माता वैष्णोदेवी यात्रा भाग -५ (धनसर बाबा, झज्जर कोटली, कोल कंडोली)

हम लोग सुबह जल्दी ही नहा धोकर के तैयार हो जाते हैं. नाश्ता आदि करके चलने की तैयारी करते हैं. एक टाटा सुमो वाले से बात की,  उसे अपना कार्यक्रम बताया, वह 1000 रूपये में तैयार हो गया. हमारा कार्यक्रम इस तरह से था. सबसे पहले बाबा धनसर, फिर नो देवियों की गुफा, फिर झज्जर कोटली, इसके बाद कौल कंडोली, आखिर में जम्मू होटल तक.

बाबा धनसर
हम लोग करीब नो बजे कटरा से १७ किलोमीटर का सफर तय करके बाबा धनसर पहुँच जाते हैं. सड़क से करीब २०० मीटर  पैदल उतराई करके हम लोग बाबा धनसर के धाम पहुँच जाते हैं. यह क्षेत्र बहुत ही सुरम्य स्थान पर पहाडियों के बीच जंगल से घिरा हुआ हैं. एक छोटी सी झील हैं जिसमे एक झरना लगातार गिरता रहता हैं. एक और एक गुफा बनी हुई हैं जिसमे शिव लिंगम के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. झील में कहा जाता हैं की साक्षात् शेषनाग वासुकी विराज मान हैं. यंही पर ही उनका एक मंदिर भी बना हुआ हैं.पौरौनिक विश्वास हैं की जब भगवान शिव, माता पार्वती के साथ, उन्हें अमर कथा सुनाने के लिए अमरनाथ  जी की गुफा की और जा रहे थे, तब भगवान शिव ने अपने नागराज वासुकी को यंही पर छोड़ दिया था. नागराज वासुकी एक मनुष्य के रूप में यंही पर रहने लगे थे. उनका नाम वासुदेव था. बाबा धनसर इन्ही वासुदेव के पुत्र थे. कंही से एक राक्षस यंहा पर आ गया था. और इस क्षेत्र के लोगो को परेशान करने लगा था. तब बाबा धनसर ने भगवान शिव की तपस्या की थी. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर यंहा पर उस राक्षस का संहार किया था. बाबा के आग्रह पर भगवान शिव यंही पर विराजमान हो गए थे. यंहा पर स्थित झील पवित्र मानी जाती हैं. एक  झरना लगातार प्रवाहित होता रहता हैं. इस झील में नहाना शुभ नहीं माना जाता हैं. कभी कभी इस झील के स्वच्छ जल में नागों की आकृति भी दिखाई देती हैं. हर वर्ष यंहा पर, महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव और धनसर बाबा की याद में एक वार्षिक महोत्सव व मेले का आयोजन होता हैं .


बाबा धनसर जाते हुए हमारा परिवार


धनसर बाबा में शिव गुफा


जल प्रपात – झरना


सुन्दर सुरम्य वातावरण और हम

यंहा का वातावरण इतना सुरम्य और मनमोहक हैं की मन को मोह लेता हैं.


भगवान शिव व माता पार्वती


नागराज और उनके परिवार की प्रतिमाये

यंहा पर एक छोटा सा मंदिर बना हुआ हैं, जिसमे नागराज और धनसर  बाबा की प्रतिमाये स्थापित हैं.


सुन्दर घाटी और बहता हुआ झरना

यंहा पर नाश्ता पानी करने की भी सुविधा हैं. धनसर बाबा के धाम से थोड़ा आगे ही चिनाब नदी का पुल पड़ता हैं. हमारा ड्राईवर कहने लगा की थोड़ी दूर ही तो हैं वह भी दिखा देता हूँ. करीब १५ मिनट बाद हम लोग चिनाब के पुल पर आजाते हैं. यंहा से नदी का विकराल  प्रवाह बहुत ही सुन्दर दिख रहा था.


चिनाब नदी

नो देवियों की गुफा 

यंहा से हम लोग वापिस चल पड़ते हैं, कटरा से थोड़ा पहले ही एक नो देवियों की गुफा वाला मंदिर पड़ता हैं. मुख्य सड़क से नीचे १०० सीढिया उतरने के बाद एक छोटी नदी के किनारे एक प्राचीन गुफा हैं. इसमें माँ शक्ति साक्षात् नो रूपों में विराजमान हैं. प्रसाद लेकर के हम लोग लाइन में लग जाते हैं. करीब आधे घंटे बाद हम लोग गुफा के अंदर पहुँच जाते हैं और माता के दर्शन करते हैं. यंहा पर अंदर फोटो लेना वर्जित हैं.


नो देवियों की गुफा


नो देवियों के दर्शन के लिए पंक्तिबद्ध


गुफा के नीचे बहता हुआ झरना


बादल उतर कर  नीचे आ गये


हमारे जैन साहब हलवाई का काम करते हुए

हमारे साथ हमारे दोस्त कुमरेश जैन  जी भी थे. एक जगह जब नाश्ता करने के लिए रुके तो जनाब खुद हलवाई का काम करने लगे. इनके भाई साहब की मुज़फ्फरनगर में, नयी मंडी में जैन स्वीट्स के नाम से मशहूर दुकान हैं.

झज्जर कोटली 
यंहा से हम लोग कटरा होते हुए श्रीनगर हाइवे पर स्थित झज्जर कोटली पर्यटन स्थल पर पहुँचते हैं. यह स्थान जम्मू कटरा मुख्य सड़क से थोड़ा हट कर श्रीनगर हाइवे पर स्थित हैं. यंहा पर बहुत लोग पिकनिक के लिए आते हैं. एक सुन्दर झरना नदी के रूप में बह रहा हैं. यंहा पर पानी की गहराई मुश्किल से २ या ३ फीट हैं. और आराम से नहाया जा सकता हैं.  बच्चे यंहा पर  नहाने का आनंद लेते हैं. इसके किनारे पर ही एक सुन्दर बगीचा बना हुआ हैं. जिसमे से नदी का सुन्दर रूप दिखाए देता है.

झज्जर कोटली का सुन्दर दृश्य


वाह क्या स्टाइल हैं.


झज्जर कोटली झरने में इशांक


झरने में मस्ती करते हुए बच्चे


स्टाइल बनना कर फोटो खिचाते हुए बच्चे


जैन साहब क्या सोच रहे हैं?

कोल कंडोली मंदिर 
झज्जर कोटली में थोड़ा देर रुकने के बाद हम लोग जम्मू के लिए चल पड़ते हैं. जम्मू से १० किलोमीटर पहले नगरोटा में माता कोल कंडोली का मंदिर आता हैं. इस मंदिर की स्थापना पांडवो ने की थी, यह मंदिर अति प्राचीन हैं. कहते हैं की पांडवो ने अपने अज्ञातवास में यंहा पर रह कर माता की तपस्या की थी . माता ने प्रकट होकर के पांडवो को वरदान दिया था. और यंही पर स्थापित हो गयी थी. अब इस मंदिर की देख रेख सेना के हवाले हैं. इस मंदिर को माता के प्रथम दर्शन माना जाता हैं.


कोल कंडोली मंदिर का प्रवेश द्वार


कोल कंडोली मंदिर


जय माता की


जय माँ कोल कंडोली

यंहा पर मैंने माता की तस्वीर पुजारी जी की अनुमति  से ली थी. यंहा पर फोटोग्राफी कर सकते हैं.


इशांक बाबू की भक्ति भावना


जोर से घंटा बजा लूं

मंदिर का प्रांगन बहुत विशाल हैं. और इसमें कई और मंदिर भी स्थापित हैं. मंदिर से निकलकर हम लोग जम्मू पहुँच जाते हैं. यंहा पर रघुनाथ मंदिर के पास अपने फेवरिट होटल रघुनाथ में डेरा  डाल देते हैं.

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