पिछली पोसà¥à¤Ÿ में आप ने पढ़ा के दिनà¤à¤° की जदà¥à¤¦à¥‹à¤œà¤¹à¤¦ और यातà¥à¤°à¤¾ का आनंद उठाते हà¥à¤ आखिरकार हम अपने गंतवà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ चकराता और उस पर à¤à¥€ अपने पसंदीदा à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• होटल सà¥à¤¨à¥‹ वà¥à¤¯à¥‚ के कमरे में पहà¥à¤à¤š सपनो के दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में खो चà¥à¤•े थे ! आगे …
रात में मेरी आà¤à¤– à¤à¤• दो बार डर कर खà¥à¤² गयी …अरे अरे आप लोग घबराओ मत …….कà¥à¤¯à¥‚ंकि  डर किसी à¤à¥‚त या चà¥à¤¡à¤¼à¥ˆà¤² हा न होकर इस बात का था की कहीं हम सोते सोते रह जाठऔर à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ देखना, कल रात जैसी चाय न हो जाठ……
खैर जी मैं अपनी आदत से मजबूर …..यही की पहाड़ो में सà¥à¤¬à¤¹ जलà¥à¤¦à¥€ उठो और बस निकल पड़ो, पà¥à¤°à¤•ृति की खूबसूरती का मजा लेने! सो आज à¤à¥€ मैं सबसे पहले उठ, अनà¥à¤œ और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ को बाहर का नजारा लेने के लिठउठाने लगा ! लेकिन कई बार हिलाने और बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ पर जब पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ बाबू नहीं उठे तो मैं और अनà¥à¤œ चल पड़े अपनी पहाड़ी सà¥à¤¬à¤¹ का मजा लूटने !
| Â |
बाहर आते ही हमारे मà¥à¤¹ से निकला …..वाआओ …. कà¥à¤¯à¤¾ सीन है यार …. दूर पहाड़ो के पीछे धरती पर पड़ती सूरज की पहली किरण जैसे कह रही हो, देखा हूठन मैं बहà¥à¤¤ सà¥à¤‚दर …… थोड़ी देर हम कोतà¥à¤¹à¤² से à¤à¤°à¥‡ उस रंग बदलते  पहाडो और आसमान को देखते रहे ….फिर हमे याद आया की हमारे कैमरे à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥€ लमà¥à¤¹à¥‹à¤‚ के इंतज़ार में तो थे …
|  कà¤à¥€ इधर कà¤à¥€ उधर, अà¤à¥€Â यहाठसे तो कà¤à¥€ वहां से फोटो खीचते खिचवाते हम  उस रंगबिरंगी खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रती का मजा ले रहे थे! सोच रहे थे की आज के महानगरो में रहने वाले हम इंसानों के लिठतो à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¬à¤¹ किसी अजूबे के कम नहीं!  जहाठसूरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ तो दूर की बात, दिन में à¤à¥€ काम करने के लिठलाइट जलानी पड जाती है! |
| काफी देर इधर उहर चहल कदमी कर सà¥à¤¬à¤¹ की मंद मंद हवा अपने फेफड़ो में à¤à¤°à¤¤à¥‡ हà¥à¤ मै और अनà¥à¤œ उन पलो को अपने कैमरे में कैद करते रहे! लगà¤à¤— ॠबजे जाकर कहीं पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ बाऊ की नीद की खà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ उतरी तो वो à¤à¥€ à¤à¤ªà¥à¤ªà¤² मैंने सेब वाला फोन लेकर आगये मैदाने सà¥à¤¨à¥‹ वà¥à¤¯à¥‚ होटल में ……पर तब तक तो वो सà¥à¤¬à¤¹ का जादà¥à¤ˆ करिशà¥à¤®à¤¾ खतà¥à¤® हो चूका था ! |
तो आप समठही गठहोंगे ….बस हमारी करी हà¥à¤ˆ रेकोरडिंग देख कर ही गà¥à¤¡ मोरà¥à¤¨à¤¿à¤‚ग कर ली उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तो  ….इधर उधर देख कहने लगा अरे वाह इसी होटल में रà¥à¤•े  हैं हम ….कà¥à¤›Â  देर होटल की और आसपास की फोटो खीचने के बाद हम तीनो पà¥à¤°à¥‡ जोश के साथ  आज की यातà¥à¤°à¤¾ के लिठसà¥à¤¨à¤¾à¤¨  धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और  होटल वाले साहब का हिसाब कर à¤à¤• सà¥à¤¨à¥‡ सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡Â पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ रेसà¥à¤¤à¥Œà¤°à¥‡à¤‚ट शेरे-ठ-पंजाब की तलाश में चकराता टाउन की और निकल पड़े!
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में चकराता, यमà¥à¤¨à¤¾ और टोंस नदियों के बीच सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ विशेष फà¥à¤°à¤‚टियर बलों के लिठसà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ चौकी होने के अलावा रिसरà¥à¤š à¤à¤‚ड à¤à¤¨à¤¾à¤²à¤¿à¤¸à¤¿à¤¸ विंग (रॉ)  à¤à¤¾à¤°à¤¤ की खà¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤œà¥‡à¤‚सी के लिठपà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ सà¥à¤¥à¤² à¤à¥€Â  है चकराता  अपने  घने जंगलों हरियाली, और सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦ जलवायॠके लिठपà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ à¤à¤• शांत पहाड़ी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ है. चकराता के चारों ओर वन वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और जीव की à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला जैसे  तेंदà¥à¤†, जंगली पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, चितà¥à¤¤à¥€à¤¦à¤¾à¤° हिरण, आदि इन जंगलों में पाया जाती है.
चकराता के आस पास टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग और सà¥à¤•ीइंग के लिठकई लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आपको मिल जायेंगे! खरामà¥à¤¬à¤¾Â पीक  à¤à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ टà¥à¤°à¥ˆà¤•िंग सà¥à¤¥à¤²Â है. इसके आस पास  कई पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤«à¤¾à¤“ं और मंदिरों का पता लगाया जाना अà¤à¥€ बाकी है. हाल ही में होटल हिमालयन पैराडाइस के मालिक जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लोग बिटà¥à¤Ÿà¥‚ के नाम से जानते है उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• नई  गà¥à¤«à¤¾  की खोज की थी! जिसे अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° के à¤à¥‚ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• ने à¤à¥€ सरहां और  जांच पड़ताल कर आंकड़े इकà¥à¤•टà¥à¤ े किये थे!  इस गà¥à¤«à¤¾ को अब बिटà¥à¤Ÿà¥‚ गà¥à¤«à¤¾Â के नाम से जाना जाता है! और मेरा à¤à¥€ इस गà¥à¤«à¤¾ से कà¥à¤› खास खास लगाव हो गया है चूà¤à¤•ि  इतà¥à¤¤à¥‡à¤«à¤¾à¤•न इस गà¥à¤«à¤¾ का नाम मेरे उप  नाम पर है!!
होटल से निकल हम ठीक रात वाली जगह पहà¥à¤‚चे ,जहाठहमसे वो जोंसारी आदमी मà¥à¤¨à¥à¤¸à¤¿à¤ªà¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ की परà¥à¤šà¥€ काटने के  लिठकह  रहा था ! रात के विपरीत अब तो उस जगह à¤à¤•  चहल पहल दिखाई दे रही थी और गेट à¤à¥€ खà¥à¤²à¤¾ ही था ! हसीन वादियों को निहारती पारà¥à¤•िंग में वो à¤à¥€ बिना किसी पारà¥à¤•िंग शà¥à¤²à¥à¤• हम अपनी  कार  को छोड़,  पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ रेसà¥à¤¤à¥Œà¤°à¥‡à¤‚ट शेरे-ठ-पंजाब की तलाश में लग गà¤!
जो किसी ने बताया वही उस छोटे से और मेन बाज़ार में थोडा आगे  था ! लेकिन जब मन में आलॠके परांठो की आस लगाये हम रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट तक पहà¥à¤‚चे तो बस कà¥à¤¯à¤¾ बताऊठ………… वो तो सिफ नाम का शेर था बाकी रहा सहा पंजाब à¤à¥€ तà¤à¥€ गायब हो गया जब उसके मालिक ने कहा अà¤à¥€ खाने को कà¥à¤› नहीं मिलेगा दोहपर को आना , अà¤à¥€ तो à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ सिलà¥à¤—ायी है …….
à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ तो पता नहीं सà¥à¤²à¤—ी के नहीं लेकिन हमारी जरà¥à¤° …….à¤à¥‚ख लगी थी सो à¤à¤• साफ़ सà¥à¤¥à¤°à¥€ दूकान देख उसी में चाय और मैगी खाते खाते आगे की योजना बनाई की अà¤à¥€ à¤à¤• अनजान और सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ जगह बà¥à¤§à¥‡à¤° चलेंगे! जहाठहम रहसà¥à¤¯à¤®à¤ˆ मोइला गà¥à¤«à¤¾à¤“ को ढूंढ़ और देख सकेंगे, फिर कनासार , देवबन और टाईगर फाल  का मजा लेकर गाडी और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को जहा जगह मिलेगी विशà¥à¤°à¤¾à¤® देंगे!
नाशà¥à¤¤à¤¾ कर हमने अपनी गाडी बà¥à¤§à¥‡à¤° की और बढा दी। बà¥à¤§à¥‡à¤° में वन विà¤à¤¾à¤— की à¤à¤• चौंकी à¤à¥€ है! जोकि  कोटि कनासर रेंज में पड़ता है! यहाठसे चकराता -तà¥à¤¯à¥‚नी मारà¥à¤— पर लगà¤à¤— 20-22  कि मी है! रासà¥à¤¤à¤¾ बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर और  पहाड़ी है! हम à¤à¥€ रासà¥à¤¤à¥‡ में पड़ते बेहद खà¥à¤¬à¤¸à¥‚रत सिडिनà¥à¤®à¤¾ खेतो को देखते और अपने कैमरों  में कैद करते आगे बढ़ते रहे।
| Â |
सारे रासà¥à¤¤à¥‡ में मà¥à¤¶à¤•िल से 4-5  गाडिया मिली होंगी। सच कहूठतो कहीं जगह तो रासà¥à¤¤à¤¾ इतना डरावना लगने लगता था के कोई नया डà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤µà¤° हो तो बीच में ही छोड़ के à¤à¤¾à¤— जाà¤à¥¤
खैर जी हम मनमोजी घà¥à¤®à¤•à¥à¤•ड़ तो उन रासà¥à¤¤à¥‹ में à¤à¥€Â रोकते रà¥à¤•ाते, पहाड़ो से बह कर आते मीठे ताजे पानी का आनंद उठाते à¤à¤• जगह पहà¥à¤šà¥‡ जहाठपहली बार किसी बोरà¥à¤¡ पर बà¥à¤§à¥‡à¤° लिखा देखा !
वहीà¤Â à¤à¤• टà¥à¤Ÿà¤¾ फूटा सा खोखा था जहा पूछने  पर पता चला के बà¥à¤§à¥‡à¤° वहां से थोडा बाई दिशा में जगल की और जाती à¤à¤• निहायत ही  संकरी और कचà¥à¤šà¥€ रोड से था। रासà¥à¤¤à¥‡ पर घास और उसमे बने टायरो  के निशान देखकर ही अंदाजा हो रहा था के हम कà¥à¤› अलग सा ही देखने जा रहें हैं!
लगà¤à¤— 6 कि मी  आगे जाने  पर जहाठरासà¥à¤¤à¤¾ खतà¥à¤®  था à¤à¤• बहà¥à¤¤ ही सà¥à¤‚दर सा मकान था। लेकिन  दो चार मिनट बाद  देवदारों के पेड़ो के बीच से आये फारेसà¥à¤Ÿ गारà¥à¤¡  ने बताया की ये à¤à¤• फारेसà¥à¤Ÿ रेसà¥à¤Ÿ हाउस है  जोकि हमारी गाडी की आवाज़ सà¥à¤¨ इस डर  से à¤à¤¾à¤— कर आया था के शायद उसके महकमे के कोई सरकारी बाबू  लोग आयें है, कà¥à¤¯à¥‚ंकि शायद वो आम इंसानों के वहां न होने का आदि हो गया था। थोड़ी बातचीत कर उसने बताया के मोइला गà¥à¤«à¤¾ ( Moila Caves) और वहां  à¤à¤• ताल (water pond) जो की अà¤à¥€ और आगे  3 कि मी  घने देवदारों से होकर  टà¥à¤°à¥ˆà¤• करने पर आà¤à¤—ी।
 देखा तो ११ बज चà¥à¤•े थे और पता नहीं अब कितना टाइम और लगेगा सो उस à¤à¤²à¥‡ मानà¥à¤¸ से देर होने पर रà¥à¤•ने और खाने का à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ ले, बेचिंत à¤à¤• बैग में खाने पीने  और ताल में नहाने का सामान ले हम चल पड़े। घने देवदारों के पेड़ो के बीच उठते बैठते , फोटो खीचते,  डरते-डराते  आखिरकार  अपनी मंजिल पर पहà¥à¤à¤š ही गà¤à¥¤
अजी वाह ….कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¦à¤°à¤¤ का करिशà¥à¤®à¤¾ था। कोई सोच à¤à¥€ नहीं सकता था के इस घने और पहाड़ी जंगलो के पीछे और à¤à¤• दम नीले चमकते आसमान के नीचे सैकड़ो कà¥à¤°à¤¿à¤•ेट के मैदानों के बराबर à¤à¤• हरी चादर बिछी  होगी। à¤à¤• दम खà¥à¤²à¤¾ और छोटी छोटी ऊà¤à¤šà¥€ नीची पहाडियों का मैदान सा था। वही à¤à¤• छोटी सी पहाड़ी पर बीचो बीच à¤à¤• छोटा लकड़ी का मंदिर नà¥à¤®à¤¾ ढांचा दिखाई दे रहा था।
ये सब देखकर हम तो मानो जैसे सà¥à¤•ूल से छà¥à¤Ÿà¥‡, छोटे छोटे बचà¥à¤šà¥‹ की तरह दोड़ते à¤à¤¾à¤—ते , गिरते पड़ते जब उस मंदिर नà¥à¤®à¤¾ ढांचे तक पहà¥à¤šà¥‡ तो à¤à¤• बार को तो उसे देखकर हम तीनो सिहर से उठे। वो à¤à¤• लकड़ी का बना मंदिर ही था पर उसमे न कोई मूरà¥à¤¤à¤¿ न घंटा , हाठउसमें इधर उधर  किसी जानवर के पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ हो चà¥à¤•े  सिंग , कà¥à¤› बरà¥à¤¤à¤¨ से टंगे हà¥à¤ थे और à¤à¤• लड़की का ही बना पà¥à¤¤à¤²à¤¾ दरवाजे से बाहर जो की कोई  दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¤¾à¤² सा लग रहा था। मन ही मन उस माहोल और जगह को पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® कर अपने साथ लाये मिनरल वाटर की  बोतल से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जल अरà¥à¤ªà¤£ किया और परिकरà¥à¤®à¤¾ कर बड़े इतà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¾à¤¨ से वहां बैठदूर दूर तक फैली वादियों और शानà¥à¤¤à¤¿ का मजा लेने  लगे। थोड़ी देर बाद सोचा  के चलो ताल में नहाते है फिर कà¥à¤› खा पीकर गà¥à¤«à¤¾à¤“ को ढूंढ़ेगे।
पानी का ताल जो की थोडा और आगे था जलà¥à¤¦à¥€ ही दिखाई दे गया लेकिन वहां पहà¥à¤à¤š कर नहाने का सारा पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® चोपट हो गया। कारण उसमे पानी तो बहà¥à¤¤ था परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• दम मटियाला। सो सिरà¥à¤« उसके साथ फोटो खीच कर ही मन को  समà¤à¤¾ लिया। अब बारी  गà¥à¤«à¤¾ ढूंढने की तो लेकिन वहां चारो और दूर दूर तक कोई गà¥à¤«à¤¾ तो नहीं अपितॠमकेक बंदरो के à¤à¥à¤£à¥à¤¡ घूम रहे थे। जो की हम पर इतनी कृपा कर  देते थे की हम जिस दिशा में जाते वो वहां से दूर à¤à¤¾à¤— जाते थे। हम तीनो काफी देर अलग अलग होकर  ढूंढते  रहे पर हमें तो कोई गà¥à¤«à¤¾ नहीं दिखी सिरà¥à¤« शà¥à¤°à¥‚ में आते हà¥à¤ à¤à¤• छोटा सा गडà¥à¤¢à¤¾ नà¥à¤®à¤¾ दिखाई दिया  था।
हमारी खà¥à¤¶ किसà¥à¤®à¤¤à¥€  कहो कि,  न जाने कहाठसे à¤à¤• पहाड़ी लड़का जो की अपने अपनी à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¥‹  और अपने साथी को ढूंढ़ रहा था,  वहां आ गया। हम उस से कà¥à¤› पूछते उलà¥à¤Ÿà¤¾ वो ही हमसे पूछ  रहा था,  के हमने कहीं à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¥‡ और उसका साथी तो नहीं देखा। कà¥à¤› देर बात करने पर पता चला के निचे पास ही के à¤à¤• गाव का रहने वाला था। गà¥à¤«à¤¾ और मंदिर के विषय में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तो वो à¤à¥€ कà¥à¤› नहीं जानता था हाठइतना जरà¥à¤° बताया के ये किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ देवता का मंदिर है जो कà¤à¥€ आकाशीय बिजली गिरने से अब मूरà¥à¤¤à¤¿ विहीन है।
जब वो गà¥à¤«à¤¾ दिखाने  ले गया तो हम बड़ा हà¤à¤¸à¥‡ और आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ à¤à¥€ हà¥à¤† की यार ये तो वही गडà¥à¤¢à¤¾ नà¥à¤®à¤¾ सा है जिसे न जाने कितनी ही बार हमें अनदेखा सा कर दिया था। वो बेचारा à¤à¥€ उसी फारेसà¥à¤Ÿ गारà¥à¤¡Â  की à¤à¤¾à¤‚ति हमें किसी खोजबीन दसà¥à¤¤à¥‡ का à¤à¥‚ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• समठरहा था। गà¥à¤«à¤¾ के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ के पास बैठकर हमने थोडा खाया पिया और बड़े ही शरमाते हà¥à¤ उसने à¤à¥€ हमारा साथ दिया। खाने पीने के बाद अब गà¥à¤«à¤¾ की बारी थी लेकिन वो à¤à¤¾à¤ˆ  और पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£  बाबू तो घबरा कर गà¥à¤«à¤¾ के मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर ही बैठ गà¤à¥¤ कि  पता नहीं अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤¯à¤¾ हो  कोई जानवर , सांप , अजगर , à¤à¤¾à¤²à¥‚ …….
लेकिन हमारे कीड़े à¤à¤¾à¤ˆ साहब कहाठमानने वाले थे सो मै  à¤à¥€ हो लिया उनके साथ। गà¥à¤«à¤¾ मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ पर बहà¥à¤¤ ही संकरी थी सिरà¥à¤« बैठकर ही अनà¥à¤¦à¤° जाया जा सकता था। 2-4 मीटर अनà¥à¤¦à¤° जाने पर हम दोनों को कà¥à¤› à¤à¥€ दिखाई नहीं दे रहा था à¤à¤• दम घà¥à¤ª अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हाथो और पैरो से अंदाजा लगाते थोडा बहà¥à¤¤ घिसटते हम आगे बढ़ते रहे। कà¥à¤› समठनहीं आ रहा तो याद आया मोबाइल फोन की टोरà¥à¤š ….चलो जी कà¥à¤› तो सही …
कà¤à¥€ फोन की टोरà¥à¤š और कà¤à¥€ अंदाजे से फोटो खीचते हम लगà¥à¤à¤— 15-16 मीटर या कà¥à¤› और आगे तक गठहोंगे  …. अंदाजा लगाना मà¥à¤¶à¥à¤•िल था।  कà¥à¤¯à¥‚ंकि वहां सब इतना रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯à¥€ और डरावना लग रहा था के समय और दूरी की तरफ तो हमारा धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं था। आगे जाने पर वो कà¤à¥€Â 2 -3 दिशोओ में बंट जाती और बड़ी होती जाती थी। शà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤¤ में हम बैठकर फिर à¤à¥à¤• कर और बाद में à¤à¤• जगह खड़े होकर चलने लगे। à¤à¤• जगह पहà¥à¤à¤š कर इतना अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ और कनà¥à¤«à¥à¤¯à¥‚जन था के मैंने बोला दॊसà¥à¤¤ अब और खतरा मोल नहीं लेते …हमारे पास  कोई साज सामान à¤à¥€ नहीं ….अगर गलती से à¤à¥€ चोट लगई तो यहाठ दूर  तक कोई बचाने वाला  नहीं मिलेगा। मिल à¤à¥€ गया तो यहाठअनà¥à¤¦à¤° कैसे घà¥à¤¸à¥‡à¤—ा।
अनà¥à¤œ à¤à¥€ मेरी बात से सहमत था सो अब हम वापिस हो लिठ…….मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ के पास पहà¥à¤š देखा पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ और वो लड़का हमारा ही इंतज़ार कर थे पà¥à¤°à¤µà¥€à¤£ तो थोडा अंदर घà¥à¤¸ à¤à¥€ गया था पर वो à¤à¤¾à¤ˆ तो मà¥à¤¹à¤¾à¤¨à¥‡ से अनà¥à¤¦à¤° आया ही नहीं। बहार निकल हमने इतà¥à¤®à¤¿à¤¨à¤¾à¤¨ की सांस ली और फिर à¤à¤• विजयी और गà¥à¤¦à¤—à¥à¤¦à¤¾à¤¤à¥‡ से आà¤à¤¾à¤¸ के साथ उस गà¥à¤«à¤¾, पहाड़ी लड़के, बंदरों और मंदिर वाले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ देवता का शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अदा कर वापसी की दोड  लगा दी।
बà¥à¤§à¥‡à¤° फारेसà¥à¤Ÿ गेसà¥à¤Ÿ हाउस तक पहà¥à¤‚चे तो देखा के पहाड़ी लड़के का साथी और à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¥‡ वो à¤à¥€ वहां पर हैं। इन सब में हमें दो नर à¤à¥‡à¤¡à¤¼à¥‹  की वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ वाली लड़ाई à¤à¥€ देखने को मिल गयी, जिसे अनà¥à¤œ ने  थोडा सा मोबाइल में कैद à¤à¥€Â कर लिया।
3 बज गठतो वहां रà¥à¤•ने का पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® कैंसिल कर दो चार फोटो खीच à¤à¤Ÿà¤ªà¤ŸÂ ही हमने वहां से गाडी दोड़ा दी। कारण के हमारे अनà¥à¤¨à¥‚ à¤à¤¾à¤ˆ को अचानक पता नहीं कहाठसे राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग का कीड़ा काट गया। बोला …. यार बिटà¥à¤Ÿà¥‚ … बस  अब राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग और करनी है  मजा आ जाà¤à¤—ा टूर का ……..अब ऋषिकेश चलते हैं वहां राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग करेंगे ……
ये लो …अब इसे कà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤† इतने जंगल में अब राफà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ग कहाठसे करें। कहाठऋषिकेश कहाठहम चकराता के जंगलो में …कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® था कानासर , देवबन , टाइगर  फाल ???? अब उसका कà¥à¤¯à¤¾ …जब तक हम ये मामला सà¥à¤²à¥à¤à¤¾à¤ जो की अब अगली पोसà¥à¤Ÿ में ही संà¤à¤µ है। तब तक आप सà¥à¤à¤¾à¤µ दे, कि अब हम कहाठजाये और जा सकते है के अनà¥à¤¨à¥‚ à¤à¤¾à¤ˆ का कीड़ा à¤à¥€ शांत हो जाठऔर टूर का मजा à¤à¥€ आ जाठ…..
मेरे इस यातà¥à¤°à¤¾Â लेखन के लिठआपके सà¥à¤à¤¾à¤µ और शिकायते अति आवशà¥à¤¯à¤• है सो कृपया सहयोग देते रहें ….जलà¥à¤¦à¥€ ही लोटà¥à¤‚गा धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ !!!!




















वाह पंकज भाई, पढ़ कर मज़ा आ गया.
धन्यवाद, प्रवीण जी…
From the pictures , is has been established that this place is only for true Ghumakkars, not for tourist.
As I am zero in photgraphy, so one silly question.. how you combined 4 photo in 1 and put water mark on it..
नरेश जी….
आप अपने चित्रों को फोटोशाप या गूगल पिकासा की मदद से आपस में जोड़ सकते हैं….साथ-साथ उन पर वाटर मार्क भी डाल सकते हैं….
नरेश जी ऐसी बात नहीं यह स्थान काफी सुरक्षित है सिर्फ एकांत और ज्यादा प्रसिद्द न होने ही वजह से ही ऐसा लगता है! और सच कहूँ तो किसी स्थान के पर्यटक स्थल बनने में घुमक्कड़ो का ही सर्व प्रथम सहयोग रहता है!
दूसरा आप सबसे सरल गूगल पिकासा में फोटो को इसतरह जोड़ और वाटर मार्क लगा सकते हैं!
Enjoying ….
Chakrata trip can not be completed without Tiger fall, hope to see the same in your next post.
धन्यवाद महेश जी,
आपने सच कहा के टाइगर फाल के बिना तो चकराता की यात्रा अधूरी है! लेकिन जैसा की आपने पढ़ा हमारी यात्रा राफ्टिंग और टाइगर फाल के बीच में अटक सी गयी है! जल्दी ही इस अगली पोस्ट में इस अड़चन को दूर करूँगा!!!!!
यदि आप राफ्टिंग के लिए गये होंगे तो चकराता के पास तो त्यूनी में टोन्स नदी पे ही संभव हुआ होगा |
Oh! What a place. I didn’t know this existed. Will surely check this out next I go there. Thanks for sharing!
Thanks Anand,
I am happy that you like this place & am sure you ll be fall in love with place once you go there for your camping
All the best …..Ride Safe
चकराता के बुधेर में रहस्यमयी गुफा के दर्शन और वर्णन पढ़कर मजा आ गया…| वैसे ऐसी तरह की अंजानी जगह जहाँ भीड़भाड़ न हो खतरा मोल लेने से बचना चाहिये….| आपके द्वारा लगाए के चित्रों और चलचित्रों का हमने ख़ूब लुफ्त उठाया….| जब चित्र अधिक हो तो सोच में पड़ जाते है की किसे लगाया जाए, और किसे हटाया जाए….| एक चित्र में चित्रों को जोड़कर अधिकतर चित्र दिखाने का यह तरीका बढ़िया हैं….. घुमक्कड़ की अपनी दो चार लेखो में भी मैने ऐसा ही किया था….|
अंत में रोमांचकारी लेख के लिए धन्यवाद…..
शुक्रिया रितेश जी,
मैं भी आपसे एक दम सहमत हूँ के किस अनजान और सुनसान जगह पर खतरा मोल नहीं लेना चहिये, और हमने भी वही किया , क्यूंकि जहाँ तक हमे सही लगा सिर्फ वही तक कोशिश करी थी,
मैं भी थोडा असमंजस में रहा के कोन सी फोटो लगाऊं कोन से नहीं, ताकि आप सब को उस स्थान और माहोल का आनद आसके, इसीलिए मैंने कुछ फोटो को जोड़कर यह प्रयास किया, अभी भी बहुत सी छुट गयी ……लेकिन फिर भी मुझे यह तरीका बहुत भाया!
बहुत दिलचस्प यात्रा विवरण है.. पर कुछ सुंदर चित्रों को बड़ा लगाते तो ज्यादा मज़ा आता
इस तरह की गुफाओं में जाना नही चाहिये… जंगली जानवर या सांप होते है… कई बार अंदर की हवा भी जहरीली होती है
धन्यवाद् सर् जी , प्रशन्शा ऎव्म् सुझाव् कॆ लियॆ!
आप नॆ सही कहा ऐसी गुफा मॆ ऐसॆ जाना नही चाहियॆ ….ईसीलियॆ मै आनॆ सॆ पहलॆ मै इस् गुफा कॆ बारॆ मॆ जानकारी जुटा कर् आया था ऒर् हम् स्तर्क् भी रहे इस् दॊरान् ….
nice post,good photographs
Thank you Ashok Ji
,maza aana kise kehte hain? romanch kya hoti hai?4 photo ko ek saath kaise tag karte hain? bina dar ke gufa ke andar kaise jaya jata hai?kisi post ko padhte hue apne aap ko bhi usi jagah live mehsoos (video tagging)kaise karaya ja sakta hai?in sabhio sawalo ka jawab janane ke lie aapko ghumakkar pankaj ke is post ko padhna behad jaruri hai.bahut khub.ummeed hai fall wagaira ke saath me rafting ka bonus bhi agli post me dekhne padhne aur khud ko bhi wahi par hone ka ehsas agli post me milega.
राजेश के बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी टिपण्णी पढ़कर मन गदगद हो गया…मैं ये ये कहूँगा के इस पोस्ट को पंधे के साथ साथ आपकी ये टिपण्णी पढ़ी भी बहुत जरुरी है …..
राजेश के बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी टिपण्णी पढ़कर मन गदगद हो गया…मैं ये ये कहूँगा के इस पोस्ट को पढने के साथ साथ आपकी ये टिपण्णी पढनी भी बहुत जरुरी है …..
Mast hai bhai … mazedaar post.
Thanks Deepak,
Not only you Pankaj (or should we say Bitto) even we felt ‘Woow’ so many times. From Sunrise (and great observations around city setups) to Sher-E-Sans-Punjab to the mysterious temple and cave. And to top it all, you ensured that you click enough so that people like us get to read and feel the place. Thank you.
We have a convention here at Ghumakkar. We tag the ‘new places’ as FOG i.e. “First on Ghumakkar”. If I remember rightly then this log is a FOG. I have read a LOT of chakrata logs here as well as elsehwere and also visited it once, in 2004, but was not aware of these places. So multiple thanks Pankaj.
I guess Mahesh has already disclosed the secret but we wont know unless you tell us. Dont make us wait for long. Wishes.
Many thanks to you sir ji.. for your support & comments & its my pleasure that you mentioned this log as FOG.
I am happy as i m but now i am feeling happiness around me after reading your comment.
Again thanks to you….
Keep Travelling …..Keep Smiling:)
Reading late so commenting also late. It’s a new place for me and it’s also in my list.
Thanks for sharing the post.
Thanks Saurabh for reading & commenting.
Its really awesome place to visit & i hope soon we ll be reading a travel log from your side about this.
So all the best keep travelling …….