आज कल हम घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ो के वाटà¥à¤¸à¤…प गà¥à¤°à¥à¤ª में  सà¥à¤¶à¥€à¤² जी के शà¥à¤°à¥‚ करे घà¥à¤®à¤•à¥à¤•à¥à¤¡à¥€ के छà¥à¤ªà¤¾ खजाने की चरà¥à¤šà¤¾ बड़े जोर पर चल रही है। इसी दौरान à¤à¤• दिन चरà¥à¤šà¤¾ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤µà¤¾à¤°à¥€ मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ सौंपी गयी और उसी में मà¥à¤à¥‡ इस जगह की याद आई। सो मैंने à¤à¥€ अपनी हारà¥à¤¡ डिसà¥à¤• टटोली और लगा देखने पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ फोटो को। बस फिर कà¥à¤¯à¤¾ था समय मानो उलà¥à¤Ÿà¤¾ दौड़ने लगा और हर फोटो के साथ बिता पल और यादें à¤à¤• दम ताज़ा होती चली गयी। लगा जैसे आज कल की बात हो !
चलिठखैर, अब चलते है अपने छà¥à¤ªà¥‡ खजाने को खोजने।
विशà¥à¤µ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ और पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिज़रà¥à¤µ का नाम तो यहाठसब ने सà¥à¤¨à¤¾ ही होगा और और बहà¥à¤¤à¥‹ ने तो देखा ही होगा।  कà¥à¤¯à¥‚ठ???
लेकिन उनà¥à¤¹à¥€ विसà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ सà¥à¤¥à¤² के बीच में दोनों और से लगà¤à¤— ४५-५० किलोमीटर दूर à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही अधà¥à¤à¥à¤¤, विशाल, और सौ साल से à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤• डैम है। शायद यहाठहमारे मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶Â और बà¥à¤‚देलखंड वाले मितà¥à¤° जानते होंगे।
अपने à¤à¤• मितà¥à¤° के साथ खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ घूमने के पà¥à¤°à¥‹à¤—ाम बनाने के दौरान मà¥à¤à¥‡ उस डैम के बारे में पता चला। मà¥à¤à¥‡ अब खà¥à¤¦ à¤à¥€ याद नहीं के कहाठसे मà¥à¤à¥‡ उस डैम के बारे में पता चला था। लेकिन देखने की इचà¥à¤›à¤¾ बहà¥à¤¤ थी।
सो खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ से सतना लौटते हà¥à¤ मैंने अपने बोलेरो के डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से कहाठ…. à¤à¤¾à¤ˆ , यहाठआस पास à¤à¤• बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾Â डैम है। वहां à¤à¥€ जाना है।  लेकिन वो à¤à¤¾à¤ˆ बोला ,  जी मà¥à¤à¥‡ तो à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› मालà¥à¤® नहीं , हाठपनà¥à¤¨à¤¾ में मेरा à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° मितà¥à¤° है उसे ले लेते है वो शायद कà¥à¤›  बता सके।
चलिठउन महाशय को à¤à¥€ ले लिया।  लेकिन डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° à¤à¤¾à¤ˆÂ और उसका वो साथी वहां के लोकल होने के बावजूद à¤à¥€ उसके बारेमे कà¥à¤› न जानते थे। .. लेकिन à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में ही है जो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•à¥à¤¡à¥€ कीड़ा मानता नहीं, और उस कीड़े को पता होता है कैसे पहà¥à¤šà¤¨à¤¾ होताहै। सो वोआप सब जानते ही है और हम à¤à¥€ उसी कीड़े के काटने की कारण पूछते पाछते बढ़ चले।
खैर जी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— à¥à¥« ( रीवा से गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° ) पर खजà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥‹ से पनà¥à¤¨à¤¾ की और बीच में कहीं बमीठा से आगे सीधे हाथ पर आप जब ये बोरà¥à¤¡ देखोगे तो à¤à¤• बार तो चकित हो ही जाओगे यहाठआज à¤à¥€ दूरी मीलों में लिखी मिलेगी à¤à¤• बार जरा निचे फोटो में ये बोरà¥à¤¡ देखिये और बताइये आपने ये दोनों नाम सà¥à¤¨à¥‡ है या ये जगह देखी  है कà¤à¥€ ?

Gangau Dam – आज  à¤à¥€ दूरी मील में लिखी है
जी हाà¤Â सही पढ़ा आपने … रनगवां बाà¤à¤§ ६ मील , गंगऊ बाà¤à¤§ १२ मील
पूछते पूछते हाइवे से हटकर à¤à¤• छोटे से गाà¤à¤µ में पहà¥à¤‚चे। वाहन लोगो ने à¤à¤• कचà¥à¤šà¥€ बानी सड़क की और इशारा कर हमें रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा दिया।  कचà¥à¤šà¥€ सड़क पर जब बोलेरो दौड़ रही थी तो उसके बाठहाथ à¤à¤• शानदार नजारा था।  पहले पहल तो वो लगा के कोई समà¥à¤¦à¥à¤° का किनारा हो।  लेकिन होश में आते हà¥à¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया के, ना  à¤à¤¾à¤ˆ न …… ये तो कोई à¤à¥€à¤² है।
पास पहà¥à¤‚चे तो देखकर मज़ा आ गया था! पर à¤à¤• छोटी सी निराशा à¤à¥€à¥¤ . कयूंकूि ये à¤à¥€ वो बाà¤à¤§ न था जिसे हम ढूंढ रहे थे।  ये था रनगवां बाà¤à¤§Â …..
लेकिन था ये à¤à¥€ शानदार नज़ारे लिà¤

Lake on the left
केन नदी पर बने रनगवां बाà¤à¤§Â से यूपी और à¤à¤®à¤ªà¥€Â के किसानों को पानी सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆÂ होती है। रंगवा बांध का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ वरà¥à¤· 1957 में कराया गया था। इस बांध में मातà¥à¤° तीन फाटक हैं और बांध की परिकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ 1637.3 लाख घनमीटर हैं।  रनगवां बाà¤à¤§ पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर आपको à¤à¤• अजीब सी शांति का आà¤à¤¾à¤¸ होगा। बाà¤à¤§Â से बनी  à¤à¥€à¤² इतनी विशाल है के à¤à¤¸à¤¾ लगेगा के किसी समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारे खड़े हो…….. दूर तक बस पानी ही पानी … और उसके साथ साथ à¤à¤• कचà¥à¤šà¥€ सड़क जिस पर होकर हमारी गाडी आई थी ..

डैम तक आती कचà¥à¤šà¥€ सड़क, दीवार और उसके पीछे रनगवांà¤à¥€à¤²
कà¥à¤¯à¥‚ंकि पता चला के वहां  से लगà¤à¤— ६ मील आगे पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिज़रà¥à¤µ की धोधन रेंज में गंगऊ डैम पंहà¥à¤šà¤¾ जाà¤à¤—ा। रनगवां बाà¤à¤§ की शांति और खूबसूरती के नजरो को देख और कमरे में कैद कर हम वापिस गाà¤à¤µ में पहà¥à¤‚च गंगऊ  डैम के पूछ ताछ करने लगे।  ताजà¥à¤¬ इस बात का था इतना पास होते हà¥à¤ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ कम लोग होंगे जो जो उसके  जानते थे। पूछ ताछ कर अब और आगे पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिजरà¥à¤µ को और बढ़ रहे थे।

पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिजरà¥à¤µ के होकर गंगऊ  डैम की और जाता रासà¥à¤¤à¤¾
थोड़ा आगे पहà¥à¤šà¤¨à¥‡ पर फारेसà¥à¤Ÿ वालो का गेट आया वहां पर गाडी के लिठकà¥à¤› à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ शà¥à¤²à¥à¤• था याद नहीं कितना दिया था सà¥à¤¨à¤¾ है आजकल ४५०/- रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ लेते हैंÂ
आगे बढ़ने पर बहà¥à¤¤ थोड़ी से चढ़ाई  और à¤à¤• दो घà¥à¤®à¤¾à¤µ के बाद हमारे सामने à¤à¤• विशाल लैंडसà¥à¤•ेप था  जिसमे बाà¤à¤‚ हाथ पर सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ ,अकेला और बूढ़ा हो चला | गंगऊ  डैम हमें  बाहे फैलाये  बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¥‡ चला जा रहा था।  मानो बहà¥à¤¤ सालो के बाद किसी बड़े बà¥à¤œà¤°à¥à¤— को उसके छोटे छोटे बचà¥à¤šà¥‡ मिल गठहों ! हम à¤à¥€ बोलेरो से उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ बिना लॉक लगाये उस बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— और विशाल दूर तक फैले डैम की और बढ़ चले।  वहां कोन था जो गाडी छेड़ता !Â

डैम के बनाने वालो को मेरा सलाम
सामने à¤à¤• कचà¥à¤šà¥‡ लाल सी मिटटी के रसà¥à¤¤à¥‡ पर आगे à¤à¤• छोटा का à¤à¥‹à¤ªà¤¡à¥€ टाइप गेट सा था , जिस से डैम शà¥à¤°à¥‚ होता था और  आगे सीधे जाकर बाठहाथ को मà¥à¤¡à¤¼ रहा था और फिर और आगे इसी तरह बहà¥à¤¤ दूर तक और उसके पीछे केन नदी का पानी शांत और मंद मंद बहती हवा से खेलता हà¥à¤†à¥¤
गंगऊ डैम, पनà¥à¤¨à¤¾ टाइगर रिजरà¥à¤µ के घने जंगलों में केन और सिमरी नदियों संगम पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है जो धोदन रेंज पे पड़ता है।  शायद , Gangau बांध १९०९-1915 के बीच बना बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ यà¥à¤— के à¤à¤• इंजीनियरिंग चमतà¥à¤•ार है। गंगऊ बांध में 263 फाटक हैं और इस बांध की परिकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ 998.3 लाख घनमीटर हैं। जब हम वहां पहà¥à¤‚चे तो देखकर हैरान थे। à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसे इस अब छोड़ दिया गया है।  न वहां कोई केयर टेकर था नो कोई सेकà¥à¤¯à¥à¤°à¥à¤Ÿà¥€ कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं , लेकिन हालत अà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤• दम सॉलिड और मजबूत।  देखकर अपने आप ही उसके इंजीनियर और कारीगरों को सलाम करने का मन करेगा

डैम  से पà¥à¤°à¤¥à¤® मà¥à¤²à¤¾à¤•ात को आगे बढ़ते हमारे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° साहब और उनके मितà¥à¤°

सैकड़ो खिड़कियां  देखिये
डैम की उन दोनों सà¥à¤°à¤‚गो से जरा जरा सा पानी बहता हà¥à¤† à¤à¤¸à¤¾ लगा जैसे वो बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— अपनी कमजोर हो चà¥à¤•ी बाहो को फैला हमें अपने पास बà¥à¤²à¤¾ रहा हो और उसी बà¥à¤²à¤¾à¤µà¥‡ के साथ साथ हम à¤à¥€ कदम आगे बढ़ाये जा रहे थे।  चारो और कोतूहल à¤à¤°à¥€ निगाहो से देख रहे थे ! कà¥à¤¯à¤¾ कमाल की इंजीनियरिंग थी आज à¤à¥€ à¤à¤• दम रॉक सॉलिड।Â
डैम के ऊपर की तरफ आगे बढ़ने पर देखा, तो à¤à¤• रेल की पटरी पूरे  डैम पर दौड़ रही थी। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाने पर पता चला के ये पटरी वहां पड़ी à¤à¤• कà¥à¤°à¥‡à¤¨ के लिठथी।  जोकि शायद गेट खोलने आदि के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होती होगी।  लेकिन आज वो बेचारी, लचर और लाचार दिखाई दे रही थी।  Â

ये लो à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ हम खड़े हो गठ…  रेल की पटरी परÂ

ये देखिये उस ज़माने की कà¥à¤°à¥‡à¤¨
à¤à¤² टाइप सी अजीब सी शेप लिठहà¥à¤ विसाल डैम आपने आप में à¤à¤• सà¥à¤°à¤‚ग सा था आर पार जो उसके मेंटेनेंस के लिठहोगी शायद। जिसमे सैकड़ो खिड़किया थी जिनसे रोशनी à¤à¤¸à¥‡ आ रही थी मानो हम कई शीशो में à¤à¤• के गहराते  से माहोल में अपने अकà¥à¤· देख रहे हों।   वहां जगह जगह विदेशो से लायी गयी मशीने और उपकरण आज à¤à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लग रहे थे .कमाल की इंजीनियरिंग थी कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ रहे होगी .. दीवारे और ईंटे आज à¤à¥€ अपनी ताकत और मजबूती बयान कर रही थी ।  वो सब देखते देखते अब हम डैम के अंदर की और जाने के लिठचल पड़े जो वही ऊपर से जाकर नीचे उतरती सीढ़ियों से थाÂ

डैम के अंदर जाने के लिठसीढ़ियांÂ
इन सीढ़ियों से निचे उतà¥à¤¤à¤° कर देखा तो आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ और कोतूहल से à¤à¤° उठे कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤°à¤‚ग थी। उन दोनों डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° लोगो ने à¤à¥€ वो सब देख आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से à¤à¤° हमें धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ दिया के आप लोगो के बदौलत हमने à¤à¥€ आज इस जगह को देखा । मà¥à¤à¥‡ अंदजा लगाने में देर नहीं लगी की इस सà¥à¤°à¤‚ग में होने का असली मज़ा तो मानसून में होता होगा जब पानी डैम के ऊपर से होकर गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ होगा और आप इस सà¥à¤°à¤‚ग मेमउस पानी के बीच , सà¥à¤°à¤‚ग की खिड़कियों से उसे देखà¤à¤¤à¥‡ होंगे। . कैसा लगता होगा? अलग ही à¤à¤¡à¤µà¥‡à¤‚चर होता होगा उसका तो।Â

डैम की खिड़की से à¤à¤¾à¤‚ककर  तो दखोÂ
डैम के सबसे ऊपरी हिसà¥à¤¸à¥‡ पर कà¥à¤› मशीन लगी थी जो खà¥à¤¦ ही बयाठकर रही थी  अपनी उमà¥à¤° और कारीगिरी  का अंदाज । लगà¤à¤— १०० साल पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ पर आज à¤à¥€ चलने के लिठतैयार थीÂ

मेड इन इंगà¥à¤²à¥ˆà¤‚ड -1911
ऊपर के चितà¥à¤° देख कर आपको à¤à¥€ अंदाजा लग गया होगा ।  कà¥à¤¯à¤¾ जमाना रहा होगा कैसे ये सब किया होगा ! काबिले तारीफ़ …. वहीं ऊपर से डैम के पिछले à¤à¤¾à¤— की दो चार फोटॠखीच हम à¤à¥€ वापसी की और चल पड़े !
बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लैंडसà¥à¤•ेप था बाà¤à¤§ का वातावरण इतना मोहक है पà¥à¤°à¤•ृति पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, काà¤à¤Ÿà¥‡à¤¬à¤¾à¤œà¤¼à¥‹à¤‚ और रोमांकारी लोगों के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ों के लिठयह बाà¤à¤§ बहà¥à¤¤ आकरà¥à¤·à¤• है। सरà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दौरान पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अनेक पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ यहाठआती हैं यह जगह पà¥à¤°à¤•ृति के पालने में सैर सपाटे के लिठà¤à¤• आदरà¥à¤¶ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बन सकता है । हाठजाते समय अपने साथ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के लिठपानी , खादà¥à¤¯ सामगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ले जाठकà¥à¤¯à¥‚ंकि वहां à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤› à¤à¥€ उपलबà¥à¤§à¤¨à¤¹à¥€à¤‚ है।फारेसà¥à¤Ÿ à¤à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होने के कारण चारपहिया वाहन के लिठपà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• à¤à¥€ है दोनों बांधो पर और आस पास फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ करने का अलग ही आनंद होगा सो अपनी खूबसूरत यादें जरà¥à¤° संजोये आज à¤à¥€ हमारे देश में देखें तो न जाने à¤à¤¸à¥‡ कितने ही छà¥à¤ªà¥‡ खजाने है जो न सिरà¥à¤« पà¥à¤°à¤¯à¤Ÿà¤¨ बलà¥à¤•ि आम आदमी के जीवन के लिठà¤à¥€ किसी खजाने से कम नहीं ,, बस जरà¥à¤°à¤¤ है तो सरकार की दूरदरà¥à¤¶à¤¿à¤¤à¤¾ और सारà¥à¤¥à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की .. वहां से चलते हà¥à¤ उस डैम को अकेला छोड़ते हà¥à¤ मन बड़ा à¤à¤¾à¤°à¥€ सा था और सोच रहा था पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹ ने इतने सालो पहले ही इनà¥à¤¹à¥‡ कैसे बना दिया की आज हम लोग इनà¥à¤¹à¥‡ मेनà¥à¤Ÿà¥‡à¤¨ à¤à¥€ नहीं कर पा रहे है।Â
 उ० पà¥à¤°à¥¦ सरकार के सहयोग से म० पà¥à¤°à¥¦ में बने रनगवां बाà¤à¤§ ,गगऊ बांध à¤à¤µà¤‚ बरियारपà¥à¤° बांध से बà¥à¤‚देलखंड को à¤à¥€ पानी उपलबà¥à¤§ कराया जाता है | मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की वरà¥à¤·à¤¾ से ही यह तीनों बांध à¤à¤°à¤¤à¥‡ हैं। जल बंटवारे में उ० पà¥à¤°à¥¦ को 85 % तथा म० पà¥à¤°à¥¦ को 15 % जल आपूरà¥à¤¤à¤¿ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ थी | इन बांधों की मरमà¥à¤®à¤¤ का जिमà¥à¤®à¤¾ उ० पà¥à¤°à¥¦ सरकार का है | मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गंगऊ, रनगवां और बरियारपà¥à¤° बांध उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की कई हजार à¤à¤•ड़ खेती हर साल सींचते हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ बांधों से चली नहर सैकड़ों तालाब à¤à¤°à¤¤à¥€ है। इससे मवेशियों को पीने का पानी मयसà¥à¤¸à¤° होता है, लेकिन इस वरà¥à¤· मानसून की बेरà¥à¤–ी ने बांधों को बà¥à¤°à¥€ तरह बदहाल बना दिया है। वह पानी से कंगाल हो गठहैं। बांधों के साथ सिंचाई विà¤à¤¾à¤— à¤à¥€ ‘सूखा’ पड़ा है। पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक आपदाओं का दंश à¤à¥‡à¤²à¤¤à¥‡ चले छतरपà¥à¤° जिले में आधा दरà¥à¤œà¤¨ से अधिक बांध होने के बावजूद सिंचाई साधनों की कमी बनी हà¥à¤ˆ है। दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ यह है कि यह बांध छतरपà¥à¤° जिले में होने के बावजूद इनका पानी उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के खेतों के लिठअमृत बना हà¥à¤† है। हर वरà¥à¤· इन बांधों के पानी का बंटवारा किया जाता है।Â
और अंत में …. जल पà¥à¤°à¤•ृति की बहà¥à¤®à¥‚लà¥â€à¤¯ देन है।  जल के बिना जीवन तथा सà¤à¥â€à¤¯à¤¤à¤¾ के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥â€à¤µ की कलà¥â€à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की जा सकती। यही कारण है कि हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ ने अपना पहला बसेरा वहीं बनाया जहॉं जल आसानी से उपलबà¥â€à¤§ था। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल से ही सà¤à¥â€à¤¯à¤¤à¤¾ का विकास जल से जà¥à¤¡à¤¾ है। मानव बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥â€à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ किसी न किसी जल सà¥à¤°à¥‹à¤¤ के निकट ही हà¥à¤ˆà¥¤à¤¸à¥‹ आज की इस चरà¥à¤šà¤¾ आखिर में मैं आप सब से यही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करूà¤à¤—ा के अपने लिठऔर आने वाली पीढ़ियों आप से जितना हो सके जल बचाये ..कà¥à¤¯à¥‚ंकि जल ही जीवन है आशा करूà¤à¤—ा आपको मेरी आज की येजगह पसंद आई होगी।  कई साल होगये वहां गया था सो कà¥à¤› तो बदल à¤à¥€ गया होगा बाकी जानकारी आप अपने अपने माधà¥à¤¯à¤® और सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेंगे।
बताइयेगा जरà¥à¤° आपको ये छà¥à¤ªà¤¾ खजाना कैसा लगा ! धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦
पोस्ट अत्यन्त खूबसूरत बन पड़ी है, पढ़ कर मजा आ गया, चित्र भी बखूबी आये है।
प्राचीन कल में जिस प्रकार की निर्माण सामग्री का प्रयोग किया जाता था वो यक़ीनन काबिले-तारीफ है, अब अपने ताज महल या फिर लाल किला की मजबूत शिलाओं को ही देख लो। न कोई उन्नत मशीनरी और न ही कोई कमर तोड़ इंजीनियरिंग की पढाई, फिर भी कमाल का काम करते थे हमारे कारीगर।
वैसे हरिद्वार में कहाँ पर और किस प्रकार का व्यवसाय करते है आप, अन्य श्रद्धालुयों की तरह हमारा भी हर की पौढ़ी में तो आना-जाना लगा ही रहता है।
धन्यवाद अरुण सिंह जी , आपके इन प्रशंशा बहरे शब्दों के उत्साह सा मिल गया .. मेरा हरीद्वार में इंडस्ट्रियल स्पेयर पार्ट्स और सर्विस का काम है .. आशा है इस बार आप हरिद्वार आये तो मुलाकात संभव हो …आपका स्वागत है
ये है असली घुमक्कड़ी सच आपकी इस पोस्ट को पढ़ कर मजा आ गया पर छाया चित्र अपर्याप्त लगे इस खूबसूरत डेम की झील के चित्र कुछ और होते तो पाठक बिना वहां जाये ही भ्रमण कर लेते
धन्यवाद सर ..
सुखद अहसाह है के आपको ये पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा .. फोटो और यात्रा वृतान्त मैंने और भी दिया था शायद किन्ही कारणों से रह गयी होगी बाकी संपादक जी को जो उचित लगी वो आपके सामने है … ज्यादा फोटो और लेख के लिए आप चाहे तो मेरे ब्लॉग घुमक्कड़ हु यारों पर भी जा सकते हैं
sorry I wrote my name in Hindi so it couldn’t be display
Thats indeed a treasure, Pankaj. I salute your persistence and it paid nicely in the end.
The pictures does give the reader a good view of the dam but I would imagine that it would be even grander, if one actually gets to visit it. Hopefully your log at Ghumakkar would spread the word.
You finished the log with a great message. Keep traveling.
धन्यवाद साहब . आपका ये कमेंट तो बिलकुल आपके नाम की तरह नंदन है … जी आपने बिल्कुक सही कहा यह वाकई में तस्वीरो से बेहतर और शानदार है .. मुझे भी पूरी आशा है घुमंतू लोग और घुमक्कड़ के पाठक इसे जरूर पसंद करंगे और देखने पहुचंगे भी …. वैसे भी जिसे पूछो क्या चल रहा है बोलता है “फोग” … और यहाँ भी घुमक्कड़ पर बहुत सारे “FOG” आते रहते है और शायद ये भी उनमे से एक है
Really beautiful n well defined visit with superb clicks……Thanks a lot to help to visit us such a lovely places
शुक्रिया डॉ साहब ,
आपके ऐसे ही शब्द हम जैसो के लिए प्रेरणा और ऊर्जा का काम करते है …
Pankaj Sir
Salute to you. One request is pl mark these places on google map. This will help other gumakkars.
Thanks again sir