैकà¥à¤¸à¥€ वाले मनमाने रेट मांग रहे थे। हमने 8 घंटे के 1000/- रूपये के हिसाब से 4 टैकà¥à¤¸à¥€ तय की। उसमे यह था कि रूमटेक मानेसà¥à¤Ÿà¥€ जो कि 23 किलोमीटर है उसे छोड़ कर बाकि सà¤à¥€ जगह ले जायेगे। जैसा की मै पहले लिख चूका हूठकि शहर के अनà¥à¤¦à¤° छोटी कार ही टैकà¥à¤¸à¥€ के रूप में चलती हैं और इसमें 4 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सवारी वह लोग नहीं बैठाते हैं। à¤à¤• सिसà¥à¤Ÿà¤® बना हà¥à¤† है और उसे वह लोग नहीं तोड़ते हैं। हम 14 लोग थे पर हमें 4 टैकà¥à¤¸à¥€ ही करनी पड़ी।
सबसे पहले हम लोगो को फà¥à¤²à¤¾à¤µà¤° शो ले गà¤à¥¤ यहाठपर कई तरह के फà¥à¤²à¤¾à¤µà¤° थे वैसे यहाठदिलà¥à¤²à¥€ में नहीं दिखाई पड़ते।
वहां पर 10 – 15 मिनट के बाद ही हम नठवà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट के लिठचल दिà¤à¥¤ अब हम Enchey Monestory के लिठचल दिà¤à¥¤ जैसा कि मैंने पढ़ा था यह 200 वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ मोनेसà¥à¤Ÿà¥€ है . यह गंगटोक T V सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के पास है। यहाठपर आकर हमें पता लगा कि गंगटोक का सही उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ गंगतोक है जबकि हम लोग गंगटोक बोलते हैं, इस समय यहाठलामा लोग पाठकर रहे थे।
थोड़ी देर यहाठरà¥à¤•ने के बाद अब हम लोगो को डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ टोक ले गà¤à¥¤
हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ टोक गंगटोक से लगà¤à¤— 9 किलोमीटर दूर 7200 फिट की ऊंचाई पर है। इस समय यहाठपर धà¥à¤‚ध और बादलो का कोहरा छाया हà¥à¤† था। दूर का कà¥à¤› à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं दिख रहा था। यहाठपर मंदिर में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने से पहले à¤à¤• छोटा सा चारो तरफ से खà¥à¤²à¤¾ हà¥à¤† बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कमरा बना था जहाठपर बैठकर आप अपने जूते – चपà¥à¤ªà¤² उतार कर रैक में रख सकते है और बाद में बैठकर पहन सकते हैं। इतनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ मैंने अà¤à¥€ तक कहीं नहीं देखी। मंदिर में पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ से दूर बैठे पाठकर रहे थे, आप की शà¥à¤°à¤§à¤¾ है तो दान पातà¥à¤° में कà¥à¤› डाले अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करके चले आये। यहाठपर हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का मंदिर तो है ही साथ में राम , लछमण , जानकी जी का à¤à¥€ मंदिर है।

बादलो से ढका राम-जानकी मंदिर ,हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ टोक
यहाठसे वापस लौटते हà¥à¤ Bakthang Waterfalls पर रà¥à¤•े। यहाठपर हमारी टीम ने खूब à¤à¤¨à¥à¤œà¥‰à¤¯ किया। यहाठपर रोप सà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग की जा रही थी। जिसके चारà¥à¤œà¥‡à¤œ 100 /- थे और मà¥à¤¶à¥à¤•िल से 100 फिट की दà¥à¤°à¥€ वह लोग तय करवाते थे। कà¥à¤› लोगो ने इसका लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ लिया। करीब à¤à¤• घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हम लोग रà¥à¤•े रहे कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि à¤à¤• – à¤à¤• कर यह लोग रोप सà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤¡à¤¿à¤‚ग कर रहे थे।
यहाठसे आगे बढ़ने पर à¤à¤• छोटा सा वाटरफाल और मिला। यह वाटर फाल अà¤à¥€ वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट में नहीं आता है। फिर à¤à¥€ थोड़ी देर के लिठरà¥à¤•े , फिर आगे बढे।
अब हम लोग गणेश टोक के लिठचल दिà¤à¥¤ यह à¤à¥€ à¤à¤• हिल पर गंगटोक से 7 किलोमीटर पर है। यहाठसे गंगटोक शहर का वà¥à¤¯à¥‚ काफी ऊंचाई से दिखता है। अगर साफ़ मौसम हो तो यहाठसे कंचनजंघा à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¤‚खलाये बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दिखती हैं। लेकिन कल रात बारिश होने के कारण अà¤à¥€ तक बादल छाये हà¥à¤ थे। गणेश टोक के बाहर कà¥à¤› सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी वहां की डà¥à¤°à¥‡à¤¸ किराये पर दे कर फोटो खिचवाने के लिठकह रहे थे।
यहाठसे आगे चले तो हमें डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ताशी वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट पर ले गये। यह à¤à¥€ बहà¥à¤¤ खूब सूरत जगह है। यहाठपर चारो तरफ की हिलà¥à¤¸ , कंचनजंगा सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखता है अगर मौसम साफ़ हो। यहाठपर जापानी डà¥à¤°à¥‡à¤¸ पहन कर कई लोग फोटो खिंचवा रहे थे। यादे संजो कर अपने साथ ले जाने के लिà¤à¥¤
मà¥à¤à¥‡ मालूम था की हमें निराशा ही हाथ लगेगी, कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि जाने से पहले ही हमने जब गूगल पर गंगटोक के मौसम के बारे में जानना चाहा तो गंगटोक में बादल और बारिश ही बता रहा था और यहाठपर आकर लगा कि जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° इस तरह की à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤£à¥€ सही ही होती है।
ताशी वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° हमें कà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ मेले में ले जाना चाहता था पर जब हम लोगो ने देखा दोपहर के ढाई बज रहे हैं तो मैंने कहा, कà¥à¤°à¤¾à¤«à¥à¤Ÿ मेले में जाने से और समय ख़राब होगा बेहतर है रोप वे चलते हैं। अà¤à¥€ कई पॉइंट जाना था पर समय कम बचा था। सà¤à¥€ को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ घà¥à¤®à¤¨à¥‡ का विचार था। यहाठपर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बताया, 4 बजे के बाद सब कà¥à¤› बंद हो जाता है या तो आप लोग रोपवे से घूम लो वहां पर दो पॉइंट और हैं वह à¤à¥€ घूम लेना अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ Bonjhakari Water Falls घूम सकते हैं। वाटर फाल रासà¥à¤¤à¥‡ में दो – तीन देख चà¥à¤•े थे इसलिठरोपवे के लिठचल दिà¤à¥¤
रोपवे 70 /- रूपये किराया था à¤à¤• बार में करीब 20 से 25 लोग इसमें सफ़र कर सकते थे। इसमें बैठने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं है इसमें खड़े होकर आस-पास और नीचे का वà¥à¤¯à¥‚ देखते हैं। à¤à¤• अलग ही नजारा देखने को मिल रहा था साथ ही साथ जब बस नीचे को तेजी से उतर रही होती है तब हलà¥à¤•ा सा डर à¤à¥€ लगता है।
रोपवे की यातà¥à¤°à¤¾ के बाद सीढियों से नीचे उतरते हà¥à¤ à¤à¤• रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट है। इस समय तक à¤à¥‚ख जोरो की लग रही थी सà¤à¥€ यहाठपर खाना खाने के लिठरà¥à¤• गà¤à¥¤ यहाठपर हम लोगो को आधे घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय लग गया और अब 4 बजने वाले थे। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° जलà¥à¤¦à¥€ से पास में ही Namgyal Institute of Tibetiology ले गया। जो 4 बजे बंद हो जाती है अà¤à¥€ हम अनà¥à¤¦à¤° घà¥à¤¸à¥‡ मà¥à¤¶à¥à¤•िल से à¤à¤• मिनट ही हà¥à¤† था कि केयर टेकर ने लाइट बंद कर दी बोला टाइम ओवर।
वहां से बाहर आये सामने ही चढ़ाई पर Do Drul Chorten सà¥à¤¤à¥‚प है। यहाठसे वापस होटल के लिठचल दिà¤à¥¤
अब तक शाम ढल चà¥à¤•ी थी सडको पर और मारà¥à¤•िट में लाइटे जगमगा रही थीं। परनà¥à¤¤à¥ सारे दिन की à¤à¤¾à¤— दौड़ के बाद शारीर इतना थक चूका था कि लग रहा था कि अब कà¥à¤› देर आराम किया जाय। आठघंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय घूमते हà¥à¤ हो गया था।
à¤à¤• बात और हम लोग इतने सारे वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट पर गठपर कहीं à¤à¥€ कोई टिकेट वगैरह नहीं चारà¥à¤œ किया जा रहा था। हाठकà¥à¤› à¤à¤• जगह टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड वाले जरà¥à¤° 10 /- रूपये पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कार चारà¥à¤œ कर रहे थे।
सà¤à¥€ लोग अपने – अपने कमरों में आराम करने पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤ तय हà¥à¤† à¤à¤• घंटे के रेसà¥à¤Ÿ के बाद लालबाजार , M .G Road घà¥à¤®à¤¨à¥‡ चलेंगे। आखिर आज की शाम ही बची थी कल हमें वापस लौटना था।
आज बारिश नहीं हà¥à¤ˆ पर शाम के समय मौसम में काफी ठंडक थी सà¤à¥€ लोग सà¥à¤µà¥‡à¤Ÿà¤° या जैकट पहने हà¥à¤ थे। आज मारà¥à¤•िट में काफी गहमागहमी थी। दो – तीन घंटे घूमने और छोटी – मोटी खरीदारी के बाद वहीठखाना खाकर 9 बजे तक सà¤à¥€ वापस होटल पहà¥à¤à¤š गà¤à¥¤
इस बीच में मैंने वापस जाने के बारे में जानकारी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली। पता लगा अगर सà¥à¤¬à¤¹ 7 बजे हम लोग नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ के लिठनिकलते हैं तब बड़ी गाडी या बस हमें होटल के पास ही मिल जाà¤à¤—ी। लेकिन साढ़े सात के बाद हमें यहाठसे वापस उसी जगह जाना होगा जहाठसे बड़ी टैकà¥à¤¸à¥€ कार बन कर चलती हैं। मै सà¥à¤¬à¤¹ सात बजे से पहले ही पास के टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर पहà¥à¤à¤š गया।
काफी मोल à¤à¤¾à¤µ के बाद टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड पर इन टैकà¥à¤¸à¥€ वालो के लीडर ने 4000 /- में दो बड़ी टैकà¥à¤¸à¥€ कार के लिठहाठकी। शायद इन लोगो की अपनी टैकà¥à¤¸à¥€ चलती हैं इसलिठइनमे से कोई à¤à¤• ही तय करता है। काफी शिषà¥à¤Ÿ और अचà¥à¤›à¥‡ ढंग से यह लोग बात करते हैं। उसने तà¥à¤°à¤‚त ही टैकà¥à¤¸à¥€ सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड अपने मोबाइल से फोन करके दो गाड़ी à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ के लिठबोला और मेरे से कहा आप लोग अपना सामान होटल से नीचे ले आये। कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बड़ी टैकà¥à¤¸à¥€ वहां पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय रà¥à¤• नहीं रह सकती।
अब तक 7.30 हो गठथे हमारे साथी लोग अपना सामान तो नीचे ले आये पर कà¥à¤› लोगो को सà¥à¤¬à¤¹ – सà¥à¤¬à¤¹ ही à¤à¥‚ख लग आती है इसलिठनाशà¥à¤¤à¤¾ करने à¤à¤• दूकान में घà¥à¤¸ गà¤à¥¤
अब तक टैकà¥à¤¸à¥€ आ चà¥à¤•ी थी सबने अपना – अपना सामान रखवाया तà¤à¥€ वही लीडर आकर मà¥à¤à¤¸à¥‡ टैकà¥à¤¸à¥€ का à¤à¤¾à¤¡à¤¾ मांगने लगा। मैंने उसे 2000 /- रूपये दिठऔर कहा बाकी नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ पहà¥à¤à¤š कर दूंगा। वह मà¥à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¥‡ 4000 /- रूपये मांग रहा था। मैंने कहा कि अà¤à¥€ तो हम गंगटोक में ही है और तà¥à¤® पूरे पैसे मांग रहे हो यह तो गलत बात है।
तब वह बड़े गरà¥à¤µ से बोला, साहब यहाठगंगटोक में आपको कोई à¤à¤¿à¤–ारी नहीं मिलेगा और कà¤à¥€ कोई चीट नहीं करेगा। चीट करने वाली बात तो मै नहीं जानता कि कितनी सच थी पर यह बात उसकी सच मिली कि यहाठपर इतने मंदिर हो आये कई वà¥à¤¯à¥‚ पॉइंट घूम लिठ, मारà¥à¤•िट घूम लिठपर कहीं à¤à¥€ कोई à¤à¤¿à¤–ारी नहीं दिखा। मैंने सलाम किया उसकी इस बात को और 2000 /- रूपये देने लगा पर उसने 1000 /- रूपये लेकर बोला 1000/- रूपये आप वहां पहà¥à¤à¤š कर दे देना।
उसकी गरà¥à¤µ से कही यह बात रासà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤° कानो में गूंजती रही। रासà¥à¤¤à¥‡ में मैंने टैकà¥à¤¸à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से पूछा यह तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ लीडर का इसमें कितना कमीशन है। डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° बोला नहीं साहब यहाठपर कमीशन नहीं चलता। हम लोग आपस में à¤à¤• दूसरे की मदद कर देते हैं। ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† कि à¤à¤• आदमी मà¥à¤à¤¸à¥‡ इतना मोल-à¤à¤¾à¤µ कर रहा है अपने मोबाईल से फोन करके टैकà¥à¤¸à¥€ बà¥à¤²à¤µà¤¾ रहा है , वहां खड़े पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले को समà¤à¤¾ रहा है और उसका कोई कमीशन नहीं ? मैंने फिर पूछा तो कà¥à¤› à¤à¤¨à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ फ़ीस वगैरह देते होगे लेकिन उसका उतà¥à¤¤à¤° फिर वही , नहीं यहाठपर कोई à¤à¤¨à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ नहीं देनी पड़ती। मेरा मन नहीं माना , मैंने फिर पूछा कि कà¥à¤› दादा टाइप के या पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के चमचे तो वसूलते होंगे , वह बोला नहीं यहाठपर à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं है।
सà¥à¤¨à¤•र ताजà¥à¤œà¥à¤¬ हà¥à¤† यहाठदिलà¥à¤²à¥€, NCR में वैगैर à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ दिठमजाल है कोई ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾, टैकà¥à¤¸à¥€, टेमà¥à¤ªà¥‹ चला कर दिखाà¤à¥¤ लोग गीत गाते हैं दिलà¥à¤²à¥€ है शान à¤à¤¾à¤°à¤¤ की
वापस लोटते समय विचार आ रहा था कि अब अगर आना हà¥à¤† तो कम से कम तीन- चार दिन के लिठआयेंगे। à¤à¤• तरह से हम अधूरी यातà¥à¤°à¤¾ से वापस लौट रहे थे।
रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• जगह चाय – पानी के लिठरà¥à¤•े और हम लोग लगà¤à¤— 1 बजे नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गये। पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर जाने पर पता लगा टà¥à¤°à¥‡à¤¨ आधे घंटे लेट है। दिलà¥à¤²à¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ – पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हमारी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ करीब 4 .30 घंटे लेट हो गई थी। जबकि इस टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के रासà¥à¤¤à¥‡ में केवल तीन सà¥à¤Ÿà¤¾à¤ªà¥‡à¤œ कटिहार , इलाहाबाद और कानपूर हैं। जब हम लोग दिलà¥à¤²à¥€ के लिठनई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर थे तà¤à¥€ पता लगा दिलà¥à¤²à¥€ से आने वाली नारà¥à¤¥ ईसà¥à¤Ÿ à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ 6 घंटे लेट है। सोंचने लगा आजकल सरà¥à¤¦à¥€ का मौसम नहीं है , कोहरा नहीं पड़ रहा है तब तो टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥‹à¤‚ का यह हाल है जब कोहरा पड़ने लगेगा तब कà¥à¤¯à¤¾ होगा। सरकार अचà¥à¤›à¥€ टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ को देने के नाम पर रेल किराया तो बढा देती है पर à¤à¤• बार किराया बढाया फिर à¤à¥‚ल जाती है कि उसकी कोई जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ या जबाबदेही है।
गंगटोक जाने के लिठकà¥à¤› जानकारियां
रेल से गंगटोक जाने के लिठनिकटतम रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ है कà¥à¤› टà¥à¤°à¥‡à¤¨ सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ à¤à¥€ रूकती हैं। सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के बाहर से ही टैकà¥à¤¸à¥€ मिल जाती जोकि इस समय रूपये 250/- पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चारà¥à¤œ करते हैं। बड़ी टैकà¥à¤¸à¥€ जिसमे 8 से 10 लोग बैठते हैं का किराया 2100 /- से 2200 /- रूपये लगà¤à¤— है। सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ से बस à¤à¥€ गंगटोक जाने के लिठमिलती हैं पर उसके लिठपहले नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ से सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ जाना होगा। वहां जाने के लिठथà¥à¤°à¥€ वà¥à¤¹à¥€à¤²à¤° मिलते हैं। बसे सà¥à¤¬à¤¹ 11 बजे तक ही सिलीगà¥à¤¡à¤¼à¥€ से गंगटोक के लिठचलती हैं। हवाई जहाज से जाने के लिठबागडोगरा निकटतम हवाई अडà¥à¤¡à¤¾ है। वहां से à¤à¥€ गंगटोक लगà¤à¤— 125 किलोमीटर है।
नई जलपाई गà¥à¤¡à¥€ से गंगटोक तक की दà¥à¤°à¥€ लगà¤à¤— 125 किलोमीटर है। टैकà¥à¤¸à¥€ से 4 से 5 घंटे लगते हैं।
à¤à¤• विशेष बात यह कि यहाठपर आप मारà¥à¤•िट में या सड़क पर सिगरेट नहीं पी सकते। जगह – जगह पर वारà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग के साइन बोरà¥à¤¡ लगे हà¥à¤ हैं।
आदरणीय रस्तोगी जी
बहुत सुंदर और रूचि पूर्ण वर्णन चित्र बहुत सुंदर है लेकिन पोस्ट बहुत छोटी लगी अपनी कल्पना का समावेश करते तो और सुंदर हो सकती थी
खेर कोई बात नहीं एक ऐसी जगह घूमाने के लिए धन्यवाद जहा जाना नॉर्मल लोगो के लिए मुश्किल होता है
भूपेंद्र सिंह रघुवंशी
Dear Bhupendra Singh
thanks a lot for sharing your view however
बहुत अच्छा लगा कि आपको यह नई जगह पसंद आयी। कुछ एक कमिंयां रह ही जाती हैं पर कोशिश यही रहती है कि अगली पोस्ट और ज्यादा जानकारी से भरपूर हो। बाकी नंदन से मेरी शिकायत है जिसे आप भी पढ़ सकते है कि इन्होने जरुरत से ज्यादा ही एडिट मेरी पोस्ट कर दी।
Dear Nandan
आपने मेरी गंगटोक यात्रा का दूसरा भाग आज घुमक्कड़ पर प्रकाशित किया। यह देख कर आश्चर्य हुआ कि आपने कुछ एक खास फोटो जोकि पोस्ट का अहम् हिस्सा थे उनको भी प्रकाशित नहीं किया जैसे कि गणेश टोक मंदिर , तशी व्यू पॉइंट की मुख्य बिल्डिंग आदि – आदि। आपने पोस्ट से काफी सारे फोटो डिलीट कर दिए हांलाकि मैंने बहुत कम फोटो ही पोस्ट में डाले थे। साथ ही साथ एक दूसरा वाटरफाल जोकि ज्यादा पापुलर नहीं है ,उसका मैंने नाम Waterfall लिखा था पर आपने उसका नाम Bakthang Waterfall लिख दिया जोकि गलत है।
मै मानता हूँ किसी भी पोस्ट को प्रकाशित करना या न करना अथवा उसमे काट – छांट करने का अधिकार संपादक का होता है पर आपने तो पोस्ट का अंतिम भाग प्रकाशित ही नहीं किया।
आप बताये अगर पाठको को मै यह बताने कि कोशिश कर रहा हूँ कि सुबह सात बजे गंगटोक शहर के अंदर से भी बस या जीप मिल जाती है अथवा उसका कितना किराया देना पड़ेगा तो इसमें क्या गलत था। मै बताने कि कोशिश कर रहा था कि यहाँ पर भीख मांगता कोई भिखारी नजर नहीं आएगा या यहाँ पर आप सिगरेट या बीड़ी नहीं पी सकते। क्या यह सारी जानकारी पाठको के मतलब कि नहीं थी जो आपने हटा दी।
एक यात्रा में यात्री बहुत सारी बातो को अनुभव करता है और उसको शेयर करता है जिससे अन्य को वहाँ के बारे में जानकारी हासिल हो पर आपकी कलम ने तो वह सारी बातो को उड़ा दिया। किसी भी तरह से यह न्याय संगत नहीं नजर आता है।
जहाँ तक संपादन कि बात है अभी कुछ दिन पहले मै घुमक्कड़ पर एक पोस्ट पढ़ रहा था उस पोस्ट में इतने ज्यादा बल्गर शब्दो कि भरमार थी कि अंत में हमारे एक पाठक ने आपति दर्ज ही करा दी पर तब आपने उन बकवास शब्दो को तो हटाया नहीं।
कृपया हमारी आपति को अन्यथा न लेते हुए विचार करें।
http://rastogi-yatra.blogspot.in/
Rastogi ji this is a beautiful and interesting travelogue about a lesser known place. You have added some places which were missed by many travelers.
dear
सबसे पहले तो आपको दीपावली कि शुभकामनाये।
शुक्रिया एक नई जगह आप लोगो को पसंद आयी।
आदरणीय रस्तोगीजी सबसे पहले तो आपको और आपके परिवार को दीपावली कि हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत ही शानदार आलेख के लिए धन्यवाद फोटो लगभग सभी कमाल के आये है और भविष्य में इस यात्रा पर जाने वाले पाठकों को आपके द्वारा दी गई जानकारी बहुत लाभदायक सिद्ध होगी। इस लेख को पढ़ कर तो हमारे मन में भी सिक्किम यात्रा का भाव जगा है।
dear laddha
आपको भी सपरिवार दीपावली कि बहुत – बहुत शुभकामनाये।
लेख और फोटो पसंद आया, जानकार बहुत ख़ुशी हुई। सिक्किम जब कभी भी जाना हो कम से कम चार- पांच दिन का प्रोग्राम बना कर ही जाय।
रस्तोगी जी नमस्कार,
आपका यात्रा वृतांत पढ़कर मुझे अपनी सिक्किम यात्रा की याद आ गयी. फोटो तो लाजबाब है.
हम ३ मित्र २० अगस्त को सिक्किम की घुमक्कड़ी पर निकले थे और हमने गंगटोक के साथ – साथ नाथुला बोर्डर, वैली ऑफ़ फ्लावर युम्थोंग, गुरुदोंग्मोर झील जो की १७३०० फीट की ऊंचाई पर है, और भी अनेक स्थानों पर घुमक्कड़ी की.
सर जी एक बात समझ में नहीं आती ये दिल्ली वाले लोग होटल के रूम के पीछे क्यों पड़े रहते है. ८०० रुपये के कमरे को आप अच्छा कहते है हम तीनों लोग गंगटोक में ३०० के कमरे में रुके थे कमरे में वो सारी व्यवस्था थी जो की २००० रुपये वाले कमरे में होती है.
और कमरा भी बेहतरीन था. सर जी अगर आप गंगटोक जैसे शहरों में थोडा सा ध्यान देंगे तो टैक्सी का किराया बचाया जा सकता है. १ कीलोमीटर का टैक्सी वाला कम से कम १४ लोगों का ३०० लेगा जबकि १० मिनट में उन ३०० रुपयों को बचाया जा सकता है पैदल चलकर, होटल वाले, रेस्टुरेंट वाले, टैक्सी वाले तो लुटने के लिए बैठे ही है. लेकिन आप अगर पर्यटक का दिमाग लगायेंगे तो लुट जायेंगे. लेकिन घुमक्कड़ का दिमाग लगायेंगे तो कोई भी आपको लुट नहीं सकता. आपने ४१०० रुपये दिया टैक्सी को बस में आप जाते तो कुल १५०० में चले जाते.
चंद्रेश जी
जानकार ख़ुशी हुई कि आप इसी वर्ष वहाँ घूमने गए थे। हम लोगो के पास समय कम था इसलिए ही इन स्थानो पर नहीं जा सके।
जहाँ तक खर्चे का प्रश्न है तो यह सारी बाते मैंने पाठको कि जानकारी के लिए लिखी जिससे कि अगर वह जब जाए तो एक अनुमान रहता है खर्चे का।
bilkkul sahi,jab bhi aap nikle to hotel rent wahan ke resturent aadi ka kharch jarur bataye taaki hum jaise sadharan ghumakkar ko wahan aasani ho,ye jaruri nahi ki dilliwale hee hotel ke peechhe pare sabko jankaari honi chahiye.
एक और बात जब आप एक बड़े ग्रुप के साथ जा रहे होते हैं तब आपको जाने से पहले ही ट्रेन – बस का रिजर्वेशन , होटल कि बुकिंग आदि करनी पड़ती है। आज से कुछ साल पहले ऐसा नहीं था आसानी से होटल मिल जाते थे . ट्रेन में रिजर्वेशन मिल जाता था ; परन्तु अब समय बदल चुका है। एक दो आदमी तो कहीं पर भी ठहर सकते है पर जब आपको 7 – 8 कमरे एक ही होटल में चाहिए तब पहले से ही बुक करवा लेने में समझदारी होती है।
nice and interesting post.the photo of that waterfall is beautiful.
Dear Ashok
thanks for sharing your views
Rastogi Ji,
Very nice post with beautiful photographs. Specially the photographs which are taken from height are looking awesome. You have explored a different location (Eastern India). I have never got a chance to visit this part of India, but through your post it is looking awesome and pushing me to visit this part of india as well. Thanks a lot for sharing your travel experience.
dear pradeep
बहुत अच्छा लगा जानकार कि आपको यह जगह और फ़ोटो पसंद आये। धन्यवाद
Once again nice Post with good detailed description. Thanks for sharing..
dear naresh
thanks for sharing your view.
kafi achchha laga aapka gangtok ka ye 2nd part,ek baat main batana chahunga halanki aapko bhi ye malum hoga par shayad aap mention karna bhul gaye,,hanuman tonk kafi achchha laga aapko kyunki is mandir ka managment militry walo ka hai. saath hee yahan sai baba ka bhi ek taraf photo laga hai. tashi view point par shayad ticket lagta hai.gangtok sabse sundar november mahine me dikhta hai,kanchanjaga ek dum paas me dikhega.
Dear Rajesh
जानकार ख़ुशी हुई आप भी इन सभी स्थानो पर घूम चुके हैं। हाँ यह बात सही है कि हनुमान टोक पर ज्यादातर निर्माण वहाँ पर मिल्ट्री ने करवाया है और शायद इसीलिए इतना व्यवस्थित है। ताशी व्यू पॉइंट पर तो कोई टिकेट नहीं था हाँ हो सकता है में बिल्डिंग के टॉप पर जाने के लिए टिकेट हो। लेकिन इस समय बादलो के कारण वहाँ से कंचनजंगा का व्यू दिखता नहीं इसलिए वहाँ पर कोई जा नहीं रहा था।
Thank you Rastogi jee for a whirl-wind tour of Gangtok. It seems that there are some new attraction in the city like Ropeway, Flower show etc. When I visited Gangtok (in 2004) I do not remember these places. I understand that you had less time else one should try to visit Rumtek.
Some new edits have been done. I have also emailed with your more details.
Dear Nandan
सही कह रहे है समय के साथ बदलाव होते रहते हैं नई – नई चीजे जुड़ती रहती हैं।
जैसा कि मैंने लिखा है हम लोगो का प्रोग्राम तो दार्जिलिंग जाने का था और वहाँ के लिए पर्याप्त समय था पर गंगटोक तो मै समझता हूँ कम से कम चार – पांच दिन का प्रोग्राम बनाना चाहिए।
Hi Kamlanshji,
Sikkim is indeed beautiful. Now I remember, Lonely Planet has declared Sikkim as the top destination in India. Getting the top spot before Kerala is commendable and probably the reason things are organised for tourists.
Thanks for sharing!