मितà¥à¤°à¥‹ जय माता की, मितà¥à¤°à¥‹ अà¤à¥€ कà¥à¤› समय पहले मà¥à¤à¥‡ अपने à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° के साथ à¤à¤‚डारे के लिठमाता शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी के मंदिर की यातà¥à¤°à¤¾ करने का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ मिला. वैसे तो माता के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठबहà¥à¤¤ बार जाना हà¥à¤† हैं. पर यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पहली बार डाल रहा हूà¤. इधर हमारे पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के लोग माता के à¤à¤‚डारा करने की मनौती मानते हैं. और मनौती पूरा होने पर वंहा पर जाकर के à¤à¤‚डारा  करते हैं. à¤à¤‚डारा करने के लिठधरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤²à¤¾ पहले से बà¥à¤• करानी पड़ती हैं. और हलवाई आदि को पहले दिन à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ पड़ता हैं. जिससे की à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ को माता के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ ही पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ चढाने के बाद à¤à¤‚डारे का à¤à¥‹à¤œà¤¨ तैयार मिलता हैं. हमारे मà¥à¤œà¤¼à¤«à¥à¤«à¤° नगर से माता का दà¥à¤µà¤¾à¤° १२० किलोमीटर पड़ता हैं. पर यह १२० किलोमीटर ३००  किलोमीटर के बराबर पड़ता हैं. कारण सड़क के बहà¥à¤¤ ही खसà¥à¤¤à¤¾ हालात. किधर से à¤à¥€ चले जाओ चाहे रूडकी से, चाहे सहारनपà¥à¤° से, बहà¥à¤¤ ही बेकार रासà¥à¤¤à¤¾ हैं. खैर इस वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में मैंने माता की महिमा का बखान और कà¥à¤› चितà¥à¤° डाले हैं. सबसे पहले à¤à¥‚रा देव के दरà¥à¤¶à¤¨ किये जाते हैं. यंहा से माता का à¤à¤µà¤¨ २ किलोमीटर पड़ता हैं.Â
ता शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ में à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की गहरी आसà¥à¤¥à¤¾ है। उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सहारनपà¥à¤° जिले में माता का सà¥à¤‚दर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विराजमान है। सहारनपà¥à¤° नगर से 25कि.मी तथा हरियाणा पà¥à¤°à¤¾à¤‚त के यमà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤—र से लगà¤à¤— 50 कि.मी. दूर यह पावन धाम सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। शिवालिक पहाड़ियों के मधà¥à¤¯ से बहती बरसाती नदी के बीच में मंदिर रूप में माता का दरबार सजा हà¥à¤† है। शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि माता उनकी हर पà¥à¤°à¤•ार से रकà¥à¤·à¤¾ करती हैं तथा उनकी à¤à¥‹à¤²à¥€ सà¥à¤–-संपतà¥à¤¤à¤¿ से à¤à¤° देती हैं। मंदिर के गरà¥à¤ गृह में मà¥à¤–à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ माता शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी की है। माता की दाईं तरफ माता à¤à¥€à¤®à¤¾ देवी व à¤à¥à¤°à¤¾à¤®à¤°à¥€ देवी और बाईं तरफ मां शताकà¥à¤·à¥€ देवी विराजमान हैं।
माता शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ अपने à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ याद करने पर अवशà¥à¤¯ आती हैं। इस संबध में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ कथा का उलà¥à¤²à¥‡à¤– आता है। à¤à¤• समय में दà¥à¤°à¥à¤—म नाम का à¤à¤• असà¥à¤° था। उसने घोर तप दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¥‡à¤µ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करके देवताओं पर विजय पाने का वरदान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया। वर पाते ही उसने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करना पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठकर दिया। अंतत: वरदान के कारण उसने देवताओं पर à¤à¥€ विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर ली। चारों वेद à¤à¥€ दà¥à¤°à¥à¤—म ने इंदà¥à¤° देव से छीन लिà¤à¥¤ वेदों के ना होने पर चारों वरà¥à¤£ करà¥à¤®à¤¹à¥€à¤¨ हो गà¤à¥¤ यजà¥à¤ž-होम इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ समसà¥à¤¤ करà¥à¤®à¤•ांड बंद होने से देवताओं का तेज जाता रहा, वे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¹à¥€à¤¨ होकर जंगलों में जाकर छिप गà¤à¥¤ पà¥à¤°à¤•ृति के नियमों से छेड़ छाड़ होने पर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿-तà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤¿ मच गई। सारी पृथà¥à¤µà¥€ पर à¤à¤¯à¤‚कर सूखा पड़ गया जिस कारण सारी वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सूख गईं। खेतों में फसलें नषà¥à¤Ÿ हो गईं। à¤à¤¸à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में देवता व मानव दोनों मिल कर मां अंबे की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने लगे। बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की पà¥à¤•ार सà¥à¤¨ कर मां ना आठà¤à¤¸à¤¾ à¤à¤²à¤¾ कà¤à¥€ हो सकता है? à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की करà¥à¤£ आवाज पर माता à¤à¤—वती तà¥à¤°à¤‚त पà¥à¤°à¤•ट हो गईं। देवताओं व मानवों की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ देख कर मां के सौ नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से करà¥à¤£à¤¾ के आंसà¥à¤“ं की धाराà¤à¤‚ फूट पड़ीं। सागरमयी आंखों से हजारों धाराओं के रूप में दया रूपी जल बहने के कारण शीघà¥à¤° ही सारी वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हरी-à¤à¤°à¥€ हो गईं। पेड़ पौधे नठपतà¥à¤¤à¥‹à¤‚ व फूलों से à¤à¤° गà¤à¥¤ इसके तà¥à¤°à¤‚त बाद माता ने अपनी माया से शाक, फल, सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व अनà¥à¤¯ कई खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किये। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खाकर देवताओं सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने अपनी à¤à¥‚ख-पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ शांत की। समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤•ृति में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ का संचार होने लगा। पशॠव पकà¥à¤·à¥€ फिर से चहचहाने लगे। चारों तरफ शांति का पà¥à¤°à¤•ाश फैल गया। इसके तà¥à¤°à¤‚त बाद सà¤à¥€ मिलकर मां का गà¥à¤£à¤—ान गाने लगे। चूंकि मां ने अपने शत अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सौ नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से करà¥à¤£à¤¾ की वरà¥à¤·à¤¾ की थी इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शताकà¥à¤·à¥€ नाम से पà¥à¤•ारा गया। इसी पà¥à¤°à¤•ार विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शाक आहार उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के कारण à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने माता की शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ नाम से पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ की।
अंबे à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ की जय-जयकार सà¥à¤¨à¤•र मां का à¤à¤• परम à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¥‚रादेव à¤à¥€ अपने पांच साथियों चंगल, मंगल, रोड़ा, à¤à¥‹à¤¡à¤¼à¤¾ व मानसिंह सहित वहां आ पहà¥à¤‚चा। उसने à¤à¥€ माता की अराधना गाई। अब मां ने देवताओं से पूछा कि वे कैसे उनका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करें? इस पर देवताओं ने माता से वेदों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की, ताकि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का संचालन सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥ रूप से चल सके। इस पà¥à¤°à¤•ार मां के नेतृतà¥à¤µ में देवताओं ने फिर से राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ कर दिया। यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि में à¤à¥‚रादेव और उसके साथियों ने दानवों में खलबली मचा दी। इस बीच दानवों के सेनापति शà¥à¤®à¥à¤ निशà¥à¤®à¥à¤ का à¤à¥€ संहार हो गया। à¤à¤¸à¤¾ होने पर रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ नामक दैतà¥à¤¯ ने मारकाट मचाते हà¥à¤ à¤à¥‚रादेव व कई देवताओं का वध कर दिया। रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ के रकà¥à¤¤ की जितनी बूंदें धरती पर गिरतीं उतने ही और राकà¥à¤·à¤¸ पà¥à¤°à¤•ट हो जाते थे। तब मां ने महाकाली का रूप धर कर घोर गरà¥à¤œà¤¨à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि में कंपन उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर दिया। डर के मारे असà¥à¤° à¤à¤¾à¤—ने लगे। मां काली ने रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ को पकड़ कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसके रकà¥à¤¤ को धरती पर गिरने से पूरà¥à¤µ ही मां ने चूस लिया। इस पà¥à¤°à¤•ार रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ का अंत हो गया। अब दà¥à¤°à¥à¤—म की बारी थी। रकà¥à¤¤à¤¬à¥€à¤œ का संहार देखकर वह यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि से à¤à¤¾à¤—ने लगा परंतॠमां उसके समà¥à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤•ट हो गई। दà¥à¤°à¥à¤—ा ने उसकी छाती पर तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° किया। à¤à¤• ही वार में दà¥à¤°à¥à¤—म यमलोक पहà¥à¤‚च गया। अब शेर पर सवार होकर मां यà¥à¤§à¥à¤¦ à¤à¥‚मि का निरीकà¥à¤·à¤£ करने लगीं। तà¤à¥€ मां को à¤à¥‚रादेव का शव दिखाई दिया। मां ने संजीवनी विदà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— से उसे जीवित कर दिया तथा उसकी वीरता व à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर उसे वरदान दिया कि जो à¤à¥€ à¤à¤•à¥à¤¤ मेरे दरà¥à¤¶à¤¨ हेतॠआà¤à¤‚गे वे पहले à¤à¥‚रादेव के दरà¥à¤¶à¤¨ करेंगे। तà¤à¥€ उनकी यातà¥à¤°à¤¾ पूरà¥à¤£ मानी जाà¤à¤—ी। आज à¤à¥€ मां के दरबार से आधा कि.मी. पहले à¤à¥‚रादेव का मंदिर है। जहां पहले दरà¥à¤¶à¤¨ किये जाते हैं।
इस पà¥à¤°à¤•ार देवताओं को अà¤à¤¯à¤¦à¤¾à¤¨ देकर मां शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ नाम से यहां सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गईं। माता के मंदिर में हर समय शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं का तांता लगा रहता है। नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ व अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ के अवसर पर यहां अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• à¤à¥€à¤¡à¤¼ होती है। हरियाणा, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ व आसपास के कई पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के निवासियों में माता को कà¥à¤² देवी के रूप में पूजा जाता है। परिवार के हर शà¥à¤ कारà¥à¤¯ के समय यहां आकर माता का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जाता है। लोग धन धानà¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ चढ़ावे लेकर यहां मनौतियां मांगने आते हैं। उनका अटूट विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि माता उनके परिवार को à¤à¤°à¤ªà¥‚र पà¥à¤¯à¤¾à¤° व खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करेंगी। हर मास की अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ व चौदस को बसों, टà¥à¤°à¤•ों व टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤° टालियों में à¤à¤° कर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ यहां आते हैं। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाकर माता के à¤à¤‚डारे लगाठजाते हैं। माता के मंदिर के इरà¥à¤¦-गिरà¥à¤¦ कई अनà¥à¤¯ मंदिर à¤à¥€ हैं। (साà¤à¤¾à¤° : http://www.deshmeaaj.com, देश में आज.

जय माठशाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी

à¤à¥‚रा देव
à¤à¥‚रा देव के लिठà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹ की लाइन
माठमनसा देवी
माठमनसा देवी का मंदिर करीब २०० पैडिया चढ़ने के बाद के छोटी पहाड़ी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं. यंहा से माता के धाम का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° नज़ारा दिखाई देता हैं.
माठमनसा देवी मंदिर का मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°

माठके दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठढोल ताशे के साथ जाते हà¥à¤
तीन तिलंगे और पीछे माठशाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ का मंदिरÂ
इशांक, सानà¥, पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• माठमनसा देवी मंदिर के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठजा रहे हैं..
माठके दरà¥à¤¶à¤¨ को जाते हà¥à¤ मैÂ
मंदिर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯
जैसा की ऊपर से दिखाई दे रहा हैं, माता के  धाम में बिलकà¥à¤² à¤à¥€ à¤à¥€à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¡à¤¼ नहीं हैं.Â
माता का मंदिर
माता का मंदिर सामने सेÂ
माता का मंदिर दà¥à¤•ानों के पीछे
मंदिर का मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤µà¤¨Â
मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°
गरà¥à¤ गृह के सामने à¤à¤•à¥à¤¤ जन

शंकराचारà¥à¤¯ आशà¥à¤°à¤®
हरियाणा – पंजाब या दिलà¥à¤²à¥€ की ओर से आ रहे दरà¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये सहारनपà¥à¤° से होकर जाना सबसे सà¥à¤—म है। इसके लिये सहारनपà¥à¤° से उतà¥à¤¤à¤° की ओर सहारनपà¥à¤° – विकासनगर – चकरौता राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— पर बेहट होकर जाना होता है जो सहारनपà¥à¤° से पचà¥à¤šà¥€à¤¸ किमी की दूरी पर है। (बेहट सहारनपà¥à¤° जिले की à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तहसील है) । यहां से शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी शकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥€à¤ के लिये रासà¥à¤¤à¤¾ अलग हो जाता है जो लगà¤à¤— पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ किमी लमà¥à¤¬à¤¾ है। अनà¥à¤¤à¤¿à¤® à¤à¤• किलोमीटर की यातà¥à¤°à¤¾ नदी में से होकर की जाती है। यह नदी वरà¥à¤· में अधिकांश समय सूखी रहती है। यदि आप अपने वाहन से सहारनपà¥à¤° तक पहà¥à¤‚चे हैं तो दरबार तक पहà¥à¤‚चना आपके लिये किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•ार से कठिन नहीं है।Â
सहारनपà¥à¤° – विकासनगर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ सड़क है अतः विकासनगर की ओर जाने वाली या विकासनगर की ओर से आने वाली किसी à¤à¥€ बस में आप बेहट तक तो बिना परेशानी के आ ही सकते हैं। नवरातà¥à¤° के दिनों में तो आपको सैंकड़ों – हज़ारों गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ बैलगाड़ियों में, à¤à¥‹à¤Ÿà¤¾-बà¥à¤—à¥à¤—ियों में, टà¥à¤°à¥ˆà¤•à¥à¤Ÿà¤° टà¥à¤°à¥‰à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में या पैदल ही मां का गà¥à¤£à¤—ान करते हà¥à¤ जाते मिल जायेंगे। सड़क पर लेट – लेट कर दरबार तक की दूरी तय करने वालों की à¤à¥€ कमी नहीं है।Â
सहारनपà¥à¤° से अनेक बसें विशेष रूप से मां शाकà¥à¤®à¥à¤à¤°à¥€ देवी दरà¥à¤¶à¤¨ के निमितà¥à¤¤ à¤à¥€ चलाई जाती हैं जो सहारनपà¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ बेहट बस अडà¥à¤¡à¥‡ से मिल जाती हैं। यदि आप पूरी टैकà¥à¤¸à¥€ करना चाहें तो पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤µà¥‡à¤Ÿ टैकà¥à¤¸à¥€ (इंडिका, टवेरा, इनोवा, सà¥à¤®à¥‹ आदि) à¤à¥€ सहारनपà¥à¤° नगर में ही सरलता से उपलबà¥à¤§ हो जाती हैं। देहरादून, ऋषिकेश, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° की ओर से आने वालों के लिये बेहट पहà¥à¤‚चने के लिये सहारनपà¥à¤° तक आना आवशà¥à¤¯à¤• नहीं है। देहरादून – दिलà¥à¤²à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजमारà¥à¤— पर छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° के पास से कलसिया – बेहट को जाने के लिये अचà¥à¤›à¥€ सड़क है। लगà¤à¤— इकà¥à¤•ीस किमी लमà¥à¤¬à¥€ यह सड़क सहारनपà¥à¤° – विकासनगर – चकरौता राजमारà¥à¤— को देहरादून – सहारनपà¥à¤° – दिलà¥à¤²à¥€ राजमारà¥à¤— से जोड़ती है। अतः देहरादून, रà¥à¤¡à¤¼à¤•ी, हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°, ऋषिकेश की ओर से आने वाले तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ छà¥à¤Ÿà¤®à¤²à¤ªà¥à¤° से देहरादून की ओर दो किमी पर खà¥à¤² रही फतहपà¥à¤° – कलसिया सड़क पकड़ कर बेहट पहà¥à¤‚च सकते हैं।Â
साà¤à¤¾à¤° : (thesaharanpur.com/shakumbaridevi.htm)
(मितà¥à¤°à¥‹ इस यातà¥à¤°à¤¾ वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¤à¤¾ लाने के लिठमैंने कà¥à¤› लेख दूसरी साईट से लिया हैं. धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ उन सबका)
Very informative post, good photos, Thanks for it.
शर्मा जी राम राम, बहुत बहुत धन्यवाद….वन्देमातरम…
प्रिय श्री प्रवीण गुप्ता,
मां शाकुंभरीदेवी पर आपकी पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा। पर विभिन्न स्रोतों से जानकारी इकठ्ठा करने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी अलग अलग स्थानों पर अलग – अलग पढ़ने में आती है। जैसे भूरादेव मंदिर से मां के दरबार तक की दूरी एक स्थान पर आधा किमी और दूसरे स्थान पर २ किमी लिखी है। इसी प्रकार सहारनपुर से दरबार तक की दूरी एक स्थान पर 25 किमी और दूसरे स्थान पर 40 किमी है। वास्तव में सहारनपुर से बेहट 25 किमी और बेहट से दरबार की दूरी 15 किमी है। अतः कुल मिला कर 40 किमी – जैसा कि मैने अपनी वेबसाइट http://www.thesaharanpur.com/shakumbaridevi.htm पर लिखा भी है।
मुख्य मंदिर के आगे तिरपाल और डंडों से बनी प्रशाद की अस्थाई दुकानें कहने को तो अस्थाई हैं, पर हमेशा वहां मौजूद रहती हैं। उनकी वज़ह से मंदिर के मुख्य भवन का चित्र लेना संभव नहीं हो पाता । आपने जो विभिन्न स्थानों पर खड़े होकर मुख्य भवन के चित्र लिये हैं – वह बहुत अच्छे हैं। आपने मेरी वेबसाइट का ज़िक्र किया तो मैं आज फिर बहुत समय बाद उस पेज पर गया। मुझे वह लेख बहुत अधूरा लग रहा है। यदि आपकी अनुमति हो तो आपके द्वारा किया गया वर्णन मैं thesaharanpur.com पर डाल सकता हूं !
सिंघल जी बहुत बहुत धन्यवाद, मुझे जब यह मालुम पडा की यह साईट आपकी हैं तो बहुत अच्छा लगा. और रही बात अनुमति की तो आप भी इसे अपनी साईट पर डाल सकते हैं. रही बात विभिन्न स्थानों की दुरी के बारे में, मैं इसे ठीक करना चाहता हूँ, पर मुझे संपादन की सुविधा नहीं मिली हुई है…धन्यवाद, वन्देमातरम…
If ghumakkar.com were to give “fastest finger first” award to some commentator, Mr. Surinder Sharma is the most appropriate nominee for this award. It is so nice of him to offer his congratulatory comments on almost every post before anyone else. :)
I use to see the sign board of this temple whenever I use to go to Dehradun but never visited this place. Thanks for introducing to us.
महेश जी धन्यवाद बहुत बहुत, आजकल आपके लेख ब्लोगर पर पढ़ रहे हैं. बहुर ही रोमांचक और अच्छे लेख हैं. वन्देमातरम…
नवरात्र के पावन अवसर पर माता शाकुम्भरी का दर्शन कराने के लिए आपका धन्यवाद..आपका ये लेख सूचनाओ से भरा पड़ा है..आगामी ^हर की दुन^ की यात्रा करने के दौरान इस जगह ज़रूर जाया जाएगा …
राकेश जी धन्यवाद….बहुत बहुत
प्रवीण गुप्ता जी नवरात्रों में माता शाकुम्भरी के दर्शन, यात्रा की विस्तृत जानकारी व सुन्दर चित्र आनंद आ गया, मगर जिस भंडारे में गए थे उससे हमें वंचित रखा, एक चित्र भंडारे का भी होता तो हम भी प्रसाद ग्रहण कर लेते.
धन्यवाद.
त्रिदेव जी राम राम, सराहना के लिए धन्यवाद…
@ Praveen – Seeing you after a while. A right time for this post, as Tridev observed.
@ Sushant – Thank you for nominating Surinder for FFF. :-) Hope to see more of you.
नंदन जी धन्यवाद ….
प्रवीण जी,
नवरात्री के दौरान आपने माता जी के दर्शन करवा दिए, इससे उत्तम बात क्या हो सकती है? सुन्दर शब्दों तथा चित्रों से सजी यह पोस्ट बड़ी ही रोचक लगी। साझा करने के लिए धन्यवाद। एक अन्तराल के बाद आपको एक नई पोस्ट के साथ घुमक्कड़ पर देखकर प्रसन्नता हुई।
मुकेश जी जय माता की, धन्यवाद बहुत बहुत…
जय माँ शाकुम्भरी देवी ।
बहुत ही शानदार पोस्ट हे प्रवीन जी, में भी एक बार सहारनपुर से बाइक से गया था ! सुबह ५ बजे हम चले थे भीड़ से बचने के लिए, फिर भी बहुत भीड़ मिली थी हमें वहा पर ! मंदिर से पहले छोटे छोटे पत्थर वाली नदी में भी बाइक चलने में बड़ा मजा आया था ! मंदिर से बहार निकलते समय बाये हाथ के बरामदे में हमने भंडारे में कड़ी और चावल खाए थे और बापस आने के समय एक साईं मंदिर भी मिला था जो के बड़ा ही आच्हा बना था, आपने आज फिर से मुझे ५ साल पहले की यात्रा याद करा दी, माँ के दोबारा बुलाने पर जल्दी ही वहा जाऊंगा !
फिर से धन्यवाद। …..
जीतेन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद….
बहुत बढ़िया व सजीव चित्रण है प्रवीणजी… ये बताइये कि हिन्दू तख्खलुस कब से व क्यो लगा लिया
राम राम जी, तिवारी जी धन्यवाद बहुत बहुत…श्रीमान जी इस समय हम औरंगजेब के राज में रह रहे है, उत्तरप्रदेश में औरंगजेब का राज हैं. हिन्दुओ की नाम पूछ पूछ कर गिरफ्तारी हो रही हैं. उन पर रासुका लगाईं जा रही हैं. एक वर्ग को खूब बढ़ावा दिया जा रहा हैं. इतनी बुरी हालत तो शायद मुगलिया और अँगरेज़ राज में भी नहीं थी. खान्ग्रेस, बसपा, सपा, रालोद इन सभी पार्टियों में एक ख़ास वर्ग के वोट के लये जबरदस्त स्पर्धा चल रही है. हम लोगो की कोई वैल्यू नहीं हैं. इसी कारण से मैंने अपने नाम के बाद जान भूझकर हिन्दू लगाया हैं…वन्देमातरम…
Visited for Darshan on 22 March 2018 for Offering Sukhna & Celebration of 30th birthday of My Son along with My Family after approx 40 years.Enjoyed this religious journey . Further initiatives can be taken by Govt to enhance facilities .