घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठकिसी पढाई की या किसी खास विशेषता की जरà¥à¤°à¤¤ नहीं होती ये तो à¤à¤¸à¤¾ शौक है जो à¤à¤—वन मानव को बनाने के साथ ही उसमे डालकर à¤à¥‡à¤œà¤¤à¤¾ है, तà¤à¥€ तो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी किसी उमà¥à¤° की मोहताज़ नहीं होती. घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी तो बस घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी ही होती है. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के मन में à¤à¥€ घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का कीड़ा उतना ही पà¥à¤°à¤¬à¤² होता है जितना की बड़ों के मन में.
सितमà¥à¤¬à¤° के महीने की à¤à¤• शाम ऑफिस से घर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने अपने सà¥à¤•ूल की à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® datesheet दिखाते हà¥à¤ अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी की datesheet पास करते हà¥à¤ कहा “पापा हमारे पेपर 27 तारीख को समापà¥à¤¤ हो रहे हैं इस बार हम ज़रूर कहीं घà¥à¤®à¤¨à¥‡ चलेगे।”
बचà¥à¤šà¥‹ ने अपने à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® की तैयारिय़ो में लगने के साथ मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ à¤à¤• à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® की तैयारी करने मैं लगा दिया। बचà¥à¤šà¥‹ के साथ घर से बाहर निकलने के लिठजो तैयारी की जाती है वो कोइ à¤à¤—à¥à¤œà¤¾à¤® से कम थोड़े ही है. आस पास उपलबà¥à¤§ ऑनलाइन और ऑफलाइन जानकारी माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ पर समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने पर किसी न किसी यातà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤² को तो चà¥à¤¨à¤¨à¤¾ ही था. इस बार का यातà¥à¤°à¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤² सरà¥à¤µà¤¸à¤®à¥à¤®à¤¤à¤¿ से उदयपà¥à¤° राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया गया.
जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहली बार घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिया जाना हो उसके बारे में यहाठवहां से जानकारियाठइकटà¥à¤ ी कर लेना यातà¥à¤°à¤¾ में होने वाली परेशानियों से बचाता है. इधर उधर से जानकारियां इकटà¥à¤ ी करके जाना की राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का यह शहर पà¥à¤°à¤•ृति à¤à¤µà¤‚ मानवीय रचनाओं से समृदà¥à¤§ अपने सौंदरà¥à¤¯ के लिठदà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में जाना जाता है। यहां की हवेलियों और महलों की à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को देखकर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° के परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• मंतà¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ हो जाते हैं। यहां के लोग, उनका वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, यहां की संसà¥à¤•ृति, लोक गीत, लोक-नृतà¥à¤¯, पहनावे, उतà¥à¤¸à¤µ à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤¸à¤¾ आकरà¥à¤·à¤£ है कि देशी-विदेशी परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•, फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤°, लेखक, फिलà¥à¤®à¤•ार, कलाकर, वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€ सà¤à¥€ यहां खिंचे चले आते हैं। शिशोदिया राजवंश के महाराणा उदय सिंह (1433-68) ने पिछौला à¤à¥€à¤² के तट पर अपनी राजधानी बनाई जिसे उदयपà¥à¤° नाम दिया गया।
शानदार बाग-बगीचे, à¤à¥€à¤²à¥‡à¤‚, संगमरमर के महल, हवेलियां आदि इस शहर की शान में चार चांद लगाते हैं। अरावली की पहाड़ियों से घीरे और पांच मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ के इस शहर को देखने या घà¥à¤®à¤¨à¥‡-फिरने का à¤à¤• अलग ही रोमांच है.
उदयपà¥à¤° के दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में सिटी पैलेस का à¤à¤• विशेष आकरà¥à¤·à¤£ है इसके अतिरिकà¥à¤¤ सिटी पैलेस के नजदीक ही à¤à¤µà¥à¤¯ जगदीश मंदिर à¤à¥€ है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ फतेह सागर à¤à¥€à¤², कृषà¥à¤£à¤¾ विलास, दूध तलाई, सजà¥à¤œà¤¨ निवास, गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग, जग मंदिर, सजà¥à¤œà¤¨à¤—ढ़ महल, शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ अनेकानेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अपना अपना विशेष महतà¥à¤¤à¥à¤µ लिठहà¥à¤ हैं.
यातà¥à¤°à¤¾ में अंतिम समय पर होने वाली परेशानी से बचने के लिठसमय रहते ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ की सीटà¥à¤¸ रिज़रà¥à¤µ करवा लेने पर अनà¥à¤¯ औपचारिकताओ को पूरा करने में कब यातà¥à¤°à¤¾ का दिन आ गया पता ही नहीं चला. यातà¥à¤°à¤¾ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और उमंग से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ परिजनो के साथ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ समय पर DELHI सराय रोहिलà¥à¤²à¤¾ रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š कर अपने गंतवà¥à¤¯ पर पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ के लिठमेवार à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ में सवार होकर टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ के चलने कि पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करने लगे. टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कि सिटी सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही बचà¥à¤šà¥‡ चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगे टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ चल पड़ी, टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ चल पड़ी खूब सारी मसà¥à¤¤à¥€ और हो – हलà¥à¤²à¤¾ करते-करते बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤•-à¤à¤• करके अपनी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में डूबने के लिठसोने लगे. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ ने अपने लिठऊपर वाली सीट को चà¥à¤¨ और नीचे वाली विंडो सीट पर मैं à¤à¥€ सोने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने लगा पर यातà¥à¤°à¤¾ में नींद आना इतना आसान थोड़े ही होता है. बार बार विंडो से à¤à¤¾à¤‚कते हà¥à¤ आने जाने वाले सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ को निहारते हà¥à¤ कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला. सà¥à¤¬à¤¹ लगà¤à¤— साढ़े छह बजे नींद खà¥à¤²à¥€.
बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ नींद से उठकर नयी जगह पर उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से चलती टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से पेड़, पहाड़, नदी-नाले और पà¥à¤²à¥‹à¤‚ को देखकर रोमांचित होने लगे. जैसे-जैसे टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ आगे चलती जा रही थी वैसे ही सà¤à¥€ का उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥€ और अधिक बढ़ता जा रहा था. उदयपर सिटी से पहले महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर कà¥à¤› देर के लिठटà¥à¤°à¥ˆà¤¨ रà¥à¤•ी, टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ से बहार निकलकर देखा तो बारिश कि रिमà¤à¤¿à¤® और ठंडी हवा से सिहरन सी दौड़ उठी. धीरे-धीरे रिमà¤à¤¿à¤® तेज बारिश मैं बदल गयी. उदयपर सिटी रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š कर कà¥à¤› बारिश कम हà¥à¤ˆ और हलकी-हलकी बूंदाबांदी में सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से बाहर निकल कर घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़-नीति पर चलते हà¥à¤ ऑटो रिकà¥à¤¶à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गणगौर घाट पर पहà¥à¤š कर सबसे पहले à¤à¤• कमरा बà¥à¤• करके सामान सहित होटल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया बारिश अà¤à¥€ à¤à¥€ अपना रंग दिखा रही थी. कहीं बारिश के कारण घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के रंग में à¤à¤‚ग न पड़े ये सोचकर थोड़ी चिंता होने लगी. चलो जो à¤à¥€ हो अब घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ तो करना ही है चाहें बारिश कि रिमà¤à¤¿à¤® में ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो. जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ अपने दैनिकचरà¥à¤¯à¤¾ का निवृतà¥à¤¤ हो, नहा-धोकर सà¤à¥€ आगे की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का आनंद उठाने के लिठतैयार हो गà¤. उदयपà¥à¤° में घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का शà¥à¤à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ जगदीश मंदिर से करना ही उचित है, होटल से कà¥à¤› कदमों कि दूरी पर ही जगदीश मंदिर है. बारिश कि बूंदाबांदी में चलते-चलते जगदीश मनà¥à¤¦à¤¿à¤° पहà¥à¤‚चे तो आरती में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गया] पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¦ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर और à¤à¤—वन जगदीशà¥à¤µà¤° के दरà¥à¤¶à¤¨ कर मंगलमय यातà¥à¤°à¤¾ की कामना की.
जगदीश मंदिर से बाहर आकर पास ही सिटी पैलेस का मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° दिखाई दिया. उदयपà¥à¤° का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आकरà¥à¤·à¤£ अपनी और आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर रहा था पर पहले कà¥à¤› नाशà¥à¤¤à¤¾-पानी कर लिया जाà¤. पास ही कि दूकान में चाय के साथ उदयपà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ मिरà¥à¤šà¥€-वडा और अनà¥à¤¯ सामगà¥à¤°à¥€ से नाशà¥à¤¤à¥‡ का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†. इसके बाद अब सिटी पैलेस कि और अपने आप ही कदम चल पड़े. सिटी पैलेस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के लिठटिकट कि ओपचारिकता पूरी करके पैलेस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया.

सिटी पैलेस, उदयपà¥à¤° का मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
सिटी पैलेस, उदयपà¥à¤° में जितना कà¥à¤› देखने समà¤à¤¨à¥‡ के लिठहै उसका वरà¥à¤£à¤¨ सहज नहीं हो सकता. सिटी पैलेस संगà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ में पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ असà¥à¤¤à¥à¤°-शासà¥à¤¤à¥à¤°, वसà¥à¤¤à¥à¤°-आà¤à¥‚षण, राजसी रहन-सहन, वादà¥à¤¯-नृतà¥à¤¯ सामगà¥à¤°à¥€, कला-कौशल, मेवाड़ शैली के मनमोहक चितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨, और à¤à¥€ बहà¥à¤¤-बहà¥à¤¤ कà¥à¤›.

सिटी पैलेस, उदयपà¥à¤° में चांदी से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ राजसी विवाह मंडप

सिटी पैलेस, उदयपà¥à¤° घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी में हम साथ-साथ हैं
सिटी पैलेस का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पूरà¥à¤£ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ अगले आकरà¥à¤·à¤£ गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़ जाने के लिठसिटी पैलेस से बाहर निकलते ही ऑटो तैयार खड़े थे, उनमे से ही à¤à¤• ऑटो पर सवार होकर गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बैग कि सैर पर चल पड़े. गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़ का नाम सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में तो केवल बाग़ का ही परिदृशà¥à¤¯ आà¤à¤–ों में घूमता है, पर इस बाग़ में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ो विशेषकर बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को लà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठजनà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ (zoo), टॉय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कि सवारी, à¤à¥‚ले, जलपान आदि कई अनà¥à¤¯ मनोरंजक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ हैं. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के लिठतो गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़ कि सैर बहà¥à¤¤ ही आनंददायक लग रही थी. इस समय बारिश à¤à¥€ रà¥à¤• गयी थी. लेकिन à¤à¥‚ले अà¤à¥€ à¤à¥€ गीले थे और उनके आस-पास पानी à¤à¤°à¤¾ होने के कारण बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥‚लों का पूरा मज़ा नहीं ले सके. इस कमी को टॉय टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ कि सवारी ने पूरा कर दिया. टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ में बैठे-बैठे ही पूरे बाग़ के à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के साथ ही जनà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ (zoo) देखते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‡-बड़े सà¤à¥€ रोमांचित हो उठे.

गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़, उदयपà¥à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤° के अंदर

गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़, उदयपà¥à¤° का हाथी बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का साथी

गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़, उदयपà¥à¤° पापा! जलà¥à¤¦à¥€ आओ न टà¥à¤°à¥ˆà¤¨ चलने वाली है
गà¥à¤²à¤¾à¤¬ बाग़ कि सैर के बाद हमारा अगला पड़ाव दूध तलाई नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ था. दूध तलाई उदयपà¥à¤° का à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° आकरà¥à¤·à¤£ है. दूध तलाई नाम का à¤à¤• छोटा सा ताल लेक पिछोला से सटा हà¥à¤† है. इसके आस पास का दृशà¥à¤¯ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¤¾ और मन को मोह लेने वाला है. यहाठके मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में पैदल बोट, मोटर बोट, कैमल राइड, सनसेट पॉइंट, करनी माता मंदिर, रोपवे टà¥à¤°à¤¾à¤²à¥€ आदि हैं. यहाठचारों और मनोरंजन, रोमांच और पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक सौंदरà¥à¤¯ फैला हà¥à¤† है. दिन à¤à¤° के सैर-सपाटे के बाद दूध तलाई कि ये शाम बहà¥à¤¤ ही आरामदायक लग रही थी.
दूध तलाई के मायावी आकरà¥à¤·à¤£ से निकल कर किसी और जगह जाने कि जानकारी लेने पर पता चला कि रातà¥à¤°à¤¿ का समय उदयपà¥à¤° कि बागोर कि हवेली में होने वाले राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ सांसà¥à¤•ृतिक लोक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना यातà¥à¤°à¤¾-à¤à¥à¤°à¤®à¤£ को और अधिक यादगार बना देता है. सांसà¥à¤•ृतिक लोक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ में अà¤à¥€ कà¥à¤› समय था इसलिठकà¥à¤› समय उदयपà¥à¤° की à¤à¤• दूसरी à¤à¥€à¤² फ़तेह सागर लेक पर वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना उचित लगा.

फ़तेह सागर लेक पर बारिश कि ठंडी रिमà¤à¤¿à¤® के साथ à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ कि गरà¥à¤®à¤¾à¤¹à¤Ÿ
फ़तेह सागर लेक पर बारिश की फà¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ घूमते टहलते शाम ढलने लगी, जैसे-जैसे शाम ढाल रही थी बारिश à¤à¥€ धीरे-धीरे तेज़ होती जा रही थी. रातà¥à¤°à¤¿ के समय सांसà¥à¤•ृतिक लोक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ का आनंद उठाने के लिठबागोर की हवेली आ पहà¥à¤‚चे. बारिश से बचते बचाते जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ हवेली में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया. सांसà¥à¤•ृतिक कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ के लिठनिरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आगंतà¥à¤•ों के बैठने के लिठदरियां, गदà¥à¤¦à¥‡, चटाई à¤à¤µà¤‚ चादर आदि बिछी हà¥à¤ˆ थी. अà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होने में कà¥à¤› समय बाकि था. दिन à¤à¤° की थकावट के बाद à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर बैठना काफी आरामदायक लग रहा था. कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होने से पूरà¥à¤µ ही हॉल पूरी तरह à¤à¤° चà¥à¤• था. सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® हवेली के खà¥à¤²à¥‡ चौक में ही होता है लेकिन बारिश कि वजह से आज का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ छोटे हॉल में निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ था. धीरे-धीरे राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ लोक कला संसà¥à¤•ृति के à¤à¤• के बाद à¤à¤• गीत संगीन नृतà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के बीच à¤à¤• घंटे का समय कैसे वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हो गया पता ही नहीं चला. पूरे कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® का बचà¥à¤šà¥‡ और बड़े सà¤à¥€ ने खूब आनंद उठाया.

बागोर की हवेली के लोक कलाकारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ लोकनृतà¥à¤¯
कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® के समापन पर हॉल से चौक में बाहर निकले तो पूरे चौक में à¤à¤• से डेढ़ फीट तक बारिश का पानी à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था. पानी में पैर रखते ही बारिश के ठनà¥à¤¡à¥‡ पानी ने पूरे शरीर में सिहरन सी लहरा दी. हवेली से बाहर लेक पिछोला पर कà¥à¤› देर रà¥à¤• कर रातà¥à¤°à¤¿ के खाने के बाद टहलते हà¥à¤ रातà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤°à¤¾à¤® के लिठहोटल में आ पहà¥à¤‚चे. अगले दिन की घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और पूरे दिन की थकान के बाद सà¤à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ सोने की तैयारी करने लगे.
उदयपà¥à¤° में दूसरा दिन :
पहले दिन की अपनी सफल घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी के लिठà¤à¤—वन का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करते हà¥à¤ और आज के दिन की शà¥à¤ यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ की कामना के साथ यातà¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी के दरà¥à¤¶à¤¨ से करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया. जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ अपने दैनिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से निवृतà¥à¤¤ होकर सà¤à¥€ à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी के दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठतैयार हो गà¤. होटल से निकल कर सà¥à¤¬à¤¹ का नाशà¥à¤¤à¤¾ कर कैलाशपà¥à¤°à¥€ जाने के लिठउदयपà¥à¤° बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कैलाशपà¥à¤°à¥€ के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया. आज बारिश तो नहीं हो रही, बादलों के होने से घूमने के लिठअचà¥à¤›à¤¾ वातावरण बना हà¥à¤† था. à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी मंदिर परिसर कैलाशपà¥à¤°à¥€ गांव (उदयपà¥à¤° से लगà¤à¤— 23-24 किलोमीटर) में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। उदयपà¥à¤° से यहां जाने के लिठबसें मिलती हैं। à¤à¤•लिंगजी को शिव का ही à¤à¤• रà¥à¤ª माना जाता है। इस परिसर में छोटे-बड़े कà¥à¤² 108 मंदिर हैं। मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤ मंदिर में à¤à¤•लिंगजी की चार सिरों वाली मूरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी मंदिर परिसर में फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¥€ निषेध है इसलिठमंदिर के दà¥à¤µà¤¾à¤° का ही फ़ोटो ले सके.

à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी मंदिर का मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
à¤à¤—वन à¤à¤•लिंगजी के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद उदयपà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गरमा-गरम मिरà¥à¤šà¥€ वडे का आनंद बड़ा ही अदà¥à¤à¥à¤¤ था. कैलाशपà¥à¤°à¥€ बस सà¥à¤Ÿà¥ˆà¤‚ड से बस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वापिस उदयपà¥à¤° पहà¥à¤à¤šà¤•र अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ दरà¥à¤¶à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया. जैसा कि शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® नाम से ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ जीवनशैली को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ है. शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनेक राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, à¤à¤¾à¤°à¤–णà¥à¤¡, छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़, गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤, गोआ, महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾ आदि अनेक सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• घरों को संगृहीत किया गया है. इनमें मिटटी के कचà¥à¤šà¥‡ घर, लकड़ी, घास-फूस, ईंट आदि अनà¥à¤¯ अनेक निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सामगà¥à¤°à¥€ से बने हà¥à¤ घरों को संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया गया है. यहाठआकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ जीवन-शैली के जीवंत दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं.
अनेक गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ लोक कलाकारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लोक गीत-संगीत के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®, कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ का खेल, पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• वसà¥à¤¤à¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£, मिटटी के बरà¥à¤¤à¤¨ आदि अनेकानेक जीवनोपयोगी सामगà¥à¤°à¥€ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को à¤à¥€ यहाठदेखा जा सकता है. यहाठपर गोल संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ नामक संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ में गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°, वेश-à¤à¥‚षा, आà¤à¥‚षण, बरà¥à¤¤à¤¨, चितà¥à¤°à¤•ला, शासà¥à¤¤à¥à¤°, कृषि उपयोगी यनà¥à¤¤à¥à¤°, औजार आदि अनेक गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥à¤¯ जीवन में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ काम में आनेवाली अनेक सामगà¥à¤°à¥€à¤“ं को बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया गया है. विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कि शैली में बने हà¥à¤ घरों के अंदर जाकर उनकी साज-सजà¥à¤œà¤¾ à¤à¤µà¤‚ घरों के अंदर राखी सामगà¥à¤°à¥€ को à¤à¥€ देखने का अनà¥à¤à¤µ à¤à¤• ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर करने का अनूठा विशिषà¥à¤Ÿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤®.
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥‚ले और ऊà¤à¤Ÿ कि सवारी रोमांचित करती है. शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® में आकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥à¤¯ जीवन शैली को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करके मन पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ हो उठता है.

शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® में हाथ से बनने वाली रेशमी साड़ी कि निरà¥à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ à¤à¤• कारीगर

शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤®, मिटटी के बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ की à¤à¤• दूकान
शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® की यादों को अपने मन में सहेज कर à¤à¤• अनà¥à¤¯ परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ आकरà¥à¤·à¤£ सहेलियों की बाड़ी के मनोहारी दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने सारी थकान को मिटा दिया. यहाठआकर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• अपने-आप को तरो-ताज़ा अनà¥à¤à¤µ करते हैं. उदयपà¥à¤° में सहेलियों की बाड़ी नामक यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° और चितà¥à¤¤à¤¾à¤•रà¥à¤·à¤£ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ (बाग़) है. इस बाग़ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से राज परिवार की महिलाओं के मनोरंजन के लिठकरवाया गया था.
सà¥à¤‚दर फूलों की कà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤, बाग़ के चारों तरफ़ काले संगमरमर की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤, कमल के फूलों के तालाब, चारों और पानी का फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से गिरता पानी बारिश के मौसम का आà¤à¤¾à¤¸ करा देता है. इस उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ यहाठके फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ से मंगवाया गया था। यहाठआकर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• यही अनà¥à¤à¤µ करते हैं जैसे किसी परीलोक में आ गठहों. चारों तरफ सब कà¥à¤› सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, आकरà¥à¤·à¤•, मनोहारी और आनंदायक.

‘सहेलियों की बाड़ी’ उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£
धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था. अà¤à¥€ शाम होने में समय बाकी था, आज शाम को ही दिलà¥à¤²à¥€ वापसी के लिठटà¥à¤°à¥‡à¤¨ à¤à¥€ लेनी थी इसलिठअनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ कि और जाना अब समà¥à¤à¤µ नहीं था. पूरे यातà¥à¤°à¤¾ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ में दूध तलाई ने काफी पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया था. होटल कि और जाने से पहले इसलिठबचे हà¥à¤ समय को दूध तलाई पर वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करके होटल से अपना सामन लेने के बाद. उदयपà¥à¤° के यातà¥à¤°à¤¾-à¤à¥à¤°à¤®à¤£ के मीठे सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥€ अनà¥à¤à¤µ हमारे कैमरे और मन में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हो गà¤. रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š कर उदयपà¥à¤° को शà¥à¤à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¿ कहा ओर धीरे धीरे गाडी चल पड़ी उदयपà¥à¤° को छोड़कर दिलà¥à¤²à¥€ की ओर.







Dear Mr. Munesh Mishra,
Welcome to Ghumakkar. The post was superb and your writing style ….Masha allah. So ghumakkar have got one more Hindi writer. Keep traveling Keep writing.
Thanks.
Thank your very much Mukesh ji for reading my post and commenting. Comments of authors like you will encouraging me to more ghumakkari and more writing.
मुनेश जी,
इस पोस्ट को आप थोड़ा और विस्तार देकर दो भागों की एक श्रंखला के रूप में लिख सकते थे। एकलिंग जी के बाद थोड़ा सा और आगे निकल जाते तो आपको भगवान श्रीनाथ के दर्शन भी हो जाते।
लेख को और अधिक रोचक बनाने एवं अन्य स्थानों की ओर ध्यानाकर्षण के लिए मुकेश जी आपका बहुत धन्यवाद!
आप जैसे लेखकों का मार्गदर्शन आगे के लेखों को अलंकृत करने में सहालयक होगा इसी आशा के साथ सुझावों का सदा स्वागत है.
Dear Munesh,
Welcome on Ghumakkar.
Nice Post. Keep traveling and keep writing..
Thank you very much!
Hi Munesh
निश्चित तौर पर राजस्थान पिछले कुछ समय में पर्यटकों में काफी लोकप्रिय हो चुका है, और आपका यात्रा वृत्रांत भी उसी कड़ी को आगे बड़ाते हुये इसी की पुष्टि करता है ।
घुमक्कड़ पर आपके स्वागत के साथ आपकी रचना के लिये धन्यवाद।
प्रिय मित्र अवतार सिंह जी !
सबसे पहले आपको परिवार सहित लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनाये. पोस्ट पर कमेंट करने के लिए धन्यवाद. जैसा कि कहा जाता है कि भारत की आत्मा गावों में बस्ती है. भारत को जानने के लिए राजस्थानों के ग्राम्य जीवन को उजागर करने वाले उदयपुर एवं अन्य स्थानो के पर्यटकों में लोकप्रिय होने का शायद यह भी एक कारण हो.
धन्यवाद.
Welcome aboard Munesh. It seems Udaipur is a hot destinations since there are so many logs on this great city here. I was also there during end of 2013 and we stayed near Gangour heart only, mostly spending our time walking up-and-down the old bylanes like hippies.
While looking at photos, I noticed that for the ‘Fateh Sagar’ boat-do you are in two different shirts, the reason for which was clear as I learnt that you indeed went for a 2nd run.
Wishes and look forward for a longer associations.
Dear Friend
Nandan Jha ji wishing you a very happy Lohri and Makar Sankranti.
Thank you for commenting my post and interest shown on photos, your sharp view noticed on my shirt great sir. First day we did not boating on Fateh Sagar, we enjoyed boating on second day at returning.
thank you again.
Wishing you, your family and team ghumakkar very happy Lohri and Makar Sankranti.
Hi Munesh,
Welcome to Ghumakkar with a lovely first post!
Udaipur is a great place to start. It is apparent that your family had a wonderful time there.
Hope to visit the city soon.
Keep writing!
Thank you Nirdesh Singh ji for liking and commenting my first post.
I hope you will soon visit to Udaipur and share your experience with us. Udaipur is a wonderful place for ghumakkari.
Muneesh Ji, welcome aboard with a post on this marvellous city. Even my first post was on this city only. You have refreshed our memories.
Thank you,
Rakesh ji.
One who visit this magical city Udaipur, can never forget the memories and Experience.