बीते कई दिनों से मन में हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने की इचà¥à¤›à¤¾ माठगंगा की लहरो की तरह पà¥à¤°à¤¬à¤² हà¥à¤ जा रही थी, किनà¥à¤¤à¥ वरà¥à¤·à¤¾ ऋतू और कावड़ यातà¥à¤°à¤¾ का जो विशाल योग बन चूका था उसके समकà¥à¤· हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° जाने की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करना अपने सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प नहीं लग रहा था। इधर हिंदी फिलà¥à¤®à¥‹ के हीरो का बचà¥à¤šà¥€ सहित पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में अवैध रूप से घà¥à¤¸à¤¨à¤¾ और पकडे जाने के बावजूद सकà¥à¤¶à¤² à¤à¤¾à¤°à¤¤ लौट आना जैसी मनगढ़त कहानियों से à¤à¥€ दिमाग का दही हà¥à¤ जा रहा था जिसने मà¥à¤à¥‡ गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से यह सोचने पर विवश कर दिया की यदि दो पड़ौसी मà¥à¤²à¥à¤•ो में इतनी हमदरà¥à¤¦à¥€ होती है तो फिर सरबजीत जैसे नौजवान कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आजीवन अपने परिवार से मिल नहीं पाते। अà¤à¥€ ठीक से सोच à¤à¥€ नहीं पाया था की à¤à¤•ाà¤à¤• पà¥à¤¯à¤¾à¤œ के दाम आसमान पर पहà¥à¤à¤š गà¤, पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¸à¥‡à¤µà¤• जी अमेरिका से लनà¥à¤¦à¤¨ और रूस से चीन वाया इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ होते हà¥à¤ निकल गà¤, आम आदमी के à¤à¥‡à¤· में जो नेता चà¥à¤¨à¥‡ गठवो सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ का नारा देते हà¥à¤ घरेलॠहिंसा के दायरे में फंस गà¤, सलà¥à¤²à¥‚ की किसà¥à¤®à¤¤ (सजा) फिर से तारीखों के खेल में सà¥à¤²à¤ गयी, शिकà¥à¤·à¤¾ मंतà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की शिकà¥à¤·à¤¾ के फेर में उलठगयी, अà¤à¥€ इतना ही बाकि नहीं है मितà¥à¤°à¥‹ यदि जाने-अनजाने मैंने कà¥à¤› गलत कह दिया हो तो समà¤à¤¨à¤¾ मेरे मà¥à¤‚ह से जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ फिसल गयी।
इतना सब कà¥à¤› देखने के बाद दिलà¥à¤²à¥€ अब बेमानी से लग रही थी, सोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न आगामी तीन दिनों की सरकारी छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€, पचà¥à¤šà¥€à¤¸ से लेकर सतà¥à¤¤à¤¾à¤ˆà¤¸ सितमà¥à¤¬à¤° तक, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में जाकर बिताई जाये। ऑफ़ सीजन होगा इसलिठजà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¥€ नहीं होगी, किनà¥à¤¤à¥ तà¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हà¥à¤† की पचà¥à¤šà¥€à¤¸ तारीख से ही पंचक पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो रहे है जिस दौरान हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में अकà¥à¤¸à¤° कोई à¤à¥€ शà¥à¤ कारà¥à¤¯ वॠयातà¥à¤°à¤¾ न करने की हिदायत दी जाती है। इसलिठआनन-फानन में यातà¥à¤°à¤¾ को दो दिनों के लिठतय किया गया जिसमे तेईस को निकलना और चौबीस को वापिस आने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® फिकà¥à¤¸ हो गया। और फिर हमें सिरà¥à¤« गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ ही तो करना था, नीलकंठमहादेव के मंदिर और ऋषिकेश में हाजिरी तो गत वरà¥à¤· ही लगा आये थे, यदि आप चाहे तो घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर ही इसे पढ़ सकते है।
दफà¥à¤¤à¤° में अपनी टेबल पर बिखरी फाइलों को समेटने और अधिकारी जनो से दो दिन की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€, सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ लीव परमिशन के साथ, सैंकà¥à¤¶à¤¨ करवाने जैसे कारà¥à¤¯ मैं à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‚स में ही कर चूका था, और पैकिंग की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ इस बार माताजी और बहनजी ने उठा ली थी। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ पता है पैकिंग करने में कà¥à¤¯à¤¾ जाता है, टà¥à¤°à¤¿à¤ª ऑरà¥à¤—नाइज़र, डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° और कà¥à¤²à¥€ की मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका तो इसे ही निà¤à¤¾à¤¨à¥€ है पà¥à¤°à¥‡ सफर में।
दिनांक तेईस सितमà¥à¤¬à¤° को अपनी विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ वैगन-र का टैंक पेटà¥à¤°à¥‹à¤² से फ़à¥à¤² करवाने के बाद हम तीनो सवेरे आठबजे अपने घर (दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिलà¥à¤²à¥€) से निकल पड़े अपने गंतà¥à¤µà¤¯ की तरफ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° को। टà¥à¤°à¥ˆà¤«à¤¿à¤• की कोई समसà¥à¤¯à¤¾ सामने नहीं आई और दिलà¥à¤²à¥€ से à¤à¤• सौ दस किलो मीटर दूर चीतल रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में जाकर हमने अपना पहला बà¥à¤°à¥‡à¤• लिया जहाठपकोड़े, सांà¤à¤° बड़ा और लसà¥à¤¸à¥€ का नाशà¥à¤¤à¤¾ करने के बाद अपनी यातà¥à¤°à¤¾ का अगला चरण पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया।

Haridwar Bound

At cheetal grand
दोपहर के लगà¤à¤— दो बजते-२ हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पर अपनी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कार को पारà¥à¤• कर चà¥à¤•े थे जिसका किराया तीस रूपठपà¥à¤°à¤¤à¤¿ बारह घंटे के हिसाब से लिया जाता है। उसके बाद बीस रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सवारी की दर से à¤à¤• रिकà¥à¤¶à¤¾ लिया और उसे सीधे होटल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ले चलने का निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया। हालाà¤à¤•ि पà¥à¤°à¥‡ मारà¥à¤— में रिकà¥à¤¶à¤¾ वाला काम दाम में अचà¥à¤›à¤¾ होटल दिला देने का वादा करता रहा किनà¥à¤¤à¥ हम à¤à¥€ काम ढीट नहीं थे और उसे बातों में लगाकर होटल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ तक ले आये। अब बारी है होटल रिवà¥à¤¯à¥ की तो मितà¥à¤°à¥‹ यदि आप à¤à¤• से लेकर तीन की संखà¥à¤¯à¤¾ में हो और हजार-पंदà¥à¤°à¤¹ सौ की रेंज में गंगा फेसिंग रूम लेना चाहते हो तो इस होटल से बढ़कर दूसरा नहीं हो सकता। à¤à¤¸à¥€, टीवी, डबल बेड, साफ सà¥à¤¥à¤°à¤¾ बाथरूम और लिफà¥à¤Ÿ जैसी बेसिक सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ इस होटल में हैं।
और सबसे सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° बात वो यह है की निरंतर माठगंगा के दरà¥à¤¶à¤¨ à¤à¥€ आपको होते रहते हैं। आरती का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤² केवल à¤à¤• मिनट की चहलकदमी पर है और इसके ठीक नीचे मशहूर चोटीवाला है न आपकी à¤à¥‚ख मिटाने को। फ़ूड कà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ के बारे में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं बता सकता कà¥à¤¯à¥‚ंकि हम हमेशा नाशà¥à¤¤à¥‡ से लेकर डिनर तक पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट में ही करते हैं। à¤à¤¾à¤ˆ अपना-अपना टेसà¥à¤Ÿ है।
तीन बजते ही हम अपने रूम में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर चà¥à¤•े थे और सफर की थकान मिटने के लिठहमने तीन कप चाय का अपना पहला आरà¥à¤¡à¤° मैनेजर साब को दिया। चाय आने तक मैं बाथरूम सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ कर चूका था और घर से लाये गठनमकीन , बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ के साथ अब बारी थी शाम के नाशà¥à¤¤à¥‡ की। चूà¤à¤•ि समय की कमी थी इसलिठमाता मनसा देवी के मंदिर जाने के लिठमैं अकेले ही निकल पड़ा, आखिरकार लेडीज लोगो को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बाजार से छोटी-मोटी शॉपिंग à¤à¥€ तो करनी थी और फिर उसके बाद माठगंगा की शाम की आरती में à¤à¥€ हमें शामिल होना था। अकेले था इसलिठपैदल मारà¥à¤— को चà¥à¤¨à¤¾ और मातà¥à¤° सवा घंटे में माता के मंदिर से वापिस हर की पौड़ी पहà¥à¤à¤š गया और सबसे मजे की बात की मà¥à¤à¥‡ अपने परिवार को ढूà¤à¤¢à¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं पड़ा कà¥à¤¯à¥‚ंकि वो मà¥à¤à¥‡ वहीठसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बाजार में à¤à¤• दà¥à¤•ान में चूड़ियों का मोलà¤à¤¾à¤µ करते हà¥à¤ मिल गà¤à¥¤ शाम के साढ़े पांच से लेकर सवा छह बजे तक हमने होटल के कमरे में कमर सीधी करने का तय किया आख़िरकार दो सौ बीस किलो मीटर की डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ और फिर माता के मंदिर की पैदल चढ़ाई करने के बाद अपनी बढ़ती उमà¥à¤° का à¤à¥€ तकाजा होने लगता है।
अनायास ही मेरी नजर होटल की खिड़की से बाहर की तरफ गयी तो देखा की सà¤à¥€ लोग गंगा माता के मंदिर की तरफ बने घाट की सीढ़ियों पर पसर चà¥à¤•े थे, मतलब साफ़ है की माठकी आरती आरमà¥à¤ होने वाली है, हमने à¤à¥€ कमरा लॉक किये और सरपट दौड़े माता की आरती में शामिल होने को। ऑफ-सीजन होने के कारण किसी पà¥à¤°à¤•ार की धकà¥à¤•ा-मà¥à¤•à¥à¤•ी का सामना किये बगैर हमे मंदिर के पास ही आरती में शरीक होने का अवसर पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† और जो दबंग पणà¥à¤¡à¥‡ वगेरह अकà¥à¤¸à¤° आपको आरती के समय दूर होने के लिठटोकते रहते थे आज वो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही आरती की थाल हमारे हाथों में सौंप रहे थे माता की आरती उतारने को, हमें तो यकीं ही नहीं हो रहा था, खैर चलो छोडो। à¤à¤• और महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह थी की इस दरमियान ही मौसम à¤à¥€ करवट बदल चूका था और गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतू अब शरद ऋतू का अहसास करवाने लगी थी, ऊपर से माठगंगा की लहरों से उठती ठंडी हवाà¤à¤‚ हमें बेबस किये जा रही थी वहीठपर डेरा जमाये रखने को।
अपने मनपसंद रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ में मसालेदार डिनर करने के बाद à¤à¤• बार फिर से लेडीज पारà¥à¤Ÿà¥€ ने बाजार घूमने की गà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¶ की और हर की पौढ़ी से तकरीबन à¤à¤• किलोमीटर तक हम बाजार में विचरण करते रहे। इन दिनों वहां गणेश उतà¥à¤¸à¤µ की बड़ी धूम देखने को मिली, हर कोई गणेश जी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को अपने अलग-२ अंदाज में पà¥à¤°à¥‡ ढोल नगाड़े बजाते हà¥à¤ विसरà¥à¤œà¤¨ की लिठगंगा माता की तरफ बढे चले आ रहे थे। और सबसे विशेष बात वो यह की लड़कियों का à¤à¥€ अपना अलग समूह था जो नाचते-गाते हà¥à¤ अपनी अलग ही फांका-मसà¥à¤¤à¥€ में गणेश विसरà¥à¤œà¤¨ के लिठआ रहे थे किनà¥à¤¤à¥ मजाल है जो किसी à¤à¥€ लड़की के साथ किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार की कोई बदतमीजी हो, à¤à¤¸à¤¾ तो सिरà¥à¤« अपनी मेटà¥à¤°à¥‹ सिटी में ही होता है जिसके लिठहमारा सर हमेशा शरà¥à¤® से à¤à¥à¤•ा रहेगा।
अचà¥à¤›à¥€ तरह बाजार विचरण करने, गणेश विसरà¥à¤œà¤¨ की à¤à¤¾à¤‚कियां देखने और à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने के बाद होटल में वापिस जाने का मन अब à¤à¥€ नहीं हो रहा था इसलिठसोचा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न फिर से गंगा घाट पर चलकर ही बैठा जाये। दिन à¤à¤° अपनी रोजमरà¥à¤°à¤¾ की लाइफ से दो चार होने के बाद रात के नौ बजते ही पलके à¤à¤¾à¤°à¥€ होने लगती है किनà¥à¤¤à¥ यहाठतो रातà¥à¤°à¤¿ के दस बज चà¥à¤•े थे और सà¥à¤«à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ में कोई कमी नहीं थी। इतनी रात को à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ ठनà¥à¤¡à¥‡ जल में डà¥à¤¬à¤•ियां लगा रहे थे, चारो तरफ माठगंगा की जय जयकार मची हà¥à¤ˆ थी और बची-खà¥à¤šà¥€ कसर गणेश उतà¥à¤¸à¤µ के उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ ने पूरी कर दी थी। गंगा जल से आचमन तो हम पहले ही कर चà¥à¤•े थे किनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करना अब à¤à¥€ बाकी था जिसके लिठगà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤° का दिन à¤à¤•ादशी होने के कारण तय किया गया था। इसलिठअब हम अपने होटल की तरफ चल दिठसोने के लिठकà¥à¤¯à¥‚ंकि कल सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठकर गंगा जी में डà¥à¤¬à¤•ी à¤à¥€ लगनी थी। पता है मितà¥à¤°à¥‹ हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की à¤à¤• ख़ास बात और है की अकà¥à¤¸à¤° यहाठआने वाले शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ के साथ अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ का à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर लेते हैं जो की अति महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होता है, आख़िरकार कà¥à¤› पà¥à¤·à¥à¤ªà¥‹à¤‚ को à¤à¤• पतà¥à¤¤à¤² में पà¥à¤°à¥‡ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-à¤à¤¾à¤µ से अपने पितरों-पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ यदि गंगा माठमें बहाने से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शांति मिलती है तो इससे बढ़कर हम लोगों को और कà¥à¤¯à¤¾ चाहिà¤à¥¤ पितृ ऋण तो कà¤à¥€ चà¥à¤•ाठनहीं चà¥à¤•ता तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हम उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ ही अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दें।
हालाà¤à¤•ि गणेश विसरà¥à¤œà¤¨ के दृशà¥à¤¯ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ को पà¥à¤°à¤«à¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤¤ कर रहे थे किनà¥à¤¤à¥ मन में à¤à¤• विचार à¤à¥€ पैदा हो रहा था की कà¥à¤¯à¤¾ यह सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¯à¥‡ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के अनà¥à¤•ूल होंगी, कà¥à¤¯à¤¾ इन सà¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने गणेश पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ को खरीदते समय इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा होगा की मूरà¥à¤¤à¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठउपयोग की गयी सामगà¥à¤°à¥€ और रंग आदि कहीं हमारी नदियों को पà¥à¤°à¤¦à¥‚षित तो नहीं करेंगे, और यदि इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹ का उतà¥à¤¤à¤° ‘न’ में हà¥à¤† तो à¤à¤• बार फिर से हम à¤à¤• बड़ी आपदा को निमंतà¥à¤°à¤£ तो नहीं दे रहे कà¥à¤¯à¥‚ंकि आजकल ससà¥à¤¤à¥‡ मटेरियल मतलब पà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥à¤Ÿà¤° ऑफ़ पेरिस के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मूरà¥à¤¤à¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जाता है जो की नदियों में बहाने के बाद à¤à¥€ कई वरà¥à¤·à¥‹ तक गलता नहीं है और साल दर साल मूरà¥à¤¤à¤¿ विसरà¥à¤œà¤¨ तो हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में होता ही रहता है जिसका अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• बोठहमारी नदियां नहीं उठा पाती और उसका परिणाम बाढ़ और à¤à¤¯à¤‚कर पà¥à¤°à¤¾à¤•ृतिक आपदाओं के रूप में हमें देखना पड़ता है। इसलिठमितà¥à¤°à¥‹à¤‚ आप सà¤à¥€ से à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ है की यदि आप à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿ विसरà¥à¤œà¤¨ करते हैं तो कृपया केवल उनà¥à¤¹à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को घर लाये जो हमारे परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के पूरà¥à¤£ रूप से अनà¥à¤•ूल हो, मूलà¥à¤¯ à¤à¤²à¥‡ ही थोड़ा सा अधिक हो किनà¥à¤¤à¥ हमारा यह छोटा सा योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिठजीवनदान के सामान होगा। और यकीन मानिये इसी में हम सब की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ है।
अपने तय दिन और समय के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° गंगा सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ और पूजा करने के बाद अब बारी थी सà¥à¤¬à¤¹ के नाशà¥à¤¤à¥‡ की, अतः हमने होटल का रूम सà¥à¤¬à¤¹ नौ बजे तक छोड़ दिया और à¤à¤• मिनट की चहलकदमी के बाद सीधे पहà¥à¤à¤š गठहोटल पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ जहाठपà¥à¤¯à¤¾à¤œ, गोà¤à¥€ और आलू के परांठो के साथ आचार और चाय का सेवन किया गया और à¤à¤• बार फिर से बाजार से कà¥à¤› छोटी-मोटी खरीददारी की गयी, कà¥à¤¯à¤¾ करें दिल है की मानता नहीं, यह कथन केवल महिलाओं पर लागू होता है। जब तक शॉपिंग चालू थी कà¥à¤²à¥€ साब (मैं) दोनों कंधो पर बैग लटकाये à¤à¤• रिकà¥à¤¶à¤¾ वाले को रोके खड़े थे ताकि वो हमें सामान सहित हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ की पारà¥à¤•िंग तक छोड़ दे जहाठहमारी पà¥à¤°à¤¿à¤¯ कार हमारा इनà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¾à¤° कर रही थी। रिकà¥à¤¶à¤¾ वाला बड़ा ही à¤à¤²à¤¾ मानस पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता था उसने मेरे हाथों से सारा सामान लेकर अपने छोटे से रिकà¥à¤¶à¤¾ में करीने से सेट कर दिया और फिर हम तीनो को उस पर बैठाकर मातà¥à¤° सात-आठमिनट में हमें बताई गयी जगह पर छोड़ दिया। यहाठसे गाड़ी उठाने के बाद बिना किसी बà¥à¤°à¥‡à¤• के हम लोग हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°-दिलà¥à¤²à¥€ हाईवे पर सरपट चलते हà¥à¤ (तीन घंटे) पहà¥à¤‚चे चीतल रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट जहाठदोपहर का खाना निबटाया गया, उसके बाद फिर अगले दो घंटे की डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µ के बाद मारà¥à¤—े में ही जैन शिकंजी का सà¥à¤µà¤¾à¤¦ लिया गया जो पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ लगी और अगले ढाई घंटे बाद हम लोग वापिस अपने घर पर पहà¥à¤à¤š गठऔर साथ में था थोड़ा गंगा जल, थोड़ा शॉपिंग का माल, कà¥à¤› मनोरम सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ और ढेर सारा गणेश जी, माठगंगा और माठमनसा देवी का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
मितà¥à¤°à¥‹ वक़à¥à¤¤ की कमी कहिये या फिर सिटी लाइफ की मजबूरी, अपने इस छोटे से यातà¥à¤°à¤¾ वृतांत में अधिक शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं कर सका और चितà¥à¤° आदि à¤à¥€ कम ही रखे हैं, किनà¥à¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ की पटरी पर दौड़ती हà¥à¤ˆ जिंदगी की रेल में सफर करते हà¥à¤ à¤à¥€ यदि थोड़ा सा वक़à¥à¤¤ चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ और घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ पर आप सब के साथ साà¤à¤à¤¾ करने से ख़à¥à¤¶à¥€ मिलती है तो और कà¥à¤¯à¤¾ चाहिà¤à¥¤
अपनी इस छोटी किनà¥à¤¤à¥ अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ यातà¥à¤°à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¤¾à¤‚त को अब में यहीं समापà¥à¤¤ करता हूठऔर आशा करता हूठकी गणेश जी, माठगंगा और माठमनसा देवी का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ आप सब पर à¤à¥€ बना रहे।
जय माता दी।
Happy to see you writing after a long time. As usual, well narrated and good pics. Ganga Snaan ki Punya aap ko mile :-)
You lovely comments have made my post more beautiful…Thanks Dada.
Arun
It seems to be very good short trip.
Keep on writing.
So true Asif Ji…we had great time in Haridwar.
Thanks for leaving lovely comments.
Arun
प्रिय अरुण
आप जब भी लिखते हो, बड़ी खूब लिखते हो. वर्णन सजीव लग रहा है.
धन्यवाद.
बक्शी जी,
इस हौसलाअफजाई के लिए आपका बहुत आभार।
अरुण
बेहद शानदार लेख. आपका अंदाज काबिलेतारीफ है.
कृपया करके रूट के बारे में लिख दे. सुना है कि ट्रैफिक की समस्या रहती है इस रूट पर.
हम ग़ज़िआबाद से जाना चाहते है. और भी पास पड़ेगा यहाँ से.
गौरव जी,
आपके स्नेह हेतु आपका बहुत आभार। राजनगर एक्सटेंशन से हरिद्वार जाने में कोई परेशानी नहीं है। थोड़ा बहुत ट्रैफिक (ट्रक) तो मिलेगा किन्तु टोल रोड प्रारम्भ होते ही आप स्मूथ ड्राइव करने लगोगे। रोड कंडीशन ज्यादा बुरी नहीं है किन्तु सावधानी अवश्य बनाये रखे। ऑफ सीजन में जाओगे तो होटल भी सस्ते मिलेंगे और भीड़-भाड़ से भी बचोगे। आजकल फेस्टिवल सीजन चल रहा है इसलिए हो सकता है की थोड़ी भीड़ हो किन्तु जून-जुलाई (कांवड़ यात्रा) की तुलना में तो कम ही होगी। उम्मीद करता हूँ की आपको सलाह पसंद आएगी।
धन्यवाद
अरुण
अरुण,
काफ़ी समय के बाद आपकी पोस्ट घुमक्कड़ पर पढ़ने को मिली. बल्कि ये कहूँ की एक लंबे अंतराल के बाद घुमक्कड़ पर कोई सचमुच रोचक पोस्ट प्रकाशित हुई है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. पोस्ट का पहला पैराग्राफ पढ़ कर मैं अपने आप को हँसने से रोक नहीं पाया और अकेले में ही बहुत देर तक हंसता रहा.
“इधर हिंदी फिल्मो के हीरो का बच्ची सहित पाकिस्तान में अवैध रूप से घुसना और पकडे जाने के बावजूद सकुशल भारत लौट आना जैसी मनगढ़त कहानियों से भी दिमाग का दही हुए जा रहा था” हा हा हा….
बहुत सटीक, सुंदर तथा कसावट लिए था यात्रा वर्णन. लेख ने शुरू से आखरी तक बाँधे रखा, चित्र भी सजीव थे. होटेल ज्ञान के बारे में जानकर बड़ा अच्छा लगा, लोकेशन एकदम उत्तम है. हरिद्वार में कमरे की खिड़की से गंगा माँ का नज़ारा हो, इससे बड़ा आनंद और क्या हो सकता है.
बहुत सुंदर पोस्ट, इस पोस्ट ने मेरा आज का दिन बना दिया.
धन्यवाद.
भालसे जी,
आप सरीखे दिग्गजों का प्यार और हौसलाफजाई ही तो है जो हमें प्रेरित करती है घुमक्कड़ पर बारम्बार उपस्थित होने को। आप तो केवल एक-आध बार ही हँसे होंगे किन्तु सिंघल जी की आपके साथ की गयी यात्रा और रानी रूपमती की उपलब्धियां तो मुझे अभी तक हंसने को मजबूर कर देती हैं। कमाल की जुगलबंदी बन पड़ी थी सिंघल जी और आपके परिवार की।
एक बार फिर से आपका धन्यवाद।
अरुण
Apologies for writing in English.
I think it must have been a great break from the likes of NDTV/TimesNow/AajTak/IndiaTV and so on. I still liked Salman’s stunt :-), may be if we keep saying good thing, it might actually happen. By the way recently there was a news item about a girl name Geeta who was lost from her family, anyways.
Great tip on traveling during the off-season, as well about the Hotel Gyan. Thank you for the honest and real experience and finally special thanks for reminding everyone on environmental issues. We must try to follow that.
Nandan Sir,
I must say you are a great observer…you got the central point of this post i.e. awareness towards our environment. Thank you so much for leaving your valuable comments on the post.
Regards,
Arun
भाषा पर आपकी पकड़ बहुत बढ़िया है… छोटी घटनाओं को रोचक रुप से प्रस्तुत करना भी एक कला है..
बढ़िया लगा आपका ये अफसाना… कुछ चित्र काफी मनमोहक हैं
सर,
आपकी उपरोक्त टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। लेखन से लेकर चित्रण तक सब कुछ घुमक्कड़ पर आप जैसे लेखको को पढ़कर ही तो सीखा है… या यूँ कहिये की सीख रहा हूँ। भविष्य में भी इसी प्रकार स्नेह बनाये रखियेगा।
धन्यवाद,
अरुण
Not one of the best.. but ONLY THE BEST write up on Ghumakkar. Well written.. well described. Covered each and everything.. Perfect photographs.
Thanks Mr. Sunil for leaving your lovely comments on the post.
Have a good day.
Arun
Liked your post. I visited Haridwar long back & thinking to visit there for quite sometime. I do not know when it will happen but your post has virtually taken me thru Haridwar & a dip in the holy ma Ganga.
Keep travelling & keep writing like this.
Shyam
Thanks for leaving your lovely comments on the post Shyam Ji!