मनोकामना à¤à¤µà¤¨ से हम लोग तैयार होकर व नहा धोकर माता के दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचल पड़े. उस समय रातà¥à¤°à¤¿ के करीब दस बज रहे थे. जब हम लोग सबसे पहली à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ पर पहà¥à¤‚चे तो कोई à¤à¥€ लाइन नहीं थी. बड़े आराम से अपनी तलाशी देने के बाद हम लोग आगे बढ़ गà¤. à¤à¤• बात का जरूर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिà¤, कि जब à¤à¥€ नहा धोकर दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठचलो तो अपने पास कोई à¤à¥€ चमड़े कि वसà¥à¤¤à¥, परà¥à¤¸, बेलà¥à¤Ÿ, कंघा, मोबाइल, कैमरा आदि नहीं होना चाहिà¤. केवल पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ और जो कà¥à¤› à¤à¥€ माता के दरबार में चढाना हो वह होना चाहिà¤. यातà¥à¤°à¤¾ कि परà¥à¤šà¥€ जरूर साथ में होनी चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि परà¥à¤šà¥€ पहली à¤à¤‚टà¥à¤°à¥€ में चेक होती हैं. अपने जूते, चपà¥à¤ªà¤², आदि à¤à¥€ अपने कमरे या कà¥à¤²à¥‹à¤• रूम में ही रख कर आने चाहिà¤. खैर हम लोग नारियल जमा करने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पहà¥à¤à¤š जाते हैं. वंहा पर हमारा नारियल जमा होकर के à¤à¤• टोकन मिलता, जिससे दरà¥à¤¶à¤¨ करने के बाद à¤à¤• नारियल वापिस मिल जाता हैं. यह पà¥à¤°à¤•िया सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कि दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से की गयी हैं. धीरे धीरे चलते हà¥à¤ हम लोग मà¥à¤–à¥à¤¯ गà¥à¤«à¤¾ के बाहर पहà¥à¤à¤š जाते हैं. यंहा पर दरà¥à¤¶à¤¨ करने के लिठदो गà¥à¤«à¤¾à¤ बनी हà¥à¤ˆ हैं, जिस कारण से जलà¥à¤¦à¥€ जलà¥à¤¦à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ हो जाते हैं. सà¤à¥€ गà¥à¤«à¤¾à¤ माता की पिंडियो के सामने जाकर समापà¥à¤¤ होती हैं. वापिस आने के लिठअलग से गà¥à¤«à¤¾à¤ बनी हà¥à¤ˆ हैं. हम लोग माता की पिंडियो के पास पहà¥à¤à¤š जाते हैं. और माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करके माथा टेकते हैं. माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करके à¤à¤¸à¤¾ लगता हैं की जैसे हमने सब कà¥à¤› पा लिया हो. हमें सब कà¥à¤› मिल गया हो. जय माता की

माता की पवितà¥à¤° पिंडिया (साà¤à¤¾à¤° : maavaishnodevi.org)
वैषà¥à¤£à¥‹ देवी मंदिर (हिनà¥à¤¦à¥€: वैषà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥‡à¤µà¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°), शकà¥à¤¤à¤¿ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• पवितà¥à¤°à¤¤à¤® हिंदू मंदिर है, जो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जमà¥à¤®à¥‚ और कशà¥à¤®à¥€à¤° में वैषà¥à¤£à¥‹ देवी की पहाड़ी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. हिंदू धरà¥à¤® में वैषà¥à¤£à¥‹ देवी, जो माता रानी और वैषà¥à¤£à¤µà¥€ के रूप में à¤à¥€ जानी जाती हैं, देवी मां का अवतार हैं.
मंदिर, जमà¥à¤®à¥‚ और कशà¥à¤®à¥€à¤° राजà¥à¤¯ के जमà¥à¤®à¥‚ जिले में कटरा नगर के समीप अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. यह उतà¥à¤¤à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सबसे पूजनीय पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है. मंदिर, 5,200 फ़ीट की ऊंचाई औरकटरा से लगà¤à¤— 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है. हर साल लाखों तीरà¥à¤¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ मंदिर का दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं और यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ में तिरूमला वेंकटेशà¥à¤µà¤° मंदिर के बाद दूसरा सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• देखा जाने वाला धारà¥à¤®à¤¿à¤• तीरà¥à¤¥-सà¥à¤¥à¤² है. इस मंदिर की देख-रेख शà¥à¤°à¥€ माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी तीरà¥à¤¥ मंडल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की जाती है. तीरà¥à¤¥-यातà¥à¤°à¤¾ को सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤œà¤¨à¤• बनाने के लिठउधमपà¥à¤° से कटरा तक à¤à¤• रेल संपरà¥à¤• बनाया जा रहा है.
कहते हैं पहाड़ों वाली माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी सबकी मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥‡à¤‚ पूरी करती हैं। उसके दरबार में जो कोई सचà¥à¤šà¥‡ दिल से जाता है, उसकी हर मà¥à¤°à¤¾à¤¦ पूरी होती है। à¤à¤¸à¤¾ ही सचà¥à¤šà¤¾ दरबार है- माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी का।
माता का बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ आने पर à¤à¤•à¥à¤¤ किसी न किसी बहाने से उसके दरबार पहà¥à¤à¤š जाता है। हसीन वादियों में तà¥à¤°à¤¿à¤•ूट परà¥à¤µà¤¤ पर गà¥à¤«à¤¾ में विराजित माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हिंदà¥à¤“ं का à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– तीरà¥à¤¥ सà¥à¤¥à¤² है, जहाठदूर-दूर से लाखों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ माठके दरà¥à¤¶à¤¨ के लिठआते हैं।
कà¥à¤¯à¤¾ है मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾
माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी को लेकर कई कथाà¤à¤ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हैं। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° माता वैषà¥à¤£à¥‹ के à¤à¤• परम à¤à¤•à¥à¤¤ शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर माठने उसकी लाज रखी और दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को अपने असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ दिया। à¤à¤• बार बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° ने अपने गाà¤à¤µ में माता का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¤¾ रखा और सà¤à¥€ गाà¤à¤µà¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ व साधà¥-संतों को à¤à¤‚डारे में पधारने का निमंतà¥à¤°à¤£ दिया। पहली बार तो गाà¤à¤µà¤µà¤¾à¤²à¥‹à¤‚ को विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ ही नहीं हà¥à¤† कि निरà¥à¤§à¤¨ शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¤¾ कर रहा है। शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° ने à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ को à¤à¥€ उसके शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया था। à¤à¤‚डारे में à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस-मदिरा का सेवन करने की बात की तब शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° ने इस पर असहमति जताई। अपने à¤à¤•à¥à¤¤ शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° की लाज रखने के लिठमाठवैषà¥à¤£à¥‹ देवी कनà¥à¤¯à¤¾ का रूप धारण करके à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥‡ में आई। à¤à¥‹à¤œà¤¨ को लेकर à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के हठपर अड़ जाने के कारण कनà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‚पी माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की किंतॠà¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ ने उसकी à¤à¤• ना मानी। जब à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ ने उस कनà¥à¤¯à¤¾ को पकड़ना चाहा, तब वह कनà¥à¤¯à¤¾ वहाठसे तà¥à¤°à¤¿à¤•ूट परà¥à¤µà¤¤ की ओर à¤à¤¾à¤—ी और उस कनà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‚पी वैषà¥à¤£à¥‹ देवी हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ को बà¥à¤²à¤¾à¤•र कहा कि à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के साथ खेलों मैं इस गà¥à¤«à¤¾ में नौ माह तक तपसà¥à¤¯à¤¾ करूंगी । इस गà¥à¤«à¤¾ के बाहर माता की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठहनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ ने à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के साथ नौ माह खेला। आज इस पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¾ को ‘अरà¥à¤§à¤•à¥à¤µà¤¾à¤à¤°à¥€’ के नाम से जाना जाता है। अरà¥à¤§à¤•à¥à¤µà¤¾à¤à¤°à¥€ के पास ही माता की चरण पादà¥à¤•ा à¤à¥€ है। यह वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, जहाठमाता ने à¤à¤¾à¤—ते-à¤à¤¾à¤—ते मà¥à¤¡à¤¼à¤•र à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ को देखा था। कहते हैं उस वकà¥à¤¤ हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ माठकी रकà¥à¤·à¤¾ के लिठमाठवैषà¥à¤£à¥‹ देवी के साथ ही थे। हनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¥€ को पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगने पर माता ने उनके आगà¥à¤°à¤¹ पर धनà¥à¤· से पहाड़ पर à¤à¤• बाण चलाकर जलधारा को निकाला और उस जल में अपने केश धोà¤à¥¤ आज यह पवितà¥à¤° जलधारा ‘बाणगंगा’ के नाम से जानी जाती है, जिसके पवितà¥à¤° जल का पान करने या इससे सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने से à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ की सारी वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤ दूर हो जाती हैं। तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿ पर वैषà¥à¤£à¥‹ मां ने à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ का संहार किया तथा उसके कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांगने पर उसे अपने से उंचा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया कहा कि जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ मेरे दरà¥à¤¶à¤¨ के पशचातॠतà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं करेगा उसकी यातà¥à¤°à¤¾ पूरी नहीं होगी। अत: शà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤²à¥ आज à¤à¥€ à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ को अवशय जाते हैं।
à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर
जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर माठवैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने हठी à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ का वध किया, वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ आज पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में ‘à¤à¤µà¤¨’ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर माठकाली (दाà¤à¤), माठसरसà¥à¤µà¤¤à¥€ (मधà¥à¤¯) और माठलकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पिंडी (बाà¤à¤) के रूप में गà¥à¤«à¤¾ में विराजित है, जिनकी à¤à¤• à¤à¤²à¤• पाने मातà¥à¤° से ही à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ कषà¥à¤Ÿ दूर हो जाते हैं। इन तीनों के समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ रूप को ही माठवैषà¥à¤£à¥‹ देवी का रूप कहा जाता है।
à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ का वध करने पर उसका शीश à¤à¤µà¤¨ से 3 किमी दूर जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर गिरा, आज उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को ‘à¤à¥ˆà¤°à¥‹à¤¨à¤¾à¤¥ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अपने वध के बाद à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ को अपनी à¤à¥‚ल का पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¤¾à¤ª हà¥à¤† और उसने माठसे कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ की à¤à¥€à¤– माà¤à¤—ी। माता वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने à¤à¥ˆà¤°à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ को वरदान देते हà¥à¤ कहा कि मेरे दरà¥à¤¶à¤¨ तब तक पूरे नहीं माने जाà¤à¤à¤—े, जब तक कोई à¤à¤•à¥à¤¤ मेरे बाद तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ दरà¥à¤¶à¤¨ नहीं करेगा।
हिंदू महाकावà¥à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, मां वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ के दकà¥à¤·à¤¿à¤£ में रतà¥à¤¨à¤¾à¤•र सागर के घर जनà¥à¤® लिया. उनके लौकिक माता-पिता लंबे समय तक निःसंतान थे. दैवी बालिका के जनà¥à¤® से à¤à¤• रात पहले, रतà¥à¤¨à¤¾à¤•र ने वचन लिया कि बालिका जो à¤à¥€ चाहे, वे उसकी इचà¥à¤›à¤¾ के रासà¥à¤¤à¥‡ में कà¤à¥€ नहीं आà¤à¤‚गे. मां वैषà¥à¤£à¥‹ देवी को बचपन में तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ नाम से बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ जाता था. बाद में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ के वंश से जनà¥à¤® लेने के कारण वे वैषà¥à¤£à¤µà¥€ कहलाईं. जब तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ 9 साल की थीं, तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पिता से समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारे पर तपसà¥à¤¯à¤¾ करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ चाही.
तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ ने राम के रूप में à¤à¤—वान विषà¥à¤£à¥ से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की. सीता की खोज करते समय शà¥à¤°à¥€ रामअपनी सेना के साथ समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारे पहà¥à¤‚चे. उनकी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ गहरे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लीन इस दिवà¥à¤¯ बालिका पर पड़ी. तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ ने शà¥à¤°à¥€ राम से कहा कि उसने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने पति के रूप में सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया है. शà¥à¤°à¥€ राम ने उसे बताया कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस अवतार में केवल सीता के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ निषà¥à¤ ावान रहने का वचन लिया है. लेकिन à¤à¤—वान ने उसे आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ दिया कि कलियà¥à¤— में वे कलà¥à¤•ि के रूप में पà¥à¤°à¤•ट होंगे और उससे विवाह करेंगे.
इस बीच, शà¥à¤°à¥€ राम ने तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ से उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ माणिक पहाड़ियों की तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला में अवसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ गà¥à¤«à¤¼à¤¾ में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लीन रहने के लिठकहा.रावण के विरà¥à¤¦à¥à¤§ शà¥à¤°à¥€ राम की विजय के लिठमां ने ‘नवरातà¥à¤°’ मनाने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया. इसलिठउकà¥à¤¤ संदरà¥à¤ में लोग, नवरातà¥à¤° के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठकरते हैं. शà¥à¤°à¥€ राम ने वचन दिया था कि समसà¥à¤¤ संसार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मां वैषà¥à¤£à¥‹ देवी की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ गाई जाà¤à¤—ी. तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾, वैषà¥à¤£à¥‹ देवी के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ होंगी और सदा के लिठअमर हो जाà¤à¤‚गी. समय के साथ-साथ, देवी मां के बारे में कई कहानियां उà¤à¤°à¥€à¤‚. à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• कहानी है शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° की.
शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° मां वैषà¥à¤£à¥‹ देवी का पà¥à¤°à¤¬à¤² à¤à¤•à¥à¤¤ थे. वे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ कटरा कसà¥à¤¬à¥‡ से 2 कि.मी. की दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हंसली गांव में रहता थे. à¤à¤• बार मां ने à¤à¤• मोहक यà¥à¤µà¤¾ लड़की के रूप में उनको दरà¥à¤¶à¤¨ दिà¤. यà¥à¤µà¤¾ लड़की ने विनमà¥à¤° पंडित से ‘à¤à¤‚डारा’ (à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤•ों और à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¤• पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤à¥‹à¤œ) आयोजित करने के लिठकहा. पंडित गांव और निकटसà¥à¤¥ जगहों से लोगों को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ करने के लिठचल पड़े. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ राकà¥à¤·à¤¸
‘à¤à¥ˆà¤°à¤µ नाथ’ को à¤à¥€ आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया. à¤à¥ˆà¤°à¤µ नाथ ने शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° से पूछा कि वे कैसे अपेकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को पूरा करने की योजना बना रहे हैं. उसने शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° को विफलता की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में बà¥à¤°à¥‡ परिणामों का सà¥à¤®à¤°à¤£ कराया. चूंकि पंडित जी चिंता में डूब गà¤, दिवà¥à¤¯ बालिका पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆà¤‚ और कहा कि वे निराश ना हों, सब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ हो चà¥à¤•ी है.उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि 360 से अधिक शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को छोटी-सी कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ में बिठा सकते हो. उनके कहे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही à¤à¤‚डारा में अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¥‹à¤œà¤¨ और बैठने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के साथ निरà¥à¤µà¤¿à¤˜à¥à¤¨ आयोजन संपनà¥à¤¨ हà¥à¤†. à¤à¥ˆà¤°à¤µ नाथ ने सà¥à¤µà¥€à¤•ार किया कि बालिका में अलौकिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ थीं और आगे और परीकà¥à¤·à¤¾ लेने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया. उसने तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ पहाड़ियों तक उस दिवà¥à¤¯ बालिका का पीछा किया. 9 महीनों तक à¤à¥ˆà¤°à¤µ नाथ उस रहसà¥à¤¯à¤®à¤¯ बालिका को ढूà¤à¤¢à¤¼à¤¤à¤¾ रहा, जिसे वह देवी मां का अवतार मानता था. à¤à¥ˆà¤°à¤µ से दूर à¤à¤¾à¤—ते हà¥à¤ देवी ने पृथà¥à¤µà¥€ पर à¤à¤• बाण चलाया, जिससे पानी फूट कर बाहर निकला. यही नदी बाणगंगा के रूप में जानी जाती है.
à¤à¤¸à¥€ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है कि बाणगंगा (बाण: तीर) में सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने पर, देवी माता पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करने वालों के सà¤à¥€ पाप धà¥à¤² जाते हैं.नदी के किनारे, जिसे चरण पादà¥à¤•ा कहा जाता है, देवी मां के पैरों के निशान हैं, जो आज तक उसी तरह विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं.इसके बाद वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने अधकावरी के पास गरà¥à¤ जून में शरण ली, जहां वे 9 महीनों तक धà¥à¤¯à¤¾à¤¨-मगà¥à¤¨ रहीं और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कीं. à¤à¥ˆà¤°à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ढूंढ़ लेने पर उनकी साधना à¤à¤‚ग हà¥à¤ˆ. जब à¤à¥ˆà¤°à¤µ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मारने की कोशिश की, तो विवश होकर वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने महाकाली का रूप लिया. दरबार में पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर देवी मां पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆà¤‚. देवी ने à¤à¤¸à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ के साथ à¤à¥ˆà¤°à¤µ का सिर धड़ से अलग किया कि उसकी खोपड़ी पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¼à¤¾ से 2.5 कि.मी. की दूरी पर à¤à¥ˆà¤°à¤µ घाटी नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर जा गिरी.
à¤à¥ˆà¤°à¤µ ने मरते समय कà¥à¤·à¤®à¤¾ याचना की. देवी जानती थीं कि उन पर हमला करने के पीछे à¤à¥ˆà¤°à¤µ की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मंशा मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की थी.उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न केवल à¤à¥ˆà¤°à¤µ को पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® के चकà¥à¤° से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की, बलà¥à¤•ि उसे वरदान à¤à¥€ दिया कि à¤à¤•à¥à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ यह सà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ करने के लिठकि तीरà¥à¤¥-यातà¥à¤°à¤¾ संपनà¥à¤¨ हो चà¥à¤•ी है, यह आवशà¥à¤¯à¤• होगा कि वह देवी मां के दरà¥à¤¶à¤¨ के बाद, पवितà¥à¤° गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के पास à¤à¥ˆà¤°à¤µ नाथ के मंदिर के à¤à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨ करें.इस बीच वैषà¥à¤£à¥‹ देवी ने तीन पिंड (सिर) सहित à¤à¤• चटà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨ का आकार गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया और सदा के लिठधà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤—à¥à¤¨ हो गईं.
इस बीच पंडित शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° अधीर हो गà¤. वे तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥à¤Ÿà¤¾ परà¥à¤µà¤¤ की ओर उसी रासà¥à¤¤à¥‡ आगे बढ़े, जो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सपने में देखा था.अंततः वे गà¥à¤«à¤¼à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤° पर पहà¥à¤‚चे. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई विधियों से ‘पिंडों’ की पूजा को अपनी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ बना ली. देवी उनकी पूजा से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚.
वे उनके सामने पà¥à¤°à¤•ट हà¥à¤ˆà¤‚ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिया. तब से, शà¥à¤°à¥€à¤§à¤° और उनके वंशज देवी मां वैषà¥à¤£à¥‹ देवी की पूजा करते आ रहे हैं.(साà¤à¤¾à¤° : विकी पेडिया)
माता की पवितà¥à¤° पिंडियो के दरà¥à¤¶à¤¨ करके, माता का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पाकर के और गà¥à¤«à¤¾ से बाहर निकलकर हम लोगो ने माता के चरणों से निकलते पवितà¥à¤° जल चरणामृत का पान किया और उसे अपने ऊपर छिड़का. माता से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ की मैयà¥à¤¯à¤¾ जलà¥à¤¦à¥€ फिर से बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¾. आगे चलकर टोकन वापिस करके पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ का नारियल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया. यंही पर पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के रूप में हलवा à¤à¥€ मिलता हैं और माता के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ और खजाने से à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ à¤à¤• à¤à¤• पà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥€ मिलती हैं. यंहा से थोडा आगे चलकर नीचे की और उतरकर महादेव की गà¥à¤«à¤¾ à¤à¥€ हैं, जंहा जाकर के महादेव के पवितà¥à¤° शिव लिंगम के दरà¥à¤¶à¤¨ किये. कहा जाता हैं की जंहा जंहा शकà¥à¤¤à¤¿ हैं वंही पर शिव विराजमान होते हैं
माता के दरà¥à¤¶à¤¨ करके, और à¤à¤—वान शिव के दरà¥à¤¶à¤¨ करके हम लोग à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में आ जाते हैं. जंहा पर पहले कढ़ी चावल और फिर चाय का आनंद लिया . कढ़ी चावल, छोले चावल, छोले à¤à¤ ूरे की पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ २० रूपये में और चाय चार रूपये में मिलती हैं. खा पीकर हम लोग वापिस मनो कामना à¤à¤µà¤¨ में आकर के लंबी तान कर और घोड़े बेच कर सो जाते हैं.
सà¥à¤¬à¤¹ ६ बजे आà¤à¤– खà¥à¤²à¤¤à¥€ हैं. उठकर अपने कमà¥à¤¬à¤² जमा करा कर आते हैं. और नीचे à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ में आकर के à¤à¤• à¤à¤• कप चाय पीकर à¤à¥ˆà¤°à¥‹ देव की और चल पड़ते हैं. माता के à¤à¤µà¤¨ से à¤à¥ˆà¤°à¥‹ देव की दूरी करीब २ किलोमीटर पड़ती हैं. बिलकà¥à¤² खड़ी चढाई हैं. करीब साढ़े सात बजे हम लोग à¤à¥ˆà¤°à¥‹ देव पर पहà¥à¤à¤š जाते हैं. आरती के कारण से लाइन लंबी लगी हà¥à¤ˆ थी इसी लिठथोड़ी देर धूप में विशà¥à¤°à¤¾à¤® करने बैठजाते हैं.
माता का पवितà¥à¤° à¤à¤µà¤¨
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ देव से माता के à¤à¤µà¤¨ का चितà¥à¤°
गà¥à¤¨à¤—à¥à¤¨à¥€ धूप में à¤à¥ˆà¤°à¥‹ देव के मंदिर के सामने बने पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿà¤«à¤¾à¤°à¥à¤® पर बैठजाते हैं और थोड़ी देर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते हैं. यंहा पर à¤à¥€ शà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¨ बोरà¥à¤¡ की तरफ से पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की दà¥à¤•ान बनी हà¥à¤ˆ हैं. और à¤à¤• à¤à¥‹à¤œà¤¨à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ बना हà¥à¤† हैं. थोड़ी देर बाद जब à¤à¥€à¤¡à¤¼ कम हो जाती हैं तो à¤à¥ˆà¤°à¥‹ नाथ के दरà¥à¤¶à¤¨ करते हैं.
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ नाथ का मंदिर
à¤à¤• और दृशà¥à¤¯
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ मंदिर से सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° दृशà¥à¤¯
माता के दà¥à¤µà¤¾à¤° को जाने के लिठबने मारà¥à¤—
सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पहाड़
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ मंदिर के सामने
à¤à¥ˆà¤°à¥‹ मंदिर पर थोड़ी देर रà¥à¤•ने के बाद हम लोग नीचे की और चल पड़े. और थोड़ी देर में सांà¤à¥€ छत पहà¥à¤à¤š जाते हैं. यंही पर हमें हमारे दूर के à¤à¤• रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤° à¤à¥€ मिले, जो की बडौत , जिला बागपत (उ. पà¥à¤°.) से आये हà¥à¤ थे. मैं उनका फोटो नहीं ले पाया था. जिसका मà¥à¤à¥‡ आगे जाकर के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आया.
सांà¤à¥€ छत से कटरा रेलवे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤•
ये ऊपर वाला चितà¥à¤° कटरा में बन रहे रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ का हैं. जनवरी २०१३ से कटरा तक रेल पहà¥à¤à¤š जायेगी. जिसका तीरà¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बहà¥à¤¤ आराम हो जायेंगा. समय à¤à¥€ बचेगा और पैसे à¤à¥€ बंचेगे.
सांà¤à¥€ छत से कटरा नगर
सांà¤à¥€ छत हेली पैड
सांà¤à¥€ छत का à¤à¤• दृशà¥à¤¯
सांà¤à¥€ छत
अरà¥à¤§ कà¥à¤‚वारी
हम लोग अरà¥à¤§ कà¥à¤‚वारी पहà¥à¤à¤š कर करीब आधा घंटा विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते हैं और कà¥à¤› खा पीकर के आगे की और नीचे कटरा चल पड़ते हैं. हम लोग करीब २ बजे बाण गंगा पहà¥à¤à¤š जाते हैं. और बाण गंगा से टमà¥à¤ªà¥‚ करके अपने होटल मालती पैलेस पहà¥à¤à¤š जाते हैं. होटल में पहà¥à¤à¤š कर घोड़े बेच कर सो जाते हैं. करीब छह बजे उठकर नहा धोकर, कटरा में घूमने के लिठनिकल पड़ते हैं. होटल में खाना खाने के बाद, बाज़ार घूमने के बाद करीब दस बजे हम लोग आकार के सो जाते हैं अगली सà¥à¤¬à¤¹ हमें धनसर बाबा, à¤à¤œà¥à¤œà¤° कोटली आदि के लिठजाना था. इसका वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ आप लोग अगले à¤à¤¾à¤— में पढेंगे |
माँ वैष्णो देवी की मान्यता के बारे में काफी विस्तृत जानकारी थी |
कतरा में जो रेलवे का स्टेशन बन रहा है, क्या उसे जम्मू से भी जोड़ा जाएगा या सिर्फ उधमपुर से | अगर सीधा रास्ता हो जाएगा तो शायद जम्मू पर कम प्रेशर रहेगा और यात्रियों को काफी आराम हो जाएगा | जय हिन्द |
नंदन जी राम राम, कटरा के लिए रेल जम्मू से वाया उधमपुर होकर के जायेगी. सीधा रास्ता नहीं हैं, हर ट्रेन जम्मू से होकर ही जायेगी.
प्रवीण भाई माता के बारे में विस्तार से जानकारी देने का आभार,
विशाल भाई के बाद आपका लेख माता के बारे बेहतरीन लेख माना जायेगा।
नन्दन जी यह रेल मार्ग सिर्फ़ उधमपुर से ही जोडा जा रहा है। दिल्ली से सीधे कटरा देखते है कब? अपुन तैयार है तब तक?
संदीप जी जय माता की, बहुत बहुत धन्यवाद.., जम्मू से उधमपुर पहले ही जुड़ा हुआ हैं…जंहा तक है, जनवरी से कटरा तक रेल पहुँच जायेगी..
प्रवीण जी, आपके लेख से महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। विशेषकर कटरा रेलवे स्टेशन के बारे में तो मालूम ही नहीं था। अभी छः सात महीने पहले हम जब कश्मीर गये थे तब भी किसी ने ज़िक्र नहीं किया। श्रीनगर तक रेल लाइन की बात तो सामने आई थी । सांझी छत और अर्द्ध कुमारी के चित्र देख कर आभास हुआ कि यहां की सड़कें अब बहुत बेहतर स्वरूप प्राप्त कर चुकी हैं। हम एक बार दरबार गये थे तो गुफा में पानी में से लेट कर प्रवेश कर अंदर पहुंचे थे जो बड़ा ही रोमांचक था। अगली बार गये तो गुफा बनाई जा चुकी थी जिससे आराम से प्रवेश तो मिल गया पर रोमांच जाता रहा। पुजारी लोग मंदिर में दर्शन भी ठीक से नहीं करने देते हैं, बस दर्शनार्थियों को जल्दी से जल्दी बाहर भगाने की जल्दी रहती है।
मंदिरों में फोटो खींचना मना है पर हां, अगर कोई फिल्म की शूटिंग के लिये यूनिट आ जाये तो उसके आगे ये ही पुजारी दंडवत करते नज़र आते हैं ! मंदिरों में भी यह सब व्यवसायिकता देख देख कर मन खट्टा हो जाता है। हम लोग कितनी भावनायें मन में संजोये, जैसे तैसे कर के माता के दरबार में पहुंचते हैं पर इन पुजारियों और प्रसाद बेचने वालों में धार्मिकता छू भी नहीं गई है। कटरा में भी ड्राई फ्रूट्स के बड़े से शो रूम में अखरोट के सैंपल दिखाये कोई और, मगर पैक कर के दिये गये कोई और ! सहारनपुर आकर जब देखे तो सब सड़े हुए थे। अब इस मानसिकता को धार्मिकता कैसे कहूं ?
सुशांत जी राम राम, सुशांत जी अच्छा ड्राई फ्रूट जम्मू में ही मिलता हैं, रघुनाथ बाज़ार में चुन्नी लाल अमरनाथ की मशहूर दुकान हैं, वंहा से हम हर साल खरीदारी करते हैं, पर आज तक कोई धोखा नहीं हुआ हैं. इसी सामने ही मुग़ल कश्मीर एम्पोरियम हैं जंहा से आप लोग शाल, गर्म कपडे, बर्फानी आदि खरीद सकते हैं, इसके अलावा बनिया सुपर मार्केट में सभी सामान वाजिब रेट पर मिल जाता हैं..यह सभी दुकाने रघुनाथ बाज़ार में रघुनाथ मंदिर के पास स्थित हैं…
प्रवीण जी,
बहुत विस्तार से आपने माता के भवन का वर्णन किया है। फोटो भी अत्यंत सुंदर आये है। हेलिपैड काफी अच्छा दिख रहा है और रेलवे स्टेशन के बारे में जानकार अच्छा लगा। अब लोग जल्दी दर्शन कर सकेंगे।
धन्यवाद
शर्मा जी जय माता की, सराहना के लिए धन्यवाद…
बढ़िया जानकारी प्रवीण जी, खासतौर पर कटरा तक प्रस्तावित ट्रेन के बारे में. फोटोज भी बड़े खुबसूरत हैं. स्वतन्त्र यात्राओं की शुरुआत मैंने वैष्णों देवी के पावन धाम से ही की थी, यादें ताज़ा कराने के लिए शुक्रिया!
विपिन जी धन्यवाद, जय माता की…
Jai Mata di !
Pictures are too good , especially clicked from Sanjhi chath & Bhairav mandir.
महेश जी बहुत धन्यवाद, जय माता की..
प्रवीन जी…. राम राम ….!
जय माता दी….
माता के दरबार में कई बार जा चुका हूँ पर जब भी श्री वैष्णो देवी की कथा और वहाँ की यात्रा के बारे में कितना भी पढ़ो हमेशा हमारा शीश माता के नमन में झुक जाता हैं और ह्रदय भक्ति भावना से भर जाता हैं…..| आज का आपका लेख पूर्णत भक्ति भावना से ओत-प्रोत और सम्पूर्ण विवरण से सारोबार लगा…. बहुत अच्छा लिखा आपने …फोटो भी बहुत अच्छे लगे…| आज कल यहाँ पर यात्रीयो हेतु काभी सुविधाएँ पहले के मुकाबले काफी अच्छी हो गयी हैं….|
एक बार शिव खोरी जाते से यह कटरा क स्टेशन देख चुका हूँ…..यह स्टेशन शुरू हो जाने के बाद यहाँ के लिए काफी सुविधा हो जायेगी….
धन्यवाद
प्रवीन जी…. राम राम ….!
जय माता दी….
माता के दरबार में कई बार जा चुका हूँ पर जब भी श्री वैष्णो देवी की कथा और वहाँ की यात्रा के बारे में कितना भी पढ़ो हमेशा हमारा शीश माता के नमन में झुक जाता हैं और ह्रदय भक्ति भावना से भर जाता हैं…..| आज का आपका लेख पूर्णत भक्ति भावना से ओत-प्रोत और सम्पूर्ण विवरण से सारोबार लगा…. बहुत अच्छा लिखा आपने …फोटो भी बहुत अच्छे लगे…| आज कल यहाँ पर यात्रीयो हेतु काभी सुविधाएँ पहले के मुकाबले काफी अच्छी हो गयी हैं….|
एक बार शिव खोरी जाते से यह कटरा का स्टेशन देख चुका हूँ…..यह स्टेशन शुरू हो जाने के बाद यहाँ के लिए काफी सुविधा हो जायेगी….
धन्यवाद
रितेश जी जय माता की, धन्यवाद बहुत बहुत, हमारा बस चले तो माता के द्वार पर हर महीने चला जाए, पर हो नहीं पाता हैं…
प्रवीण जी,
बहुत सुन्दर तथा विस्तृत वर्णन तथा तस्वीरें भी लाज़वाब। कटरा तक रेल मार्ग के बारे में जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। अभी तक हम तो माता जी के दर्शन नहीं कर पाए हैं, लगता है अपनी पहली वैष्णो देवी यात्रा में ही कटरा तक ट्रेन में जाने की सुविधा का लाभ उठा पायेंगे। जानकारी के लिए धन्यवाद।
मुकेश जी धन्यवाद, जय माता की..
प्रवीण जी नमस्ते,
विस्तृत जानकारी एवं माता का इतिहास बताने के लिए धन्यवाद। आपकी जानकारी के लिए मैं घुमक्कड़ पे नया सदस्य हूँ तथा ये घुमक्कड़ पर मेरी पहली प्रतिक्रिया है। मैं 1 फ़रवरी को सपरिवार वैष्णोदेवी एवं शिव खोड़ी जा रहा हूँ और हाल ही में इंदौर से जम्मू का रिजर्वेशन करवाया है। ये मेरी पहली वैष्णोदेवी यात्रा हैं अतः आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी उत्साहवर्धन हुआ और बहुत महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई। वैसे तो आपने छोटी से छोटी बात का वर्णन अपनी पोस्ट में किया है परन्तु फिर भी मेरे जैसे पहली बार जाने वालों के लिए आपके सुझावों का स्वागत है।
अगले भाग की प्रतीक्षा में।
धन्यवाद्।
अंकित जी जय माता की. आपका घुमक्कड पर स्वागत हैं. बहुत अच्छी बात है की आप माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं. इस समय भीड़ भी नहीं होगी. पर गर्म कपडे ले जाने का जरुर ध्यान रखना. आपका बहुत धन्यवाद, आपको पोस्ट अच्छी लगी.
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद् प्रवीण जी। कृपया अपना फोन नंबर देने का कष्ट करें। अगर कमेंट के माध्यम से देने में संकोच हो तो मुझे ईमेल भी कर सकते हैं। मेरा ID है ankitgautam87@gmail.com
जय माता दी।
Jai Mata vaishno devi !
Dear praveen ji,thanks for your ultimate information about mata de !
I have booked my reservation on 26 to 31 march 2013 with my family frist time for Mata Vaishno Devi -mata ki kripa se
but there getting error to registred at Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board for booking room at katra & manokamna bhawan
if possible pls provide your mob no me on my mail id -svinay50@yahoo.com
विनय जी, राम राम, कटरा में और मनोकामना भवन में बुकिंग ३० दिन पहले खुलती हैं. और वो भी रात के बारह बजे बैठना पड़ता हैं. नहीं तो रूम बुक हो जाते हैं. क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ही बुक होते हैं. यदि यंहा से भी बुक ना हो तो सबसे पहले कटरा पहुँचते ही निहारिका भवन में जाकर बुक कराने से रूम मिलने की संभावना रहती हैं.
प्रवीण जी!राम राम ! we are waiting for yor next post !