आज सà¥à¤¬à¤¹ उठने के बाद से ही लग रहा था की आनेवाले नठवरà¥à¤· का सà¥à¤µà¤¾à¤—त à¤à¤—वान के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से ही किया जाये कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेरा सोचना है की नववरà¥à¤· में à¤à¤—वानॠके दरà¥à¤¶à¤¨ करने से आनेवाला पà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤· सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¥à¤µà¤• गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ है।
बस मन में बात आते ही मैंने अपना यह पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ मà¥à¤•ेश जी के सामने रखा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ ही पूछा की कहाठजा सकते हैं? मैंने कहा की हम तो बड़े खà¥à¤¶ किसà¥à¤®à¤¤ हैं की हमारे à¤à¥‹à¤²à¥‡ शंकर हमसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर नहीं है ओंकारेशà¥à¤µà¤° à¤à¤µà¤‚ महाकालेशà¥à¤µà¤° दोनों ही जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग हमसे बहà¥à¤¤ करीब हैं दोनों में से कहीं à¤à¥€ चल देंगे तो मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जाà¤à¤—ा।
दरअसल ये दोनों जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग हमारे घर से लगà¤à¤— 100 किलोमीटर के दायरे में हैं अतः जब à¤à¥€ हमारा मन होता है हम दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठचल पड़ते हैं। उजà¥à¤œà¥ˆà¤¨ तो अà¤à¥€ कà¥à¤› दिनों पहले ही गठथे अतः यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया की इस बार ओंकारेशà¥à¤µà¤° चला जाà¤à¥¤
यह पांच जनवरी की सà¥à¤¬à¤¹ थी और अगले दिन यानी शनिवार छह जनवरी का दिन हमने तय किया ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाने के लिये. अकà¥à¤¸à¤° हम कहीं à¤à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ के लिये निकलते हैं तो शनिवार का ही दिन चà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अगले दिन रविवार होता है यानि मà¥à¤•ेश जी और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ सबकी छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€, तो इस तरह से रविवार की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ का सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— हो जाता है और à¤à¤• छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ बच जाती है।
हर साल हमारी कालोनी में नये वरà¥à¤· के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤• कारà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤² का आयोजन किया जाता है जिसमें हम सà¤à¥€ लोग बहà¥à¤¤ इनà¥à¤œà¥Œà¤¯ करते हैं खासकर बचà¥à¤šà¥‡à¥¤ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिये यहां पर खाने पीने और मौज़ मसà¥à¤¤à¥€ के सारे साधन उपलबà¥à¤§ होते हैं अत: बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ में इस कारà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤² का खासा कà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¼ होता है।
इस कारà¥à¤¨à¥€à¤µà¤¾à¤² में खाने पीने के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤²à¥à¤¸ के अलावा à¤à¥à¤²à¥‡, डानà¥à¤¸, आरà¥à¤•ेसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾, रंगबीरंगी सजीधजी खिलौनों की दà¥à¤•ानें, मिकी माउस, लकी डà¥à¤°à¤¾ आदि आकरà¥à¤·à¤£ होते हैं। अब आप लोग सोच रहे होंगे की कविता जी यह सब कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बता रही हैं तो मैं बता देना चाहà¥à¤¤à¥€ हà¥à¤‚ की इस मेले की वजह से हमारे पà¥à¤²à¤¾à¤¨ में समसà¥à¤¯à¤¾ आ रही थी, कारण था की इस वरà¥à¤· यह कारà¥à¤¨à¥€à¤µà¤¾à¤² छह जनवरी को होना था, यानी उसी दिन जिस दिन हमें ओंकारेशà¥à¤µà¤° में होना था।
समसà¥à¤¯à¤¾ यह थी की बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को इस मेले से à¤à¤• दिन पहले कहीं लेकर जाना हमारे लिये टेढी खीर थी, खैर हमने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को यह लालच देकर की मेले के पैसे आप लोगों के गà¥à¤²à¥à¤²à¤• (पीगी बैंक) में डाल देंगे, आखीरकार मना ही लिया.
चलिये अब थोड़ी सी जानकारी हो जाये ओंकारेशà¥à¤µà¤° के बारे में:
à¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ मंदिर है जिसमें à¤à¤—वान शिव के बारह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚गों में से à¤à¤• शà¥à¤°à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह मधà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के खंडवा जिले में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी के बीच मनà¥à¤§à¤¾à¤¤à¤¾ नामक दà¥à¤µà¥€à¤ª पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह यहां के मोरटकà¥à¤•ा गांव से लगà¤à¤— 20 कि.मी.दूर बसा है। यह दà¥à¤µà¥€à¤ª हिनà¥à¤¦à¥‚ पवितà¥à¤° चिनà¥à¤¹ ॠके आकार में बना है। यहां दो मंदिर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं à¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° तथा ममलेशà¥à¤µà¤°
à¥à¤•ारेशà¥à¤µà¤° का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी से सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ ही हà¥à¤† है। यह नदी à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पवितà¥à¤°à¤¤à¤® नदियों में से à¤à¤• है।ओंकारेशà¥à¤µà¤° में ओंकारेशà¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग के साथ ही अमलेशà¥à¤µà¤° (ममलेशà¥à¤µà¤°) जà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग à¤à¥€ है। इन दोनों शिवलिंगों की गणना à¤à¤• ही जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग में की गई है। सà¥à¤•नà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤£ के रेवा खणà¥à¤¡ में शà¥à¤°à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° की महिमा का बखान किया गया है-ओंकारेशà¥à¤µà¤° तीरà¥à¤¥ अलौकिक है। à¤à¤—वान शंकर की कृपा से यह देवसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के समान ही हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस तीरà¥à¤¥ में पहà¥à¤à¤šà¤•र अनà¥à¤¨à¤¦à¤¾à¤¨, तप, पूजा आदि करता है अथवा अपना पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤°à¥à¤— यानि मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है, उसे à¤à¤—वान शिव के लोक में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।’
सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के साथ पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का लà¥à¤¤à¥à¤« लेने की चाह रखने वाले अमूमन बस या फिर खà¥à¤¦ के वाहन से ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाना जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पसंद करते हैं। इंदौर से ओंकारेशà¥à¤µà¤° की दूरी लगà¤à¤— 80 किमी है। खंडवा रोड पर बड़वाह, मोरटकà¥à¤•ा होते हà¥à¤ लगà¤à¤— ढाई घंटे में ओंकारेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚चा जा सकता है।
ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाने के लिठटà¥à¤°à¥‡à¤¨ और बस दोनों ही तरह के साधन उपलबà¥à¤§ हैं। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से जाने वाले लोगों को ओंकारेशà¥à¤µà¤° रोड सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ ही उतरना पड़ता है। यहां से ओंकारेशà¥à¤µà¤° मंदिर की दूरी लगà¤à¤— 13 किमी रह जाती है। मंदिर पहà¥à¤‚चने के लिठयहां से कई तरह के साधन उपलबà¥à¤§ हैं।
इंदौर से ओंकारेशà¥à¤µà¤° जाने के लिठसà¥à¤¬à¤¹ से ही बसें उपलबà¥à¤§ होती हैं। निजी बसों में किराया रà¥. ८0 से ९0 होता है। बेहतर सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठसà¥à¤¬à¤¹ 8.15 बजे मपà¥à¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ की à¤à¤¸à¥€ बस का सफर à¤à¥€ किया जा सकता है। इसकी बà¥à¤•िंग पहले से करवा ली जाठतो जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ बेहतर है।
यहां रात को ठहरने के लिठà¤à¥€ बेहतर वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ हैं जिनमें शà¥à¤°à¥€ गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गेसà¥à¤Ÿ हाउस सबसे किफ़ायती तथा सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• विकलà¥à¤ª है। मपà¥à¤° परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ विà¤à¤¾à¤— के गेसà¥à¤Ÿ हाउस के साथ ही अनà¥à¤¯ होटलों में à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ हैं। ममलेशà¥à¤µà¤° और ओंकारेशà¥à¤µà¤° मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के साथ ही ओंकार परà¥à¤µà¤¤ की परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ का विशेष महतà¥à¤µ है।
इस तरह शनिवार को दोपहर ३ बजे हम लोग अपनी सà¥à¤ªà¤¾à¤°à¥à¤• कार से औंकारेशà¥à¤µà¤° के लिये नीकल पड़े. रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• छोटा सा गांव पड़ता है “बाई गà¥à¤°à¤¾à¤®” जहां पर सड़क के किनारे ही à¤à¤• बहà¥à¤¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° शनि मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है कहा जाता है कि यह मंदिर विशà¥à¤µ का à¤à¤•मातà¥à¤° वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° पर आधारित नवगà¥à¤°à¤¹ तथा शनि मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। आज चà¥à¤‚कि शनिवार था और रासà¥à¤¤à¥‡ में इतना बड़ा तथा अनà¥à¤ ा शनि मंदिर….इससे बड़ी खà¥à¤¶à¤¨à¤¸à¥€à¤¬à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती थी अत: हम लोग वहां कà¥à¤› देर रà¥à¤•कर दरà¥à¤¶à¤¨ करके ही आगे बढे।
शाम करीब ॠबजे हम लोग औंकारेशà¥à¤µà¤° पहà¥à¤‚च गये। औंकारेशà¥à¤µà¤° में ठहरने के लिये हमेशा हमारी पहली पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•ता होती है शà¥à¤°à¥€ गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ यातà¥à¤°à¥€ निवास, तो हमने सीधी राह पकड़ी संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की और कà¥à¤› ही देर में हम संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के सामने खड़े थे।
सà¥à¤µà¤¾à¤—त ककà¥à¤· पर कà¥à¤› जरूरी औपचारीकतायें पà¥à¤°à¥à¤£ करने के बाद हमें हमारे कमरे की चाबी मिल गई। हमारा कमरा यातà¥à¤°à¥€ निवास नंबर ४ में था. अब चà¥à¤‚की बहà¥à¤¤ जोरों की à¤à¥à¤– लगी थी अत:निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया की सबसे पहले à¤à¥‹à¤œà¤¨ किया जाये। यहां यह बता देना सही रहेगा की शà¥à¤°à¥€ गजानन महाराज संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के हर यातà¥à¤°à¥€ निवास में किफ़ायती दर पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ होती है, चà¥à¤‚की हम पहले à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ गजानन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ (शेगांव) में रह चà¥à¤•े थे तथा à¤à¥‹à¤œà¤¨ à¤à¥€ कर चà¥à¤•े थे और वहां हमें à¤à¥‹à¤œà¤¨ बहà¥à¤¤ पसंद आया था अत: हमने आज à¤à¥€ à¤à¥‹à¤œà¤¨ यहीं à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में करने का निशà¥à¤šà¤¯ किया और चल पड़े à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ की ओर।
खाना सचमà¥à¤š बड़ा सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ था, ३० रà¥. में थाली जिसमें दो सबà¥à¤œà¥€, रोटी, दाल, चावल तथा à¤à¤• मिषà¥à¤ ानà¥à¤¨ के रà¥à¤ª में हलà¥à¤µà¤¾……शà¥à¤¦à¥à¤§ सातà¥à¤µà¥€à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨ और हमें कà¥à¤¯à¤¾ चाहिये था? सो à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ करने के बाद हम लोग अपने रà¥à¤® में आकर थोड़ी देर के लिये लेट गये। अब हमें ओंकारेशà¥à¤µà¤° मंदिर में शयन आरती में शामिल होना था जो की रात नौ बजे शà¥à¤°à¥ होती है. इस समय साढे आठबज रहे थे और यही समय था शयन आरती के लिये निकलने का, अत: हम लोग मनà¥à¤¦à¥€à¤° जाने के लिये तैयार होने लगे.
चà¥à¤‚कि वातावरण में बहà¥à¤¤ ठंडक थी अत: बचà¥à¤šà¥‡ तो इस समय बाहर निकलने में आनाकानी कर रहे थे लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमने चलने के लिये मना ही लिया और अनà¥à¤¤à¤¤: हम लोग उनी कपड़े वगैरह पहनकर अपने रà¥à¤® से बाहर निकल गये। बाहर सचमà¥à¤š बहà¥à¤¤ ठंड थी और हमें तो नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ नदी पर बने à¤à¥à¤²à¤¾ पूल से होकर ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¥€à¤° की ओर जाना था जहां और जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ठंड लगने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी।
फोटो नं १ॠमां नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ à¤à¤µà¤‚ ओंकारेशà¥à¤µà¤° मंदिर

ओंकारेशà¥à¤µà¤° à¤à¤µà¤‚ ममलेशà¥à¤µà¤° मंदिरों को जोडने वाला à¤à¥à¤²à¤¾ पूल

ममलेशà¥à¤µà¤° वाले किनारे से दिखाइ देता ओंकारेशà¥à¤µà¤° मंदिर

ममलेशà¥à¤µà¤° मंदिर के सामने पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ शिवलिंग बनाते पंडित जी
गजानन संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के à¤à¤• किनारे पर ममलेशà¥à¤µà¤° मंदिर के नजदीक है तथा ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° नरà¥à¤®à¤¦à¤¾ के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ किनारे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। हम लोग पैदल ही पूल पार करके करीब नौ बजे ओंकारेशà¥à¤µà¤° मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤‚च कर आरती की लाइन में लग गये.
शयन आरती के बारे में मà¥à¤•ेश जी पहले ही अपनी पोसà¥à¤Ÿ में बहà¥à¤¤ कà¥à¤› लिख चà¥à¤•े हैं अत: मैं अब और नहीं दोहराउंगी। शयन आरती अपने आप में à¤à¤• अदà¥à¤à¥‚त अनà¥à¤à¤µ है, मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के गरà¥à¤à¤—à¥à¤°à¤¹ में रात को चौपड़ बिछाई जाती है, à¤à¤—वान का बिसà¥à¤¤à¤° लगाया जाता है और उसके बाद आरती होती है। à¤à¤¸à¤¾ कहा जाता है की सà¥à¤¬à¤¹ चौपड़ की सारी चालें अपने आप असà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो जाती है यानि माना जाता है की रात में à¤à¤—वान शिव यहां आकर माता पारà¥à¤µà¤¤à¥€ के साथ चौपड़ खेलते हैं।

शयन आरती के लिये सजाया गया à¤à¤—वान शिव का बिसà¥à¤¤à¤° à¤à¤µà¤‚ चौपड़ की बिसात
शयन आरती में शंख, डमरू, घंटी की धà¥à¤µà¤¨à¥€ से सारा वातावरण à¤à¤•à¥à¤¤à¥€à¤®à¤¯ हो जाता है। आरती के बीच में ही शिवम को निंद आ गई थी अत: उसे गोद में लेकर ही आरती पà¥à¤°à¥€ की. इस अदà¥à¤à¥‚त आरती का आनंद उठाने के बाद उसी à¤à¥à¤²à¥‡à¤µà¤¾à¤²à¥‡ पूल से वापस लौटकर हम लोग अपने कमरे में आकर सो गये। हम लोग कई बार ओंकारेशà¥à¤µà¤° आ चà¥à¤•े थे लेकिन कà¤à¥€ à¤à¥€ ओंकार परीकà¥à¤°à¤®à¤¾ करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हà¥à¤† था अत: इस बार हम घर से ही सोच कर आठथे की परीकà¥à¤°à¤®à¤¾ अवशà¥à¤¯ करेंगे.अगले दिन हमारा सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर परिकà¥à¤°à¤®à¤¾ के लिये निकलने का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ था.
आज के लिये बस इतना ही। इस शà¥à¤°à¤‚खला की अगली पोसà¥à¤Ÿ में मैं आपको लिये चलà¥à¤‚गी ओंकार परीकà¥à¤°à¤®à¤¾ पर …………..तब तक के लिये बाय…बाय.
Enjoyed reading this post.
I visited Omkareshwar some years ago and enjoyed it and reading your post was like revisiting there.
प्रवीण जी,
सुन्दर शब्दों के साथ हिम्मत बढाने तथा प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
kavita Ji.. you and Mukesh ji are so lucky that you have visited Omkareshwar and Mahakaleswar many times. I have planned two times to visit these places but could not succeed.
All the pictures are clear and beautiful.. and the story too is well narrated..
Jai Bhole Ki,…
नरेश जी,
अपने बिलकुल सही कहा, इस मामले में हमलोग सचमुच भाग्यशाली हैं की ओम्कारेश्वर एवं महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग हमसे बहुत करीब हैं। ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ की वे आपको भी जितनी जल्दी हो सके इन पवित्र स्थानों की सैर करवाएं।
Bahuth accha varnan………
बहुत बहुत शुक्रिया महेश जी .
मजेदार विवरण… नदी के किनारे मंदिर का चित्र बहुत जबरदस्त आया है.
अगले भाग के इंतजार में.
शुक्रिया साइलेंट सोल जी ………………
nice post.some of the photographs are beautiful.
शुक्रिया शर्मा साहब। .
Thank you, Kavitajee, for the darshan of Shri Omkareshwar and the Navagraha temple which looks more like a residence than a temple. The Shayan Arati reminded me of the same ritual which I had witnessed at Srisailam several years ago. हमेशा की तरह, आपका वर्णन बहुत ही बढ़िया है।
The juxtaposition of the Jhoola Pul with the Mamleshwar shrine looked as if the Golden Gate bridge was transplanted from San Francisco to Benaras! Must say that Mukeshji’s photographic skills have improved a lot. Has Sushantji passed on some tips during his recent trip to Indore?
डी. एल. जी,
कमेन्ट के लिए धन्यवाद। आपने बिलकुल सही कहा यह शनि मंदिर आम मंदिरों की तरह नहीं दिखाई देता बल्कि एक घर की शक्ल लिए हुए है। श्रीसैलम तो हम भी गए थे तीन साल पहले, मंदिर में अभिषेक भी किया था लेकिन शयन आरती में शामिल नहीं हो पाए थे। जी हाँ सुशांत जी हमारे साथ एक पूरा दिन थे शायद इसीलिए मुकेश जी की फोटोग्राफी में निखार आ गया है (ये बात और है की यह यात्रा उनके हमारे घर आने से पहली की है ………….)
Hi Kavita,
Narmada like other rivers is replete with temples. In addition it goes through amazing terrain in MP including marbe hills. It is my plan to follow the river across MP.
Last time I was in Indore, Mandu was my priority. This time i will do the temple and nature circuit.
The bridge does look like Golden Gate!
Thanks for the post!
निर्देश जी,
प्रतिक्रया व्यक्त करने के लिए आभार। आपकी मध्य प्रदेश के मंदिरों के दर्शन की इच्छा पूरी हो ईश्वर से यही प्रार्थना है।
कविता जी….
यह तो काफी अच्छी बात हैं की ओंकारेश्वर, ममलेश्वर एवं महाकालेश्वर दोनों ही ज्योतिर्लिंग आपके आसपास है…जब मन करे भोले नाथ जी के दर्शन करने चल पड़ो….देखते हैं..हमे भी इन दोनों ज्योतिर्लिंग के दर्शन का सौभाग्य कब प्राप्त होता हैं…| ओंकारेश्वर में रात को भगवानजी के लिए चौपड़ और बिस्तर लगाने वाली बात काफी अच्छी लगी….|
हमेशा की तरह बहुत ही बढ़िया लेख….पढ़कर अच्छा लगा…| वैसे तो सारे फोटो अच्छे लगे पर नर्मदा नदी के फोटो बहुत बढ़िया लगे..|
धन्यवाद…
रितेश जी,
टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आप कब पधार रहे हैं भगवान महाकाल एवं भगवान ओंकार के दर्शनों के लिए ?
कविता जी की जय हो! 17 फरवरी को यह पोस्ट अवतरित होनी थी, पर मुझे आज पढ़ने को मिली है ! चलिये, देर आयद, दुरुस्त आयद ! इस वर्णन को पढ़ कर मुझे लग रहा है कि इस बार में ही मुझे ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर ही लेना चाहिये था पर चलो, इस ट्रिप में जितना मिला, वह भी बहुत है। अगली बार, सपरिवार जायेंगे और आप के साथ ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का सुख पायेंगे। इस बार आपने मांडवगढ़ के दर्शन कराये, यह क्या कब बड़ा सुख है !
इस पोस्ट के फोटो वास्तव में ही बहुत अच्छे आये हैं। आप की लेखन कला और पाक कला में क्या ज्यादा तारीफ के लायक है, कह पाना कठिन है! आपकी बनाई हुई दाल-बाटी और बेसन की पूरियों का स्वाद अभी भी जिह्वा को याद है !
सुशांत जी,
आपकी टिप्पणी पढ़कर बड़ा अच्छा लगा, बल्कि सच बात तो यह है की हम आपकी टिप्पणी का इंतज़ार ही कर रहे थे . मेरी पोस्ट पढ़कर आपके मन में ओंकारेश्वर दर्शन की इच्छा जाग्रत हुई, इससे बड़ी प्रशंसा और क्या हो सकती है। लेखन एवं पाक कला की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आपकी मांडू की पोस्ट का बेसब्री से इंतज़ार है।
काफी समय के बाद आपका लेख आया कविता जी । पढ़ कर अच्छा लगा । आपको और मुकेश जी को फोटो लगाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा और हम लोग भी उचित समय पर सहयोग नहीं कर पाये । इस कारण से इस लेख तो प्रकाशित देख कर और ख़ुशी होती है । इन स्थानों के बारे में मुकेश जी लिख चुकें हैं पर हर शायर का अंदाज़े बयां जुदा जुदा होता है, अगली कड़ी जल्द ही प्रकाशित करें । जय हिन्द ।
नंदन जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।कोई बात नहीं देर से ही सही अंततः पोस्ट प्रकाशित हो ही गई। जल्द ही अगली कड़ी लिखने की कोशिश करुँगी।
Aapke aur Mukesh ji ke posts bahut baar padhe par comment karne ka mauka phli bar mil raha hai. aise lekh Bhartiyata ki yaad dilate hain na ki India ki. Congrats….
राकेश जी,
कमेन्ट करने तथा पोस्ट पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। घुमक्कड़ पर यूँ ही बने रहें एवं अपनी मनमोहक कमेंट्स के माध्यम से लेखकों का मनोबल बढाते रहें।
A very nice post Kavita Ji. All the photos are excellent.
Two times I have visited at Indore but both the time it was the official trip so couldn’t go anywhere.
Hope in future I will be there for darshan of Mahakaal.
Thanks.
सौरभ जी,
अगली बार इंदौर आयें तो ओंकारेश्वर एवं महाकालेश्वर का प्लान बना कर ही आयें, इन विशिष्ट एवं विलक्षण जगहों के दर्शन करके आपका मन प्रसन्न हो जाएगा। पोस्ट पसंद करने तथा प्रतिक्रिया प्रेषित करने का धन्यवाद।
Kavitaji,
enjoyed your post on Onkareshwar / Mahakaleshwar.
It is nice of you to bring out such important religious/historical landmarks of central India for every Ghumakkar to read, learn and plan…..
Thanks,
Auro.
औरोजित जी,
इन प्रशंसात्मक, उत्साहवर्धक एवं सौन्दर्यपरक शब्दों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा से ही लेखकों मनोबल बढ़ाती तथा मार्गदर्शन करती रहीं हैं।
Kavita ji
abhi recently hum bhi omkareswar aur maheswar gye the ab hum Remeswaram jane ka plan bana rahe hai please hamara margdharshan kare Hum June2014 me jayege
really written very nicely…gave me complete knowledge how to visit it..lot many thanks
Hum log kashi vishwanath ka darshan ke bad dwarka, somenath , ujjain maha kaleshwar bhagwan ka darshan karna hai . subah ujjain pahuchane ke bad 36 hrs mere pas rahega. kripya salah de ki mai ujjain aur omkareshwar darshan kar shaku shipra exp se ticket hai ujjain to Dhanbad
शà¥à¤°à¥€ ओंकारेशà¥à¤µà¤° à¤à¤—वान शिव जी की जय हो