बात है अगसà¥à¤¤ – 2009 की जब हम आफिस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के लोगो ने पहाड़ो पर घूमने जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बनाया. इस तरह के घूमने जाने के पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® जब कई लोग साथ मिल कर बनाते हैं तब सà¤à¥€ के अपने – अपने destination होते हैं.अलग –अलग राय. फिलहाल जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ माथा- पचà¥à¤šà¥€ करने की जरूरत नही पड़ी मैने कहा धनोलà¥à¤Ÿà¥€ चलते है पर साथ ही साथ इसमे केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फाल ऋषिकेश, मसूरी, सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ उसी रासà¥à¤¤à¥‡ पर हैं तो वहां à¤à¥€ चलेंगे. अगसà¥à¤¤ के महीने मे 15 अगसà¥à¤¤ और जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤• साथ मिल रही थी. .इस वरà¥à¤· 14 अगसà¥à¤¤ शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° के दिन जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ पड रही थी अगले दिन शनिवार को 15 अगसà¥à¤¤ की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ थी उसके अगले दिन रविवार था. इस तरह से हम लोगो के पास 3 दिन थे. जैसा कि आमतौर पर इस तरह के टूर पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® मे होता है कà¥à¤› लोग जो कि पहले चलने को तैयार होते हैं वह पीछे हट जाते हैं और कà¥à¤› जà¥à¤¡à¤¼ जाते हैं. कà¥à¤² मिला कर हम 23 लोगो का जाने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® बना इनमे से कà¥à¤› à¤à¤• के परिवार के सदसà¥à¤¯ à¤à¥€ शामिल थे. 23 लोगो के जाने के लिये à¤à¤• 35 सीटर बस तय कर ली. इससे पहले धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ के टूर मे à¤à¥€ हम लोग बस ले कर ही गये थे, इसलिये 2X2 की पà¥à¤¶ बॅक बस से चलना तय हà¥à¤†. 23000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे बस तय हो गयी.
हर टूर मे कà¥à¤› ना कà¥à¤› नया सीखने को मिलता है. इस बार तय हà¥à¤† रासà¥à¤¤à¥‡ मे खाने – पीने, नाशà¥à¤¤à¥‡ का सामान खरीद कर साथ ले चलेंगे साथ ही साथ पानी की 20 लीटर की दो- तीन बोतले à¤à¥€ बस मे रख लेंगे.
13 अगसà¥à¤¤ को रात 10 बजे बस हमारे नोà¤à¤¡à¤¾ आफिस आ गयी. जà¥à¤¯à¤¦à¤¾à¤¤à¤° सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के लोग सà¥à¤¬à¤¹ आफिस आते समय ही अपना सामान ले कर आ गये थे. हम तीन लोग थे मैने कहा बस तो मोहन नगर होकर ही जायेगी, (मै राजेंदà¥à¤° नगर मे रहता हूठजो मोहन नगर के बहà¥à¤¤ नजदीक है.) बस को लेकर मेरे राजेंदà¥à¤° नगर घर आ जाना वही पर सब लोग चाय पी कर चलेंगे साथ ही साथ पानी की बोतले और दूसरा सामान à¤à¥€ उसमे रख लेंगे. इस बात से किसी को कोई दिकà¥à¤•त नही थी. बस रात करीब 1 बजे घर पहà¥à¤‚ची पता लगा बस डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° जानबूठकर देर से चला कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि बस दिलà¥à¤²à¥€ की थी अगर वह रात बारह बजे से पहले दिलà¥à¤²à¥€ बॉरà¥à¤¡à¤° पार करता तो उसे à¤à¤• दिन का अतिरिकà¥à¤¤ टॅकà¥à¤¸ देना होता है इसलिये सà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° रात 12 बजे के बाद ही à¤à¤• राजà¥à¤¯ से दूसरे राजà¥à¤¯ का बॉरà¥à¤¡à¤° पार करते हैं. à¤à¤¸à¤¾ धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ टूर मे à¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने किया था. चाय पी कर सà¤à¥€ आगे के सफर के लिये चल दिये. पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® यह बना था कि पहले दिन हम लोग मसूरी मे रà¥à¤•ेंगे और उसी दिन केमà¥à¤ªà¤Ÿà¥€ फाल घूम आयेंगे. दूसरे दिन धनोलà¥à¤Ÿà¥€ जायेंगे. अगर मसूरी मे होटेल अचà¥à¤›à¤¾ मिल गया तो शाम को वापस आ जायेंगे अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ धनोलà¥à¤Ÿà¥€ मे रà¥à¤•ेंगे और तीसरे दिन सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾, ऋषिकेश और हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° होते हà¥à¤ वापस दिलà¥à¤²à¥€ आ जायेंगे. मसूरी से कà¥à¤› किलोमीटर पहले मौसम à¤à¤•दम सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ हो गया. à¤à¤®à¤¾à¤à¤® वारिश शà¥à¤°à¥ हो गयी. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने इस सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ मौसम मे चाय पीने के लिये बस रोक दी. कà¥à¤› लोग बारिश मे बस से नीचे उतर कर चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ियो के साथ मौसम का आननà¥à¤¦ लेने लगे. वैसे à¤à¥€ सà¤à¥€ दिलà¥à¤²à¥€ की गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹ से à¤à¤¾à¤— कर ही इन जगहो पर आनंद लेने पहà¥à¤‚च जाते हैं.
इंडो-तिबà¥à¤¬à¤¤ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ हेड कà¥à¤µà¥‰à¤°à¥à¤Ÿà¤° के पास होटेल के इंतजार मे आफिस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤«
सà¥à¤¬à¤¹ के 8 बजे होंगे जब हमारी बस मसूरी पहà¥à¤‚च गयी. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस को मसूरी के बाहर लाइबà¥à¤°à¥‡à¤°à¥€ चौक वाले मारà¥à¤— से पहले इंडो-तिबà¥à¤¬à¤¤ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ हेड कà¥à¤µà¥‰à¤°à¥à¤Ÿà¤° के पास रोक दी और बोला जा कर होटेल देख आओ. अंदर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय बस खड़ी नही कर सकता. मैने आफिस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के 2-3 लडको को होटेल देखने के लिये à¤à¥‡à¤œà¤¾. तब तक सà¤à¥€ बस मे आराम करते रहे कà¥à¤› à¤à¤• बस के आस-पास टहलते रहे. à¤à¤• घंटे से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय उन लोगो को गये हो गया पर उनà¥à¤¹à¥‡ कोई होटेल नही मिला. अब मै सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के दो लोगो के साथ अलग से होटेल ढूढने निकला. जिधर जाता वही फà¥à¤² का बोरà¥à¤¡ मिल जाता. वैसे à¤à¥€ पहाड़ो पर होटेल ढूढना à¤à¥€ इतना आसन नही होता है. सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो से पूछा और उनके बताये हà¥à¤ जगहो पर गया. पर होटेल मिलना à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ बन गया. हमारे जैसे बहà¥à¤¤ से लोग मसूरी की सडको पर अपना सामान लिये हà¥à¤ होटेल की तलाश मे घूम रहे थे. सà¤à¥€ परेशान थे पर करे तो करे कà¥à¤¯à¤¾. यही समसà¥à¤¯à¤¾ सबके सामने थी. मै 3-4 वरà¥à¤· पहले à¤à¥€ यहाठआफिस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के साथ आया था परंतॠतब होटेल मिलने की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ नही आई थी. मसूरी की सडको पर à¤à¥€à¤¡à¤¼ ही à¤à¥€à¤¡à¤¼ नजर आ रही थी मसूरी मे à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ और है यहाठहोटेल तो बहà¥à¤¤ हैं पर उनके à¤à¤œà¥‡à¤‚ट नही है. अगर नैनीताल जाओ तो बस अडà¥à¤¡à¥‡ पर ही ढेरो à¤à¤œà¥‡à¤‚ट होटेल दिलवाने के लिये मिल जाते हैं जिस रेंज का कमरा चाहिये मिल जायेगा. थक हार कर हमलोग वापस बस मे आये. अà¤à¥€ तक हमारी पहली टीम वापस नही आई थी. मैने उन लोगो को फोन मिलाया पता लगा अà¤à¥€ तक होटेल नही मिला है,. इस समय सà¥à¤¬à¤¹ के 11 बज रहे थे. मà¥à¤à¥‡ लगा अब यहाठपर समय खराब करना उचित नही है, धनोलà¥à¤Ÿà¥€ चलते हैं वरà¥à¤¨à¤¾ अगर यहाठके निराश लोग वहां पहà¥à¤‚च गये तब वहां à¤à¥€ नही मिलेगा. यह सोंच कर उन लोगो को वापस बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ के लिये फोन किया पर वह लोग हार मानाने को तैयार नही थे. बार-बार फोने करने के बाद करीब à¤à¤• घंटे के बाद वह लोग लौटे. अब मैने बस डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को धनोलà¥à¤Ÿà¥€ चलने के लिये निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिये. यहाठसे वापस बस लोटने के लिये डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने बस को मसूरी का à¤à¤• चकà¥à¤•र लगा कर वापस धनोलà¥à¤Ÿà¥€ के लिये चल दिया.
मà¥à¤à¥‡ तो धनोलà¥à¤Ÿà¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ काफी खतरनाक लगा. सड़क मसूरी वाले रासà¥à¤¤à¥‡ की तरह चौड़ी नही थी. पतली सी सरà¥à¤ªà¥€à¤²à¥€ सड़क पर हमारी बस धीमी गति से ही चढ़ाई पर चढ रही थी. बरसात के मौसम होने के कारण हर तरफ हरियाली थी. परंतॠकई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹ पर सड़क टूटी हà¥à¤ˆ थी. वैसे à¤à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठकाफी हरा-à¤à¤°à¤¾ है.
रासà¥à¤¤à¥‡ मे डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° धनोलà¥à¤Ÿà¥€ जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥‚ल गये और बस दूसरे रासà¥à¤¤à¥‡ पर चल दी. काफी आगे जाने पर डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° को अपनी गलती का अहसास हà¥à¤† तब दूसरी तरफ से आते à¤à¤• गाड़ी वाले से पूछने पर पता लगा यह धनोलà¥à¤Ÿà¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ नही है. पहाड़ो पर पतली सी सड़क पर बस को वापस मोड़ना à¤à¥€ आसन काम नही होता है. à¤à¤•-दो किलोमीटर जाने के बाद थोड़ी जगह मिली तब वापस मोड़ कर धनोलà¥à¤Ÿà¥€ के रासà¥à¤¤à¥‡ पर चले. रासà¥à¤¤à¥‡ मे कई लोग जो अपनी कार या टैकà¥à¤¸à¥€ से जा रहे थे रà¥à¤• कर यहाठकी खूबसूरती को निहार रहे थे. करीब 3 बजे बस धनोलà¥à¤Ÿà¥€ से कà¥à¤› किलोमीटर पहले डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने सड़क के किनारे होटेल बने देख कर रोकी और बोला जाकर देख आओ अगर होटेल मे आप लोगो को कमरे मिल जाये. यहाठपर इकà¥à¤•े – दà¥à¤•à¥à¤•े ही होटेल बने थे वह à¤à¥€ छोटे- छोटे, सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के दो लोगो को लेकर होटेल पता करने चल दिया. होटेल मे कमरे खाली नही थे वापस दस मिनट बाद लौट कर आया देखा सारे लोग बस से उतर कर वहीं सड़क के किनारे बनी दà¥à¤•ानो पर मैगी खाने मे मसà¥à¤¤ हैं. वैसे à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ से किसी ने नाशà¥à¤¤à¤¾ तो किया नही था. जो रासà¥à¤¤à¥‡ मे खाने के लिये चिपà¥à¤¸, नमकीन वà¥à¤—ैरह रखी थी वही खाकर बैठे हà¥à¤ थे पर मà¥à¤à¥‡ चिंता हो रही थी की जलà¥à¤¦à¥€ से जलà¥à¤¦à¥€ धनोलà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤à¤šà¤¾ जाय, कहीं à¤à¤¸à¤¾ ना हो कि मसूरी की तरह यहाठà¤à¥€ कमरा ना मिले.
4 बजे बस धनोलà¥à¤Ÿà¥€ पहà¥à¤‚ची. देखा यहाठà¤à¥€ इकà¥à¤•े-दà¥à¤•à¥à¤•े ही होटेल बने हà¥à¤ हैं. बस को डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने . पारà¥à¤• से करीब 500-700 गज पहले ही सड़क के किनारे होटेल बने देख कर रोक दी. अब फिर हम लोग अलग-अलग होटेल मे कमरे की तलाश मे चल दिये.थोड़ी सी ही देर मे सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के दो लड़के मेरे पास आकर बोले कि चल कर बात कर ले पीछे वाले होटेल मे कमरे हैं. होटेल बाहर से तो काफी बड़ा बना हà¥à¤† था लग रहा था यहाठपर शायद सबको कमरे मिल जाये पर जाकर पूछने पर पता लगा कि इस समय दो बड़े बड़े कमरे खाली हैं. होटेल वाला बोला आप सà¤à¥€ लोग दोनो कमरे मे ठहर सकते हो. दो-तीन बिसà¥à¤¤à¤°à¥‡ अलग से दे दूंगा. अब समसà¥à¤¯à¤¾ यह थी कि आफिस सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« के लोग थे सà¤à¥€ का अलग-अलग ढंग का रहन- सहन. à¤à¤• ही परिवार के हो तब तो किसी तरह से काम चला सकते थे. मैने सोंचा अगर यह होटेल छोड़ दिया और दूसरे होटेल मे à¤à¥‹ जगह ना मिली तो रात बस मे गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¨à¥€ होगी उससे अचà¥à¤›à¤¾ है इन दो कमरो मे ही à¤à¤¡à¤œà¤¸à¥à¤Ÿ कर लेते हैं. उन दो बड़े कमरो का किराया बताया 10000 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡. काफी मोल-à¤à¤¾à¤µ के बाद होटेल वाला 9000/ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मे राजी हà¥à¤†.
अब मैने कहा , सà¤à¥€ महिलाये, लड़कियां तो à¤à¤• कमरे मे ठहर जाये और सà¤à¥€ जेनà¥à¤Ÿà¥à¤¸ दूसरे कमरे मे रात मे सोà¤à¤‚गे. सà¤à¥€ को यह सà¥à¤à¤¾à¤µ पसंद आया. दोनो कमरो मे à¤à¤• –à¤à¤• डबल बेड और तीन-चार सिंगल बेड थे. थोड़ी सी परेशानी, पर सà¤à¥€ à¤à¤¡à¤œà¤¸à¥à¤Ÿ हो गये.
जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ का दिन होने के करण मेरी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने वà¥à¤°à¤¤ रखा था. शाम ढल चà¥à¤•ी थी मैने सोंचा कà¥à¤› फल वगैरह ला दू. होटेल से बाहर आकर पूछने पर पता लगा थोड़ा सा आगे बस सà¥à¤Ÿà¥…ंड है वहां पर फल मिल सकते हैं. थोड़ा सा आगे जाने पर à¤à¥€ दà¥à¤•ाने नही नजर आई फिर वहां से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ पहाड़ी लोगो से पूछा, उनका वही जबाव , बस थोड़ा सा आगे चले जाओ. हमारे जैसे लोगो के लिये पहाड़ो पर 100-200 गज चलना ही काफी दूर हो जाता है पर पहाड़ी लोग à¤à¤• किलोमीटर की दूरी à¤à¥€ थोड़ा सा आगे ही बताते है. जैसे-तैसे बस सà¥à¤Ÿà¥…ंड पहà¥à¤à¤šà¤¾. यहाठपर केवल 2-3 दà¥à¤•ाने ही थी जिसमे से à¤à¤• मे थोड़ी सी सबà¥à¤œà¥€, फल रखे थे. फल खरीद कर वापस लौटते समय तक शाम काफी गहरी हो गयी थी. बरसात का मौसम होने के कारण बादलो ने आस-पास का वातावरण ढक दिया था. दूर का साफ नही दिख रहा था. इस समय सड़क पर कोई चहलकदमी नही हो रही थी. मेरे आगे – आगे दो लड़के बाते करते हà¥à¤ जा रहे थे अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वातावरण मे नीरवता छाई हà¥à¤ˆ थी. मै तेज कदमो से होटेल की तरफ बढ रहा था. à¤à¤¸à¥‡ समय पर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बाते याद आ जाती हैं. इससे पिछले वरà¥à¤· मै मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° गया था. मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड मे ही à¤à¤• हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है. यहाठसे नेपाल की तरफ का हिमालय दिखता है. तो बात कर रहा था मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° की ( बताना आवशà¥à¤¯à¤• हो गया था , कई लोग मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° के नाम से ग़हà¥à¤° मà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° समà¤à¤¨à¥‡ लगते हैं.) यहाठमै रेड रूफ रिज़ॉरà¥à¤Ÿ मे ठहरा था. रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के मलिक मिसà¥à¤Ÿà¤°. पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª विषà¥à¤Ÿ से बातो ही बातो मे पता लगा की शाम के समय कà¤à¥€-कà¤à¥€ रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने ही बाघ आ जाता है. उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ à¤à¤• बाघ की फोटो à¤à¥€ अपने रिज़ॉरà¥à¤Ÿ मे लगा रखी थी जो कि जाड़े के समय उनके रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने बैठा हà¥à¤† धूप सेक रहा था. उनके रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के पास ही à¤à¤• महिला को होटेल है. बताने लगे कि à¤à¤• दिन शाम का अंधेरा ढल गया था, वह अपनी कार से मेरे रिज़ॉरà¥à¤Ÿ के सामने से गà¥à¤œà¤° रही थी कि तà¤à¥€ अचनक बाघ उनकी कार के सामने आकर खड़ा हो गया. उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ ने कार के बà¥à¤°à¥‡à¤• लगाये, बाघ थोड़ी देर तक खड़ा कार को घूरता रहा फिर छलांग मार कर दूसरी तरफ चला गया. इस समय मà¥à¤à¥‡ वही बात याद आ रही थी कि कहीं यहाठपर à¤à¥€ अचनक बाघ आ गया तब कà¥à¤¯à¤¾ करेंगे. चलते समय होटेल वाले से पूछना à¤à¥‚ल गया था कि इस इलाके मे बाघ तो, वह नही है. खैर रासà¥à¤¤à¥‡ मे बाघ तो नही मिला, सकà¥à¤¶à¤² होटेल पहà¥à¤‚च गया. अगर मिल जाता तो गया था शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी के खाने का इंतजाम करने और बाघ के खाने का इंतजाम कर बैठता. वापस आकर पहले होटेल वाले से पूछा पता लगा यहाठपर बाघ नहीं है.
होटेल की छà¥à¤¤ पर फोटो शूट , कैमरा नही तो मोबाइल से ही
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ सà¤à¥€ धनोलà¥à¤Ÿà¥€ घूमने के लिये निकल पड़े. दो-à¤à¤• लोगो ने तो घोड़े की सवारी à¤à¥€ करना शà¥à¤°à¥ कर दी.
बहà¥à¤¤ ही खूबसूरत पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• दà¥à¤°à¤¶à¥à¤¯à¥‹ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र धनोलà¥à¤Ÿà¥€ है. होटेल के सामने घाटी से उठते हà¥à¤ बादलो को देख कर दिल बाग़-बाग़ कर उठा. पहाड़ तो सà¤à¥€ जगह à¤à¤• से होते हैं पर सà¤à¥€ जगहो की कà¥à¤› अपनी अलग ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ होती है. हमारे साथ दो लड़कियां जो कि मूल रूप से कोसानी की रहने वाली थी. वह à¤à¥€ यहाठकी नैसरà¥à¤—िक सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ देख मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ थी.
पास ही ईको पारà¥à¤• था. सà¤à¥€ ईको पारà¥à¤• मे घूमने के लिये 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ टिकट लेकर अंदर पहà¥à¤‚चे. काफी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पारà¥à¤• है यह. इस पारà¥à¤• की मà¥à¤–à¥à¤¯ बात यह थी कि पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से à¤à¤°à¤ªà¥‚र यह पारà¥à¤• है. आप अपने आप को पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¤à¤¿ के नजदीक महसूस करते हैं. पारà¥à¤• मे जाने के लिये à¤à¤• रासà¥à¤¤à¥‡ पर अमà¥à¤¬à¤° लिखा है और दूसरे पर धरा, आप किसी à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¥‡ से जाये लौट कर वहीं पर मिलेंगे, इस समय बादलो की धà¥à¤‚द से मौसम मे थोड़ी सी ठंडक थी. सà¤à¥€ यहाठआकर बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ थे. पूरी तरह से यहाठके मौसम का लà¥à¤¤à¥à¤« उठा रहे थे. लगà¤à¤— 12 बजे सà¤à¥€ घूम कर होटेल पहà¥à¤‚च गये
इसके बाद मैं आपको ले चलूà¤à¤—ा सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¤¾ और फिर वाया हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° घर वापसी | आशा है घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ों को इको पारà¥à¤• का सफ़र अचà¥à¤›à¤¾ लगा होगा | आपके समà¥à¤®à¥à¤– फिर हाजिर होता है दो चार दिनों में | जय हिनà¥à¤¦ |