
टिहरी à¤à¥€à¤²
शाम में हम टिहरी से वापस चमà¥à¤¬à¤¾ आ गठ| पहाड़ियों के बीच से निकलती बस à¤à¤• और ढलती शाम का खूबसूरत का नज़ारा पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रही थी | अपनी चमà¥à¤¬à¤¾ में तीसरी और आखिरी रातà¥à¤°à¤¿ विशà¥à¤°à¤¾à¤® का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® थे | तीन दिनों में चमà¥à¤¬à¤¾ से à¤à¤• लगाव सा हो गया था | काफी रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से हम परिचित हो चà¥à¤•े थे और वहां के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ में ढल à¤à¥€ चà¥à¤•े थे | जब हम चमà¥à¤¬à¤¾ पहà¥à¤šà¥‡ तो बचà¥à¤šà¥‡ हमारा इंतज़ार कर रहे थे | फà¥à¤°à¥‡à¤¶ होकर हम खेलने के लिठआ पहà¥à¤‚चे | बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ खेलने में बचà¥à¤šà¥‡ बन गये और दिन à¤à¤° की थकान का आà¤à¤¾à¤· à¤à¥€ नहीं रहा | मेरी पतà¥à¤¨à¥€ रूचि à¤à¥€ आज खेलने में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रूचि ले रही थी | खेल का मैदान था होटल के पीछे की वह जगह जहाठसे पूरी वैली का दृशà¥à¤¯ मिलता है | हम लोग खेलने में à¤à¤¸à¥‡ लगे की उनके साथ कोई फोटो à¤à¥€ ना ले पाठ| वहां पर सà¥à¤•ूल के कà¥à¤› यà¥à¤µà¤¾ बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ आये जिनके आने के थोड़ी देर बाद उसी उमà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤— की कà¥à¤› लड़कियां à¤à¥€ आई | दोनों समूह दो किनारे पर खड़े थे और हम बचà¥à¤šà¥‹ के साथ मधà¥à¤¯ में अपने अनà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥€, अनà¥à¤µà¤¾à¤¦, चिड़िया-उड़ जैसे खेलों को अंजाम दे रहे थे पर साथ ही साथ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का आकलन à¤à¥€ जारी था | पूरा समूह à¤à¤• लड़के को पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ कर रहे थे और वैसा ही नज़ारा दूसरी तरफ à¤à¥€ था परनà¥à¤¤à¥ दोनों लड़के – लड़की केवल मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾-शरमा रहे थे | मà¥à¤à¥‡ अतैव आनंद आ रहा था और अपने वो बेहतरीन दिन याद आ रहे थे जब हम à¤à¥€ ये दोनों रोल (पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करने का और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होने का) निà¤à¤¾ चà¥à¤•े थे | मà¥à¤à¥‡ लगता है जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग इस दौर से गà¥à¤œà¤°à¥‡ होंगे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसके शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ से अंत तक के सफ़र का बेहतर अंदाजा होगा ही |

ढलती शाम का नज़ारा
शाम अपनी गति से ढलती रही और सूरज अपनी गति से | हम लोगों ने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ मिल के के नठपà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ कई गीत गाये | वो नठगाने गाते तो मैं किशोर दा या रफ़ी साहब के नगमे गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤¾ | कà¤à¥€ कà¤à¥€ मैंने न उनके गाने सà¥à¤¨à¥‡ होते और न ही वो हमारे | बचà¥à¤šà¥‡ अपने अपने घर चले गये | धीरे धीरे रात हो आई और पहाड़ों के ऊपर तारे टिमटिमाने लगे | हवा तेज चल रही थी और ठणà¥à¤¡ कपड़ों के चीर कर तà¥à¤µà¤šà¤¾ को छू रही थी जिससे थोड़ी थोड़ी देर में à¤à¤• तेज सिहरन का आà¤à¤¾à¤¸ हो जाता था | à¤à¤¸à¥‡ में पतà¥à¤¨à¥€ जी ने तà¥à¤°à¤‚त अनà¥à¤¦à¤° चलने की बात कही | हम लोग वापस अपने रूम में आये | टिहरी में दिन à¤à¤° की पद-यातà¥à¤°à¤¾ से हम पूरी तरह थक चà¥à¤•े थे | अब बस à¤à¤• अचà¥à¤›à¥€ नीद की आवशà¥à¤¯à¤•ता महसूस हो रही थी | वैसे à¤à¥€ हम शाम में केवल लिकà¥à¤µà¤¿à¤¡ ही लेते हैं इसलिठà¤à¥‹à¤œà¤¨ की उतनी जरà¥à¤°à¤¤ नहीं थी | परनà¥à¤¤à¥ पतà¥à¤¨à¥€ जी ने इसे à¤à¤• लोकल फ़ूड टेसà¥à¤Ÿ कर पाने के मौके की तरह देखा | उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ होटल के कà¥à¤• में लोकल टेसà¥à¤Ÿ दिख चूका था जिसने पिछली रात बेहतरीन à¤à¤— करी का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया था | फिर कà¥à¤¯à¤¾ था मेरे ऊपर जोर डाला गया की मैं जाकर इतनी ठणà¥à¤¡ में कà¥à¤• को पास वाले सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« कà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° से बà¥à¤²à¤¾ कर डिनर की इचà¥à¤›à¤¾ जाहिर करूठ| मैंने जाकर बà¥à¤¦à¥à¤§ का मधà¥à¤¯à¤® मारà¥à¤— अपनाया | मैंने उससे कहा की मà¥à¤à¥‡ कोई à¤à¥‚ख नहीं है लेकिन मेरी पतà¥à¤¨à¥€ जी को à¤à¥‚ख लगी है तो अब à¤à¤• लोग के लिठआप खाना कà¥à¤¯à¤¾ बनायेंगे; आप à¤à¤¸à¤¾ करिठकी आपके घर में जो कोई à¤à¥€ सबà¥à¤œà¥€ हो उसे दो रोटी के साथ दे दीजिये | मेरे सलाह पर वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ राजी हो गया | मैंने अनà¥à¤¦à¤° जाकर जब यह सारा वाकया इस तरह बताया की यह पà¥à¤°à¤ªà¥‹à¤œà¤² उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का ही था | आशा के विपरीत पतà¥à¤¨à¥€ जी बहà¥à¤¤ खà¥à¤¶ हà¥à¤ˆ और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• और लोकल टेसà¥à¤Ÿ और घर के खाने के लिठबेसबà¥à¤°à¥€ से इंतज़ार करने लगी | मà¥à¤à¥‡ नीद आ रही थी पर जब मैं लेटने गया तो नीद गायब थी | थोड़ी देर कà¥à¤› बातें हà¥à¤ˆ और वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सबà¥à¤œà¥€ और चार रोटी देकर चला गया | मैंने दो रोटी अपने हिसà¥à¤¸à¥‡ की मान के खाने बैठगया | सबà¥à¤œà¥€ कंकोड़े (सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नाम) की थी | बिलकà¥à¤² फà¥à¤°à¥‡à¤¶ और टेसà¥à¤Ÿà¥€ | खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹ के दिनोदिन गिरते गà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ में à¤à¤• साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¥€ मिटटी और हवा के बीच उगी सबà¥à¤œà¥€ का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ तो निशà¥à¤šà¤¯ ही बेहतर होगा | खाने के बाद न जाने कब नींद आ गई पता à¤à¥€ न चला |
सà¥à¤¬à¤¹ हमें धनोलà¥à¤Ÿà¥€ के लिठनिकलना था | आशा के अनà¥à¤°à¥‚प पतà¥à¤¨à¥€ जी ने बà¥à¤°à¥‡à¤•फासà¥à¤Ÿ होटल में ही करने की इचà¥à¤›à¤¾ जाहिर की | मेरा à¤à¥€ मन था की यहाठकी à¤à¤• और डिश का आनंद लिया जाये | इस बार मेनà¥à¤¯à¥ पर पà¥à¤¨à¤ƒ नज़र डाली गई और फाइनली उंगली वेज-बिरयानी पर आकर रà¥à¤•ी | हम लोग गरम पानी ने नहा धो के तैयार हो गये और होटल के बाहर कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€à¤¯à¤¾ लगाकर बैठगये | मैंने रोज की तरह की अपना पॉकेट रेडियो ओन किया और विविधà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ ‘देश की सà¥à¤°à¥€à¤²à¥€ धड़कन’ टà¥à¤¯à¥‚न किया | ‘गाने नये जमाने के’ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में à¤à¥€ à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ गाना आ रहा था | रेडियो पर गाने सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ मà¥à¤à¥‡ बहà¥à¤¤ पसंद है | à¤à¤• लोकल चैनल पर कोई लोकगीत टà¥à¤¯à¥‚न किया जिसकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ हमें पूरी समठमें नहीं आ रही थी पर संगीत काबिले तारीफ था | à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤• बार फिर से सूरज à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† चीड़ के पेड़ों के बीच से निकल रहा था | दूर दूर तक शानà¥à¤¤à¤¿ थी और हवा की सरसराहट कानों में गूà¤à¤œ रही थी | à¤à¤¸à¥‡ में हमने वेज बिरयानी का आनंद उठाया जो पà¥à¤¨à¤ƒ बेहतरीन बनी थी |

बेहतरीन वेज बिरयानी
हम लोग सामान लेकर चमà¥à¤¬à¤¾ मारà¥à¤•ेट की आये | वहां से अमरà¥à¤¦ खरीदा और मसूरी की लगी बस में जाकर बैठगये | थोड़ी ही देर में बस चल दी | बसचालक बहà¥à¤¤ ही तेज चला रहा था | कई मोड़ पर तो मà¥à¤à¥‡ लगा की बस अब फिसली | पर आसपास के लोगों ने बताया की डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤Ÿ है और बीस साल से इसी रूट पर चला रहा है सो उसे रोड का à¤à¤• à¤à¤• इंच का अंदाजा है | मà¥à¤à¥‡ वरà¥à¤£à¤¨ में अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ नज़र आई पर कर à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ सकते थे | जलà¥à¤¦ ही à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• यातà¥à¤°à¤¾ का अंत हà¥à¤† और बस TRH धनौलà¥à¤Ÿà¥€ के गेट के सामने रà¥à¤•ी | मà¥à¤à¥‡ TRH धनौलà¥à¤Ÿà¥€ काफी बड़ा और नया बना हà¥à¤† मालूम दिया | हमने वहां इकॉनमी बà¥à¤•िंग की थी पर उसने हमें डीलकà¥à¤¸ रूम दे दिया | हम अपने रूम में सामान पटक कर वापस बाहर आ गये और होटल के रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में बैठकर चाय की चà¥à¤¸à¥à¤•ियों का आनंद लिया | ‘धनौलà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤•ोपारà¥à¤•’ TRH धनौलà¥à¤Ÿà¥€ के बिलकà¥à¤² बगल में ही है |

ईको पारà¥à¤•
धनौलà¥à¤Ÿà¥€ देवदार के पेड़ों के बीच बसा हà¥à¤† है | इस छोटे से हिल सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ के हर ओर के विहंगम दृशà¥à¤¯ आपके मन को निशà¥à¤šà¤¯ ही मोह लेंगे है | पूरा पारà¥à¤• देवदार के पेड़ों से आचà¥à¤›à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ है जिसके बीच से चलने के लिठलकड़ी से रासà¥à¤¤à¥‡ बनाये गये हैं | हम लोग उन टेढ़े मेढ़े रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ से होते हà¥à¤ आगे बढ़ने लगे और साथ ही साथ आने वाले हर à¤à¤• मनमोहक दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का आनंद उठाते रहे |

दूर गगन की छांव में
बीच बीच में मानव निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¥‚लों की à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी (कà¥à¤¯à¥à¤•ी बिना इनके किसी को पारà¥à¤• की फील ही नहीं आती है ) जिसका न मà¥à¤à¥‡ कोई इचà¥à¤›à¤¾ थी और न ही समय | मैं तो पà¥à¤°à¤•ृति के साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª के दरà¥à¤¶à¤¨ में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ था | मन करता था हर तरफ के दृशà¥à¤¯ को किसी तरह आखों में हमेशा के लिठउतार लिया जाये |
हर कदम à¤à¤• नया दृशà¥à¤¯ देता था और à¤à¤• नया उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ à¤à¥€ की आगे कà¥à¤¯à¤¾ होगा | मन को संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मैं धीमे धीमे ही चल रहा था | हमारे पास पूरा दिन था ईको पारà¥à¤• के लिठ| फोटो सेशन का à¤à¤• दौर चला जिसमे मैंने à¤à¤• à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¤°à¥à¤Ÿ फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤° की तरह अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ करते हà¥à¤ पतà¥à¤¨à¥€ जी के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पोज में पिकà¥à¤šà¤° ली जिसको वो हमेशा की तरह लेने के तà¥à¤°à¤‚त बाद ही देखने को आतà¥à¤° हो जाती हैं और हमेशा की तरह हम à¤à¥€ उसे बाद में दिखाने की बात करते हà¥à¤ अगले पिकà¥à¤šà¤° की à¤à¥‚मिका बनाने लगता था | यह कई बार हो चूका है पर अकà¥à¤¸à¤° होता है और शायद होता à¤à¥€ रहेगा | खैर मà¥à¤à¥‡ इसका होना अचà¥à¤›à¤¾ लगता है |

अटका हà¥à¤† बादल
कà¥à¤› ही समय में à¤à¤• सपाट सा मैदान जैसा दिखा | जहाठपर कà¥à¤› लोग बैठे हà¥à¤ थे | धूप à¤à¤¸à¥€ थी की वो थोड़ी गरà¥à¤®à¥€ कर रही थी पर साथ ही चलती हवा ठणà¥à¤¡ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ à¤à¥€ दिठहà¥à¤ थी | ठणà¥à¤¡ मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ गरà¥à¤®à¥€ मौजने के लिठबेसà¥à¤Ÿ होती है और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमेशा इसका इंतज़ार करते रहते हैं | मैदान के आगे घाटी थी जिसके मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर कà¥à¤› परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• धनौलà¥à¤Ÿà¥€ के बेहतरीन मौसम और पà¥à¤°à¤•ृति की छटा निहार रहे थे |
हमने à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चिनà¥à¤¹à¤¿à¤¤ किया और वहीठपर विराजमान हो गये | पूरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अचà¥à¤›à¥€ घास बीछी हà¥à¤ˆ है | दूर से देखने पर लगता है की मानो हरी कालीन सजाई गई हो | जब हर जगह अचà¥à¤›à¥€ घास हो तो बैठने का जगह ढूढने में à¤à¤• दो बार निशà¥à¤šà¤¯ करके टालना पड़ता है कà¥à¤¯à¥à¤•ी जैसे ही आप बैठने का सोचते हैं à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ होता है की आगे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अचà¥à¤›à¥€ घास है | à¤à¤• दो बार à¤à¤¸à¤¾ करने पर समूह में से ही कोई या फिर आपका मन ही ये कहता है की चलो छोडो बैठते हैं à¤à¤• जगह | इसी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के तहत हमने à¤à¥€ à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ढूढा |

चयनित सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का छायांकन
मैंने बैकगà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤‚ड में रेडियो को धीमी आवाज में टà¥à¤¯à¥‚न कर दिया | रेडियो के गाने में सबसे अचà¥à¤›à¥€ बात ये होती है की अगला आने वाला गाना कोई à¤à¥€ हो सकता है और यही मेरे रूचि को बनाये रखता है |

देवदार के वृकà¥à¤·
हम लोगों के पास पूरा दिन था | सà¥à¤°à¤•ंडा देवी और कानातल का पà¥à¤²à¤¾à¤¨ अगले दिन पर टाल दिया गया था | वहीठघास पर दो तीन घंटे लेटे रहे | मूंगफलियों का दौर चला | चमà¥à¤¬à¤¾ से लिठअमरà¥à¤¦ का रसà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¨ किया गया | घास पर लेटे नीले आकाश को देखना और विशेषकर तब जब वह आकाश परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ घाटियों में आकर ख़तà¥à¤® होता हो | à¤à¤¸à¤¾ महसूस होता है जैसे पहाड़ों से घिरे घाटी के मधà¥à¤¯ मैं लेटा हूठऔर नीला आकाश पहाड़ों पर टिका छत बना हà¥à¤† है |
मैंने अपनी कॉपी पेन निकाल कर कविता रचना à¤à¥€ की जिसका à¤à¤¾à¤µ सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ जाग उठता है | इसी बीच पतà¥à¤¨à¥€ जी ने à¤à¤• आनंददायक नींद à¤à¥€ ले ली | हम बैठकर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ का आनंद उठा रहे थे तो वहीठपर कà¥à¤› लोग अपने खेतों में काम à¤à¥€ कर रहे थे | इसी à¤à¤¾à¤µ पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ कविता का सृजन हो रहा था जिसकी à¤à¤• पंकà¥à¤¤à¤¿ है “घडी à¤à¤• सी रहती सबकी, पर वक़à¥à¤¤ अलग है सबका†| शाम हो आई तो हम लोग वहां से वापस अपने होटल आ गठ|
रात का खाना हमने TRH होटल में ही खाया जहाठचमà¥à¤¬à¤¾ वाली बात नहीं थी हालाकि खाना बेहतर था | चमà¥à¤¬à¤¾ में हम अकेले ठहरे थे तो à¤à¤• हमारी ही इचà¥à¤›à¤¾ पर खाना पकाया जाता था वो अलग फील थी यहाठनारà¥à¤®à¤² रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट वाली फील थी | हमने दाल फà¥à¤°à¤¾à¤ˆ और à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¡à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ खाया जिसमे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¡à¥€ की सबà¥à¤œà¥€ अलग तरीके से मनाई गई थी जिसकी तकनीक जानने के लिठपतà¥à¤¨à¥€ जी उतà¥à¤¸à¥à¤• दिखी |

कानà¥à¤¤à¤¾à¤² का à¤à¤• वà¥à¤¯à¥‚
अगले दिन सà¥à¤¬à¤¹ हम कानाताल के लिठनिकले | जिससे à¤à¥€ पूछा उसने बोला वहाठकà¥à¤› नहीं है वहां केवल लोग कà¥à¤²à¤¬ महिंदà¥à¤°à¤¾ के होटल के लिठजाते हैं | फिर à¤à¥€ हमने सोचा चलो चलके देखते हैं | कानà¥à¤¤à¤¾à¤² पहà¥à¤šà¤•र पता चला वहां कैमà¥à¤ªà¤¿à¤‚ग की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ उपलबà¥à¤§ थी जिसका आनंद लिया जा सकता था | कानà¥à¤¤à¤¾à¤² में और कà¥à¤› देखने लायक नहीं था |
हमने वहां à¤à¤• छोटी दà¥à¤•ान पर रà¥à¤•े जिसके सामने कैरम बोरà¥à¤¡ हो रहा था | दो बेहतरीन खिलाडी बेहतरीन खेल रहे थे | मैंने सोचा हमारे देश में कितने टैलेंट बिखरे पड़े हैं इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहचानने वाला कोई नहीं है | इतनी दूर यहाठइस घाटी में ये दो कितना बढ़िया खेल खेल रहे हैं | अब देखने की बात है उनके पास सà¥à¤•िल इंडिया कब तक पहà¥à¤šà¤¤à¤¾ है |

परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ में लगती बाजी
वहीठहमने आधे घंटे खेल का लà¥à¤¤à¥à¤«à¤¼ उठाया और बस का इंतज़ार किया और बस से कदà¥à¤¦à¥‚खाल पहà¥à¤šà¥‡ | कदà¥à¤¦à¥à¤–ाल वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जहाठसे सà¥à¤°à¤•à¥à¤‚डा देवी की टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग की जाती है | चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚ करने पर ही हमें लाल रंग के फूलों की खेती दिखी | जो हमारे तरफ मà¥à¤°à¥à¤—ीकेश के फूलों जैसे लग रहे थे | ऊपर जाने पर यही हमारे उंचाई मापने का आधार बना | आप à¤à¥€ आगे के पिकà¥à¤¸ में इसी लाल रंग के फूलों से हमारे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चढाई में किये गये मेहनत का अंदाजा लगा सकते हैं |

लाल रंग के पà¥à¤·à¥à¤ª
पूरी यातà¥à¤°à¤¾ का सबसे मजेदार यही दौर था | लगà¤à¤— 3km की चढाई शà¥à¤°à¥‚ की हमने | चढाई के साथ ही साथ दृशà¥à¤¯ बदलने लगा | जहाठनीचे अचà¥à¤›à¥€ खासी धूप थी ऊपर जाते जाते धूप जाती रही और बादल आस पास से तिरने लगे |

चढाई के बीच में
मौसम धीरे धीरे ठंडा हो चला और नीचे घटी का वà¥à¤¯à¥‚ और अचà¥à¤›à¤¾ मिलने लगा | मैं रासà¥à¤¤à¥‡ पर कम और आस पास के दृशà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिठहà¥à¤ थे | मैंने अपने मधà¥à¤° कंठसे चलो बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आया है और शिरडी वाले साईं बाबा जैसे गीतों का गायन à¤à¥€ किया |

नीचे सड़क से सà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ हà¥à¤ˆ थी
चढाई के लिठखचà¥à¤šà¤° सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ à¤à¥€ थी लेकिन उसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— काफी कम लोग ही कर रहे थे | वैसे कà¥à¤² दस से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ चढ़ने वाले नहीं होंगे | मैं बीच बीच में फोटो लेने के बहाने रà¥à¤• जा रहा था और उसी में अपनी थकावट को आराम दे रहा था | पतà¥à¤¨à¥€ जी थकने पर फोटो खिचवाती नहीं हैं इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस तकनीक का फायदा नहीं मिल रहा था | लगà¤à¤— à¤à¤• घंटे के बाद हम लोग मंदिर तक पहà¥à¤š गठ| वहां बादल हमारे अगल बगल से तैर रहे थे | मैंने मंदिर का अवलोकन किया जो बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ कांसेपà¥à¤Ÿ बन बनाया हà¥à¤† लग रहा था |

मंदिर का वà¥à¤¯à¥‚

मंदिर का बैक वà¥à¤¯à¥‚
वहीठपास में हम लोग बैठे और मूंगफलियों का अंतिम दौर चला | हमने à¤à¤• किलो मूंगफली इस पूरे टà¥à¤°à¤¿à¤ª पर निपटा दी | थोड़ी देर रूकने के बाद हम वापस लौटने लगे | लौटते वक़à¥à¤¤ का नज़ारा और अचà¥à¤›à¤¾ था | लाल रंग के फूलों को देखकर हम अंदाजा लगाते की अà¤à¥€ कितना उतरना है | उतरने में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय नहीं लगता कà¥à¤¯à¥à¤•ी इस कारà¥à¤¯ में गà¥à¤°à¥‡à¤µà¤¿à¤Ÿà¥€ जी सहायता करती है | कदà¥à¤¦à¥à¤–ाल पहà¥à¤šà¤•र हम वापस धनौलà¥à¤Ÿà¥€ में अपने होटल आ गठ| अगले दिन हमारी देहरादून से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ थी | हम सà¥à¤¬à¤¹ देर से उठे और नाशà¥à¤¤à¤¾ वहीठकरके लगà¤à¤— 12 बजे तक मसूरी होते हà¥à¤ देहरादून पंहà¥à¤š गठ| देहरादून से टà¥à¤°à¥‡à¤¨ रात में 9 बजे थी और समय काफी था | हमने कà¥à¤²à¥‰à¤• रूम में सामन रखा और निकल पड़े गà¥à¤šà¥à¤šà¥à¤ªà¤¾à¤¨à¥€ के लिठ|
गà¥à¤šà¥à¤šà¥ पानी को रोबà¥à¤¬à¤°à¥à¤¸à¤•ेव के नाम से à¤à¥€ जाना जाता है | यहाठपानी का à¤à¤• सोरà¥à¤¸ है जो पहाड़ों के दरारों के बीच से बाहर आता है | पहाड़ों के बीच से होते हà¥à¤ पानी के सोरà¥à¤¸ तक जाया जा सकता है जहाठà¤à¤• छोटा सा à¤à¤°à¤¨à¤¾ à¤à¥€ है | बाहर पानी के बीच बैठकर फ़ासà¥à¤Ÿ फूडà¥à¤¸ का आनंद à¤à¥€ लिया जा सकता है | हम à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤°à¤¨à¥‡ तक होकर आये और बाहर पानी के बीच पड़े à¤à¤• पतà¥à¤¥à¤° पर बैठगठ| सà¤à¥€ लोग खाने पीने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे पर वहीठà¤à¤• छोटा बचà¥à¤šà¤¾ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आनंद उठा रहा था |
धीरे धीरे यातà¥à¤°à¤¾ अंत की ओर बढती है हम वापस आकर देहरादून से अपनी टà¥à¤°à¥‡à¤¨ पकड़ी और नेकà¥à¤¸à¥à¤Ÿ डे डेलà¥à¤¹à¥€ से शौपिंग करने के बाद शाम की आशà¥à¤°à¤® à¤à¤•à¥à¤¸à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤¸ पकड़कर अहमदाबाद आ गठ| à¤à¤• और बेहतरीन यातà¥à¤°à¤¾ समापà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ | मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में जिसकी याद जिनà¥à¤¦à¤¾ रहेगी | à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ के बीच सेटल होने वाले निरà¥à¤£à¤¯ को अंतिम मà¥à¤¹à¤° लग गई |

सूरज का अवसान
Bahut Sundar Lekh hai…maja aa gaya.
Dhanywad Arun ji.
Aapko pasand aaya yah mete liye khushi ka vishay hai.
Bahut sundar tarike se likha gaya hai…sadhuvaad.
Prashansha ke liye dhanywad Sanjay ji
Sadhivad.
प्रिय शिवम् जी
इधर कुछ व्यस्तता के कारण आप की रचना मैंने कुछ देर से पढ़ी. पर पढ़ कर मजा आ गया. निस्संदेह आप अपने अनुभवों को बड़े ही मनोहारी ढंग से लिख रहे हैं. यात्रा अगर शांत मन से और उन्मुक्त ह्रदय से की जाये और उतनी ही सरलता से लिही जा सके तो उस यात्रा-वृतांत का मनोरंजक होना स्वाभाविक है.
धन्यवाद
धन्यवाद उदय सर । मैं आपके टिपण्णी की प्रतीक्षा कर रहा था । आपने सही कहा यात्रा शांत चित्त से हो तो ज्यादा आनंददायी होती है ।
दो-तीन वर्ष पहले मैने अपना नया कैमरा खरीदा था और जब एक सप्ताह तक उससे कोई फोटो नहीं खींची तो वह बहुत नाराज़ हुआ और मुझे कोसने लगा कि वह बेचारा किस बेकार आदमी के पास आ फंसा जो कैमरे को उसके बैग से निकाल ही नहीं रहा है! उसकी नाराज़गी से घबरा कर मैने धनौल्टी जाने का कार्यक्रम बना डाला और इतनी फोटो खींची कि कैमरे की बैटरी की भी टैं बोल गयी। पर समस्या ये है कि न जाने क्यों, उस ट्रिप के बाद से आज तक घुमक्कड़ डॉट कॉम पर कोई भी पोस्ट नहीं डाल सका हूं ! आज आपकी ये पोस्ट पढ़ कर मुझे पुनः अपनी धनौल्टी यात्रा की याद हो आई ! पर मैं और मेरी तन्हाई और मेरा कैमरा वहां पर बिल्कुल अकेले थे, अतः न तो अन्त्याक्षरी खेली, न सुरकण्डा देवी गया, न मूंगफली निबटाई ! फिर भी प्रयास करता हूं कि जल्द ही अपनी ये सत्य कथा लेकर आप सभी मित्रों तक शीघ्र ही पहुंचूं ! उसके बाद और भी बहुत सारी यात्रा लाइन में लगी खड़ी हुई हैं ! बस, पुनः शुरुआत की प्रतीक्षा है।
आपका आलेख और चित्र अच्छे हैं, बल्कि बहुत अच्छे हैं ! लिखते रहिये।
HELLO SHIVAM SINGHJI
MAI UMASHANKAR PANCHAL,INDORE (M.P.)
AAJ AAPKA CHAMBA AND DHANOLTY YATRA BLOG PADHA MAN PRASANN HO GAYA .AAPNE ESKA TO VARNAN KIYA AISA LAGA JAISE MAI SWYAM VAHA PER PAHUCH GAYA HU.