दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚, पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आपने हमारी मणिकरà¥à¤£ यातà¥à¤°à¤¾ के बारे में पढा और मà¥à¤à¥‡ उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है की पोसà¥à¤Ÿ आप सबको बहà¥à¤¤ पसंद आई होगी. चलिठआज की इस पोसà¥à¤Ÿ के जरिठआप लोगों को लिठचलता हà¥à¤‚ रोहà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग की ओर. रोहà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग की ओर इसलिठकह रहा हà¥à¤‚ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ की ओर से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध होने की वजह से हम लोग ठेठरोहà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग तक तो नहीं जा पाठथे लेकिन रोहतांग से थोड़ा पहले जिस जगह तक हम जा पाठथे वहां à¤à¥€ हमने इतना इनà¥à¤œà¥‹à¤¯ किया की हमें रोहतांग न जा पाने का कोई मलाल नहीं रहा.
मणिकरà¥à¤£ से लौटकर कैंप में उतरे तà¤à¥€ डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने कह दिया था की कल रोहà¥à¤¤à¤¾à¤à¤— जाना है तो सà¥à¤¬à¤¹ जितनी जलà¥à¤¦à¥€ हो सके तैयार हो जाना कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यदि लेट हà¥à¤ तो जाम में फंस जाà¤à¤‚गे और शायद शाम तक पहà¥à¤‚च ही नहीं पाओ. हमने पूछा जलà¥à¤¦à¥€ मतलब कितनी बजे, तो डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने कहा जलà¥à¤¦à¥€ मतलब चार बजे, अगर पांच बजे तक à¤à¥€ कैंप से निकले तो ठीक ठाक समय से पहà¥à¤‚च जाà¤à¤‚गे.
कैंप से आज जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° लोग रोहतांग ही जाने वाले थे अतः नाशà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ तैयार हो गया था और दोपहर के लिये लंच पैक à¤à¥€, नाशà¥à¤¤à¥‡ में आज सेंडविच थे जो की बड़े सà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ लग रहे थे. जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ हमने नाशà¥à¤¤à¤¾ किया और लंच पैक कर लिया, और पांच बजे कैंप के मेन गेट पर पहà¥à¤‚च गठजहाठपहले से ही गाड़ी तैयार खड़ी थी. सà¥à¤¬à¤¹ सà¥à¤¬à¤¹ जबरदसà¥à¤¤ ठंड लग रही थी अतः सब ने गरम कपड़े पहन लिठथे. साथी गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤à¥€ परिवार को तैयार होकर आते आते साढ़े पांच बज गठथे और अब उजाला हो गया था.

बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ सफर के लिठतैयार …
चूंकि हमें पहले से ही पता था की रोहतांग का रासà¥à¤¤à¤¾Â इस वरà¥à¤· à¤à¤¾à¤°à¥€ बरà¥à¤«à¤¬à¤¾à¤°à¥€ के कारण अà¤à¥€ तक खà¥à¤²à¤¾ नहीं था और जून में यानी हमारे जाने के करीब 15 दिनों के बाद खà¥à¤²à¤¨à¥‡ की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ थी, अतः हम बरà¥à¤« को देखने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ लेकर निकले थे चाहे वो कहीं à¤à¥€ मिले. डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने हमें आशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ किया था की मैं आपलोगों को वहां तक ले कर जाउंगा जहाठतक जाने की पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से परमीशन होगी. हमें पता चला की अà¤à¥€ वाहनों को वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाला तक जाने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿Â है, वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाला से रोहतांग सिरà¥à¤« बीस किलोमीटर रह जाता है और यहाठइतनी बरà¥à¤« है की रोहतांग का असà¥à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ आनंद यहीं मिल जाता है. हमें तो बस बरà¥à¤« में खेलने की चाहत थी और हमें उमà¥à¤®à¥€à¤¦ थी की हमारी खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ पूरी à¤à¥€ हो जाà¤à¤—ी.

मनाली शहर की सà¥à¤¬à¤¹
कैंप से निकलकर लगà¤à¤— आधे घंटे में हम लोग मनाली पहà¥à¤‚च गà¤. अल सà¥à¤¬à¤¹ का समय था अतः मनाली का मारà¥à¤•ेट à¤à¥€ पूरा बंद ही था. नींद के आगोश से जागकर अलसाया सा मनाली किसी अलà¥à¤¹à¤¡ बालक की तरह मासूम लग रहा था. कà¥à¤› थोड़ी बहà¥à¤¤ चहल पहल जो दिखाई दे रही थी वो परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों की थी जो रोहतांग जाना चाहते थे और इसीलिये जलà¥à¤¦à¥€ जाग गठथे. हमें पहले से ही मालूम था की रोहतांग की सरà¥à¤¦à¥€ को सहन करने के लिठतथा बरà¥à¤« पर खेलने के लिठहमें विशेष गरà¥à¤® कपड़े किराठपर लेने पड़ेंगे, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि साधारण गरà¥à¤® कपड़े बरà¥à¤« में गीले à¤à¥€ हो जाते हैं तथा वहां की à¤à¥€à¤·à¤£ ठंड से à¤à¥€ मà¥à¤•ाबला नहीं कर पाते हैं.
मनाली से निकलने के कà¥à¤› देर बाद ही पहाड़ों की चढ़ाई शà¥à¤°à¥‚ हो गई और उन विशेष परिधानों की दà¥à¤•ानें à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हो गई. à¤à¤• विशेष बात ये नज़र आई की ह़र à¤à¤• दà¥à¤•ान पर बड़े अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤• नंबर लिखा हà¥à¤† था, बाद में पता चला की पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के लिठइन दà¥à¤•ानों को नंबर दिठगठहैं ताकि वापसी में कपड़े लौटाते समय परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को नंबर याद रहे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दà¥à¤•ान ढूंढने में असà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ ना हो.
हमने अपने डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° से कहा की à¤à¤¾à¤ˆ किसी सयानी सी दà¥à¤•ान से हमें à¤à¥€ ये वसà¥à¤¤à¥à¤° दिलवा देना, उसने कहा की सर यहाठकपड़े महंगे मिलेंगे मैं आपको à¤à¤¸à¥€ जगह पर ले चलूंगा जहाठकिफायती दामों पर मिल जाà¤à¤‚गे, उसकी बात मानने के अलावा हमारे पास कोई रासà¥à¤¤à¤¾ नहीं था कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमें तो कोई जानकारी नहीं थी, खैर बाद में हमें à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤† की यहाठदà¥à¤•ान वालों से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤°à¥‹à¤‚ की जबरदसà¥à¤¤ सेटिंग होती है और जहां से डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° कहे वहां से तो डà¥à¤°à¥‡à¤¸ लेना ही नहीं चाहिये. कà¥à¤› देर बाद उसने à¤à¤• घाघ सी महिला की दà¥à¤•ान पर ले जाकर हमें टीका दिया. 250 रà¥. में à¤à¤• जोड़ी परिधान, हाथ के दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ तथा जà¥à¤¤à¥‡. कपड़े सारे बदरंग हो चà¥à¤•े थे और किसी को à¤à¥€ साइज़ सही नहीं मिल रहा था, लेकिन वह महिला à¤à¤¾à¤µ में à¤à¤• रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ à¤à¥€ काम करने के मूड में नहीं थी, खैर आधे पौन घंटे की मशकà¥à¤•त के बाद हम सबने अपने अपने लिठइन विशेष वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का चयन किया और यà¥à¤¦à¥à¤§ लड़ने के लिठढाल तथा तलवार साथ होने का à¤à¤¾à¤µ मन में लिठकिसी योदà¥à¤§à¤¾ की तरह अपने वाहन में अपनी अपनी सीट पर आकर बैठगà¤, ये अलग बात है इन विशेष वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में हम किसी जोकर से कम नहीं लग रहे थे.

रोहà¥à¤¤à¤¾à¤à¤— की ठंड को टकà¥à¤•र देने की तैयारी
कà¥à¤› देर की चढ़ाई के बाद ही हमें वो नज़ारे दिखाई देने लगे जिनà¥à¤¹à¥‡ देखने के लिये हम बेताब थे और हमने पहले कà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· देखे नहीं थे सिरà¥à¤« चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में ही देखे थे. दूर पहाड़ों पर सफेद चादर के रूप में फैली बरà¥à¤« हमारा कौतूहल बढाने के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ थी, जैसे जैसे हमारी गाड़ी उंचाइयों पर चढ़ रही थी ये बरà¥à¤« से ढंके पहाड़ नजदीक आते जा रहे थे. इतने सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नज़ारे जिनकी हमने कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं की थी हमारे सामने थे….à¤à¤¸à¤¾ लग रहा था जैसे हम कोई सपना देख रहे थे, चारों ओर जहाठà¤à¥€ नज़र जाती खूबसूरती बिखरी पड़ी थी. हम सांस रोककर कà¥à¤¦à¤°à¤¤ के इस करिशà¥à¤®à¥‡ को देख रहे थे और अपने à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पर इठला रहे थे, बरà¥à¤« से ढंके इन पहाड़ों ने जैसे हमें दीवाना कर दिया था.

बरà¥à¤« से लदी परà¥à¤µà¤¤ शà¥à¤°à¤‚खलाà¤à¤‚
लेकिन रासà¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ कोई आसान नहीं था. पहाड़ों को काटकर बनाया गई सरà¥à¤ªà¥€à¤²à¥€ सड़क को देखकर मन में धà¥à¤•धà¥à¤•ी à¤à¥€ होने लगती, कà¥à¤› तो खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ मौसम, कà¥à¤› कà¥à¤¦à¤°à¤¤ की खूबसूरती और कà¥à¤› घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ी का नशा ये सब कà¥à¤› मन को बहà¥à¤¤ सà¥à¤•ून दे रहा था. हमारे आगे पीछे गाड़ियों का इतना बड़ा कारवां था की दूर दूर तक गाड़ियों की पंकà¥à¤¤à¤¿ का कोई ओर छोर ही नज़र नहीं आ रहा था. मनाली जाने वाले हर परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• की खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ होती है की जैसे à¤à¥€ हो रोहतांग अवशà¥à¤¯ जाना है अतः सà¥à¤¬à¤¹ चार बजे से ही मनाली से सैकड़ों, हज़ारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में बड़े छोटे वाहन, रोहतांग का रà¥à¤– करते हैं जिनकी किसà¥à¤®à¤¤ पà¥à¤°à¤¬à¤² होती है वे रोहà¥à¤¤à¤¾à¤à¤— पहà¥à¤‚च जाते हैं और बाकी जहाठतक पहà¥à¤‚च पाते हैं वहीं से संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ होकर वापस लौट आते हैं.

बरà¥à¤« ही बरà¥à¤«
गाड़ियाठइस रासà¥à¤¤à¥‡ पर इतनी धीरे चल रही थी मानो रेंग रही हों. हमने मनाली से कà¥à¤› 15 किलोमीटर का रासà¥à¤¤à¤¾ ही तय किया था की डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने गाड़ी रोक दी, हमने बाहर à¤à¤¾à¤‚ककर देखा तो पता चला की आगे पीछे की सारी गाड़ियाठरà¥à¤•ी हà¥à¤ˆ हैं, डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने जानकारी दी की आगे जाने के लिये पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने रोक लगा दी है, गाड़ी अब आगे नहीं जा पाà¤à¤—ी, हाठà¤à¤• आध घंटे में रासà¥à¤¤à¤¾ खà¥à¤²à¤¨à¥‡ की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है . उसने आगे बताया, यहाठसे चार पांच किलोमीटर आगे रहाला फाल नाम की जगह है जहाठपर रहाला à¤à¤°à¤¨à¤¾ जमा हà¥à¤† है और वहां आपको बरà¥à¤« मिल जाà¤à¤—ी, वहां आप इनजॉय कर सकते हैं, आप घोड़ा लेकर जा सकते हैं, पैदल जा सकते हैं या बरà¥à¤« पर चलने वाली टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° नà¥à¤®à¤¾ गाड़ी से à¤à¥€ जा सकते हैं.
डà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¤° ने कहा अगर आगे जाने की परमीशन मिल जाती है तो मैं गाड़ी लेकर आपलोगों के पास आ जाउंगा वरà¥à¤¨à¤¾ यहीं आपलोगों का इंतज़ार करूंगा. यह सारी बात सà¥à¤¨à¤•र हम सबके चेहरों पर मायूसी छा गई. रोहà¥à¤¤à¤¾à¤à¤— तो जा नहीं पा रहे हैं और अब बà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नाले तक पहà¥à¤‚चने के à¤à¥€ लाले पड़े हà¥à¤ हैं. खैर ये कहानी सिरà¥à¤« हम लोगों की नहीं थी, सारी गाड़ियाठजहाठकी तहाठरà¥à¤• गई थी और सारे परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• रहाला फाल तक पहà¥à¤‚चने की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ में लगे थे. रासà¥à¤¤à¥‡ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगते ही घोड़े वालों तथा बरà¥à¤« गाड़ी वालों की तो पौ बारह हो गई. कà¥à¤› लोग जीप से à¤à¥€ ले जाने को तैयार थे उनका कहना था की हमें परमीशन है वहां तक जाने की. कà¥à¤› लोगों ने आनन फानन में घोड़े कर लिà¤, घोड़े वाले हमारे पास à¤à¥€ आठलेकिन उनका à¤à¤¾à¤µ हमें जमा नहीं. à¤à¤• घोड़े के रहाला फाल की चार किलोमीटर की दूरी के लिठ400 रà¥. मांग रहे थे सो हम लोगों ने इस विकलà¥à¤ª को सिरे से नकार दिया बरà¥à¤« गाड़ी वाले 1500 रॠचार लोगों के मांग रहे थे अतः वे à¤à¥€ हमारे बजट से बाहर के ही साबित हà¥à¤, अब à¤à¤• ही विकलà¥à¤ª बचा था यानी गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ नंबर की गाड़ी यानी पद यातà¥à¤°à¤¾ सो बस पैदल चलने की ठान ली.

पहली बार पहाड़ों में

वाहनों की कतार

ये मौसम à¤à¥€à¤—ा à¤à¥€à¤—ा है..

घà¥à¤¡à¤¼à¤¸à¤µà¤¾à¤°à¥€ का आनंद
आस पास कà¥à¤› दà¥à¤•ाने लगी थी जिन पर आमलेट, मेगी, à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‡ तथा शीतल पेय उपलबà¥à¤§ थे, सà¥à¤¬à¤¹ कैंप से नाशà¥à¤¤à¤¾ करके निकले थे अतः हमें तो à¤à¥‚ख नहीं लगी थे लेकिन बचà¥à¤šà¥‡ तो बस बचà¥à¤šà¥‡ होते हैं à¤à¥‚ख लगी हो या ना लगी हो उनको तो बस खाना होता है, à¤à¤¾à¤µ तो इन सब चीजों के à¤à¥€ बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ थे जैसे आमलेट 50/- मेगी 40/- à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾ 25/- लेकिन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की दà¥à¤°à¥à¤²à¤à¤¤à¤¾ तथा मौके की नज़ाकत को देखते हà¥à¤ हमने à¤à¥€ दो पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ मेगी का ओरà¥à¤¡à¤° दे दिया और सोचा पहले बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को खिला पिला दें फिर शà¥à¤°à¥‚ करते हैं पद यातà¥à¤°à¤¾.

बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥‡ पहाड़ों के बीच ठंडा à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है ..
रोहतांग में à¤à¥‚ख मिटाने के लिठचाय, काफी, चाउमिन, बà¥à¤°à¥‡à¤¡, अंडा, बिसà¥à¤•à¥à¤Ÿ, कोलà¥à¤¡à¤¡à¥à¤°à¤¿à¤‚क इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ उपलबà¥à¤§ हैं. यह सब थोडा महंगा है, परनà¥à¤¤à¥ इतनी ऊंचाई पर मिल रहा है तो कà¥à¤¯à¤¾ कम है. ये दà¥à¤•ानदार यहीं टेंट में रहते हैं  कई बार तो खराब मौसम में à¤à¥€. जी हाठअविशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ उंचाई पर बने “मनाली-लेह†मारà¥à¤— पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रोहतांग व आसपास मौसम कब खराब हो जाये पता ही नहीं चलता. कई बार यहाठमई के महीने में बरà¥à¤« गिरती है. यहाठचलने वाली बरà¥à¤«à¥€à¤²à¥€ हवाà¤à¤‚ और तूफ़ान कई बार कहर बरपा चà¥à¤•े हैं. शायद तà¤à¥€ इस दरà¥à¤°à¥‡ को तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में रोहतांग यानी “शवों का ढेरâ€Â व हिंदी में “मौत का मैदान†कहते हैं.

गरà¥à¤®à¤¾ गरम मेगी ..
खाने पीने के बाद अब हम तैयार थे पैदल चलने के लिये. किसी शूरवीर की à¤à¤¾à¤‚ती कमर कसके हमने अपने कदम आगे बढाà¤, शरीर पर à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¤•म विशेष वसà¥à¤¤à¥à¤° तथा पैरों में लमà¥à¤¬à¥‡ लमà¥à¤¬à¥‡ रबर के जà¥à¤¤à¥‡ धारण करके पहाड़ों पर लगातार उंचे रासà¥à¤¤à¥‡ पर पैदल चलना कोई आसान काम नहीं था, कà¥à¤› कदम आगे बढ़ाते ही सारी हेकड़ी निकल गई, सांस फूलने लगी à¤à¤• à¤à¤• कदम à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ने लगे. इसी हालत में हमने अपने कदमों से अपने शरीर को कà¥à¤› दूर और घसीटा और जब अपनी सारी सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ के बावजूद à¤à¤• कदम à¤à¥€ आगे बढ़ाना मà¥à¤¶à¥à¤•िल हो गया तो निढाल होकर सड़क के किनारे बैठगà¤.
तà¤à¥€ à¤à¤• जीप वाला हमारे पास आया और विचितà¥à¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हमें निहारने लगा हम उसे शिकार नज़र आ रहे थे और वह हमें देवता. दोनों को à¤à¤• दूसरे की दरकार थी. वह पास आकर बोला सर चलिये ससà¥à¤¤à¥‡ में छोड़ देता हूठरहाला फाल तक, मैने पूछा कितने लोगे? उसने हम नौ लोगों के 1500 रà¥. मांगे. हमें à¤à¥€ कोई और चारा नज़र नहीं आ रहा था और नौ लोगों के 1500 रॠà¤à¥€ वाजिब ही लग रहे थे सो हमने हामी à¤à¤° दी और जीप में सवार हो गà¤.
कà¥à¤› दस मिनट में उसने हमें रहाला फाल पर छोड़ दिया. जगह तो अचà¥à¤›à¥€ ही लग रही थी, पूरा à¤à¤°à¤¨à¤¾ बरà¥à¤« बना हà¥à¤† था. इतनी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मातà¥à¤°à¤¾ में बरà¥à¤« देखकर हमारा मन तो बलà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ उछलने लगा. जीप वाले का हिसाब किताब चà¥à¤•ता कर हम जीवन में पहली बार बरà¥à¤« से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•ार करने के लिठतैयार थे. पहले से ही वहां परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों का जमावड़ा लगा हà¥à¤† था. बस उनको पागलों की तरह बरà¥à¤« पर लोटते हà¥à¤, फिसलते हà¥à¤ और à¤à¤• दूसरे पर बरà¥à¤« उछालते हà¥à¤ देख कर हमारा à¤à¥€ दिल बचà¥à¤šà¤¾ बन गया और हम à¤à¥€ वहां हिमकà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¾ में लिपà¥à¤¤ हो गà¤.

बरà¥à¤« का घरौंदा

बरà¥à¤« पर बैठने का आनंद
तà¤à¥€ वहां à¤à¤• महिला हिमाचली वेश à¤à¥‚षा का à¤à¥‹à¤²à¤¾ लेकर पà¥à¤°à¤•ट हो गई और पतà¥â€à¤¨à¥€ जी को डà¥à¤°à¥‡à¤¸ लेने के लिठउकसाने लगी, पतà¥â€à¤¨à¥€ जी à¤à¥€ कहाठमानने वाली थी उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ अपने लिठà¤à¤• हिमाचली डà¥à¤°à¥‡à¤¸ किराठसे ले ही ली. और फिर सिलसिला शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† फोटो शूट का जो अनवरत à¤à¤• घंटे तक हमारी हिम कà¥à¤°à¥€à¤¡à¤¾ के समानानà¥à¤¤à¤° चलता रहा. वो अपने आप को दीपिका पादà¥à¤•ोण से कम समà¤à¤¨à¥‡ को तैयार नहीं थी और हम अपने आपको शाहरà¥à¤– खान का बाप समठरहे थे. परिणाम आप लोगों के सामने है.

जैसा देस वैसा à¤à¥‡à¤¸ ….

वो देखो …..कà¥à¤› दिखाई दे रहा है?

जरा सा à¤à¥‚म लूठमैं …
बरà¥à¤« में खेलते हà¥à¤ हम लोग असीमित आनंद का अनà¥à¤à¤µ कर रहे थे. बरà¥à¤« में उपर की ओर चढ़ना जितना कठिन तथा थकाउ होता है, उपर जाकर फिसलना उतना ही आसान, रोमांचक तथा आनंद दायक.
इस आनंद से ना तो मैं आप लोगों को वंचित रखना चाहता हूठऔर ना ही सà¥à¤µà¤¯à¤‚ रहना चाहता हूठ…लेकिन मà¥à¤à¥‡ लग रहा है लिखते लिखते बहà¥à¤¤ लिख गया हूठऔर पोसà¥à¤Ÿ जरूरत से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ लमà¥à¤¬à¥€ हो रही है अतः कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ना इसका शेष à¤à¤¾à¤— अगली कड़ी में आनेवाले शनिवार को पढ़ें ……जसà¥à¤Ÿ 27 को.
Beautifully narrated story! Very good Pics! It is common in tourist places that drivers have their setting with shop keeper and you end in paying high. Solang Valley is awesome. In 2004 I too could not go to Rohtang Pass and went upto Solang Valley – It was my honeymoon destination :)
Photos of Rahalla Falls, I guess, will come in your next post. All the pics are good. I also liked your joint photo :) I add a Kishore Da song to that :)
आ चल के तुझे मैं लेके चलू, एक ऐसे गगन के तलें
जहाँ गम भी ना हो, आँसू भी ना हो, बस प्यार ही प्यार पलें
Thanks
Anupan jee,
Thank you very much for your encouraging comment. The photos in this post are of Rahala Fall only. Next we went to Bias Nalla which I am going to show in my next post.
Thanks.
मुकेश जी मनाली अब पहले जैसी सुन्दर जगह नही रही,लगातार पर्यटको के कारण ट्रेफिक जाम आदि बहुत सी समस्याओ से लोगो को जूझना पडता है.
गर्मियो की छुट्टी में रोहतांग जाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.कई किलोमीटर का जाम लग जाता है..
लेकिन जब छुट्टी नही रहती तब यहां पर आराम से घुमा जा सकता है.
आपने अपने लेख में अपने बिताए बहतरीन पल साझा करे है उसके लिए आभार व्यक्त करता हुं..
बिल्कुल सही कहा सचिन जी आपने। हम लोग भी रोह्ताँग से लौटते समय मनाली में प्रवेश के समय भयंकर जाम में फंस गए थे दो घंटे के लिए। लेकिन क्या किया जा सकता है जाना तो इसी दौरान हो पाता है, बच्चों की छुट्टियों का भी ध्यान रखना पड़ता है।
आपकी इस सुन्दर टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद।
हिमाचल के भ्रमण के पोस्टों की श्रृंखला में वास्तविक हिम+आँचल के दृश्यों को दर्शाती अत्यंत ही सुन्दर पोस्ट पढ़कर मन में शीतलता का अनुभव हुआ. बर्फीले पहाड़ों को दर्शाते व यात्रा-मार्ग के रोमांच से परिपूर्ण सभी चित्र आकर्षक हैं.
बर्फीले पहाड़ों पर भ्रमण के अपने अनुभवों को साझा करने के लिए धन्यवाद.
मुनेश जी,
आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा हमारा मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन करती हैं, इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
Dear Mukesh ji,
Very beautiful post, I have gone through your all posts . Mukesh ji I start my carrier with Manali, Keylong ,leh and other interiors of Himachal pardesh. it is my first love, I never forget those days,I really enjoy those days .
I hope you have enjoyed well, but ahead Rohtang there is diff world which is beyond our imagination, Lahoul valley or spiti valley, if you plan your visit next time then you go via Manali and come back via Kaza -SHIMLA,
It is really a wonder world,
thanks for nice post.
Baldev swami
Wow what an exciting comment.
Baldev Swami ji,
Thanks a lot for such a beautiful comment. Going beyond Rohtang on Manali Leh Highway is in my wish list too, let’s see when it gets materialized.
Thanks.
Mukesh Ji…I read all your posts. Very nice write-up with details of each place and beautiful pictures. I have never been to Manali and Rohtang but now after reading your posts I will surely plan a trip soon.
Shefali,
I have read your all three posts. You had narrated Darjeeling and Shimla very well. Thank you very much for your appreciating comment. If you have not been Manali and Rohtang yet, You should make your plan soon…. These places are really stunning.
After 2011, You haven’t posted on ghumakkar. So, make a plan for Manali, Rohtang and make us see these beautiful places through your eyes.
मुकेश जी….
शानदार पोस्ट… जानदार फोटो ….
विवरण अच्छा और फोटो देखकर हमने भी अपनी रोहतांग यात्रा को स्मरण किया….
आपको कुछ न कुछ मलाल तो जरूर रहा होगा की आप रोहतांग नहीं जाए…. मैंने अक्सर देखा की हर कोई रोहतांग पास तक नहीं जा पाता है …. आपके लेख का शीर्षक इस बात को बयां भी कर रहा है ….. “कठिन राह रोहतांग की ”
धन्यवाद !
श्रीमान जी,
इतनी सुन्दर कमेन्ट लिखने वाले का नाम नहीं जान पाने का मुझे बड़ा अफसोस है, कृपया हो सके तो अपना नाम अवश्य बताएं. आपने सही कहा रोहतांग नहीं जा पाने का मलाल तो जरूर है, लेकिन दिल में एक उम्मीद की एक लौ अब भी टिमटिमा रही है की शायद ज़िंदगी एक और मौका दे इस जन्नत की सैर का …….
टिप्पणी के लिये हार्दिक धन्यवाद।
Hi Makesh ji
Sorry for posting my comment late, although I read it on yesterday itself. Actually, my laptop is with service centre and I was expecting to get it back today. But things could not turn out as I wished and now it will take a few more days.
Nice post supported with beautifully shot pics.
The places you mentioned, all through the present series are on our wish list too. See, when the things materialized!
But definitely ignite a spark in the right direction… :)
Mukesh ji,
So you missed Rohtang ,any way it was a nice post supported with beautiful pictures. In pictures Bhabhi ji is also looking like Himachali lady.
On renting local winter dress , i will say they are not actually required. You ,too,must have felt the same. majority of people are there in normal woolen clothes.
and last thing…. with your each post of this tour, I felt guilty for not meeting you at Ambala due to my misunderstanding.
नरेश जी,
सही कहा आपने, अंततः हम रोहतांग तक नहीं जा पाए. सुन्दर शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका आभार. मैने भी बाद में महसूस किया की इन परिधानों को किराए पर लेने की कोई आवश्यकता ही नहीं होती, ना तो जूतों की और ना ही दस्तानों की. खैर वो कहावत बिल्कुल सही है की ”इंसान ठोकर खाने के बाद ही ठाकुर बनता है”.
अब मुझे भी लग रहा है की आपसे मुलाकात ना हो पाने में मेरी भी गलती थी, दरअसल मैं आपकी ओर से पहल का इंतज़ार करता रहा, और अम्बाला में दो घंटे टाइम पास करते वक़्त भी आपके आने का इंतज़ार करता रहा. चूंकि निकलने एक दो दिन पहले ही फोन पर हमारी बात हुई थी सो मैं आश्वस्त था की आपको मालूम ही होगा की हम किस दिन अम्बाला पहुंचने वाले हैं. और जब आपका फोन आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
इस सिचुएशन पर गुलज़ार साहब की लिखी वो पंक्तियाँ याद आ रही हैं ” तुम्हे ये ज़िद थी के हम बुलाते, हमें ये उम्मीद वो पुकारें” हज़ार राहें, मूड के देखीं कहीं से कोई सदा ना आई ………
आगे की सिचुएशन पर शैलेन्द्र सिंह की ये पंक्तियाँ याद आ रही हैं… “छोटी सी ये दूनिया, पहचाने रास्ते हैं तुम कहीं तो मिलोगे, कभी तो मिलोगे तो पूछेंगे हाल……
Naresh already said what I wanted to say. Yes, it does save your own clothes from getting wet, otherwise on a regular sunny day, it is an overkill.
Your zeal and enthusiasm is reflecting in your log, :-). I think everyone gets more romantic in such surroundings.
Thanks Nandan ji for your comment. Even these clothes didn’t save our clothes from getting wet. Yes, Manali jaa kar romantic hona to banta hai boss….
मुकेश जी
आप ने जो मनाली के बारे में तस्वीरों के साथ एक मनोरम दर्शय प्रदान किया हे उसके लिए आप को बहुत धन्यवाद आप के पोस्ट ने हमे बी मनाली की यात्रा के लिये प्रेरित किया है अगर आप के पास जोधपुर (राजस्थान ) के बारे में कोई लेख हो तो हमारे साथ जरूर साझा करे
Very nice nd enjoying blog, thanks u a lot