पिछले वर्ष नेहा ने पहली बार वृन्दावन के दर्शन किये, वृन्दावन उसे इतना पसंद आया की कम घूमना पसंद करने वाली मेरी बीवी अब वृन्दावन हमेशा जाने को तैयार रहती है, यहाँ तक की एक बार तो वो अपनी होंडा एक्टिवा पे जा चुकी है ! काफी समय से उसकी फरमाइश थी की वृन्दावन में रात रुका जाये, सो हमने इस बार ऐसी ही योजना बनाई !
12 मई सुबह 9 बजे अपने घर फरीदाबाद से निकले, तो पहले बल्लभगढ़ फिर पलवल में हमें थोडा जाम मिला ! गर्मी तेज़ थी ऐसे में गाड़ी का AC किसी वरदान से कम नहीं होता ! पलवल से आगे होडल पड़ता है, मथुरा जाते हुए होडल में बायीं हाथ पे एक जगह डब्चिक पड़ती है, यह हरयाणा टूरिस्म की एक सुन्दर जगह है ! यहाँ एक वताकुनुलित रेस्तरा है, एक कृत्रिम झील है जिसके किनारे कई बतखे बैठी रहती हैं, साथ ही में आप घोड़े, ऊँठ और हाथी की सवारी का भी लुफ्त उठा सकते हैं !
डब्चिक हमारा पहला पड़ाव था, कुछ समय यहाँ बिता कर हम बरसाना की और निकल पड़े ! सुबह नाश्ता न करने के कारण थोडा रुक कर एक ढाबे पे मक्खन और दही के साथ आलू के पराठो का लुफ्त उठाया ! फिर कोसी पार करके बरसाना के लिए दायीं और मुड गए ! सड़क अच्छी बनी हुयी थी ! बरसाना पहुचकर हमने राधारानी मंदिर का मार्ग पूछा और गाड़ी पास में ही पार्क कर दी ! पार्किंग बरसाना ग्राम पंचायत की और से थी शुल्क था 20 रुपए ! हम मंदिर की ओर चल दिए जो की एक पहाड़ी पे था, पहुचने के लिए करीब 350 सीढिया चढ़नी पड़ी ! बुजुर्गो के लिए पालकी की सुविधा उपलब्ध थी !
बरसाना मथुरा के पास स्थित एक गाँव है जो राधा जी की जन्म स्थली होने के कारण प्रसिद्ध रहा है ! गौडीय वैष्णव धर्म को मानने वालो के लिए यह एक तीर्थ से कम नहीं है ! यह रंग भरी लठमार होली के लिए भी प्रसिद्ध है, होली के दिन बरसाना में कुछ अलग ही धूम मची होती है ! बरसाना में राधारानी मंदिर अपने आप में एक भव्य मंदिर है जो की एक छोटी पहाड़ी पे अठारवी शताब्दी में बनाया गया था ! इसी के सामने एक दूसरी पहाड़ी पे मान मंदिर भी देखा जा सकता है ! यह पहाड़ियां घेवरवन के नाम से जानी जाती हैं !
राधा रानी के मंदिर के दर्शन करके हमने निचे उतारते हुए एक एक ग्लास लस्सी पी और निकल पड़े गोवर्धन की ओर ! गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का मन था ! बरसाना से गोवर्धन एक सड़क गयी है राधारानी मंदिर मार्ग से दाई तरफ को, सड़क ठीक ठाक थी, कही कही पे अभी बन रही थी ! गोवर्धन पहुचकर हमने परिक्रमा शुरू की जो की पूरे 21 किलोमीटर की थी ! परिक्रमा मार्ग अच्छा बना हुआ है ! कही कही पे संकरी गली मिलेंगी पर कुल मिला कर अच्छा मार्ग है ! थोड़ी थोड़ी दूरी पर आपको शेष मार्ग के बारें में बोर्ड मिलेंगे ! धूप तेज़ थी पर गाड़ी में कुछ खास परेशानी नहीं हुयी ! हरिदेव मंदिर, दान -घाटी मंदिर और मुखार्बिंद मंदिर यहाँ आप देख सकते हैं ! गुरु पूर्णिमा यहाँ इस जगह के लिए एक विशेष दिन है ! और जैसा की आप जानते हैं की गोवर्धन पूजा दिवाली से अगले दिन होती है, भी एक विशेष पर्व है यहाँ के लिए ! प्रचलित कहानी के अनुसार श्री कृष्ण ने दिवाली से अगले दिन जब गाव वालो को इन्द्र देव की पूजा की विशाल तयारी करते देखा तो उन्हें उनके धर्म की याद दिलाई और पूजा न करने को कहा ! गाव वालो के पूजा न करने से इन्द्र ने रुष्ठ होकर गाँव में भीषण वर्षा लाकर बाढ़ ला दी, तो इन्द्र का अहंकार कम करने के लिए और गाँव वालो की रक्षा के लिए श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी ऊँगली से उठा लिया ! आखिरकार हार मान कर इन्द्र श्री कृष्ण से क्षमा मांग कर स्वर्ग लोट गए !
गोवर्धन से मथुरा 22 किलो मीटर है, मन में श्री कृष्ण जन्मभूमि देखने की इच्छा लिए हमने मथुरा की ओर प्रस्थान किया, मार्ग सुगम ही था ! मथुरा पहुच हमने दोपहर का भोजन किया, फिर केशव देव मंदिर या कहलो कृष्ण जन्मभूमि की ओर प्रस्थान किया ! मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि के अलावा और भी कई मंदिर हैं जैसे द्वारिकाधीश मंदिर, श्री गोपाल मंदिर, दुर्वासा ऋषि आश्रम, कंस टीला, श्री केशवजी गौडीय मठ, विश्राम घाट, रंगेश्वर महादेव मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, मथुरा म्युसियम , बिरला मंदिर, गल्टेश्वर महादेव मंदिर और महाविध्या देवी मंदिर !
कृष्ण जन्मभूमि में काफी पुलिस दिखी, हर जगह पहरा था, शायद ऐसा साथ ही में सटी हुयी मस्जिद के कारण होगा ! व्यवस्था काफी अच्छी थी बस कैमरे पे पाबन्दी थोड़ी खली, पर सुरक्षा प्रबंधो के लिए यह जरुरी भी था ! खैर सख्त तलाशी के बाद अन्दर प्रवेश किया ! मंदिर बेहद भव्य था, श्री कृष्ण जन्मभूमि देख अच्छा लगा, मन भक्ति से भर उठा ! दक्षिण भारत से बहुत लोग आये हुए थे उस दिन वहाँ ! जन्मभूमि से सटे हुए एक मंदिर में चलित झाकी देखी ! श्री राम और कृष्ण के जीवन पे प्रदर्शित यह झाकियां देखने लायक हैं ! बच्चे इन्हें देखके बड़े खुश होंगे !
अब वृदावन की ओर प्रस्थान का समय था, जो की मथुरा से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पे है ! 15 मिनट में हम वृन्दावन पहुच गए ! बांके बिहारी मंदिर के समीप ही एक पार्किंग में गाड़ी खड़ी की ही थी की बारिश ने हमारा वृन्दाबन में स्वागत किया ! मजा आ गया, गर्मी का जैसे कोई चिन्ह ही न बचा हो ! अब बारी थी रात्रि में रुकने के स्थान को धुंडने की ! कुछ धर्मशालाओ का मुआयना करने के बाद हम बांके बिहारी के मंदिर की समीपतम धर्मशाला जिसका नाम जैपुरिया धर्मशाला था में रुक गए ! वताकुनुलित ओर साफ़ सुथरा कमरा था ! कुछ समय आराम करके बाज़ार घुमने निकल गए ! दोपहर को 4 बजे खाना खाया था इस लिए ख़ास भूख नहीं थी, सो हल्का फुल्का नाश्ता ही किया ! फिर बांके बिहारी जी के दर्शन को निकल पड़े !
मंदिर बड़ा सुन्दर है, मेरा इस बार यह तीसरी बार आना हुआ था, पूरी गली और मंदिर फूलो से सजे थे उस दिन, सजावट देखते ही बनती थी ! करीब सात बजे का समय होगा हमने प्रशाद लिया और मंदिर में प्रवेश किया, भीड़ मिलना स्वाभाविक था पर कोई किसी प्रकार की असुविधा नहीं थी ! हम पोने दस बजे होने वाली आरती के समय तक मंदिर में ही रुके ! वापस आने का मन ही नहीं था ! सभी जोर जोर से भजन गाने में लगे थे ! मंदिर के पुजारी चढ़ावे में चढ़े हुए सभी सामान जैसे केले, आम, सेब, चोकोलेट, टाफी, बिस्कुट, फूल, जल आदि सभी सामान वहां आई भक्तो की भीड़ की ओर उछाल रहे थे और सब उत्साह से उन्हें लपक रहे थे ! सभी तो आनंद्विभुत थे ! ऐसी आरती भी पहली बार देखि, मंदिर के पुजारी ने बस ज्योत दिखाई बाकी आरती गीत वहां की भीड़ ही गा रही थी, पूरी धुन के साथ, जैसे recording चल रही हो, आपको बता दूं की बाके बिहारी जी के मंदिर में होने वाली वाली आरती में आरती गीत आसान नहीं है, बल्कि ब्रज भाषा में असाधारण रूप से मधुर है !
बांके बिहारी जी की प्रतिमा के फोटो लेना निषेद था, सो मैंने नहीं लिया, हर थोड़ी देर में प्रतिमा को परदे से छिपाया जा रहा था, उद्देश्य ये था की कही बिहारी जी को भक्तो की नज़र न लग जाये ! वाकई में इतने सुन्दर है बांके बिहारी जी ! बांके बिहारी जी त्रिभंग मुद्रा में इस मंदिर में विराजित हैं ! उनका रूप ऐसा है की कोई भी मन्त्र-मुग्ध हो जाये !
सोलहवी शताब्दी में, निम्बरका संप्रदाय के स्वामी हरिदास जी को यह बांके बिहारी जी की प्रतिमा मधुबन में मिली थी ! 1864 या 1874 में जब यह मंदिर बना तब यह प्रतिमा निधिवन से यहाँ लायी गयी ! जन्माष्टमी के सुभाव्सर पर बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती होती है, और सिर्फ अक्षय त्रितय के दिन ही श्री बांके बिहारी के श्री चरणों के दर्शन किये जा सकते हैं ! आरती के बाद हम प्रसंचित होकर सोने चले गए ! सुबह निधिवन, और कुछ दुसरे मंदिर देखने की योजना थी! अगले दिन सुबह उठ तैयार हो पुनः श्री बांके बिहारी जी के दर्शन को चल दिए, प्रशाद और फूल लिए और दर्शन किये !
हम एक गाईड कर चुके थे जो हमें समीप के ही राधा वल्लभ मंदिर में ले गया ! मंदिर पुराना था मगर था बहुत सुन्दर ! वहां एक फवारा चल रहा था मंदिर के बीचो बिच और लोग उसके निचे से गुजर के जा रहे थे, ऐसा अपने जोड़े के साथ करना था ! हम भी उस फवारे के निचे से निकले ! भगवान् की सुन्दर प्रतिमा के दर्शन किये ! यह मंदिर राधा-वल्लभ सम्प्रदाय के श्री हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा बनवाया गया था, यहाँ राधारानी जी का मुकुट श्री कृष्ण जी की प्रतिमा के साथ स्थापित किया गया है !
निधिवन जाते हुए हम चार विशेष गलियों से गुजरे जिनके नाम मान गली, दान गली, कुञ्ज गली और यमुना गली था ! यह वही गलियां थी जहा श्री कृष्ण खेल कूद किया करते थे !
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वृन्दावन के कुछ अन्य मंदिरों के बारे में आपको बताता हूँ:-
- काली घाट पे स्थित मदन मोहन मंदिर को मुल्तान के कपूर राम दस जी ने बनवाया था !
- N H -2 पे छतिकारा गाव में है गरुड़ गोविन्द मंदिर, यह गुरुर जी का दुर्लभ मंदिर है जोकि काल सर्प अनुष्ठान के लिए भी प्रसिद्ध है !
- राधा वल्लभ मंदिर के बारे में आपको बता ही चूका हूँ !
- जयपुर मंदिर जोकि सवाई माधो सिंह (द्वित्य), जयपुर के महाराजा द्वारा 1917 में बनवाया गया था, श्री राधा माधव जी को समर्पित है !
- श्री राधा रमण मंदिर को 1542 में गोपाला भत्ता गोस्वामी जी के आग्रह पे बनवाया गया था, इस मंदिर में अब भी श्री कृष्ण की राधा रानी जी के साथ असली शालिग्राम की प्रतिमा है !
- शाहजी मंदिर को लखनऊ के प्रसिद्ध सुनार शाह कुंदन लाल ने 1876 में बनवाया था, यहाँ भगवन को छोटे राधा रमण पुकारा जाता है !
- 1851 में बना रंगजी मंदिर भगवान रंगनाथ जी को समर्पित है, 6 मंजिला और एक स्वर्ण परत चढ़े 50 फीट उच्चे स्तम्भ के साथ यह मंदिर बहुत सुन्दर दीखता है !
- गोविन्द देव (गोविन्दजी) मंदिर कभी सात मंजिला भव्य मंदिर हुआ करता था, कहा जाता है की इसके बनाते समय, स्वयं अकबर ने आगरा के लाल किले से लाये गयी लाल पत्थर यहाँ दान किये थे ! राजा मान सिंह द्वारा 1 करोड़ की लागत पे इसे फिर बनवाया गया!
- श्री कृष्ण-बलराम और इस्कोन मंदिर जिसे रमण रेती भी कहा जाता है वृन्दावन के सबसे सुन्दर मंदिरों में से एक है, और श्री क्रिशन और बलराम जी और राधा-श्यामसुंदर जी को समर्पित है !
- सेवा कुञ्ज में स्थित राधा दामोदर मंदिर 1542 में श्री गोस्वामी द्वारा बनवाया गया, इसके पूज्य हैं श्री राधा दामोदर !
- राधा बाघ में श्री माँ कात्यायनी मंदिर, रंगनाथ मंदिर के समीप ही है और शक्ति के शुद्ध शक्ति पीठो में से एक है !
- चिंताहरण हनुमान मंदिर हनुमान जी को समर्पित है और अटलवन के समीप है !
- श्री राधा गोविंदा मंदिर, जिसे महामंडलेश्वर महंत श्री कृष्ण बलराम स्वामीजी द्वारा बनवाया गया था ! यह नव-निर्मित मंदिर 2004 में बनके तैयार हुआ !
- श्री वृन्दावन-चन्द्र मंदिर का उद्घाटन 2006 में रामनवमी के दिन हुआ !
- वृन्दावन में और भी अनेक मनोरम स्थान और मंदिर हैं जैसे सेवा कुञ्ज, केसी घाट, श्रीजी मंदिर, जुगल किशोर मंदिर, लाल बाबु मंदिर, राज घाट, कुसुम सरोवर, मीरा बाई मंदिर, इमली ताल, कालिया घाट, रमण रेती, वराह घाट और चीर घाट !
वृन्दावन में हमारा अंतिम पड़ाव निधिवन था, जहाँ श्री कृष्ण और राधा रानी की जुगल जोड़ी विश्राम करती थी, यहीं पर कानाह जी ने राधा रानी और उनकी सखियों के साथ महा रास भी रचाया था ! तानसेन के गुरु हरिदास जी की समाधी भी यहीं है, जिनके सम्मान में प्रत्येक वर्ष यहाँ हरिदास सम्मलेन आयोजित किया जाता है जिसमें देश के नामी संगीतकार हिसा लेते हैं ! प्रचलित है की राधा जी प्रमुख सखी ललिता जी ही हरी दास जी के रूप में अवतरित हुयी थी ! यह श्री राधा रस बिहारी अष्ट सखी मंदिर “लीला स्थान ” के नाम से भी प्रचलित है, जहाँ दिव्या रास लीला रची गयी थी !
यह 84 कोस व्रज परिक्रमा यात्रा पूरी करने वालो के लिए अवश्यक तीर्थ है ! शताब्दियों पुराना यह मंदिर अपने आप में अकेला मंदिर है जो भव्य युगल जोड़ी और उनकी अष्ट सखियों को समर्पित है ! सम्पूर्ण वन में तुलसी ही तुलसी हैं जो थोड़ी विचित्र भी लगती हैं, दो अलग अलग किस्म के तुलसी के पेड़ एक साथ लगे हुए हैं जोड़ो में, जिनकी जड़े तो अलग हैं पर शाखाएं एक दुसरे में इस प्रकार गुथी हुयी हैं की मनो एक ही वृक्ष हो ! इन दोनों किस्म की तुलसी वृक्षों में एक कानाह जी का और दूसरा उनकी प्रेमिका का प्रतीक है ! कहते रात्रि में यह तुलसी वृक्ष कृष्ण और राधा सखियों के रूप ले कर रास रचाते हैं !
निधि वन के समीप ही यमुना तट है, जहाँ हमने केवट का वृक्ष देखा जिसपे कृष्ण गोपियों के वस्त्र लेकर चढ़ गए थे !
निधिवन, यमुना घाट और अन्य मंदिरों के दर्शन के बाद हमने अपने होटल से प्रस्थान किया और चल दिए वापस फरीदाबाद की ओर ! इस बार वृन्दावन आने का आनंद ही कुछ ओर रहा ! हम दिल्ली के आस पास के लोग एक ही दिन में वृन्दावन आना जाना कर लेते हैं, पर मैं समझता हूँ की एक दो रात यहाँ रुके तो बात कुछ ओर ही हो !
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And guessing that you like to go to Vrindavan, I am leaving a link of a old story which Ram wrote a while back. It is a very popular story and have been viewed in excess of 60K views.
https://www.ghumakkar.com/2008/03/10/vrindavan--jai-shri-radhe/
Thanks Nandan.
I have read this post and liked it.
I will write my next post soon.
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Dhanyawad, Jaat Devta
Excellent.
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arey wah yeh to acchi baat hai.
jarur jaiyga in mandiro mein samay nikal kar aur likhega bhi inke barein mein.
post pasand karne ke liye dhanyawad.
Thanks for sharing, aap ne bahut kuch samjha diya jo waha jane par bhi pata nahi chalta, thankyou so much for sharing this Post.
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Dhanyawad. mujhe khushi huyi ki yeh post apko pasand aya
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koti koti Dhanyawad
A very detailed post , helpful for the follow ghumakkars .
Thanks Mahesh ji.
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Maine kabhi mathura vrindavan nahi dekha hai.. parantu aapne vrindavan ki sair karayi dhanyavad….
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Your post is very helpful for visitors, this may be more useful if you give details of lodging facility in your post.
Thanks
very nice information for toour
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My name parmod Kumar dharma nit fardabad
अति उत्तम जानकारी व अति उत्तम लेख। फ़रीदाबाद से मथुरा यात्रा के बीच शनि मंदिर (कोकिला वन),3 कि.मी. आगे नंदगाँव और 8 कि.मी. आगे राधा रानी मंदिर है। राधा रानी मंदिर के पास से फ़रीदाबाद-मथुरा हाइवे के लिए रास्ता है। फ़रीदाबाद से मथुरा हाइवे पर छट्टीकरा चौराहे से 100 मी. पहले गरुण गोविंद मंदिर (1 कि.मी.) के लिए रास्ता है।
पूरे मथुरा वृन्दावन के दर्शन घर बैठे करवा दिए| बहुत ही अच्छी जानकारी दी है| आपका धन्यवाद|
Jai Shri RadheKrishna Nice Darshan
Thank God , n You Also (Writer) पूरे मथुरा वृन्दावन के दर्शन घर बैठे करवा दिए| बहुत ही अच्छी जानकारी दी है|
VINAY you had given every detail of your travelogue it is very help full to those who will be visiting braj vrindavan and gowardan for first time thanks for sharing keep up the good work
Thanks for sharing, aap ne bahut kuch samjha diya jo waha jane par bhi pata nahi chalta, thankyou so much for sharing this Post.