पà¥à¤°à¤¿à¤¯ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚,
अà¤à¥€ तक हम माउंट आबू घूम रहे थे और दो दिन जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सरोवर में जà¥à¤žà¤¾à¤¨-गंगा में डà¥à¤¬à¤•ियां लगा कर, नकà¥à¤•ी लेक में बोटिंग करके, पीस पारà¥à¤• में पिकनिक मना कर और बाबा के कमरे में समाधिसà¥à¤¥ होकर वापस उदयपà¥à¤° लौट चà¥à¤•े हैं। उदयपà¥à¤° में à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोक कला à¤à¤µà¤¨, राणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª मैमोरियल (मोती मागड़ी), वीर सà¥à¤¥à¤² और शिलà¥à¤ªà¤—à¥à¤°à¤¾à¤® देखा जा चà¥à¤•ा है। थोड़ी सी सैर बाज़ार की à¤à¥€ कर ली गई है। अब आज का दिन सिटी पैलेस के नाम ….
हमारे होटल के कमरे की बालकनी से हमें बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¤† सिटी पैलेस !
उदयपà¥à¤° पहà¥à¤‚च कर हम अपने होटल के बरामदे से जिन दो महलों को टकटकी लगाये देखते रह गये थे, वह थे लेक पैलेस और सिटी पैलेस!  रात हो या दिन, पिछोला à¤à¥€à¤² के मधà¥à¤¯, अपनी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से मà¥à¤—à¥à¤§ करता हà¥à¤† लेक पैलेस विशà¥à¤µ à¤à¤° में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है और the most romantic hotel of the world के रूप में चयनित हो चà¥à¤•ा है। वहीं दूसरी ओर, सिटी पैलेस लेक पिछोला के दूसरे तट पर à¤à¤• राणा मागड़ी नामक पहाड़ी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है और à¤à¤• विशाल दà¥à¤°à¥à¤— जैसा अनà¥à¤à¤µ होता है। इसकी छवि à¤à¥€ पिछोला à¤à¥€à¤² में जब à¤à¤¿à¤²à¤®à¤¿à¤²à¤¾à¤¤à¥€ है तो मन मोह लेती है। अंबराई होटल में à¤à¥€ जब हम à¤à¥‹à¤œà¤¨ करने गये थे तो मेरे ठीक सामने सिटी पैलेस था, होटल में अपने कमरे की बालकनी से बाहर à¤à¤¾à¤‚का तो वहां à¤à¥€, सिटी पैलेस आवाज़ लगा कर बà¥à¤²à¤¾à¤¤à¤¾ सा अनà¥à¤à¤µ हà¥à¤†à¥¤ माउंट आबू से वापिस आने के बाद मैं बेताब था कि सिटी पैलेस देखने का नंबर कब आयेगा। हमें बताया गया था कि लेक पैलेस देखना तो बहà¥à¤¤ महंगा पड़ेगा। जहां तक मà¥à¤à¥‡ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आ रहा है, à¤à¤• टिकट 800 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के आस-पास का था जिसमें à¤à¤• कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क à¤à¥€ शामिल था। कैमरे का टिकट अलग ! à¤à¤¸à¥‡ में हमने उधर की ओर रà¥à¤– à¤à¥€ नहीं किया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम घर से यह पà¥à¤°à¤£ करके चले थे कि जाने-आने, घूमने-फिरने और होटल में ठहरने पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿ परिवार अधिकतम 20,000 खरà¥à¤š करेंगे इससे अधिक कतई नहीं! अगर सामान खरीदना हà¥à¤† तो वह खरà¥à¤š अलग रहेगा। à¤à¤¸à¥‡ में लेक पैलेस से “कोई दूर से आवाज़ दे, चले आओ!â€Â आवाज़ें सà¥à¤¨ कर à¤à¥€ अनसà¥à¤¨à¤¾ करने के लिये हम विवश थे। पर दूर पहाड़ी से सिटी पैलेस गाये जा रहा था – “आयेगा ! आयेगा !! आयेगा आने वाला, आयेगा !!!  और मातà¥à¤° 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ में हमें लालच à¤à¤°à¤¾ आमंतà¥à¤°à¤£ दे रहा था। (कैमरे के 200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ अलग अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥â€Œ कà¥à¤² खरà¥à¤šà¤¾ 320 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡!)
तो साहब, सà¥à¤¬à¤¹ पोहा, जलेबी, à¤à¤°à¤µà¤¾à¤‚ परांठे और दही का नाशà¥à¤¤à¤¾ लेकर हमने सीधे सिटी पैलेस की ओर रà¥à¤– किया। सिटी पैलेस की पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ दिशा की दीवारें लेक पिछोला की ओर से दिखाई देती है और पूरà¥à¤µà¥€ दिशा उदयपà¥à¤° शहर की ओर है। हम अपने होटल में से सिटी पैलेस का जो हिसà¥à¤¸à¤¾ देख पा रहे थे, वह इस महल की पूरà¥à¤µà¥€ दिशा थी। सिटी पैलेस खà¥à¤¦ उतà¥à¤¤à¤° – दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में लंबाई में राणा मागड़ी नामक पहाड़ी पर बसा हà¥à¤† है।
सिटी पैलेस की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ महाराणा पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª के पूजà¥à¤¯ पिताजी महाराणा उदय सिंह जी दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ ने सनà¥â€Œ 1559 में अपने पोते अमर सिंह पà¥à¤°à¤¥à¤® के जनà¥à¤® के बाद à¤à¤• साधॠगोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® गिरि जी महाराज के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पर कराई थी। बाद में इसमें निरंतर संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ होता रहा है जिसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ विशेष रूप से राणा करण सिंह, राणा संगà¥à¤°à¤¾à¤® सिंह दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯, महाराणा सजà¥à¤œà¤¨ सिंह और महाराणा फतेह सिंह को जाता है। बावजूद इस तथà¥à¤¯ के कि इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कई राजाओं ने अपने अपने काल खंड में कराया है, इस विशालकाय परिसर का डिज़ाइन और वासà¥à¤¤à¥à¤•ला इस पà¥à¤°à¤•ार की है कि यह सब विसà¥à¤¤à¤¾à¤° अलग से थोपे हà¥à¤ नहीं बलà¥à¤•ि मूल योजना के ही अà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग लगते हैं।  सिटी पैलेस में उपलबà¥à¤§ सामगà¥à¤°à¥€ को समय के साथ – साथ नषà¥à¤Ÿ होने से बचाने के लिये वरà¥à¤· 1969 से महाराणा à¤à¤¾à¤—वत सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे à¤à¤• संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ का रूप दे दिया गया है ।
इस सिटी पैलेस  में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ के लिये दो मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— हैं। मà¥à¤–à¥à¤¯ मारà¥à¤— उतà¥à¤¤à¤° दिशा में बाडी पोल की ओर से जगदीश मंदिर के आगे से होता हà¥à¤† तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ पर आकर समापà¥à¤¤ होता है। दूसरा पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में चनà¥à¤¦à¥à¤° चौक की ओर से है और सूरज पोल पर आकर समापà¥à¤¤ हो जाता है। इस पà¥à¤°à¤•ार तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ और सूरज पोल उतà¥à¤¤à¤° और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ छोर पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° हैं। सूरज पोल के पास फतेह पà¥à¤°à¤•ाश हैरिटेज होटल और शिव निवास हैरिटेज होटल हैं जो वासà¥à¤¤à¤µ में सिटी पैलेस का ही हिसà¥à¤¸à¤¾ हैं और सिटी पैलेस के वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ संरकà¥à¤·à¤• शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ सिंह मेवाड़ और उनकी संतानों की  संपतà¥à¤¤à¤¿ हैं और उनके ही दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ में चल रहे हैं।
उतà¥à¤¤à¤° दिशा में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° की à¤à¥€ अपनी à¤à¤• दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨ है। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥â€Œ तीन पोल या तीन गेट! इसका निरà¥à¤®à¤¾à¤£ सनà¥â€Œ 1710 में महाराणा संगà¥à¤°à¤¾à¤® सिंह दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ ने कराया था और इसके ऊपर हवा महल लगà¤à¤— 100 वरà¥à¤· बाद महाराजा à¤à¥€à¤® सिंह ने बनवाया था। वासà¥à¤¤à¥à¤•ला की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ का महतà¥à¤µ बहà¥à¤¤ अधिक है पर अपà¥à¤¨ को वासà¥à¤¤à¥à¤•ला की कोई गंà¤à¥€à¤° जानकारी नहीं है। इस पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° के दायें हिसà¥à¤¸à¥‡ में उसी समय से चला आ रहा हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ मंदिर है जिसमें आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पूजा की जाती है। यह बहà¥à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° है, इतना à¤à¤µà¥à¤¯ कि हमने इसमें से सिटी पैलेस में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ ही नहीं किया! इसका उपयोग हमने बाद में पैलेस से बाहर शहर में आने के लिये किया था। दर असल, जो लोग अपनी कार या चारà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡ बस से सिटी पैलेस देखने आते हैं, उनको दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा से, यानि सूरज पोल की ओर से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करना होता है। तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ की तरफ केवल 15-20 कारों की पारà¥à¤•िंग के लायक ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ उपलबà¥à¤§ है।
रासà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• बैरियर से पहले मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हेतॠटिकट खरीदने के लिये टैकà¥à¤¸à¥€ रोकी गई और हम चारों के लिये और साथ ही मेरे कैमरे के लिये कà¥à¤² मिला कर 320 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के टिकट खरीदे गये और इसके बाद पूरे ठसके से हमारी टैकà¥à¤¸à¥€ ने राणा मागड़ी नामक इस पहाड़ी पर आगे बà¥à¤¨à¤¾ आरंठकिया। हमारे दाईं ओर पिछोला à¤à¥€à¤² चल रही थी। अचानक à¤à¤• मोड़ पर आकर टैकà¥à¤¸à¥€ रà¥à¤•ी और हम सब को उतरने का इशारा हà¥à¤†à¥¤ बाहर आकर इधर – उधर गरà¥à¤¦à¤¨ घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो गरà¥à¤¦à¤¨ घूम ही गई। वाह जी वाह! कà¥à¤¯à¤¾ धांसू दृशà¥à¤¯ था! पिछोला के तट पर à¤à¤• अति सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ open air रेसà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥‡à¤‚ट था जिसमें मेजें और मेजों पर कà¥à¤°à¤¾à¤•री और नैपकिन हमें जोर जोर से आवाज़ लगा कर बà¥à¤²à¤¾ रहे थे। इसे Sunset Terrace कहते हैं ! अगर जेब में काफी सारे गांधी जी हों तो शाम को आप यहां बैठकर चाय पीते हà¥à¤ लेक पैलेस के पीछे सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ होता हà¥à¤† देख सकते हैं । महंगी वाली चाय पीने के बाद अगर लेक पैलेस को और नज़दीक से देखने की तमनà¥à¤¨à¤¾ सिर उठाने लगे और सिर à¤à¥à¤•ा कर यहां से à¤à¥€à¤² में छलांग लगा दी जाये तो मातà¥à¤° 50 बार हाथ-पैर मार कर आप लेक पैलेस के पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° तक पहà¥à¤‚च सकते हैं।
दायें ओर का दृशà¥à¤¯ देखने के बाद गरà¥à¤¦à¤¨ सामने की ओर घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो हमारे ठीक सामने गरà¥à¤µ से सीना ताने फतेह पà¥à¤°à¤•ाश पैलेस हैरिटेज होटल खड़ा था।  बाईं ओर गरà¥à¤¦à¤¨ घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो सिटी पैलेस की सबसे ऊंची मंजिल देखने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में गरà¥à¤¦à¤¨ को 90 डिगà¥à¤°à¥€ ऊपर आकाश की ओर घà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ पड़ गया। हमने बड़ी उतà¥à¤¸à¥à¤•ता से होटल फतेह पà¥à¤°à¤•ाश पैलेस की ओर बà¥à¤¨à¤¾ शà¥à¤°à¥ ही किया था कि किसी ने बड़े पà¥à¤¯à¤¾à¤° और इज़à¥à¥›à¤¤ से समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ कि वह दà¥à¤µà¤¾à¤° 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ टिकट वालों के लिये नहीं है। 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में सिरà¥à¤« मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम ही देखा जा सकता है। हम अपना सा मà¥à¤‚ह लेकर उधर चल दिये जिधर मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम था।  यह मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम फाग वाले दिन को छोड़ कर पूरे वरà¥à¤· खà¥à¤²à¤¤à¤¾ है।  खà¥à¤²à¤¨à¥‡ का समय सà¥à¤¬à¤¹ 9.30 बजे है और मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ हेतॠटिकट 4.45 सायं तक मिलते हैं। संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ शाम को साà¥à¥‡ पांच बजे बनà¥à¤¦ हो जाता है।  शाम को 4.45 पर टिकट खरीदने की à¤à¤• ही वज़ह हो सकती है कि आप सिटी पैलेस मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम में अपनी पतà¥à¤¨à¥€ या अपना कैमरा à¤à¥‚ल आये हों और उसे लेने वापिस महल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करना चाहें। वरना à¤à¤²à¤¾ पौन घंटे में सिटी पैलेस को कैसे देखा जा सकता है?
खैर जी, सूरज पोल से पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर हम आगे बà¥à¥‡ तो à¤à¤• विशाल पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में आ पहà¥à¤‚चे।  इतना बड़ा पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण कि बस आपको कà¥à¤¯à¤¾ बतायें ! पà¥à¥‡ लिखे लोगों का कहना है कि इस आयताकार पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण का आकार 3547.16 वरà¥à¤— मीटर है। इसका सीधा सा अरà¥à¤¥ यह हà¥à¤† कि यह राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का सबसे बड़ा पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण है। और à¤à¤• à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤• बात ! विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से पता चला है कि ये पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण वासà¥à¤¤à¤µ में à¤à¤• छत है और इसके नीचे अनाज रखने के लिये विशाल आकार के कई सारे गोदाम हैं। अगर यà¥à¤¦à¥à¤§ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आ जाये तो पूरी सेना का कई मास तक पेट à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिये परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अनà¥à¤¨ का à¤à¤‚डार इसके नीचे सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहा करता था।  इस पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण को हिनà¥à¤¦à¥€ में माणिक चौक कहते हैं (अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ में à¤à¥€)।
जब हम इस पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में पहà¥à¤‚चे तो वहां छोटे – छोटे चौकोर हौद में पानी के फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‡ चल रहे थे। फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के बाईं ओर सिटी पैलेस की चार-मंजिला इमारत खड़ी थी – हमारे ठीक सामने तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ था (इतनी जलà¥à¤¦à¥€ à¤à¥‚ल à¤à¥€ गये? अरे, वही दूसरा वाला पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° जिसमें से बाहर निकलते ही जगदीश मंदिर आ जाता है।) फवà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के पास में à¤à¤• रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ था।  इसका नाम पालकीखाना रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ हैं। ये रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ à¤à¥€ बड़ी हाई-फाई टाइप की चीज़ लग रही थी, कà¥à¤› कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ कि जहां 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का शीतल पेय शायद 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का बिकता होगा। अपà¥à¤¨ ठहरे हाई-वे पर ढाबों की 40 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की मदमसà¥à¤¤ मकà¥à¤–न वाली दाल-फà¥à¤°à¤¾à¤ˆ का लà¥à¤¤à¥à¤« उठाने वाले और खाना खाने के बाद मटके का शीतल जल पीने वाले! हम à¤à¤²à¤¾ 10 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ के कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क के 100 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ देने लगे? चलिये खैर, आप तो माणिक चौक का किसà¥à¤¸à¤¾ सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‡à¥¤
ये माणिक चौक कोई à¤à¤¸à¤¾ – वैसा पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण नहीं है। इस माणिक चौक में सदियों से महाराणा और उदयपà¥à¤° की जनता होली – दीवाली – दशहरा का आननà¥à¤¦ उठाते आये हैं और पहले कà¤à¥€ यहां हाथियों की लड़ाई à¤à¥€ à¤à¤• खेल के रूप में खेली जाती थी। अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यहां पर पोलो खेले जाने के à¤à¥€ समाचार हमें पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ हैं।  महाराणा और उनके दरबारी और राजकीय अतिथि मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ की मरà¥à¤¦à¤¾à¤¨à¥€ डà¥à¤¯à¥‹à¥à¥€ में बैठकर यह खेल देखते थे, महारानियां पà¥à¤°à¤¥à¤® तल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जनानी ढà¥à¤¯à¥‹à¥à¥€ में बैठती थीं और जनता सिटी पैलेस के ठीक सामने à¤à¤• मंजिला इमारत की टैरेस पर जिसे हथनल का पैगा जैसा कà¥à¤› कहते हैं।
बताया जाता है कि आज à¤à¥€ यहां पर साल में दो-चार पà¥à¤°à¥‹à¤—à¥à¤°à¤¾à¤® होते रहते हैं और महाराणा के परिवार की आजकल 76वीं पीà¥à¥€ के रूप में शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ सिंह मेवाड़ हैं जो अति विशिषà¥à¤Ÿ अतिथियों की मेज़बानी करने के लिये सपरिवार उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहते हैं।  सिटी पैलेस के ठीक सामने वाली दीवार वासà¥à¤¤à¤µ में कमरों की à¤à¤• लंबी शà¥à¤°à¥„ंखला है। इन कमरों के ऊपर छत पर जनता के बैठने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की जाती है।
अगर आपको शà¥à¤°à¥€ जी अरविनà¥à¤¦ सिंह मेवाड़ के बारे में और जानने की उतà¥à¤¸à¥à¤•ता हो तो उनकी शिकà¥à¤·à¤¾- दीकà¥à¤·à¤¾ पहले उदयपà¥à¤° के सà¥à¤•ूल और कालेजों में हà¥à¤ˆ और फिर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने होटल मैनेजमैंट का कोरà¥à¤¸ इंगà¥à¤²à¥ˆà¤¡ से किया है।  आप धà¥à¤†à¤‚धार कà¥à¤°à¤¿à¤•ेटर हैं और पहले अपने सà¥à¤•ूल, कॉलिज, फिर विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ और अनà¥à¤¤à¤¤à¤ƒ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ कर चà¥à¤•े हैं। आप वायà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उड़ाने के à¤à¥€ शौकीन हैं और पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे हैं कि उनके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त à¤à¤¯à¤° पोरà¥à¤Ÿ को कॉमरà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤² à¤à¤¯à¤°à¤ªà¥‹à¤°à¥à¤Ÿ के रूप में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिल जाये। उनके पास अपने कà¥à¤› वायà¥à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ हैं।  मैने उनका मोबाइल नंबर जानना चाहा था पर किसी ने बताया ही नहीं !
माणिक चौक के महातà¥à¤®à¥à¤¯ का वरà¥à¤£à¤¨ करने के बाद अब हम सिटी पैलेस के मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ कर सकते हैं। इस दà¥à¤µà¤¾à¤° का नाम तोरण पोल है। सबसे पहले हमारे समà¥à¤®à¥à¤– आता है – राय आंगन ! इसे आप शाही आंगन à¤à¥€ कह सकते हैं! यह सिटी पैलेस का सबसे पहले निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ वरà¥à¤—ाकार आंगन है जो सनà¥â€Œ 1620 में राणा करà¥à¤£ सिंह ने बनवाया था। पहले यह महिलाओं के लिये था पर बाद में यह पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के लिये आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर दिया गया।  थैंक गॉड ! à¤à¤• चीज़ तो à¤à¤¸à¥€ देखने को मिली जो पहले महिलाओं की थी, बाद में पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की हो गई। हमारे सहारनपà¥à¤° में तो मेयर की सीट à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की नहीं रही, महिलाओं के लिये आरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ हो गई है। इस राय आंगन में न जाने कितने राणाओं का राजà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• हà¥à¤† है और इसी कारण इस राय आंगन का आज à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µ है।
अब अगर मैं आपसे अपने दिल की सचà¥à¤šà¥€ सचà¥à¤šà¥€ बात बताऊं तो अनà¥à¤¦à¤° इतने सारे कमरे, इतने सारे दालान और इतने सारे जीने थे कि सब गडà¥à¤¡ – मडà¥à¤¡ हो गया है। पर मेरी इसमें कà¥à¤› खास गलती नहीं है। दर असल हम लोगों के साथ ढेरों अंगà¥à¤°à¥‡à¥› à¤à¥€ चल रहे थे। समठनहीं आ रहा था कि इन तीन सौ साल पहले के महाराणाओं के उपयोग में आने वाले विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ कमरों, दालानों, बिसà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚, गाव – तकियों, सिंहासनों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दूं या या इन अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥‹à¤‚ के शानदार कैमरों को देखूं! मैं तो उनके कैमरों की लंबी – लंबी ज़ूम लैंस को देख-देख कर ही मसà¥à¤¤ हà¥à¤† जा रहा था। कà¥à¤¯à¤¾ करें à¤à¤ˆ, अपना अपना इंटरेसà¥à¤Ÿ है।
फिर à¤à¥€, मà¥à¤à¥‡ मोर चौक की à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति याद है जिसकी मैने कà¥à¤› फोटो à¤à¥€ ली थीं।  राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में मोर पकà¥à¤·à¥€ का हमेशा से विशेष महतà¥à¤µ रहा है। ये पहली, दूसरी या तीसरी मंजिल पर à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण था जिसकी दीवारों पर हरे, नीले, सà¥à¤¨à¤¹à¤°à¥‡ रंग के कांच शीशों से पांच मोर बने हà¥à¤ हैं। à¤à¤• उतà¥à¤¤à¤° में, à¤à¤• दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में और तीन मोर चौक नामक उस पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण की पूरà¥à¤µà¥€ दीवार में। जहां तक मà¥à¤à¥‡ याद है, इस मोर चौक की पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ दिशा की à¤à¤• खिड़की में अपनी धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ को बैठा कर यह कहते हà¥à¤ à¤à¤• फोटो à¤à¥€ मैने खींची थी कि मैं उनकी à¤à¥€à¤² सी गहरी आंखों की फोटो खींचना चाहता हूं पर उनका धूप का चशà¥à¤®à¤¾ उतारने के लिये कहना à¤à¥‚ल गया। सांतà¥à¤µà¤¨à¤¾ सà¥à¤µà¤°à¥‚प उनके पीछे दिखाई दे रही पिछोला à¤à¥€à¤² और उसमें मौजूद लेक पैलेस तो फोटो में आ ही गये।
चशà¥à¤®à¥‡ के पीछे पिछोला à¤à¥€à¤² सी आंखें और लेक पैलेस से सफेद चमचमाते दांत ! :D
à¤à¤• कमरा पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•ालय के रूप में था जिसे वाणी विलास नाम दिया गया था। यदि आपको महाराणा संगà¥à¤°à¤¾à¤® सिंह, महाराणा फतेह सिंह, महाराणा जगत सिंह आदि आदि महाराणाओं के दरबार, उनकी बैठकें, उनकी जनानी दहलीज आदि के बारे में बहà¥à¤¤ विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से समà¤à¤¨à¥‡ में बहà¥à¤¤ रà¥à¤šà¤¿ है तो आप यहां पर हर रोज़ आते रहें और अपना शोध पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध लिख लें। मà¥à¤à¥‡ तो वहां à¤à¤• कमरे में रखा हà¥à¤† à¤à¤• पंखा बड़ा मज़ेदार लगा जिसको चलाने के लिये 220 वोलà¥à¤Ÿ का करेंट नहीं, बलà¥à¤•ि मिटà¥à¤Ÿà¥€ का तेल चाहिये होता है। तेल जलता है तो उसकी गरà¥à¤®à¥€ से वायॠका दबाव बनता है। वायॠके इस दबाव से टरबाइन जैसा पंखे का कà¥à¤› अंदरूनी हिसà¥à¤¸à¤¾ घूमता है और उससे पंखड़ियां घूमती हैं। à¤à¤ˆ, वाह ! मैने कहा कि à¤à¤ˆ, इसे चला कर दिखाओ तो किसी ने कह दिया, सिरà¥à¤« 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का टिकट है ना? तà¥à¤® कोई राहà¥à¤² गांधी या रॉबरà¥à¤Ÿ वाडà¥à¤°à¤¾ नहीं हो! चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª आगे बॠचलो!
आगे बà¥à¥‡ तो छत से à¤à¤¾à¤‚कने पर à¤à¤• और पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण दिखाई दिया। बताया गया कि यहां रवीना टंडन की शादी हà¥à¤ˆ थी। जरूर हà¥à¤ˆ होगी, हमें तो निमंतà¥à¤°à¤£ मिला नहीं था शादी का, हमारी बला से! सच पूछो तो रवीना शादीशà¥à¤¦à¤¾ है या कà¥à¤‚वारी है – हमें इसमें à¤à¥€ कोई रà¥à¤šà¤¿ नहीं है। हमारे लिये तो हमारी अपनी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ही रवीना, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯à¤¾, माधà¥à¤°à¥€, सीता, सावितà¥à¤°à¥€, गारà¥à¤—ी, विदà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾, तिलोतà¥à¤¤à¤®à¤¾ सब कà¥à¤› हैं। (यह लाइन मैने उनको पà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ के लिये ही लिखी है!)
सिटी पैलेस को समà¤à¤¨à¤¾ हो तो आप कà¥à¤› कà¥à¤› यूं समà¤à¥‡à¤‚ कि ये उतà¥à¤¤à¤° – दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में लंबाई में बनाया हà¥à¤† महल-कम-दà¥à¤°à¥à¤—-कम-होटल-कम-संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ है। अगर आप 49,999 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ तथा उस पर विलासिता कर यानि luxury tax और VAT दे सकते हैं तो आप फतेह पà¥à¤°à¤•ाश पैलेस या शिव निवास पैलेस होटल में से किसी à¤à¤• होटल में à¤à¤• रात रà¥à¤• à¤à¥€ सकते हैं। अगर आप सोनिया गांधी के दामाद हैं और रातोंरात अरबपति बन चà¥à¤•े हैं तो आप अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का विवाह à¤à¥€ इन HRH Heritage hotels में से किसी à¤à¤• में आयोजित कर सकते हैं। पर अगर आप 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में सिटी पैलेस मà¥à¤¯à¥‚ज़ियम देखने आये हैं तो आप शानदार हवेलियां देखिये, कमरों में सजाये हà¥à¤ पंखे, बिसà¥à¤¤à¤°à¥‡, मूà¥à¥‡ आदि देखिये, अदà¥à¤à¥à¤¤Â वासà¥à¤¤à¥à¤•ला देखिये, अंगà¥à¤°à¥‡à¥› परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को निहारिये, 200 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ कैमरे के लिये देकर फोटो वगैरा खींचिये और संकरी गली से बाहर निकल लीजिये।
चलिये सिटी पैलेस के संरकà¥à¤·à¤•ों के बारे में थोड़ा सा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और दे दिया जाये। शà¥à¤°à¥€à¤œà¥€ अरविनà¥à¤¦ सिंह मेवाड़ की बड़ी सà¥à¤ªà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¥à¤—वी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़ बहà¥à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की मालकिन हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने माणिक चौक में पालकीखाना रेसà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚ के ऊपर à¤à¤• बà¥à¤Ÿà¥€à¤• खोला हà¥à¤† है जिसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤° की हसà¥à¤¤à¤•ला के विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ नमूने बिकà¥à¤°à¥€ हेतॠउपलबà¥à¤§ हैं। इस बà¥à¤Ÿà¥€à¤• का नाम है – Aashka। खà¥à¤¦ à¤à¤¾à¤°à¥à¤—वी जी अपने कà¥à¤°à¤¿à¤•ेटर पतिदेव के साथ जयपà¥à¤° में निवास करती हैं।
à¤à¤¾à¤°à¥à¤—वी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़ की à¤à¤• छोटी बहिन à¤à¥€ हैं जिनका शà¥à¤ नाम पदà¥à¤®à¤œà¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़ है जो फतेह पà¥à¤°à¤•ाश होटल और शिव निवास होटल आदि की à¤à¤•à¥à¥›à¥€à¤•à¥à¤¯à¥‚टिव डायरेकà¥à¤Ÿà¤° वगैरा कà¥à¤› हैं। शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ कà¥à¤®à¤¾à¤° मेवाड़ के à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ हैं – शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤¯à¤°à¤¾à¤œ मेवाड़ जिनको आप चाहें तो फेसबà¥à¤• पर à¤à¥€ देख सकते हैं।
कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ मेवाड़, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ विजयराज कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¥à¤—वी कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ पदà¥à¤®à¤œà¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ मेवाड़, शà¥à¤°à¥€ लकà¥à¤·à¥à¤¯à¤°à¤¾à¤œ मेवाड़ ! साà¤à¤¾à¤° – Eternal Mewar.
पूरा सिटी पैलेस देखने और समà¤à¤¨à¥‡ के लिये 250 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में ऑडियो टूर à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ है जिसमें पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ शà¥à¤²à¥à¤• à¤à¥€ शामिल है। मैने इसका सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— नहीं किया पर मà¥à¤à¥‡ लगता है कि अगर किया होता तो आपको और विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से सिटी पैलेस के बारे में बता सकता था।
सिटी पैलेस से हम बाहर निकले तो तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ की ओर से हमें बाहर निकलने का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा दिया गया। हमारी चिनà¥à¤¤à¤¾ ये थी कि गाड़ी तो हमने Sunset Tarrace और फतेह पà¥à¤°à¤•ाश होटल के पास वाली पारà¥à¤•िंग में खड़ी की थी और हम आ पहà¥à¤‚चे हैं तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ के पास जगदीश मंदिर के पास यानि शहर के मधà¥à¤¯ में।  अपने बाबू राम को कहां ढूंढें? पर तà¤à¥€ हमें ईशà¥à¤µà¤° की अनà¥à¤•ंपा और आप सबके आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से अपना बाबूराम सामने ही हाथ से इशारा करता हà¥à¤† दिखाई दे गया। मैने उससे पूछा कि वह बाबू का जà¥à¥œà¤µà¤¾à¤‚ à¤à¤¾à¤ˆ है कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अपने बाबूराम को तो हम पिछोला à¤à¥€à¤² पर पारà¥à¤•िंग में छोड़ आये थे। इस पर वह हंसने लगा और बोला कि हम अब à¤à¥€ पिछोला के बिलà¥à¤•à¥à¤² नज़दीक ही हैं। यहां तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ के पास à¤à¤• फैंसी शोरूम देख कर शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जी ने इशारा किया कि चलो, यहां कà¥à¤› देर पैरों को विशà¥à¤°à¤¾à¤® देते हैं। वहां से २,००० के करीब का सामान लेकर वह निकलीं और आज पांच साल बाद à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ उलाहना देती हैं कि मेरी वज़ह से ही ये सब बेकार का सामान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खरीदा था। पर चलो, ये तो पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की किसà¥à¤®à¤¤ में लिखा ही होता है। पैसे à¤à¥€ खरà¥à¤šà¤¤à¥‡ हैं और फिर उलाहना à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं।
सिटी पैलेस घूमते और घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ – घà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥‡ मैं à¤à¥€ थक गया हूं, अतः अब आपको लंच के लिये à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह लेकर चलते हैं जहां वरà¥à¤· 1924 की Rolls-Royce से लेकर 1956 की Morris तक सारी विंटेज कार देखने को मिलती हैं – यानि मेवाड़ के महाराणा परिवार की नितानà¥à¤¤ परà¥à¤¸à¤¨à¤² कारों का गैराज़ जहां राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€ खाना à¤à¥€ आपको खिलाया जायेगा।  पर अà¤à¥€ à¤à¤• छोटा सा कॉमरà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤² बà¥à¤°à¥‡à¤•! तब तक के लिये विदा दें!